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14 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत ने UNFCCC के समक्ष अपनी दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति प्रस्तुत की:
  2. सबसे बड़े राष्ट्रव्यापी तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल -22’ का तीसरा संस्करण शुरू हुआ:
  3. “इन आवर लाइफटाइम” अभियान:
  4. प्रधानमंत्री का जी-20 के नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए बाली की यात्रा से पहले प्रस्थान वक्तव्य:
  5. पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड का नाम अब परिवर्तित कर ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड कर दिया गया है:
  1. भारत ने UNFCCC के समक्ष अपनी दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति प्रस्तुत की:

    सामान्य अध्ययन: 3

    पर्यावरण: 

    विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं गिरावट तथा पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

    प्रारंभिक परीक्षा: जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मलेन (UNFCCC) से सम्बंधित तथ्य।

    मुख्य परीक्षा: भारत ने कॉप27 के दौरान UNFCCC  के समक्ष अपनी दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति प्रस्तुत की हैं। वैश्विक सन्दर्भ में इसके महत्व का आकलन कीजिए।

    प्रसंग: 

    • भारत ने 27वें पार्टियों के सम्मेलन (कॉप27) के दौरान जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मलेन (UNFCCC) के समक्ष अपनी दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति प्रस्तुत की।

    उद्देश्य:

    • इस प्रस्तुति के साथ भारत उन 60 पार्टियों की विशिष्ट सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने UNFCCC को अपने LT-LEDS सौंपे हैं।

    • इसके द्वारा ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग पर विशेष ध्यान एवं जीवाश्म ईंधन से अन्य स्रोतों में बदलाव न्यायसंगत, सरल, स्थायी और सर्व-समावेशी तरीके से किया जाएगा।

    विवरण:  

    • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री जो भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, ने दीर्घकालिक कम-उत्सर्जन विकास रणनीति का शुभारंभ किया। कॉप 27 का आयोजन मिस्र के शर्म-अल-शेख में किया जा रहा है।

    रणनीति की मुख्य विशेषताएं हैं:

    1. ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

    • जीवाश्म ईंधन से अन्य स्रोतों में बदलाव न्यायसंगत, सरल, स्थायी और सर्व-समावेशी तरीके से किया जाएगा।

    • 2021 में शुरू किए गए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाना है।

    • विद्युत क्षेत्र के समग्र विकास के लिए हरित हाइड्रोजन उत्पादन का तेजी से विस्तार, देश में इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण क्षमता में वृद्धि और 2032 तक परमाणु क्षमता में तीन गुना वृद्धि कुछ अन्य लक्ष्य हैं, जिनकी परिकल्पना की गयी है।

    2. जैव ईंधन के बढ़ते उपयोग, विशेष रूप से पेट्रोल में इथेनॉल का सम्मिश्रण; इलेक्ट्रिक वाहन के उपयोग को बढ़ाने का अभियान और हरित हाइड्रोजन ईंधन के बढ़ते उपयोग से परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के प्रयास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

    • भारत 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को अधिकतम करने, 20 प्रतिशत तक इथेनॉल का सम्मिश्रण करने एवं यात्री और माल ढुलाई के लिए सार्वजनिक परिवहन के साधनों में एक सशक्त बदलाव लाने की आकांक्षा रखता है।

    3. शहरीकरण की प्रक्रिया हमारे वर्तमान अपेक्षाकृत कम शहरी आधार के कारण जारी रहेगी।

    • भविष्य में स्थायी और जलवायु अनुकूल शहरी विकास निम्नलिखित द्वारा संचालित होंगे- स्मार्ट सिटी पहल; ऊर्जा और संसाधन दक्षता में वृद्धि तथा अनुकूलन को मुख्यधारा में लाने के लिए शहरों की एकीकृत योजना; प्रभावी ग्रीन बिल्डिंग कोड और अभिनव ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन में तेजी से विकास।

    4. ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के परिप्रेक्ष्य में भारत का औद्योगिक क्षेत्र एक मजबूत विकास पथ पर आगे बढ़ता रहेगा।

    • इस क्षेत्र में कम-कार्बन उत्सर्जन वाले स्रोतों को अपनाने का प्रभाव- ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा पहुंच और रोजगार पर नहीं पड़ना चाहिए।

    • प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT) योजना, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन, सभी प्रासंगिक प्रक्रियाओं और गतिविधियों में विद्युतीकरण के उच्च स्तर, भौतिक दक्षता को बढ़ाने और चक्रीय अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए पुनर्चक्रण एवं स्टील, सीमेंट, एल्युमिनियम और अन्य जैसे कठिन क्षेत्रों में अन्य विकल्पों की खोज आदि के माध्यम से ऊर्जा दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

    5. भारत का उच्च आर्थिक विकास के साथ-साथ पिछले तीन दशकों में वन और वृक्षावरण को बढ़ाने का एक मजबूत रिकॉर्ड रहा है।

    • भारत में वनाग्नि की घटनाएं वैश्विक स्तर से काफी नीचे है, जबकि देश में वन और वृक्षों का आवरण 2016 में कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन का 15 प्रतिशत अवशोषित करने वाला शुद्ध सिंक मौजूद है।

    • भारत 2030 तक वृक्षों के आवरण द्वारा 2.5 से 3 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन अवशोषण की अपनी NDC प्रतिबद्धता को पूरा करने के मार्ग पर है।

    6. निम्न कार्बन विकास मार्ग को अपनाने में नई प्रौद्योगिकियों, नई अवसंरचना और अन्य लेन-देन की लागतों में वृद्धि समेत कई अन्य घटकों की लागतें शामिल होंगी।

    • हालांकि, विभिन्न अध्ययनों पर आधारित कई अलग-अलग अनुमान मौजूद हैं, लेकिन ये सभी आम तौर पर 2050 तक खरबों डॉलर की व्यय-सीमा में आते हैं।

    • विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त का प्रावधान बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और इसे UNFCCC के सिद्धांतों के अनुसार मुख्य रूप से सार्वजनिक स्रोतों से अनुदान और रियायती ऋण के रूप में काफी बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि पैमाने, दायरे और गति को सुनिश्चित किया जा सके।

    • पेरिस समझौते के अनुच्छेद 4, पैरा 19 में कहा गया है, “सभी पक्षों को दीर्घावधि में ग्रीनहाउस गैस के कम-उत्सर्जन पर आधारित विकास रणनीतियों को तैयार करने और संवाद करने का प्रयास करना चाहिए और अनुच्छेद 2 के आलोक में विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप अपनी सामान्य, लेकिन  विभेदित  जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं को ध्यान में रखना चाहिए।

    • इसके अलावा, नवंबर 2021 में ग्लासगो में कॉप 26 के निर्णय में (i) उन पार्टियों से आग्रह किया, जिन्होंने अभी तक कॉप 27 (नवंबर 2022) को अपना LT-LEDS संप्रेषित नहीं किया है।

    • उक्त दस्तावेज़ को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा सभी प्रासंगिक मंत्रालयों और विभागों, राज्य सरकारों, शोध संस्थानों व नागरिक समाज संगठनों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है।

    भारत का दृष्टिकोण, निम्नलिखित चार प्रमुख विचारों पर आधारित है, जो इसकी दीर्घकालिक कार्बन कम-उत्सर्जन विकास रणनीति को रेखांकित करते हैं:

    1. भारत ने ग्लोबल वार्मिंग में बहुत कम योगदान दिया है और दुनिया की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा मौजूद होने के बावजूद, संचयी वैश्विक GHG उत्सर्जन में इसका ऐतिहासिक योगदान बहुत कम रहा है।

    2. विकास के लिए भारत की ऊर्जा आवश्यकताएं महत्वपूर्ण हैं।

    3. भारत, विकास हेतु कम-कार्बन रणनीतियों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप सक्रिय रूप से इनका अनुसरण कर रहा है।

    4. भारत को जलवायु सहनशील होने की जरूरत है।

    • राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में, समानता, साझा एवं अलग-अलग जिम्मेदारियों और सम्बन्धित क्षमताओं (CBDR-RC) के सिद्धांतों के साथ-साथ “जलवायु न्याय” और “स्थायी जीवन शैली” के दो विषय, जिन पर भारत ने पेरिस में जोर दिया था; कम कार्बन, कम उत्सर्जन वाले भविष्य के केंद्र में हैं।

    • इसी तरह, एलटी-एलईडीएस को वैश्विक कार्बन बजट के एकसमान और उचित हिस्से के लिए भारत के अधिकार से जुड़े फ्रेमवर्क में तैयार किया गया है, जो “जलवायु न्याय” के लिए भारत के आह्वान का व्यावहारिक कार्यान्वयन है।

      • यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए भारत के तीव्र विकास और आर्थिक परिवर्तन के दृष्टिकोण को साकार करने में कोई अवरोध न हो।

    • एलटी-एलईडीएस को पर्यावरण के लिए जीवन शैली- लाइफ (एलआईएफई) की दृष्टि से भी जोड़ा गया है, जो विश्वव्यापी प्रतिमान में बदलाव का आह्वान करता है, ताकि संसाधनों के नासमझ और विनाशकारी उपभोग के स्थान पर सचेत और सोच-विचारकर किए जाने वाले उपभोग को जीवन शैली में अपनाया जा सके।

  2. सबसे बड़े राष्ट्रव्यापी तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल -22’ का तीसरा संस्करण शुरू हुआ:

    सामान्य अध्ययन: 3

    सुरक्षा: 

    विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएं तथा उनके अधिदेश।

    प्रारंभिक परीक्षा: ‘सी विजिल -22’ अभ्यास,भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा शुल्क और अन्य समुद्री एजेंसियों से सम्बन्धित तथ्य।

    प्रसंग: 

    • 15-16 नवंबर 2022 को ‘पैन-इंडिया’ तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल -22’ का तीसरा संस्करण आयोजित किया जाएगा।

    उद्देश्य:

    • इस राष्ट्रीय स्तर के तटीय रक्षा अभ्यास की परिकल्पना 2018 में ’26/11′ के बाद से समुद्री सुरक्षा को पुख़्ता करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों की पुष्टि करने के लिए की गई थी।

    • तटीय सुरक्षा के तटीय रक्षा निर्माण ढांचे का एक प्रमुख अंग होने के नाते, ‘सी विजिल’ की अवधारणा पूरे भारत में तटीय सुरक्षा तंत्र को सक्रिय करना और व्यापक तटीय रक्षा तंत्र का आकलन करना है।

    विवरण:  

    • यह अभ्यास पूरे 7516 किलोमीटर के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र में किया जाएगा और इसमें मछली पकड़ने और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा।

    • यह अभ्यास भारतीय नौसेना द्वारा तटरक्षक बल और अन्य ऐसे मंत्रालयों के साथ मिल कर समन्वयपूर्वक किया जा रहा है जिनका कार्य समुद्री गतिविधियों से संबंधित है।

    • अभ्यास का पैमाना और वैचारिक विस्तार भौगोलिक सीमा, शामिल हितधारकों की संख्या, भाग लेने वाली इकाइयों की संख्या और प्राप्त किए जाने वाले उद्देश्यों के दृष्टिकोण से अभूतपूर्व है।

    • यह अभ्यास प्रमुख थिएटर लेवल रेडीनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज (ट्रोपेक्स) की ओर एक बिल्ड अप है, जिसे भारतीय नौसेना हर दो साल में आयोजित करती है।

    • सी विजिल और ट्रोपेक्स एक साथ पूरे स्पेक्ट्रम में समुद्री सुरक्षा चुनौतियों को कवर करेंगे। भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा शुल्क और अन्य समुद्री एजेंसियों की संपत्तियां सी विजिल अभ्यास में भाग लेंगी।

    • रक्षा मंत्रालय के अलावा इस अभ्यास के संचालन में गृह मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी, सीमा शुल्क, और केंद्र/राज्य की अन्य एजेंसियों द्वारा भी मदद की जा रही है।

    • हालांकि तटीय राज्यों में नियमित रूप से छोटे पैमाने पर अभ्यास आयोजित किए जाते हैं जिसमें आसपास के प्रदेशों के बीच संयुक्त अभ्यास शामिल हैं, राष्ट्रीय स्तर पर समुद्री सतर्कता अभ्यास का उद्देश्य एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति करना है।

    • यह समुद्री सुरक्षा और तटीय रक्षा के क्षेत्र में हमारी तैयारियों का आकलन करने के लिए शीर्ष स्तर पर अवसर प्रदान करता है।

    • अभ्यास सी विजिल-22 हमारी ताकत और कमजोरियों का वास्तविक मूल्यांकन प्रदान करेगा एवं इस प्रकार समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने में मदद करेगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. “इन आवर लाइफटाइम” अभियान:
    • पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के तहत प्राकृतिक इतिहास के राष्ट्रीय संग्रहालय (NMNH) ने संयुक्त रूप से 18 से 23 वर्ष की आयु के युवाओं को टिकाऊ जीवन शैली के संदेश वाहक बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए “इन आवर लाइफटाइम” अभियान शुरू किया है।

    • यह अभियान दुनिया भर के युवाओं को क्लाइमेट एक्शन की पहल करने वाले युवाओं को पहचानने की कल्पना करता है जो कि ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (LiFE) की अवधारणा के साथ मेल खाता है।

    • इसे COP 27, शर्म अल-शेख में इंडिया पवेलियन में एक साइड इवेंट में लॉन्च किया गया।

    • युवा पीढ़ी के बीच पर्यावरण के लिए जीवन शैली की समझ विकसित करना, जिम्मेदार खपत पैटर्न को बढ़ावा देने और आने वाली पीढ़ियों की जीवन शैली को प्रभावित करने के लिए उन्हें प्रो-प्लैनेट-पीपल बनाने के लिए आवश्यक है।

    • यह अभियान दुनिया भर के युवाओं के विचारों के लिए एक वैश्विक आह्वान देता है जो पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन जीने के लिए इच्छुक हैं।

    • युवाओं को अपने क्लाइमेट एक्शन्स को प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जो उनकी क्षमता के भीतर पर्यावरण के लिए जीवन शैली में योगदान करते हैं, जो टिकाऊ और स्केलेबल हैं, और अच्छी प्रथाओं के रूप में काम करते हैं जिन्हें विश्व स्तर पर साझा किया जा सकता है।

    • यह अभियान जलवायु परिवर्तन, अडैप्टेशन और मिटिगेशन के बारे में बातचीत में अधिक युवाओं को शामिल करेगा और उन्हें दुनिया के नेताओं के साथ अपनी चिंताओं, मुद्दों और समाधानों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

    • हमारे लाइफटाइम अभियान में युवाओं को स्थायी जीवन शैली प्रथाओं के अंबेसडर बनने और जैव विविधता संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में नेतृत्व करने वाले नेताओं के रूप में विकसित होने के लिए प्रोत्साहित करने का एक शानदार तरीका है।

  2. प्रधानमंत्री का जी-20 के नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए बाली की यात्रा से पहले प्रस्थान वक्तव्य:
    • प्रधानमंत्री इंडोनेशिया की अध्यक्षता में होने वाले जी20 के नेताओं के 17वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 14-16 नवंबर 2022 के दौरान इंडोनेशिया के बाली का दौरे पर रहेंगे।

    • बाली शिखर सम्मेलन के दौरान, वैश्विक विकास को फिर से पटरी पर लाने, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और डिजिटल परिवर्तन जैसे वैश्विक चिंता के प्रमुख मुद्दों पर जी20 के अन्य नेताओं के साथ व्यापक चर्चा होगी।

    • जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान इसमें भाग लेने वाले कई अन्य देशों के नेताओं के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा प्रधानमंत्री द्वारा की जाएगी।

    • हमारे देश और नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो बाली शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में भारत को जी20 की अध्यक्षता सौंपेंगे।

    • भारत आधिकारिक तौर पर 1 दिसंबर, 2022 से जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।

    • साथ ही प्रधानमंत्री अगले साल जी20 शिखर सम्मेलन में जी20 के सदस्यों तथा अन्य आमंत्रित लोगों को भी अपना व्यक्तिगत निमंत्रण देंगे।

    • जी20 शिखर सम्मेलन में बातचीत के दौरान भारत की उपलब्धियों और वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक रूप से सामना करने के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता पर प्रधानमंत्री द्वारा प्रकाश डाला जायेगा।

    • भारत की जी20 अध्यक्षता “वसुधैव कुटुम्बकम” या “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के थीम पर आधारित होगी, जो सभी के लिए समान विकास और साझा भविष्य के संदेश को रेखांकित करती है।

  3. पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड का नाम अब परिवर्तित कर ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड कर दिया गया है:
    • भारतीय विद्युत ग्रिड की अखंडता, विश्वसनीयता, मितव्ययिता, लचीलापन और इसके सतत संचालन को सुनिश्चित करने में ग्रिड संचालकों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाने के लिए इसके नाम में परिवर्तन किया गया है।

    • भारत के राष्ट्रीय ग्रिड ऑपरेटर “पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पोसोको)” ने बताया कि पोसोको ने अब अपना नाम बदलकर “ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड” रख लिया है।

    • भारतीय विद्युत ग्रिड की अखंडता, विश्वसनीयता, अर्थव्यवस्था, लचीलापन और टिकाऊ संचालन को सुनिश्चित करने में ग्रिड ऑपरेटरों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाने के लिए इसके नाम में परिवर्तन किया गया है।

    • “ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड” से नाम परिवर्तित करना एक स्वागत योग्य पहल है क्योंकि भारत की ऊर्जा प्रणाली के केंद्र में इसकी अद्वितीय उपस्थिति है, जो लोगों को उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली ऊर्जा से इसे जोड़ती है।

    • यह बदलाव देश में ग्रिड प्रबंधकों द्वारा राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तरों पर किए जाने वाले कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करता है।

    • “ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड (ग्रिड-इंडिया)” नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (NLDC) के साथ और पांच (5) क्षेत्रीय लोड डिस्पैच सेंटर (RLDC) को संचालित करता है।

    • ग्रिड-इंडिया को ऊर्जा क्षेत्र में प्रमुख सुधारों के लिए नोडल एजेंसी के रूप में भी नामित किया गया है।

    • इसके प्रमुख कार्यों में हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस पोर्टल का कार्यान्वयन एवं संचालन, नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (REC) तंत्र, वितरण मूल्य निर्धारण, पारेषण में अल्पावधि की खुली पहुंच, विचलन निपटान तंत्र, विद्युत प्रणाली विकास कोष (PSDF) आदि शामिल हैं।

14 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 13 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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