“DBT” अर्थात Direct benefit transfer का अर्थ होता है प्रत्यक्ष लाभ भुगतान । सरकार द्वारा अनेक योजनाओँ में लाभुकों को अब DBT के माध्यम से ही भुगतान किया जाता है । यह त्वरित भी है और इसमें बिचौलियों द्वारा भ्रष्टाचार की सम्भावना भी कम हो जाती है ।
प्रत्यक्ष लाभ भुगतान (डीबीटी) का इतिहास
यह कार्यक्रम 1 जनवरी 2013 को भारत के चुनिंदा शहरों में शुरू किया गया था । पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, जयराम रमेश और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी ने 6 जनवरी 2013 को पूर्वी गोदावरी जिले में इस योजना का उद्घाटन किया था । डीबीटी का पहला चरण 43 जिलों में शुरू किया गया था, जिसमें शुरुआत में छात्रवृत्ति और सामाजिक सुरक्षा पेंशन शामिल थी । दिसंबर 2014 से यह लगभग पूरे देश में लागू किया गया । बाद में 34 अन्य योजनाओं के साथ मनरेगा को भी डीबीटी के तहत लाया गया ।
‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य भारत सरकार द्वारा अनेक योजनाओँ के माध्यम से प्रायोजित धन के वितरण में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार को कम करना है । DBT में, लाभ या सब्सिडी सीधे लाभुकों के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है । इससे वित्तीय समावेशन भी बढ़ता है ।
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