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विषयसूची:

  1. कपड़ा विभाग की वर्षांत समीक्षा – 2022:  
  2. वर्षांत समीक्षा-2022 इस्पात मंत्रालय:
  3. राष्ट्रपति ने “आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम मंदिर का विकास” परियोजना का लोकार्पण किया:
  4. वर्षांत समीक्षा -2022: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय:

1. कपड़ा विभाग की वर्षांत समीक्षा – 2022:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास:

विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय। 

प्रारंभिक परीक्षा: पीएलआई योजना,पीएम मित्र,राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम),राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट)। 

मुख्य परीक्षा: कपड़ा मंत्रालय के तहत आने वाले विभागों का देश के आर्थिक विकास,रोजगार एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।   

प्रसंग: 

  • कपड़ा विभाग की वर्षांत समीक्षा – 2022 इस प्रकार हैं। 

उद्देश्य:

  • पीएम मित्र के तहत प्रस्ताव प्राप्त करने से लेकर पीएलआई योजना के तहत निवेश करने तक, यह वर्ष कपड़ा मंत्रालय के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा।
  • पीएलआई योजना के तहत अब तक लगभग 1536 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। 
  • विशेषता फाइबर और तकनीकी वस्त्र के लिए राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) के तहत 232 करोड़ रुपये लागत के 74 अनुसंधान प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। 
  • संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस) और विशेष अभियानों के तहत 3159 मामलों में 621.41 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई।   

विवरण:  

वर्ष 2022 में मंत्रालय की कुछ प्रमुख पहलें और उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

  • पीएलआई योजना:
      • सरकार ने देश में एमएमएफ परिधान, एमएमएफ कपड़े और तकनीकी वस्त्रों के उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 10,683 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की है ताकि कपड़ा उद्योग को आकार और पैमाना हासिल करने तथा प्रतिस्पर्धी बनाने में सक्षम किया जा सके।  
  • पीएम मित्र:
      • सरकार ने वर्ष 2027-28 तक की अवधि के लिए 4445 करोड़ के परिव्‍यय के साथ सात पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्रा) पार्कों की स्थापना को मंजूरी दी थी, ताकि ‘प्लग एंड प्ले’ सुविधा सहित विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित किया जा सके। 
      • स्थल संबंधी लाभ को समझने के लिए प्रस्तावित पीएम मित्रा पार्क स्थलों का मूल्यांकन ‘गति शक्ति’ पोर्टल के माध्यम से किया गया था।  
  • राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम):
      • एनटीटीएम के तहत, 232 करोड़ रुपये मूल्‍य के 74 शोध प्रस्तावों को विशेष फाइबर और तकनीकी वस्त्र की श्रेणी में मंजूरी दी गई है।  
      • तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में 31 नए एचएसएन कोड विकसित किए गए हैं। 
      • एसआरटीईपीसी को तकनीकी वस्त्रों के लिए निर्यात प्रोत्साहन परिषद की भूमिका सौंपी गई है।
  • संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना (एटीयूएफएस):
      • उद्योग द्वारा 2443 सब्सिडी के मामलों में 10,218 करोड़ रुपये के निवेश की पुष्टि की गई है।  संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन निधि योजना के तहत 3159 मामलों में कुल 621.41 करोड़ की सब्सिडी जारी की गई।
  • समर्थ:
      • कुल 73919 व्यक्तियों (अनुसूचित जाति : 18194, अनुसूचित जनजाति : 8877 और महिला : 64352) को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जिनमें से 38823 व्यक्तियों को कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना के तहत प्लेसमेंट प्रदान किया गया है।
  • राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट):
      • दमन में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए एक नया परिसर चालू किया गया था। 
      • इसके अलावा भोपाल और श्रीनगर के लिए नए परिसर भवन भी बन रहे हैं।
  • रेशम क्षेत्र:
      • कच्चे रेशम का कुल उत्पादन 28106 मीट्रिक टन था। 
      • रेशम क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों में 9777 लोगों को प्रशिक्षण देने की उपलब्धि के साथ 44 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं शुरू की गईं। 23 परियोजनाएं पूरी हो गई हैं।
  • जूट क्षेत्र:
      • जूट-आईसीएआरई (बेहतर खेती और उन्नत रेटिंग (सड़न) अभ्यास) योजना: इसमें 1,89,483 हेक्टेयर के साथ 170 जूट उत्पादक ब्लॉक शामिल हैं, इससे 4,20,309 जूट किसान लाभान्वित हुए हैं। 
      • बाजार विकास और संवर्धन योजना (MDPS) के कारण निर्यात प्रदर्शन में सुधार हुआ है। 
      • निर्यात किए गए जूट के विविध उत्पादों का मूल्य रुपये पिछले वर्ष की तुलना में 46 प्रतिशत की बढ़ती प्रवृत्ति के साथ 1744 करोड़ रुपया रहा।
  • कपास क्षेत्र:
      • कपास की खेती पिछले वर्ष के 119.10 लाख हेक्टेयर की तुलना में 5 प्रतिशत बढ़कर 125.02 लाख हेक्टेयर हो गई है। 
      • भारतीय कपास के लिए ‘कस्तूरी कॉटन इंडिया’ नाम का ब्रांड लॉन्च किया गया है। 
  • ऊन क्षेत्र:
      • पशु/भेड़पालन विभाग, लेह की परियोजनाओं को पश्मीना ऊन की खरीद के लिए 2 करोड़ रुपये की रिवोल्विंग निधि तथा लेह के खानाबदोश लोगों की रहने की स्थिति में सुधार करने के लिए 400 ‘पोर्टेबल टेंट’ के वितरण की मंजूरी दी गई है। 
      • पश्मीना बकरी की सुरक्षा के लिए 300 ‘प्रीडेटर प्रूफ’ गलियारों के निर्माण के अलावा उत्तराखंड को 50 भेड़ ऊन कतरन मशीनों की खरीद की परियोजना को मंजूरी दी गई।
  • हथकरघा क्षेत्र: 
      • व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना के तहत मेगा हथकरघा कलस्‍टरों को स्वीकृत विभिन्न गतिविधियों के लिए 10.40 करोड़ रुपये की सहायता भी जारी की गई।
  • हस्तशिल्प क्षेत्र:
    • 30 लाख कारीगरों को पहचान कार्ड जारी किए गए और वर्ष 2017, 2018 और 2019 के लिए 108 कारीगरों को ‘शिल्प गुरु’ और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए।

2. वर्षांत समीक्षा-2022 इस्पात मंत्रालय:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास:

विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय। 

प्रारंभिक परीक्षा: 

मुख्य परीक्षा:इस्पात सेक्टर का देश की आधारभूत संरचना एवं विकास में योगदान पर टिप्पणी कीजिए।    

प्रसंग: 

  • वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान इस्पात सेक्टर ने उल्लेखनीय उत्पादन प्रदर्शन किया; वर्षांत समीक्षा-2022।

उद्देश्य:

  • स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान हुये 73.02 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में इस बार 78.090 मिलियन टन दर्ज किया गया, पिछले वर्ष के मद्देनजर 6.9 प्रतिशत अधिक।
  • कच्चे इस्पात का 81.9 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। 
  • इस्पात मंत्रालय ने स्वदेशी स्तर पर उत्पादित इस्पात की ‘मेड इन इंडिया’ ब्रैंडिंग का काम हाथ में लिया। 
  • इस्पात सेक्टर को कार्बन रहित बनाने पर विशेष ध्यान।   

विवरण:  

  • इस्पात सेक्टर, निर्माण, अधोसंरचना, मोटर-वाहन, इंजीनियरिंग और रक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण सेक्टरों के लिये केंद्रीय भूमिका निभाता है। 
    • वर्ष प्रति वर्ष इस्पात सेक्टर में जबरदस्त प्रगति दर्ज की गई है। 
    • देश अब इस्पात उत्पादन में वैश्विक शक्ति बन चुका है तथा कच्चे इस्पात के उत्पादन में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
  • उत्पादन और खपतः
    • चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (अप्रैल-नवंबर 2022) के दौरान इस्पात सेक्टर का प्रदर्शन काफी उत्साहवर्धक रहा है। 
    • स्वदेशी परिष्कृत इस्पात का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 6.9 प्रतिशत अधिक है। 
    • कच्चे इस्पात का 81.96 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में हुई 77.58 एमटी खपत से 5.6 प्रतिशत अधिक है।

इस्पात सेक्टर के विकास के लिये हाल की पहलें:

  • उत्पादनयुक्त प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाः 
      • विशेष इस्पात के घरेलू उत्पादन के लिए पीएलआई योजना को मंत्रिमंडल द्वारा 6322 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है। 
      • योजना के तहत पहचान किये गये विशिष्ट इस्पात के मद्देनजर पांच व्यापक श्रेणियां हैं, जहां इनका उपयोग किया जाता है। 
      • इनमें घरेलू उपकरण, मोटर-वाहन का ऊपरी ढांचा व पुर्जे, तेल और गैस आपूर्ति के पाइप, बॉयलर, बैलिस्टिक और आर्मर शीट, हाई-स्पीड रेलवे लाइनें, टरबाइन पुर्जे, वितरण और बिजली ट्रांसफार्मर शामिल हैं। 
  • इस्पात की कीमतें: 
      • महत्त्वपूर्ण कच्चे माल और सम्बंधित वस्तुओं, जिनमें लोहा और इस्पात शामिल हैं।
      • 21 मई, 2022 की अधिसूचना द्वारा इस्पात और अन्य इस्पात उत्पादों के कच्चे माल पर शुल्कों में संशोधन किया गया, जिससे एन्थ्रेसाइट/पुलवराइज्ड कोल इंजेक्शन (पीसीआई) कोयला, कोक और सेमी-कोक और फेरो-निकल पर आयात शुल्क घटाकर शून्य कर दिया गया। 
      • लौह अयस्क/कांसन्ट्रेट और लौह अयस्क पेलेट्स पर निर्यात शुल्क क्रमशः 50 प्रतिशत और 45 प्रतिशत तक बढ़ाया गया। 
      • इसके अलावा, पिग आयरन और कई इस्पात उत्पादों पर 15 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था।
    • इस्पात की वस्तुओं की कीमतों में लगभग 15-25 प्रतिशत की गिरावट आई है और उपरोक्त उपायों के परिणामस्वरूप कीमतें स्थिर हुई हैं।  
  • इस्पात क्षेत्र में डीकार्बोनाइजेशन: 
      • भारत के सीओ2 उत्सर्जन में भारत के इस्पात सेक्टर का हिस्सा 12 प्रतिशत है, जो 1.85 टी सीओ2/टीसीएस की वैश्विक औसत उत्सर्जन तीव्रता की तुलना में 2.55 टी सीओ2/टीसीएस है।
      • ग्लासगो प्रतिबद्धताओं के एक हिस्से के रूप में, भारत की 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने की योजना है।
    • इस्पात मंत्रालय, इस्पात उद्योग के हितधारकों और संबंधित मंत्रालयों/विभागों जैसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, नीति आयोग आदि के साथ निरंतर समन्वय कर रहा है। 
      • इस्पात मंत्रालय ने 11 नवंबर 2022 को शर्म-अल-शेख, मिस्र में कॉप-27 कार्यक्रम में इस्पात निर्माण में ग्रीन हाइड्रोजन जैसी प्रौद्योगिकियों पर निर्भर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के मुद्दों पर चर्चा की गई। 
  • इस्पात सेक्टर में ब्रैंड इंडियाः 
    • इस्पात मंत्रालय ने देश में उत्पादित इस्पात की मेड इन इंडिया ब्रांडिंग की पहल की है।
  • गुणवत्ता नियंत्रण आदेश/बीआईएसः 
    • सरकार बुनियादी ढांचे, निर्माण, आवास और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों के इस्तेमाल के लिए गुणवत्ता वाले इस्पात की आपूर्ति की सुविधा प्रदान कर रही है। 
    • इस्पात मंत्रालय बीआईएस प्रमाणन अंक योजना के तहत उत्पादों के अधिकतम कवरेज वाला अग्रणी मंत्रालय है। 
    • इस्पात और उसके उत्पादों पर कुल 145 भारतीय मानकों को अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के तहत रखा गया है। 
    • ये आदेश घटिया इस्पात उत्पादों के आयात, बिक्री और वितरण पर रोक लगाते हैं। 
    • क्यूसीओ को लागू करना सार्वजनिक हित में तथा मानव, पशु व पौधों के स्वास्थ्य, पर्यावरण की सुरक्षा, अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम के लिये है, जैसा कि बीआईएस अधिनियम, 2016 में वर्णित है।
  • पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लानः 
    • भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर स्पेस एप्लीकेशंस एंड जियो-इंफर्मेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) की मदद से इस्पात मंत्रालय पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पोर्टल से जुड़ गया है।  
  • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग के निर्देश पर कलिंग नगर स्टील हब को ‘पीएम गति शक्ति एरिया एप्रोच’ के तहत लाया गया है।
  • द्वितीयक इस्पात सेक्टर के साथ संलग्नताः 
    • लौह और इस्पात उद्योग द्वितीयक उत्पादकों का वर्ग है जो कच्चे इस्पात के उत्पादन में 40 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। 
    • अवसंरचना विकास में द्वितीयक इस्पात क्षेत्र की भूमिका बहुत अधिक है। 
    • बुनियादी ढांचे के विकास से न केवल इस्पात की मांग को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि बुनियादी ढांचे का तेजी से  निर्माण भी होता है।

3. राष्ट्रपति ने “आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम मंदिर का विकास” परियोजना का लोकार्पण किया:

सामान्य अध्ययन: 1

इतिहास: 

विषय:भारतीय संस्कृति में साहित्य और कला के मुख्य पहलु।   

प्रारंभिक परीक्षा: तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत वृद्धि ड्राइव पर राष्ट्रीय मिशन (पीआरएएसएचएडी),श्रीशैलम मंदिर,केंद्रीय क्षेत्र की योजना। 

प्रसंग: 

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 26 दिसंबर को आंध्र प्रदेश के कुरनूल में श्रीशैलम मंदिर परिसर में “आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम मंदिर का विकास” परियोजना का उद्घाटन किया। 

उद्देश्य:

  • इस परियोजना को पर्यटन मंत्रालय के विरासत संवर्धन अभियान के अंतर्गत ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत वृद्धि ड्राइव पर राष्ट्रीय मिशन (पीआरएएसएचएडी) के अंतर्गत स्वीकृत और तैयार किया गया था।

प्रमुख बिन्दु:

  • परियोजना में शामिल घटकों में एम्फीथिएटर, रोशनी की व्यवस्था, प्रकाश और ध्वनि शो, डिजिटल समावेशन, पर्यटक सुविधा केंद्र, पार्किंग क्षेत्र, चेंजिंग रूम, शौचालय परिसर, स्मारिका दुकानें, फूड कोर्ट, एटीएम और बैंकिंग सुविधा जैसी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं।
  • इस परियोजना का उद्देश्य श्रीशैलम मंदिर को एक विश्व स्तरीय तीर्थ और पर्यटन स्थल बनाना है।
  • ‘तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत में वृद्धि के अभियान के लिए राष्ट्रीय मिशन’ (पीआरएएसएचएडी)’ भारत सरकार द्वारा पूर्ण वित्तीय सहायता के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।  

विवरण:  

  • “आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीशैलम मंदिर का विकास” परियोजना 43.08 करोड़ रुपये की लागत से पूरी की गई है। 
  • यह परियोजना भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित है। 
    • परियोजना में शामिल किए गए घटकों में एम्फीथिएटर, रोशनी की व्यवस्था, प्रकाश और ध्वनि शो, डिजिटल समावेशन, पर्यटक सुविधा केंद्र, पार्किंग क्षेत्र, चेंजिंग रूम, शौचालय परिसर, स्मारिका दुकानें, फूड कोर्ट, एटीएम और बैंकिंग सुविधा जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं। 
    • इन व्यवस्थाओं का उद्देश्य आगंतुकों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करके श्रीशैलम मंदिर को एक विश्व स्तरीय तीर्थ और पर्यटन स्थल बनाना है।
  • तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन’ (प्रशाद) भारत सरकार द्वारा पूर्ण वित्तीय सहायता के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। 
    • रोजगार सृजन और आर्थिक विकास पर इसके प्रत्यक्ष और गुणात्मक प्रभाव के लिए तीर्थ और विरासत पर्यटन स्थलों का दोहन करने के लिए केंद्रित एकीकृत बुनियादी ढांचे के विकास की परिकल्पना के साथ यह योजना वर्ष 2014-15 में पर्यटन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है। 

पृष्ठ्भूमि:

  • श्रीशैलम श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती को समर्पित है और भारत में एकमात्र मंदिर है जो शैववाद और शक्तिवाद दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। 
    • लिंगम के आकार में प्राकृतिक पत्थर की संरचनाओं में जगह के प्रमुख देवता ब्रह्मरम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी हैं और उन्हें भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और देवी पार्वती के 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है। 
    • भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों और शक्ति पीठों में से एक होने के अलावा, मंदिर को पाडल पेट्रा स्थलम में से एक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है। 
    • भगवान मल्लिकार्जुन स्वामी और देवी भ्रामराम्बा देवी की मूर्ति को ‘स्वयंभू’ या स्वयं प्रकट माना जाता है, और एक परिसर में ज्योतिर्लिंगम और महाशक्ति का अनूठा संयोजन आपनी तरह का इकलौता मंदिर है।

4. वर्षांत समीक्षा -2022: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास:

विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय। 

प्रारंभिक परीक्षा:प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई),किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी),नमामि गंगे कार्यक्रम,भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) योजना।  

प्रसंग: 

  • वर्षांत समीक्षा -2022: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय। 

विवरण:  

  • बजट आवंटन में अभूतपूर्व वृद्धि करते हुए कृषि और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 2022-23 में बजट आवंटन बढ़ाकर 1,24,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

उत्पादन लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करना:

  • सरकार ने 2018-19 से अखिल भारतीय भारतीय औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ के साथ सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) में वृद्धि की है।
  • धान (सामान्य) के लिए एमएसपी जनवरी, 2022 में 1940 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे बढ़ाकर दिसम्‍बर, 2022 में 2040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
  • गेहूं का एमएसपी जनवरी, 2022 के 2015 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर दिसम्‍बर, 2022 में 2125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया।

खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन की शुरूआत- ऑयल पाम:

  • एनएमईओ को 11,040 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है। इससे अगले 5 वर्षों में पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और शेष भारत में 3.22 हेक्‍टेयर के साथ ऑयल पाम वृक्षारोपण के तहत 6.5 लाख हेक्टेयर का अतिरिक्त क्षेत्र आएगा। 
  • मिशन का ध्‍यान मुख्‍य रूप से उद्योग द्वारा सुनिश्चित खरीद से जुड़े किसानों को एक सरल मूल्य निर्धारण फार्मूले के साथ ताजे फलों के गुच्छों (एफएफबी) की व्यवहार्य कीमतें प्रदान करना है। 

पीएम किसान के माध्यम से किसानों को आय सहायता:

  • पीएम-किसान योजना 2019 में शुरू की गई थी जो कि किसानों को 6000 रुपये प्रति वर्ष 3 समान किस्तों में प्रदान करने वाली आय सहायता योजना है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई):

  • पीएमएफबीवाई 2016 में किसानों के लिए उच्च प्रीमियम दरों और कैपिंग के कारण बीमा राशि में कटौती की समस्याओं को दूर करने के लिए शुरू की गई थी।

कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण:

  • कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण जनवरी, 2022 में 16.5 लाख करोड़ रुपये था, जिसे दिसम्‍बर, 2022 में बढ़ाकर 18.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
  • अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर केसीसी के माध्यम से रियायती संस्थागत ऋण का लाभ पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को भी दिया गया है।
  • किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को शामिल करने पर ध्यान देने के साथ रियायती संस्थागत ऋण प्रदान करने के लिए फरवरी 2020 से एक विशेष अभियान चलाया गया है। 

किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना:

  • पोषक तत्वों के अधिकतम उपयोग के लिए वर्ष 2014-15 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई थी। निम्‍नलिखित संख्‍या में किसानों को कार्ड जारी किए गए।
  • बायोस्टिमुलेंट्स के प्रसार के लिए नियमावली जारी की गई है। उर्वरक नियंत्रण आदेश के तहत नैनो यूरिया को शामिल किया गया है।

देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना:

  • देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2015-16 में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की गई। 
  • इसके अलावा, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 123620 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है और प्राकृतिक खेती के तहत 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है। 
    • उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड में किसान, नदी जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ-साथ किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त करने के लिए गंगा नदी के दोनों किनारों पर जैविक खेती की है।
  • सरकार ने भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) योजना के माध्यम से स्थायी प्राकृतिक कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देने का भी प्रस्ताव किया है। 
    • प्रस्तावित योजना का उद्देश्य खेती की लागत में कटौती करना, किसान की आय में वृद्धि करना और संसाधन संरक्षण और सुरक्षित और स्वस्थ मिट्टी, पर्यावरण और भोजन सुनिश्चित करना है।
  • पूर्वोत्‍तर क्षेत्र (एमओवीसीडीएनईआर) में मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट शुरू किया गया है। 
  • इसके अलावा, सस्ती कीमत पर जैविक प्रमाणीकरण की सुविधा और दृष्टिकोण को अपनाने में आसान बनाने के लिए, 2015 के दौरान एक नई भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) प्रमाणन शुरू किया गया था।
  • यह पीजीएस प्रणाली दुनिया में अद्वितीय है और दुनिया में सबसे बड़ा सहभागी जैविक प्रमाणन कार्यक्रम है।
    • छोटे और सीमांत किसानों को अपने जैविक उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं को बेचने में सहायता करने के लिए एक जैविक खेती पोर्टल शुरू किया गया है।
  • किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्‍य से प्रमाणीकरण के लिए प्रत्‍येक किसान के लिए सहायता शुरू की गई है। 
    • लक्षद्वीप के 2700 हेक्टेयर क्षेत्र की पूरी खेती योग्य भूमि को एलएसी के तहत जैविक के रूप में प्रमाणित किया गया है। 
    • हाल ही में सिक्किम में प्रमाणन जारी रखने और फंड के लिए 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र को भी सहायता दी गई है और 96.39 लाख रुपये जारी किए, जो दुनिया का एकमात्र 100 प्रतिशत जैविक राज्य है।

एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड:

    • एआईएफ की स्थापना के बाद से,दिसम्‍बर, 2022 तक देश में 18,133 से अधिक परियोजनाओं के लिए 13,681 करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी ढांचे को मंजूरी दी गई।
  • एफपीओ का प्रसार:
    • माननीय प्रधानमंत्री ने 29 फरवरी, 2020 को वर्ष 2027-28 तक 6865 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ 10,000 नए एफपीओ के गठन और प्रसार के लिए एक नई केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजना शुरू की।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में 2020 में एक राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया गया है। 
    • मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए 2020-2021 से 2022-2023 की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 
    • मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए 70 परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। 

प्रति बूंद अधिक फसल:

  • 2015-16 के दौरान प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना शुरू की गई जिसका उद्देश्य सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों यानी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के माध्यम से खेतों में पानी के उपयोग की दक्षता को बढ़ाना है। 

सूक्ष्म सिंचाई कोष:

  • नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपये के प्रारंभिक कोष का एक सूक्ष्म सिंचाई कोष बनाया गया है।
  • 2021-22 की बजट घोषणा में, निधि के कोष को बढ़ाकर 10000 करोड़ रुपये किया जाना था।
  • दिसम्‍बर,2022 तक 17.09 लाख हेक्टेयर को कवर करने वाली 4710.96 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

कृषि यंत्रीकरण:

  • कृषि का आधुनिकीकरण करने और खेती के कार्यों की नीरसता को कम करने के लिए कृषि यंत्रीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण है। 
  • 2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि यंत्रीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
  • ड्रोन एप्लिकेशन के माध्यम से कृषि सेवाएं प्रदान करने के लिए, कृषि सहकारी समिति के एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) द्वारा ड्रोन खरीद के लिए ड्रोन की मूल लागत का 40 प्रतिशत और अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 
  • सीएचसी स्थापित करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन की लागत के 50 प्रतिशत की दर से अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के हकदार हैं।

कृषि उपज रसद में सुधार, किसान रेल की शुरूआत:

  • रेल मंत्रालय ने विशेष रूप से खराब होने वाली कृषि बागवानी वस्तुओं को लाने-ले जाने के लिए किसान रेल शुरू की। 
  • पहली किसान रेल जुलाई 2020 में शुरू की गई थी। 
  • जनवरी, 2022 तक 155 रूटों पर 1900 सेवाएं संचालित की गईं, जिन्हें दिसम्‍बर, 2022 में 167 रूटों पर बढ़ाकर 2359 सेवाएं कर दिया गया।

एमआईडीएच – क्लस्टर विकास कार्यक्रम:

  • क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) को बागवानी समूहों की भौगोलिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने और पूर्व-उत्पादन, उत्पादन, कटाई के बाद, रसद, ब्रांडिंग और विपणन गतिविधियों के एकीकृत और बाजार-आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं। 

 

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