विषयसूची:
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1. मंत्रिमण्डल ने 10 इन-ऑर्बिट संचार उपग्रहों को भारत सरकार से मेसर्स न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन:2 ,3
शासन,विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी :
विषय: सरकार की विज्ञानं समर्पित योजनाएं एवं दैनिक जीवन में विकास एवं उनके अनुप्रयोग और प्रभाव तथा उनका कमजोर वर्ग पर प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: एनएसआईएल, 10 इन-ऑर्बिट संचार उपग्रह।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने 10 इन-ऑर्बिट संचार उपग्रहों को भारत सरकार से अंतरिक्ष विभाग के उपक्रम मेसर्स न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल), को हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- गौरतलब है कि केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने एनएसआईएल की अधिकृत शेयर पूंजी को 1000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7500 करोड़ रुपये कर दिया है।
विवरण:
- एनएसआईएल को इन परिसंपत्तियों का हस्तांतरण इस कंपनी को पूंजी प्रधान कार्यक्रमों/परियोजनाओं को पूरा करने के लिए वांछित वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करेगा और साथ ही अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में रोजगार की व्यापक संभावनाओं और प्रौद्योगिकी आधारित अन्य लाभ भी पहुंचाएगा।
- इस मंजूरी से अंतरिक्ष क्षेत्र में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को गति मिलने और वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में किए गए सुधारों के कारण एनएसआईएल को समग्र वाणिज्यिक अंतरिक्ष गतिविधियों को शुरू करने और एक पूर्ण उपग्रह ऑपरेटर के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया गया है।
- सिंगल-विंडो ऑपरेटर के रूप में कार्य कर एनएसआईएल अंतरिक्ष क्षेत्र में व्यवसाय को आसान बनाएगी।
- एनएसआईएल बोर्ड को अब उपग्रह संचार के क्षेत्र में बाजार के परिदृश्य तथा वैश्विक रुझानों के अनुरूप ट्रांसपोंडरों का मूल्य निर्धारित करने का अधिकार होगा।
2. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ऑस्ट्रेलिया-भारत जल सुरक्षा पहल (एआईडब्ल्यूएएसआई) के लिए तकनीकी सहयोग समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय:द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑस्ट्रेलिया-भारत जल सुरक्षा पहल (एआईडब्ल्यूएएसआई)।
मुख्य परीक्षा: यह समझौता ज्ञापन शहरी जल सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को किस प्रकार मजबूत करेगा।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल को आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए), भारत सरकार तथा विदेश और व्यापार विभाग (डीएफएटी), ऑस्ट्रेलिया सरकार के बीच शहरी जल प्रबंधन में तकनीकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया। समझौता ज्ञापन पर दिसम्बर, 2021 में हस्ताक्षर किए गए थे।
उद्देश्य:
- समझौता शहरी जल सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करेगा।
विवरण:
- यह शहरी जल प्रबंधन के लिए सभी स्तरों पर संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करेगा;
- पानी और स्वच्छता सेवाओं की पहुंच, सामर्थ्य और गुणवत्ता में सुधार; पानी और पानी की उपलब्धता वाले शहरों की सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने; जलवायु अनुकूल जल प्रबंधन कार्यों को प्रोत्साहित करने; जल प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने और सुलभ बुनियादी ढांचे के लिए पहल के माध्यम से सामाजिक समावेश में सुधार करने का काम करेगा।
- समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों को शहरी जल सुरक्षा के प्रमुख क्षेत्रों में दो देशों द्वारा प्राप्त तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी लेने में सक्षम करेगा और ज्ञान के आदान-प्रदान, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों और संस्थानों के क्षमता निर्माण को बढ़ावा देगा।
- इससे आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को पूरा करने में मदद मिलेगी।
3. कैबिनेट ने स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ,अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: सरकार की दूसरे देशों के साथ स्वास्थ सम्बन्धी जनकल्याणकारी योजनाएं एवं उनका कमजोर वर्ग पर प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीबीटी) तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार (डीबीटी) तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अंतर्राष्ट्रीय एड्स वैक्सीन पहल (आईएवीआई), यूएसए के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी दे दी है।
विवरण:
- यह एचआईवी, टीबी, कोविड-19 और अन्य उभरती संक्रामक बीमारियों की रोकथाम और उनका इलाज करने के लिए बेहतर और नवोन्मेषी जैव चिकित्सा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के विकास में मदद करेगा।
- यह समझौता ज्ञापन पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के माध्यम से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा।
4. ‘भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी 2030’ के संयुक्त विजन दस्तावेज पर हस्ताक्षर:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते ।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी 2030′ का संयुक्त विजन दस्तावेज।
मुख्य परीक्षा: भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी 2030′ के संयुक्त विजन दस्तावेज के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- रक्षा मंत्री ने 08 जून, 2022 को हनोई में वियतनाम के रक्षा मंत्री जनरल फान वान गियांग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
उद्देश्य:
- इस दौरान आपसी रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर बातचीत को जारी रखने पर विस्तार से चर्चा हुई।
- दोनों रक्षा मंत्रियों ने ‘भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी 2030’ के संयुक्त विजन दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जो मौजूदा रक्षा सहयोग को मजबूत करेगा ।
विवरण:
- दोनों रक्षा मंत्रियों की उपस्थिति में पारस्परिक रूप से लॉजिस्टिक सहयोग बढ़ाने के लिए भी समझौता हुआ।
- दोनों देशों के रक्षा बलों के बीच बढ़ती सहकारी भागीदारी के इस दौर में पारस्परिक रूप से लाभकारी लॉजिस्टिक सहयोग की प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
- यह पहला ऐसा बड़ा समझौता है, जिसको वियतनाम ने किसी दूसरे देश के साथ नहीं किया है ।
- दोनों मंत्रियों ने वियतनाम को दिय जाने वाले 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा ऋण को भी शीघ्र ही अंतिम रूप देने पर भी सहमति जताई।
- परियोजनाओं के कार्यान्वयन से वियतनाम की रक्षा क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी और ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विजन को भी मजबूती मिलेगी ।
- रक्षा मंत्री ने वियतनामी सशस्त्र बलों की क्षमता निर्माण के लिए वायु सेना अधिकारी प्रशिक्षण स्कूल में भाषा और सूचना प्रोद्योगिकी लैब की स्थापना के लिए दो सिमुलेटर तथा वित्तीय अनुदान देने की भी घोषणा की।
5. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने उद्योग और विकसित प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते ।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार।
मुख्य परीक्षा: उद्योग और विकसित प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर का महत्व।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने उद्योग और विकसित प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच एक द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
विवरण:
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच बढ़ता आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग दोनों देशों के बीच मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों की स्थिरता और मजबूती को बढ़ाएगा।
- भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार जो 1970 के दशक में प्रति वर्ष 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर (1373 करोड़ रुपये) था, वह बढ़ कर 2019-20 में 60 अरब अमेरिकी डॉलर (4.57 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच चुका है।
- अब संयुक्त अरब अमीरात चीन और अमेरिका के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यावसायिक भागीदार बन चूका है,इसके अलावा, संयुक्त अरब अमीरात वर्ष 2019- 20 में 29 अरब अमेरिकी डॉलर (2.21 लाख करोड़ रुपये) के निर्यात के साथ अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतब्य बन गया है।
- यूएई 18 अरब अमेरिकी डॉलर (1.37 लाख करोड़ रुपये) के अनुमानित निवेश के साथ भारत में आठवां सबसे बड़ा निवेशक है।
- संयुक्त अरब अमीरात में लगभग 85 अरब अमेरिकी डॉलर (6.48 लाख करोड़ रुपये) के भारतीय निवेश का अनुमान लगाया गया है।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने 18/02/2022 को एक द्विपक्षीय “व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते” (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इस समझौते का लक्ष्य भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापार को 60 अरब अमेरिकी डॉलर (4.57 लाख करोड़ रुपये) से बढ़ाकर अगले पांच वर्ष में 100 अरब डॉलर (7.63 लाख करोड़ रुपये) करने का है।
समझौता ज्ञापन में निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग की परिकल्पना की गई है:
- उद्योगों की आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को सुदृढ़ बनाना
- नवीकरणीय और ऊर्जा दक्षता
- स्वास्थ्य और जैविक विज्ञान
- अंतरिक्ष प्रणाली
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
- उद्योग 4.0 को सक्षम करने वाली तकनीकें
- मानकीकरण, मेट्रोलॉजी, अनुरूपता मूल्यांकन, मान्यता।
- समझौता ज्ञापन का उद्देश्य निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और प्रौद्योगिकियों के माध्यम से दोनों देशों के उद्योगों को मजबूत और विकसित करना है। इससे अर्थव्यवस्था में रोजगार पैदा होगा ।
- समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन से पारस्परिक सहयोग के सभी क्षेत्रों विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उद्योग को सक्षम करने वाली प्रौद्योगिकियों, स्वास्थ्य और जैविक विज्ञान के क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार में वृद्धि हो सकती है।
- इससे इन क्षेत्रों का विकास, घरेलू उत्पादन और निर्यात में वृद्धि तथा आयात में कमी लाई जा सकती है।
6. भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 50 आधार अंक की वृद्धि की:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार ।
प्रारंभिक परीक्षा: रेपो दर।
प्रसंग:
- भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की 6-8 जून 2022 को हुई बैठक में रेपो दर 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत करने का सर्वसम्मत निर्णय लिया गया है।
उद्देश्य:
- मौद्रिक नीति समिति ने समायोजन वापसी पर फोकस बनाए रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास को प्रभावित किए बिना मुद्रास्फीति लक्ष्य के अंदर बनी रहे।
- परिणामस्वरूप स्थायी जमा सुविधा दर 4.65 प्रतिशत तथा सीमांत जमा सुविधा दर और बैंक दर 5.15 प्रतिशत तक समायोजित की गई।
विवरण:
- मुद्रास्फीति: वर्ष 2022 में सामान्य मॉनसून तथा भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की औसत कीमत 105 डॉलर प्रति डॉलर मानी जाए तो 2022-23 में मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- पहली तिमाही – 7.5%
- दूसरी तिमाही – 7.4%
- तीसरी तिमाही – 6.2%
- चौथी तिमाही – 5.8%
- वृद्धि अनुमान: मौद्रिक नीति समिति ने गौर किया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था बहु-दशकीय उच्च मुद्रास्फीति और धीमी वृद्धि, निरंतर भू-राजनीतिक तनाव,प्रतिबंधों, कच्चे तेल और अन्य वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतें तथा कोविड-19 संबंधी आपूर्ति बाधाओं का सामना कर रही है।
- अप्रैल-मई में आर्थिक संकेतकों के अनुसार भारत में आर्थिक गतिविधियों में सुधार हो रहा है। शहरी मांग बढ़ रही है और ग्रामीण मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। मई के दौरान व्यापारिक माल निर्यात ने लगातार 15वें महीने मजबूत होकर दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की जबकि गैर-तेल, गैर-सोने के आयात में स्वस्थ्य गति से मजबूती आई और इससे घरेलू मांग में सुधार हुआ।
- वर्ष 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.2 रहने का अनुमान है।
- पहली तिमाही – 16.2%
- दूसरी तिमाही – 6.2%
- तीसरी तिमाही – 4.1%
- चौथी तिमाही – 4.0%
- 31 मई को जारी एनएसओ के अनंतिम अनुमानों के अनुसार 2021-22 में भारत की जीडीपी वृद्धि 8.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो महामारी के पहले के स्तर से अधिक है।
सहकारी बैंकों को लाभ पहुंचाने के उपाय:
- सीमाओं में पिछली बार संशोधन किए जाने के बाद से आवासीय मूल्यों में वृद्धि तथा उपभोक्ता की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सहकारी बैंकों द्वारा व्यक्तिगत आवासीय ऋणों की वर्तमान सीमाओं को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
- इसी के अनुसार टीयर I / टीयर II के शहरी सहकारी बैंकों की सीमा क्रमशः 30 लाख रुपए/70 लाख रुपए से 60 लाख रुपए/ 140 लाख रुपए तक संशोधित मानी जाएगी।
- जहां तक ग्रामीण सहकारी बैंकों का संबंध है मूल्यांकित ग्रामीण सहकारी बैंक के लिए सीमा 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दी जाएगी।
- 100 करोड़ रुपए से कम की कुल संपत्ति; तथा अन्य ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए 30 लाख रुपए से 75 लाख रुपए तक होगी ।
- अब शहरी सहकारी बैंक ग्राहकों को घर-घर बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। इससे बैंक उपभोक्ताओं विशेषकर वरिष्ठ नागरिक तथा दिव्यांगजनों को लाभ मिलेगा ।
- अब ग्रामीण सहकारी बैंक कुल संपत्ति के 5 प्रतिशत की वर्तमान कुल आवास वित्त सीमा के अंदर वाणिज्यिक रियल एस्टेट (आवासीय परियोजनाओं के लिए ऋण) के लिए वित्त का विस्तार कर सकते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लेन-देन की सीमा में वृद्धि:
- ग्राहक सुविधा को और मजबूत बनाने तथा अभिदान, बीमा प्रीमियम और उच्च मूल्य के शिक्षा शुल्क जैसे आवर्ती भुगतान की सुविधा के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम आधारित आवर्ती भुगतान के लिए प्रति लेन-देन की सीमा 5000 रुपए से बढ़ाकर 15000 रुपए कर दी गई है।
यूपीआई भुगतान प्रणाली के दायरे में वृद्धि:
- अब क्रेडिट कार्ड को भी यूपीआई से लिंक किया जाएगा।
- इसकी शुरुआत रूपे कार्ड से होगी।
- इससे यूजरों को अतिरिक्त सुविधा मिलेगी और डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ेगा। यूपीआई भारत में भुगतान का समावेशी मोड बन गया है।
- वर्तमान में 26 करोड़ से अधिक यूनिक यूजर्स और पांच करोड़ व्यापारी यूपीआई प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं।
7. जापान और भारत के बीच वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
मुख्य परीक्षा: भारत जापान के बीच समझौते के क्षेत्रों पर चर्चा कीजिए ?
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल को नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायर्नमेंटल स्टडीज, जापान और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), भारत के बीच हुए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हुए हस्ताक्षर से अवगत कराया गया, जिसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान (बाद में “संयुक्त अनुसंधान” के रूप में संदर्भित) करना और उसे कार्यान्वित करना है।
विवरण:
- एआरआईईएस, नैनीताल द्वारा पूर्व में यह समझौता किसी अन्य विदेशी निकायों के साथ अभी तक नहीं किया है
समझौते के अनुसार सहयोग के क्षेत्र :-
- क) वैज्ञानिक उपकरणों का संयुक्त उपयोग और संचालन
- बी) अवलोकन विधियों पर वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान
- ग) अवलोकन संबंधी आंकड़ों का संयुक्त विश्लेषण और वैज्ञानिक रिपोर्ट बनाना
- घ) संयुक्त शैक्षिक और अनुसंधान गतिविधियाँ।
- ई) शोध करने के उद्देश्य से पीएचडी छात्रों सहित अतिथि विद्वानों का आदान-प्रदान।
एआरआईईएस के बारे में:
- आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्थापित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
- एआरआईईएस खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में अनुसंधान का उत्कृष्ट केंद्र है।
- यह पृथ्वी पर वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन, सूर्य, सितारों और आकाशगंगाओं के निर्माण और विकास पर शोध करता है।
एनआईईएस के बारे में:
- नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायर्नमेंटल स्टडीज, (एनआईईएस) जापान का एकमात्र शोध संस्थान है, जो अंतःविषय पर और व्यापक सन्दर्भ में पर्यावरण पर अनुसंधान करता है।
- एनआईईएस पर्यावरण संरक्षण पर वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालता है।
- एनआईईएस अनुसंधान परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिनमें मौलिक अनुसंधान, डेटा अधिग्रहण और विश्लेषण, पर्यावरण के नमूनों के संरक्षण और प्रावधान के माध्यम से संस्थान की अनुसंधान नींव को मजबूत करना शामिल है।
- एनआईईएस पर्यावरण अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए चार कीवर्ड (संश्लेषण, एकीकरण, विकास और नेटवर्क सिंथेसाइज, इंटीग्रेट, इवॉल्व, और नेटवर्क = एनआईईएस रणनीति) पर विश्वास करता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं।
लिंक किए गए लेख में 07 June 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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