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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 07 September, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. बेरोजगारी कैसे मापी जाती है?

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. इंडिया, भारत और इसके अनेक निहितार्थ:
  2. इंडिया जो कि भारत है:

सामाजिक न्याय:

  1. कुपोषण की खाई पाटने के लिए बेमेतरा तरकीब:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. विशेष सुरक्षा समूह (SPG):

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

बेरोजगारी कैसे मापी जाती है?

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, वृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: बेरोज़गारी के मापन और इसमें शामिल चुनौतियों के बारे में।

मुख्य परीक्षा: बेरोजगारी माप, श्रम बल भागीदारी, आर्थिक सर्वेक्षण और कार्यप्रणाली से संबंधित अवधारणाएँ।

प्रसंग:

  • लेख में इस बात की पड़ताल की गई है कि भारत में बेरोजगारी को किस प्रकार मापा जाता है, साथ ही एक विकासशील अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी को परिभाषित करने और मात्रा निर्धारित करने की जटिलताओं पर प्रकाश डाला गया है।

विवरण: बेरोजगारी दर को समझना

  • वर्ष 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey (PLFS)) ने भारत की अब तक की सबसे अधिक दर्ज की गई बेरोजगारी दर (6.1%) का खुलासा किया।
  • 2021-22 में, PLFS ने घटी हुई बेरोजगारी दर (4.1%) दर्ज की, हालांकि यह अभी भी कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है।
  • वर्ष 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) ने भारत की अब तक की सबसे अधिक 6.1% दर्ज की गई बेरोजगारी दर का खुलासा किया हैं।
  • भारत और अमेरिका में आर्थिक भिन्नताओं के कारण बेरोजगारी दर अलग-अलग है।

बेरोज़गारी को परिभाषित करना: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)

  • बेरोज़गारी केवल रोज़गारीविहीनता नहीं है; इसे ILO द्वारा नौकरी से बाहर होने, काम के लिए उपलब्ध होने और सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश करने के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • श्रम बल में नियोजित और बेरोजगार शामिल होते हैं, जबकि जो किसी भी श्रेणी में नहीं हैं, जैसे छात्र या घरेलू काम में लगे अवैतनिक लोग, श्रम बल से बाहर होते हैं।
  • बेरोजगारी दर बेरोजगारों और श्रम शक्ति का अनुपात है।
  • यदि अर्थव्यवस्था पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर रही है या लोग काम ढूंढना बंद कर देते हैं तब भी बेरोजगारी उत्पन्न हो सकती है।

अमेरिका में बेरोजगारी मापना:

  • अमेरिका में, 2019 में 3.7% बेरोजगारी दर के साथ जनसंख्या की तुलना में रोजगार का अनुपात (EPR) 60.8% था।
  • वर्ष 2022 में, ईपीआर गिरकर 60% हो गया, लेकिन बेरोजगारी दर घटकर 3.6% हो गई, जिसका मुख्य कारण लोगों का श्रम बल छोड़ना था।

भारत में बेरोजगारी मापने में चुनौतियाँ:

  • नौकरी तलाशने के निर्णयों को प्रभावित करने वाले सामाजिक मानदंडों के कारण विकासशील अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी को मापना जटिल है।
  • एक सर्वेक्षण में पाया गया कि घरेलू काम में संलग्न महिलाओं को यदि उनके घरों में अवसर उपलब्ध हों उनमें से कई महिलाएं काम करेंगी, फिर भी उन महिलाओं को बेरोजगार नहीं माना जाता क्योंकि वे सक्रिय रूप से काम की तलाश में नहीं हैं।
  • भारत की अनौपचारिक नौकरी की प्रकृति इसे चुनौतीपूर्ण बनाती है; व्यक्ति समय के साथ विभिन्न भूमिकाओं के बीच बारी-बारी से कार्य कर सकते हैं।
  • भारत वर्गीकरण के लिए दो उपायों का उपयोग करता है: सामान्य प्रमुख और सहायक स्थिति (UPSS) और वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (Current Weekly Status (CWS))।
  • UPSS उन व्यक्तियों को नियोजित मानता है जिन्होंने कम से कम 30 दिनों तक सहायक भूमिका में काम किया है, संभावित रूप से बेरोजगारी को कम करके आंका गया है।
  • CWS बेरोजगारी मापने के लिए एक छोटी संदर्भ अवधि (एक सप्ताह) का उपयोग करता है और प्रतिदिन काम मिलने की कम संभावना के कारण बेरोजगारी दर अधिक हो सकती है।

बेरोजगारी पर लॉकडाउन का प्रभाव:

  • मार्च 2020 में लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बाधित कर दिया, लेकिन जुलाई से जून तक PLFS डेटा ने तत्काल कोई प्रभाव नहीं दिखाया।
  • UPSS मानदंड किसी को बेरोजगार के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकता है यदि उसने लॉकडाउन के दौरान काम खो दिया हो लेकिन छह महीने के भीतर रोजगार पा लिया हो।
  • छोटी संदर्भ अवधि वाला CWS मानक लॉकडाउन तिमाही के दौरान उच्च बेरोजगारी प्रदर्शित कर सकता है लेकिन पूरे वर्ष पर विचार करने पर कम दरें प्रदर्शित कर सकता है।

सारांश:

  • यह लेख भारत में अलग-अलग आर्थिक संरचनाओं और सामाजिक मानदंडों के बीच बेरोजगारी को मापने की जटिलताओं की जांच करता है, विभिन्न पद्धतियों की चुनौतियों और निहितार्थों को संबोधित करता है, और बेरोजगारी दर पर COVID-19 लॉकडाउन के प्रभाव पर चर्चा करता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

इंडिया, भारत और इसके अनेक निहितार्थ:

राजव्यवस्था:

विषय: भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

मुख्य परीक्षा: इंडिया बनाम भारत।

प्रारंभिक परीक्षा: अनुच्छेद 1, 58वां संशोधन अधिनियम।

विवरण:

  • “भारत” और “इंडिया” शब्द महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, वैचारिक, संवैधानिक और अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ रखते हैं।
  • हालिया राजनीतिक घटनाक्रमों ने इन शब्दों को अतिरिक्त महत्व दे दिया है।
  • देश में विपक्षी दल ‘भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन’ (Indian National Developmental Inclusive Alliance) का प्रतिनिधित्व करने वाले बैनर और संक्षिप्त नाम “INDIA” के तहत एकजुट हुए हैं।
  • शब्दावली के उपयोग में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है, G-20 शिखर सम्मेलन जैसे आधिकारिक निमंत्रणों में “इंडिया के राष्ट्रपति” के बजाय “भारत के राष्ट्रपति” का उपयोग किया जाने लगा है।
  • यह बदलाव वर्तमान सरकार के भीतर इस चिंता से प्रेरित है कि “INDIA” शब्द पर्याप्त राजनीतिक प्रभाव प्राप्त कर सकता है।

इतिहास के पन्नों से:

  • 1947 में, भारत में ब्रिटिश शासन से सत्ता के हस्तांतरण के कारण स्वतंत्र रियासतों के साथ-साथ दो डोमिनियनों का निर्माण हुआ: भारत और पाकिस्तान।
  • मुस्लिम लीग ने यह प्रस्ताव रखा की भारत का नाम या तो “हिंदुस्तान” या “भारत” रखा जाना चाहिए, लेकिन भारत ने तर्क दिया कि वह ब्रिटिश भारत का उत्तराधिकारी राज्य था।
  • भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर “इंडिया” नाम बरकरार रखा, जबकि पाकिस्तान को अपनी अंतर्राष्ट्रीय स्थिति स्थापित करनी पड़ी।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में, “इंडिया” शब्द का प्रयोग आमतौर पर अंग्रेजी भाषा में किया जाता है, जिससे देश की अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनी रहती है।
  • 1987 में संविधान के 58वें संशोधन में संविधान के आधिकारिक हिंदी पाठ का प्रावधान किया गया, जिसमें हिंदी में “भारत” और अंग्रेजी में “इंडिया” पर जोर दिया गया।
  • आंतरिक और अंतर्राष्ट्रीय दस्तावेजों में अंग्रेजी में “इंडिया” और हिंदी में “भारत” का उपयोग करने की प्रथा का पालन किया गया है।

58वां संशोधन अधिनियम:

  • 1987 में संविधान के 58वें संशोधन ने राष्ट्रपति (President) को संविधान के आधिकारिक पाठ को हिंदी में प्रकाशित करने का अधिकार दिया।
  • संविधान के अंग्रेजी संस्करण का शीर्षक “कॉन्स्टीट्यूशन ऑफ़ इंडिया” (Constitution) है, जबकि हिंदी संस्करण का नाम “भारत का संविधान” है।
  • अंग्रेजी संस्करण में अनुच्छेद 1(1) में “इंडिया” पर जोर देते हुए कहा गया है, “इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।”
  • हिंदी संस्करण में अनुच्छेद 1(1) में हिंदी में “भारत” को प्रधानता देते हुए लिखा गया है, “भारत अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा”।
  • इसके अतिरिक्त, अंग्रेजी में प्रकाशित राजपत्र को ‘गज़ट ऑफ़ इंडिया’ कहा जाता है, और हिंदी में इसे ‘भारत का राजपत्र’ कहा जाता है।

भारत को प्राथमिकता देने से अलगाव का ख़तरा:

  • G-20 निमंत्रण में “भारत के राष्ट्रपति” का प्रयोग इसी प्राथमिकता को दर्शाता है।
  • यदि सरकार आधिकारिक तौर पर देश का नाम बदल देती है तो देश के उन हिस्सों के अलग-थलग हो जाने का संभावित जोखिम है जो “भारत” के बजाय “इंडिया” को प्राथमिकता देते हैं।
  • अंग्रेजी में “इंडिया” और हिंदी में “भारत” का उपयोग करने की परंपरा बुद्धिमानीपूर्ण और संवैधानिक रूप से सही मानी जाती है, और इसे बदलना इस समय प्राथमिकता नहीं हो सकती है।

सारांश:

  • “भारत” और “इंडिया” दोनों शब्द भारत के ऐतिहासिक, राजनीतिक और संवैधानिक संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। हालिया राजनीतिक घटनाक्रम में कुछ विपक्षी दल “इंडिया” उपनाम के तहत एकजुट हुए और परिणामस्वरूप सत्तारूढ़ दल ने भारत नाम का उपयोग करना शुरू कर दिया। हालाँकि, 58वें संशोधन अधिनियम ने हिंदी में “भारत” के उपयोग की अनुमति दी, जबकि अंग्रेजी में “इंडिया” बना हुआ है। यदि विशेष रूप से “भारत” की ओर बदलाव होता है तो अलगाव का संभावित जोखिम होता है और इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि अंग्रेजी में “इंडिया” और हिंदी में “भारत” का उपयोग करने की परंपरा को बनाए रखना बुद्धिमानी और संवैधानिक रूप से सही है।

इंडिया जो कि भारत है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

मुख्य परीक्षा: भारत बनाम भारत: किसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए या दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं?

भूमिका:

  • आधिकारिक नामों के रूप में “इंडिया” और “भारत” के उपयोग को लेकर चल रही बहस। ये नाम देश की अस्मिता के पर्याय रहे हैं। हालाँकि, हालिया राजनीतिक प्रेरणाओं ने इस बहस को हवा दे दी है।

दोहरी पहचान:

  • भारत का संविधान आधिकारिक तौर पर “इंडिया” और “भारत” दोनों को देश के नामों के रूप में मान्यता देता है। यह मान्यता राष्ट्र की विशिष्ट दोहरी पहचान को उजागर करती है।
  • ऐतिहासिक रूप से, इन नामों के बीच चयन काफी हद तक प्रासंगिक रहा है। दोनों नामों ने लोगों में देशभक्ति और गर्व की भावना जगाई है।

राजनीतिक शस्त्रीकरण:

  • वर्तमान सत्ताधारी दल का आधिकारिक संचार और दस्तावेज़ों में “इंडिया” के स्थान पर “भारत” का पक्ष लेने का निर्णय।
  • इस कदम को कुछ लोगों द्वारा संकीर्ण राजनीतिक हितों की पूर्ति के रूप में देखा जाता है।
  • इसने इस बात पर बहस छेड़ दी है कि क्या एक नाम को दूसरे नाम पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • आलोचकों का तर्क है कि नामकरण रणनीति में यह बदलाव राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने का जोखिम उत्पन्न करता है।

सांस्कृतिक महत्व:

  • “भारत (Bharat)” में प्राचीन स्रोतों और पौराणिक कथाओं में निहित गहरी सांस्कृतिक गूंज है। यह गणतंत्र के आधुनिक भौगोलिक और सांस्कृतिक परिदृश्य से परे है।
  • “इंडिया” समकालीन राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है, जो इसकी विविध और विकसित होती पहचान को दर्शाता है।
  • दोनों नामों ने राष्ट्र निर्माण की यात्रा के दौरान राष्ट्र की सामूहिक चेतना को आकार देने में भूमिका निभाई है।

विविधता और एकता:

  • भारत अनेक जातीयताओं, भाषाओं और आनुवंशिक पृष्ठभूमियों के साथ उल्लेखनीय विविधता का देश है।
  • यह विविधता हजारों वर्षों के प्रवासन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का परिणाम रही है।
  • एक नाम को दूसरे नाम पर प्राथमिकता देने से पहले से ही विविधतापूर्ण समाज में नए विभाजन पैदा होने का खतरा है।
  • अनावश्यक सांस्कृतिक टकराव को बढ़ावा देने के बजाय एकता को बढ़ावा देना आवश्यक है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया:

  • सरकार के फैसले पर विपक्ष की प्रतिक्रिया ने बहस को और बढ़ा दिया है।
  • विपक्ष द्वारा “INDIA” को संक्षिप्त रूप में अपनाने से वर्तमान कार्रवाइयां प्रभावित हो सकती हैं।
  • यह बहस अब नामकरण के मुद्दे के बजाय राष्ट्र की पहचान के बारे में एक बुनियादी सवाल पर केंद्रित हो गई है।

राष्ट्रीय आत्मविश्वास को कमज़ोर करना:

  • नाम बदलने पर सरकार का जोर देश के आत्मविश्वास और सॉफ्ट पावर को कमजोर करता है।
  • यह राष्ट्र की पहचान के संबंध में अनिश्चितता और भ्रम पैदा कर सकता है।
  • “भारत” और “इंडिया” दोनों विभिन्न भारतीय भाषाओं में लोकप्रिय संस्कृति, राजनीतिक विमर्श और साहित्य में गहराई से अंतर्निहित हैं।
  • नाम चाहे जो भी चुना जाए, राष्ट्र का सार और आकांक्षाएं एक समान रहती हैं।

सह-अस्तित्व और एकता:

  • पूरक पहचान के रूप में “इंडिया” और “भारत” के सह-अस्तित्व की वकालत।
  • यह स्वीकार करते हुए कि विभिन्न संदर्भ और निर्वाचन क्षेत्र एक नाम को दूसरे की तुलना में पसंद कर सकते हैं।
  • उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि एकता और विविधता हमेशा से भारत की ताकत रही है।
  • अनावश्यक बहस और विभाजनकारी कार्यों से बचें जो इस एकता को कमजोर कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

  • राष्ट्र की बहुमुखी पहचान को प्रतिबिंबित करते हुए “इंडिया” और “भारत” के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना।
  • राष्ट्र के नामकरण और पहचान के संबंध में विभाजनकारी बहसों की बजाय एकता और साझा आकांक्षाओं को प्राथमिकता देना।

सारांश:

  • आधिकारिक नाम के रूप में “इंडिया” या “भारत” को प्राथमिकता दी जाए या नहीं, इस पर बहस भारत की पहचान में एक जटिल द्वंद्व को दर्शाती है। जबकि दोनों नाम देशभक्ति का भाव जगाते हैं, उनका राजनीतिकरण और विभाजन की संभावना चिंता उत्पन्न करती है। इस चर्चा में दोनों नामों को सौहार्दपूर्वक अपनाना, एकता पर जोर देना और अनावश्यक संघर्ष से बचना चाहिए।

कुपोषण की खाई पाटने के लिए बेमेतरा तरकीब:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

विषय: गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: कुपोषण दूर करने में परामर्श का महत्व

भूख और कुपोषण दूर करने के लिए चल रही सरकारी योजनाएँ:

  • सरकार ने खाद्य सुरक्षा को संबोधित करने के लिए विभिन्न उपाय लागू किए हैं, जिनमें स्कूलों में मध्याह्न भोजन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से मासिक राशन शामिल है।
  • पका हुआ भोजन और पूरक आहार प्रदान करने हेतु समग्र पोषण के लिए प्रधानमंत्री की व्यापक योजना (पोषण-Prime Minister’s Overarching Scheme for Holistic Nourishment (POSHAN) अभियान जैसी पहलें और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना जैसी विशेष योजनाएँ।
  • इन प्रयासों के बावजूद, उचित खान-पान और आहार प्रथाओं के बारे में ज्ञान की कमी के साथ-साथ अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के प्रसार के कारण पोषण सुरक्षा एक चुनौती बनी हुई है।

बेमेतरा से सबक:

  • छत्तीसगढ़ का एक जिला बेमेतरा अपनी समृद्धि और कृषि समृद्धि के बावजूद कुपोषण की समस्या का सामना कर रहा है।
  • बेमेतरा में गंभीर तीव्र कुपोषित (SAM) बच्चों की उच्च संख्या भोजन प्रथाओं से संबंधित ज्ञान अंतराल को संबोधित करने के महत्व पर प्रकाश डालती है।
  • पोथ लइका अभियान, या “स्वस्थ बाल मिशन”, बेमेतरा में एक पोषण परामर्श कार्यक्रम है जो कुपोषित बच्चों के माता-पिता को संतुलित आहार, स्वच्छता और आहार संबंधी मिथकों को दूर करने के बारे में शिक्षित करने पर केंद्रित है।
  • स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभागों के जमीनी स्तर के कर्मचारियों को पोषण परामर्श प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, और स्थानीय नेता परामर्श सत्रों में भाग लेते हैं।

सांख्यिकीय परिणाम की तुलना:

  • पोथ लइका अभियान ने नौ महीनों (दिसंबर 2022 से जुलाई 2023) के भीतर लक्षित बच्चों में से 53.77% बच्चों यानी कुल 1,114 बच्चों में से 599 बच्चों को सफलतापूर्वक कुपोषण से बाहर निकाला गया।
  • विशेष रूप से, मध्यम तीव्र कुपोषण (MAM) के 61.5% बच्चों और SAM के 14.67% बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाला गया।
  • इसकी तुलना 20 आंगनवाड़ी केंद्रों (AWCs) के नियंत्रण समूह, जहां मिशन लागू नहीं किया गया था, से की गई जहाँ से केवल 30.6% बच्चों को कुपोषण से निकाला गया था। इनमें 33.8% MAM बच्चे शामिल हैं लेकिन SAM बच्चों की संख्या शून्य है।
  • पोथ लइका अभियान ने नियंत्रण समूह की तुलना में कुपोषण से मुक्ति में 23% की वृद्धि हासिल की।
  • विशेष रूप से, मिशन लागत प्रभावी है, इसमें प्रशिक्षण और नियमित निगरानी के लिए न्यूनतम खर्च की आवश्यकता होती है, इसके विपरीत भोजन प्रदान करने के लिए बजट की आवश्यकता होती है और इसमें लीकेज का जोखिम भी होता है।

निष्कर्ष :

  • पोथ लइका अभियान की सफलता कुपोषण को संबोधित करने में पोषण परामर्श के महत्व को रेखांकित करती है।
  • कुपोषण उन्मूलन में तेजी लाने के लिए खाद्य वितरण कार्यक्रमों को पोषण परामर्श और निगरानी के साथ जोड़ना आवश्यक है।
  • इस मॉडल को जिलों और राज्यों में बड़े पैमाने पर दोहराने से भारत के “कुपोषण मुक्त भारत” के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान मिल सकता है।

सारांश:

  • भारत में कुपोषण को खत्म करने की दिशा में, छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में पोथ लइका अभियान एक शक्तिशाली सबक प्रदान करता है। पोषण परामर्श और मजबूत निगरानी के माध्यम से, इस पहल ने बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चों को बचाया है, यह दर्शाता है कि “कुपोषण मुक्त भारत” का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भोजन सहायता के साथ-साथ ज्ञान-साझाकरण भी महत्वपूर्ण है।

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. विशेष सुरक्षा समूह (SPG):

  • विशेष सुरक्षा समूह (Special Protection Group (SPG)) एक संघीय संगठन है जिसका काम भारत के प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके निकट परिवार के सदस्यों को तत्काल सुरक्षा कवर प्रदान करना है।
  • एसपीजी का आदर्श वाक्य साहस, समर्पण और सुरक्षा है।
  • इसकी स्थापना 1985 में बीरबल नाथ समिति की सिफारिश पर की गई थी।
  • इसका कानूनी आधार और अधिकार क्षेत्र विशेष सुरक्षा समूह अधिनियम 1988 के माध्यम से स्थापित किया गया है।
  • विशेष सुरक्षा समूह भारत और विदेश दोनों में लाभार्थियों की सुरक्षा करता है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

  1. इण्डिया अर्थात् भारत, राज्यों का एक संघ (फेडरेशन) होगा।
  2. इंडिया, अर्थात् भारत, राज्यों का एक परिसंघ होगा।
  3. इण्डिया अर्थात् भारत, राज्यों का एक यूनियन होगा।
  4. इंडिया, अर्थात् भारत, राज्यों का एक गणराज्य होगा।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है, “इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ (यूनियन) होगा।”

प्रश्न 2. पोषण अभियान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. इसका उद्देश्य 0-6 वर्ष के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिनों के दौरान स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण स्थिति में सुधार करना है।
  2. पोषण अभियान में ‘सुपोषित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 18 मंत्रालयों/विभागों की गतिविधियों का अभिसरण शामिल है।
  3. यह कार्यक्रम जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर देता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • सभी तीनों कथन सही हैं: पोषण अभियान पहले 1000 दिनों के दौरान पोषण में सुधार पर केंद्रित है और इसमें विभिन्न हितधारकों के बीच अभिसरण शामिल है।

प्रश्न 3. बेरोजगारी और श्रम शक्ति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. बेरोजगारी को नौकरी से बाहर होने, काम के लिए उपलब्ध होने और सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश करने के रूप में परिभाषित किया गया है।
  2. जिन व्यक्तियों की नौकरी छूट गई है लेकिन वे दूसरी नौकरी की तलाश नहीं करते, उन्हें बेरोजगार माना जाता है।
  3. श्रम शक्ति में नियोजित और बेरोजगार व्यक्ति शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 2 गलत है: ILO बेरोजगारी को रोजगारविहीन, उपलब्ध और सक्रिय रूप से काम की तलाश करने वालों के रूप में परिभाषित करता है, इसमें रोजगार की तलाश नहीं करने वालों को शामिल नहीं किया जाता है।

4. इतिहास में “इंडिया” शब्द किस समय अस्तित्व में आया?

  1. तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सिकंदर महान के भारतीय अभियान के दौरान।
  2. पहली शताब्दी ई. में, यूनानी प्रभाव के परिणामस्वरूप।
  3. इसे 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों द्वारा “इंडिया” नाम दिया गया था।
  4. 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास, यूनानियों ने सिंधु से परे के क्षेत्र को “भारत” कहा।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • “इंडिया” शब्द 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अस्तित्व में आया, जब यूनानियों ने सिंधु नदी के पार की भूमि को संदर्भित करने के लिए इसका उपयोग करना शुरू किया। बाद में, रोमनों ने ग्रीक शब्द को अपनाया, जिससे व्यापक उपयोग शुरू हुआ।

प्रश्न 5. विशेष सुरक्षा समूह (SPG) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. इसे 1985 में बीरबल नाथ समिति की सिफारिश के आधार पर बनाया गया था।
  2. SPG प्रधानमंत्री के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके निकटतम परिवार के सदस्यों की सुरक्षा करता है जो आधिकारिक आवास पर उनके साथ रहते हैं।
  3. यह भारत और विदेशों में सुरक्षा प्रदान करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • तीनों कथन सही हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. लोगों को उनकी प्रगति की निगरानी के साथ-साथ खाने और खिलाने के तरीकों पर परामर्श देना कुपोषण के खिलाफ हमारी लड़ाई में गेम-चेंजर साबित हो सकता है। टिप्पणी कीजिए। (Counselling people on eating and feeding practices along with monitoring their progress can prove to be a game-changer in our fight against malnutrition. Comment.)
  2. (250 शब्द) [जीएस II- सामाजिक न्याय]

  3. बेरोजगारी से सफलतापूर्वक निपटने के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था में इसे कैसे परिभाषित किया और मापा जाता है। टिप्पणी कीजिए। (In order to successfully tackle unemployment it is important to understand how it is defined and measured in a developing country like India. Comment.)

(250 शब्द) [जीएस III- अर्थव्यवस्था]

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)

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