09 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आपदा प्रबंधन:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: सामाजिक न्याय:
राजव्यवस्था:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
केरल के पुनर्निर्माण के लिए लोगों का अभियान:
आपदा प्रबंधन:
विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।
मुख्य परीक्षा: बाढ़ के प्रमुख कारण, उनके परिणाम एवं प्रभाव और विभिन्न समाधान।
संदर्भ:
- इस लेख में देश में बाढ़ के बारे में बात की गई है साथ ही इसके विभिन्न समाधानों की सिफारिश भी की गयी है।
विवरण:
- केरल में वर्ष 2018 में अब तक की सबसे भयंकर बाढ़ आई थी, जिसमें लगभग 26,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
- इस तरह की बाढ़ जैसी स्थितियाँ देश के विभिन्न हिस्सों में हर साल विशेष रूप से मानसून के मौसम में बार-बार आती रहती हैं, जिससे जान-माल की व्यापक क्षति होती है।
Image Source: mapsofIndia.com
भारत में बाढ़ के मूल कारण:
- प्राकृतिक पूंजी या संसाधनों की रक्षा के लिए बने कानूनों और विनियमों का उल्लंघन।
- शाह आयोग ने गोवा में अवैध खनन के बारे में रिपोर्ट करते हुए इस पर प्रकाश डाला हैं।
- इसने कहा है कि अनुमेय स्तरों से अधिक का खनन सम्बंधित क्षेत्र के जल संसाधनों, कृषि और जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव डालता है।
- स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में मानव पूंजी के ह्रास के परिणामों की अनदेखी करना।
- यह घटना पलक्कड़ जिले के एक गाँव में देखी गयी थी जहाँ एक कारखाने द्वारा जल संसाधनों का अति दोहन और प्रदूषण के परिणामस्वरूप लगभग 160 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
- वैज्ञानिक ज्ञान और सलाह की उपेक्षा करना।
- अथिरापिल्ली जलविद्युत परियोजना के निर्माण के दौरान,रिवर रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया कि इस परियोजना के दस्तावेजों में पानी की उपलब्धता को बहुत अधिक आंका गया था जबकि इसके बाद किये गए अध्ययनों से पता चला है कि बिजली उत्पादन और रखरखाव की लागत तुलनात्मक रूप से इस परियोजना के सन्दर्भ में समान नहीं थी।
सामाजिक पूंजी का ह्रास:
- सामाजिक पूंजी का तात्पर्य व्यक्तियों की समाज की सदस्यता के माध्यम से लाभ प्राप्त करने और समस्याओं के समाधान खोजने की क्षमता से है।
अनुशंसित किये गए मुख्य समाधान:
- शासन व्यवस्था को मानव निर्मित पूंजी के साथ-साथ प्राकृतिक, मानवीय और सामाजिक पूंजी के महत्व को भी स्वीकार किया जाना चाहिए।
- एक प्रतरोधी और भ्रष्ट नौकरशाही के नकारात्मक प्रोत्साहनों से प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की वर्तमान पद्धति को सकारात्मक प्रोत्साहनों के साथ प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए, जिनकी स्थानीय समुदायों द्वारा पारदर्शी तरीके से निगरानी की जाती है, क्योंकि पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य में उनकी बड़ी हिस्सेदारी होती है और उसकी बेहतर समझ वे रखते है।
पश्चिमी घाट पैनल में ऐसे कई प्रोत्साहनों का प्रस्ताव है जिनमें निम्न शामिल हैं:
- जैव विविधता के महत्वपूर्ण पहलुओं की सुरक्षा में उनकी भूमिका के लिए संरक्षण सेवा शुल्क का भुगतान करना।
- जैविक खेती को अपनाकर मृदा कार्बन संवर्धन के लिए भुगतान।
- 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों को अक्षरश: लागू किया जाना, ताकि इसके माध्यम से लोगों को यह आश्वासन मिले कि उन्हें विकासात्मक और संरक्षणात्मक गतिविधियों से बाहर नहीं रखा गया है।
- गांव या कस्बे के स्तर पर स्थानीय निकायों को पर्यावरण की स्थिति पर रिपोर्ट तैयार करने और बजट के आवंटन पर निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।
- जैव विविधता प्रबंधन समितियों की स्थापना करना,जिसमें ऐसे नागरिक और स्थानीय समुदाय शामिल हो जो स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता संसाधनों की स्थिति का दस्तावेजीकरण तथा उनके उपयोग को विनियमित कर सकें।
- इन समितियों को जैव विविधता के साथ-साथ सामुदायिक ज्ञान से संबंधित बौद्धिक संपदा तक पहुंच के लिए संग्रह शुल्क लगाने की शक्तियां भी दी जानी चाहिए।
- वन अधिकार अधिनियम को भी सही ढंग से लागू किया जाना चाहिए ताकि जनजातियों और पारंपरिक वनवासियों को गैर-लकड़ी वन उपज पर नियंत्रण, प्रबंधन और विपणन के लिए सशक्त बनाया जा सके।
- पर्यावरण मानकों, पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट, लोगों की जैव विविधता रजिस्टर,सामुदायिक वन प्रबंधन कार्य योजनाओं और छात्रों द्वारा शुरू की गई पर्यावरण शिक्षा परियोजनाओंका एक पारदर्शी सार्वजनिक डेटाबेस बनाने की आवश्यकता है।
- आपदा प्रबंधन में मदद करने वाली प्रमुख आधुनिक तकनीकों को अपनाने के मामले में सरकार को सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए।
- पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी विशेषज्ञ पैनल, कस्तूरीरंगन समिति और ओमन वी ओमन समिति जैसी समितियों की प्रमुख सिफारिशों का विश्लेषण कर उन्हें सही भावना से लागू किया जाना चाहिए।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
राष्ट्रीय आदिवासी स्वास्थ्य मिशन शुरू करना:
विषय: कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
मुख्य परीक्षा: जनजातीय स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे।
संदर्भ:
- अंतर्राष्ट्रीय विश्व आदिवासी दिवस।
जनजातीय आबादी से संबंधित तथ्य:
- भारत की जनगणना (2011) के अनुसार लगभग 11 करोड़ अनुसूचित जनजातियां (ST) भारत में रहती हैं।
- वे भारत की आबादी का 8.6% हैं।
- जनजातीय आबादी की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
भारत के जनजातीय लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति पर पहली राष्ट्रीय रिपोर्ट:
- जनजातीय स्वास्थ्य पर 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से गठित किया गया था।
- समिति को रिपोर्ट निर्माण में पांच वर्ष लग गए।
- रिपोर्ट आखिरकार 2018 में प्रस्तुत/जमा कर दी गई।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में नामित 809 ब्लॉकों में जनजातीय लोग रहते हैं। हालांकि, भारत की आधे से अधिक जनजातीय आबादी (5.5 करोड़ लगभग) अनुसूचित क्षेत्रों से बाहर, बिखरे और हाशिए पर रहने वाले अल्पसंख्यक के रूप में रहती है।
- यद्यपि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-1) में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 1988 में 135 से घटकर 2014 (NFHS-4) में 57 हो गई है, लेकिन अन्य की तुलना में अनुसूचित जनजातियों में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों का मृत्यु दर का प्रतिशत बढ़ा है।
- आदिवासी बच्चों में बाल कुपोषण 50% अधिक है (अन्य में 28% की तुलना में 42%)।
- आदिवासी लोगों में मलेरिया और तपेदिक की घटनाएं 3 से 11 गुना अधिक हैं। मलेरिया से होने वाली कुल मौतों में से लगभग आधी मौतें आदिवासी समुदायों से होती हैं।
- उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर जैसे गैर-संचारी रोगों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद में वृद्धि हो रही हैं।
- जनजातीय क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं में 27% से 40% तक की कमी तथा डॉक्टरों की 33% से 84% की कमी आई है। इसके अलावा, सरकारी स्वास्थ्य देखभाल के लिए जनजातीय लोगों के पास धन और मानव संसाधनों की कमी है।
- स्वयं के लिए स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को डिजाइन करने, योजना बनाने या वितरित करने में आदिवासियों की अपर्याप्त भागीदारी है।
जनजातीय जीवन की स्थितियों के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
25 Jul 2022: PIB Summary for UPSC
भावी कदम:
समिति द्वारा निम्नलिखित सिफारिशें की गईं:
- आगामी 10 वर्षों में स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य सेवा को संबंधित राज्य के औसत के बराबर लाने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य कार्य योजना तैयार करना और लागू करना।
- स्वास्थ्य समस्याओं, स्वास्थ्य देखभाल अंतराल, शासन समस्याओं और मानव संसाधन अंतराल जैसे 10 प्राथमिकता वाले मुद्दों को हल करने के लिए समितियों द्वारा सुझाए गए 80 उपायों पर काम करने की आवश्यकता है।
- अतिरिक्त धनराशि का आवंटन ताकि जनजातीय लोगों पर प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य व्यय राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के निर्धारित लक्ष्य के बराबर किया जाए अर्थात प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का 2.5%।
निष्कर्ष:
- जनजातीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली कमजोर है तथा जनजातीय लोगों को ठोस समाधान की आवश्यकता है। इसलिए किसी आदिवासी का सर्वोच्च पद के लिए चयन इस संबंध में सकारात्मक संकेत है।
सम्बंधित लिंक्स:
योजना का सार जुलाई 2022: भारत में आदिवासी (Gist of Yojana July 2022: Tribals in India)
भारत में जनजातीय जनसंख्या की स्थिति – विभिन्न राज्यों में प्रमुख जनजातियों के बारे में पढ़े: Status of Tribal Population in India – Learn More About Major Tribes in Different States
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
PMLA का फैसला- नियत प्रक्रिया को ठप्प कर दिया जाएगा:
विषय: सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके डिजाइन एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट।
संदर्भ:
- विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय का हालिया निर्णय।
- अपराध निर्धारण: PMLA (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत कार्रवाई करने हेतु एक अन्य अपराध (PMLA से अलग) होना चाहिए जिससे धन प्राप्त किया गया था। अर्थात एक अन्य अपराध, किसी अपराध को PMLA के रूप में वर्गीकृत करने के लिए एक आवश्यक पूर्व शर्त है, जो अपराध का निर्धारण करती है।
हाल के निर्णय के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
03 Aug 2022: UPSC Exam Comprehensive News Analysis
PMLA योजना के तहत जिन प्रमुख बातों को चुनौती दी गई:
- आरोपी/गिरफ्तार व्यक्ति को प्रवर्तन मामले की सूचना (ECIR) न देना।
- व्यक्ति (मौजूदा/भविष्य के आरोपी) को शपथ दिला कर सच बोलने के लिए मजबूर करना (धारा 50)।
- न्यायपालिका अग्रिम/नियमित जमानत तभी दे सकती है, जब अदालत के पास यह मानने का कारण हो कि आरोपी दोषी नहीं है (धारा 45)।
- अपराधी की आय सफ़ेद संपत्ति है, यह साबित करने का भार अभियुक्त पर है (धारा 24)।
- धन शोधन से संबंधित किसी भी व्यक्ति के लिए सामान्य और गैर-वर्गीकृत दंड (धारा 4)।
PMLA के साथ इन त्रुटियों के कारण:
- ऐसे कानूनी प्रावधानों में विशिष्ट मौलिक अधिकार की चुनौती के सामने, संवैधानिक वैधता को सही ठहराने के लिए विधायिका का उपयोग करना अनुचित है।
- PMLA के असंवैधानिक प्रावधानों को लागू करना:
- PMLA के तहत अधिकतम सजा 10 साल की कैद है जबकि नियमित दंड कानून के तहत ऐसे कई अपराध हैं जिनमें आजीवन कारावास या यहां तक कि मौत की सजा भी हो सकती है, लेकिन इनमें से कोई भी कठोर प्रावधान यहाँ लागू नहीं है।
- उदाहरण के लिए, जिस व्यक्ति पर पैसे के लिए हत्या करने का आरोप है, उसके पास सभी संवैधानिक सुरक्षा उपायों के साथ हत्या का मुकदमा (मृत्यु दंडनीय) चलाया जाएगा। दूसरी ओर, हत्या से प्राप्त धन, अर्थात PMLA के तहत (अधिकतम 10 वर्ष की सजा) उसके मुकदमे के दौरान कोई भी संवैधानिक संरक्षण नहीं होता है।
- संविधान बनाम कानून:
- संविधान संसदीय कानून की सीमाओं को परिभाषित करता है, चाहे उसकी मंशा कुछ भी हो।
- कानून को अधिक महत्व देते हुए, नियत प्रक्रिया से समझौता करना होगा।
- सजा देने की प्रक्रिया में समस्या है, जिससे PMLA मामलों के बढ़ने की संभावना है।
सम्बंधित लिंक्स:
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate (ED))
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
वित्तीय स्वायत्तता की लड़ाई:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता।
संदर्भ:
- वित्तीय/राजकोषीय स्वायत्तता की कमी पर हालिया बहस।
विवरण:
- वित्त वर्ष 2011 में सकल कर राजस्व में अप्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2011 में 43% की तुलना में 50% तक बढ़ गई।
- OECD देशों में अप्रत्यक्ष कर औसतन उनके कर राजस्व में 33% से अधिक का योगदान नहीं करते हैं।
अप्रत्यक्ष करों के कारण बढ़ती असमानता:
- अप्रत्यक्ष कर प्रतिगामी होते हैं क्योंकि वे अमीर और गरीब दोनों पर समान रूप से लगते हैं। अमीरों की तुलना में गरीबों पर उनकी आय के अधिक अनुपात में कर लगाया जाता है।
- जबकि अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि हुई है, कॉरपोरेट टैक्स जैसे प्रत्यक्ष करों को 35% से घटाकर 22% कर दिया गया है, जिससे सरकारी खजाने को लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
- अप्रत्यक्ष करों पर भारत की बढ़ती निर्भरता बढ़ती असमानता और कम विकास के साथ मेल खाती है।
- विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के शीर्ष 1% सबसे अमीर लोगों के पास 2021 तक कुल राष्ट्रीय आय का 22% और शीर्ष 10% के पास आय का 57% हिस्सा था।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक है।
- इसके अलावा विश्व में भारत को अत्यंत गरीब लोगों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या के घर के रूप में पहचाना जाता है।
तमिलनाडु और केरल की केस स्टडी:
- तमिलनाडु काफी हद तक मुद्रास्फीति को नकारने में सक्षम रहा है :
- कुशल सार्वजनिक वितरण प्रणाली।
- महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा जैसी कल्याणकारी योजनाएं।
- तमिलनाडु और केरल का कई सामाजिक-आर्थिक संकेतकों जैसे श्रम शक्ति में महिला भागीदारी और स्नातक नामांकन अनुपात में अग्रणी स्थान हैं।
- इसे सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रमों को शुरू करने में सक्रिय रुख के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में चिंता के कारण:
- विगत कुछ वर्षों में तमिलनाडु की वित्तीय स्वायत्तता में भारी गिरावट आई है।
- तमिलनाडु के एक विकसित राज्य को उत्तर प्रदेश और बिहार के विपरीत प्रत्येक रुपये के बदले में केवल 30 पैसे मिलते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार को ₹2 से ₹3 मिलते हैं।
- उपकर और अधिभार में मनमानी वृद्धि के कारण राज्यों के राजकोषीय संसाधन और कम हो जाते हैं, जो राज्यों के साथ अविभाज्य हैं। केंद्र सरकार के सकल कर राजस्व में उपकर और अधिभार की हिस्सेदारी 2011-12 और 2020-21 के बीच लगभग दोगुनी हो गई है।
- इसके अतिरिक्त, GST जैसे अप्रत्यक्ष करों पर केंद्र सरकार की बढ़ती निर्भरता ने प्रत्यक्ष रूप से मूल्य वृद्धि और असमानता को बढाया है।
सम्बंधित लिंक्स:
भारत में कराधान – प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर, कराधान प्रणाली की विशेषताएं (Taxation in India – Direct taxes & Indirect Taxes, Features of Taxation System)
यूपीएससी परीक्षा (UPSC Exam) व्यापक समाचार विश्लेषण: 18 जनवरी, 2022 CNA
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. कैंटिलन प्रभाव (Cantillon effect):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: अर्थव्यवस्था; महत्वपूर्ण शब्दावली
प्रारंभिक परीक्षा: कैंटिलन प्रभाव।
कैंटिलन प्रभाव (Cantillon effect):
- कैंटिलन प्रभाव का नाम 18वीं शताब्दी के फ्रांसीसी अर्थशास्त्री रिचर्ड केंटिलॉन के नाम पर रखा गया है,जिन्होंने इस सम्बन्ध में अपने विचार एक निबंध “सामान्य तौर पर व्यापार की प्रकृति” (Nature of Trade in General) में प्रकाशित किए थे।
- कैंटिलन प्रभाव इस विचार को संदर्भित करता है कि अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में परिवर्तन लोगों के बीच क्रय शक्ति के पुनर्वितरण का कारण बनता है, यह वस्तुओं और सेवाओं की सापेक्ष कीमतों को विकृत करता है, और दुर्लभ संसाधनों के गलत आवंटन का कारण बनता है।
- अर्थव्यवस्था में सामान्य मान्यताओं और मुद्रा की मात्रा के सिद्धांत के अनुसार,किसी अर्थव्यवस्था में समग्र मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि से दीर्घकाल में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समानुपातिक वृद्धि होती है,क्योंकि किसी अर्थव्यवस्था में कुल राशि सामान्य मूल्य स्तर को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- कैंटिलन प्रभाव इस विचार को संदर्भित करता है कि एक जब अर्थव्यवस्था में नई मुद्रा आती है तो उस मुद्रा के स्रोत के सबसे नज़दीक एवं विशिष्ट वर्ग वालों को सबसे पहले और सबसे ज़्यादा फ़ायदा होता है,तथा इस कड़ी में दूर रहने वाले लोगों तक इसका प्रवाह काफ़ी देर बाद और कम मात्रा में होता है। दूसरे शब्दों में नई मुद्रा का वितरण एक समान नहीं होता।
- उन लोगों की क्रय शक्ति जो नई मुद्रा हासिल करते हैं,वह शेष समाज की कीमत पर बढ़ जाती है।
- कैंटिलन प्रभाव उन अर्थशास्त्रियों द्वारा उद्धृत किया गया है,जो आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए केंद्रीय बैंकों की विस्तारवादी नीतियों की आलोचना करते हैं।
2. अभ्यास वज्र प्रहार 2022 :
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल,एजेंसियां और उनका जनादेश।
प्रारंभिक परीक्षा: अभ्यास वज्र प्रहार।
संदर्भ:
- भारत-अमेरिका संयुक्त विशेष सैन्य बलों के 13वें संस्करण का अभ्यास “वज्र प्रहार, 2022” स्पेशल फोर्सेज ट्रेनिंग स्कूल (एसएफटीएस), बकलोह (हिमाचल प्रदेश) में शुरू हो गया हैं।
अभ्यास वज्र प्रहार:
- अभ्यास वज्र प्रहार भारत और अमेरिकी सेना का संयुक्त विशेष बल अभ्यास है।
- वज्र प्रहार का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ाना और एक-दूसरे की सेनाओं के अनुभवों को भुनाना है:
- दोनों बलों के बीच अंतःक्रियाशीलता को बढ़ावा देना।
- दोनों सेनाओं के बीच परस्पर रणनीति का आदान-प्रदान करना।
- दोनों सेनाओं के बीच सर्वोत्तम सैन्य प्रथाओं को साझा करना।
- संयुक्त रणनीति विकसित करना।
- अभ्यास भारत और अमेरिका में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
- अभ्यास वज्र प्रहार से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Ex Vajra Prahar
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. श्रीलंका के सामान्य मामलों में खलल न डालें: भारत से चीन ने कहा
- श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी युआन वांग 5 अनुसंधान और सर्वेक्षण पोत के बारे में भारत द्वारा जाहिर की गई चिंताओं के बीच, श्रीलंका की सरकार ने कहा है कि वह “आगे के परामर्श तक” (until further consultations) यात्रा को स्थगित करना चाहती हैं।
- चीन ने इन घटनाक्रमों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और भारत से दोनों देशों के बीच सामान्य आदान-प्रदान को बाधित नहीं करने का आग्रह किया है।
- इसी तरह 2021 में, एक चीनी फर्म ने इसे “तीसरे पक्ष” द्वारा किया गया “हस्तक्षेप” बताया था क्योंकि भारत ने जाफना के तीन द्वीपों में ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने के लिए चीन की एक कंपनी को अक्षय ऊर्जा परियोजना देने पर चिंता जताई थी।
2. केरल के राज्यपाल ने अध्यादेशों को फिर से जारी करने पर आपत्ति जताई:
- केरल के राज्यपाल ने विधान सभा द्वारा अनुसमर्थन प्राप्त करने के बजाय अध्यादेशों को फिर से जारी करने की राज्य सरकार की कार्रवाइयों पर आपत्ति जताई हैं।
- केरल सरकार द्वारा 11 अध्यादेश राज्यपाल को फिर से जारी करने के लिए भेजे गए थे।
- एक अध्यादेश एक कानून है जिसे भारत के राष्ट्रपति (अनुच्छेद 123) या किसी भी राज्य के राज्यपाल (अनुच्छेद 213) द्वारा तभी प्रख्यापित किया जाता है जब भारतीय संसद या राज्य विधानसभाएं सत्र में नहीं होती हैं।
- 1986 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि अध्यादेशों को फिर से लागू करना संविधान के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है,और लोकतांत्रिक विधायी प्रक्रियाओं को प्रभावित कर उन्हें विकृत कर देता है।
- वर्ष 2017 में, सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने माना कि अध्यादेशों का फिर से मुक्त होना असंवैधानिक है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- रेपो दर में बढ़ोतरी से सभी प्रकार की उधार दरों में भी वृद्धि होती है।
- आम तौर पर, रेपो दर में वृद्धि के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था की विकास दर में वृद्धि होती है।
- RBI का OBICUS (ऑर्डर बुक्स, इन्वेंटरी और कैपेसिटी यूटिलाइजेशन सर्वे) भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की मांगों के सम्बन्ध में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकिंग प्रणाली को पैसा उधार देता है और रेपो दर में वृद्धि से सभी प्रकार की उधार दरों में वृद्धि होती है।
- कथन 2 सही नहीं है: अर्थव्यवस्था में कम मुद्रा आपूर्ति के परिणामस्वरूप खपत में कमी के कारण रेपो दर में वृद्धि आर्थिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
- कथन 3 सही है: RBI का OBICUS (ऑर्डर बुक्स, इन्वेंटरी और कैपेसिटी यूटिलाइजेशन सर्वे) भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की मांगों में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
प्रश्न 2. सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (START) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- 1991 में हस्ताक्षरित, START I (सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच रणनीतिक आक्रामक हथियारों की कमी और उन्हें सीमित करने के लिए की गई एक द्विपक्षीय संधि थी।
- संधि के तहत हस्ताक्षरकर्ताओं को 6,000 से अधिक परमाणु हथियार और कुल 1,600 अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) और बमवर्षक तैनात करने पर रोक लगा दी गई।
- नई START संधि के तहत तैनात सामरिक परमाणु हथियारों की संख्या 1,550 तक सीमित की गई है, जो मूल START संधि से लगभग दो-तिहाई कम है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: START (सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि) सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच सामरिक आक्रामक हथियारों की कमी के लिए की गई एक द्विपक्षीय संधि थी।
- इस संधि पर 31 जुलाई 1991 को हस्ताक्षर किए गए और यह 5 दिसंबर 1994 को लागू हुई थी।
- कथन 2 सही है: इस संधि के तहत हस्ताक्षरकर्ताओं को 6,000 से अधिक परमाणु हथियार और कुल 1,600 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) और बमवर्षक तैनात करने पर रोक लगा दी गई थी।
- कथन 3 सही है: नई START संधि के तहत तैनात सामरिक परमाणु हथियारों की संख्या 1,550 तक सीमित की गई है, जो मूल START संधि से लगभग दो-तिहाई कम है।
प्रश्न 3. राष्ट्रमंडल खेलों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- “खेल तो बस शुरुआत है” 2022 राष्ट्रमंडल खेलों का आदर्श वाक्य है।
- ओलंपिक के विपरीत पैरा एथलीटों ने भी इस राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया हैं, जिससे यह पहला पूर्ण समावेशी अंतरराष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन बन गया हैं।
- 2022 राष्ट्रमंडल खेल पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक खेलों का आयोजन करने वाला पहला वैश्विक बहु-खेल आयोजन है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: 2022 राष्ट्रमंडल खेलों का आदर्श वाक्य था “”खेल तो बस शुरुआत है”।
- कथन 2 सही है: ओलंपिक के विपरीत, पैरा एथलीटों ने भी समान राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया, जिससे यह पहला पूर्ण समावेशी अंतर्राष्ट्रीय बहु-खेल आयोजन बन गया।
- कथन 3 सही है: 2022 राष्ट्रमंडल खेल पहला वैश्विक बहु-खेल आयोजन है जिसमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक प्रतिपर्धा आयोजित कि गयी हैं।
प्रश्न 4. ‘साही की रणनीति (Porcupine strategy)’, जो अक्सर चर्चा में रही है, निम्नलिखित में से किससे संबंधित है? (स्तर – सरल)
(a) असममित युद्ध की रणनीति।
(b) अगली महामारी से बचने की रणनीति।
(c) विदेशी पशुओं की अवैध तस्करी से निपटने की रणनीति।
(d) लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण की रणनीति।
उत्तर: a
व्याख्या:
- 2008 में यूएस नेवल वॉर कॉलेज के शोध प्रोफेसर विलियम एस मरे द्वारा प्रस्तावित “साही की रणनीति” एक कमजोर राज्य की सुरक्षा को मजबूत करने पर केंद्रित असममित युद्ध की रणनीति है,जिसमे दुश्मन की कमजोरियों का फायदा उठाने के बजाय उसकी ताकत का फायदा उठाया जाता हैं।
प्रश्न 5. भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: PYQ (2022) (स्तर – सरल)
- यदि मुद्रास्फीति अत्यधिक है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) संभावित रूप से सरकारी प्रतिभूतियां खरीद सकता है।
- यदि रुपये में तेजी से मुल्यहास हो रहा है, तो RBI बाजार में डॉलरों का संभावित रूप से विक्रय कर सकता है।
- यदि संयुक्त राज्य अमेरिका या यूरोपीय संघ में ब्याज दरें गिरती हैं, तो इससे संभावित रूप से RBI की डॉलरों की खरीद बढ़ सकती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: यदि मुद्रास्फीति बहुत अधिक हो गई है, तो आरबीआई दबाव को कम करने के लिए सरकारी प्रतिभूतियों को बेचेगा।
- कथन 2 सही है: यदि रुपये का तेजी से मूल्यह्रास हो रहा है, तो आरबीआई द्वारा बाजार में तरलता बनाए रखने और बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए डॉलर बेचने की संभावना है।
- कथन 3 सही है: पुरानी मुद्राओं के बीच विनिमय दर भिन्नता को समाप्त करने से देशों के बीच व्यापार और निवेश में वृद्धि होने की उम्मीद बढ़ जाती है।
- जब केंद्रीय बैंक डॉलर बेचता है, तो वह रुपये में बराबर राशि निकालता है, इस प्रकार सिस्टम में रुपये की तरलता कम हो जाती है। बाजार में डॉलर की आवक से रुपया मजबूत होगा। इसलिए, संयुक्त राज्य अमेरिका या यूरोपीय संघ में ब्याज दरों में गिरावट की स्थिति में आरबीआई डॉलर खरीदेगा।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. मनी लॉन्ड्रिंग की तुलना आतंकवाद से करने पर अधिकारियों द्वारा PMLA कानून के दुरुपयोग की गुंजाइश बढ़ जाती है। क्या आप इससे सहमत हैं? विस्तार से बताइये। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – शासन)
प्रश्न 2. भारत में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के बीच असंतुलन को दूर करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – आर्थिक विकास)