विषयसूची:
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1. प्रधानमंत्री ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र से सम्मानित 21 जवानों के नाम पर रखा:
सामान्य अध्ययन: 1
आधुनिक भारत का इतिहास:
विषय: आधुनिक भारतीय इतिहास – प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, व्यक्तित्व, विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पराक्रम दिवस, परमवीर चक्र से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री ने पराक्रम दिवस के अवसर पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े अनाम द्वीपों का 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर नामकरण और नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का अनावरण किया।
उद्देश्य:
- 23 जनवरी के इस दिन को पराक्रम दिवस घोषित किया गया है, और सुभाष द्वीप को सुभाष चंद्र बोस के स्मारक के रूप में घोषित कर विकसित किया जा रहा है ताकि पीढ़ियों तक लोग सुभाष चंद्र बोस को नतमस्तक होकर श्रद्धांजलि दे सकें।
- यह कदम हमारे नायकों के प्रति एक चिरस्थायी श्रद्धांजलि होगी, जिनमें से कई नायकों ने राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया है।
विवरण:
- देशभर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126 वी जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जा रही है। इस अवसर पर अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सुभाष द्वीप, जहां स्वतंत्रता आंदोलन के समय नेताजी रहे थे, वहाँ उनका एक स्मारक बनाए जाने का भी निर्णय लिया गया है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि 21 परमवीर चक्र विजेताओं ने भारत माता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।
- भारतीय सेना के ये बहादुर सैनिक विभिन्न राज्यों से थे, विभिन्न भाषाओं और बोलियों को बोलते थे और विभिन्न जीवन शैली जीते थे लेकिन यह माँ भारती की सेवा थी और मातृभूमि के प्रति उनका अटूट समर्पण था जिसने उन्हें एकजुट किया।
- प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे समुद्र विभिन्न द्वीपों को परस्पर जोड़ता है, वैसे ही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना भारत माता के हर बच्चे को आपस में जोड़ती है।”
- मेजर सोमनाथ शर्मा, पीरू सिंह, मेजर शैतान सिंह से लेकर कैप्टन मनोज पांडे, सूबेदार जोगिंदर सिंह और लांस नायक अल्बर्ट एक्का, वीर अब्दुल हमीद और मेजर रामास्वामी परमेश्वरन तक इन सभी 21 परमवीरों का एक ही संकल्प था – राष्ट्र प्रथम! इंडिया फर्स्ट! यह संकल्प अब नामकरण से हमेशा के लिए अमर हो गया है।
- अंडमान में एक पहाड़ी भी कारगिल युद्ध के कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर समर्पित की जा रही है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नामकरण न केवल परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं को बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों को भी समर्पित है।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि यह जल, प्रकृति, पर्यावरण, प्रयास, बहादुरी, परंपरा, पर्यटन, ज्ञान और प्रेरणा की भूमि है।
- इस अवसर पर गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि आज देश की आजादी की लड़ाई में ध्रुव तारे की भांति चमकने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126 वी जयंती पर सुभाष स्मारक की भी घोषणा की गई है।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस माइनस 45 डिग्री तापमान और दुर्गम मौसम में कोलकाता से बर्लिन तक 15000 किलोमीटर की लंबी यात्रा कर देश को आजाद कराने के लिए पहुंचे।
- उनके सम्मान में कर्तव्य पथ पर सम्मान के साथ देश के गौरव श्री सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाने का काम किया गया है।
- इसी दिन पर मेजर सोमनाथ शर्मा से लेकर सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव तक हमारे सभी पराक्रमी सेनानायकों को स्मृति में संजोने का काम किया है जिससे आने वाली कई पीढ़ियां प्रेरणा लेंगी और देशभक्ति के पराक्रम और शोर्य के संस्कारों से सिंचित होगी।
- इस अवसर पर यहां सुभाष द्वीप पर नेताजी स्मारक की घोषणा हुई है।
पृष्ठ्भूमि:
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति का सम्मान प्रदान करने के लिए वर्ष 2018 में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने रॉस द्वीप समूह का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रख दिया था। नील द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप भी कर दिया गया था।
- देश के वास्तविक जीवन के नायकों को उचित सम्मान देने की भावना को आगे बढ़ाते हुए अब इस द्वीप समूह के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों का नामकरण 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का निर्णय लिया गया है।
- पहले बड़े अज्ञात द्वीप का नाम पहले परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा, दूसरे बड़े अज्ञात द्वीप का नाम दूसरे परमवीर चक्र विजेता के नाम पर रखा जाएगा और इसी तरह अन्य द्वीपों का नाम रखा गया है।
- इन द्वीपों का नाम जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा वे हैं – मेजर सोमनाथ शर्मा; सूबेदार और मानद कैप्टेन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, एम.एम; सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे; नायक जदुनाथ सिंह; कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह; कैप्टन जीएस सलारिया; लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा; सूबेदार जोगिंदर सिंह; मेजर शैतान सिंह; सीक्यूएमएच। अब्दुल हमीद; लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर; लांस नायक अल्बर्ट एक्का; मेजर होशियार सिंह; सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल; फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों; मेजर रामास्वामी परमेश्वरन; नायब सूबेदार बाना सिंह; कैप्टेन विक्रम बत्रा; लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे; सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार; और सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (मानद कैप्टेन) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव।
2.कलवरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वागीर’ की मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में कमीशनिंग:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी ‘वागीर’ से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
मुख्य परीक्षा: आईएनएस वागीर भारतीय नौसेना की परिचालन शक्ति को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन देगी। कथन का परीक्षण कीजिए।
प्रसंग:
- कलवरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वागीर’ की मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में कमीशनिंग हो गई।
उद्देश्य:
- स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बेहद शक्तिशाली प्लेटफॉर्म हैं, इसका रडार सिस्टम दुनिया से सबसे बेहतरीन में से एक है और यह इतनी उन्नत है कि रडार से बचने में सक्षम है।
- वागीर लंबी दूरी की गाइडेड टॉरपीडो के साथ-साथ युद्धपोत रोधी मिसाइलों से भी लैस है।
- इन पनडुब्बियों में अत्याधुनिक सोनार सुइट और उत्कृष्ट परिचालन क्षमताओं का परिचय देने वाला सेंसर सूट मौजूद है।
- आईएनएस वागीर भारतीय नौसेना की परिचालन शक्ति को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन देगा और किसी भी शत्रु के विरुद्ध एक शक्तिशाली रक्षक के रूप में कार्य करेगा।
- भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 और मेक इन इंडिया पहल के तहत एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- आईएनएस वागीर पश्चिमी नौसेना कमान का हिस्सा बनेगी।
- पनडुब्बी में उन्नत रडार से बच निकलने वाली विशेषताएं और लंबी दूरी की गाइडेड टॉरपीडो तथा युद्धपोत रोधी मिसाइलें मौजूद हैं।
विवरण:
- भारतीय नौसेना की रडार से बच निकलने में सक्षम स्कॉर्पीन श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी आईएनएस वागीर को 23 जनवरी 2023 को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में समारोह के मुख्य अतिथि नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में नौसेना में शामिल किया गया।
- फ्रांस के मैसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा भारत में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है।
- आईएनएस वागीर पश्चिमी नौसेना कमान के पनडुब्बी बेड़े का हिस्सा होगी तथा इसे कमान के शस्त्रागार में एक और शक्तिशाली हथियार के रूप में शामिल किया गया है।
- वागीर को प्रोजेक्ट 75 (पी75) के तहत 12 नवंबर 2020 को लॉन्च किया गया था और समुद्री परीक्षणों के पूरा होने के बाद 20 दिसंबर 2022 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था।
- वागीर को अब तक की सभी स्वदेश निर्मित पनडुब्बियों में सबसे कम निर्माण समय होने का गौरव प्राप्त हुआ है।
- भूतपूर्व ‘वागीर’ रूसी मूल की फॉक्सट्रॉट श्रेणी की एक पनडुब्बी को 2001 में सेवामुक्त कर दिया गया था।
वागीर – सैंड शार्क:
- सैंड शार्क ‘गोपनीयता और निडरता’ का प्रतिनिधित्व करती है, इन्हीं दो गुणों की वजह से इस पनडुब्बी को यह नाम दिया गया है।
- पनडुब्बी का आदर्श वाक्य, ‘साहस, शौर्य, समर्पण’ पराक्रम, वीरता और निष्ठा के आधारभूत मूल्यों का प्रतीक है।
- ये मूल्य सभी परिस्थितियों में विजयी होने के लिए अपनी चरम दक्षता पर सभी कार्यों को पूरा करने तथा कठिन परिस्थितियों का सामना करने पर तालमेल बिठाने की क्षमता को दर्शाते हैं।
- आदर्श वाक्य नौसेना द्वारा आत्मसात किया गया है, जो उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने के लिए प्रेरित करता है।
- इसका उद्देश्य सबसे कठिन परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास बनाए रखना है, जिससे निर्भीक और साहसी बने रहने के लिए मनोबल प्राप्त हो और भारतीय नौसेना को ‘तेज तथा तत्पर’ रखा जा सके।
- वागीर को शामिल करना भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक और सफल कदम है, जो एक निर्माता की तरह नौसेना की विशिष्ट स्थिति को मजबूत करता है, साथ ही यह दुनिया के एक प्रमुख युद्धपोत और पनडुब्बी निर्माण यार्ड के रूप में एमडीएल की क्षमताओं का प्रतिबिंब भी है। प्रोजेक्ट-75 रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में यार्ड की निरंतर सफलता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- वागीर की शुरुआत ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ समारोह के साथ हो रही है।
- इस स्वदेशी पनडुब्बी का कमीशन करना एक बार फिर शानदार बदलाव को दर्शाता है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर अपना ध्यान केंद्रित करता है।
पृष्ठ्भूमि:
- वागीर 24 महीने की छोटी सी अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है।
- यह सफलता दुष्कर एवं जटिल सैन्य उपकरणों तथा प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए हमारे शिपयार्डों की विशेषज्ञता व अनुभव का एक शानदार प्रमाण भी है और यह वर्ष 2047 तक पूरी तरह से ‘आत्मनिर्भर’ बनने के लिए भारतीय नौसेना की स्पष्ट प्रतिबद्धता तथा दृढ़ संकल्प को और भी सशक्त करने का कार्य करता है।
- एमडीएल भारतीय नौसेना के लिए एक करीबी तथा महत्वपूर्ण भागीदार है और यह ‘खरीदने वाली नौसेना’ से ‘निर्माण करने वाली नौसेना’ में परिवर्तन के लिए सबसे आगे रहा है।
3. आयुष मंत्रालय ने भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए आईटीडीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन,स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी), “नॉलेज टूरिज्म” से संबंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग:
- आयुष मंत्रालय ने भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी), पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के साथ आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
उद्देश्य:
- समझौता ज्ञापन के अनुसार, आयुष मंत्रालय आईटीडीसी के अधिकारियों को आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
- यह पर्यटक सर्किट की पहचान करेगा, जहां आयुर्वेद और चिकित्सा की अन्य पारंपरिक प्रणालियों में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने की अपार गुंजाइश है और आईटीडीसी को समय-समय पर सभी तकनीकी जानकारी प्रदान करेगा।
विवरण:
- आयुष मंत्रालय के सुझाव पर आईटीडीसी “नॉलेज टूरिज्म” के तहत पर्यटन स्थलों में भारतीय चिकित्सा पद्धति के ऐतिहासिक विरासत स्थलों को शामिल करेगा और पर्यटकों के लिए उपयोगी फिल्म/साहित्य विकसित कर सकता है।
- यह आईटीडीसी द्वारा संचालित होटलों में आयुर्वेद और योग केंद्र की स्थापना का पता लगाएगा और सहयोग से संवेदीकरण कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
- समझौता ज्ञापन के कार्यान्वयन और प्रगति की निगरानी एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) द्वारा की जाएगी, जिसकी सह-अध्यक्षता आयुष मंत्रालय और आईटीडीसी के प्रतिनिधि करेंगे।
- जेडब्ल्यूजी मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड आदि द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम तौर-तरीकों की भी पहचान करेगा, ताकि खुद को मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में प्रचारित किया जा सके।
- केरल के तिरुवनंतपुरम में भारत की अध्यक्षता में जी20 की हाल ही में संपन्न पहली स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक में जी20 प्रतिनिधियों ने भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को बढ़ावा देने के अवसरों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया।
- हाल के वर्षों में भारत में मेडिकल वैल्यू ट्रैवल में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है। ग्लोबल वेलनेस इंस्टीट्यूट (जीडब्ल्यूआई) की रिपोर्ट ‘द ग्लोबल वेलनेस इकोनॉमी: लुकिंग बियॉन्ड कोविड’ के अनुसार, ग्लोबल वेलनेस इकोनॉमी सालाना 9.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
- आयुष आधारित हेल्थकेयर और वेलनेस अर्थव्यवस्था के 2025 तक 70 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2023:
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत के व्यक्तियों और संगठनों द्वारा दिए गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को मान्यता देने तथा सम्मानित करने के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की स्थापना की गयी है।
- संस्थागत श्रेणी में ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (OSDMA) और लुंगलेई फायर स्टेशन (एलएफएस), मिजोरम, दोनों का ही वर्ष 2023 के लिए आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2023 के लिए चयन किया गया है।
- भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा दिए गए अमूल्य योगदान और निस्वार्थ सेवा को मान्यता देने तथा उन्हें सम्मानित करने के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार नामक एक वार्षिक पुरस्कार की स्थापना की है।
- इस पुरस्कार की घोषणा हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर की जाती है।
- इस पुरस्कार में चयनित संस्था को 51 लाख रुपये नगद और एक प्रमाण पत्र तथा व्यक्तिगत मामले में 5 लाख रुपये नगद और एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।
- देश ने आपदा प्रबंधन प्रथाओं, तैयारी, शमन और प्रतिक्रिया कार्य प्रणाली में काफी सुधार किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हताहत होने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में 2023 पुरस्कार के विजेताओं द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों का संक्षेप में विवरण इस प्रकार है :
- ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (OSDMA) को ओडिशा में आई भारी चक्रवात त्रासदी के बाद 1999 में स्थापित किया गया था।
- OSDMA ने ओडिशा आपदा मोचन कार्य बल (ODRAF), मल्टी-हैज़र्ड अर्ली वार्निंग सर्विस (MHEWS) फ्रेमवर्क और सतर्क (डायनेमिक रिस्क नॉलेज पर आधारित आपदा जोखिम सूचना का आकलन, ट्रैकिंग और चेतावनी सूचक प्रणाली) नामक अत्याधुनिक तकनीक-सक्षम वेब/स्मार्टफ़ोन सहित अनेक पहलों की शुरुआत की थी।
- OSDMA ने विभिन्न चक्रवातों, हुदहुद (2014), फानी (2019), अम्फान (2020) और ओडिशा बाढ़ (2020) के दौरान प्रभावी रूप से कार्य किया है।
- OSDMA ने समुद्र तट से 1.5 किलोमीटर के दायरे में स्थित 381 सुनामी संभावित गांवों/वार्डों और 879 बहुउद्देश्यीय चक्रवात/बाढ़ आश्रयों में सामुदायिक लचीलापन बनाने के लिए आपदा तैयारी संबंधी पहल आयोजित की थीं।
- लुंगलेई फायर स्टेशन, मिजोरम ने जंगल में लगी प्रचंड आग को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया था।
- लुंगलेई शहर से घिरे इन निर्जन वन क्षेत्रों में आग लगने की सूचना 24 अप्रैल 2021 को प्राप्त हुई थी जो 10 से अधिक ग्राम परिषद क्षेत्रों में फैल गयी थी।
- लुंगलेई फायर स्टेशन पर तैनात कर्मियों ने स्थानीय नागरिकों की सहायता से 32 घंटे से अधिक समय तक लगातार काम किया, जिस दौरान उन्होंने नागरिकों को प्रेरित किया और उन्हें मौके पर ही आग बुझाने के बारे में प्रशिक्षण दिया।
- आग बुझाने के इस कार्य में दमकल और आपातकालीन कर्मचारियों की बहादुरी, साहस एवं त्वरित प्रयासों के कारण जान-माल की कोई हानि नहीं हुई और जंगल में लगी आग को राज्य के अन्य हिस्सों में फैलने से रोक दिया गया।
2.राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 प्रदान किए:
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 23 जनवरी, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में 11 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2023 प्रदान किए।
- इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चे हमारे देश की अमूल्य संपत्ति हैं। उनके भविष्य-निर्माण के लिए किया गया हर प्रयास हमारे समाज और देश के भविष्य को स्वरुप प्रदान करेगा।
- हमें उनके सुरक्षित और खुशहाल बचपन तथा उज्ज्वल भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए।
- बच्चों को पुरस्कार देकर, हम राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को प्रोत्साहित और सम्मानित कर रहे हैं।
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को छह श्रेणियों – कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, शैक्षिक, सामाजिक सेवा और खेल में उनकी उत्कृष्टता के लिए प्रदान किये जाते हैं।
- इस वर्ष, कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, सामाजिक सेवा और खेल की श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किए गए।
- भारत सरकार इनोवेशन, समाज सेवा, शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति और वीरता की छह श्रेणियों में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान करती आ रही है।
- प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिया जाता है।
- इस साल बाल शक्ति पुरस्कार की विभिन्न श्रेणियों के तहत देश भर से 11 बच्चों को PMRBP-2023 के लिए चुना गया है।
- ये पुरस्कार पाने वालों में 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 6 लड़के और 5 लड़कियां शामिल हैं।
3.कृषि अवसंरचना कोष:
- कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के कार्यान्वयन के ढाई वर्ष के भीतर, इस योजना ने कृषि अवसंरचना कोष के अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के साथ कृषि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।
- 3 प्रतिशत ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता के समर्थन के साथ, 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के माध्यम से क्रेडिट गारंटी समर्थन और अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार के साथ अभिसरण की सुविधा के साथ कृषि अवसंरचना कोष योजना से किसानों, कृषि-उद्यमियों, किसान समूहों जैसे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) आदि और कई अन्य लोगों को फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और पूरे देश में सामुदायिक कृषि संपत्ति के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
- कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 8 जुलाई 2020 को फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए शुरू की गई एक वित्तपोषण सुविधा है।
- इस योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जाने हैं और वर्ष 2032-33 तक ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता और क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी।
- कृषि अवसंरचना कोष अत्यंत आवश्यक कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण और आधुनिकीकरण के माध्यम से शांतिपूर्वक भारतीय कृषि के परिदृश्य को बदल रहा है।
- ये बुनियादी ढांचा परियोजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने, कृषि पैकेज और प्रथाओं के आधुनिकीकरण में मदद कर रही हैं और इसके अलावा किसानों को उनकी उपज के बेहतर मूल्य की प्राप्ति में मदद कर रही हैं।
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