विषयसूची:
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1. नीति आयोग भारत नवाचार सूचकांक का तीसरा संस्करण जारी करेगा:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी संस्थान हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: नीति आयोग,भारत नवाचार सूचकांक।
मुख्य परीक्षा: भारत नवाचार सूचकांक के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- नीति आयोग 21 जुलाई, 2022 को नीति भवन में एक कार्यक्रम में भारत नवाचार सूचकांक (इंडिया इनोवेशन इंडेक्स) के तीसरे संस्करण को जारी करेगा।
उद्देश्य:
- इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2021 नीति आयोग के उपाध्यक्ष, श्री सुमन बेरी द्वारा डॉ वी के सारस्वत, सदस्य; श्री परमेश्वरन अय्यर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं अन्य व्यक्तियों की उपस्थिति में जारी किया जाएगा।
विवरण:
- सूचकांक के तीसरे संस्करण का विमोचन देश को एक नवाचार-संचालित अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
- इसके पहले और दूसरे संस्करण को क्रमशः अक्टूबर, 2019 और जनवरी, 2021 में जारी किया गया था।
- इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2021 को उस महामारी की पृष्ठभूमि में तैयार किया गया है जिसने वैश्विक जनसांख्यिकीय परिदृश्य को अस्त-व्यस्त कर दिया है।
- उप-राष्ट्रीय स्तर पर नवाचार क्षमताओं और पारिस्थितिक तंत्र की जांच करने वाला इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2021 इस तरह के संकट-संचालित नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हाल के कारकों और उत्प्रेरकों पर प्रकाश डालता है।
- तीसरा संस्करण ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) के ढांचे के आधार पर प्रारूप तैयार करके देश में नवाचार विश्लेषण के दायरे को मजबूत करता है।
- नया ढांचा पिछले संस्करण (जैसे इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2020) में प्रयुक्त किए गए 36 संकेतकों की तुलना में 66 अद्वितीय संकेतकों की शुरूआत के साथ भारत में नवाचारों के प्रदर्शन को मापने के लिए एक अधिक सूक्ष्म और व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
- इस व्यापक ढांचे के माध्यम से यह सूचकांक भारत में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नवाचार प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके प्रदर्शन की प्रभावी तुलना करने के लिए 17 ‘प्रमुख राज्यों’, 10 ‘पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों’ तथा 9 ‘केंद्र शासित प्रदेशों एवं शहर राज्यों’ में वर्गीकृत किया गया है।
- संकेतकों में सुधार का मूल्यांकन करके इन नवाचार चालकों (इनोवेशन ड्राइवर्स) के विस्तृत विश्लेषण को प्रदर्शित करने के लिए इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2021 में एक विशेष खंड भी प्रस्तुत किया गया है।
- राज्य अपनी स्थिति और उन कारकों का आकलन कर सकते हैं जिनके कारण उनकी रैंकिंग में बदलाव आया है जो भारत नवाचार सूचकांक 2020 में उल्लिखित है।
2. भारत और नामीबिया ने वन्यजीव संरक्षण और सतत जैव-विविधता उपयोग संबंधी समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
प्रारंभिक परीक्षा: कूनो राष्ट्रीय उद्यान।
मुख्य परीक्षा: वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप भारत में चीते को दोबारा स्थापित करने में भारत और नामीबिया के बीच हुआ यह वन्यजीव संरक्षण एवं सतत जैव-विविधता उपयोग संबंधी समझौता-ज्ञापन कितना कारगर साबित होगा।
प्रसंग:
- भारत और नामीबिया ने वन्यजीव संरक्षण एवं सतत जैव-विविधता उपयोग संबंधी एक समझौता-ज्ञापन किया है, ताकि भारत में चीते को ऐतिहासिक श्रेणी में लाया जा सके।
उद्देश्य:
- इस समझौता-ज्ञापन से वन्यजीव संरक्षण और सतत जैव-विविधता उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये पारस्परिक लाभप्रद सम्बन्धों के विकास को दिशा दी जा सकेगी।
- यह पारस्परिक सम्मान, संप्रभुता, समानता और भारत तथा नामीबिया के सर्वोच्च हितों के सिद्धांतों पर आधारित है।
- इस समझौता-ज्ञापन में दोनों देशों के बीच वन्यजीव संरक्षण और सतत जैव-विविधता उपयोग पर जोर दिया गया हैं।
- भारत में चीता परियोजना की दोबारा शुरुआत, ताकि वैश्विक संरक्षण प्रयासों में ऐतिहासिक विकास परक संतुलन में भारतीय योगदान को बहाल किया जा सके।
विवरण:
समझौता-ज्ञापन की मुख्य विशेषतायें इस प्रकार हैं:
- जैव-विविधता संरक्षण, जिसमें चीते के संरक्षण पर जोर दिया गया है। साथ ही चीते को उनके पुराने इलाके में दोबारा स्थापित करना है, जहां से वे विलुप्त हो गये हैं।
- दोनों देशों में चीते के संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लक्ष्य के तहत विशेषज्ञता और क्षमताओं को साझा करना तथा उनका आदान-प्रदान करना।
- अच्छे तौर-तरीकों को साझा करके वन्यजीव संरक्षण और सतत जैव विविधता उपयोग।
- प्रौद्योगिकियों को अपनाने, वन्यजीव इलाकों में रहने वाले स्थानीय समुदायों के लिये आजीविका सृजन तथा जैव-विविधता के सतत प्रबंधन के मद्देनजर कारगर उपायों को साझा करने के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण और सतत जैव-विविधता उपयोग को प्रोत्साहन।
- जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण सम्बन्धी शासन-विधि, पर्यावरण सम्बन्धी दुष्प्रभाव का मूल्यांकन, प्रदूषण और अपशिष्ट प्रबंधन व आपसी हितों के अन्य क्षेत्रों में सहयोग।
- जहां भी प्रासंगिक हो, वहां तकनीकी विशेषज्ञता सहित वन्यजीव प्रबंधन में कर्मियों के लिये प्रशिक्षण और शिक्षा के लिये आदान-प्रदान।
- राष्ट्रीय संरक्षण और लोकाचार को मद्देनजर रखते हुए चीते का बहुत विशेष महत्व है।
- भारत में चीते की वापसी महत्वपूर्ण संरक्षण नतीजों में बराबर का महत्व रखती है।
- चीते की बहाली चीतों के मूल प्राकृतिक वास की बहाली में प्रतिमान का काम करेगी।
- यह उनकी जैव-विविधता के लिये महत्वपूर्ण है और इस तरह जैव-विविधता के क्षरण व उसमें तेजी से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी।
- अन्य बड़े मांसाहारी जंतुओं में चीते के साथ मनुष्यों के हितों का टकराव बहुत कम है, क्योंकि चीता मनुष्यों के लिये खतरा नहीं है तथा वे आम तौर पर मवेशियों के बड़े रेवड़ों पर हमला नहीं करता।
- इस तरह वन्यजीवों के प्राकृतिक वासों (घास के मैदान, झाड़ियों वाले मैदान और खुली वन इको-प्रणालियां) की बहाली और उनका बेहतर प्रबंधन संभव होगा।
- साथ ही उन पशुओं का भी संरक्षण करके उनकी संख्या बढ़ाई जायेगी, जिनका शिकार चीता करता है।
- इसी तरह चीते के इलाके में रहने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों को भी बचाया जा सकेगा।
- दूसरी तरफ शिकार करने वाले बड़े से लेकर छोटे जंतुओं तक के क्रम में इको-प्रणाली के निचले स्तर पर, जहां छोटे जंतुओं का शिकार किया जाता है, वहां तक विविधता को कायम रखने तथा उसे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- भारत में चीता परियोजना को दोबारा शुरू करने का मुख्य उद्देश्य भारत में चीते की सामूहिक संख्या को कायम करना है।
- दस स्थलों के लिये सर्वेक्षण 2010 और 2012 के बीच किया गया था।
- भारत में चीते की संख्या को जिन सक्षम स्थानों में कायम करना है और जो इसके लिये फायदेमंद हैं, यह तय करने के लिये आईयूसीएन दिशा-निर्देशों का पालन किया गया, जिनमें जनसांख्यिकी, जेनेटिक्स, सामाजिक-आर्थिक टकराव और आजीविका के मद्देनजर प्रजातियों को ध्यान में रखा गया है।
- इन सबके आधार पर देखा गया कि मध्यप्रदेश का कूनो राष्ट्रीय उद्यान चीते के लिये सर्वाधिक उपयुक्त है।
- वहां प्रबंधन सम्बन्धी हस्तक्षेप न्यूनतम है, क्योंकि एशियाई शेरों को दोबारा कायम करने के लिये इस संरक्षित क्षेत्र में बहुत निवेश किया गया है।
- चीते की मौजूदगी दक्षिणी अफ्रीका (दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, बोत्सवाना और जिम्बाब्वे) में है, जहां वे प्रासंगिक पारिस्थितिकीय-जलवायु विविधता में रहते हैं।
- इसके मॉडल पर भारत में चीते के लिये स्थान बनाया जा रहा है।
- इसके तहत चीते के लिये ऐसा माहौल तैयार किया जायेगा, जो उसके अधिक से अधिक अनुकूल हो।
- विश्लेषण से पता चलता है कि दक्षिणी अफ्रीका के जिस वातावरण में चीते रहते हैं, उसे देखते हुये भारत का कूनो राष्ट्रीय उद्यान उनके प्राकृतिक वास के लिये सर्वाधिक अनुकूल है।
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीते को स्थापित करने की कार्य-योजना आईयूसीएन के दिशा-निर्देशों के आधार पर विकसित की गई है।
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान की वर्तमान क्षमता अधिकतम 21 चीतों की है।
- एक बड़ा इलाका बहाल हो जाने के बाद वहां 36 चीतों को रखा जा सकता है।
- शिकार किये जाने वाले जंतुओं की उपलब्धता बढ़ाकर कूनो वन्यजीव प्रखंड (1280 वर्ग किलोमीटर) का शेष हिस्सा भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
- भारत में चीते को दोबारा स्थापित करने सम्बन्धी वित्तीय और प्रशासनिक समर्थन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, एनटीसीए के जरिये करेगा।
- सरकार और कॉर्पोरेट एजेंसियों की भागीदारी कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के माध्यम से होगी।
- राज्य और केंद्रीय स्तर पर अतिरिक्त वित्तपोषण के लिये इन्हें प्रोत्साहित किया जायेगा।
- भारत वन्यजीव संस्थान, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मांसाहारी जंतु/चीता विशेषज्ञ/एजेंसियां कार्यक्रम के लिये तकनीकी जानकारी प्रदान करेंगी।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, एनटीसीए, डब्ल्यूआईआई, राज्य वन विभागों के अधिकारियों को भारत में चीते को दोबारा स्थापित करने के प्रति जागरूक किया जायेगा।
- यह कार्य अफ्रीका के चीता संरक्षण क्षेत्रों में क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के जरिये किया जायेगा। इसके अलावा अफ्रीका के चीता प्रबंधन-कर्ताओं और जीव-विज्ञानियों को अपने भारतीय समकक्षों को प्रशिक्षित करने के लिये आमंत्रित किया जायेगा।
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन आवश्वक सुरक्षा और प्रबंधन की निगरानी करने के लिये जिम्मेदार होगा, जिस समय चीता शोध दल वहां शोध की देख-रेख कर रहा होगा।
- स्थानीय ग्रामीणों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न संपर्क और जागरूकता कार्यक्रम चलाये जायेंगे।
- सरपंच, स्थानीय नेता, अध्यापक, सामाजिक कार्यकर्ता, धार्मिक हस्तियां और गैर-सरकारी संगठन संरक्षण में हितधारक बनाये जायेंगे।
- वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप भारत में चीते को दोबारा स्थापित करने का कार्य पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) कर रही है तथा उसका मार्गदर्शन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नामित विशेषज्ञ समिति कर रही है।
3. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मालदीव के न्यायिक सेवा आयोग के साथ न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
मुख्य परीक्षा: भारत और मालदीव के बीच न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में हुए समझौता ज्ञापन के लाभों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और मालदीव के न्यायिक सेवा आयोग के बीच न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में भारत और अन्य देशों के बीच यह आठवां समझौता ज्ञापन है।
- यह समझौता ज्ञापन न्यायालयों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए एक उपयुक्त मंच प्रदान करेगा और दोनों देशों की आईटी कंपनियों एवं स्टार्ट-अप के लिए विकास का एक संभावित क्षेत्र साबित हो सकता है।
विवरण:
- हाल के वर्षों में, भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ संबंध बहुआयामी तरीके से प्रगाढ़ हुए हैं।
- विधि एवं न्याय के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित इस समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों को और गति मिलेगी।
- यह समझौता न सिर्फ दोनों देशों के बीच न्यायिक एवं अन्य कानूनी क्षेत्रों में ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को संभव बनाएगा बल्कि “पड़ोसी पहले” की नीति के उद्देश्यों को भी को पूरा करेगा।
4. भारत एवं भूटान के बीच हुई बैठक में अनेक मुद्दों पर चर्चा:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
मुख्य परीक्षा: भारत एवं भूटान संबंधों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- भारत के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री व भूटान के आर्थिक मामलों के मंत्री लोकनाथ शर्मा के बीच नई दिल्ली में बैठक में अनेक मुद्दों पर चर्चा हुई।
विवरण:
- इस मैत्री को बढ़ाने के लिए भारत उदारतापूर्वक सहयोग करता रहा है।
- दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी भी बढ़ी है तथा भारत इस बात का पक्षधर है कि इसे और प्रगाढ़ होना चाहिए।
- भारत भूटान से विभिन्न कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खोलने पर भी काम कर रहा हैं।
- भूटान के अनुरोध पर उसे भारत में अदरक निर्यात एवं एक और वर्ष के लिए आलू निर्यात की अनुमति प्रदान की गई है।
- भूटान को चीनी की आपूर्ति सहित विभिन्न मामलों में सहयोग किया जाता हैं।
- कृषि के मुद्दे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं,भूटान के मंत्री दोनों देशों के बीच दोस्ती बढ़ाने के लिए भारत आए हैं।
- उन्होंने अदरक व आलू निर्यात के संबंध में भूटान के अनुरोध पर भारत द्वारा समर्थन के लिए धन्यवाद किया।
- उन्होंने अनुरोध किया कि भारत को सुपारी निर्यात के संबंध में हमारे अनुरोध पर जल्द से जल्द विचार किया जाना चाहिए व फल-सब्जियों के संबंध में व्यापार एक- दूसरे के लिए वर्तमान रूप में जारी रखा जाएं तथा मुक्त व्यापार के जरिये एक-दूसरे को सहयोग बढ़ाया जाएं।
पृष्ठ्भूमि
- दोनों देशों के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध चले आ रहे हैं।
- प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेंद्र मोदी ने विदेशों में सबसे पहले भूटान की ही यात्रा की, जिससे यह बात और भी मजबूती से प्रकट होती है।
5. केन्द्र ने इंजीनियरिंग संस्थानों के लिए तकनीकी वस्त्रों में नए डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी :
विषय: देश में तकनीकी वस्त्रों के निवेश स्तर में सुधार कर व्यापक भागीदारी को बढ़ावा दे कर विनिर्माण क्षेत्र को प्रोहत्साहन।
प्रारंभिक परीक्षा: तकनीकी वस्त्र।
प्रसंग:
- कपड़ा मंत्रालय ने इंजीनियरिंग कॉलेजों में तकनीकी वस्त्र के नए डिग्री कोर्स शुरू करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं।
उद्देश्य:
- इस मिशन का उद्देश्य देश में तकनीकी वस्त्रों के निवेश स्तर में सुधार करना है।
विवरण:
- मंत्रालय दिशा-निर्देशों के अनुसार पात्रता मानदंड को पूरा करने वाले शैक्षणिक संस्थानों को 15 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
- ये दिशानिर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगे।
- हस्तक्षेप राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) का हिस्सा है।
- दिशा-निर्देशों में एक नया डिग्री कोर्स विकसित करने के साथ-साथ, तकनीकी टेक्सटाइल के नए पेपर के साथ मौजूदा पारंपरिक डिग्री पाठ्यक्रमों का नवीनीकरण, मौजूदा बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण से जुड़े प्रयोगशाला बुनियादी ढांचे की स्थापना, नई प्रयोगशाला उपकरण सुविधाओं की स्थापना, और प्रशिक्षकों और संकाय सदस्यों के प्रशिक्षण के साथ-साथ तकनीकी वस्त्रों के विभिन्न अनुप्रयोग क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है।
- तकनीकी वस्त्रों ने विकसित देशों में उत्पादकता में सुधार, सार्वजनिक सुरक्षा, लागत में कमी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को स्थायित्व प्रदान करने, पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार में अत्यधिक योगदान दिया है।
- भारत के पास 250 बिलियन अमरीकी डॉलर के विश्व बाजार का लगभग 6 प्रतिशत है।
- उन्नत देशों में 30-70 प्रतिशत की तुलना में भारत में तकनीकी वस्त्रों का प्रवेश स्तर 5-10 प्रतिशत कम है।
- इस मिशन का उद्देश्य देश में तकनीकी वस्त्रों के निवेश स्तर में सुधार करना है।
- देश में तकनीकी वस्त्रों के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक गुणवत्तापूर्ण जनशक्ति की कमी, विशेष रूप से शिक्षित और प्रशिक्षित इंजीनियरों और पेशेवरों, और तकनीकी वस्त्रों के निर्माण और अनुप्रयोग क्षेत्रों दोनों के लिए अत्यधिक कुशल कामगार की कमी हैं।
- इसलिए, अगले दशक में तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में विश्व नेता और अग्रणी बनने के लिए, भारत को एक प्रभावी ज्ञान और विश्व स्तरीय कौशल इको-सिस्टम बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
6. एनटीपीसी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए मोरक्को के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: भारत के नवीकरणीय ऊर्जा हितों पर विभिन्न विकसित और विकासशील देशों की नीतियां और उनका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम-एनटीपीसी।
मुख्य परीक्षा: भारतीय और अफ्रीकी कंपनियों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किये गए समझौते पर टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम-एनटीपीसी और मासेन (सतत ऊर्जा के लिए मोरक्को की एजेंसी) ने नई दिल्ली में 19 से 20 जुलाई 2022 तक आयोजित भारत-अफ्रीका विकास साझेदारी पर 17वें भारतीय उद्योग परिसंघ-सीआईआई आयात निर्यात-एक्जिम बैंक सम्मेलन के दौरान अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
उद्देश्य:
- इस सम्मेलन में कई अफ्रीकी देशों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
- इस दौरान अफ्रीका में विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय और अफ्रीकी कंपनियों के बीच निवेश और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श किया गया।
विवरण:
- मोरक्को के राजा के भारत में राजदूत महामहिम मोहम्मद मलिकी और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह “ऊर्जा सुरक्षा के लिए सहयोग और वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग” विषय पर आयोजित सत्र का भाग था।
- अक्षय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी एनटीपीसी लिमिटेड और मासेन के बीच हुआ यह समझौता, अफ्रीका में अक्षय ऊर्जा पर आधारित उपयोगिता बढ़ाने वाली परियोजनाओं के संयुक्त विकास की शुरुआत करने का भरोसा प्रदान करता है।
- इस सहयोग के माध्यम से, विशेष रूप से अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में पारस्परिक हित के क्षेत्रों में क्षमता निर्माण, साझा अनुभव, जानकारी और विशेषज्ञता सेवाओं में सहयोग करने का इरादा है।
- यह सहयोग एनटीपीसी और मासेन को अन्य अफ्रीकी देशों में अक्षय ऊर्जा विद्युत परियोजनाओं के लिए सामान्य विकास के अवसरों की खोज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- भारत-अफ्रीका साझेदारी परियोजना पर सीआईआई-एक्जिम बैंक कॉन्क्लेव को वर्ष 2005 में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय तथा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया गया था।
पृष्ठ्भूमि:
मासेन के बारे में:
- मोरक्को में अक्षय ऊर्जा के संचालन के प्रभारी समूह, मासेन का गठन वर्ष 2010 में किया गया था। इन परियोजनाओं के माध्यम से, मासेन वर्ष 2030 तक मोरक्को में उपयोग होने वाली बिजली का 52 प्रतिशत से अधिक हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करेगा।
- वर्ष 2021 के अंत तक, पवन, जल और सौर ऊर्जा से 4109 मेगावॉट बिजली उत्पादन किया जा चुका था।
- मेसेन समूह की रणनीति के केंद्र में अक्षय ऊर्जा संसाधनों का विकास है, ताकि मोरक्को के लिए भविष्य में आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास की एक सुदृण शक्ति का निर्माण किया जा सके।
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम-एनटीपीसी के बारे में:
- राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम-एनटीपीसी भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा समूह है,जिसकी स्थापना भारत में बिजली के विकास में तेजी लाने के लिए वर्ष 1975 में की गई थी।
- इसने जीवाश्म ईंधन से, पनबिजली, परमाणु और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- कंपनी का यह प्रयास ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करके कार्बन उत्सर्जन को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
- अपने मुख्य व्यवसाय को मजबूत करने के लिए, निगम ने परामर्श, बिजली व्यापार, बिजली पेशेवरों के प्रशिक्षण, ग्रामीण क्षेत्रों का विद्युतीकरण, राख का उपयोग और कोयला खनन के क्षेत्र में भी विविधता प्राप्त की है।
- एनटीपीसी मई 2010 में महारत्न कंपनी बन गई थी।
- जनवरी 2020 तक, भारत में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की 10 महारत्न कंपनियाँ मौजूद थीं।
- विश्व की शीर्ष 250 वैश्विक ऊर्जा कंपनियों की रैंकिंग में एनटीपीसी को स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादक (आईपीपी) के रूप में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
7. केन-बेतवा लिंक परियोजना की संचालन समिति की दूसरी बैठक संपन्न:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नदी जल बटवारे सम्बन्धी योजनाएं एवं सम्बंधित वर्ग पर प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: केन-बेतवा लिंक परियोजना।
मुख्य परीक्षा: केन-बेतवा लिंक परियोजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- केन-बेतवा लिंक परियोजना (एससी-केबीएलपी) की संचालन समिति की दूसरी बैठक नई दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
उद्देश्य:
- बैठक में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों के प्रतिनिधियों और विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और नीति आयोग के अधिकारियों ने भाग लिया।
विवरण:
- केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र की जल सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
- इस परियोजना को अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके समयबद्ध तरीके से कार्यान्वित किया जाना चाहिए और परियोजना से प्रभावित लोगों और क्षेत्र के संरक्षण, विशेष रूप से पन्ना टाइगर रिजर्व के लैंडस्केप पर निर्भर प्रजातियों के संरक्षण की विधिवत देखभाल को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
- बैठक के दौरान, पहली बैठक में लिए गए निर्णयों पर अनुवर्ती कार्रवाई, वर्ष 2022-23 के लिए कार्य योजना, परियोजना प्रबंधन परामर्श सेवा की बहाली, भूमि अधिग्रहण और प्रभावित गांवों के पुनर्स्थापन और पुनर्वास, केन-बेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण के कार्यालयों की स्थापना सहित, ग्रेटर पन्ना के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार एकीकृत लैंडस्केप प्रबंधन योजना के कार्यान्वयन, केबीएलपीए की वित्तीय शक्तियां, किए गए व्यय पर राज्य को प्रतिपूर्ति आदि विभिन्न एजेंडा मदों पर विचार-विमर्श किया गया।
- विभिन्न योजना और तकनीकी मामलों पर प्राधिकरण की समीक्षा और सलाह देने के लिए केन बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) हेतु एक तकनीकी सलाहकार समूह का गठन करने का भी प्रस्ताव किया गया।
- पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पुनर्स्थापन और पुनर्वास योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक आर एंड आर समिति का गठन करने का प्रस्ताव किया गया।
- परियोजना के लैंडस्केप प्रबंधन योजना (एलएमपी) और पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के कार्यान्वयन के लिए एक ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप परिषद का गठन करने का भी प्रस्ताव किया गया।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं।
लिंक किए गए लेख में 19 July 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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