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13 अप्रैल 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के तहत ‘‘ पशु महामारी तैयार पहल ( एपीपीआई ) ‘‘ का शुभारंभ किया जाएगा:
  2. प्रधानमंत्री तमिल नववर्ष समारोह में शामिल हुए:
  3. बाबासाहेब अंबेडकर की यात्रा – जीवन, इतिहास और कार्य:
  4. अटल नवाचार मिशन और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अटल टिंकरिंग लैब को लेकर समझौता किया:
  5. राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री ने वैशाखी, विशु, रोंगाली बिहू, नब वर्ष, वैशाखड़ी और पुतान्दु पिरापु की पूर्व संध्या पर बधाई और शुभकामनाएं दीं:
  6. उत्तराखंड में ‘ए-हेल्प’ कार्यक्रम की शुरुआत:
  7. भारतीय वायु सेना फ्रांस के मॉन्ट डे मार्सन में बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय वायु अभ्यास ओरिअन में भाग लेगी: 

1. राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के तहत ‘‘ पशु महामारी तैयार पहल (एपीपीआई)‘‘ का शुभारंभ किया जाएगा:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि:

विषय: पशु पालन सम्बन्धी अर्थशास्त्र। 

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन,पशु महामारी तैयार पहल (एपीपीआई)। 

प्रसंग: 

  • केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला 14 अप्रैल, 2023 को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के तत्वाधान में ‘‘पशु महामारी तैयार पहल ( एपीपीआई ) ‘‘ तथा विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता ( एएचएसएसओएच ) परियोजना का शुभारंभ करेंगे।

उद्देश्य:

  • इस परियोजना का लक्ष्य भाग लेने वाले पांच राज्यों 151 जिलों को कवर करना है जिसमें इसका लक्ष्य 75 जिला/क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं का उन्नतिकरण, 300 पशु चिकित्सा अस्पतालों/डिस्पेंसरियों का उन्नतिकरण / सुदृढ़ीकरण करना, 9000 अर्ध पशु चिकित्सकों/ नैदानिक पेशेवरों और 5500 पशु चिकित्सा पेशेवरों को प्रशिक्षित करना है।    

विवरण:  

  • पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए एक बेहतर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली के लिए एक इकोसिस्टम का सृजन करने के लक्ष्य के साथ विश्व बैंक के साथ वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता ( एएचएसएसओएच )  पर एक सहयोगी परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं। 
  • इस परियोजना को पांच राज्यों में कार्यान्वित किया जाएगा और इसमें पशु स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन से जुड़े हितधारकों के क्षमता निर्माण में सुधार लाने की परिकल्पना की गई है। 
  • इस परियोजना में मानव स्वास्थ्य, वन और पर्यावरण विभाग द्वारा राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर सहभागिता तथा स्थानीय स्तर पर भी समुदाय भागीदारी सहित एक स्वास्थ्य ढांचे का सृजन करने और उसे सुदृढ़ बनाने की बात की गई है। 
  • इस सहयोगी परियोजना का कार्यान्वयन 1228.70 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में पांच वर्ष की अवधि के दौरान किया जाएगा। 
    • इसके अतिरिक्त, यह परियोजना नेटवर्किंग प्रयोगशालाओं एवं जूनोटिक और अन्य पशु रोगों की निगरानी के अतिरिक्त नवोन्मेषी रोग प्रबंधन कार्ययोजनाओं पर पशु चिकित्सकों तथा अर्ध पशु चिकित्सकों के निरंतर प्रशिक्षण के लिए एक इकोसिस्टम का विकास करेगी। 
    • ये मूलभूत कार्यकलाप महामारी रोगों, जो पशुओं को प्रभावित करते हैं, के लिए तैयारी में सहायता प्रदान करेंगे।
  • भविष्य की महामारियों से हमें बचाने का एकमात्र तरीका ‘‘ वन हेल्थ ‘‘ नामक एक समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से है, जिसका केंद्र लोगों, पशुओं के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर है। 
    • मजबूत पशु स्वास्थ्य प्रणालियां वन हेल्थ दृष्टिकोण के अनिवार्य हिस्सों के रूप में महत्वपूर्ण हैं और खाद्य सुरक्षा तथा निर्धन किसानों की आजीविका की सहायता करने एवं उभरती संक्रामक बीमारियों ( ईआईडी ) और जूनोज तथा एएमआर के जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक है।
  • भविष्य में ऐसी पशु महामारी के लिए तैयारी रखना राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के लिए एक मुख्य प्राथमिकता है। 
    • आगामी राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के एक हिस्से के रूप में, विभाग ने भविष्य की पशु बीमारियों एवं महामारियों के लिए ‘‘ पशु महामारी तैयार पहल ( एपीपीआई ) ‘‘ की एक केंद्रित संरचना की कल्पना की है।  

एपीपीआई के तहत मुख्य गतिविधियां जो निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं, इस प्रकार हैं : 

1- निर्धारित संयुक्त जांच एवं प्रकोप प्रत्युत्तर टीमें ( राष्ट्रीय एवं राज्य )

2- एक समग्र समेकित रोग निगरानी प्रणाली की रूपरेखा तैयार करना ( राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन )

3- विनियामकीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना ( अर्थात नंदी ऑनलाइन पोर्टल एवं प्रक्षेत्र परीक्षण दिशानिर्देश )

4- रोग मॉडलिंग एल्गोरिदम तथा आरंभिक चेतावनी प्रणाली का सृजन करना

5- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ आपदा न्यूनीकरण की कार्यनीति का निर्माण

6- प्राथमिकता वाले रोगों के लिए टीकों/नैदानिक/उपचारों को विकसित करने के लिए लक्षित अनुसंधान एवं विकास आरंभ करना

7- रोग का पता लगाने की समयबद्धता और संवेदनशीलता में सुधार लाने के लिए जीनोमिक एवं पर्यावरण संबंधी निगरानी पद्धतियों का निर्माण करना।

2. प्रधानमंत्री तमिल नववर्ष समारोह में शामिल हुए:

सामान्य अध्ययन: 1

इतिहास:

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप साहित्त्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू।    

प्रारंभिक परीक्षा:पुत्तांडु-तमिल नववर्ष।  

मुख्य परीक्षा: भारत के इतिहास में तमिल संस्कृति के महत्व पर चर्चा कीजिए।   

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री ने 13 अप्रैल 2023 को अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी डॉ. एल मुरुगन के निवास पर आयोजित तमिल नव वर्ष समारोह में भाग लिया।

उद्देश्य:

  • प्रधानमंत्री ने समारोह में कहा कि “पुत्तांडु प्राचीन परंपरा में नवीनता का पर्व है। इतनी प्राचीन तमिल संस्कृति और हर साल पुत्तांडु से नई ऊर्जा लेकर आगे बढ़ते रहने की यह परंपरा अद्भूत है। 

विवरण:   

  • प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि “चाहे पोंगल हो या पुत्तांडु, पूरी दुनिया में इनकी छाप है। 
    • तमिल दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। 
    • तमिल साहित्य का भी व्यापक रूप से महत्व है। 
  • चेन्नई से कैलिफोर्निया तक, मदुरै से मेलबर्न तक, कोयम्बटूर से केपटाउन तक, सलेम से सिंगापुर तक, आप पाएंगे कि तमिल लोग अपने साथ अपनी संस्कृति और परंपरा लेकर आए हैं। 
  • प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम में तमिल लोगों के महान योगदान जिसमे सी. राजगोपालाचारी, के. कामराज, डॉ. कलाम जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा, कानून और शिक्षा के क्षेत्र में तमिल लोगों का योगदान अतुलनीय है।

प्रधानमंत्री द्वारा ऐतिहासिक समृद्ध तमिल संस्कृति के बारे में दिया गया विवरण:

  • प्रधानमंत्री ने दोहराया कि भारत दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है। 
    • इस संबंध में कई ऐतिहासिक संदर्भ हैं। एक महत्वपूर्ण संदर्भ तमिलनाडु है। 
    • तमिलनाडु में उत्तिरमेरूर नाम की जगह, बहुत विशेष है। 
    • यहां 1100 से 1200 साल पहले के एक शिलालेख के उसमें भारत के लोकतांत्रिक मूल्य की बहुत सारी बातें लिखी हुई है और आज भी पढ़ सकते है। 
    • यहां जो शिलालेख मिला है, वो उस समय वहां की ग्राम सभा के लिए एक स्थानीय संविधान की तरह है। 
    • इसमें बताया गया है कि सभा कैसे चलनी चाहिए, सदस्यों की योग्यता  क्या होनी  चाहिए, सदस्यों को चुनने की प्रक्रिया क्या होनी चाहिए, इतना ही नहीं उस युग में भी उन्होंने तय किया है कि अयोग्यता कैसे होता है। 
    • सैकड़ों साल पहले की उस व्यवस्था में लोकतन्त्र का बहुत बारीकियों के साथ विवरण मिलता है।  
    • उन्होंने आधुनिक प्रासंगिकता और समृद्ध प्राचीन परंपरा के लिए कांचीपुरम के पास वेंकटेश पेरुमाल मंदिर और चतुरंगा वल्लभनाथर मंदिर का भी उल्लेख किया।
  • प्रधानमंत्री ने हाल ही में हुए काशी तमिल संगमम् की सफलता पर गहरा संतोष व्यक्त किया। 
    • संगमम् में तमिल अध्ययन पुस्तकों को “हिंदी भाषी क्षेत्र में और वो भी इस डिजिटल युग में, तमिल पुस्तकों को इस तरह पसंद किया जाता है, जो हमारे सांस्कृतिक बंधन को दर्शाता है। 
    • श्री मोदी ने सुब्रहमणियम भारती जी के नाम पर एक चेयर की स्थापना और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट में तमिलनाडु के एक महाश्य को जगह देने का उल्लेख किया। 
  • तमिल संस्कृति में ऐसा बहुत कुछ है, जिसने एक राष्ट्र के रूप में भारत को गढ़ा है,जैसे हमारे चेन्नई से 70 किलोमीटर दूर, कांचीपुरम के पास तिरु-मुक्कूडल में वेंकटेश पेरूमाल मंदिर है। 
    • चोल साम्राज्य के दौरान बना ये मंदिर भी करीब-करीब 11 सौ साल पुराना है। 
    • इस मंदिर में ग्रेनाइट पत्थरों पर लिखा है कि कैसे उस समय वहां 15-बिस्तरों का अस्पताल मौजूद था। 
    • 11 सौ साल पुराने पत्थरों पर जो शिलालेख हैं, उनमें मेडिकल प्रक्रियाओं के बारे में लिखा है, डॉक्टरों को मिलने वाली सैलरी के बारे में लिखा है, हर्बल दवाओं के बारे में लिखा हुआ है, 11 सौ साल पुराना। 
    • हेल्थकेयर से जुड़े ये शिलालेख, तमिलनाडु की, भारत की बहुत बड़ी विरासत हैं।
  • तिरुवारूर जिले के प्राचीन शिव मंदिर बहुत प्राचीन चतुरंग वल्लभनाथर मंदिर, चेस के खेल से जुड़ा हुआ है। 
    • ऐसे ही, चोल साम्राज्य के दौरान तमिलनाडु से अन्य देशों तक व्यापार होने के कितने ही उल्लेख मिलते हैं।
  • तमिल साहित्य से हमें अतीत के ज्ञान के साथ ही भविष्य के लिए प्रेरणा भी मिलती है। 
    • तमिलनाडु के पास तो ऐसा साहित्य है, जिसमें से काफी कुछ 2 हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। जैसे कि, संगम साहित्य से पता चला कि प्राचीन तमिलनाडु में कई तरह के बाजरा-श्रीअन्न उपयोग में लाए जाते थे। 
    • प्राचीन तमिल साहित्य ‘अगनानूरु’ में मिलेट्स के खेतों के बारे में लिखा गया है। 
      • महान तमिल कवित्री अव्वैयार अपनी एक सुंदर कविता में स्वादिष्ट ‘वरगु अरिसि चोरु’ इसके बारे में लिखती हैं। 
      • आज भी अगर कोई ये पूछता है कि भगवान मुरुगन को नैवेद्य के रूप में कौन सा भोजन पसंद है, तो जवाब मिलता है- ‘तेनुम तिनै मावुम’। 
      • आज भारत की पहल पर पूरी दुनिया मिलेट्स की हमारी हजारों वर्ष पुरानी परंपरा से जुड़ रही है।

3.बाबासाहेब अंबेडकर की यात्रा – जीवन, इतिहास और कार्य:

सामान्य अध्ययन:1

आधुनिक भारत का इतिहास:

विषय: महत्वपूर्ण व्यक्तित्व। 

प्रारंभिक परीक्षा: बाबासाहेब अंबेडकर से सम्बंधित जानकारी। 

मुख्य परीक्षा: अस्पृश्यता एवं भारतीय संविधान के निर्माण में बाबासाहेब अंबेडकर के योगदान पर चर्चा कीजिए।   

प्रसंग: 

  • बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था, वह अपने माता-पिता की 14वीं और अंतिम संतान थे।

विवरण:  

    • डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के पिता सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल थे। वे ब्रिटिश सेना में सूबेदार थे। बाबासाहेब के पिता संत कबीर दास के अनुयायी थे और एक शिक्षित व्यक्ति थे।
    • डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर लगभग दो वर्ष के थे जब उनके पिता नौकरी से सेवानिवृत्त हो गए थे।  
    • डॉ. अंबेडकर अपनी स्कूली शिक्षा सतारा में ही कर रहे थे। जब वह केवल छह वर्ष के थे दुर्भाग्यवश, डॉ अंबेडकर की मां की मौत हो गई। बाबासाहेब ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में प्राप्त की। अपने स्कूली दिनों में ही उन्हें इस बात से गहरा सदमा लगा कि भारत में अछूत होना क्या होता हैं।
    • बाद में, वे मुंबई चले गए। अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान, वे अस्पृश्यता के अभिशाप से पीड़ित हुए। 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास होने के बाद उनकी शादी एक बाजार के खुले छप्पर के नीचे हुई।
    • डॉ. अंबेडकर ने अपनी स्नातक की पढ़ाई एल्फिंस्टन कॉलेज, बॉम्‍बे से की।  
      • वर्ष 1913 में डॉ. अंबेडकर को उच्च अध्ययन के लिए अमेरिका जाने वाले एक विद्वान के रूप में चुना गया। 
      • यह उनके शैक्षिक जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
    • उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से 1915 और 1916 में क्रमशः एमए और पीएचडी की डिग्री प्राप्त की।
      • इसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए लंदन गए। 
      • वह ग्रेज़ इन में वकालत के लिए भर्ती हुए और उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में डीएससी की तैयारी करने की भी अनुमति प्राप्त हुई लेकिन उन्हें बड़ौदा के दीवान ने भारत वापस बुला लिया। 
      • बाद में, उन्होंने बार-एट-लॉ और डीएससी की डिग्री भी प्राप्त की। 
      • उन्होंने जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय में कुछ समय तक अध्ययन किया।
    • उन्होंने 1916 में ‘भारत में जातियां – उनका तंत्र, उत्पत्ति और विकास’ पर एक निबंध पढ़ा। 
      • 1916 में, उन्होंने ‘भारत के लिए राष्ट्रीय लाभांश- एक ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन’ पर अपना थीसिस लिखा और अपनी पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। 
      • इसे आठ वर्षों के बाद “ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास” शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित किया गया। 
      • इस उच्चतम डिग्री को प्राप्त करने के बाद, बाबासाहेब भारत वापस लौट आए और उन्हें बड़ौदा के महाराजा ने अपना सैन्य सचिव नियुक्त किया जिससे कि उन्हें लंबे समय में वित्त मंत्री के रूप में तैयार किया जा सके।
    • बाबासाहेब सितंबर, 1917 में शहर वापस लौट आए क्योंकि उनका छात्रवृत्ति कार्यकाल समाप्त हो गया और वह सेवा में शामिल हो गए। 
      • लेकिन नवंबर, 1917 तक शहर में कुछ दिनों तक रहने के बाद, वह मुंबई के लिए रवाना हो गए।
      • अस्पृश्यता के कारण उनके साथ हो रहे दुर्व्यवहार के कारण वह सेवा छोड़ने के लिए मजबूर हो गए।
    • 1921 में, उन्होंने अपनी थीसिस लिखी, “ब्रिटिश भारत में इंपीरियल फाइनेंस का प्रांतीय विकेंद्रीकरण”और लंदन विश्वविद्यालय से अपनी एमएससी की डिग्री प्राप्त की। 
    • 1923 में, उन्होंने डीएससी डिग्री के लिए अपनी थीसिस पूरी की- “रुपये की समस्या : इसका उद्भव और समाधान’। उन्हें 1923 में वकीलों के बार में बुलाया गया।
    • 1924 में इंग्लैंड से वापस लौटने के बाद, उन्होंने दलित लोगों के कल्याण के लिए एक एसोसिएशन की शुरुआत की, जिसमें सर चिमनलाल सीतलवाड़ अध्यक्ष और डॉ अम्बेडकर चेयरमैन थे। 
      • एसोसिएशन का तत्काल उद्देश्य शिक्षा का प्रसार करना, आर्थिक स्थितियों में सुधार करना और दलित वर्गों की शिकायतों का प्रतिनिधित्व करना था।
    • उन्होंने नए सुधार को ध्यान में रखते हुए दलित वर्गों की समस्याओं को संबोधित करने के लिए 03 अप्रैल, 1927 को ‘बहिस्कृत भारत’ समाचारपत्र की शुरुआत की।
    • 1928 में, वह गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे में प्रोफेसर बने और 01 जून, 1935 को वह उसी कॉलेज के प्रिंसिपल बने और 1938 में अपना इस्तीफा देने तक उसी पद पर बने रहे।
    • 13 अक्टूबर, 1935 को, दलित वर्गों का एक प्रांतीय सम्मेलन नासिक जिले में येवला में आयोजित किया गया। 
      • इस सम्मेलन में उनकी घोषणा से हिंदुओं को गहरा सदमा लगा। उन्होंने कहा, “मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ लेकिन मैं एक हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा” उनके हजारों अनुयायियों ने उनके फैसले का समर्थन किया। 
      • 1936 में उन्होंने बॉम्बे प्रेसीडेंसी महार सम्मेलन को संबोधित किया और हिंदू धर्म का त्याग करने की वकालत की।
    • 15 अगस्त, 1936 को, उन्होंने दलित वर्गों के हितों की रक्षा करने के लिए “स्वतंत्र लेबर पार्टी” का गठन किया, जिसमें ज्यादातर श्रमिक वर्ग के लोग शामिल थे।
    • 1938 में, कांग्रेस ने अछूतों के नाम में बदलाव करने वाला एक विधेयक प्रस्तुत किया। 
      • डा अंबेडकर ने इसकी आलोचना की। 
      • उनका दृष्टिकोण था कि नाम बदलने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।
    • 1942 में, वह भारत के गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में एक श्रम सदस्य के रूप में नियुक्त हुए।
    • 1946 में, उन्हें बंगाल से संविधान सभा के लिए चुना गया। उसी समय उन्होंने अपनी पुस्तक प्रकाशित की, “शूद्र कौन थे”?
    • आजादी के बाद, 1947 में, उन्हें देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में कानून एवं न्याय मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। 
      • लेकिन 1951 में उन्होंने कश्मीर मुद्दे, भारत की विदेश नीति और हिंदू कोड बिल के प्रति प्रधानमंत्री नेहरू की नीति पर अपना मतभेद प्रकट करते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
    • डॉ. बीआर अंबेडकर को उस्मानिया विश्वविद्यालय ने 12 जनवरी, 1953 को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया। 
      • आखिरकार 21 वर्षों के बाद, उन्होंने सच साबित कर दिया, जो उन्होंने 1935 में येओला में कहा था कि “मैं हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा”। 
      • 14 अक्टूबर 1956 को, उन्होंने नागपुर में एक ऐतिहासिक समारोह में बौद्ध धर्म अपना लिया और 06 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हो गई।
    • डॉ बाबासाहेब अंबेडकर को 1954 में नेपाल के काठमांडू में “जगतिक बौद्ध धर्म परिषद” में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा “बोधिसत्व” की उपाधि से सम्मानित किया गया। 
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि डॉ. अंबेडकर को जीवित रहते हुए ही बोधिसत्व की उपाधि से नवाजा गया था।
  • उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में और स्वतंत्रता के बाद इसके सुधारों में भी अपना योगदान दिया। 
    • इसके अलावा बाबासाहेब ने भारतीय रिजर्व बैंक के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 
    • केंद्रीय बैंक का गठन हिल्टन यंग कमीशन को बाबासाहेब द्वारा प्रस्तुत की गई अवधारणा के आधार पर किया गया था।
  • डॉ. अंबेडकर ने अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने में अर्थशास्त्रि राजनीति, कानून, दर्शन और समाजशास्त्र का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया; जहां पर उन्हें कई सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ा। 
    • लेकिन उन्होंने आकर्षक वेतन के साथ उच्च पदों को लेने से इनकार कर दिया क्योंकि वह दलित वर्ग के अपने भाइयों को कभी नहीं भूले। 
    • उन्होंने अपना जीवन समानता, भाईचारे और मानवता के लिए समर्पित किया। उन्होंने दलित वर्गों के उत्थान के लिए पुरजोर कोशिश की।
  • डॉ. भीमराव के जीवन के इतिहास से गुजरने के बाद, उनके मुख्य योगदान और उनकी प्रासंगिकता का अध्ययन और विश्लेषण करना बहुत आवश्यक और उचित है। 
    • एक विचार के अनुसार तीन बिंदु हैं जो आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। 
    • आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय समाज कई आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना कर रहा है। 
    • डॉ. अंबेडकर के विचार और कार्य इन समस्याओं का समाधान करने में हमारा मार्गदर्शन कर सकते हैं।
  • डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि को पूरे देश में ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

4. अटल नवाचार मिशन और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अटल टिंकरिंग लैब को लेकर समझौता किया:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।  

प्रारंभिक परीक्षा:अटल नवाचार मिशन (एआईएम), नीति आयोग।  

प्रसंग: 

  • अटल नवाचार मिशन (एआईएम), नीति आयोग और कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (एमओए एंड एफ़डबल्यू) पूरे देश के स्कूली विद्यार्थियों के बीच कृषि क्षेत्र में नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए एक साथ आए हैं।  

उद्देश्य:

  • इस पहल के अंतर्गत दोनों सरकारी निकाय कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) के साथ अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) को जोड़ने पर सहमत हुए हैं।
  • यह कदम भारत में कृषि नवाचारों को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने वाला है। 
    • इस सहयोग के दो पहलू हैं जो कई क्षेत्रों में दोहराने योग्य हैं। 
    • पहला, मौजूदा सरकारी प्लेटफॉर्म को एक उद्देश्य से जोड़ने का विचार। 
      • उदाहरण के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों और अटल टिंकरिंग लैब्स को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल आदि के लिए समान रूप से जोड़ा जा सकता है। 
    • दूसरा, समाज के सबसे महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाले बच्चों को वास्तविक, सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों और अवसरों से जोड़ना। 

विवरण:  

  • कार्यान्वयन के पहले चरण के दौरान, 11 कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थानों (एटीएआरआई) में से प्रत्येक के अंतर्गत एक कृषि विज्ञान केंद्र शामिल होगा, जो प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करेगा और ज्ञान-साझाकरण और कौशल-निर्माण अभ्यास की सुविधा प्रदान करेगा।
  • कृषि विज्ञान केंद्र “एकल खिड़की कृषि ज्ञान संसाधन और क्षमता विकास केंद्र” के रूप में कार्य करते हैं और यह सहयोग कई हितधारकों को आवश्यक जानकारी, प्रशिक्षण और सुझाव प्रदान करेगा।
  • कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी के साथ साझेदारी में, कृषि संबंधी नवाचारों का समर्थन करने के लिए आस-पास के अटल टिंकरिंग लैब्स के साथ सहयोग करेंगे।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री ने वैशाखी, विशु, रोंगाली बिहू, नब वर्ष, वैशाखड़ी और पुतान्दु पिरापु की पूर्व संध्या पर बधाई और शुभकामनाएं दीं:

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु,उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री ने 14 और 15 अप्रैल, 2023 को मनाए जा रहे वैशाखी, विशु, रोंगाली बिहू, नब वर्ष, वैशाखड़ी और पुतान्दु पिरापु की पूर्व संध्या पूर्व संध्या पर बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा की: 
  • “वैशाखी, विशु, रोंगाली बिहू, नब वर्ष, वैशाखड़ी और पुतान्दु पिरापु देश के अलग अलग भागों में मनाए जाने वाले ये कृषि पर्व भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता की झलक प्रस्तुत करते हैं। 
    • ये पर्व सुख, समृद्धि और प्रगति का वह उत्सव हैं जो हमारे अन्नदाता किसानों के कठिन परिश्रम के बाद आते हैं। 
    • ये पर्व उनकी कड़ी मेहनत का सम्मान करने का अवसर भी है।
  • उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा की “देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाए जाने वाले ये त्यौहार हमारी विविध संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न अंग हैं, जो एकता, सद्भाव और भाईचारे की भावना का प्रतीक हैं।

2.  उत्तराखंड में ‘ए-हेल्प’ कार्यक्रम की शुरुआत:

  • उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड राज्य में ‘ए-हेल्प’ (पशुधन उत्पादन के स्वास्थ्य और विस्तार के लिए मान्यता प्राप्त एजेंट) कार्यक्रम का शुभारंभ किया हैं।  
    •  उन्होंने कहा कि महिलाओं ने विशेष रूप से उत्तराखंड में पशुधन क्षेत्र का निर्माण करने और उनके समग्र विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।  
    • ‘आशा’ कार्यकर्ताओं/महिलाओं द्वारा पहले से ही आंगनवाड़ियों और स्कूलों में मध्याह्न भोजन और टीकाकरण कार्यक्रम का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। 
    • इस संदर्भ में, भारत सरकार द्वारा परिकल्पित ए-हेल्प योजना के अंतर्गत महिलाओं को दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में पशुधन से संबंधित गतिविधियों को मजबूती प्रदान करने के लिए चुना गया है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षित ए-हेल्प कार्यकर्ता पशुओं में विभिन्न संक्रामक रोगों की रोकथाम करने, राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के अंतर्गत कृत्रिम गर्भाधान, पशुओं की टैगिंग और पशु बीमा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे। 
  • यह कार्यक्रम महिला शक्ति की सक्रिय भागीदारी और समावेशन के माध्यम से पशुधन मालिकों के आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करेगा। 
    • ए-हेल्प पशुधन किसानों और पशु चिकित्सा सेवाओं के बीच जैविक लिंक के रूप में काम करेगा और किसानों की आवश्यकता के समय “संपर्क का पहला स्थल” बनेगा।
  • पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने ग्रामीण विकास विभाग (डीओआरडी), सरकार के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके इस नई पहल की शुरुआत की है। 
  • ए-हेल्प कार्यकर्ताओं की प्राथमिक जिम्मेदारी गांव में पशुधन आबादी की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करना है।
  • इस कार्यक्रम को मध्य प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है।

3.  भारतीय वायु सेना फ्रांस के मॉन्ट डे मार्सन में बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय वायु अभ्यास ओरिअन में भाग लेगी:

  • भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की एक टुकड़ी फ्रांस के लिए रवाना होगी। 
    • भारतीय वायु सैनिक फ्रांस के मॉन्ट डे मार्सन में फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स (एफएएसएफ) के वायु सेना बेस स्टेशन में आयोजित ओरिअन अभ्यास में भाग लेंगे। 
    • इस अभ्यास कार्यक्रम का आयोजन 17 अप्रैल से 05 मई 2023 तक किया जा रहा है। अभ्यास के लिए भारतीय वायु सेना की टुकड़ी में चार राफेल विमान, दो सी-17 और दो ll-78 विमान तथा 165 वायु सैनिक शामिल किये गए हैं। 
    • भारतीय वायुसेना में शामिल हुए राफेल विमानों के लिए यह पहला विदेशी अभ्यास होगा।
  • इस अभ्यास में भारतीय वायु सेना और फ्रांस की फ्रेंच एयर एंड स्पेस फोर्स के अलावा जर्मनी, ग्रीस, इटली, नीदरलैंड्स, ब्रिटेन, स्पेन और अमरीका की वायु सेना भी भाग ले रही हैं। 
    • इस अभ्यास के दौरान होने वाली भागीदारी अन्य देशों की वायु सेनाओं से सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को आत्मसात करके भारतीय वायु सेना की कार्य शैली तथा धारणा को और समृद्ध करेगी।

 

13 April PIB :- Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 12 अप्रैल 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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