आज़ादी का अमृत महोत्सव देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा की गई एक पहल है | जैसा कि आप जानते हैं 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इस 75वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पहले अर्थात 12 मार्च 2021 से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है । यह कार्यक्रम 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेंगे। 12 मार्च की तिथि गाँधी जी की नमक कानून के विरोध में की गई दांडी यात्रा को ध्यान में रख कर भी तय की गई है | इस महोत्सव के दौरान देश के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान ,उनके बलिदान , व देश के गौरवपूर्ण इतिहास एवं संकृति के विषय में देशवासियों को जागरूक किया जाएगा |
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आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के दौरान विभिन्न गतिविधियाँ :
- महोत्सव के दौरान देश भर में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिनमें संगीत, नृत्य, प्रवचन, नाटक इत्यादी शामिल हैं।
- महोत्सव का शुभारम्भ करते हुए प्रधानमंत्री ने देश की एकता व अखंडता को बनाए रखने के 5 स्तम्भ बताए:- 1. स्वाधीनता संग्राम का गौरव 2. देश की प्रगति हेतु विचार 3. 75 वर्षों की हमारी उपलब्धियां 4. हमारे प्रयास और 5. हमारे भविष्य हेतु प्रण |
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आधिकारिक वेबसाइट https://amritmahotsav.nic.in/ का भी विमोचन किया गया |
- दांडी मार्च की ही तरह इस कार्यक्रम की शुरुआत भी ‘स्वाधीनता यात्रा’ से की जाएगी। यह यात्रा साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) से शुरू होकर दांडी तक की जाएगी। दांडी यात्रा में महात्मा गांधी, कमला देवी चट्टोपाध्याय इत्यादि सहित लगभग 80 स्वतंत्रता सेनानियों ने भाग लिया था,अतः इस स्वाधीनता यात्रा में भी 80 पदयात्रियों को शामिल किया गया है जो 25 दिन में कुल 388 की.मी. की यह यात्रा पूरी करेंगे | दांडी यात्रा की ही तरह यह यात्रा भी 6 अप्रैल को पूरी होगी।
- ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के तहत स्थानीय उद्द्य्म को भी बढ़ावा देने के उद्देश्य से चरखा कार्यक्रम की शुरुआत की गई है |
दांडी यात्रा
1882 के नामक कानून के तहत नमक निर्माण पर ब्रिटश सरकार के एकाधिकार के विरोध में महात्मा गाँधी ने 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक अहमदाबाद स्थित अपने साबरमती आश्रम से लेकर नवसारी जिले में स्थित दांडी नामक एक तटीय गाँव तक ये एतिहासिक यात्रा की थी | इस यात्रा से ही सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ माना जाता है जो की गाँधी जी के नेत्रित्व में किये गए 3 व्यापक ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों में से एक था ( अन्य 2 आन्दोलन ‘असहयोग आन्दोलन’ 1920-22 तथा 1942 का ‘भारत छोडो’ आन्दोलन था |
नोट : सुभाष चन्द्र बोस ने इस यात्रा की तुलना नपोलियन की एतिहासिक पेरिस यात्रा (1815) से की थी |
अन्य महत्वपूर्ण लिंक :
दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता | साहित्य अकादमी पुरस्कार सूचि |
निपुण भारत मिशन | UPSC 2022 पाठ्यक्रम |
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