विषयसूची:
|
-
भारत द्वारा कोविड के लिए विकसित विश्व के पहले इंट्रा-नेसल वैक्सीन को 18 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए स्वीकृति मिली:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: इंट्रा-नेसल वैक्सीन, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO), जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (BRIC), भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) से सम्बंधित तथ्य।
Hindi PIB Summary for 1 December 2022 :- Download PDF Here
प्रसंग:
- भारत द्वारा कोविड के लिए विकसित विश्व के पहले इंट्रा-नेसल वैक्सीन को 18 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से स्वीकृति मिली।
विवरण:
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी) में डीबीटी के स्वायत्त संस्थानों की सोसायटी की वार्षिक बैठक की अध्यक्षता की I
- जिसमें इस वैक्सीन को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से भारत में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के तहत विषम बूस्टर खुराक के लिए मंजूरी मिली हैं।
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक और ऐतिहासिक एवं पथ-प्रदर्शक निर्णय में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के प्रभाव को अधिकतम करने के उद्देश्य से केंद्रीयकृत और एकीकृत प्रशासन करने के लिए डीबीटी के 14 स्वायत्त संस्थानों को एक शीर्ष स्वायत्त निकाय-जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (BRIC) के अंतर्गत समाहित करने को स्वीकृति प्रदान की है।
- मंत्री ने भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) द्वारा कोविड के लिए विश्व के पहले इंट्रानेजल वैक्सीन के विकास में सहयोग हेतु जैव प्रौद्योगिकी विभाग और उसके लोक उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक- BIRAC) की भूमिका की सराहना की।
- मिशन कोविड सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत उत्पाद विकास और नैदानिक परीक्षणों को जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और बाइरैक द्वारा वित्त पोषित किया गया था।
- इस वैक्सीन को प्राथमिक 2 खुराक कार्यक्रम और सजातीय उचित बूस्टर खुराक के लिए 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के अंतर्गत अनुमोदन प्राप्त हो गया है।
- BIRAC द्वारा नैदानिक परीक्षण पूरे भारत में 9 परीक्षण स्थलों पर किए गए थे।
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान-राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी), नई दिल्ली ने प्रतिभागियों में टीके से प्रेरित सार्स-सीओवी-2-विशिष्ट प्रणालीगत और म्यूकोसल सेलुलर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया परीक्षण की जांच करने के लिए अपने “ह्यूमन इम्यून मॉनिटरिंग एंड टी-सेल इम्यूनोएसे प्लेटफॉर्म” का उपयोग किया।
- बाइरैक द्वारा समर्थित इंटरएक्टिव रिसर्च स्कूल फॉर हेल्थ अफेयर्स (आईआरएसएचए), पुणे ने तीन परीक्षण स्थलों से वायरस के लिए एंटीबॉडी को प्रभावहीन करने के लिए टिटर की मात्रा निर्धारित करने के उद्देश्य से “प्लाक रिडक्शन न्यूट्रलाइजेशन एसे” को (पीआरएनटी) पूरा किया।
- वैरिएंट-विशिष्ट टीकों के तेजी से विकास और नेसल्स में सुगमता से उपयोग को सक्षम करने के लिए इस टीके का दोहरा लाभ है जो चिंता का कारण बन रहे नए उभरते वेरिएंटस से बड़े पैमाने पर बचाने में सक्षम बनाता है।
- यह वैक्सीन प्री-फ्यूजन स्टेबलाइज्ड स्पाइक प्रोटीन के साथ एक पुनः संयोजक की प्रतिकृति न हो सकने वाला एडेनोवायरस वेक्टरेड वैक्सीन है।
- सफल परिणामों के साथ चरण I, II और III के नैदानिक परीक्षणों में इस प्रत्याशी वैक्सीन का मूल्यांकन किया गया था।
- यह विशेष रूप से नाक में डाली जाने वाली बूंदों के माध्यम से इंट्रानेजल डिलीवरी की अनुमति देने के लिए तैयार किया गया है।
- नाक से दिए जाने की इस प्रणाली को कम और मध्यम आय वाले देशों में लागत प्रभावी बनाने के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है।
- आसान भंडारण और वितरण के लिए यह टीका 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहता है।
- पूरे भारत में संचालन के साथ गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना सहित भारत भर में कई साइटों पर भारत बायोटेक द्वारा इसके लिए बड़ी विनिर्माण क्षमताएं स्थापित की गई हैं।
- एक और ऐतिहासिक एवं पथ-प्रदर्शक निर्णय में जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के प्रभाव को अधिकतम करने के उद्देश्य से केंद्रीयकृत और एकीकृत प्रशासन करने के लिए डीबीटी के 14 स्वायत्त संस्थानों को एक शीर्ष स्वायत्त निकाय-जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद (बीआरआईसी) के अंतर्गत समाहित करने को स्वीकृति प्रदान की है।
- जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और नवाचार परिषद अपने विशिष्ट अनुसंधान अधिदेशों को बनाए रखते हुए समन्वयन को बढ़ावा देने के लिए डीबीटी संस्थानों में विकसित आधारों पर अपने निर्माण करेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.उपराष्ट्रपति ने हॉर्नबिल महोत्सव के 23वें संस्करण का उद्घाटन किया:
- उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने 01 दिसंबर को नागालैंड की राजधानी कोहिमा के निकट नागा विरासत गांव किसामा में हॉर्नबिल महोत्सव के 23वें संस्करण का उद्घाटन “महोत्सवों के समारोह” की शुरुआत की घोषणा करने के साथ घंटा बजा कर किया।
- उनको उद्घाटन समारोह में सिफी (पारंपरिक नागा टोपी) और अमुला कक्सा (नागा शॉल) देकर सम्मानित किया गया।
- उपराष्ट्रपति ने देश में महिलाओं के खिलाफ सबसे कम अपराध दर होने के लिए नागालैंड की सराहना की।
- भारत ने 01 दिसंबर से ही जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण कर ली है और अगले वर्ष अप्रैल में नागालैंड में जी-20 की बैठक होने पर दुनिया नागा आतिथ्य भाव का अनुभव कर सकेगी।
- इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने हॉर्नबिल महोत्सव के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट भी जारी किया।
- हॉर्नबिल महोत्सव नागालैंड में 1 से 10 दिसम्बर के बीच मनाया जाता है।
- इस महोत्सव में नागालैंड की संस्कृति देखने को मिलती है।
- जिसमें तरह-तरह के नागा पकवान, लोकनृत्य और कहानियां इस फेस्टिवल का खास हिस्सा होती हैं।
- हॉर्नबिल फेस्टिवल की सबसे खास बात ये है कि देश-विदेश से पर्यटक इस फेस्टिवल में शामिल होने के लिए आते हैं।
- हॉर्नबिल त्योहार का नाम हॉर्नबिल पक्षी के नाम पर रखा गया है।
- यह पक्षी अत्यधिक सम्मानित है और इसका महत्व आदिवासी लोकगीत, गीत और नृत्य में परिलक्षित होता है।
- क्योंकि पक्षी आदिवासी समुदायों की मूल लोककथाओं और संस्कृति में प्रतीकात्मक है।
- हॉर्नबिल फेस्टिवल की शुरुआत वर्ष 2000 में नागालैंड में पर्यटन को बढ़ावा देने और एक ही छत के नीचे एक मंच साझा करने के लिए सभी जनजातियों को एकजुट करने के लिए एक मुख्य कार्यक्रम के रूप में की गई थी।
- 01 दिसंबर को नागालैंड का स्थापना दिवस भी मनाया जाता हैं।
- भारत का उत्तरी – पूर्वी राज्य नागालैंड 1 दिसबंर 2022 को अपना 60वां स्थापना दिवस मना रहा है।
- भारत का स्विटजरलैंड कहा जाने वाला नागालैंड राज्य 1 दिसंबर 1963 को देश का 16वां राज्य बना था।
- इस दिन से हर साल 1 दिसंबर को नागालैंड का स्थापना दिवस मनाया जाता है।
- भारत के पूर्वोत्तर राज्य में स्थित नागालैंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ अपनी संस्कृति के लिए भी प्रसिद्ध है।
- नागालैंड की जनजातियां अपने त्यौहारों को उत्साह और उमंग के साथ मनाती हैं। नागालैंड की 60% से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर करती है और इसलिए उनके अधिकांश त्योहार कृषि के इर्द-गिर्द ही घूमते हैं।
- वे अपने त्योहारों को पवित्र मानते हैं और इन त्यौहारों में लोगों की भागीदारी अनिवार्य है।
- नागालैंड को त्योहारों की भूमि के रूप में जाना जाता है क्योंकि प्रत्येक जनजाति समर्पण और जुनून के साथ अपना त्यौहार मनाती है।
- नागालैंड का नाम भी नागा जनजाति के नाम पर रखा गया है।
- नागालैंड बहुत से आदिवासी जनजाति और उप जनजाति समूहों का मिश्रण है।
- इस राज्य को नागा लोगों का प्रमुख अधिवास क्षेत्र माना जाता है, जो मंगोल और भारतीय वर्ग में से एक माने जाते है।
- नागालैंड 16 विभिन्न जनजातियों का घर है।
- इस राज्य में चांग, कचहरी, आओ, अंगामी, चखेसांग, खियमनिउंगन, कोन्याक, कुकी, फोम, लोथा, रेंगमा, संगतम, पोचुरी, सुमी, यिमचुंगेर और ज़ेमे-लियांगमाई आदि जनजातियां निवास करती है।
- यहां हर एक जनजाति की अपनी अलग संस्कृति, भाषा और पहनावा है।
2.संयुक्त अभ्यास अग्नि वारियर देवलाली (महाराष्ट्र) में संपन्न:
- सिंगापुर सेना एवं भारतीय सेना के बीच एक द्विपक्षीय अभ्यास अग्नि योद्धा का 12वां संस्करण, जो 13 नवंबर, 2022 को फील्ड फायरिंग रेंज, देवलाली (महाराष्ट्र) में शुरू हुआ था, 30 नवंबर, 2022 को संपन्न हुआ।
- अभ्यास अग्नि योद्धा के अंतर्गत दोनों देशों के सैन्य बलों ने संयुक्त रूप से फ़ायरपावर का प्रदर्शन एवं निष्पादन किया और इस अभ्यास में दोनों सेनाओं की आर्टिलरी शाखा द्वारा नई पीढ़ी के उपकरणों का उपयोग किया गया।
- इस अभ्यास में संयुक्त योजना बनाने के अंतर्गत संयुक्त रूप से कंप्यूटर वॉरगेम में दोनों पक्षों ने भागीदारी की।
- दोनों पक्षों ने संयुक्त प्रशिक्षण चरण के अंतर्गत आला प्रौद्योगिकी और आर्टिलरी ऑब्जर्वेशन सिमुलेटर का उपयोग किया।
- आर्टिलरी में आधुनिक रुझानों और बेहतर आर्टिलरी योजना प्रक्रिया के विषय पर दोनों देशों के बीच विशेषज्ञ अकादमिक चर्चा आयोजित की गई।
- अभ्यास के अंतिम चरण के दौरान स्वदेशी रूप से निर्मित आर्टिलरी गन और हॉवित्जर तोपों ने भी भाग लिया।
- इस अभ्यास ने ड्रिल्स एवं प्रक्रियाओं की आपसी समझ बढ़ाने और दोनों सेनाओं के बीच पारस्परिकता बेहतर करने में योगदान किया।
3. भारतीय तटरक्षक के उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके-III स्क्वाड्रन, 840 एसक्यूएन (सीजी), को चेन्नई में कमीशन किया गया:
- तटरक्षक क्षेत्र पूर्व, 840 स्क्वॉड्रन (सीजी) को और मजबूत करने के प्रमुख प्रयास के तहत उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) एमके-III स्कवॉड्रन को 30 नवंबर, 2022 को आईसीजी एयर स्टेशन, चेन्नई में कमीशन किया।
- उक्त 840 स्कवॉड्रन (सीजी) को कमीशन किया जाना इस बात का संकेत है कि हेलीकॉप्टर निर्माण के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से अग्रसर है। यह प्रयास केंद्र सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना के अनुरूप है।
- इससे तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के संवेदनशील समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा के लिये भारतीय तट रक्षक की क्षमताओं में बहुत बढ़ोतरी हो जायेगी।
- एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टरों को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने निर्मित किया है, जो पूरी तरह स्वदेशी है।
- इसमें उन्नत रडार के साथ इलेक्ट्रो ऑप्टिकल संवेदी यंत्र, शक्ति इंजन, पूरी तरह शीशे का बना कॉकपिट, तेज प्रकाश वाली सर्च लाइट, उन्नत संचार प्रणालियां, स्वचालित पहचान प्रणाली, तलाश व बचाव प्रणालियां लगी हैं।
- इन उपकरणों और सुविधाओं की सहायता से हेलीकॉप्टर समुद्री टोही गतिविधियों के अलावा दूर तक तलाशी व बचाव कार्य कर सकता है।
- हेलीकॉप्टर दिन और रात, दोनों समय पोतों से उड़ान भरकर उपरोक्त गतिविधियां चलाने में सक्षम है।
- हेलीकॉप्टर में भारी मशीनगन लगी हुई है, इसलिये यह पलक झपकते आक्रामक मुद्रा में आ सकता है। इसमें एक गहन चिकित्सा सुविधा इकाई भी मौजूद है, ताकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को फौरन अस्पताल पहुंचाया जा सके।
- भारतीय तट रक्षक में चरणबद्ध तरीके से कुल 16 एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टरों को शामिल किया गया है।
- इनमें से चार हेलीकॉप्टरों को चेन्नई में तैनात किया गया है।
- शामिल होने के बाद से स्कवॉड्रन ने 430 घंटों से अधिक समय की उड़ान भरी है तथा अनेक संचालन अभियानों को पूरा किया है।
लिंक किए गए लेख में 30 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
सम्बंधित लिंक्स:
Comments