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विषयसूची:

  1. उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2020-2021 जारी:  
  2. भारत की अध्यक्षता में G-20 ऊर्जा रूपांतरण कार्य समूह की पहली बैठक बेंगलुरु में होगी:
  3. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने लोक सेवा प्रसारण के दायित्वों पर एडवाइजरी जारी की:
  4. राष्ट्रीय महिला आयोग का 31वां स्थापना दिवस:
  5. राष्ट्रीय कुष्ठ रोधी दिवस: 

1.उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2020-2021 जारी:

सामान्य अध्ययन: 2

शिक्षा: 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।  

प्रारंभिक परीक्षा: अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2020-2021 से संबंधित जानकारी।  

मुख्य परीक्षा: उच्च शिक्षा पर जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2020-2021 के महत्वपूर्ण निष्कर्षों पर टिप्पणी कीजिए।   

प्रसंग: 

  • शिक्षा मंत्रालय ने उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2020-2021 जारी कर दिया है।

उद्देश्य:

  • सर्वेक्षणों में विभिन्न मानकों पर विस्तृत सूचना जमा की जाती है, जैसे शिक्षार्थी नामांकन, शिक्षकों के आंकड़े, आधारभूत संरचना की सूचना, वित्तीय सूचना आदि। 
    • पहली बार AISHE 2020-21 में उच्च शिक्षा संस्थानों ने वेब डेटा कैप्चर फॉर्मेट (DCF) के जरिये ऑनलाइन डेटा संकलन प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया है, जिसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से उच्च शिक्षा विभाग ने विकसित किया है।  

विवरण:  

  • शिक्षा मंत्रालय वर्ष 2011 से ही उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) का आयोजन करता रहा है, जिसके तहत भारतीय भू-भाग में स्थित समस्त उच्च शिक्षा संस्थानों को शामिल किया गया है, जो देश में उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। 

सर्वेक्षण की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • छात्र नामांकन:
    • उच्च शिक्षा में नामांकन 2019-20 के 3.85 करोड़ से बढ़कर 2020-21 में 4.14 करोड़ हुआ। 
    • छात्राओं का नामांकन 2019-20 के 1.88 करोड़ से बढ़कर 2.01 करोड़ हो गया। 
      • वर्ष 2014-15 से लगभग 44 लाख (28 प्रतिशत) की लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
    • कुल नामांकन में छात्राओं के नामांकन का प्रतिशत 2014-15 में 45 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में लगभग 49 प्रतिशत हो गया है।
    • 18-23 आयुवर्ग के लिए 2011 में हुए जनसंख्या आकलन के आधार पर 2019-20 में 25.6 का GER बढ़कर 27.3 हो गया है।
    • 2019-20 की तुलना में 2020-21 में अनुसूचित जनजाति (ST) शिक्षार्थियों के GER में 1.9 अंकों की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
    • महिला GER ने 2017-18 के बाद से पुरुष GER को पीछे छोड़ दिया है। 
      • लैंगिक समानता सूचकांक (GPI), महिला GER का पुरुष GER से अनुपात, 2017-18 के 01 से बढ़कर 2020-21 में 1.05 हो गया है।
    • 2019-20 में 56.57 लाख और 2014-15 में 46.06 लाख की तुलना में अनुसूचित जाति (SC) छात्रों का नामांकन इस बार 58.95 लाख दर्ज किया गया।
    • 2019-20 में 21.6 लाख और 2014-15 में 16.41 लाख की तुलना में ST के छात्रों का नामांकन बढ़कर 24.1 लाख हुआ।
    • 2007-08 से 2014-15 की अवधि के दौरान ST के छात्रों का औसत वार्षिक नामांकन लगभग 75,000 था, जो बढ़कर लगभग एक लाख हो गया है।
    • OBC शिक्षार्थियों के नामांकन में भी छह लाख की बढ़त हुई है। वह 2019-20 में 1.42 करोड़ थी, जो 2020-21 में 1.48 करोड़ हो गयी है।
    • पूर्वोत्तर के राज्यों में कुल शिक्षार्थी नामांकन 2014-15 में 9.36 लाख था, जिसकी तुलना में 2020-21 में यह 12.06 लाख हो गया है।
  • पूर्वोत्तर राज्यों में 2020-21 में छात्राओं का नामांकन 6.14 लाख दर्ज किया गया है, जो छात्रों के 5.92 लाख नामांकन से अधिक है (पूर्वोत्तर राज्यों में हर 100 छात्रों के मुकाबले छात्राओं की संख्या 104 है)। 
    • वर्ष 2018-19 में पहली बार छात्राओं के नामांकन ने छात्रों के नामांकन को पीछे छोड़ दिया और यह रुझान जारी है।
  • दूरस्थ शिक्षा में नामांकन 45.71 लाख है (जिसमें 20.9 लाख छात्राएं हैं)। 
    • इस तरह 2014-15 से 20 प्रतिशत और 2019-20 से लगभग सात प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
  • शिक्षार्थी नामांकन की संख्या के संदर्भ में उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान छह सर्वोच्च राज्य हैं।
  • AISHE 2020-21 के अनुसार, पूर्व-स्नातक पाठ्यक्रम में कुल नामांकित शिक्षार्थी लगभग 79.06 प्रतिशत हैं और स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम में 11.5 प्रतिशत शिक्षार्थियों ने नामांकन कराया।
  • पूर्व-स्नातक स्तर पर विषयों के क्रम में सबसे अधिक नामांकन (33.5 प्रतिशत) कला में है। उसके बाद विज्ञान (15.5 प्रतिशत), वाणिज्य (13.9 प्रतिशत) और इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी (11.9 प्रतिशत) आते हैं।
  • स्नातकोत्तर स्तर पर स्ट्रीम के मामले में सबसे अधिक शिक्षार्थियों ने सामाजिक विज्ञान (20.56 प्रतिशत) में नामांकन कराया। इसके बाद विज्ञान (14.83 प्रतिशत) का स्थान है।
  • कुल नामांकनों में 55.5 लाख शिक्षार्थियों ने विज्ञान स्ट्रीम में नामांकन कराया। इसमें छात्राओं की संख्या 29.5 लाख) और छात्रों की संख्या 26 लाख है।
  • सरकारी विश्वविद्यालयों (कुल का 59 प्रतिशत) का नामांकन में योगदान 73.1 प्रतिशत है। सरकारी कॉलेजों (कुल का 21.4 प्रतिशत) का नामांकन में योगदान 34.5 प्रतिशत है।
  • राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में 2014-15 से 2020-21 की अवधि के दौरान नामांकन में लगभग 61 प्रतिशत की बढ़त देखी गई।
  • रक्षा, संस्कृत, जैव प्रौद्योगिकी, फोरेंसिक, डिजाइन, खेल आदि से संबंधित विशिष्ट विश्वविद्यालयों में 2014-15 की तुलना में 2020-21 में नामांकन बढ़ा है।
  • 2019-20 में 94 लाख की तुलना में 2020-21 में शिक्षा पूरी करने वालों (पास-आउट) की कुल संख्या बढ़कर 95.4 लाख हो गई है।

वर्ष 2020-21 में उच्च शिक्षा संस्थानों में विभिन्न मूलभूत संरचना की उपलब्धताः

o पुस्तकालय (97 प्रतिशत)

o प्रयोगशालाएं (88 प्रतिशत)

o कंप्यूटर केंद्र (2019-20 में 86 प्रतिशत से बढ़कर 91 प्रतिशत)

o कौशल विकास केंद्र (2019-20 में 58 प्रतिशत से बढ़कर 61 प्रतिशत)

o राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जुड़ाव (2019-20 में 34 प्रतिशत से बढ़कर 56 प्रतिशत)

संस्थानों की संख्या:

    • पंजीकृत विश्वविद्यालयों/विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की कुल संख्या 1,113, कॉलेजों की संख्या 43,796 और स्वचलित संस्थानों की संख्या 11,296 है।
      • 2020-21 के दौरान, विश्वविद्यालयों की संख्या में 70 की वृद्धि हुई है, और कॉलेजों की संख्या में 1,453 की वृद्धि हुई है।
      • 2014-15 से, 353 विश्वविद्यालयों (46.4 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है।
      • राष्ट्रीय महत्व के संस्थान 2014-15 में 75 से लगभग दोगुना होकर 2020-21 में 149 हो गए हैं।
      • 2014-15 से पूर्वोत्तर राज्यों में 191 नए उच्च शिक्षा संस्थान स्थापित किए गए हैं।
    • सर्वाधिक विश्वविद्यालय राजस्थान (92), उत्तर प्रदेश (84) और गुजरात (83) में हैं।
    • 2014-15 से 2020-21 के दौरान, वार्षिक रूप से औसतन 59 विश्वविद्यालयों को जोड़ा गया है। वर्ष 2007-08 से 2014-15 के दौरान यह संख्या लगभग 50 थी।
    • 17 विश्वविद्यालय (जिनमें से 14 राज्य सरकारों के अधीन हैं) और 4,375 कॉलेज विशेष रूप से महिलाओं के लिए हैं।
    • प्रति लाख जनसंख्या (18-23 आयु वर्ग की जनसंख्या) के बीच कॉलेजों की संख्या 31 रही है। वर्ष 2014-15 में यह 27 थी।
    • अधिकतम कॉलेजों की संख्या वाले राज्य: 
      • कर्नाटक (62), तेलंगाना (53), केरल (50), हिमाचल प्रदेश (50), आंध्र प्रदेश (49), उत्तराखंड (40), राजस्थान (40), तमिलनाडु (40)।
  • अधिकतम कॉलेजों की संख्या वाले शीर्ष 8 जिले: 
    • बैंगलोर शहरी (1058), जयपुर (671), हैदराबाद (488), पुणे (466), प्रयागराज (374), रंगारेड्डी (345), भोपाल (327) और नागपुर (318)।
  • कॉलेजों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात शीर्ष आठ राज्य हैं।
  • 43 प्रतिशत विश्वविद्यालय और 61.4 प्रतिशत कॉलेज ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं।

फैकल्टी:

  • फैकल्टी/शिक्षकों की कुल संख्या 15,51,070 है जिनमें से लगभग 57.1 प्रतिशत पुरुष और 42.9 प्रतिशत महिलाएं हैं।
    • 2019-20 में 74 और 2014-15 में 63 से 2020-21 में प्रति 100 पुरुष संकाय में महिला 75 हो गई हैं।

2. भारत की अध्यक्षता में G-20 ऊर्जा रूपांतरण कार्य समूह की पहली बैठक बेंगलुरु में होगी:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: 

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश।  

प्रारंभिक परीक्षा: G-20 समूह। 

मुख्य परीक्षा: भारत की G-20 अध्यक्षता में  G-20 समूह के महत्व पर चर्चा कीजिए।    

प्रसंग: 

  • भारत की अध्यक्षता में पहली G-20 ऊर्जा रूपांतरण कार्य समूह (ETWG) की बैठक 5 से 7 फरवरी, 2023 तक बेंगलुरु में आयोजित की जाएगी।

उद्देश्य:

  • यह आयोजन स्वच्छ ऊर्जा रूपांतरण के चुनौतीपूर्ण पक्षों व मूल्य श्रृंखला के विभिन्न तकनीकी पहलुओं की जांच करते हुए भंडारण और उपयोग से संबंधित मुद्दों से निपटने में CCUS की भूमिका पर विचार-विमर्श करेगा। 
  • यह आयोजन सफल पहलों से ज्ञान साझा करने में सक्षम होगा, जिसे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में दोहराया जा सकता है।  

विवरण:  

    • इस बैठक में G-20 सदस्य देशों सहित 150 से अधिक प्रतिभागी होंगे। 
      • इसके साथ इसमें नौ विशेष आमंत्रित अतिथि देश- बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और स्पेन भी शामिल होंगे।
    • इसके अलावा इस बैठक में अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं और ज्ञान भागीदार भी इसके हिस्से होंगे। 
      • इन संस्थाओं में विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA), स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (CEM), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विकास संगठन (UNIDO), एशिया व प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP), RD20 शामिल हैं।  
    • इस बैठक के लिए कर्नाटक समर्थन और समन्वय प्रदान कर रहा है। 
      • पहली ETWG बैठक छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित होगी। 
  • इनमें शामिल हैं: 
  1. प्रौद्योगिकी की कमियों को दूर करते हुए ऊर्जा रूपांतरण, 
  2. ऊर्जा रूपांतरण के लिए कम लागत वित्तीय पोषण, 
  3. ऊर्जा सुरक्षा और विविध आपूर्ति श्रृंखलाएं, (iv) ऊर्जा दक्षता, औद्योगिक निम्न कार्बन रूपांतरण और जिम्मेदारी पूर्ण खपत, 
  4. भविष्य के लिए ईंधन (3F) और 
  5. स्वच्छ ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच व न्यायोचित, सस्ती और समावेशी ऊर्जा रूपांतरण के साधन। 
  • इसके अलावा ETWG बैठक के साथ ‘कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन और स्टोरेज (CCUS)’ पर एक उच्च-स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की जाएगी। 
  • यह संगोष्ठी नेट-जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले कार्बन कैप्चर, उपयोगिता और भंडारण के महत्व को सामने लाने पर केंद्रित होगी। 
  • भारत सरकार के अधीन विद्युत मंत्रालय, ETWG के लिए नोडल मंत्रालय है और यह केंद्रित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा और संवाद का नेतृत्व करेगा। 
  • भारत की अध्यक्षता में चार ETWG बैठकें, विभिन्न सह आयोजन और एक मंत्रिस्तरीय बैठक की योजना बनाई गई है। 
  • भारत की G-20 अध्यक्षता पिछली अध्यक्षताओं के प्रयासों और परिणामों की नींव पर खड़ी होगी, जिन्होंने स्वच्छ ऊर्जा रूपांतरण में वैश्विक सहयोग को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया और इसे टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए केंद्रीय एजेंडा बना दिया है।

3. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने लोक सेवा प्रसारण के दायित्वों पर एडवाइजरी जारी की:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।   

मुख्य परीक्षा: “भारत में टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश, 2022” के तहत राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता की सामग्री शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डालिये।    

प्रसंग: 

  • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 9 नवंबर 2022 को “भारत में टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश, 2022” जारी किए थे। 

उद्देश्य:

  • ए़डवाइजरी का उद्देश्य निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों द्वारा इसके स्वैच्छिक अनुपालन और स्व-प्रमाणन के माध्यम से लोक सेवा प्रसारण के उद्देश्य को प्राप्त करना है।  

विवरण:  

    • दिशानिर्देशों में, अन्य बातों के अलावा, निजी प्रसारकों को हर दिन 30 मिनट के लिए लोक सेवा प्रसारण करना आवश्यक है। 
      • इस संबंध में, मंत्रालय ने निजी सैटेलाइट टीवी चैनल प्रसारकों और उनकी एसोसिएशन के साथ व्यापक परामर्श किया और उनके इनपुट के आधार पर 30 जनवरी 2023 को एक “एडवाइजरी” जारी की गई।
    • “एडवाइजरी” के माध्यम से मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि प्रसारित किए जा रहे कार्यक्रमों में प्रासंगिक सामग्री को लोक सेवा प्रसारण के लिए गिना जा सकता है। 
      • यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह जरूरी नहीं है कि प्रसारण सामग्री पूरे 30 मिनट की एक बार में प्रसारित की जाए। 
        • इसे कई छोटे टाइम स्लॉट में भी प्रसारित किया जा सकता है और ब्रॉडकास्टर को इसकी जानकारी ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल पर एक मासिक रिपोर्ट के रूप में ऑनलाइन जमा करनी होगी। 
  • प्रसारण के विषय में निम्नलिखित सहित राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता की सामग्री शामिल होनी चाहिए:
  1. शिक्षा और साक्षरता के प्रसार संबंधी;
  2. कृषि और ग्रामीण विकास;
  3. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण;
  4. विज्ञान और प्रौद्योगिकी;
  5. महिला कल्याण;
  6. समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण संबंधी;
  7. पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा; और
  8. राष्ट्रीय एकीकरण।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.राष्ट्रीय महिला आयोग का 31वां स्थापना दिवस:

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू 31 जनवरी, 2023 को राष्ट्रीय महिला आयोग के 31वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करेंगी। 
    • कार्यक्रम का विषय ‘सशक्त नारी सशक्त भारत’ है, जिसका उद्देश्य उन महिलाओं की सफलता का मान करना है, जिन्होंने अपनी जीवन-यात्रा में उत्कृष्टता प्राप्त की और अमिट छाप छोड़ी है। 
  • राष्ट्रीय महिला आयोग 31 जनवरी, 2023 से एक फरवरी, 2023 तक अपना 31वां स्थापना दिवस मनाने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। 
    • इसमें उन विशिष्ट महिलाओं के साथ एक पैनल चर्चा आयोजित की जाएगी, जिन्होंने अनेक लोगों को प्रेरणा और सशक्तिकरण का मार्ग दिखाया है। 
    • इस चर्चा के माध्यम से, आयोग का उद्देश्य एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना है, जहां विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से संबंधित महिलाओं की निर्णय लेने और नेतृत्व की भूमिकाओं में लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित करने विविध विचारों का आदान-प्रदान हो सके।
  • राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी। 
    • इसकी स्थापना महिलाओं को प्रभावित करने वाले मामलों को मद्देनजर रखते हुये, महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करने, उपचारात्मक विधायी उपायों की सिफारिश करने, निवारण या शिकायतों को सुगम बनाने और नीति पर सरकार को सलाह देने के लिए की गई थी।

2.राष्ट्रीय कुष्ठ रोधी दिवस:

  • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 30 जनवरी 2023 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय कुष्ठ रोधी दिवस कार्यक्रम को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया।
  • उन्होंने कहा कुष्ठ रोग के नए मामलों में साल दर साल कमी आ रही है। 
    • संपूर्ण सरकार, पूरे समाज के समर्थन, समन्वय और सहयोग से हम SDG से तीन साल पहले यानी 2027 तक कुष्ठ रोग मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। 
    • इस साल की विषयवस्तु ‘आइए हम कुष्ठ रोग से लड़ें और कुष्ठ रोग को एक इतिहास बनाएं’ है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के लिए महात्मा गांधी की चिंता का उल्लेख किया।
  • राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इस देश से कुष्ठ रोग को समाप्त करने का हमारा प्रयास उनकी सोच के लिए एक महान श्रद्धांजलि है। 
    • हम 2005 में राष्ट्रीय स्तर पर हर एक 10,000 जनसंख्या पर प्रसार दर 1 मामला प्राप्त करने में सफल रहे हैं। 
    • कुष्ठ रोग को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयास करना समय की मांग है। 
    • यह एक उपचार योग्य रोग है, हालांकि अगर इसका पता नहीं लगाया गया और शुरुआती चरण में इलाज नहीं किया गया, तो यह पीड़ित व्यक्ति में स्थायी अक्षमता और विकृति उत्पन्न कर सकता है, जिससे समुदाय में ऐसे व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ भेदभाव हो सकता है।
  • सरकार ने रोग के विकास की रोकथाम के लिए व्यापक उपायों को अपनाया है। 
    • साल 2016 से कुष्ठ रोग खोज अभियान (LCDC) के तहत सक्रिय रोगियों का पता लगाने के लिए नए सिरे से प्रयास किए गए।
  • देश का कुष्ठ कार्यक्रम यथाशीघ्र रोगियों का पता लगाने व उनका उपचार करने, दिव्यांगता व विकृति के विकास को रोकने के लिए नि:शुल्क उपचार, मौजूदा विकृति वाले लोगों का चिकित्सा पुनर्वास का प्रयास करता है। 
    • रोगियों को उनकी रिकन्सट्रक्टिव सर्जरी के लिए कल्याण भत्ता 8,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये कर दिया गया है।
  • कुष्ठ रोग की प्रसार दर 2014-15 में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 0.69 से घटकर 2021-22 में 0.45 हो गई है। 
    • इसके अलावा प्रति 100,000 जनसंख्या पर वार्षिक नए मामलों की संख्या 2014-15 में 9.73 से घटकर 2021-22 में 5.52 हो गई है। 
    • उन्होंने कहा, “यह कार्यक्रम जागरूकता के प्रसार और रोग से जुड़े कलंक को कम करने की दिशा में भी काम करता है। 
    • कुष्ठ रोग संभावितों के लिए आशा-आधारित निगरानी (ABSULS) शुरू करके इसे मजबूत किया गया। 
    • इसके तहत जमीनी स्तर के कर्मी संदिग्धों की लगातार जांच और उनकी रिपोर्ट करते हैं। केंद्रित कुष्ठ अभियान (FLC) के तहत विशेष जोर उन क्षेत्रों पर दिया गया, जो दुर्गम थे या फिर जहां बच्चे व दिव्यांग इस रोग से पीड़ित थे। 
    • इसके अलावा उन्होंने कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक को लेकर जागरूकता सृजन की जरूरत पर भी जोर दिया।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2027 के कुष्ठ उन्मूलन लक्ष्य पर जोर दिया है। वर्ष 2027 का अंतिम लक्ष्य अब तक प्राप्त किए गए लक्ष्य से कठिन होने जा रहा है। 
    • अनुभवों, सरकार और समाज के दृष्टिकोण, नई रणनीतियों और निकुष्ठ 2.0 पोर्टल के साथ इसे प्राप्त कर सकते हैं।
  • निकुष्ठ 2.0 पोर्टल के लॉन्च के साथ-साथ कुष्ठ रोग के लिए राष्ट्रीय सामरिक योजना व रोडमैप (2023-27) और कुष्ठ रोग में सूक्ष्मजीव-रोधी प्रतिरोध (AMR) निगरानी के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश भी जारी किए गए। 
    • यह रणनीति और रोडमैप कुष्ठ रोग के खिलाफ अभियान को आगे बढ़ाने, इसके प्रसार को रोकने, रोगियों का पता लगाने के प्रयासों में तेजी लाने और एक मजबूत निगरानी बुनियादी ढांचे को बनाए रखने में सहायता करेगा। 
    • जिस तरह भारत कुष्ठ उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इस प्रणाली को मजबूत करने के लिए मजबूत AMR निगरानी तंत्र की जरूरत है। 
    • ये दिशानिर्देश कुष्ठ रोगियों में AMR निगरानी के लिए एक मजबूत प्रणाली को विकसित करने और उसे बनाए रखने को लेकर तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करेंगे। 
    • राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) के तहत निकुष्ठ 2.0 कुष्ठ रोग प्रबंधन के लिए एक एकीकृत पोर्टल है। 
    • यह केंद्र, राज्य और जिला स्तरों पर संकेतकों और एक रियल टाइम डैशबोर्ड के रूप में आंकड़ों की कुशल डेटा रिकॉर्डिंग, विश्लेषण और रिपोर्टिंग में सहायता करेगा।

 

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