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12 जुलाई 2022 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के बीच समझौता : 
  2. कागज आयात निगरानी प्रणाली (पीआईएमएस) 1 अक्टूबर, 2022 से प्रभावी होगी:
  3. पूर्वोत्तर क्षेत्र को कृषि निर्यात हब बनाने  के लिए रणनीति तैयार: 
  4. सीपीडब्ल्यूडी ने अपना 168वां वार्षिक दिवस मनाया:

1. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के बीच समझौता: 

सामान्य अध्ययन: 2,3

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध,कृषि :

विषय : भारत के हितों पर विभिन्न अंर्तष्ट्रीय कृषि संगठनों की नीतियां और समझौतों का प्रभाव।   

प्रारंभिक परीक्षा:अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई)। 

मुख्य परीक्षा: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग एवं अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के बीच हुआ यह समझौता किस प्रकार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य और पोषण सुरक्षा की मौजूदा साझेदारी को मजबूत करेगा?     

प्रसंग: 

  • कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य और पोषण सुरक्षा की मौजूदा साझेदारी को मजबूत करना है।  

विवरण:  

  • आईएसएआरसी की स्थापना पांच साल पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद हुई थी।
  • आईएसएआरसी ने चावल मूल्य संवर्धन उत्कृष्टता केंद्र (सीईआरवीए) भी स्थापित किया है जिसमें अनाज और पुआल में भारी धातुओं की स्थिति और उसकी गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए एक आधुनिक और परिष्कृत प्रयोगशाला बनाई गई है।
  • सीईआरवीए की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक निम्न और एक मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले चावल की किस्मों क्रमशः आईआरआरआई 147 (जीआई 55) और आईआरआरआई 162 (जीआई 57) का विकास है जो सीईआरवीए टीम और आईआरआरआई मुख्यालय के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाया।
  • चूंकि अधिकांश चावल की किस्मों में जीआई अधिक होता है,और अधिकांश भारतीय चावल का सेवन करते हैं, ऐसे में कम जीआई वाले चावल की किस्मों को लोकप्रिय बनाने से भारत में मधुमेह की बढ़ती प्रवृत्ति कम हो जाएगी।
  • 23 दिसंबर, 2021 को वाराणसी में आईएसआरएसी में अत्याधुनिक स्पीड ब्रीडिंग (स्पीड ब्रीड) का उद्घाटन किया गया था।
  • इससे  फसलों के वृद्धि चक्र में तेजी लाने और सामान्य परिस्थितियों में चावल के पौधों को उन्नत बनाना संभव हो सकेगा ।
  • यह लोकप्रिय भारतीय चावल की किस्मों में महत्वपूर्ण लक्षणों (जैसे, कम जीआई, जैविक और अजैविक दबाव) को कम समय में स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती  है।
  • आईएसएआरसी कार्यक्रम के दूसरे चरण में उत्पादकता और  उपज  को  बढ़ाना,मशीनीकृत एवं डिजिटल खेती  को बढ़ावा  बाजार तक पहुँच में सुधार, महिलाओं एवं युवाओं के लिए उद्यमशीलता को संभव बनाने वाली आधुनिक मूल्य श्रृंखला और क्षमता विकास के जरिए किसानों की आय में वृद्धि, खाद्य और पोषण सुरक्षा में सुधार, स्वास्थ्य और छोटे / धारक किसानों का कल्याण करना शामिल है ।
  • यह समझौता किसानों के कल्याण और भारत एवं शेष दक्षिण एशिया में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • आईआरआरआई और विशेष रूप से आईएसएआरसी लंबे समय से कृषि खाद्य क्षेत्र से संबंधित सबसे अधिक जरूरी मुद्दों से निपटने में भारत सरकार का सहयोगी रहा है।
  • आईएसएआरसी फिलीपींस के बाहर दुनिया भर में आईआरआरआई का पहला और सबसे बड़ा शोध केंद्र है।
  • इस समझौते को जारी रखने से भारत और अफ्रीका सहित दक्षिण एशिया में चावल उगाने वाले देशों के  उत्पादन, बीज की गुणवत्ता और किसानों की आय में वृद्धि होगी ।
  • यह चावल की खेती में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को भी कम करेगा और वैश्विक स्तर पर भूख से लड़ने तथा गरीबी को मिटाने में भी मदद करेगा।
  • दूसरे चरण के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए जरूरी गतिविधियों को 5 वर्षों में तीन विषयगत क्षेत्रों जैसे (1) चावल मूल्य संवर्धन उत्कृष्टता केंद्र (सीईआरवीए); (2) सतत कृषि उत्कृष्टता केंद्र (सीईएसए) और (3) विकास के लिए नवाचार एवं अनुसंधान शिक्षा केंद्र (सीईआईआरडी) में ट्रांस डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण और अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर पूरा किया जाएगा।
  • 2017 में, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वाराणसी में राष्ट्रीय बीज अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (एनएसआरटीसी) के परिसर में आईएसएआरसी की स्थापना को मंजूरी दी।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 जुलाई, 2017 को हुई बैठक में भारत में आईएसएआरसी की स्थापना और आईआरआरआई को काम करने की मंजूरी दी थी।
  • इसके बाद, डीए एंड एफडब्ल्यू और आईआरआरआई के बीच 2 अगस्त, 2017 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • यह समझौता 5 साल के लिए 2017-22 तक था, जिसमें दोनों पक्षों के आपसी सहमति से इसे 5 साल और बढ़ाने का प्रावधान किया गया था।
  • पिछले पांच वर्षों से केंद्र ने इस क्षेत्र में खाद्य उत्पादन को काम मे लाने और इसे बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाई है क्योंकि यह अनाज की गुणवत्ता, फसल उत्पादन और पोषण गुणवत्ता के लिए अपनी अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं के माध्यम से निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के सदस्यों को विकास सेवाओं के लिए अनुसंधान प्रदान कर रहा है।
  • आईएसएआईसी ने चावल आधारित कृषि खाद्य प्रणालियों पर लघु पाठ्यक्रमों के माध्यम से ज्ञान हस्तांतरण को भी संभव किया है।
  • आईएसएआरसी अनाज की गुणवत्ता, पोषण गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा पर भी प्रशिक्षण प्रदान करता है।
  • अनुसंधान और साझेदारी के लिए व्यापक कार्यक्रम (बीपीआरपी) को जलवायु समायोजन के लिए ब्रीडिंग, जैव-समृद्धि, पारंपरिक भूमि में सुधार, उत्पाद किस्मों को बढ़ाने के लिए बीज प्रणाली, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जैविक कृषि, डिजिटलीकरण, छोटे / धारक किसानों के लिए कृषि के मशीनीकरण, और कृषि में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग, और महिला एवं युवा सशक्तिकरण के लिए शुरू किया गया था।
  • क्षमता विकास के लिए आईआरआरआई अनुसंधान और शिक्षा कार्यक्रम (आईआरईपी) भी शुरू किया गया था, जिसमें विद्वानों, विस्तार कार्यकर्ताओं और किसानों को शामिल किया गया था।
  • इसका उद्देश्य एनएआरईएस को समर्थन और क्षमता प्रदान करने के लिए प्रमुख हितधारकों के साथ दक्षिण-दक्षिण सहयोग और नेटवर्किंग को बढ़ावा देना भी है।
  • समझौते के दूसरे मौजूदा चरण में, आईएसएआरसी ने उत्पादकों और उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए भारत और दक्षिण एशिया में टिकाऊ और समावेशी चावल-आधारित प्रणालियों के विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से अपने अनुसंधान और विकासके विस्तार  का प्रस्ताव  है।
  • आईएसएआरसी ने डिजिटल कृषि, कृषि-सलाहकार सेवाओं, जानकारी का आदान-प्रदान, और क्षमता विकास के माध्यम से उत्पादन प्रणाली और किसानों की आय में और सुधार करने की भी योजना बनाई है।
  • इससे युवाओं को कृषि-उद्यमिता में वापस लाने वाले व्यवसाय मॉडल के माध्यम से टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल कृषि को बढ़ावा मिलेगा।

2. कागज आयात निगरानी प्रणाली (पीआईएमएस) 1 अक्टूबर, 2022 से प्रभावी होगी: 

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं।  

प्रारंभिक परीक्षा: कागज आयात निगरानी प्रणाली (पीआईएमएस)। 

मुख्य परीक्षा: पीआईएमएस की शुरूआत का उद्देश्य एवं महत्व स्पष्ट कीजिए।    

प्रसंग: 

  • विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कागज के प्रमुख उत्पादों की आयात नीति में संशोधन करके इन उत्पादों को ‘मुफ्त’ श्रेणी से हटाकर ‘पीआईएमएस के तहत अनिवार्य पंजीकरण के अधीन मुफ्त’ करते हुए कागज आयात निगरानी प्रणाली (पीआईएमएस) की शुरुआत की है। कागज आयात निगरानी प्रणाली (पीआईएमएस) 1 अक्टूबर, 2022 से प्रभावी होगी। 

उद्देश्य:

  • पीआईएमएस घरेलू क्षेत्र की किसी क्षेत्रीय इकाई द्वारा न्यूजप्रिंट, हस्तनिर्मित कागज, कोटेड पेपर, अनकोटेड पेपर, लिथो एवं ऑफसेट पेपर, टिशू पेपर, टॉयलेट पेपर, कार्टन, लेबल जैसे 201 टैरिफ लाइनों को कवर करने वाले कागज के उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के आयात पर लागू होगा।
  • हालांकि, करेंसी पेपर, बैंक बांड एवं चेक पेपर, सिक्योरिटी प्रिंटिंग पेपर जैसे कागज के उत्पादों को अनिवार्य पंजीकरण के दायरे से बाहर रखा गया है।

विवरण:  

  • हालांकि, घरेलू क्षेत्र की किसी क्षेत्रीय (डीटीए) इकाई को एसईजेड/एफटीडब्ल्यूजेड/ईओयू से सीमा शुल्क संबंधी निकासी के समय पीआईएमएस के तहत पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होगी बशर्ते एसईजेड/एफटीडब्ल्यूजेड/ईओयू करते समय पीआईएमएस के तहत पहले से पंजीकृत कागज की उस वस्तु का कोई प्रसंस्करण नहीं हुआ हो।
  • घरेलू कागज उद्योग की मांग के आधार पर, पीआईएमएस की शुरूआत का उद्देश्य “अन्य” श्रेणी टैरिफ लाइनों के तहत आयात, अंडर-इनवॉइसिंग के माध्यम से घरेलू बाजार में कागज के उत्पादों की डंपिंग,  निषिद्ध माल का प्रवेश, व्यापार समझौतों के बदले अन्य देशों के जरिए माल के दोबारा परिवहन  पर रोक लगाना है।
  • इस कदम से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर’ पहल को भी बढ़ावा दे सकता है।
  • हालांकि, यदि 8-अंकीय स्तर पर एचएस कोड में बदलाव के साथ एसईजेड/एफटीडब्ल्यूजेड/ईओयू में वस्तु का प्रसंस्करण हुआ है, तो प्रसंस्करण की गई वस्तु के कवर की जाने वाली 201 टैरिफ लाइनों में से किसी एक के अंतर्गत आने की स्थिति में डीटीए में स्थित आयातक को पीआईएमएस के तहत पंजीकरण करने की जरूरत होगी।

 3. पूर्वोत्तर क्षेत्र को कृषि निर्यात हब बनाने के लिए रणनीति तैयार: 

सामान्य अध्ययन: 2,3

शासन,आर्थिक विकास: 

विषय: भारत के व्यापारिक हितों पर विकास के लिए नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनई) में उगाए जाने वाले बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए,स्थानीय कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार की है। विस्तार से चर्चा कीजिए साथ ही इसे बढ़ावा देने हेतु उपयुक्त सुझाव दीजिए।   

प्रसंग: 

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनई ) के राज्यों में उगाए जाने वाले बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने अब स्थानीय कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार की है।

उद्देश्य:

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन तथा भूटान, म्यांमार, नेपाल और बांग्ला देश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमाएं साझा करता है जो इसे पडोसी देशों एवं साथ में विदेशी गंतव्य स्थानों को कृषि ऊपज के निर्यात संभावित हब बनाता है।  

विवरण:  

  • इसके परिणामस्वरूप, पिछले कुछ वर्षों में असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम एवं मेघालय जैसे पूर्वोत्तर क्षेत्र से कृषि ऊपज के निर्यात में उल्लेखनीय बढोतरी हुई है।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में पिछले छह वर्षों के दौरान कृषि उत्पादों के निर्यात में 85.34 प्रतिशत की बढोतरी देखी गई है और यह वित्त वर्ष 2016-17 के 2.52 मिलियन डॉलर से बढ़ कर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 17.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है।
  • बांग्ला देश, भूटान, मध्य पूर्व, ब्रिटेन, यूरोप पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पादों के प्रमुख गंतव्य देश हैं।
  • एपीडा ने टिकाऊ खाद्य मूल्य श्रृंखला विकास के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र के कृषि तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मेघालय में री भोई तथा असम में डिब्रुगढ़ में पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए खाद्य गुणवत्ता तथा सुरक्षा प्रबंधन पर एक कार्यशाला के आयोजन में भी सहायता प्रदान की।
  • एपीडा की युक्तिपूर्ण पहल के साथ, त्रिपुरा के कटहल को पहली बार एक स्थानीय निर्यातक के माध्यम से लंदन तथा नागालैंड के राजा मिर्च को लंदन में निर्यात किया गया।
  • इसके अतिरिक्त, असम के स्थानीय फल लेटेकु ( बर्मा का अंगूर ) को दुबई निर्यात किया गया तथा असम के पान के पत्तों को नियमित रूप से लंदन निर्यात किया जाता  है।
  • पोर्क तथा पोर्क उत्पादों की निर्यात क्षमता का दोहन करने के लिए, एपीडा ने नजीरा में एक आधुनिक पोर्क प्रसंस्करण सुविधा केंद्र स्थापित करने में असम सरकार की सहायता की जिसमें प्रति दिन 400 पशुओं की स्लौटिरिंग की क्षमता है।
  • यह यूनिट तैयार हो चुकी है और इसका शीघ्र ही कमीशन होना निर्धारित है।
  • एपीडा ने राज्य पशुपालन विभाग के सहयोग से सिक्किम, जोकि भारत का एक जैविक राज्य है, से जैविक पोर्क के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया।
  • एपीडा ने गुवाहाटी के पास रानी में स्थित सूअरों पर एनआरसी की सहायता से ताजे और प्रसंस्कृत पोर्क के निर्यात के लिए दिशानिर्देश भी विकसित किए हैं।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में, सिक्किम जैविक प्रमाणन एजेंसी रखने वाला पहला राज्य है, जिसे एपीडा की सहायता से 2016 में स्थापित किया गया था।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

4. सीपीडब्ल्यूडी ने अपना 168वां वार्षिक दिवस मनाया:

  • आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के 168वें वार्षिक समारोह को संबोधित किया।
  • सीपीडब्ल्यूडी ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण सार्वजनिक कार्यों को अंजाम दिया है और वह निर्माण प्रबंधन के क्षेत्र में एक अग्रणी उद्यम बन गया है।
  • ब्रिटिश शासन के दिनों से लेकर आजादी के बाद और अब 21वीं सदी तक, सीपीडब्ल्यूडी की उपस्थिति निरंतर रही है।
  • आज भी यह संस्था सेंट्रल विस्टा परियोजना के जरिए नए संसद भवन, वीपी एन्क्लेव और कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट का विकास कर शासन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
  • सीपीडब्ल्यूडी ने इतना अच्छा प्रदर्शन किया है कि वह राष्ट्रीय सीमाओं को भी पार कर गया है।
  • सीपीडब्ल्यूडी ने अफगानिस्तान के संसद भवन का निर्माण किया है और यह अफगान लोगों के साथ भारत की अटूट मित्रता का प्रतीक है।
  • भारत का केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, जिसे आमतौर पर सीपीडब्ल्यूडी के रूप में जाना जाता है, सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यों के प्रभारी केंद्र सरकार का एक प्रमुख प्राधिकरण है।
  • संस्थापक: जेम्स ब्रौन-रामसे, डलहौजी के प्रथम मार्क्वेस।
  • स्थापित: जुलाई 1854
  • मुख्यालय स्थान: नई दिल्ली
  • संक्षिप्त नाम: सीपीडब्ल्यूडीसंवर्ग नियंत्रण प्राधिकरण: आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय।
  • कर्तव्य: भारत सरकार के लिए लोक निर्माण का निष्पादन।

12 July 2022 : PIB विश्लेषण  :-Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 11 July 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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