विषयसूची:
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1. वार्षिक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास- कोंकण 2023:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा:द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास- कोंकण 2023
प्रसंग:
- भारतीय नौसेना और रॉयल नेवी (रॉयल नेवी यूनाइटेड किंगडम की नौसेना को कहा जाता है) के बीच वार्षिक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास- कोंकण 2023 अरब सागर के कोंकण तट पर 20 से 22 मार्च, 2023 तक आयोजित किया गया।
उद्देश्य:
- इस अभ्यास से दोनों नौसेनाओं के कर्मियों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
विवरण:
- इस अभ्यास में निर्देशित मिसाइल युद्धपोत आईएनएस त्रिशूल और टाइप 23 निर्देशित मिसाइल युद्धपोत एचएमएस लैंकेस्टर ने हिस्सा लिया तथा अंतर-परिचालनीयता बढ़ाने व सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को अपनाने के लिए कई समुद्री अभ्यास किए।
- इस अभ्यास में समुद्री परिचालन के सभी क्षेत्र वायु, सतह और उप-सतह शामिल थे।
- इसके अलावा सरफेस इन्फ्लैटबल टार्गेट ‘किलर टोमैटो’ पर गनरी शूट्स, हेलीकॉप्टर ऑपरेशन, वायु-रोधी व पनडुब्बी-रोधी युद्धपोत अभ्यास, विजिट बोर्ड सर्च व सीजर (वीबीएसएस), पोत कुशलता और कर्मियों का आदान-प्रदान भी शामिल था।
- इस अभ्यास से दोनों नौसेनाओं के कर्मियों को उत्कृष्ट प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
- इसके परिचालन के दौरान उच्च स्तर की पेशेवरता और उत्साह भी दिखा।
- समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऑपरेशन-तत्परता, अंतर-परिचालनीयता को बढ़ाने और संयुक्त परिचालन की क्षमता में सुधार करने वाले कर्मियों पर ध्यान केंद्रित करने से भारतीय नौसेना और रॉयल नेवी के संयुक्त प्रयासों को बढ़ावा देने में काफी सहायता मिलेगी।
2. रक्षा मंत्रालय ने BEL के साथ 3,700 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘अरूधरा’, DR-118 RWR।
प्रसंग:
- रक्षा मंत्रालय ने 23 मार्च, 2023 को भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं में बढ़ोतरी के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ 3,700 करोड़ रुपये से अधिक के दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए।
उद्देश्य:
- इनमें पहला अनुबंध 2,800 करोड़ रुपये से अधिक का है, जो भारतीय वायु सेना के लिए मध्यम शक्ति रडार (MPR) ‘अरूधरा’ की आपूर्ति से संबंधित है।
- वहीं, दूसरा अनुबंध लगभग 950 करोड़ रुपये का है, जो 129 DR-118 रडार चेतावनी प्राप्तकर्ता (RWR) से संबंधित है।
- ये दोनों परियोजनाएं खरीदें {भारतीय – IDMM (स्वदेशी रूप से डिजाइन विकसित व निर्मित)} श्रेणी के तहत हैं।
- ये अनिवार्य रूप से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के प्रतीक हैं और देश को रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की सोच को साकार करने में सहायता करेंगे।
विवरण:
MPR (अरुधरा):
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इस रडार को स्वदेशी रूप से डिजाइन व विकसित किया है और इसका निर्माण BEL करेगी।
- पहले ही इसका सफल परीक्षण भारतीय वायु सेना कर चुकी है।
- यह हवाई लक्ष्यों की निगरानी और पता लगाने के लिए दिगंश व उन्नयन, में इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग के साथ एक 4डी मल्टी-फंक्शन चरणबद्ध एरे रडार है।
- इस प्रणाली में एक साथ स्थित चिन्हित मित्र या शत्रु के आधार पर लक्ष्य की पहचान होगी।
- यह परियोजना औद्योगिक वातावरण में विनिर्माण क्षमता के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी।
DR-118 RWR:
- DR-118 रडार वार्निंग रिसीवर Su-30 MKI विमान की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी करेगा।
- इसके अधिकांश उप-संयोजन और पुर्जे स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त किए जाएंगे।
- यह परियोजना MSME सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ उसे प्रोत्साहित करेगी।
- इसके अलावा यह साढ़े तीन साल की अवधि में लगभग दो लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित करेगी।
- DR-118 RWR स्वदेशी EW क्षमताओं को विकसित करने और देश को रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
3.बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के रीयल-टाइम प्रदर्शन निगरानी डैशबोर्ड ‘सागर मंथन’ का उद्घाटन:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘सागर मंथन’।
मुख्य परीक्षा: ‘सागर मंथन’ के निगरानी परियोजनाओं के संबंध में महत्व का वर्णन कीजिए।
प्रसंग:
- केन्द्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने MoPSW के रीयल टाइम प्रदर्शन निगरानी डैशबोर्ड – मंत्रालय और अन्य सहायक कंपनियों से संबंधित सभी एकीकृत डेटा वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘सागर मंथन’ का वर्चुअली शुभारंभ किया।
उद्देश्य:
- मंत्रालय द्वारा बिना किसी बाहरी मदद से तैयार यह डैशबोर्ड वास्तविक समय में अपनी परियोजनाओं और प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों की प्रगति की निगरानी और नजर रखने के लिए संरचना को सक्षम बनाएग।
विवरण:
- यह डैशबोर्ड अच्छी तरह से समन्वित वास्तविक समय की जानकारी में सुधार करके विभिन्न विभागों के कामकाज को बदल देगा।
- इस प्लेटफॉर्म को MoPSW में द्वारा बिना किसी बाहरी मदद के मंत्रायल ने डेढ़ महीने से भी कम समय में कुशलतापूर्वक विकसित किया है।
- सागर मंथन डैशबोर्ड का शुभारंभ डिजिटल इंडिया की कल्पना की दिशा में एक सकारात्मक प्रगति है। इससे संगठनों के समग्र प्रदर्शन पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
- प्रभावी परियोजना निगरानी परियोजनाओं के समय पर पूरा होने, सूचित निर्णय लेने, परियोजनाओं की दक्षता और प्रभावशीलता में वृद्धि सुनिश्चित कर सकती है।
- यह रीयल-टाइम प्रोजेक्ट ट्रैकिंग, जोखिम प्रबंधन, संसाधन आवंटन और प्रगति रिपोर्टिंग को भी बढ़ावा देगा।
‘सागर मंथन’ डैशबोर्ड की विशेषताएं:
- डेटा विज़ुअलाइज़ेशन
- वास्तविक समय की निगरानी
- बेहतर संचार
- डेटा-संचालित निर्णय लेना
- उत्तरदायित्व में वृद्धि
- भविष्य में, इस डैशबोर्ड को CCTV कैमरे से जानकारी, ड्रोन से लाइव स्ट्रीमिंग, बोर्ड पर वास्तविक प्रगति को मैप करने के लिए AI आधारित एल्गोरिथम और दक्षता बढ़ाने के लिए सभी हितधारकों द्वारा आसान पहुंच और उपयोगिता के लिए मोबाइल ऐप के साथ एकीकृत किया जाएगा।
- ‘सागर मंथन’ डैशबोर्ड का शुभारंभ समुद्री परिवहन क्षेत्र में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता की दिशा में एक प्रगति है, और बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत में इस क्षेत्र के विकास में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
4. ‘डिजीक्लेम’ का शुभारंभ:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ।
प्रारंभिक परीक्षा: डिजीक्लेम मॉड्यूल ,प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP)।
प्रसंग:
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) के डिजिटाइज्ड क्लेम सेटलमेंट मॉड्यूल – डिजीक्लेम – का आज शुभारंभ किया।
उद्देश्य:
- इस नवाचार के साथ ही दावों का वितरण अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा, जिसका सीधा लाभ प्रारंभ में 6 राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा) के संबंधित किसानों को होगा।
- दावा भुगतान की प्रक्रिया अब स्वचालित हो जाएगी क्योंकि राज्यों द्वारा पोर्टल पर उपज डेटा जारी किया जाता है।
विवरण:
- डिजीक्लेम मॉड्यूल की शुरुआत के साथ, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हरियाणा राज्यों में बीमाकृत किसानों को 23 मार्च, 2023 को कुल 1260.35 करोड़ रुपये के बीमा दावों का वितरण एक बटन के क्लिक के साथ किया गया है और जब कभी दावे जारी किए जाएंगे, यह प्रक्रिया जारी रहेगी।
- प्रधानमंत्री द्वारा PMFBY का शुभारंभ 6 साल पहले किया गया था ताकि अधिकाधिक किसानों को इसका लाभ मिले।
- डिजीक्लेम के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नई विधा का शुभारंभ हु्आ, जिससे केंद्र-राज्य सरकारों को सुविधा के साथ ही किसानों को क्लेम मिल जाएं, इसकी सुनिश्चितता पारदर्शिता के साथ की जा सकेगी।
- आयुष्मान भारत योजना के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत की बहुत बड़ी योजना है जो प्राकृतिक परिस्थितियों पर आधारित है।
- पिछले 6 साल से संचालित इस योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को उनकी उपज के नुकसान की भरपाई के रूप में अभी तक 1.32 लाख करोड़ रु. का भुगतान किया गया है।
- पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के लिए ग्रिवांस पोर्टल बनाया गया है, जिसका लाभ परिलक्षित हो रहा है। इस पोर्टल को पूरे देश के लिए उपयोग करें, इसकी कोशिश हो रही है।
- अभी तक सामान्य तौर पर यह माना जाता था कि जो किसान ऋणी है, वहीं बीमित होता है लेकिन इस संबंध में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और गैर-ऋणी किसान भी फसल बीमा कराने की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
- इस दिशा में ‘मेरी पालिसी-मेरे हाथ’ अभियान का भी बड़ा योगदान है।
5. निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार):
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: NISAR (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार)।
प्रसंग:
- केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि नासा और इसरो ने संयुक्त रूप से लगभग 470 करोड़ रुपये की लागत से NISAR (नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) नामक एक पृथ्वी विज्ञान उपग्रह का निर्माण किया है।
उद्देश्य:
- इस उपग्रह मिशन के निम्न उद्देश्य हैं- दोहरी आवृत्ति (एल और एस बैंड) रडार इमेजिंग सैटेलाइट को डिजाइन, विकसित और लॉन्च करना और विशेष रूप से सतह विरूपण अध्ययन, स्थलीय बायोमास संरचना, प्राकृतिक संसाधन मानचित्रण,और बर्फ की चादरों, ग्लेशियरों, जंगलों, तेल की परत आदि की गतिशीलता से संबंधित निगरानी और अध्ययन आदि में एल एंड एस बैंड माइक्रोवेव डेटा का उपयोग करके नए अनुप्रयोगों के क्षेत्रों का पता लगाना।
विवरण:
- इस उपग्रह को I-3K बस के साथ कॉन्फ़िगर किया गया है और SAR के लिए पहचाना गया उपकरण विस्तृत पट्टी और उच्च रिज़ॉल्यूशन के लिए पोलरिमेट्रिक कॉन्फ़िगरेशन में L और S बैंड दोनों में कॉन्फ़िगर की गई नवीन स्वीप SAR तकनीक पर आधारित है।
- अंतरिक्ष यान 12 दिनों के दोहराव चक्र के लिए 98.4 डिग्री के झुकाव के साथ 747 किलोमीटर की सूर्य समकालिक कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
- जबकि नासा एल-बैंड एसएआर पेलोड, उच्च परिशुद्धता जीपीएस और 12 मीटर अनफर्लेबल एंटीना उपलब्ध करा रहा है वहीं, इसरो एस-बैंड एसएआर पेलोड, अंतरिक्ष यान बस और लॉन्च की सुविधा प्रदान कर रहा है।
- फरवरी, 2023 तक इसरो द्वारा निसार उपग्रह की प्राप्ति पर किया गया कुल व्यय 469.40 करोड़ है, जिसमें लॉन्च लागत शामिल नहीं है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. राज्य अल्पसंख्यक आयोग:
- वर्तमान में, 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने वैधानिक राज्य अल्पसंख्यक आयोगों की स्थापना की है।
- ये राज्य/केंद्र शासित प्रदेश आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल हैं।
- प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) राज्य सरकारों/संघ शासित प्रशासनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
- हालांकि, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय आउटरीच और संचार ब्यूरो (BOC, तत्कालीन DAVP) के माध्यम से राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दैनिक समाचार पत्रों में विभिन्न प्रिंट विज्ञापनों के माध्यम से अपनी योजनाओं को बढ़ावा देता है।
- मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ BOC/NFDC (राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम)/दूरदर्शन या इन कार्यालयों की सूचीबद्ध एजेंसियों के माध्यम से बाहरी प्रचार माध्यमों से भी प्रचार अभियान चलाए जाते हैं।
2. हिमालयी क्षेत्र में 92 पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र, 2 पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित:
- संरक्षित क्षेत्रों में जैव विविधता का प्रबंधन और संरक्षण करने के लिए, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्र को इको-सेंसिटिव जोन (ESZs) के रूप में अधिसूचित किया जाता है।
- वन्यजीव संरक्षण रणनीति के हिस्से के रूप में, वर्ष 2002 में यह निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक संरक्षित क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्रों (Protected Areas (PAs)) की सुरक्षा के लिए एक बफर बनाने के लिए पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में अधिसूचित करने की आवश्यकता है।
- ESZ घोषित करने का मूल उद्देश्य विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र के लिए किसी प्रकार का “शॉक एब्जॉर्बर” बनाना है।
- इसके अलावा, पारिस्थितिक महत्व वाले क्षेत्रों में जैव विविधता की रक्षा के लिए, मंत्रालय पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ESA) को भी अधिसूचित करता है, जिसमें अद्वितीय जैविक संसाधन होते हैं, जिनके संरक्षण के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा तैयार दिशानिर्देशों के अनुसार राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास संबंधित राज्यों में ESZ की घोषणा के लिए केंद्र सरकार के विचारार्थ संबंधित राज्य सरकारों द्वारा सर्वेक्षण और ESZ की पहचान की जाती है।
- राज्य सरकार के प्रस्तावों और सिफारिशों के आधार पर, मंत्रालय पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत ESZs को अधिसूचित करता है।
- ESZ अधिसूचना की धारा ‘3’ संबंधित राज्य सरकार द्वारा जोनल मास्टर प्लान (ZMP) तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश देती है और पर्यटन मास्टर प्लान की तैयारी को अनिवार्य करती है जो कि संबंधित ESZ के जोनल मास्टर प्लान का हिस्सा बनती है।
- जहां तक भारतीय हिमालयी क्षेत्र के 13 राज्यों का संबंध है, 2 ESA और 92 ESZ पहले ही अधिसूचित किए जा चुके हैं।
3. डीप-टेक में अनुसंधान एवं विकास के लिए UIDAI और SETS ने साझेदारी की:
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के भाग इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन और सुरक्षा के लिए सोसायटी (SETS) ने बृहस्पतिवार को डीप टेक क्षेत्र में उपकरणों और उत्पादों के विकास में सहयोग और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास करने पर सहमति व्यक्त की है।
- समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अंतर्गत दोनों संगठन साइबर सुरक्षा, आईओटी सुरक्षा, मोबाइल उपकरण सुरक्षा, फाइनेंशियल नेटवर्क स्लाइस सिक्योरिटी और हार्डवेयर सुरक्षा इत्यादि जैसे डीप टेक और उभरते तकनीकी क्षेत्रों में संयुक्त शोध करेंगे।
- यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा है और इसका उद्देश्य सूचना और साइबर सुरक्षा पर आत्मनिर्भरता में सुधार लाना और देश के बाहर विकसित उपकरणों पर निर्भरता कम करना है।
- दोनों संगठनों के वैज्ञानिक और अधिकारी साइबर सुरक्षा, क्वांटम सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी केंद्रित नवाचारों जैसे क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर, क्रिप्टो एपीआई लाइब्रेरी, क्वांटम सेफ क्रिप्टोग्राफी आदि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करेंगे।
- तदनुसार, SETS और UIDAI के अधिकारियों को न केवल UIDAI इकोसिस्टम में बल्कि अन्य महत्वपूर्ण आईटी अवसंरचना में भी उपयोग के लिए संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को प्रस्तावित और कार्यान्वित करने तथा उपकरण/उत्पाद विकसित करने में शामिल किया जाएगा।
- सुशासन के उपकरण और भारत के विशाल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की नींव के रूप में प्रौद्योगिकी डिजिटल इंडिया पहल का एक अभिन्न अंग रही है। प्रौद्योगिकी को अपनाना और उसका निरंतर उन्नयन UIDAI के कामकाज का एक प्रमुख तत्व है और साथ ही इसके आधार 2.0 रोडमैप का एक प्रमुख फोकस क्षेत्र है।
- UIDAI ने निवासियों को 1.36 बिलियन से अधिक आधार संख्या जारी की है। प्रतिदिन 70 मिलियन से अधिक आधार आधारित प्रमाणित लेनदेन हो रहे हैं।
- कल्याण और सुशासन से संबंधित केंद्र और राज्य सरकारों की करीब 1,700 योजनाएं आधार का उपयोग करती हैं।
23 March PIB :- Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 22 मार्च 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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