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mWRAPR - स्वदेशी जैव-नमूना संग्रह किट

mWRAPR एक स्वदेशी जैव नमूना संग्रह किट है। यह कीट, जीन अनुक्रमण प्रयोगशालाओं, बायोबैंक, और आणविक अध्ययन के लिए जैविक नमूनों का प्रबंधन करने वाला अनुसंधान सुविधाओं के लिए एक जैविक परिवहन और भंडारण माध्यम है। इसको अजूका लैब्स द्वारा लॉन्च किया गया है। अजूका लैब्स को भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड डेवलपमेंट (SID) द्वारा इनक्यूबेट किया गया था।

mWRAPR स्वदेशी जैव नमूना संग्रह किट हाल ही में खबरों में रहा था, इसलिए इसके UPSC Current Affairs in Hindi या विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सेक्शन में पूछे जाने की प्रबल संभावना है।

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mWRAPR क्या है?

mWRAPR भारत का पहला स्वदेशी जैव-नमूना किट है। यह एक जैविक परिवहन और भंडारण माध्यम है। इस किट के द्वारा विभिन्न जैविक नमूनों जैसे माइक्रोबायोम, लार, ऊतक, कोशिकाओं, रक्त, शारीरिक द्रव और मल में आनुवंशिक सामग्री को संरक्षित करने में मदद मिलती है। यह भारत में बना पहला और एकमात्र आणविक परिवहन माध्यम है जो प्रसिद्ध वैश्विक ब्रांडों के नमूना स्थिरीकरण और परिवहन मीडिया के साथ प्रतिस्पर्धा करता है।

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mWRAPR का महत्व

  • दुनियाभर में आपूर्ति श्रृंखला की कमी के कारण आणविक निदान के लिए रिसर्च करने के लिए जरूरी सामग्री तक पहुंच सीमित है। ऐसे में भारत द्वारा स्वदेशी किट mWRAPR को विकसित करना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे mWRAPR निर्माता के रूप में भारत की भूमिका तेजी से महत्वपूर्ण होती जा रही है।
  • जैविक नमूनों के लिए अधिकांश उच्च गुणवत्ता वाले भंडारण और परिवहन माध्यम अब तक भारत के बाहर बनाए जा रहे थे। इसलिए भारत द्वारा mWRAPR स्वदेशी कीट विकसित करने से देश को आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ वैश्विक बाजार में पकड़ बनाने में भी मदद मिलेगी।
  • भारत को संक्रमण के समय आणविक परीक्षण पीसीआर (पोलीमरेज चेन रिएक्शन) / आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज चेन रिएक्शन) परीक्षणों की आवश्यकता थी, हालांकि, उस समय इस्तेमाल किए जा रहे नमूना संग्रह किट आणविक ग्रेड के नहीं थे, क्योंकि वे कम लागत वाले किट थे। भारत को अभी जिस प्रकार के आणविक श्रेणीबद्ध नमूना संग्रह मीडिया की आवश्यकता है, वह है RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) WRAPR है।
  • स्वदेशी रूप से विकसित mWRAPR किट, आयातित किट की तुलना में काफी सस्ती है, जिससे भारत को COVID-19 वायरस के परीक्षण और अनुसंधान को बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह किट भारत को कोरोना महामारी से निपटने में भी मदद करेगा। इसकी किमत कम होने से देश के खजाने पर भी दबाव कम पड़ेगा।
  • भारत में विकसित की गई किट कम उत्पादन लागत के कारण विदेशी ब्रांडों की तुलना में काफी सस्ती है। किमत कम होने की वजह से, भारत इस प्रोडक्ट के लिए वैश्विक बाजार में आसानी से पकड़ बना सकेगा। वहीं, स्वदेशी mWRAPR किट को निर्यात करने से देश के आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी।

नोट: आप UPSC Mains in Hindi परीक्षा के बारे में लिंक किए गए लेख पर जाकर सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

IAS परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले UPSC सिलेबस को गहराई से समझ लें और उसके अनुसार अपनी तैयारी की योजना बनाएं।

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