भील भारत की सबसे बड़ी जनजाति है । 1818 का भील विद्रोह, देश में जनजातिय समूह द्वारा किए गए पहले विद्रोहों में से एक था । विद्रोह का कारण मुख्यतः ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों भीलों से क्रूर व्यवहार था, जिसने उन्हें उनके पारंपरिक वन अधिकारों से वंचित कर दिया और उनका शोषण किया । अंग्रेजों ने विद्रोह को दबाने के लिए सेना भेजी और वे इसमें कामयाब भी हुए । लेकिन यह विद्रोह व्यर्थ नहीं गया, क्योंकि अंग्रेजों ने विभिन्न करों में रियायतें दीं और शांति समझौते के तहत वन अधिकार वापस कर दिए ।
भील विद्रोह के निम्नलिखित कारण थे :
- भारत में ब्रिटिश शासन के आने से देश में होने वाले प्रशासनिक परिवर्तन इस विद्रोह का पहला कारण था । इन परिवर्तनों ने भील आदिवासियों को उनके वन अधिकारों से वंचित कर दिया ।
- वर्ष 1818 में, सभी भील आदिवासी राज्यों ने एक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए ब्रिटिश प्रशासन से हाथ मिलाया जिसके तहत उन्हें राज्य के बाहरी और आंतरिक दोनों मामलों में हस्तक्षेप और नीति निर्माण का अधिकार सौंप दिया गया था ।
- आसपास के गांवों और जनजातियों में घरेलू खपत और कुछ उत्पादों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया दिया गया । पेड़ों के काटने पर भी रोक लगा दी गई ।
- जनजाति के मूल निवासियों को अपने घरों में शराब बनाने की अनुमति अब नहीं थी । राज्य ने शराब बनाने का ठेका व्यापारियों को दिया और उससे आय अर्जित की
- साहूकारों ने भीलों का आर्थिक शोषण किया । सूदखोरों से उच्च ब्याज दर पर लिए गए ऋण को वापस करने में असमर्थता के जवाब में, वे उनकी भूमि को जब्त करने लगे ।
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