विषयसूची:
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1. कैबिनेट द्वारा राष्ट्रीय स्तर की तीन मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी बनाने के निर्णय लिये गए:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
मुख्य परीक्षा: कैबिनेट द्वारा राष्ट्रीय स्तर की तीन मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी बनाने के निर्णय के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- कैबिनेट द्वारा राष्ट्रीय स्तर की तीन मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया हैं।
उद्देश्य:
- सहकारिता एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो करोड़ों लोगों को छूता है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखता है।
विवरण:
- सरकार ने राष्ट्रीयस्तर की तीन मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी बनाने का निर्णय लिया है:
- मल्टी स्टेट को. बीज सोसाइटी
- मल्टी स्टेट को. ऑर्गेनिक सोसाइटी और
- मल्टी स्टेट को. एक्सपोर्ट सोसाइटी
- यह निर्णय सहकारिता क्षेत्र को नई शक्ति देगा।
- ऑर्गेनिक उत्पादों की राष्ट्रीय सोसाइटी दुनिया में बढ़ रही ऑर्गेनिक उत्पादों की माँग को पूरा करने में भारतीय किसानों को असीमित अवसर प्रदान करेगी।
- साथ ही उत्पादों के परीक्षण व सर्टिफिकेशन देने व उन्हें स्टोर करने, ब्रांडिंग व बेचने के लिए एक अंब्रेला संस्था के रूप में कार्य करेगी।
- मल्टी स्टेट कोआपरेटिव बीज सोसाइटी किसानों को गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, खरीद, ब्रांडिंग, पैकेजिंग व उन्हें बेचने में मदद करेगी व नये रिसर्च एंड डेवलपमेंट में भी सहायता करेगी।
- इस सोसाइटी के माध्यम से जो देशी प्राकृतिक बीज विलुप्त हो रहें हैं उनके संरक्षण की व्यवस्था भी की जा सकेगी।
- मल्टी स्टेट कोआपरेटिव एक्सपोर्ट सोसाइटी देश की लगभग 8.45 लाख समितियों से जुड़ उनके उत्पादों को विश्वभर में बेचने, उनकी क्षमताओं को बढ़ाने व उन्हें एक सफल व्यावसायिक उद्योग बनाने में मदद करेगी।
- इससे किसानों की आय में तो वृद्धि होगी ही साथ ही रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे।
2. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी जैविक सोसायटी की स्थापना को स्वीकृति दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी जैविक सोसायटी की स्थापना घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में जैविक उत्पादों की मांग और खपत क्षमता को जानने में किस प्रकार मददगार साबित होगी ?
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (MSCS) अधिनियम, 2002 के तहत जैविक उत्पादों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समिति को स्थापित करने और बढ़ावा देने के एक ऐतिहासिक निर्णय को स्वीकृति दे दी है।
उद्देश्य:
- सहकारी समिति प्रमाणित एवं प्रामाणिक जैविक उत्पाद उपलब्ध कराकर जैविक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का संचालन करेगी।
- यह घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में जैविक उत्पादों की मांग और खपत क्षमता को जानने में मदद करेगी।
- यह सोसायटी सहकारी समितियों और अंततः उनके किसान सदस्यों को सस्ती कीमत पर जांच व प्रमाणन की सुविधा देकर व्यापक स्तर पर एकत्रीकरण, ब्रांडिंग और विपणन के माध्यम से जैविक उत्पादों के उच्च मूल्य का लाभ प्राप्त करने में मदद करेगी।
विवरण:
- इन सभी सहकारी समितियों के उपनियमों के अनुसार सोसायटी के बोर्ड में उनके निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल होंगे।
- इसे बहु-राज्य सहकारी समिति (MSCS) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत पंजीकृत किया जाएगा।
- यह प्रासंगिक केंद्रीय मंत्रालयों के समर्थन से जैविक उत्पादों के एकत्रीकरण, खरीद, प्रमाणीकरण, जांच, ब्रांडिंग और विपणन के रूप में कार्य करेगी।
- जैविक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के प्रबंधन के लिए एक संगठन के रूप में कार्य करके सहकारी क्षेत्र से जैविक उत्पादों पर जोर देने के लिए MSCS अधिनियम, 2002 की दूसरी अनुसूची के अंतर्गत पंजीकृत होने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समिति की आवश्यकता महसूस की गई है।
- सहकारी समिति प्राथमिक कृषि ऋण सहित सदस्य सहकारी समितियों के माध्यम से जैविक किसानों को एकत्रीकरण, प्रमाणन, जांच, खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, रसद सुविधाओं, जैविक उत्पादों के विपणन और वित्तीय सहायता की व्यवस्था के लिए संस्थागत मदद भी प्रदान करेगी।
- सोसायटी/किसान उत्पादक संगठन (FPO) और सरकार की विभिन्न योजनाओं और एजेंसियों की मदद से सभी जैविक उत्पादों के प्रचार व विकास संबंधी गतिविधियों में भागीदारी करेंगे।
- यह उन मान्यता प्राप्त जैविक परीक्षण प्रयोगशालाओं और प्रमाणन निकायों को सूचीबद्ध करेगी, जो परीक्षण और प्रमाणन की लागत को कम करने के लिए समाज द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करते हैं।
3. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने रुपे डेबिट कार्ड और कम मूल्य के भीम-यूपीआई लेनदेन (पी2एम) को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: रुपे डेबिट कार्ड, भीम-यूपीआई से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: डिजिटल भुगतान संबंधी इकोसिस्टम के विकास पर शून्य एमडीआर व्यवस्था के संभावित प्रतिकूल प्रभावों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अप्रैल 2022 से एक वर्ष की अवधि के लिए रुपे डेबिट कार्ड और कम मूल्य वाले भीम-यूपीआई लेनदेन (व्यक्ति से व्यापारी) को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- उक्त योजना के तहत, चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रुपे डेबिट कार्ड और कम मूल्य के भीम-यूपीआई लेनदेन (पी2एम) का उपयोग करके पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) और ई-कॉमर्स लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए बैंकों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
विवरण:
- रुपे डेबिट कार्ड और कम मूल्य वाले भीम-यूपीआई लेनदेन (पी2एम) को बढ़ावा देने के लिए स्वीकृत प्रोत्साहन योजना का वित्तीय परिव्यय 2,600 करोड़ रुपये है।
- वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट के दौरान अपने भाषण में, पिछले बजट में घोषित डिजिटल भुगतानों के लिए वित्तीय सहायता जारी रखने की सरकार की मंशा की घोषणा की, जो कि किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल भुगतान प्लेटफार्मों के उपयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। यह योजना उपरोक्त बजट घोषणा के अनुपालन में तैयार की गई है।
- वित्त वर्ष 2021-22 में, सरकार ने डिजिटल लेनदेन को और बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा के अनुपालन में एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी थी।
- परिणामस्वरूप, कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन में 59 प्रतिशत की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की गई है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 5,554 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 8,840 करोड़ हो गया है।
- भीम-यूपीआई लेनदेन ने 106 प्रतिशत की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 2,233 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में 4,597 करोड़ हो गया है।
- डिजिटल भुगतान प्रणाली के विभिन्न हितधारकों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल भुगतान संबंधी इकोसिस्टम के विकास पर शून्य एमडीआर शासन के संभावित प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की।
- इसके अलावा, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने भीम-यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए इकोसिस्टम से जुड़े हितधारकों के लिए किफायती मूल्य प्रस्ताव तैयार करने, व्यापारियों द्वारा इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने और नकद भुगतान के स्थान पर डिजिटल भुगतान करने के लिए अनुरोध किया।
- यूपीआई ने दिसंबर 2022 के महीने में 12.82 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के साथ 782.9 करोड़ डिजिटल भुगतान लेनदेन का रिकॉर्ड बनाया है।
- यह प्रोत्साहन योजना एक मजबूत डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम के निर्माण और रुपे डेबिट कार्ड व भीम-यूपीआई डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की सुविधा प्रदान करेगी।
- ‘सबका साथ, सबका विकास’ के उद्देश्य के अनुरूप, यह योजना यूपीआई लाइट और यूपीआई 123पे को किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजिटल भुगतान समाधान के रूप में भी बढ़ावा देगी तथा देश में सभी क्षेत्रों और लोगों के अन्य वर्गों में डिजिटल भुगतान को और भी अधिक प्रमुखता प्रदान करने में सक्षम बनाएगी।
4. केंद्र ने 1 जनवरी 2023 से शुरू की गई नई एकीकृत खाद्य सुरक्षा योजना का नाम “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)” किया:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जनवरी, 2023 से अंत्योदय अन्न योजना (AAY) और प्राथमिक घरेलू (PHH) लाभार्थियों को नि:शुल्क खाद्यान्न प्रदान करने के लिए नई एकीकृत खाद्य सुरक्षा योजना को मंजूरी दी।
उद्देश्य:
- यह एकीकृत योजना गरीबों तक खाद्यान्न की पहुंच, वहनीयता और उपलब्धता के मामले में NFSA- 2013 के प्रावधानों को सुदृढ़ करेगी।
विवरण:
- नई योजना का नाम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) रखा गया है।
- 80 करोड़ से अधिक गरीब और अत्यंत निर्धन लोगों को लाभानन्वित करने के लिए इस योजना का कार्यान्वयन 1 जनवरी, 2023 से शुरू हो चुका है।
- लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और राज्यों में एकरूपता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत पात्रता के अनुरूप PMGKAY के तहत सभी PHH और AAY लाभार्थियों को साल 2023 के लिए नि:शुल्क खाद्यान्न प्रदान किया जाएगा।
- NFSA- 2013 के प्रभावी और एकसमान कार्यान्वयन के लिए PMGKAY खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की दो सब्सिडी योजनाओं को शामिल करेगा।
- ये हैं- FCI को खाद्य सब्सिडी, और
- NFSA के तहत राज्यों को नि:शुल्क खाद्यान्न की खरीद, आवंटन और वितरण से निपटने वाले विकेंद्रीकृत खरीद राज्यों के लिए खाद्य सब्सिडी।
- इस क्षेत्र में PMGKAY के सुचारू कार्यान्वयन के लिए पहले ही जरूरी कदम उठाए जा चुके हैं।
- इनमें AAY और PHH लाभार्थियों के लिए खाद्यान्न की कीमत शून्य करने के लिए जरूरी अधिसूचना जारी करना, उचित मूल्य की दुकानों (FPS) पर तकनीकी मुद्दों का समाधान, उचित मूल्य दुकान के डीलरों को लाभ से संबंधित एडवाइजरी और लाभार्थियों को दी जाने वाली प्रिंट रसीदों में कीमतों को शून्य दर्ज करना शामिल हैं।
- केंद्र सरकार 2023 में NFSA और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्य सब्सिडी के रूप में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक व्यय करेगी, जिससे गरीबों और अत्यंत निर्धनों के वित्तीय बोझ को दूर किया जा सके।
5. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी बीज समिति की स्थापना को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: बहु-राज्य सहकारी समितियां (MSCS) अधिनियम, 2002
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समितियां (MSCS) अधिनियम, 2002 के अंतर्गत एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी बीज समिति की स्थापना करने और उसे प्रोत्साहन देने के एक ऐतिहासिक निर्णय को मंजूरी दी है।
उद्देश्य:
- यह समिति संबंधित मंत्रालयों, विशेष रूप से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) की सहायता और उनकी योजनाओं व एजेंसियों के जरिए देश भर की विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से ‘सम्पूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ का पालन करते हुए गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन और वितरण; महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास; और स्थानीय प्राकृतिक बीजों के संरक्षण व प्रोत्साहन के लिए एक प्रणाली विकसित करने के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी।
विवरण:
- प्रस्तावित समिति सभी स्तरों की सहकारी समितियों के नेटवर्क का उपयोग करके बीज प्रतिस्थापन दर, किस्म प्रतिस्थापन दर को बढ़ाने, गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती और बीज किस्म के परीक्षणों में किसानों की भूमिका सुनिश्चित करने, एकल ब्रांड नाम के साथ प्रमाणित बीजों के उत्पादन और वितरण में मदद करेगी।
- गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता से कृषि उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने तथा किसानों की आय में भी वृद्धि करने में मदद मिलेगी।
- इसके सदस्यों को गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन से बेहतर कीमतों की प्राप्ति, उच्च उपज वाली किस्म (HYV) के बीजों के उपयोग से फसलों के उच्च उत्पादन और समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश, दोनों से लाभ होगा।
- बीज सहकारी समिति गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती और बीज किस्म के परीक्षणों, एकल ब्रांड नाम के साथ प्रमाणित बीजों के उत्पादन और वितरण में किसानों की भूमिका सुनिश्चित करके SRR, VRR को बढ़ाने के लिए सभी प्रकार के सहकारी ढांचों और अन्य सभी साधनों को शामिल करेगी।
- राष्ट्रीय स्तर की इस बीज सहकारी समिति के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन से देश में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
- इससे कृषि और सहकारी क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा; आयातित बीजों पर निर्भरता कम होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त होगा।
6.केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
मुख्य परीक्षा: एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना से होने वाले लाभ एवं प्रभाव पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (MSCS) अधिनियम, 2002 के तहत संबंधित मंत्रालयों, विशेष रूप से विदेश मंत्रालय तथा वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के समर्थन से एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना और इसके संवर्धन को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- इसे बहु-राज्य सहकारी समिति (MSCS) अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत किया जाएगा।
- यह प्रासंगिक केंद्रीय मंत्रालयों के समर्थन से देश भर की विभिन्न सहकारी समितियों द्वारा उत्पादित अधिशेष वस्तुओं/सेवाओं के निर्यात के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करेगी।
- सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से “सहकार-से-समृद्धि” के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
विवरण:
- प्रासंगिक केंद्रीय मंत्रालय, ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ का पालन करते हुए अपनी निर्यात संबंधी नीतियों, योजनाओं और एजेंसियों के माध्यम से सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात के लिए प्रस्तावित समिति को समर्थन प्रदान करेंगे।
- प्रस्तावित समिति निर्यात करने और इसे बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करते हुए सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी।
- इससे वैश्विक बाजारों में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को गति देने में मदद मिलेगी।
- प्रस्तावित समिति ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के माध्यम से सहकारी समितियों को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न निर्यात संबंधी योजनाओं और नीतियों का लाभ प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करेगी।
- यह सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से “सहकार-से-समृद्धि” के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी, जहां सदस्य, एक ओर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त करेंगे, वहीँ दूसरी ओर वे समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश द्वारा भी लाभान्वित होंगे।
- प्रस्तावित समिति के माध्यम से होने वाले उच्च निर्यात के कारण सहकारी समितियां, विभिन्न स्तरों पर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि करेंगी, जिससे सहकारी क्षेत्र में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे।
- वस्तुओं के प्रसंस्करण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सेवाओं को बेहतर बनाने से भी रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे।
- सहकारी उत्पादों के निर्यात में वृद्धि, “मेक इन इंडिया” को भी प्रोत्साहन देगी, जिससे अंततः आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.जैव ऊर्जा शिखर सम्मेलन 2023 का 11वां संस्करण:
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा आवास और शहरी कार्य मंत्री 12 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले भारतीय उद्योग परिसंघ के प्रमुख कार्यक्रम “जैव ऊर्जा शिखर सम्मेलन 2023” के 11वें संस्करण को संबोधित करेंगे।
- “ऊर्जा पारेषण- एक सतत भविष्य के लिए समाधान” विषय पर आयोजित किया जा रहा यह शिखर सम्मेलन नव अन्वेषकों को एक अवसर प्रदान करेगा और भविष्य के स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा समाधानों के लिए एक विकल्प प्रदान करेगा।
- शिखर सम्मेलन में समग्र स्थिरता एजेंडा में जैव ईंधन की प्रासंगिकता पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
- शिखर सम्मेलन नव अन्वेषकों को एक अवसर प्रदान करने और भविष्य के लिए स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा समाधानों का एक विकल्प प्रदान करने के लिए हो रहा है। समग्र स्थिरता एजेंडा में जैव ईंधन की प्रासंगिकता पर भी विचार किया जाएगा।
- भारत द्वारा G-20 की अध्यक्षता संभालने के बाद आयोजित यह शिखर सम्मेलन देश भर में और अधिक गतिविधियां शुरू करने तथा इस वर्ष के अंत में G-20 शिखर सम्मेलन के लिए एक मार्ग प्रशस्त करने का शानदार अवसर है।
- शिखर सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन और सतत विकास सहित दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान पर चर्चा की जाएगी।
- हालांकि जैव ऊर्जा क्षेत्र एक टिकाऊ कल के लिए समाधान तैयार करने के महत्वपूर्ण तरीकों में से एक है, और इसे वैश्विक व्यापार नीतियों में एकीकृत करने की आवश्यकता है।
- भारतीय उद्योग परिसंघ की बायो एनर्जी समिट 2023 को छह सत्रों में संबोधित किया जाएगा, जो मंत्रिस्तरीय सत्रों के अलावा कंप्रेस्ड बायोगैस, एथेनॉल, वित्तपोषण और अपशिष्ट से जैव ईंधन निर्माण पर केंद्रित होंगे।
2.केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कोलकाता के राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र का नाम बदलकर ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल और स्वच्छता संस्थान (एसपीएम-निवास)’ किया:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कोलकाता के जोका में स्थित राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र का नाम बदलकर ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल और स्वच्छता संस्थान (एसपीएम-निवास)’ किए जाने को कार्योत्तर मंजूरी दी है।
- इस संस्थान को कोलकाता, पश्चिम बंगाल के जोका, डायमंड हार्बर रोड पर 8.72 एकड़ भूमि पर स्थापित किया गया है।
- इस संस्थान की परिकल्पना प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जन स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, पेयजल, स्वच्छता और साफ-सफाई के क्षेत्र में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्षमता विकसित करने वाले एक प्रमुख संस्थान के रूप में की गई है।
- इन क्षमताओं की परिकल्पना न केवल स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में लगी फ्रंट-लाइन वर्कफोर्स के लिए की गई है, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के लिए भी की गई है।
- इसी अनुसार ट्रेनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, आरएंडडी ब्लॉक और एक आवासीय परिसर सहित उपयुक्त बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है।
- इस संस्थान में प्रशिक्षण की सुविधा के लिए जल, स्वच्छता और साफ-सफाई (वॉश) प्रौद्योगिकियों के वर्किंग और लघु मॉडल भी स्थापित किए गए हैं।
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पश्चिम बंगाल के सबसे योग्य सपूतों में से एक और राष्ट्रीय एकता में अग्रणी, औद्योगीकरण के लिए प्रेरणा और एक प्रतिष्ठित विद्वान व शिक्षाविद थे।
- वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति भी थे।
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम से इस संस्थान का नामकरण किया जाना तमाम हितधारकों को प्रेरित करेगा कि वे डॉ. मुखर्जी के ईमानदारी, अखंडता के मूल्यों को अपनाएं और संस्थान के कामकाज के लोकाचार में अपनी प्रतिबद्धता रखते हुए उन्हें सच्चा सम्मान दें।
- दिसंबर, 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा इस संस्थान का उद्घाटन किया गया था।
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लिंक किए गए लेख में 10 जनवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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