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31 मई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. ”सहकारिता के क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना“ के लिए एक आईएमसी के गठन और सशक्‍तिकरण को मंज़ूरी:
  2. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वभौमिक पोस्टल यूनियन के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना को मंजूरी दी:
  3. कैबिनेट ने सिटी इन्वेस्टमेंट्स को मंजूरी दी: 
  4. इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर सर्विसेज आउटसोर्सिंग (ईआरएसओ) पर प्रायोगिक परियोजना शुरू की: 
  5. 2022-23 जीडीपी वृद्धि के आंकड़े:
  6. विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस दिवस:
  7. “प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC)”:
  8. सेमीकंडक्टर मिशन:
  9. सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना (2000 मेगावाट):
  10. राष्ट्रीय विद्युत योजना:

1. ”सहकारिता के क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना“ के लिए एक आईएमसी के गठन और सशक्‍तिकरण को मंज़ूरी:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि: 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता। 

प्रारंभिक परीक्षा: कृषि क्रेडिट समितियां (PACS)।  

मुख्य परीक्षा: सहकारिता के क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना का महत्व ।    

प्रसंग: 

  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय, उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय तथा खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय की विभिन्‍न योजनाओं के मेल से ”सहकारिता के क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना“ के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय समिति (आईएमसी) के गठन और सशक्‍तिकरण को मंज़ूरी प्रदान की।

उद्देश्य:

  • योजना का प्रोफेशनल तरीके से समयबद्ध और एकरूपता के साथ कार्यान्‍वयन सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय देश के विभिन्‍न राज्‍यों/संघराज्‍य क्षेत्रों में कम से कम 10 चुने हुए जिलों में एक पायलट परियोजना चलाएगा। 
    • यह पायलट प्रोजेक्ट, इस योजना की विभिन्‍न क्षेत्रीय आवश्‍यकताओं के संबंध में महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा जिसे इस योजना के देशव्‍यापी कार्यान्‍वयन में शामिल किया जाएगा।    

विवरण:  

  • मंज़ूर व्‍यय और निर्धारित लक्ष्‍यों के भीतर चुने गए ‘वायबल’ प्राथमि‍क कृषि क्रेडिट समितियों (PACS) में कृषि और संबंधित उद्देश्यों के लिए गोदाम आदि के निर्माण के माध्यम से ‘सहकारिता क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना‘ के लिए संबंधित मंत्रालयों की योजनाओं के दिशानिर्देशों/कार्यान्‍वयन पद्धतियों में आवश्‍यकता के अनुसार संशोधन करने के लिए सहकारिता मंत्री की अध्‍यक्षता में अंतर-मंत्रालयीय समिति (आईएमसी) का गठन किया जाएगा:
    • जिसमें कृषि और किसान कल्‍याण मंत्री, उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के सचिव, सदस्‍य के रूप में शामिल होंगे।
  • इस योजना को संबंधित मंत्रालयों की चिह्नित योजनाओं के तहत उपलब्‍ध कराए गए परिव्‍यय का उपयोग कर कार्यान्वित किया जाएगा।  

इस योजना के तहत कन्वर्जेंस के लिए निम्‍नलिखित योजनाएं चिह्नित की गई हैं:

  • (क) कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय:
    • कृषि अवसंरचना कोष (AIF),
    • कृषि विपणन अवसंरचना योजना (AMI),
    • एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH),
    • कृषि यांत्रिकीकरण पर उपमिशन (SMAM)
  • (ख) खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय:
    • प्रधानमंत्री सूक्ष्‍म खाद्य उद्यम उन्‍नयन योजना (PMFME),
    • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY)
  • (ग) उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय:
    • राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत खाद्यान्‍नों का आवंटन,
    • न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद

योजना के अनुमानित लाभ:

  • मौजूदा योजना बहुआयामी है- यह न केवल पैक्‍स के स्‍तर पर गोदामों के निर्माण द्वारा देश में भंडारण के इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमियों को दूर करेगी बल्कि पैक्‍स को कई अन्‍य गतिविधियां करने के लिए भी सक्षम बनाएगी, जैसे:
    • राज्‍य एजेंसियों/भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए प्रोक्योरमेंट सेंटर्स के रूप में कार्य करना;
    • उचित दर दुकानों (FPS) के रूप में सेवा प्रदान करना;
    • कस्‍टम हायरिंग सेंटर्स स्‍थापित करना;
    • कॉमन प्रसंस्‍करण इकाइयां स्‍थापित करना जिसमें कृषि उपजों की जांच, छंटाई, ग्रेडिंग इकाई, आदि शामिल हैं।
    • इसके अलावा, स्‍थानीय स्‍तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता बनने से खाद्यान्‍न की बर्बादी कम होगी और देश में खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
  • किसानों को विभिन्‍न विकल्‍प प्रदान करके फसलों की बहुत कम मूल्य पर आकस्मिक बिक्री रुकेगी और किसानों को अपनी उपज का बेहतर मूल्‍य प्राप्‍त हो सकेगा।
  • इससे खरीद केन्द्रों तक और फिर वेयरहाउस से उचित दर दुकानों तक खाद्यान्‍नों के परिवहन में होने वाले व्‍यय में भारी कमी आएगी।
  • ‘पूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण से यह योजना पैक्‍स को उनकी व्‍यावसायिक गतिविधियों को विविधतापूर्ण बनाकर उन्‍हें सशक्‍त करेगी जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

समय-सीमा और कार्यान्‍वयन पद्धति:

  • मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के एक सप्‍ताह के भीतर राष्‍ट्रीय स्‍तर की समन्‍वय समिति का गठन किया जाएगा।
  • मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के 15 दिनों के भीतर कार्यान्‍वयन दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे।
  • मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के 45 दिनों के भीतर पैक्‍स को भारत सरकार और राज्‍य सरकारों के साथ लिंक करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया जाएगा ।
  • मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के 45 दिनों के भीतर प्रस्‍ताव का कार्यान्‍वयन शुरू हो जाएगा।

पृष्ठ्भूमि:

  • भारत में सहकारी समितियों की ताकत को उन्‍हें सफल और जीवंत संस्‍थान बनाने में उपयोग करने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया जा रहा है, जिससे ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्‍पना को साकार किया जा सके। 
    • इस परिकल्‍पना को साकार करने के लिए सहकारिता मंत्रालय ‘विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना’ लाया है। 
    • इस योजना में पैक्‍स के स्‍तर पर भंडारण गृह, कस्‍टम हायरिंग सेंटर्स, प्रसंस्‍करण इकाई आदि कई तरह की कृषि अवसंरचनाएं स्‍थापित करना शामिल है जिससे पैक्स को बहुउद्देशीय बनाया जा सके। 
    • पैक्‍स के स्‍तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और उसके आधुनिकीकरण से पर्याप्‍त भंडारण क्षमता निर्माण से खाद्यान्‍नों की बरबादी में कमी आएगी, देश की खाद्य सुरक्षा सशक्‍त होगी और किसानों को अपनी फसलों का बेहतर मूल्‍य प्राप्‍त होगा।
  • देश में लगभग 1,00,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियां (पैक्‍स) हैं जिनके सदस्य देश के 13 करोड़ से भी अधिक किसान हैं। 
    • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के कृषि और ग्रामीण परिदृश्‍य को जमीनी स्‍तर पर बदलने और उनकी ज़मीनी स्तर तक गहरी पहुंच का लाभ लेने के लिए पैक्‍स के स्‍तर पर विकेन्‍द्रीकृत भंडारण क्षमता के साथ-साथ अन्‍य कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए यह पहल की गई है जिससे न केवल देश की खाद्य सुरक्षा सुदृढ़ होगी बल्कि पैक्‍स भी एक वायब्रेंट आर्थिक संस्था के रूप में काम कर सकेंगे।

2. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वभौमिक पोस्टल यूनियन के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश।  

प्रारंभिक परीक्षा: सार्वभौमिक पोस्टल यूनियन।     

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वभौमिक पोस्टल यूनियन के साथ एक समझौता किया है। 

उद्देश्य:

  • इससे भारत के राजनयिक संबंधों का विस्तार होगा और अन्य देशों विशेष रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संबंध सुदृढ़ बनाने में मदद मिलेगी। इससे वैश्विक डाक मंचों पर भारत की उपस्थिति बढ़ेगी।  

विवरण:  

  • इसके अंतर्गत क्षेत्र में विकास सहयोग और तकनीकी सहायता गतिविधियों के लिए नई दिल्ली में सार्वभौमिक पोस्टल यूनियन का एक क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित करने को मंजूरी दी गई है।
  • इस अनुमोदन से भारत, विकासशील देशों (दक्षिण-दक्षिण) और त्रिकोणीय सहयोग को बढावा देने के लिए डाक क्षेत्र के विभिन्न संगठनों में सक्रिय भूमिका निभा सकेगा। 
    • भारत सार्वभौमिक पोस्टल यूनियन के क्षेत्रीय कार्यालय के लिए एक फील्ड प्रोजेक्ट विशेषज्ञ, कर्मचारी और कार्यालय स्थापित करेगा। 
    • सार्वभौमिक पोस्टल यूनियन के साथ समन्वय करके यह कार्यालय क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, डाक सेवाओं की दक्षता और गुणवत्ता में सुधार, डाक प्रौद्योगिकी में वृद्धि, ई-कॉमर्स और व्यापार संवर्धन पर परियोजनाएं तैयार करेगा तथा लागू करेगा।

3.कैबिनेट ने सिटी इन्वेस्टमेंट्स को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय:सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा:सिटीज 2.0 कार्यक्रम।   

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सिटी इनवेस्टमेंट को नवोन्मेष, एकीकरण और 2.0 (सिटीज 2.0) को बनाए रखने के लिए मंजूरी दे दी है।

उद्देश्य:

  • इस कार्यक्रम में शहर स्तर पर एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन; राज्य स्तर पर जलवायु उन्मुख सुधार कार्यों और राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत मजबूती और ज्ञान प्रसार पर विशेष ध्यान देते हुए चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक रूप से चयनित परियोजनाओं का समर्थन करने की परिकल्पना की गई है।  

विवरण:  

    • सिटीज 2.0 कार्यक्रम की परिकल्पना; आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) द्वारा फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी (एएफडी), क्रेडिटनस्टाल्ट फर विडेराफबाउ (केएफडब्लू), यूरोपीय संघ (ईयू) और राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (एनआईयूए) के साथ साझेदारी में की गयी है। 
    • यह कार्यक्रम चार साल की अवधि, यानि 2023 से 2027 तक जारी रहेगा। 
    • सिटीज 2.0 का उद्देश्य सिटीज 1.0 के अनुभव और सफलताओं का लाभ उठाना और उनका विस्तार करना है। 
      • 933 करोड़ रुपये (ईयूआर 106 मिलियन) के कुल परिव्यय के साथ सिटीज 1.0 को एमओएचयूए, एएफडी, ईयू और एनआईयूए द्वारा संयुक्त रूप से 2018 में लॉन्च किया गया था।  
  • सिटीज 1.0 में तीन घटक शामिल थे:
    • घटक 1: प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से 12 शहर-स्तरीय परियोजनाओं को चुना गया।
    • घटक 2: ओडिशा राज्य में क्षमता-विकास गतिविधियां।
    • घटक 3: एनआईयूए, जो सिटीज 1.0 के लिए कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (पीएमयू) थी, की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत शहरी प्रबंधन को बढ़ावा देना।
  • कार्यक्रम के तहत घरेलू विशेषज्ञों, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और संबंधित उप-क्षेत्रों के विशेषज्ञों के माध्यम से तीनों स्तरों पर तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई गई। 
    • इसके परिणामस्वरूप प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद के सिद्धांतों पर आधारित एक विशिष्ट चुनौती-संचालित वित्तपोषण मॉडल के माध्यम से अभिनव, एकीकृत और सतत शहरी विकास के तौर-तरीकों को मुख्यधारा में लाया गया है।

सिटीज 1.0 मॉडल के समान, सिटीज 2.0 के भी तीन प्रमुख घटक हैं:

  • घटक 1: एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान देने के साथ चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली प्रतिस्पर्धी रूप से चयनित परियोजनाओं के माध्यम से 18 स्मार्ट शहरों में जलवायु सहनीयता निर्माण, अनुकूलन और शमन पर केंद्रित परियोजनाओं के विकास के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता।
  • घटक 2: सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश मांग के आधार पर सहायता के पात्र होंगे। 
    • राज्यों को 
  1. अपने मौजूदा राज्य जलवायु केंद्रों/जलवायु प्रकोष्ठों/समकक्षों की स्थापना/मजबूत करने 
  2. राज्य और शहर स्तर पर जलवायु डेटा संकलन केन्द्रों का निर्माण करने
  3. योजना निर्माण के लिए जलवायु-डेटा संचालित सुविधा देने, जलवायु कार्य योजना विकसित करने और 
  4. नगरपालिका पदाधिकारियों के क्षमता-निर्माण के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
  •  इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, एनआईयूए में पीएमयू राज्य सरकारों को तकनीकी सहायता और रणनीतिक सहायता के प्रावधान का समन्वय करेगा।
  • घटक 3: सभी राज्यों और शहरों में विस्तार के समर्थन के लिए संस्थागत मजबूती, ज्ञान प्रसार, साझेदारी, निर्माण क्षमता, अनुसंधान और विकास के माध्यम से शहरी भारत में जलवायु शासन को आगे बढ़ाने के क्रम में तीनों स्तरों – केंद्र, राज्य और शहर स्तर – पर हस्तक्षेप।
  • सिटीज 2.0 कार्यक्रम; वर्तमान में जारी राष्ट्रीय कार्यक्रमों (सतत आवास पर राष्ट्रीय मिशन, अमृत 2.0, स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और स्मार्ट सिटी मिशन) के साथ-साथ भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) और पार्टियों का सम्मेलन (कॉप26) प्रतिबद्धताएं में सकारात्मक योगदान के माध्यम से भारत सरकार की जलवायु कार्रवाइयों का पूरक सिद्ध  होगा।

4. इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर सर्विसेज आउटसोर्सिंग (ईआरएसओ) पर प्रायोगिक परियोजना शुरू की गई:

सामान्य अध्ययन: 3

आर्थिक विकास: 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था, योजना एवं संसाधनों को जुटाने, तथा विकास, संवृद्धि और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर सर्विसेज आउटसोर्सिंग (ईआरएसओ) परियोजना, मिशन LiFE। 

प्रसंग: 

  • भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स पावरहाउस बनाने के लिए सरकार ने भारत को दुनिया की मरम्मत राजधानी बनाने के लिए कुछ परिवर्तनकारी नीति और प्रक्रिया परिवर्तनों को मान्यता प्रदान करने के लिए आज ईआरएसओ प्रयोगिक परियोजना की शुरुआत की।

उद्देश्य:

  • इस परियोजना की पहचान भारत के लिए एक बड़े परिवर्तनकारी के रूप में की गई है और अब तक अप्रयुक्त क्षेत्र में भारत को विश्व में अग्रणी बनाने के लिए सरकार द्वारा समर्थित किया गया है।   

विवरण:  

  • उद्योग के विकास के लिए सच्ची प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, विदेश व्यापार महानिदेशालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय परिवर्तनकारी नीति और प्रक्रिया परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए उद्योग के साथ जुटे जो भारत को वैश्विक स्तर पर आईसीटी उत्पादों के लिए सबसे आकर्षक मरम्मत का गंतव्य बना देगा। 
    • अगले 5 वर्षों में, भारत के ईआरएसओ उद्योग से भारत को 20 बिलियन डॉलर तक का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है और लाखों नौकरियां भी पैदा होंगी। 
  • ईआरएसओ के लिए आवश्यक नीति और प्रक्रिया परिवर्तन पिछले कुछ महीनों में सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा मरम्मत उद्योग के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद पेश किए गए हैं और एक सीमित प्रयोग के माध्यम से उनकी प्रभावकारिता और दक्षता के लिए मान्य किए जा रहे हैं। 
    • यह प्रयोग बेंगलुरू में आयोजित किया जा रहा है और तीन महीने की अवधि के लिए चलाया जाएगा। 
    • फ्लेक्स, लेनोवो, सीटीडीआई, आर-लॉजिक और एफोरसर्व नाम की पांच कंपनियों ने पायलट के लिए स्वेच्छा से काम किया है। 
    • प्रयोग के बाद एक विस्तृत मूल्यांकन किया जाएगा और आवश्यकतानुसार प्रक्रिया और नीति में संशोधन किए जाएंगे।
  • मिशन एलआईएफई का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री के स्पष्ट आह्वान के अनुरूप, ईआरएसओ पहल वैश्विक पर्यावरणीय स्थिरता के लिए एक बड़ा परिवर्तनकारी होगी और पर्यावरण और हमारे ग्रह के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराती है। 
    • यह विश्व के लिए आईसीटी उत्पादों की सस्ती और विश्वसनीय मरम्मत प्रदान करके विश्व स्तर पर उपकरणों के जीवन का विस्तार करने में सक्षम होगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.2022-23 जीडीपी वृद्धि के आंकड़े:

  • NSO द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से मार्च 2023 की तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर  6.1% हो गई हैं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था का सकल मूल्य वर्धित (GVA) वर्ष 2021-22 में 8.8% के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 7% बढ़ गया है।
  • आठ प्रमुख उद्योगों का संयुक्त सूचकांक अप्रैल 2022 के सूचकांक की तुलना में अप्रैल 2023 के दौरान 3.5 प्रतिशत (अनंतिम) बढ़ गया। 
    • उर्वरक, स्टील, सीमेंट और कोयला का उत्पादन अप्रैल 2023 में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में बढ़ा है। 
    • आईसीआई चुने हुए आठ प्रमुख उद्योगों अर्थात कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली में उत्पादन का संयुक्त और एकल निष्पादन को मापता है। 
    • आठ प्रमुख उद्योगों में औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) में शामिल मदों के भार का 40.27 प्रतिशत शामिल होता है। 
  • जनवरी 2022 के लिए आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर 9.7 प्रतिशत दर्ज की गई।
  • आईसीआई की संचयी वृद्धि दर पिछले वर्ष 2022-23 की इसी अवधि की तुलना में 7.7 प्रतिशत (अनंतिम) दर्ज की गई।

आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक का सारांश:

  • कोयला – कोयला उत्पादन (भारांक: 10.33 प्रतिशत) अप्रैल, 2023 में अप्रैल, 2022 की तुलना में 9.0 प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2022-23 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14.9 प्रतिशत बढ़ा।
  • कच्चा तेल – कच्चे तेल का उत्पादन (भारांक: 8.98 प्रतिशत) अप्रैल, 2023 में अप्रैल, 2022 की तुलना में 3.5 प्रतिशत घट गया। इसका संचयी सूचकांक 2022-23 में दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.7 प्रतिशत कम रहा।
  • प्राकृतिक गैस – प्राकृतिक गैस का उत्पादन (भारांक: 6.88 प्रतिशत) अप्रैल, 2023 में अप्रैल, 2022 की तुलना में 2.8 प्रतिशत कम रहा। वर्ष 2022-23 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
  • पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद – पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन (भारांक: 28.04 प्रतिशत) अप्रैल, 2022 की तुलना में अप्रैल, 2023 में 1.5 प्रतिशत घट गया। इसका संचयी सूचकांक 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.8 प्रतिशत बढ़ा गया।
  • उर्वरक – उर्वरक उत्पादन (भारांक: 2.63 प्रतिशत) अप्रैल, 2023 में अप्रैल 2022 की तुलना में 23.5 प्रतिशत बढ़ गया। इसका संचयी सूचकांक 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.3 प्रतिशत बढ़ गया।
  • इस्पात – इस्पात उत्पादन (भारांक: 17.92 प्रतिशत) अप्रैल, 2023 में अप्रैल, 2022 की तुलना में 12.1 प्रतिशत बढ़ गया। वर्ष 2022-23 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.9 प्रतिशत बढ़ा।
  • सीमेंट – सीमेंट उत्पादन (भारांक: 5.37 प्रतिशत) अप्रैल, 2023 में अप्रैल, 2022 की तुलना में 11.6 प्रतिशत बढ़ा। इसका संचयी सूचकांक वर्ष 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.7 प्रतिशत बढ़ा।
  • बिजली – बिजली उत्पादन (भारांक: 19.85 प्रतिशत) अप्रैल, 2023 में अप्रैल, 2022 की तुलना में 1.4 प्रतिशत कम हो गया। इसका संचयी सूचकांक वर्ष 2022-23 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.9 प्रतिशत बढ़ गया।
  • नोट 1 : अप्रैल, 2014 से, नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के आंकड़े भी शामिल हैं।
  • नोट 4 : मार्च 2019 में, तैयार स्टील के उत्पादन के भीतर ‘कोल्ड रोल्ड (सीआर) कॉइल्स’ आइटम के तहत हॉट रोल्ड पिकल्ड एंड ऑयल्ड (एचआरपीओ) नामक एक नया स्टील उत्पाद भी शामिल किया गया है।

2.विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस दिवस:

  • विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) दिवस पूरे विश्व के एमएस समुदाय को एक साथ लाता है और मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) से प्रभावित सभी लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाता है।
    • 2020-2023 के विश्व एमएस दिवस की थीम ‘कनेक्शन’ है। 
    • एमएस कनेक्शंस अभियान सामुदायिक से, स्वयं से और गुणवत्ता पूर्ण देखभाल से संबंध बनाने के बारे में है। 
    • कैंपेन की टैगलाइन ‘आई कनेक्ट, वी कनेक्ट’ है और कैंपेन का हैशटैग एमएस कनेक्शंस है।
    • एमएस कनेक्शन उन सामाजिक बाधाओं को चुनौती देता है जो एमएस से प्रभावित लोगों को अकेला और सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करवाते हैं।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के तहत विकलांग व्यक्तियों का अधिकारिता विभाग (डीइपीडबल्यूडी) देश के विकलांग व्यक्तियों से जुडे  विकास के सभी एजेंडों की देखभाल के लिए बना एक नोडल निकाय है। 
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस (MS) एक ऐसी बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली नसों के सुरक्षात्मक कवच को खा जाती है जिससे नस कीक्षति होती है जो मस्तिष्क और शरीर के बीच संचार को बाधित करती है।
  • सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (एसएसए) एमएस को एक पुरानी बीमारी या “हानि” के रूप में पहचानता है जो किसी व्यक्ति को काम करने से रोकने के लिए पर्याप्त अक्षमता का कारण बन सकता है।

3.“प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC)”:

  • देश में सूक्ष्म सिंचाई की पैठ बढ़ाने के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग (DA&FW), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 31 मई, 2023 को  “प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC)” पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
  • कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW) देश के सभी राज्यों में 2015-16 से प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC) की केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है, जो सूक्ष्म सिंचाई अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है।
    • 2015-16 से अब तक सूक्ष्म सिंचाई के तहत 78 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है, जो कि (PDMC) पूर्व के 8  वर्षों के दौरान कवर किए गए क्षेत्र से लगभग 81% अधिक है। 
    • सरकार कृषि में जल उत्पादकता बढ़ाने और इस प्रकार टिकाऊ कृषि और किसानों की आय पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 
    • वर्ष 2018-19 के दौरान नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक सूक्ष्म सिंचाई कोष (MIF) बनाया गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य प्रति बूंद अधिक फसल योजना के तहत उपलब्ध प्रावधानों के अलावा सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को टॉप अप/अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराने हेतु संसाधनों को जुटाने मे राज्यों को सुविधा प्रदान की जा सके और साथ ही सूक्ष्म सिंचाई के विस्तार हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) में परियोजनाओं सहित नवाचारी एकीकृत परियोजनाओं को शामिल किया जा सके। 
    • सूक्ष्म सिंचाई कोष के प्रारंभिक कोष को 5,000 करोड़ से अतिरिक्त बढ़ाकर दो गुना करने के लिए एक बजट घोषणा की गई है।
  • कार्यक्रम के दौरान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों की पांच ग्राम पंचायतों को उच्च सूक्ष्म सिंचाई अपनाने और जल प्रबंधन क्षेत्र में उत्तम प्रयासों हेतु सम्मानित किया गया।

4.सेमीकंडक्टर मिशन:

  • केंद्र सरकार ने संशोधित सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम के तहत एक जून, 2023 से भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स और डिस्प्ले फैब्स की स्थापना के लिए नये आवेदन आमंत्रित करने का फैसला किया है। 
  • आवेदन भारत सेमीकंडक्टर मिशन द्वारा लिये जाएंगे। 
    • उल्लेखनीय है कि मिशन भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इको-प्रणाली के विकास के लिए संशोधित सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को लागू करने की जिम्मेदार नामित एक नोडल एजेंसी है।
  • संशोधित कार्यक्रम के तहत भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स की स्थापना के लिए कंपनियों/संघों/संयुक्त उपक्रमों को परियोजना लागत का 50 प्रतिशत वित्तीय प्रोत्साहन के रूप में उपलब्ध है। 
    • यह किसी भी प्रारूप (परिपक्व प्रारूप सहित) के लिये उपलब्ध होगा। इसी प्रकार भारत में विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के डिस्प्ले फैब स्थापित करने के लिए परियोजना लागत का 50 प्रतिशत वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध है।
  • “भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब/डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर्स फैब और सेमीकंडक्टर एटीपीपी/ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिए संशोधित योजना” के लिए आवेदन दिसंबर 2024 तक जमा किए जा सकते हैं। 
  • डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना के लिए भी दिसंबर 2024 आवेदन किए जा सकते हैं। 
  • सरकार ने भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इको-प्रणाली के विकास के लिए दिसंबर 2021 में 76,000  करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया था। 
    • सेमीकंडक्टर फैब्स की स्थापना की योजना और डिस्प्ले फैब (पूर्व योजनायें) की स्थापना के लिए योजना के अंतर्गत आवेदन करने वाले सभी आवेदकों को अपने प्रस्तावों में उपयुक्त संशोधन शामिल करने के बाद सेमीकंडक्टर फैब्स और डिस्प्ले फैब्स की स्थापना के लिए संशोधित योजना के अंतर्गत आवेदन प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाती है।

5.सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना (2000 मेगावाट):

  • केंद्रीय विद्युत तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने नई दिल्ली में एक बैठक में एनएचपीसी लिमिटेड द्वारा अरुणाचल प्रदेश/असम में क्रियान्वित की जा रही सुबनसिरी लोअर जल विद्युत परियोजना (2000 मेगावाट) की समीक्षा की।
  • विद्युत मंत्री ने निर्माण प्रगति परियोजना से जुड़े सुरक्षा पहलुओं तथा आगामी मानसून को देखते हुए की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा की।  
    • परियोजना ने बांध कंक्रीटिंग में महत्वपूर्ण प्रगति प्राप्त की है। (14 ब्लॉकों ने 210 मीटर का शीर्ष स्तर हासिल किया और शेष दो ब्लॉक जून, 2023 तक पूरे कर लिए जाएंगे), पिछले 6 महीनों के दौरान 2.5 लाख क्यूबिक मीटर से अधिक कंक्रीट डालने के साथ बांध की ऊंचाई 37 मीटर बढ़ाई गई है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 
    • इसके अतिरिक्त पावर हाउस की रिवर फेसिंग दीवार को 116 मीटर की सुरक्षित ऊंचाई तक बढ़ाया गया है और सभी इकाइयों के लिए टेल रेस  चैनल को पूरा कर लिया गया है। 
    • वाटर कंडक्टर सिस्टम अब लगभग तैयार है।
  • लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (SLHEP) असम एवं अरुणाचल प्रदेश राज्यों की सीमा पर स्थित हैं।   
  • असम एवं अरुणाचल प्रदेश राज्यों की सीमा पर स्थित हैं। 
  • लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (SLHEP) के तहत इसमें 2000 मेगावाट (8×250 मेगावाट) की क्षमता के एक ग्रेविटी (गुरुत्त्व) बाँध ( निर्माणाधीन ) का निर्माण किया जा रहा है।
  • यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना है। 
  • सुबनसिरी नदी पर एक रन ऑफ रिवर योजना है। 
  • “रन-ऑफ-रिवर” वह बाँध वह होता है जिसमें बाँध के नीचे की ओर नदी का जल प्रवाह बाँध के ऊपरी भाग में नदी के जल प्रवाह के ही समान होता है।  
  • इसे इस प्रकार समझा जा सकता हैं की जल को बाँध में संग्रहीत नहीं किया जा सकता है; इसका जल नदी के साथ प्रवाहित होता है।
  • ज्ञातव्य हैं की लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना का निर्माण राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (National Hydroelectric Power Corporation- NHPC) लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।

6.राष्ट्रीय विद्युत योजना:

  • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने 2022-32 के लिए राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) को अधिसूचित कर दिया है।  
    • जारी योजना के दस्तावेज में बीते पांच साल (2017-22) की समीक्षा, अगले पांच साल (2022-27) के लिए विस्तृत योजना और उससे अगले पांच साल (2027-32) के लिए संभावित योजना शामिल है।
  • एनईपी दस्तावेज के मुताबिक, 20वें इलेक्ट्रिक पावर सर्वे (ईपीएस) डिमांड के तहत बिजली की अखिल भारतीय अधिकतम मांग और विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता 2026-27 के लिए क्रमशः 277.2 जीडब्ल्यू और 1907.8 बीयू एवं  2031-32 के लिए 366.4 जीडब्ल्यू और 2473.8 बीयू होने का अनुमान है। 
    • ऊर्जा की आवश्यकता और अधिकतम मांग में बिजली चालित वाहनों को अपनाने, सोलर रूफ टॉप्स की स्थापना, ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन, सौभाग्य योजना आदि के प्रभाव शामिल हैं।
  • 2022-27 के लिए राष्ट्रीय विद्युत योजना की तैयारी के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत कराए गए उत्पादन योजना के आधार पर, 2026-27 के लिए 6,09,591 मेगा वाट क्षमता स्थापित करने की संभावना है। 
    • 2,73,038 पारम्परिक क्षमता (कोयला- 2,35,133 मेगा वाट, गैस- 24,824 मेगा वाट, परमाणु- 13,080 मेगा वाट) और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित 3,36,553 मेगा वाट क्षमता (बड़ी पनबिजली- 52,446 मेगा वाट, सौर- 1,85,566 मेगा वाट, पवन- 72,895 मेगा वाट, छोटी पनबिजली- 5,200 मेगा वाट, बायोमास- 13,000 मेगा वाट, पम्प स्टोरेज प्लांट (पीएसपी)- 7,446 मेगा वाट) के साथ-साथ 8,680 मेगा वाट/ 34,720 मेगा वाट- ऑवर (एमडब्ल्यूएच) की बीईएसएस क्षमता (बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम) शामिल है।
  • कुल क्षमता वृद्धि का यह अनुमान वर्ष 2029-30 तक देश के लगभग 500 गीगा वाट की गैर-जीवाश्म आधारित स्थापित क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • एनईपी कल्पना करती है कि गैर जीवाश्म आधारित क्षमता की हिस्सेदारी 2026-27 के अंत तक 57.4 प्रतिशत होने का अनुमान है और इसके 2031-32 तक बढ़कर 68.4 प्रतिशत होने की संभावना है, जो अप्रैल, 2023 तक 42.5 प्रतिशत था।
  • औसत पीएलएफ 2026-27 में 235.1 गीगा वाट की कुल स्थापित कोयला क्षमता का लगभग 58.4 प्रतिशत और 2031-32 में 259.6 गीगा वाट की कुल स्थापित कोयला क्षमता का लगभग 58.7 प्रतिशत होने की संभावना है।
  • राष्ट्रीय विद्युत योजना के अनुमानों के तहत, वर्ष 2026-27 तक कुल 16.13 गीगा वाट/ 82.37 गीगा वाट-ऑवर (जीडब्ल्यूएच) ऊर्जा भंडारण क्षमता की जरूरत होगी, जिसमें पीएसपी आधारित 7.45 गीगा वाट भंडारण क्षमता और 47.65 जीडब्ल्यूएच स्टोरेज और बीईएसएस आधारित 8.68 गीगा वाट/ 34.72 जीडब्ल्यूएच भंडारण क्षमता शामिल है।
  • वर्ष 2031-32 तक भंडारण क्षमता की आवश्यकता  411.4 जीडब्ल्यूएच (पीएसपी से 175.18 जीडब्ल्यूएच और बीईएसएस से 236.22 गीगा वाट) के भंडारण के साथ 73.93 गीगा वाट (26.69 गीगा वाट पीएसपी और 47.24 गीगा वाट बीईएसएस) तक बढ़ने का अनुमान है।
  • घरेलू कोयले की आवश्यकता वर्ष 2026-27 के लिए 866.4 मिलियन टन और वर्ष 2031-32 के लिए 1025.8 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया है और आयातित कोयले पर चलने वाले संयंत्रों के लिए 28.9 मीट्रिक टन कोयले के आयात की अनुमानित आवश्यकता है।
  • 2022-2027 की अवधि के दौरान उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए कुल 14,54,188 करोड़ रुपये और 2027-2032 की अवधि के लिए 19,06,406 करोड़ रुपये की धनराशि की जरूरत होने का अनुमान है। 2027-32 के लिए धनराशि की आवश्यकता के अनुमान में उन परियोजनाओं के लिए अग्रिम तौर पर उठा जाने वाले कदम शामिल नहीं है जो 31.03.2032 के बाद स्थापित हो सकती हैं।
  • औसत उत्सर्जन वर्ष 2026-27 में 0.548 किग्रा सीओ2/ केडब्ल्यूएचएनईटी तक और 2031-32 के अंत तक 0.430 सीओ2/ केडब्ल्यूएचएनईटी तक कम होने की उम्मीद है।
  • विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 3(4) के अनुसार, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को राष्ट्रीय विद्युत नीति के तहत एक राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) तैयार करने और पांच वर्षों में एक बार ऐसी योजना को अधिसूचित करने के लिए अधिकृत किया गया है।

31 May PIB :- Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 30 May 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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