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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 03 February, 2023 UPSC CNA in Hindi

03 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. बजट 2023 की समीक्षा:

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. समस्त एशिया में व्यापारिक एकीकरण:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. विज्ञान के लिए बजट आवंटन:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. MGNREGS परिव्यय में कटौती चिंता का विषय नहीं है: सोमनाथन
  2. CITES डेटाबेस से लाल चंदन की तस्करी का खुलासा:
  3. एक चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

बजट 2023 की समीक्षा:

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: केंद्रीय बजट से संबंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: केंद्रीय बजट 2023-24 का विश्लेषण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था के रुझान।

प्रसंग:

  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने 1 फरवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2023-24 का केंद्रीय बजट पेश किया।

पृष्ठभूमि:

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 (Economic Survey 2022-23) से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7% की वास्तविक GDP वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है और आने वाले महीनों में खुदरा और थोक मुद्रास्फीति की दोनों दरों के 6% से नीचे आने की उम्मीद है।
  • केंद्रीय बजट 2023-24 जो इस पृष्ठभूमि में पेश किया गया था, ने वित्त वर्ष 2023-24 में 10.5% की नाममात्र GDP वृद्धि का अनुमान लगाया है।
  • इसका तातपर्य यह है कि सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण के आधारभूत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में 6.5% की वृद्धि दर को देखते हुए केवल 4% की अनुमानित मुद्रास्फीति की कल्पना की है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा किए गए ये अनुमान एवं मान्यताएँ भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आधिकारिक आशावाद का संकेत देती हैं,लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में उच्च वृद्धि के साथ-साथ मुद्रास्फीति में कमी का अनुभव तब भी होगा जब शेष दुनिया में मंदी और मुद्रास्फीति की स्थिति देखी जा रही है।

बजट 2023-24 की मुख्य बातें एवं विश्लेषण:

  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में बैंकों से ऋण में वृद्धि से सहायता प्राप्त निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र के नेतृत्व में निवेश-आधारित विकास के एक नए चक्र की उम्मीद की गई है।
  • हालांकि, केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस तरह की भविष्यवाणियों पर भरोसा करने के बजाय, बजट में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में उल्लेखनीय वृद्धि की घोषणा की है।
  • कैपेक्स में इस वृद्धि का उद्देश्य निजी निवेश में वृद्धि करना है, विशेषकर बुनियादी ढांचा क्षेत्रों जैसे कि राजमार्ग, रेलवे और बिजली संयंत्रों में।
  • इसके अतिरिक्त, बजट 2023-24 में मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजनाओं के आवंटन में कमी के साथ-साथ भोजन, उर्वरक, पेट्रोलियम और ब्याज पर दी जाने वाली सब्सिडी के आवंटन को कम कर दिया गया हैं।
  • इससे अनाज, LPG सिलेंडर और यूरिया जैसे उर्वरकों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस सन्दर्भ में विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के व्यय परिवर्तन के समग्र प्रभाव से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।

केंद्रीय बजट का दीर्घकालिक मूल्यांकन:

  • भारतीय आर्थिक स्थिति की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने के लिए महामारी के बाद की अवधि में वर्तमान सरकार की राजकोषीय रणनीति की तुलना UPA-II और NDA-I की पूर्व की सरकारों की राजकोषीय रणनीति से करना महत्वपूर्ण है।

कुल व्यय:

  • केंद्र सरकार द्वारा कुल व्यय (वार्षिक औसत) UPA-II (2009-10 से 2013-14) के कार्यकाल के दौरान GDP 15% से घटकर NDA-1 सरकार के कार्यकाल (2014-15 से 2018-19 तक) के दौरान 13% तक कम कर दिया गया था।
  • हालाँकि कोविड-19 महामारी के कारण आई मंदी के जोखिमों ने सरकार को अपने कुल व्यय को क्रमशः 2020-21 और 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद के 17.7% और 16% तक बढ़ाने के लिए मजबूर किया था।
  • तब से कुल व्यय में GDP के लगभग 15% तक की कमी आई है, अर्थात वित्त वर्ष 2022-23 में 15.3% और वित्त वर्ष 2023-24 में 14.9%।
  • पूंजीगत व्यय (कैपेक्स): 2020-21 के बाद से कैपेक्स में काफी वृद्धि हुई है।अर्थात UPA-II सरकार के समय में GDP का 1.8%, वित्त वर्ष 2020-21 में 2.2%, 2022-23 में 2.7% और 2023-24 में 3.3%।
  • सब्सिडी: वित्त वर्ष 2021-22 से खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम पर सब्सिडी पर खर्च के समग्र रुझान को कम कर दिया गया है।
  • रक्षा व्यय: रक्षा व्यय जो क्रमशः UPA-II और NDA-I की सरकारों के कार्यकाल में GDP का 2% और 1.6% था, वित्त वर्ष 2022-23 में घटकर GDP का 1.5% हो गया था।
  • कृषि: NDA-II सरकार के कार्यकाल के दौरान कृषि पर कुल व्यय में वृद्धि देखी गई है और इसका कारण पीएम-किसान (PM-Kisan) नकद हस्तांतरण योजना के लिए आवंटन है।
  • शिक्षा: UPA-II युग की तुलना में हाल के वर्षों में शिक्षा व्यय में कमी आई है।
  • ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य: स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास पर व्यय UPA-II और हाल के वर्षों के बीच लगभग समान स्तर पर रहा है।

कर स्थिति:

  • विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं पर सरकारी खर्च में कमी का कारण वर्तमान कर स्थिति है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार बुनियादी ढांचे पर कैपेक्स बढ़ाने के लिए सरकार को सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है और इसका मुख्य कारण अपर्याप्त राजस्व है, जो सार्वजनिक व्यय के लिए प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं।
  • सकल कर राजस्व: सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में सकल कर राजस्व में UPA-II सरकार के कार्यकाल में 10.2% से NDA-1 सरकार के तहत 10.8% तक मामूली वृद्धि दर्ज की गई हैं।
  • हालांकि, NDA-II सरकार के पहले दो वर्षों के दौरान सकल कर राजस्व का प्रतिशत घटकर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% रह गया था।
  • महामारी के बाद की अवधि (2021-22 से) में ही सकल कर राजस्व GDP के 11% को पार कर गया है।
  • निगम कर: UPA-II के समय की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद में निगम करों की हिस्सेदारी में भी गिरावट आई है।
  • आयकर: सकल घरेलू उत्पाद में आयकर का प्रतिशत उत्तरोत्तर बढ़कर 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद के 3% तक पहुंच गया है।
  • इसके अलावा, व्यक्तिगत आय करों से प्राप्त होने वाला राजस्व भी कॉर्पोरेट कर से प्राप्त राजस्व के बराबर हो गया है और यह एक प्रतिगामी कराधान व्यवस्था की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  • इसने सरकार को बजट 2023-24 में आयकरदाताओं को कुछ रियायतें देने के लिए मजबूर किया है।
  • अप्रत्यक्ष कर: NDA के कार्यकाल में अप्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी भी बढ़ी है और इसे प्रतिगामी बदलाव भी माना जा रहा है।
  • सीमा शुल्क का प्रतिशत UPA-II के दौरान 1.6% से घटकर 2022-23 में 0.8% हो गया है।
  • हालाँकि उत्पाद शुल्क का हिस्सा UPA-II (उस समय GST नहीं लाया गया था) के तहत 1.7% से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 2% हो गया है और वित्त वर्ष 2022-23 में यह 1.2% से अधिक रहा है, जो कि केंद्र सरकार द्वारा सकल घरेलू उत्पाद के 3% से अधिक जीएसटी संग्रह से अधिक है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्यक्ष करों में आय करों की उच्च हिस्सेदारी और सकल घरेलू उत्पाद में अप्रत्यक्ष करों की बढ़ती हिस्सेदारी के कारण आय और उपभोग असमानताओं में वृद्धि हुई है।

राजकोषीय घाटे में रुझान और राज्यों को करों का हस्तांतरण:

  • हालाँकि, NDA-II के कार्यकाल (2019-20 में) में अपस्फीतिकारी राजकोषीय रुख उलट गया था और महामारी की पृष्ठभूमि में राजकोषीय घाटा 2020-21 में GDP के 9.2% पर पहुंच गया था।
  • सरकार ने राजकोषीय समेकन की योजना बनाई है और वित्त वर्ष 2025-26 तक घाटे को 4.5% से कम करने का लक्ष्य रखा है।
  • नवीनतम बजट में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9% है।
  • करों का हस्तांतरण: केंद्रीय विभाज्य कर पूल में राज्यों का हिस्सा UPA-II के तहत सकल घरेलू उत्पाद के 2.8% से बढ़ाकर NDA-1 के तहत सकल घरेलू उत्पाद का 3.7% कर दिया गया था, क्योंकि 14वें वित्त आयोग द्वारा सुझाए गए हस्तांतरण सूत्र में वृद्धि हुई थी।
  • हालांकि, NDA-II सरकार के तहत करों के केंद्रीय विभाज्य पूल में राज्यों की हिस्सेदारी GDP के वार्षिक औसत से 3.4% तक कम हो गई है।
  • यह कमी केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए उपकर और अधिभार ( cesses and surcharges ) की बढ़ती घटनाओं के कारण है। इसने विभाज्य पूल के आकार को कम कर दिया है जिससे राज्यों को प्राप्त कर राजस्व कम हो गया है।
  • केंद्रीय बजट 2023-24 से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Union Budget 2023-24

अन्य G20 देशों के साथ तुलना:

चित्र स्रोत: The Hindu

  • उपरोक्त तालिका अन्य G-20 उभरती अर्थव्यवस्थाओं के औसत के साथ भारत की सार्वजनिक ऋण स्थिति और राजकोषीय संतुलन के अनुमानों और संभावनाओं की तुलना प्रस्तुत करती है।
  • भारत का सकल सार्वजनिक ऋण 2020 में सकल घरेलू उत्पाद के 89% पर पहुंच गया और इसमें गिरावट जारी है।
  • हालाँकि, अन्य G-20 उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं का सकल सार्वजनिक ऋण बढ़ना जारी है और 2026 तक भारत के सकल सार्वजनिक ऋण के सापेक्ष GDP अनुपात को पार करने की उम्मीद है।
  • विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि भारत का राजस्व के सापेक्ष GDP अनुपात अन्य G-20 उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम होने के बावजूद, भारत का सार्वजनिक ऋण के सापेक्ष GDP अनुपात उन देशों के औसत से बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है और इसका मुख्य कारण भारत की उच्च अनुमानित GDP वृद्धि है।

सारांश:

  • कल्याण व्यय, सकल कर राजस्व, राज्यों को करों के हस्तांतरण और देश के राजकोषीय घाटे में वृद्धि के रुझान के बारे में चिंता होने के बावजूद,अनुमानित उच्च GDP विकास ने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य G-20 उभरते बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगी। लेकिन यदि अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि को अमल में लाने में विफल रहता है, तो व्यापक आर्थिक स्थिति भयावह हो सकती है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

समस्त एशिया में व्यापारिक एकीकरण:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: पूरे एशिया में व्यापार और कनेक्टिविटी का महत्व।

प्रसंग:

  • 2023 में वैश्विक व्यापार पर IMF पूर्वानुमान।

दक्षिण एशिया का लचीला विकास:

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 31 जनवरी, 2023 को चेतावनी दी है कि वैश्विक व्यापार 2022 के 5.4% से घटकर 2023 में 2.4% हो जाएगा।
  • यह पूर्वानुमान विभिन्न जोखिमों जैसे तीव्र होता रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधा और कोविड-19 वायरस के वेरिएंट से सामना, के साथ-साथ आशावादी भी हैं।
  • IMF की एक किताब, “साउथ एशियाज पाथ टू रेजिलिएंट ग्रोथ” में हाल ही में प्रकाशित एक लेख में तर्क दिया गया है कि दक्षिण एशिया के लिए गतिशील पूर्वी एशिया के साथ अधिक व्यापार करने के लिए एक मजबूत आधार मौजूद है।
  • 1990 के दशक के बाद से, दक्षिण एशिया-पूर्व एशिया व्यापार ने गति पकड़ी है, (जो भारत की ‘लुक ईस्ट’ (Look East) और ‘एक्ट ईस्ट’ नीतियों के माध्यम से पूर्वी एशिया की ओर भारत के व्यापार को पुनः संरेखित करने से जुड़ा हुआ है), दक्षिण एशिया ने सुधारों को अपनाया है, और साथ ही चीन एशिया में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को अन्यत्र स्थानांतरित कर रहा है।
  • दक्षिण एशिया पिछले दो दशकों की विकास दर पर लौट आया है, व्यापक आर्थिक कमजोरियों के नए निर्माणों के बिना लचीला और जलवायु-अनुकूल विकास हासिल किया है, और महामारी के झटके के बाद गरीबी में कमी लाने की गति को फिर से हासिल कर लिया है।
  • 1990 और 2018 के बीच दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के बीच कुल व्यापारिक व्यापार में सालाना लगभग 10% की वृद्धि हुई, जो 2018 में $332 बिलियन तक पहुंच गया। इस व्यापार के भविष्य में लगभग $500 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है।

चित्र स्रोत: IMF

  • चूँकि, वैश्विक व्यापार धीमा हो रहा है, इसलिए एशिया के भीतर अधिक व्यापार करना आर्थिक रूप से उचित है। व्यापार-समर्थक नीतियों को लागू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति एशिया के भीतर लोगों के जीवन में सुधार ला सकती है।

पूरे एशिया में क्षेत्रीय व्यापार एकीकरण:

  • दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक संकीर्ण भौगोलिक कवरेज पूरे एशिया में अंतिम व्यापार एकीकरण के लिए एक बिल्डिंग ब्लॉक हो सकता है।
  • 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से उठाए गए वस्तु एवं सेवाओं के व्यापार में बाधाओं को धीरे-धीरे कम करके पूरे एशिया में क्षेत्रीय व्यापार एकीकरण को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • दक्षिण एशिया के व्यापार की शुरुआत को भी कर सुधारों के साथ संरेखित किया जाना चाहिए क्योंकि व्यापार कर कुछ अर्थव्यवस्थाओं में सरकारी राजस्व का बड़ा हिस्सा होता है।
  • व्यापार लाभ को प्रोत्साहित करने और आय असमानता को कम करने के लिए, नुकसान में जाते उद्योगों को समायोजन निधि प्रदान करना भी महत्वपूर्ण है ताकि उत्पादन घटकों को पुनर्वितरित किया जा सके और लोगों को फिर से प्रशिक्षित किया जा सके।
  • अर्थव्यवस्थाएं व्यापक आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करके, निवेशकों के प्रति अच्छी अभ्यास विनियामक नीतियों को अपनाकर, विश्वसनीय बिजली और 5G ब्रॉडबैंड सेलुलर प्रौद्योगिकी प्रदान करके और कार्मिक कौशल का उन्नयन करके विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) के प्रदर्शन में सुधार लाएंगी।
    • दक्षिण एशिया में कोच्चि (भारत), ग्वादर (पाकिस्तान), मिरसराय (बांग्लादेश) और हंबनटोटा (श्रीलंका) में 600 से अधिक SEZ परिचालन में हैं।
  • देश व्यापक FTA का अनुसरण करेंगे जो अंततः क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) की ओर अग्रसर करेगा ताकि बढ़ते संरक्षणवाद के खिलाफ निश्चितता प्रदान करने के लिए एक क्षेत्रीय नियम-आधारित व्यापार का प्रावधान किया जा सके।

एफटीए की प्रासंगिकता:

  • ऐतिहासिक रूप से, दक्षिण एशिया को दुनिया में व्यापार एकीकरण के निम्नतम स्तरों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है और माना जाता है कि दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) को अंतर्क्षेत्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने में बहुत कम सफलता मिली है।
  • व्यापक FTA को अपनाने से अंततः RCEP की ओर बढ़ने में सहायता मिलेती है, जो बढ़ती संरक्षणवादी प्रवृत्तियों के खिलाफ सुरक्षा में मदद करने के लिए क्षेत्रीय नियम-आधारित व्यापार का एक ढांचा प्रदान कर सकता है।
  • भारत अभी भी आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यापार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और पूर्वी एशिया के साथ अधिक नियामक सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए संरचनात्मक सुधारों को पूरा करके भविष्य की RCEP सदस्यता के लिए तैयार हो सकता है।
    • शेष दक्षिण एशिया को RCEP में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है यदि भारत पीछे छूट जाने के डर से और व्यापार परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों का सामना करने के कारण RECP में शामिल होता है।
  • बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC) द्वारा नए सिरे से छोटे सदस्यों के हितों के लिए मजबूत आर्थिक लिंक और समर्थन की सुविधा प्रदान की जा सकती है।
    • BIMSTEC की पुनर्रचना करने के लिए इसके सचिवालय को बेहतर संसाधनों, लंबे समय से चल रहे BIMSTEC FTA को समाप्त करने, छोटी अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार क्षमता का निर्माण करने और एशिया में खुले क्षेत्रवाद को प्रोत्साहित करने के लिए संवाद भागीदार का दर्जा देने की आवश्यकता है।
    • क्षेत्रीयकरण के खिलाफ एक नकारात्मक प्रतिक्रिया में कमी लाने के लिए, बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को व्यापार से लाभ प्राप्त करने की सुविधा छोटी और गरीब दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को देनी चाहिए।

सारांश:

  • एशिया में क्षेत्रीय व्यापार में कोविड-19 महामारी के बाद सुधार हो रहा है और इसने दक्षिण एशिया के लिए वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं और सेवाओं के व्यापार में भाग लेने के अवसर खोले हैं। इसलिए, दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को पूरे एशिया में क्षेत्रीय व्यापार पर पुनर्विचार करना होगा। दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत की G-20 अध्यक्षता इन परिवर्तनों को शुरू करने के लिए एक अच्छा मंच हो सकती है।

विज्ञान के लिए बजट आवंटन:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

मुख्य परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर भारत की बजट नीति।

प्रसंग:

  • केंद्रीय बजट 2023-24 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को अधिक आवंटन प्राप्त हुआ है।

मुख्य विवरण:

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को 16,361.42 करोड़ रुपये का आवंटन दिया गया है जो पिछले बजट अनुमान से 15% की मामूली वृद्धि को दर्शाता है।
  • इसमें से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) को ₹7,931.05 करोड़ (पिछले वर्ष की तुलना में 32.1% की वृद्धि) प्राप्त हुए हैं।
    • जैव प्रौद्योगिकी विभाग या DBT के लिए आवंटन ₹2,683.86 करोड़ (3.9% की मामूली वृद्धि), और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के लिए ₹5,746.51 करोड़ (1.9%) था।
  • हालांकि, 2021-22 और 2022-23 के बीच मंत्रालय ने 3.9% की कमी का अनुभव किया।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भूमिका महत्वपूर्ण थी, विशेष रूप से टीकों, चिकित्सा उपकरणों और दवाओं पर अनुसंधान और नवाचार का समर्थन करने के कारण।
  • DST की अधिकांश वृद्धि राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) को ₹2,000 करोड़ के आवंटन के कारण हुई है।
    • सरकार ने NRF की घोषणा 2021 में “अनुसंधान से संबंधित संस्थानों की शासन संरचना को मजबूत करने और अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और उद्योग के बीच संबंधों में सुधार करने के लिए” पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ की थी।
  • DBT के तहत जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC), जो सरकार के ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के तहत 2020 में कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने और वैक्सीन निर्माण को बढ़ाने के लिए एक कार्यान्वयन निकाय है, को 40% कटौती प्राप्त हुई है।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को 25.11% की वृद्धि के साथ ₹3,319.88 करोड़ मिले हैं। जबकि यह वृद्धि 40% की पिछली वृद्धि की तुलना में अपेक्षाकृत कम है।
    • डीप ओशन मिशन, जिसमें अन्य घटकों के साथ, एक डीप-सबमर्सिबल व्हीकल का विकास शामिल है, में पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक वृद्धि हुई है।

बजट आवंटन का विश्लेषण:

  • केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के लिए 16,361.42 करोड़ रुपये का आवंटन समग्र केंद्रीय बजट 2023-24 का केवल 0.36 प्रतिशत है।
    • विश्व बैंक के अनुसार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में दक्षिण कोरिया के सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 प्रतिशत की तुलना में आवंटन बहुत कम है। संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन क्रमशः 3.45 प्रतिशत और 2.4 प्रतिशत खर्च करते हैं।
  • अनुसंधान एवं विकास पर भारत का सकल व्यय (GERD), जिसमें राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के निवेश शामिल हैं, में 2009-2010 से लगातार गिरावट आ रही है, जिससे अनुसंधान और विकास में उच्च सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश राष्ट्रीय अनुसंधान समुदाय की दीर्घकालिक मांग बन गया है।
  • बजट भाषण में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए समर्पित केंद्रों, प्रयोगशाला निर्मित हीरों के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी विकास की पहलों और सिकल सेल एनीमिया में अनुसंधान के लिए एक केंद्र में निवेश के लिए कई संदर्भ दिए गए।
    • “मेक एआई इन इंडिया और मेक एआई वर्क फॉर इंडिया” के विजन को साकार करने के लिए शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
  • हालांकि, कोई भी बजटीय आवंटन बुनियादी अनुसंधान के महत्वपूर्ण पैमाने का सुझाव नहीं देता है।
  • बजट में उल्लिखित आंकड़े कई बार जमीन पर सार्थक परिणामों में तब्दील नहीं होते हैं।
    • उदाहरण के लिए, DST ने वीमेन इन साइंस एंड इंजीनियरिंग पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप नामक एक नई योजना की घोषणा की है, जो महिला शोधकर्ताओं को प्रति माह 55,000 रुपये की फेलोशिप और विज्ञान में लिंग अंतराल को पाटने में मदद करने के लिए सालाना 2 लाख रुपये का शोध अनुदान प्रदान करती है।
    • 2 लाख रुपये अनुसंधान व्यय, आकस्मिकता, यात्रा और इस तरह के खर्च को कवर करते हैं। “लेकिन अनुदान प्रतिबंधात्मक है जो व्यक्तिगत महिला पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ताओं को हतोत्साहित करता है, जो किसी रोज़गार में संलग्न नहीं हैं और सरकार से अनुसंधान सहायता प्राप्त करती हैं।
  • शोधार्थियों को वादा किया गया धन समय पर नहीं मिलना और नौकरशाही बाधाओं के कारण शोधकर्ताओं द्वारा आवश्यक गुणवत्ता वाले उपकरणों की प्रतीक्षा करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
  • अनुसंधान का बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है और निजी क्षेत्र की भागीदारी केवल वृद्धिशील रूप से बढ़ी है।
  • इसलिए, सरकार को फंडिंग को आकार बढ़ाना चाहिए और आने वाले वर्षों में इसका सबसे कुशल उपयोग करने के लिए प्रक्रियाओं को भी आसान बनाना चाहिए।

सारांश:

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को 2023-24 के केंद्रीय बजट में 16,361.42 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। हालांकि यह पिछले बजट अनुमान से 15% की मामूली वृद्धि को चिह्नित करता है, फिर भी यह कुल बजट का केवल 0.36 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान आवंटन पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह मुद्रास्फीति के अनुरूप नहीं है या अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा नहीं देता है।

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प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.MGNREGS परिव्यय में कटौती चिंता का विषय नहीं है: सोमनाथन

  • केंद्रीय वित्त सचिव ने बजट 2023-24 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme (MGNREGS)) के परिव्यय में कमी का बचाव करते हुए कहा है कि अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है और विभिन्न अन्य योजनाओं के तहत ग्रामीण परिव्यय में वृद्धि हुई है जो समान रोजगार के अवसर पैदा करेगी।
  • केंद्रीय बजट 2023-24 में MGNREGS को 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो कि वर्तमान वर्ष के बजट अनुमानों से 18% कम और 89,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमानों से लगभग 33% कम है।
  • सरकार के कदम का बचाव करते हुए केंद्रीय वित्त सचिव ने कहा है कि पीएम आवास योजना (ग्रामीण) और जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) जैसी अन्य पहलों के लिए आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • वित्त सचिव ने आगे कहा कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है और यदि अधिक मांग होती है तो वर्ष के दौरान योजना के लिए आवंटन बढ़ाया जाएगा।
  • इसके अलावा, पीएम किसान योजना के लिए आवंटन को 68,000 करोड़ रुपये से कम करके 60,000 करोड़ रुपये करने पर सवालों का जवाब देते हुए, वित्त सचिव ने कहा कि योजना के डेटाबेस को तीन साल के अंतराल के बाद अपडेट किया गया है और इसमें कुछ लाभार्थी अपात्र पाए गए हैं, लोग दो जगहों पर लाभ उठा रहे थे, एक वे थे जो पलायन कर गए थे और दूसरे वे थे जो करदाता थे लेकिन उन्होंने इसके बारे में प्रकटीकरण नहीं किया था, जिससे डेटाबेस को अपडेट करने के कारण पात्र लोगों की संख्या में लगभग 10% की कमी आई है।

2. CITES डेटाबेस से लाल चंदन की तस्करी का खुलासा:

  • TRAFFIC द्वारा तैयार एक ‘तथ्य पत्रक’ के अनुसार, वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (CITES) के व्यापार डेटाबेस ने भारत से निर्यात किए जाने के दौरान लाल चंदन की जब्ती और संग्रहण की 28 घटनाएं दर्ज की हैं।
  • CITES देशों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जंगली जानवरों और पौधों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा न हो।
  • वर्ष 2016 से 2020 तक लाल चंदन की खेप चीन (53.5%), हांगकांग (25.0%), सिंगापुर (17.8%) और अमेरिका (3.5%) को निर्यात की गई थी।
  • लाल चंदन (टेरोकार्पस सेंटालिनस/Pterocarpus santalinus), भारत में पूर्वी घाटों तक सीमित वितरण के साथ पाई जाने वाली एक स्थानिक वृक्ष प्रजाति है।
  • आंध्र प्रदेश में पाए जाने वाले पेड़ को देश में सबसे अधिक काटी जाने वाली वृक्ष प्रजातियों में से एक माना जाता है।
  • भारत की विदेश व्यापार नीति के अनुसार लाल चंदन का आयात निषिद्ध है, जबकि इसका निर्यात भी प्रतिबंधित है। हालांकि, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में पेड़ की हर्टवुड की काफी मांग है। (हर्टवुड-एक पेड़ के तने का ठोस भीतरी भाग, जो पेड़ की सबसे कठोर लकड़ी होती है।)
  • हर्टवुड का उपयोग फर्नीचर और हस्तशिल्प के निर्माण में किया जाता है, लकड़ी से प्राप्त लाल रंग का उपयोग वस्त्रों और दवाओं में कलरिंग एजेंट (रंगने) के रूप में किया जाता है।

यह वृक्ष प्रजाती निम्न के अंतर्गत सूचीबद्ध है:

  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: अनुसूची IV
  • IUCN स्थिति: लुप्तप्राय (Endangered)
  • वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (CITES) से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora (CITES)

3.एक चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं:

  • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव कानून में उस प्रावधान को खारिज करने से इनकार कर दिया जो उम्मीदवारों को एक साथ दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की अनुमति देता है, सर्वोच्च न्यायालय ने इसे यह कहते हुए खारिज किया कि यह राजनीतिक लोकतंत्र से संबंधित एक मुद्दा है और इसे संसद को तय करने देना चाहिए।
  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) की धारा 33(7) एक व्यक्ति को दो निर्वाचन क्षेत्रों से आम चुनाव या उप-चुनावों के समूह या द्विवार्षिक चुनाव लड़ने की अनुमति देती है।
  • एक वकील द्वारा यह याचिका दायर की गई थी जिसमें RP अधिनियम की धारा 33 (7) को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी क्योंकि यह एक व्यक्ति, एक वोट, एक उम्मीदवार, एक निर्वाचन क्षेत्र के लोकतांत्रिक के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
  • सरकार ने अतीत में याचिका पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि एक उम्मीदवार-एक निर्वाचन क्षेत्र प्रतिबंध के लिए विधायी संशोधन की आवश्यकता होगी लेकिन दो निर्वाचन क्षेत्रों पर वर्तमान प्रतिबंध काफी उचित था और वर्तमान में किसी भी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 की धारा 33(7) के अनुसार, एक उम्मीदवार अधिकतम दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है।
  2. RPA की धारा 70 उम्मीदवारों को लोकसभा/राज्य विधानसभा में दो निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने से रोकती है।
  3. विधि आयोग धारा 33 (7) में संशोधन करने की चुनाव आयोग की सिफारिश के पक्ष में नहीं था।

विकल्प:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) की धारा 33(7) एक व्यक्ति को दो निर्वाचन क्षेत्रों से आम चुनाव या उप-चुनावों के समूह या द्विवार्षिक चुनाव लड़ने की अनुमति देती है।
  • कथन 2 सही है: RPA की धारा 70 उम्मीदवारों को लोकसभा/राज्य विधानसभा में दो निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने से रोकती है।
  • कथन 3 गलत है: विधि आयोग ने उम्मीदवारों को केवल एक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की अनुमति देने के लिए RPA की धारा 33(7) में संशोधन की सिफारिश की थी।

प्रश्न 2. स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. यह अधिनियम पूरे भारत में विस्तारित है और यह भारत के बाहर सभी भारतीय नागरिकों पर भी लागू होता है।
  2. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत अवैध व्यापार के खिलाफ काउंटर उपायों के कार्यान्वयन में मदद करता है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है और यह भारत के बाहर भारत के सभी नागरिकों और भारत में पंजीकृत जहाजों और विमानों में सवार सभी व्यक्तियों पर भी लागू होता है।
  • कथन 2 गलत है: NDPS अधिनियम के प्रावधानों के तहत 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन किया गया था।
    • NCB एक नोडल एजेंसी है जो विभिन्न मंत्रालयों, अन्य कार्यालयों और राज्य/केंद्रीय प्रवर्तन एजेंसियों के साथ ड्रग कानून प्रवर्तन और नशीली दवाओं के दुरुपयोग से संबंधित मामलों के संबंध में समन्वय के लिए जिम्मेदार है।
    • NCB विभिन्न अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत अवैध व्यापार के खिलाफ काउंटर उपायों के संबंध में दायित्व के कार्यान्वयन में भी मदद करता है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. लाल चंदन एक वनस्पति-प्रजाति है जो आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट क्षेत्र में जंगलों के एक विशिष्ट पथ के लिए स्थानिक है।
  2. प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में इसे ‘लुप्तप्राय’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  3. भारत की विदेश व्यापार नीति के तहत लाल चंदन का आयात प्रतिबंधित है, जबकि इसका निर्यात भी प्रतिबंधित है।
  4. यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची VI के तहत सूचीबद्ध है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3

(b) केवल 2, 3 और 4

(c) केवल 1, 3 और 4

(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: लाल चंदन (टेरोकार्पस सेंटालिनस), भारत में पूर्वी घाटों तक सीमित वितरण के साथ एक स्थानिक वृक्ष प्रजाति है।
    • बड़े पैमाने पर आंध्र प्रदेश राज्य में पाए जाने वाले पेड़ को देश में सबसे अधिक काटी जाने वाली वृक्ष प्रजातियों में से एक माना जाता है।
  • कथन 2 सही है: प्रजातियों को प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में “लुप्तप्राय” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • कथन 3 सही है: भारत की विदेश व्यापार नीति के तहत, लाल चंदन का आयात प्रतिबंधित है, जबकि इसका निर्यात भी प्रतिबंधित है।
  • कथन 4 गलत है: प्रजाति को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची IV के तहत सूचीबद्ध किया गया है।

प्रश्न 4. संवर्धित रक्षा सहयोग समझौते के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(स्तर – सरल)

  1. यह संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच एक समझौता है।
  2. यह समझौता दोनों देशों को बाहरी सशस्त्र हमले का सामना करने पर पारस्परिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध करता है और संयुक्त राज्य अमेरिका को दक्षिण कोरिया में सैन्य बलों को तैनात करने की अनुमति देता है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: संवर्धित रक्षा सहयोग समझौता (EDCA) संयुक्त राज्य अमेरिका और फिलीपींस के बीच एक समझौता है।
  • कथन 2 सही नहीं है: EDCA संयुक्त राज्य अमेरिका और फिलीपींस की सेनाओं के बीच संयुक्त प्रशिक्षण, अभ्यास और अंतर्संचालन का समर्थन करता है।
    • इसके अलावा, EDCA फिलीपींस में मानवीय और जलवायु संबंधी आपदाओं के लिए और अधिक त्वरित समर्थन की अनुमति देगा, और अन्य साझा चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया देगा।

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से किस शहर की घड़ी का समय किसी भी क्षण अन्य तीन शहरों के समान नहीं होता? (PYQ (2007)) (स्तर – कठिन)

  1. लंदन (यूके)
  2. लिस्बन (पुर्तगाल)
  3. अकरा (घाना)
  4. अदीस अबाबा (इथियोपिया)

उत्तर: d

व्याख्या:

  • लंदन, लिस्बन और अकरा शहर आदिस अबाबा से अलग लगभग समान देशांतर पर स्थित हैं जो समान समय दिखाते हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. 2023-24 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम के लिए कम बजट आवंटन के प्रभाव पर चर्चा कीजिए।(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)

प्रश्न 2. दक्षिण एशिया के भीतर बेहतर व्यापार भारत के आर्थिक पुनरुत्थान की कुंजी हो सकता है। क्या आप सहमत हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थशास्त्र)