विषयसूची:
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1. इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस:
सामान्य अध्ययन: 3
जैव विविधता:
विषय: जैव विविधता संरक्षण।
प्रारंभिक परीक्षा: इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस।
मुख्य परीक्षा: दुनिया भर में बिग कैट के संरक्षण हेतु इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) कहाँ तक न्यायोचित हैं?
प्रसंग:
- प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कर्नाटक के मैसूर में 9 अप्रैल, 2023 को एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने हमारे ग्रह पर रहने वाली सात बिग कैट अर्थात् बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के संरक्षण के लिए इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) का शुभारंभ किया।
उद्देश्य:
- इस एलायंस का उद्देश्य बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के प्राकृतिक आवासों को कवर करने वाले 97 रेंज देशों तक पहुंचना है।
- IBCA वैश्विक सहयोग और जंगली जानवरों, विशेष रूप से बिग कैट संरक्षण की कोशिशों को और मजबूत करेगा।
विवरण:
- भारत को बाघ एजेंडा और शेर, हिम तेंदुआ, तेंदुआ जैसे अन्य बिग कैट के संरक्षण का एक लंबा अनुभव प्राप्त है, अब एक विलुप्त बिग कैट, चीता को उसके प्राकृतिक आवास में पुनः स्थापित करने के लिए स्थानांतरित किया जा रहा है।
- बिग कैट संरक्षण के तहत बाघों और उनके निवास स्थलों का संरक्षण करने से पृथ्वी पर कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों को सुरक्षित किया जा सकता है, जिससे लाखों लोगों के लिए प्राकृतिक जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, जल और खाद्य सुरक्षा हो सकती है और वन समुदायों को आजीविका और जीविका उपलब्ध कराई जा सकती है।
- चिरस्थायी विकास और आजीविका सुरक्षा के शुभंकर के रूप में बिग कैट के साथ, भारत और बिग कैट रेंज देश पर्यावरणीय लचीलापन और जलवायु परिवर्तन में कमी लाने के लिए बड़ी कोशिश कर सकते हैं, साथ ही एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जहां प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र फलते-फूलते रहें और “अमृत काल” में आर्थिक और विकास नीतियों के केंद्र में बने रहें।
- बिग कैट रेंज देशों के मंत्रियों ने बिग कैट संरक्षण में भारत के नेतृत्व को स्वीकार किया और उसकी सराहना की।
2. राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2021-22 में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और तेलंगाना, सबसे आगे:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय: ऊर्जा।
प्रारंभिक परीक्षा: राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (SEEI)।
प्रसंग:
- केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (SEEI) 2021-22 की रिपोर्ट जारी की है।
उद्देश्य:
- नई दिल्ली में राज्यों और राज्य उपयोगिता कंपनियों की RPM (समीक्षा, योजना और निगरानी) बैठक के दौरान SEEI को जारी किया गया।
विवरण:
- ऊर्जा-कुशल अर्थव्यवस्था गठबंधन (AEEE) के सहयोग से, विद्युत् मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा विकसित सूचकांक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वार्षिक प्रगति का आकलन पेश किया है।
- SEEI 2021-22 में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप 50 संकेतकों का एक अद्यतन फ्रेमवर्क है।
- राज्य स्तरीय ऊर्जा दक्षता पहलों के परिणामों और प्रभावों की निगरानी के लिए इस वर्ष कार्यक्रम-विशिष्ट संकेतक शामिल किए गए हैं।
- SEEI 2021-22 में, 5 राज्य – आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और तेलंगाना – सबसे आगे की श्रेणी (>60 अंक) में हैं, जबकि 4 राज्य – असम, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब – उपलब्धि प्राप्त करने वालों की श्रेणी (50-60 अंक) में हैं।
- इसके अलावा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम और चंडीगढ़ अपने-अपने राज्य-समूहों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने पिछले सूचकांक के बाद से सबसे अधिक सुधार दर्ज किये हैं।
- भारत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों को प्राप्त करने और 2070 तक शुद्ध शून्य अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
- इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग, विवेकपूर्ण संसाधन आवंटन, नीति संरेखण और प्रगति की नियमित निगरानी की आवश्यकता है।
- SEEI, राज्यों और भारत के ऊर्जा फुटप्रिंट के प्रबंधन तथा राज्य और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा दक्षता नीतियों और कार्यक्रमों के संचालन की प्रगति की निगरानी करता है।
- SEEI डेटा संग्रह में सुधार करता है, राज्यों के आपसी सहयोग को सक्षम बनाता है और ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम के विचारों को विकसित करता है।
- यह राज्यों को सुधार के लिए क्षेत्रों की पहचान करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों से सीखने और ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन के लिए अर्थव्यवस्था अनुरूप दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।
- ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता देकर, इसका उद्देश्य कार्बनीकरण में कमी लाने के प्रयासों का संचालन करना और अधिक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करना है।
- सूचकांक को ऊर्जा बचत और उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े राज्य के लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की निगरानी में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और राज्यों को उर्जा दक्षता में परिवर्तन करने में मदद करने के लिए निम्नलिखित अनुशंसाओं की रूपरेखा तैयार की गई है, जो सतत विकास लक्ष्य और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को पूरा करने में योगदान देंगी:
- विशेष ध्यान वाले क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता के लिए वित्तीय सहायता को सक्षम करना
- ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में उभरती जरूरतों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थागत क्षमता विकसित करना
- राज्यों में बड़े पैमाने पर ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा सेवा कंपनियों और ऊर्जा पेशेवरों में आपसी सहयोग को बढ़ाना
- सभी क्षेत्रों के लिए ऊर्जा डेटा रिपोर्टिंग और निगरानी को मुख्यधारा में लाना
पृष्ठ्भूमि:
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो:
- भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत 1 मार्च 2002 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की स्थापना थी।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो का मिशन ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के अंतर्गत स्व-नियमन और बाजार सिद्धांतों पर जोर देने के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करना है।
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत सौंपे गए कार्यों को पूरा करने के लिए, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो नामित उपभोक्ताओं, नामित एजेंसियों और अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है और मौजूद संसाधनों और अवसंरचनाओं की पहचान करता है, उन्हें मान्यता देता है और उनका उपयोग करता है।
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, विनियामक और प्रचार कार्यों के लिए कार्यादेश प्रदान करता है।
3.’सागरमाला नवाचार और स्टार्ट-अप नीति’ का प्रारूप जारी:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: ‘सागरमाला नवाचार और स्टार्ट-अप नीति’ के प्रारूप के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- स्टार्ट-अप और उद्यमियों द्वारा किसी राष्ट्र की प्रगति में वृद्धि होती है। एक मजबूत नवाचार इकोसिस्टम बनाने के लिए, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने ‘सागरमाला नवाचार और स्टार्ट-अप नीति’ का प्रारूप जारी किया है।
उद्देश्य:
- इस प्रारूप नीति का उद्देश्य भारत के बढ़ते समुद्री क्षेत्र के भविष्य का सह-निर्माण करने के लिए स्टार्ट-अप और अन्य संस्थाओं का पोषण करना है।
- यह देश में नवाचार और स्टार्टअप की सुविधा के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए संगठनों के गहन सहयोग की आवश्यकता है जो स्थायी विकास को बढ़ावा देगा और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
विवरण:
- यह संचालन, रखरखाव और बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्रों में दक्षता को बढ़ावा देने के लिए समस्याओं और चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए विचारों और दृष्टिकोणों को तैयार करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के बीच आपस में सहयोग और समन्वय को प्रोत्साहन देता है।
- यह निश्चित रूप से नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन देगा। इस नीति के माध्यम से, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय स्टार्ट-अप्स को नवाचारों के माध्यम से प्रोत्साहन प्रदान करने और समृद्ध होने में सक्षम बनाना चाहता है।
- डिज़ाइन की गई रूपरेखा विभिन्न हितधारकों के बीच दायित्वों और लाभों के वितरण को सक्षम बनाती है। यह केवल मौजूदा हितधारकों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें नवीन विचारों वाले उभरते युवा उद्यमी भी शामिल हैं।
- प्रारूप नीति ने स्टार्टअप के फलने-फूलने के लिए कई प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है, जिसमें डीकार्बोनाइजेशन, डेटा के माध्यम से प्रक्रियाओं का अनुकूलन, समुद्री शिक्षा, बहु-मॉडल परिवहन, विनिर्माण, वैकल्पिक/अग्रिम सामग्री, समुद्री साइबर सुरक्षा, स्मार्ट संचार और समुद्री इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।
‘सागरमाला नवाचार और स्टार्ट-अप नीति’ के प्रारूप का विवरण निम्न प्रकार है:
- पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने वाले स्टार्टअप्स का डिजिटल पोर्टल आधारित चयन
- एक न्यूनतम व्यावहारिक उत्पाद/सेवाएं बनाने के लिए अनुदान, बाजार में प्रवेश या उसमें वृद्धि सहित मालिकाना प्रौद्योगिकी का व्यावसायीकरण
- परीक्षण करने, प्रायोगिक परियोजनाओं को सुविधाजनक बनाने, कार्य करने की जगह स्थापित करने और उत्पादों तथा समाधानों को अपनाने के लिए बंदरगाहों पर ‘लॉन्च पैड’ का निर्माण
- नवाचार के विशिष्ट प्रयासों को मान्यता देते हुए समुद्री क्षेत्र में वार्षिक स्टार्ट-अप पुरस्कार
- क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित करना और वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए तकनीकी ज्ञान की सहायता प्रदान करना
- स्टार्ट-अप के पंजीकरण और उद्योग तथा आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की मान्यता प्राप्त करने सहित समुद्री क्षेत्र में आशाजनक विचारों वाले गैर-पंजीकृत स्टार्ट-अप और व्यक्तियों के लिए मार्गदर्शन
- निविदाओं और उप-अनुबंध में विनियामक समर्थन
- आईपी-पेटेंट फाइलिंग, कंपनी पंजीकरण, वार्षिक फाइलिंग और क्लोजर के लिए स्टार्ट-अप के लिए कानूनी और अकाउंटेंसी बैक अप
स्टार्ट-अप्स का प्रोत्साहन समुद्री नवाचार केंद्र (MIH) के विकास के माध्यम से होगा जो निम्नलिखित कार्य करेगा:
- विकसित किए गए उत्पाद के बारे में स्टार्टअप यात्रा के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ इनक्यूबेटर और एक्सीलरेटर विकसित करना।
- उभरते उद्यमियों की सहायता के लिए सभी प्रासंगिक जानकारी युक्त केंद्रीकृत भंडार विकसित करना।
- योग्य स्टार्ट-अप व्यवसायों और नवीन समुद्री प्रौद्योगिकी के लिए निवेश आकर्षित करना।
- समुद्री उद्योग के विभिन्न पहलुओं के बारे में ‘जानकारी’ सत्रों के माध्यम से उद्यमी विकास और नवाचार केंद्रित कार्यक्रमों की शुरूआत करना।
- मेंटरशिप, ज्ञान साझाकरण के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के साथ सहयोग करना और वैश्विक विषय वस्तु विशेषज्ञों, सीरियल एंटरप्रेन्योर्स, बिजनेस लीडर्स और निवेशकों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करना, जो भारत में अपना प्रवेश और स्केलिंग प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
- अब, यह नीति एक मजबूत समुद्री नवाचार इकोसिस्टम के निर्माण के लिए एक दीर्घकालिक कार्य योजना, नेटवर्क, बुनियादी ढांचा और अन्य संसाधन स्थापित करने के लिए एक क्षेत्र भी तैयार करेगी।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’:
- केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने 10 अप्रैल 2023 को अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबितू में ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (जीवंत ग्राम कार्यक्रम) का शुभारंभ किया।
- इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश सरकार की नौ माइक्रो हाइडल परियोजनाओं और 120 करोड़ की लागत से ITBP की 14 परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया।
- वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की व्यापक विकास के लिए पहचान की गई है।
- इस कार्यक्रम के पहले चरण में, 46 ब्लॉक्स में 662 गांवों की लगभग 1 लाख 42 हज़ार की आबादी को कवर किया जाएगा।
- इस योजना पर 2022 से लेकर 2026 तक 4800 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। प्रथम चरण में 11 ज़िले, 28 ब्लॉक और 1451 गांवों को शामिल किया गया है।
- इस कार्यक्रम के तहत 3 स्तर पर गांवों के विकास के काम होंगे। वाइब्रेंट विलेज के तहत गांवों में बसे हर व्यक्ति की सुविधाओं की चिंता सरकार करेगी और विभिन्न योजनाओं को इस कार्यक्रम के तहत लोगों तक शत-प्रतिशत पहुंचाया जाएगा।
- सीमावर्ती गांवों में एक भी घर ऐसा नहीं रहेगा जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होंगी।
- वित्तीय समावेशन और आर्थिक अवसरों को प्रोत्साहन देने का काम भी होगा।
- पर्यटन, स्थानीय संस्कृति और भाषा का संरक्षण और संवर्धन करते हुए इन गांवों का विकास किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम का दूसरा लक्ष्य है, पलायन रोकना जिसके लिए रोज़गार की व्यवस्था यहीं पर की जाएगी और पलायन से प्रभावित गांवों में अगले 5 साल में पूर्ववर्ती स्थिति लाने का लक्ष्य रखा गया है।
- इससे लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने मूल स्थानों में रहने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायता मिलेगी एवं इन गांवों से पलायन को प्रतिलोमित कर सीमा की सुरक्षा में सुधार होगा।
- इस कार्यक्रम का तीसरा लक्ष्य सीमावर्ती गांवों में मूलभूत अवसंरचना का विकास करना है।
- 3 चरणों वाले वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के माध्यम से पूरी उत्तरी सीमा के सभी गांवों से पलायन रोकना, पर्यटन को बढ़ावा देना और शहरों जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार का लक्ष्य है।
- वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया है।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका उद्देश्य देश की उत्तरी सीमा पर बसे हुए सीमावर्ती गांवों के स्थानीय लोगों एवं अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक चालकों की पहचान करना एवं “हब एंड स्पोक मॉडल” पर केंद्रों का विकास करना है।
- ज्ञातव्य है की प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए केंद्र प्रायोजित योजना- “जीवंत ग्राम कार्यक्रम” (वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम/वीवीपी) को स्वीकृति प्रदान की है।
- वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम द्वारा देश की उत्तरी भूमि सीमा के साथ 19 जिलों एवं 46 सीमा ब्लॉकों 4 राज्यों तथा 1 केंद्र शासित प्रदेशों में आवश्यक आधारिक अवसंरचना के विकास एवं आजीविका के अवसरों के निर्माण के लिए धन प्रदान किया जाएगा।
- वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम समावेशी विकास एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में आबादी को बनाए रखने में सहायक होगा।
- इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में 663 गांवों को कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
- इसका कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर सुरक्षा ग्रिड को सुदृढ़ कर बाहरी हमले से सुरक्षित करना है।
- इसके अलावा यह ITBP को अपने कर्मियों को आराम करने, स्वस्थ होने और प्रशिक्षित करने हेतु अवसर भी प्रदान करेगा।
- वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम को 4800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ स्वीकृति प्रदान की गई थी।
- 4800 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन में से 2500 करोड़ रुपये का उपयोग सड़कों के लिए किया जाएगा।
- जीवंत ग्राम कार्यक्रम (वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम) के परिणामस्वरूप उत्तरी सीमा पर ब्लॉकों के गांवों का व्यापक विकास होगा एवं इस प्रकार चिन्हित सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
- वाइब्रेंट विलेज योजना के क्रियान्वयन के तहत जिला प्रशासन ग्राम पंचायतों के सहयोग से जीवंत ग्राम कार्य योजना (वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान) बनाएगा तथा केंद्र एवं राज्य की योजनाओं की शत-प्रतिशत संतृप्ति सुनिश्चित की जाएगी।
2. जोजिला टनल:
- केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी ने लद्दाख के लिए प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बन रही एशिया की सबसे लंबी सुरंग जोजिला टनल व जम्मू और कश्मीर में निर्माणाधीन एक अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना का निरीक्षण किया।
- जम्मू और कश्मीर में 25000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ 19 सुरंगों का निर्माण-कार्य किया जा रहा है।
- इस ढांचागत कार्यक्रम के तहत जोजिला में 6800 करोड़ रुपये की लागत से 13.14 किलोमीटर लंबी सुरंग और इसके साथ एक उप-सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
- यह 7.57 मीटर ऊंची घोड़े की नाल के आकार की सिंगल-ट्यूब व द्वि-दिशात्मक सुरंग है, जो कश्मीर में गांदरबल तथा लद्दाख के कारगिल जिले में द्रास शहर के बीच हिमालयी क्षेत्र में स्थित जोजिला दर्रे के नीचे से गुजरेगी।
- इस विशेष परियोजना में एक स्मार्ट टनल (पर्यवेक्षी नियंत्रण एवं डाटा अधिग्रहण प्रणाली) प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है और इस सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का उपयोग करके किया जा रहा है।
- यह सुरंग सीसीटीवी, रेडियो कंट्रोल, निर्बाध बिजली आपूर्ति और वायु-संचार जैसी आवश्यक सुविधाओं से लैस है।
- भारत सरकार द्वारा इस परियोजना में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल करने से इसे 5000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत हुई है।
- जोजिला सुरंग परियोजना के तहत बनने वाली मुख्य जोजिला टनल 13,153 मीटर लंबी है और इसमें 810 मीटर की कुल लंबाई की 4 पुलिया, 4,821 मीटर की कुल लंबाई की 4 नीलग्रार सुरंगें, 2,350 मीटर की कुल लंबाई को कवर करने वाले 8 कट और 500 मीटर को कवर करने वाले 3 कट के साथ-साथ 391 मीटर तथा 220 मीटर के ऊर्ध्वाधर वेंटिलेशन शाफ्ट लगाया प्रस्तावित है। अभी तक जोजिला सुरंग का 28 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
- इस सुरंग का निर्माण कार्य पूरा हो जाने से लद्दाख के लिए हर मौसम में सड़क संपर्क सुविधा स्थापित हो जाएगी।
- वर्तमान समय में सामान्य मौसम के दौरान जोजिला दर्रे को पार करने के लिए औसत यात्रा अवधि तीन घंटे हैं, लेकिन इस सुरंग के पूर्ण रूप से बन जाने के बाद सफर का समय घटकर सिर्फ 20 मिनट रह जाएगा।
- यात्रा के समय में कमी आने से ईंधन की बचत भी होगी।
- जोजिला सुरंग का कार्य पूरा हो जाने के बाद दुर्घटनाओं की संभावना नगण्य हो जाएगी।
- एक बार संचालन शुरू होने के बाद यह सुरंग कश्मीर घाटी और लद्दाख के बीच प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क सुविधा सुनिश्चित करेगी, जो लद्दाख के विकास तथा पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय व्यापारिक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही और आपात स्थिति में भारतीय सशस्त्र बलों की गतिविधियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
- इसके अलावा केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने श्रीनगर-लेह राजमार्ग (NH-1) पर स्थित भू-रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जेड-मोड़ सुरंग का निरीक्षण किया।
- जम्मू एवं कश्मीर में 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से 19 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है।
- इसके तहत 2680 करोड़ रुपये की लागत से 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोड़ सुरंग व पहुंच मार्ग का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
- दो-लेन वाली यह सड़क सुरंग कश्मीर के गांदरबल जिले में गगनगीर और सोनमर्ग के बीच स्थित पर्वतीय ग्लेशियर, थजीवास हिमनद के नीचे बनाई जा रही है।
- जेड-मोड़ सुरंग परियोजना के तहत, कुल 10.8 मीटर लंबाई वाली एक मुख्य सुरंग, कुल 7.5 मीटर लंबाई वाली संशोधित घोड़े के नाल के आकार वाली एस्केप टनल, कुल 8.3 मीटर लंबाई वाली डी-आकार वाली वेंटिलेशन टनल, कुल 110 मीटर व 270 मीटर लंबाई वाली दो बड़ी पुलिया और कुल 30 मीटर लंबाई वाली एक छोटी पुलिया का निर्माण प्रस्तावित है। अब तक जेड मोड़ सुरंग का 75 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।
- दिसंबर 2023 तक इस सुरंग को राष्ट्र को समर्पित करने का लक्ष्य रखा गया है।
- जेड-मोड़ सुरंग में कुशल यातायात प्रबंधन प्रणाली को स्थापित किया गया है जिससे यातायात को नियंत्रित करने में आसानी होगी।
- इसके साथ ही समर्पित एस्केप टनल के जरिए यातायात को सुविधाजनक बनाया जाएगा। जेड-मोड़ सुरंग पर्यटक शहर सोनमर्ग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।
- इस परियोजना के निर्माण कार्य के दौरान उत्पन्न होने वाले मलबे का उपयोग रास्ते के किनारे उपयोगी सुविधाओं के निर्माण और इलाके के विकास के लिए किया गया है।
- जेड-मोड़ सुरंग का इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके निर्माण से श्रीनगर और कारगिल के बीच निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा और श्रीनगर एवं लेह के बीच की यात्रा में लगने वाले समय में भी काफी कमी आएगी।
- यह सुरंग इस पूरे इलाके में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी। थजीवास हिमनद और सिंध नदी में व्हाइटवाटर राफ्टिंग जैसी गतिविधियों सहित सोनमर्ग में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
3.युद्धाभ्यास कोप इंडिया 2023 का अयोजन:
- युद्धाभ्यास कोप इंडिया 23, भारतीय वायु सेना (IAF) और यूनाइटेड स्टेट्स एयर फोर्स (USAF) के बीच एक द्विपक्षीय वायु सैन्य अभ्यास है, जो वायु सेना स्टेशनों अर्जन सिंह (पानागढ़), कलाईकुंडा और आगरा में आयोजित किया जा रहा है।
- इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों वायु सेनाओं के बीच आपसी समझ को बेहतर बनाना और उनकी सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को साझा करना है।
- इस अभ्यास का पहला चरण 10 अप्रैल 2023 को शुरू हो गया है।
- अभ्यास का यह चरण हवाई गतिशीलता पर केंद्रित होगा और इसमें दोनों वायु सेनाओं के परिवहन विमान और विशेष बल की परिसंपत्तियां शामिल होंगी।
- दोनों पक्ष C-130J और C-17 विमानों को मैदान में उतारेंगे, साथ ही USAF MC-130J का संचालन भी किया जाएगा।
- इस अभ्यास में जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के कर्मी भी शामिल हैं, जो पर्यवेक्षकों की क्षमता में भाग लेंगे।
4. विश्व होम्योपैथी दिवस:
- विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को डॉ क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- 10 अप्रैल 2023 को विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर आयुष मंत्रालय के तहत केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद ने एक दिवसीय वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन किया।
- अधिवेशन का विषय “होमियो परिवार – सर्वजन स्वास्थ्य, एक स्वास्थ्य, एक परिवार” रहा है।
- इस सम्मेलन का उद्देश्य पूरे परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए साक्ष्य-आधारित होम्योपैथिक उपचार को बढ़ावा देना, होम्योपैथी को उपचार की पहली पसंद के रूप में उपलब्ध कराने के लिए होम्योपैथिक चिकित्सकों का क्षमता निर्माण करना तथा परिवारों में उपचार की पसंद के रूप में होम्योपैथी को बढ़ावा देना है।
- होम्योपैथी प्रकृति से जुड़ी हुई है और इसे चिकित्सा की दूसरी सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ रही प्रणाली की संज्ञा दी गई है।
- यह अत्यधिक तनुकृत पदार्थों के उपयोग पर आधारित एक उपचार है, जिसके बारे में चिकित्सकों का दावा है कि यह शरीर को स्वस्थ रख सकता है।
- होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 के तहत होम्योपैथिक चिकित्सा प्रणाली भारत में एक मान्यता प्राप्त चिकित्सा प्रणाली है।
- गौरतलब है कि 9 नवंबर 2014 का दिन एक नए मंत्रालय (आयुष मंत्रालय) का गठन किया गया था।
- इसका उद्देश्य हमारे प्राचीन चिकित्सा पद्धति के गहन ज्ञान को पुनर्जीवित करना और स्वास्थ्य की आयुष प्रणालियों के इष्टतम विकास और प्रसार को सुनिश्चित करने की दृष्टि प्रदान करना है।
10 April PIB :- Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 09 April 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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