विषयसूची:
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1. देश में पिछले कुछ वर्षों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के जीवन में बहुत सुधार हुआ है:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं एवं उनका कमजोर वर्ग पर प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु अब तक किये गए प्रयासों पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- देश में पिछले कुछ वर्षों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के जीवन में बहुत सुधार हुआ है।
उद्देश्य:
- सम्पूर्ण देश में जनजातीय लोगों का समग्र विकास करने के लिए सरकार द्वारा ट्राइबल सब-प्लान (टीएसपी)/ शेड्यूल ट्राइब कंपोनेंट (एसटीसी)/ डेवलपमेंट एक्शन प्लान फॉर एसटी (डीएपीएसटी)को शुरू किया है।
विवरण:
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षणों (एनएफएचएस) के अनुसार, शिशु मृत्यु दर 62.1 (2005-06) से घटकर 41.6 (2019-21) हो गई है; पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 95.7 (2005-06) से घटकर 50.3 (2019-21) हो गई है, संस्थागत प्रसव 17.7% (2005-06) से बढ़कर 82.3% (2019-21) हो गया है और 12 से 23 माह के बच्चों का टीकाकरण 31.3% (2005-06) से बढ़कर 76.8% (2019-21) हो गया है।
- दशवर्षीय जनगणना, प्रबंधन सूचना प्रणाली, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा किए गए नमूना सर्वेक्षणों के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के जीवन स्तर में बहुत सुधार हुआ है, उदाहरण के लिए, अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर 2001 में 47.1% से बढ़कर 2011 में 59% हो गई है।
- इसके अलावा, सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) रिपोर्ट (जुलाई 2020 – जून 2021) के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर बढ़कर 71.6% हो गई है।
- पूर्ववर्ती योजना आयोग का अनुमान था कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 2004-05 में 62.3% से घटकर 2011-12 में 45.3% हो चुका था।
- इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 2004-05 में 35.5% से घटकर 2011-12 में 24.1% हो चुका था।
- पूरे देश में जनजातीय लोगों का समग्र विकास करने के लिए सरकार ट्राइबल सब-प्लान (टीएसपी)/ शेड्यूल ट्राइब कंपोनेंट (एसटीसी)/ डेवलपमेंट एक्शन प्लान फॉर एसटी (डीएपीएसटी) शुरू किया है।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय के अलावा, 41 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए जनजातीय विकास हेतु टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों के रूप में प्रतिवर्ष अपनी कुल योजना आबंटन का 4.3 से 17.5 प्रतिशत निर्धारित करना अनिवार्य किया गया है।
- टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों को विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा अपनी योजना के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों का त्वरित सामाजिक-आर्थिक विकास करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, पेयजल, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन, कौशल विकास आदि से संबंधित विभिन्न विकास परियोजनाओं में खर्च किया जाता है।
- नीति आयोग द्वारा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और विकास के लिए प्रतिबद्ध मंत्रालयों/विभागों द्वारा टीएसपी)/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों का प्रभावी उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रतिबद्ध मंत्रालयों/विभागों की टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों की निगरानी करने के लिए वेब एड्रेस के साथ एसटीसी एमआईएस पोर्टल विकसित किया है।
- मंत्रालय द्वारा टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी के अंतर्गत आबंटन, उपयोग और वास्तविक प्रगति की समीक्षा करने के लिए प्रतिबद्द मंत्रालयों/विभागों के साथ समय-समय पर बैठकें भी आयोजित की जाती है।
- दिशानिर्देशों के अनुसार मानक निर्धारित करने वाले टीएसपी/एसटीसी आबंटन का अनुपालन, योजनाओं की पहचान, ऐसी योजनाओं के अंतर्गत टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी निधियों का आवंटन और उपयोग, जो एसटी को विशिष्ट लाभ प्रदान करते हैं, निगरानी समीक्षा बैठकों में टीएसपी/एसटीसी/डीएपीएसटी के अंतर्गत लक्ष्य/उत्पाद की स्थापना और प्रगति आदि पर बल दिया जाता है।
2. जीआईएफटी इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (जीआईएफटी सिटी),अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए)
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री 29 जुलाई, 2022 को गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (जीआईएफटी सिटी) का दौरा करेंगे, जो भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) है।
उद्देश्य:
- अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) की आधारशिला भी रखेंगे, जो देश में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास और विनियमन का एकीकृत नियामक है।
विवरण:
- आईएफएससीए के मुख्यालय भवन की एक प्रतिष्ठित संरचना के रूप में परिकल्पना की गई है। जो एक अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में जीआईएफटी-आईएफएससी की बढ़ती हुई प्रसिद्धि और प्रभाव को दर्शाता है।
- प्रधानमंत्री जीआईएफटी-आईएफएससी में भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज, इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आईआईबीएक्स) का शुभारंभ करेंगे।
- यह एक्सचेंज भारत में सोने के वित्तीयकरण को बढ़ावा देने के अलावा, जवाबदेह सोर्सिंग और गुणवत्ता के आश्वासन के साथ कुशल मूल्य खोज की सुविधा भी प्रदान करेगा।
- यह भारत को वैश्विक सर्राफा बाजार में अपना सही स्थान हासिल करने और अखंडता और गुणवत्ता के साथ वैश्विक मूल्य श्रृंखला की सेवा करने के लिए सशक्त बनाएगा।
- यह भारत को एक प्रमुख उपभोक्ता के रूप में वैश्विक सर्राफा बाजार की कीमतों को प्रभावित करने में सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि भी करता है।
- प्रधानमंत्री एनएसई आईएफएससी-एसजीएक्स कनेक्ट का भी शुभारंभ करेंगे।
- इस कनेक्ट के तहत, सिंगापुर एक्सचेंज लिमिटेड (एसजीएक्स) के सदस्यों द्वारा दिए गए निफ्टी योगिको (डेरिवेटिव्ज़) पर सभी ऑर्डर का ‘एनएसई-आईएफएससी ऑर्डर मैचिंग और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म’ पर भेजकर मिलान किया जाएगा।
- यह कनेक्ट जीआईएफटी-आईएफएससी में डेरिवेटिव्ज़ बाजारों में तरलता को मजबूत बनाकर अधिक से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों को साथ लाएगा और जीआईएफटी-आईएफएससी में वित्तीय इको-सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव का भी सृजन करेगा।
- इस कनेक्ट के माध्यम से भारत और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों से ब्रोकर-डीलरों द्वारा डेरिवेटिव्ज़ के व्यापार के लिए बड़ी संख्या में भाग लेने की उम्मीद है।
- प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भी कई अन्य प्रमुख घोषणाएं की जाएंगी।
3. संस्कृति मंत्रालय अपने विभिन्न स्वायत्त संगठनों के माध्यम से भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित कर रहा है:
सामान्य अध्ययन: 1
भारतीय संस्कृति:
विषय:भारतीय संस्कृति के क्षेत्र में विकास हेतु सरकारी नीतियां और उनमे हस्तक्षेप एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: संस्कृति मंत्रालएवं उसके महत्वपूर्ण संगठन।
प्रसंग:
- संस्कृति मंत्रालय अपने स्वायत्त संगठनों जैसे संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र, ललित कला अकादमी, कलाक्षेत्र फाउंडेशन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के माध्यम से भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति को संरक्षित करने एवं प्रोत्साहित करने का काम करता है।
उद्देश्य:
- संगीत नाटक अकादमी (एसएनए) पूरे देश में समारोह आयोजित करती है।
- अकादमी प्रदर्शन कलाओं में अनुसंधान, डॉक्युमेंटेशन और प्रकाशन के लिए अनुदान-सहायता प्रदान करती है।
- गुरु-शिष्य परंपरा के तहत, अकादमी देश भर के सांस्कृतिक संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
विवरण:
- साहित्य अकादमी (एसए) राष्ट्रीय पत्र अकादमी है, जो इसके द्वारा मान्यता प्राप्त 24 भाषाओं में भारतीय साहित्य के प्रचार और संरक्षण के लिए काम कर रही है।
- साथ ही भारत के मौखिक और आदिवासी साहित्य को भी संरक्षित करती है।
- देश के विविध साहित्य को बढ़ावा देकर, साहित्य अकादमी भारत के विविध सांस्कृतिक, भाषाई और साहित्यिक समुदायों और परंपराओं को एकजुट करने का प्रयास करती है।
- इस उद्देश्य के लिए साहित्य अकादमी सालाना 500 से अधिक साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है, लगभग 500 साहित्यिक पुस्तकों का प्रकाशन करती है।
- पिछले पांच वर्षों के दौरान, साहित्य अकादमी पुरस्कार (96 प्रति वर्ष), कार्यक्रम (लगभग 500 प्रति वर्ष), प्रकाशन (लगभग 500 प्रति वर्ष) और देश भर में पुस्तक मेले एवं प्रदर्शनियों में भाग लेकर सभी 24 भाषाओं में भारतीय साहित्य को बढ़ावा दे रही है।
- राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) ने पिछले 5 वर्षों के दौरान विभिन्न रंगमंच गतिविधियों का आयोजन किया है जिनमें राष्ट्रीय पूर्वोत्तर समारोह, भारत रंग महोत्सव, पूर्वोत्तर नाट्य समारोह, पूर्वोत्तर राष्ट्रीय समारोह, शास्त्रीय रंगमंच महोत्सव, रंगमंच, संगीत और कला का राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का आयोजन किया।
- स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत तीन दिवसीय रंगमंच उत्सव का भी आयोजन किया गया।
- सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कला, साहित्य और संस्कृति के संरक्षण तथा प्रचार के लिए पूरे वर्ष सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल शिक्षकों और टीचर एजूकेटर्स के लिए इन-सर्विस ओरिएंटेशन कोर्स तथा विषयगत कार्यशालाओं का आयोजन करती है।
- ललित कला अकादमी (एलकेए) भारत में दृश्य कला के विकास के लिए काम कर रही है।
- पिछले पांच वर्षों में कलाक्षेत्र फाउंडेशन ने विभिन्न कला उत्सवों जैसे कथकली, वार्षिक कला महोत्सव, त्रिमूर्ति उत्सव, रुक्मणी देवी महोत्सव, कलासिबिरम, कलासंब्रक्षण और ध्रुपद महोत्सव का आयोजन किया।
- संस्कृति मंत्रालय कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) योजना भी लागू कर रहा है जिसके माध्यम से सांस्कृतिक संगठनों को कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
- भारतीय भाषाओं के प्राचीन, मध्यकालीन साहित्य को संरक्षित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में स्वायत्त संगठन साहित्य अकादमी ने भारत की गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए लेखकों, विद्वानों, संपादकों, संग्रहकर्ताओं, कलाकारों और अनुवादकों को 1996 में भाषा सम्मान देने की शुरुआत की थी।
- अब तक अकादमी ने शास्त्रीय और मध्यकालीन साहित्य के साथ-साथ भारत की गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं में 102 भाषा सम्मान दिय गए हैं ।
- साहित्य अकादमी की एक खास सीरीज है- भारतीय लेखक जो भारतीय साहित्य के निर्माता हैं और जिन्होंने भारतीय भाषाओं में साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- संस्कृति मंत्रालय इस उद्देश्य के लिए अनुदान सहायता के तहत अपने स्वायत्त संगठनों को मासिक अनुदान देता है।
- संस्कृति मंत्रालय कला संस्कृति विकास योजना (केएसवीवाई) योजना लागू करता है जिसमें कई उप-योजनाएं शामिल हैं जैसे रिपर्टरी अनुदान, राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता, हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता, बौद्ध/तिब्बती संगठन के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता और अनुभवी कलाकारों को सांस्कृतिक संगठनों/गैर सरकारी संगठनों/व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय सहायता।
4. चिकित्सा और कल्याण (निरोगता) पर्यटन को लेकर राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप भारत को स्वास्थ्य ब्रांड के रूप में विकसित करने पर केंद्रित है:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं एवं उनका देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य हेतु सरकार द्वारा हाल ही में उठाये गए क़दमों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- चिकित्सा और कल्याण (निरोगता) पर्यटन को लेकर राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप भारत को स्वास्थ्य ब्रांड के रूप में विकसित करने पर केंद्रित है।
उद्देश्य:
- पर्यटन मंत्रालय ने देश के विकास में तेजी लाने की क्षमता वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में चिकित्सा मूल्य यात्रा और कल्याण (निरोगता) पर्यटन को मान्यता देते हुए भारत को एक चिकित्सा व कल्याण पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
विवरण:
- पर्यटन मंत्रालय ने भारत को चिकित्सा और कल्याण पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के मंत्रालयों, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच एक मजबूत ढांचा व समन्वय स्थापित करने को लेकर चिकित्सा एवं कल्याण पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप तैयार किया है।
यह रणनीति दस्तावेज निम्नलिखित प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित है:
(i) भारत के लिए एक कल्याण स्थल के रूप में एक ब्रांड विकसित करना।
(ii) चिकित्सा और स्वास्थ्य पर्यटन के लिए इकोसिस्टम को मजबूत बनाना ।
(iii) ऑनलाइन मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) पोर्टल स्थापित करके डिजिटलाइजेशन को सक्षम करना ।
(iv) चिकित्सा मूल्य यात्रा के लिए पहुंच में बढ़ोतरी करना।
(v) कल्याण पर्यटन को बढ़ावा देना।
(vi) शासन और संस्थागत ढांचा।
- चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित संस्थागत ढांचा प्रदान करने के उद्देश्य से पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन मंत्री की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय चिकित्सा और कल्याण पर्यटन बोर्ड का गठन किया है।
- पर्यटन मंत्रालय अपनी जारी गतिविधियों के तहत देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए ‘अतुल्य भारत’ ब्रांड-लाइन के अधीन विदेशों के महत्वपूर्ण व संभावित बाजारों में वैश्विक प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया अभियान संचालित करता है।
- चिकित्सा पर्यटन की विषयवस्तु सहित विभिन्न विषयों पर मंत्रालय के सोशल मीडिया अकाउंटों के जरिए नियमित रूप से डिजिटल प्रचार भी किए जाते हैं।
- इसके अलावा ‘मेडिकल वीजा’ की भी शुरुआत की गई है, जिसे चिकित्सा उपचार को लेकर भारत आने वाले विदेशी यात्रियों को विशिष्ट उद्देश्य के लिए प्रदान किया जा सकता है।
- भारत सरकार, देश में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 156 देशों के नागरिकों को ई-मेडिकल वीजा सुविधा प्रदान कर रही है।
- पर्यटन मंत्रालय विपणन विकास सहायता योजना के तहत एनएबीएच की ओर से मान्यता प्राप्त चिकित्सा पर्यटन सेवा प्रदाताओं को चिकित्सा/पर्यटन मेलों, चिकित्सा सम्मेलनों, कल्याण सम्मेलनों, स्वास्थ्य मेलों और संबद्ध रोड शो में हिस्सा लेने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान विपणन विकास सहायता योजना के तहत कल्याण पर्यटक सेवा प्रदाताओं और चिकित्सा सेवा प्रदाताओं को 17,70,499 रुपये की वित्तीय सहायता जारी की गई है।
5. इस्पात संयंत्रों का आधुनिकीकरण:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: देश के आर्थिक विकास में इस्पात सेक्टर की भूमिका।
प्रारंभिक परीक्षा: स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल)।
प्रसंग:
- इस्पात, एक विनियंत्रित क्षेत्र होने के कारण, देश में विभिन्न इस्पात संयंत्रों के आधुनिकीकरण और विस्तार के संबंध में निर्णय व्यक्तिगत रूप से सार्वजनिक इस्पात कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक और बाजार की गतिशीलता के आधार पर लिए जाते हैं।
विवरण:
- आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के लिए इस्पात संयंत्रों के आधुनिकीकरण और विस्तार का पिछला चरण 2006-07 से 2018-19 के दौरान शुरू किया गया था।
- इससे कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता 15.8 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) से बढ़कर 26.9 एमटीपीए हो गई।
- इसमें सेल के भिलाई (छत्तीसगढ़), बोकारो (झारखंड), राउरकेला (ओडिशा), दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल), बर्नपुर (पश्चिम बंगाल) और विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) स्थित आरआईएनएल का इस्पात संयंत्र शामिल हैं।
- इसके अलावा, राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी) 2017 के 300 एमटीपीए इस्पात उत्पादन क्षमता के लक्ष्य के अनुसार 2030 तक सेल के कच्चे इस्पात उत्पादन की क्षमता को मौजूदा 20.63 एमटीपीए से बढ़ाकर 35.8 एमटीपीए करने के लिए आधुनिकीकरण और विस्तार की योजना तैयार की गई है।
- देश की मौजूदा वार्षिक कच्चे इस्पात उत्पादन की क्षमता 154.27 एमटी है।
- वर्ष 2030-31 तक एनएसपी के लक्ष्य के अनुसार इसे 300 एमटी तक पहुंचाने की परिकल्पना की गई है।
- इस दिशा में इस्पात मंत्रालय नीतिगत समर्थन और मार्गदर्शन के माध्यम से इस्पात उत्पादकों को सुविधा प्रदान करता है।
इस उद्देश्य के लिए किए गए कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं :-
- ‘मेड इन इंडिया’ इस्पात की खरीदारी को बढ़ावा देने के लिए घरेलू रूप से निर्मित लौह और इस्पात उत्पाद (डीएमआई और एसपी) नीति की अधिसूचना।
- घरेलू रूप से सृजित स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टील स्क्रैप रि-साइकिलिंग नीति की अधिसूचना।
- गैर-मानकीकृत इस्पात के निर्माण और आयात को रोकने के लिए इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी करना।
- इस्पात आयात के अग्रिम पंजीकरण के लिए इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस)।
- घरेलू उपयोग और निर्यात के लिए पूंजी निवेश आकर्षित करके देश में विशेष इस्पात के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 6,322 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ विशेष इस्पात के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की अधिसूचना।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं।
25 July 2022 : PIB विश्लेषण :-Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 24 July 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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