Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

कैगा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kaiga Nuclear Power Station) कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ा जिले में स्थित एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। काली नदी के किनारे स्थित इस संयंत्र का संचालन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (N.P.C.I.L) के द्वारा किया जाता है। हालाँकि यह संयंत्र कर्नाटक में स्थित है, तथापि इससे अन्य पड़ोसी राज्य भी लाभान्वित होते हैं । कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी को अपने परमाणु रिएक्टरों द्वारा उत्पन्न 67% बिजली की आपूर्ति करता है। शेष 33% गृह राज्य कर्नाटक के लिए आरक्षित है। इस लेख में आप कैगा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के साथ -साथ देश के अन्य परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज  IAS हिंदी 

नोट : यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे  UPSC Prelims Syllabus in Hindi का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें, और इसके बाद ही  अपनी तैयारी की योजना बनाएं ।

सिविल सेवा परीक्षा 2023 के बारे में अधिक जानने के लिए BYJU’S से जुड़ें ।

कैगा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की क्षमता एवं उपलब्धियां

कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन भारत में निर्मित पहला बड़े पैमाने का परमाणु संयंत्र है । यह कर्नाटक में कारवार के पास कैगा ( कावेरी नदी बेसिन में स्थित एक दो- यूनिट प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर- PHWR) पावर स्टेशन है । इसका निर्माण भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा किया गया था ।

स्वदेशी रूप से डिज़ाइन किए गए कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KAPS) के प्रथम एवं दुसरे यूनिट ने नवंबर 2000 में परिचालन शुरू किया । कैगा -1 परमाणु ऊर्जा इकाई ने 2016 में अपना निरंतर संचालन शुरू किया । कर्नाटक के अलावा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी इस संयंत्र के लाभार्थी राज्य हैं । अभी हाल ही में इस संयंत्र ने 941 दिनों के लिये सबसे लंबे समय तक निर्बाध संचालन कर एक विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया है । कैगा जेनरेटिंग स्टेशन (KGS-1) ने ब्रिटेन के रिकॉर्ड को तोड़कर यह इतिहास रचा है । उल्लेखनीय है कि कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन में वर्तमान में चार कार्यरत परमाणु ऊर्जा इकाइयाँ हैं । यूनिट 5 और 6 प्रस्तावित थे लेकिन विरोध कर कारण इसे निरस्त करना पड़ा । 2018 में यूनिट-1 लगातार 941 दिनों तक चली, जो कि एक विश्व रिकॉर्ड है । के.ए.पी.एस यूनिट 1 ने 940 दिनों के एक ब्रिटिश रिएक्टर के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ा है ।

भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन के लिए परमाणु ऊर्जा उपकरणों का एकमात्र आपूर्तिकर्ता है । स्वदेशी तौर पर विकसित 220 मेगावाट यूनिट 1, जिसने निर्बाध संचालन के लिए विश्व रिकॉर्ड बनाया, बीएचईएल उपकरण के साथ ही बनाया गया था । 220 मेगावाट स्टीम टर्बाइन जनरेटर सेट सहित सभी संयंत्र उपकरण, साथ ही यूनिट 1 के लिए चार भाप जनरेटर, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित किए गए थे ।

कैगा परमाणु ऊर्जा केंद्र के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

अब तक, कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन ने लगभग 55 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया है, और यह कर्नाटक की कुल बिजली आवश्यकता का लगभग 27% कवर करता है । इसके अलावा, कैगा भारत में उत्पादित कुल बिजली का लगभग 3.11% भी प्रदान कर रहा है । कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन ने बेहतर सुरक्षा सुविधाओं के साथ 2018 से अपने निरंतर संचालन के बाद से 2.6 करोड़ यूनिट बिजली पैदा करके विश्व रिकॉर्ड बनाया है । 2026 तक अधिक बिजली पैदा करने के लिए संयंत्र का विस्तार होने की उम्मीद है । परमाणु ऊर्जा संयंत्र की संरचना में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक प्रणालियां शामिल हैं, जो इसे घनीभूत, फ़ीड और भाप लाइनों जैसे गर्मी हस्तांतरण लूप की पूरी श्रृंखला का समर्थन करने में सक्षम बनाती हैं । संयंत्र में एक आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र (ई.आर.सी) भी है जहां प्रशिक्षित पेशेवर दिन -रात  सभी गतिविधियों की निगरानी करते हैं ।

कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन भारतीय परमाणु कार्यक्रम के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है । यह देश के चार प्रमुख संयंत्रों में से एक है । अन्य तीन उत्तर प्रदेश में नरोरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन, राजस्थान में रावतभाटा परमाणु ऊर्जा स्टेशन और महाराष्ट्र में तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन की दो इकाइयाँ हैं । यह हाल के वर्षों में अपने सुरक्षा उपायों को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, जिसमें यह बताने पर जोर दिया गया है कि समाज को किसी अप्रत्याशित आपदा से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं,ताकि ऐसे संयंत्र पर लोगों का भरोसा कायम हो सके । रेडियोधर्मी रिसाव और आग आदि सहित किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए नियमित अंतराल पर मॉक ड्रिल और अभ्यास किए जाते हैं । कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन पर सुरक्षा उपायों में एक आपातकालीन कोर कूलिंग सिस्टम और एक कोर कैचर शामिल है । आपातकालीन कोर कूलिंग सिस्टम (ईसीसीएस) को बिजली की विफलता के मामले में परमाणु रिएक्टर को ठंडा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिससे अति ताप हो सकता है । कोर कैचर एक ऐसा उपकरण है, जो किसी दुर्घटना की स्थिति में, किसी भी ईंधन और अन्य सामग्री को पकड़ लेगा जो पिघल कर रोकथाम भवन में गिर जाएगी । अगर यह आपातकालीन कोर कूलिंग सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है तो रिएक्टर को ठंडा करने के लिए बैकअप सिस्टम भी है । यह बैकअप सिस्टम बोरेटेड पानी का उपयोग करता है, जिसे प्लांट के चारों ओर टैंकों में जमा किया जाता है और आवश्यकतानुसार रिएक्टर में पंप किया जा सकता है ।

संयंत्र का विरोध

कैगा परमाणु ऊर्जा केंद्र को शुरू से ही पर्यावरणविदों के विरोध का सामना करना पड़ा है । इस केंद्र ने वर्ष 2000 में संचालन शुरू किया । तब से, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) द्वारा KAPS के प्रस्तावित विस्तार को लेकर विरोध किया जा रहा है ।

2011 के नवंबर में, KAPS के आसपास के कई गाँवों के निवासियों ने परमाणु संयंत्र से अपनी जान को खतरा होने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया । कारवार के वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् पर्यावरण को होने वाले नुकसान और खतरे का हवाला देते हुए KAPS के विस्तार के कदमों का विरोध कर रहे हैं । उन्होंने नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) से विस्तार रोकने को कहा है ।

क्या कैगा परमाणु ऊर्जा केंद्र पश्चिमी घाट के लिए एक खतरा है?

पर्यावरणविदों के अनुसार, पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित कैगा परमाणु ऊर्जा स्टेशन, पश्चिमी घाट के हरे-भरे वर्षावनों के बीच में है, जो सभी दक्षिण भारतीय राज्यों के लिए जल का सबसे बड़ा स्रोत है । वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने से क्षेत्र की पारिस्थितिकी को नुकसान होगा । 2018 में केरल- कर्नाटक के क्षेत्र में भीषण बाढ़ आई थी । इसके बाढ़ ने केरल को भारी नुकसान पहुंचाया । पश्चिमी घाटों में भी ऐसी बाढ़ की पुनः एक संभावना हो सकती है, जिससे कैगा परमाणु ऊर्जा केंद्र के क्षतिग्रस्त होने की भी संभावना होगी ,जिसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं । जापान के फुकुशीमा परमाणु ऊर्जा केंद्र के 2011 में आई सुनामी के कारण क्षतिग्रस्त होने का उदाहारण हमारे सामने है ।

परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • थर्मल, हाइड्रोइलेक्ट्रिक और बिजली के नवीकरणीय स्रोतों के बाद परमाणु ऊर्जा भारत में बिजली का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत है ।
  • वर्तमान में, भारत के 7 राज्यों में 22 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर संचालित हैं, जिनकी स्थापित क्षमता 6780 मेगावाट इलेक्ट्रिक (M.We)  है ।
  • 18 रिएक्टर दाबित भारी जल रिएक्टर (P.H.W.Rs) हैं और 4 हल्के जल रिएक्टर (L.W.Rs) हैं ।
  • न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (N.P.C.I.L) – मुंबई में स्थित भारत का एक सरकारी स्वामित्व वाला निगम है जो परमाणु ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए जिम्मेदार है । इसे भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रशासित किया जाता है ।
  • 1969 में महाराष्ट्र के तारापुर में स्थापित तारापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (टी.ए.पी.एस) देश का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र है । इसकी स्थापना संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के सहयोग से की गई थी ।
  • राजस्‍थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र, रावत भाटा  (आर.ए.पी.एस) एक अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित परमाणु ऊर्जा संयंत्र है जिसकी स्थापना कनाडा सरकार के सहयोग से की गई थी ।
  • कुडनकुलम नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र (KKNPS) तटीय तमिलनाडु में स्थित एक नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र है जिसकी स्थापना 2002 में हुई थी । यह एक ऐसा नागरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, जिसे भारत ने रूस के साथ संयुक्त सहयोग से बनाया है ।

नोट : UPSC 2023 परीक्षा की तिथि करीब आ रही है, आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुड़ें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं ।

अन्य महत्वपूर्ण लिंक :

Botany Books for UPSC  in Hindi Agroforestry in Hindi
UPSC Syllabus in Hindi UPSC Full Form in Hindi
UPSC Books in Hindi UPSC Prelims Syllabus in Hindi
UPSC Mains Syllabus in Hindi NCERT Books for UPSC in Hindi

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*