09 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था:
पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विनिवेश की स्थिति और आय:
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने प्रगति,विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: विनिवेश, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) और प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के बारे में।
मुख्य परीक्षा: विनिवेश – विभिन्न रूप, महत्व, संबंधित चिंताएं और हालिया रुझान।
प्रसंग:
- केंद्रीय बजट 2023-24 ( Union Budget 2023-24 ) में सरकार ने 51,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है।
पृष्ठभूमि:
- केंद्रीय बजट 2023-24 में विनिवेश लक्ष्य वित्त वर्ष 2022-23 के बजट अनुमान से लगभग 21% कम हो गया है और संशोधित अनुमान से केवल लगभग ₹1,000 करोड़ अधिक है।
- केंद्रीय बजट 2023-24 में निर्धारित विनिवेश लक्ष्य भी लगभग सात वर्षों में सबसे कम है।
- इसके अलावा, सरकार ने 2022-23 के विनिवेश लक्ष्य को भी पूरा नहीं किया है।
- अभी तक, सरकार ने ₹31,106 करोड़ की वसूली की है, जिसमें से ₹20,516 करोड़ (बजट अनुमान का 33.33%) जीवन बीमा निगम (LIC) में सरकारी शेयरों के 3.5% के प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (initial public offering (IPO) ) से आए हैं।
- संसद टीवी परिप्रेक्ष्य: LIC IPO से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Sansad TV Perspective: LIC IPO
विनिवेश:
- विनिवेश का तात्पर्य सरकार द्वारा किसी केंद्रीय या राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम जैसी संपत्तियों या उनकी सहायक संपत्तियों की बिक्री से है।
विनिवेश के तीन प्रमुख दृष्टिकोण हैं जिनमें निम्न शामिल हैं:
- अल्पसंख्यक विनिवेश: विनिवेश को बनाये रखने के बावजूद सरकार अभी भी कंपनी में बहुसंख्यक शेयरों को बरकरार रखती है जो आमतौर पर 51% से अधिक होता है।
- अल्पसंख्यक विनिवेश के संबंध में सरकार अभी भी इसके प्रबंधन पर अपना नियंत्रण रखती है।
- बहुसंख्यक विनिवेश: बहुसंख्यक विनिवेश के मामले में, सरकार अधिग्रहण करने वाली इकाई को नियंत्रण हस्तांतरित करती है और केवल कुछ ही हिस्सेदारी अपने पास रखती है।
पूर्ण निजीकरण:
- पूर्ण निजीकरण के संबंध में एक सार्वजनिक संस्था का 100% नियंत्रण अधिग्रहण करने वाली संस्था को हस्तांतरित किया जाता है।
- निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाला एक अलग विभाग है जो विनिवेश से संबंधित प्रक्रियाओं को देखता है।
- भारत में विनिवेश नीति और DIPAM से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Disinvestment Policy in India and DIPAM
विनिवेश का महत्व:
- विनिवेश सरकार पर राजकोषीय बोझ को कम करने में मदद कर सकता है और किसी विशेष वर्ष में राजस्व की कमी की भरपाई भी कर सकता है।
- विनिवेश से हुई आय का उपयोग राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) को वित्तपोषित करने के लिए भी किया जाता है।
- विनिवेश संपत्ति के निजी स्वामित्व और खुले बाजार में व्यापार को भी प्रोत्साहित करता है।
- एक सफल विनिवेश इस तथ्य को भी सुनिश्चित करता है कि अब सरकार को घाटे में चल रही संस्थाओं की लागत वहन करने की आवश्यकता नहीं है।
- विनिवेश से प्राप्त आय का उपयोग अर्थव्यवस्था में पुनः निवेश करने, सामाजिक क्षेत्र और विकास कार्यक्रमों को वित्त पोषित करने और सरकारी ऋण का भुगतान करने के लिए भी किया जा सकता है।
भारत में विनिवेश से संबंधित रुझान:
- वर्ष 2014 में NDA सरकार के सत्ता में आते ही विनिवेश के लिए एक प्रोहत्साहन अपेक्षित था क्योंकि सरकार ने “नो बिज़नस टू बी इन बिज़नस” की घोषणा की थी।
- 2014 से NDA सरकार ने अपने विनिवेश लक्ष्यों को दो बार पूरा किया है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछले 30 वर्षों में विभिन्न सरकारें भारत में केवल छह बार वार्षिक विनिवेश लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम रही हैं।
- वर्ष 2017-18 में सरकार ने ₹72,500 करोड़ के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में ₹1 लाख करोड़ से अधिक की विनिवेश प्राप्तियां अर्जित की गई थीं।
- इसके अलावा 2018-19 में, सरकार ने विनिवेश के माध्यम से 80,000 करोड़ रुपये के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 94,700 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे।
- हालांकि, PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च ने हाल के वर्षों में ऐसे उदाहरणों को उजागर किया है, जिसमें सरकार ने कुछ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) में अपने 51% से अधिक शेयरों का विनिवेश किया और साथ ही प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण भी किया, जिसे किसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम को बेच दिया गया था।
- उदाहरण के लिए, सरकार ने 2017-18 में अपने लक्ष्य को पार कर दिया, इसके लिए हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) को राज्य के स्वामित्व वाले तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) को बेचकर लगभग ₹36,915 करोड़ अर्जित किए गए थे।
- इसी तरह, 2018-19 में, सरकार ने आरईसी लिमिटेड को पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड को बेचकर 14,500 करोड़ रुपये जुटाए, जो एक अन्य राज्य के स्वामित्व वाली इकाई है।
- 2021-22 में, एयर इंडिया के विनिवेश के बावजूद, जिसे टाटा समूह को सौंप दिया गया था, केंद्र ₹1.75 लाख करोड़ के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने से चूक गया, 2021-22 में विनिवेश आय के माध्यम से केवल ₹13,534 करोड़ ही जुटाए जा सके थे।
- इसके अतिरिक्त, वित्त वर्ष 2022-23 में भी, बजट अनुमान का लगभग 33.33% LIC के विलंबित IPO के माध्यम से प्राप्त किया गया है, जिसे पिछले वर्ष जारी किया जाता यदि बाजार अस्थिर नहीं होता।
- अब तक सरकार ने विनिवेश आय के माध्यम से केवल ₹31,106 करोड़ की वसूली की है जबकि चालू वित्त वर्ष में दो महीने से भी कम समय शेष है, संभावना है कि सरकार अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकेगी।
विनिवेश में हालिया रुझान:
- भारत पेट्रोलियम (BPCL) में 52.8% हिस्सेदारी का विनिवेश भी 2022 के मध्य में टाल दिया गया था क्योंकि अधिकांश बोलीदाता पीछे हट गए थे।
- बोली प्रक्रिया में खामियों के कारण सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स की रणनीतिक बिक्री भी रद्द कर दी गई।
- पवन हंस का विनिवेश भी टाल दिया गया है।
- नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को टाटा समूह की एक स्टील इकाई को बेचने से सरकार के खजाने में कोई बिक्री आय नहीं हुई क्योंकि कंपनी में इसकी कोई इक्विटी नहीं थी।
यह भी पढ़ें: Disinvestment in India: A Timeline [Infographics]
भावी कदम:
- वर्ष 2021 में घोषित नई विनिवेश नीति के अनुसार, सरकार का इरादा परमाणु ऊर्जा, रक्षा आदि जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में न्यूनतम उपस्थिति बनाए रखने और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों से बाहर निकलने का है।
- DIPAM के अधिकारियों ने यह भी कहा है कि सरकार ने राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के पहले से घोषित और नियोजित निजीकरण पर बने रहने का फैसला किया है।
- हालांकि सरकार से केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSEs) की सूची में कोई नई कंपनी जोड़ने की उम्मीद नहीं है, जिसका 2023-24 में विनिवेश किया जाएगा।
- इसके अलावा, बजट 2021 में घोषित किए गए दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा फर्म के महत्वाकांक्षी विनिवेश भी विनिवेश योजनाओं का हिस्सा नहीं हो सकते हैं।
सारांश:
|
---|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
न्यायिक नियुक्तियों में अपारदर्शिता की समस्या:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली
मुख्य परीक्षा: कॉलेजियम प्रणाली की कार्य पद्धति से संबंधित मुद्दे
प्रसंग:
- मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में वकील लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी को एक अपर न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है।
भूमिका:
- मद्रास उच्च न्यायालय ने वकील लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी को अपर न्यायाधीश नियुक्त किया है।
- न्यायधीश के पद के लिए कॉलेजियम द्वारा उनके नाम की सिफारिश किए जाने के बाद, इनकी नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, कि वह मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ कथित रूप से “हेट स्पीच” में लिप्त थीं।
- हालाँकि, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति पर रोक लगाने और उन्हें शपथ लेने से रोकने हेतु दायर याचिका को खारिज कर दिया।
- इससे पहले, केंद्रीय कानून मंत्रालय ने न्यायालय के किसी भी संभावित अंतरिम आदेश से बचने के लिए उम्मीदवारों के एक सेट के संबंध में सिफारिश पर असाधारण गति से कार्रवाई की थी, ऐसा अन्य मामलों में कभी नहीं देखा गया है।
अपारदर्शिता की समस्या:
- यह विवाद न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया के साथ कुछ निरंतर, संरचनात्मक समस्याओं जैसे अपारदर्शिता को इंगित करता है।
- भारत में कॉलेजियम द्वारा न्यायिक नियुक्तियों की तुलना अन्य लोकतांत्रिक देशों, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका या केन्या से की जा सकती है।
- ये देश पारदर्शी प्रक्रियाओं का पालन करते हैं जहां चयन प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत से पहले न्यायिक उम्मीदवारों के नाम सार्वजनिक रूप से ज्ञात होते हैं।
- इसके विपरीत, भारत में कॉलेजियम द्वारा उनके चयन के बाद उम्मीदवार के नाम को प्रभावी रूप से सार्वजनिक किया जाता है।
- चयन प्रक्रिया बंद दरवाजों के पीछे होती है, जहां शामिल पक्ष कॉलेजियम और सरकार (इंटेलिजेंस ब्यूरो के माध्यम से) होते हैं।
- इस अपारदर्शी प्रक्रिया का नतीजा असममित है,
- इस अपारदर्शी प्रक्रिया का नतीजा विषम है, जब सरकार किसी विशेष उम्मीदवार को मंजूरी देती है, तो वह जानकारी को प्रभावित करने के लिए कॉलेजियम के लिए संबंधित जानकारी को आसानी से रोक सकती है जिसके आधार पर कॉलेजियम “उपयुक्तता” निर्धारित करता है। यह कॉलेजियम की निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावी ढंग से प्रभावित करता है।
- अगर कॉलेजियम के सामने प्रभावी परामर्श और प्रासंगिक जानकारी रखी गई होती, तो वकील लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति नहीं हो पाती।
- सरकार भी प्रक्रिया में तेजी ला सकती है (जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ)। अन्य मामलों में, सरकार कॉलेजियम के निर्देशानुसार न्यायाधीशों की नियुक्ति से इनकार करके पॉकेट वीटो का प्रयोग कर सकती है।
- इस अपारदर्शी प्रक्रिया का नतीजा विषम है, जब सरकार किसी विशेष उम्मीदवार को मंजूरी देती है, तो वह जानकारी को प्रभावित करने के लिए कॉलेजियम के लिए संबंधित जानकारी को आसानी से रोक सकती है जिसके आधार पर कॉलेजियम “उपयुक्तता” निर्धारित करता है। यह कॉलेजियम की निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावी ढंग से प्रभावित करता है।
- एक बार कॉलेजियम की सिफारिश हो जाने के बाद, इसे चुनौती देने का एकमात्र तरीका कानूनी चुनौती है।
- हालाँकि, यह चुनौती स्वयं सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के समक्ष होनी चाहिए, जिससे अजीब स्थिति पैदा हो सकती है क्योंकि इसमें सर्वोच्च न्यायालय के तीन (या पाँच) वरिष्ठतम न्यायाधीशों के कॉलेजियम के निर्णय को उनके कनिष्ठ सहयोगियों के समक्ष चुनौती दी जाएगी (और इन सहयोगियों को CJI द्वारा मामला सौंपा जाएगा, जो स्वयं कॉलेजियम के प्रमुख हैं)।
- कॉलेजियम न्यायिक नियुक्ति के लिए एक नाम की सिफारिश करते समय एक प्रशासनिक निकाय के रूप में कार्य करता है और व्यवहार में सभी प्रशासनिक निर्णय न्यायिक समीक्षा के लिए खुले होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएँ:
- इटली: संवैधानिक न्यायालय में नियुक्तियां राष्ट्रपति, विधायिका और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की जाती हैं, प्रत्येक संस्था को पांच न्यायाधीशों को नामित करने की अनुमति है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा (आजीवन) नामित किया जाता है और फिर सीनेट द्वारा बहुमत से अनुमोदित किया जाता है।
- जर्मनी: जर्मन संवैधानिक न्यायालय को संसद द्वारा (प्रत्येक सदन द्वारा प्रत्येक न्यायालय सीनेट में चार नियुक्तियां की जाती हैं) सर्वोच्च बहुमत (Supermajority) के वोट (2/3) द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- इराक: सभी न्यायाधीश एक न्यायिक संस्थान के स्नातक होते हैं, सभी आवेदकों को न्यायाधीशों के एक पैनल के समक्ष एक साक्षात्कार के साथ-साथ लिखित और मौखिक परीक्षण से गुजरना पड़ता है।
- जापान: सर्वोच्च न्यायालय सचिवालय निचले स्तर की न्यायिक नियुक्तियों के साथ-साथ उनके प्रशिक्षण और पदोन्नति को भी नियंत्रित करता है।
- न्यायिक परिषदें: अन्य देशों ने न्यायिक परिषदों का प्रयोग किया है (जिसमें अक्सर मौजूदा न्यायाधीश, न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधि, बार एसोसिएशन के सदस्य, आम आदमी आदि शामिल होते हैं)।
भावी कदम:
- वर्तमान संरचना सैद्धांतिक रूप से ही नहीं बल्कि इसलिए भी समस्याग्रस्त है क्योंकि यह राजनीतिक कार्यपालिका को असममित रूप से लाभ पहुँचाती है। इसलिए हमारी न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया की संरचना में समस्या की जड़ का पता लगाना और कार्यकारी प्रभुत्व से न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा करना महत्वपूर्ण है।
- भारत इस संबंध में अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन कर सकता है। उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका में, न्यायिक नियुक्ति आयोग की कार्यवाहियों की न्यायिक समीक्षा की गई है, और अदालतों ने आयोग को अपने विचार-विमर्श को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है।
- यह नियंत्रण और संतुलन की एक प्रणाली प्रदान करता है और पारदर्शिता और सार्वजनिकता लाता है। इसलिए गलतियों और त्रुटियों के मामले में जांच और सुधारात्मक तंत्र की अनुमति देने के लिए न्यायिक नियुक्ति आयोग और अदालत के बीच अलगाव का एक परिमाण आवश्यक है।
- नियुक्ति प्रक्रिया में किसी भी अस्वास्थ्यकर प्रथा का समाधान करने के लिए एक ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए जो उम्मीदवारों की साख की एक स्वतंत्र तंत्र के माध्यम से एक निष्पक्ष मूल्यांकन का प्रावधान करती हो जो उनकी उपयुक्तता की सार्वजनिक संवीक्षा सुनिश्चित कर सके।
सारांश:
|
---|
कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच हालिया संघर्ष के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Recent conflict between Executive and Judiciary
नॉर्डिक-भारत संबंध:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय:अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण एजेंसियां, विधान और समझौते
मुख्य परीक्षा: नॉर्डिक देशों के साथ भारत के संबंध
प्रसंग:
- इस लेख में भारत के हरित परिवर्तन के लिए नॉर्डिक देशों के महत्व पर चर्चा की गई है।
भूमिका:
- पिछले दशकों में, नॉर्डिक देश हरित प्रौद्योगिकी समाधानों – हाइड्रोजन, अपतटीय पवन, बैटरी तथा कार्बन कैप्चर और भंडारण – में अग्रणी रहे हैं जो दुनिया के लिए हरित संक्रमण में सफल होने के लिए आवश्यक हैं।
- नॉर्डिक क्षेत्र का लक्ष्य 2030 तक दुनिया का सबसे टिकाऊ और एकीकृत क्षेत्र बनना है।
- मई 2022 में कोपेनहेगन में आयोजित नॉर्डिक-भारत शिखर सम्मेलन (Nordic-India Summit) में, पांच नॉर्डिक प्रधानमंत्रियों और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटलीकरण, नवीकरणीय ऊर्जा, समुद्री उद्योगों और सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर सहयोग को तेज करने पर सहमति व्यक्त की हैं।
- श्री मोदी ने संयुक्त नॉर्डिक समाधानों में भी रुचि व्यक्त की जो भारत के हरित परिवर्तन का समर्थन कर सकते हैं।
भारत से जुड़ना:
- नॉर्वे और फ़िनलैंड के व्यापार मंत्री व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों और कंपनियों के साथ वर्तमान में एक साथ (9-10 फरवरी) भारत का दौरा कर रहे हैं ताकि साझेदारी में अतिरिक्त मूल्य समाहित किया जा सके जो ये देश भारत को प्रदान कर सकते हैं और भारत में विकसित किए जा रहे प्रभावशाली नवाचारों और डिजिटल समाधानों से सीख भी सकते हैं।
- भारत में लगभग 240 नॉर्वेजियन और फिनिश कंपनियां हैं।
- नॉर्वे और फिनलैंड दोनों के भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) हैं और निवेश वार्ताएं चल रही हैं।
- इसके अलावा, सेवाओं का व्यापार महत्वपूर्ण संभावनाओं वाला क्षेत्र है, विशेष रूप से पर्यटन, शिक्षा, आईटी, ऊर्जा, समुद्री और वित्तीय सेवाएँ।
- फ़िनलैंड, यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य के रूप में, यूरोपीय संघ-भारत FTA वार्ता का एक हिस्सा है, और नॉर्वे यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के माध्यम से बातचीत कर रहा है।
भारत-फिनलैंड:
- हाल के वर्षों में फिनलैंड और भारत के बीच व्यापार और निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- फ़िनलैंड ने मुंबई में एक नया महावाणिज्य दूतावास भी खोला, जो भारत में नॉर्डिक प्रतिनिधियों की संख्या को और बढ़ाएगा तथा भारत-फ़िनिश संबंधों को मजबूत करने में योगदान देगा।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार, स्थिरता, डिजिटलीकरण, कार्बन तटस्थता और अन्य क्षेत्रों में फ़िनलैंड के अनुभव ने कई भारतीय उद्यमों का ध्यान आकर्षित किया है।
- इसके अतिरिक्त, अधिक से अधिक भारतीय विद्वान, शिक्षाविद और पेशेवर फिनलैंड में स्थानांतरित हो रहे हैं।
- भारत फ़िलहाल नोकिया और फ़ोर्टम जैसे फ़िनलैंड के व्यवसायों के लिए सबसे बड़ा बढ़ता हुआ बाज़ार है, जिन्होंने वहाँ अपना सबसे बड़ा निवेश किया है।
भारत-नॉर्वे:
- पिछले तीन वर्षों में नॉर्वे और भारत के बीच व्यापार दोगुना हो गया है।
- नॉर्वेजियन सॉवरेन वेल्थ फंड के भारत के सबसे बड़े एकल विदेशी निवेशकों (लगभग 17.6 बिलियन डॉलर) में से एक बनने की संभावना है।
- नॉर्वेजियन सरकार ने भी हाल ही में विदेशों में नवीनीकरण में निवेश के लिए एक नया जलवायु निवेश कोष स्थापित किया है, और भारत को फोकस देश के रूप में परिभाषित किया गया है।
- जलवायु निवेश कोष के माध्यम से भारत में अब तक लगभग ₹1,500 करोड़ का निवेश किया जा चुका है और निवेश की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
भारत के लिए नॉर्डिक देशों का महत्व:
- हाल के वर्षों में भारत और नॉर्डिक देशों ने आपसी विश्वास, स्थायी मित्रता और साझा प्रगति की भावना के आधार पर एक बहुआयामी रणनीतिक सहयोग पथ की शुरुआत की है।
- दोनों पक्षों को स्वाभाविक साझेदार माना जाता है क्योंकि वे मजबूत लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों, बहुलवाद और संस्थागत बुनियाद को साझा करते हैं।
- भारत और नॉर्डिक देश 13 बिलियन अमरीकी डॉलर के कुल द्विपक्षीय व्यापार और सेवाओं के साथ मजबूत व्यापारिक साझेदारी का लाभ उठा रहे हैं।
- नॉर्डिक देश सर्वोत्तम नवाचार, हरित प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु सक्रियता और ऊर्जा विविधीकरण का समावेश करते हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा, भारत एकमात्र अन्य देश है जिसके साथ नॉर्डिक देशों की शिखर-स्तरीय बैठकें होती हैं।
- उन्नत भारत-नॉर्डिक संबंध भी भारत की आर्कटिक नीति को बढ़ावा देने में एक सक्षम कारक हैं जो उस क्षेत्र में रणनीतिक उपस्थिति के लिए नई दिल्ली के मजबूत दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। समवर्ती रूप से, यह यूरोपीय संघ (EU) के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में भी सक्षम होगा।
- भारत और नॉर्डिक देशों के बीच चल रहे निवेश और व्यापार के बावजूद, व्यापार और भावी सहयोग के लिए अभी भी महत्वपूर्ण अप्रयुक्त क्षमता है।
- जैसा कि भारत एक हरित, डिजिटल और नवोन्मेषी भविष्य में तेजी से आगे बढ़ रहा है, नॉर्डिक देश इन क्षेत्रों में अनुभव साझा कर सकते हैं और भारत के परिवर्तन का हिस्सा बन सकते हैं।
- “खाद्य प्रसंस्करण और कृषि, स्वास्थ्य परियोजनाओं और जीवन विज्ञान जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों की पहचान” के संयोजन के साथ “अभिनव और टिकाऊ समाधान” में निवेश बढ़ाने में एक साझा रुचि को प्राथमिकता दी गई है।
- भारत-नॉर्डिक रणनीतिक साझेदारी की अनूठी विशेषताओं में से एक समुद्री सहयोग पर जोर देना है। साझा आर्थिक प्रगति, रोजगार सृजन, पोषण और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से नीली अर्थव्यवस्था में निवेश को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाता है।
- प्रौद्योगिकियां और नवाचार जो सफल हैं और भारत में गुणित किए गए हैं, उन्हें दुनिया के अन्य हिस्सों में आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है।
- साथ में, नॉर्डिक्स और भारत विश्व स्तर पर हरित परिवर्तन का पावरहाउस हो सकते हैं।
नॉर्डिक देश:
- नॉर्डिक देश उत्तरी यूरोप और उत्तरी अटलांटिक में एक भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्र हैं।
- इसमें डेनमार्क, फ़िनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन के संप्रभु राज्य, फरो द्वीपसमूह के स्वायत्त क्षेत्र (डेनमार्क किंगडम के भीतर एक स्वायत्त देश के रूप में द्वीपों का एक द्वीपसमूह) शामिल हैं।
- ये देश समान झंडे, भाषाएं और कई सांस्कृतिक लक्षण साझा करते हैं।
चित्र स्रोत: World Atlas
सारांश:
|
---|
प्रीलिम्स तथ्य:
1.गगनयान:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: गगनयान मिशन।
प्रसंग:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय नौसेना ने संयुक्त रूप से गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण किया है।
विवरण:
- परीक्षण गगनयान मिशन के लिए क्रू मॉड्यूल रिकवरी ऑपरेशन की तैयारी के हिस्सा थे।
- हाल में किए गए इस परीक्षण में एक क्रू मॉड्यूल रिकवरी मॉडल (CMRM) शामिल था जो द्रव्यमान, गुरुत्वाकर्षण के केंद्र, बाहरी आयामों और टचडाउन पर वास्तविक क्रू मॉड्यूल के बाहरी हिस्से का अनुकरण करता है।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन की सफलता के लिए चालक दल की सुरक्षित वापसी को अंतिम चरण कहा जाता है।
गगनयान मिशन:
- गगनयान इसरो का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है।
- गगनयान परियोजना का उद्देश्य 3 दिनों के मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में तीन सदस्यीय चालक दल को लॉन्च करके और उन्हें भारतीय जल क्षेत्र में उतारकर सुरक्षित रूप से वापस लाकर देश की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है।
- गगनयान मिशन के प्रक्षेपण यान के रूप में LVM3 रॉकेट का प्रयोग किया जाएगा।
- LVM3 रॉकेट में 3-स्टेज/चरण वाला इंजन यानी ठोस/सॉलिड स्टेज, तरल/लिक्विड स्टेज और क्रायोजेनिक स्टेज होते हैं।
- LVM3 रॉकेट में सिस्टम को मानव रेटिंग आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फिर से कॉन्फ़िगर किया गया है और इसे मानव रेटेड LVM3 (HLVM3) नाम दिया गया है।
- मिशन की कुल लागत ₹10000 करोड़ के करीब होने की उम्मीद है।
- ISRO मिशन के लिए अंतरिक्ष यान विकसित कर रहा है जबकि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ROSCOSMOS अंतरिक्ष यात्रियों को आवश्यक प्रशिक्षण देने में मदद कर रही है।
- यदि मिशन सफल होता है, तो भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव को अंतरिक्ष में भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा।
- गगनयान मिशन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Gaganyaan Mission
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. महंगाई पर काबू पाने के लिए RBI ने कर्ज की लागत बढ़ाई:
चित्र स्रोत: The Hindu
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति ( Monetary Policy Committee (MPC)) ने बेंचमार्क उधार दर को 25 आधार अंक (bps) बढ़ाकर 6.5% कर दिया है, क्योंकि RBI उच्च कोर मुद्रास्फीति को लक्षित करता है जिसे अर्थव्यवस्था के सुधार के दृष्टिकोण के लिए जोखिम के रूप में देखा जाता है।
- RBI गवर्नर के मुताबिक, MPC का मानना है कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों को स्थिर रखने, मुख्य मुद्रास्फीति की दृढ़ता को दूर करने और विकास की संभावनाओं में सुधार करने के लिए अंशांकित मौद्रिक नीति कार्रवाइयों की आवश्यकता है।
- उन्होंने आगे कहा कि NBFC क्षेत्र सहित भारतीय बैंकिंग प्रणाली लचीली और मजबूत बनी हुई है।
- RBI गवर्नर ने यह भी स्वीकार किया है कि वास्तविक नीति दर सकारात्मक क्षेत्र में चली गई है और बैंकिंग प्रणाली बिना किसी व्यवधान के अतिरिक्त तरलता के चक्रव्यूह से बाहर आ गई है।
2.संविधान एल्डरमैन को वोट देने का अधिकार नहीं देता: सर्वोच्च न्यायालय
- सर्वोच्च न्यायालय ने उपराज्यपाल और दिल्ली नगर निगम (MCD) के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि संविधान एल्डरमैन (“नगरपालिका के मनोनीत सदस्यों”) को बैठकों में वोट देने का अधिकार नहीं देता है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली में सत्तारूढ़ दल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि निर्वाचित सदस्यों और एल्डरमैन (मनोनीत सदस्यों) के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
- यह तर्क सुनते हुए कि प्रोटेम पीठासीन अधिकारी द्वारा मनोनीत सदस्यों को वोट देने की अनुमति देना संविधान के अनुच्छेद 243R(2)(iv) का उल्लंघन है,न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि यह सिर्फ एक क़ानून नहीं है, बल्कि संविधान स्वयं एल्डरमैन को वोट देने की अनुमति नहीं देता है।
- इस विषय की पृष्ठभूमि की विस्तृत जानकारी हेतु 17 जनवरी 2023 का UPSC परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण का लेख देखें।
3.फिजी को जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को पूरा करने में भारत के साथ साझेदारी की उम्मीद:
- फिजी के उप प्रधानमंत्री, जो देश के वित्त मंत्री भी हैं, ने कहा है कि फिजी सरकार भारत जैसे लोकतंत्र के साथ घनिष्ठ संबंध चाहती है।
- उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि फिजी और भारत जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को पूरा करने और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आम लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में सहयोग करेंगे।
- फिजी के उप प्रधानमंत्री ने केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री से भी मुलाकात की और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और जलवायु-स्मार्ट बुनियादी ढांचे के विकास में फिजी को ऊर्जा परिवर्तन में भारत के संभावित समर्थन पर चर्चा की।
4. भारत ने हरित ऊर्जा के लिए LIC, EPFO निवेश की मांग की:
- रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और सॉवरेन पेंशन फंड को प्रबंधन के तहत अपनी संपत्ति (Assets Under Management) का 1% हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए राज्य द्वारा संचालित बिजली क्षेत्र में ऋण देने वाली फर्मों द्वारा जारी किए गए बॉन्डों में निवेश करना अनिवार्य करने पर विचार कर रही है।
- यानी LIC और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) को पावर फाइनेंस कार्पोरेशन (PFC), आरईसी लिमिटेड और भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (Indian Renewable Energy Development Agency (IREDA)) द्वारा जारी बॉन्ड में निवेश करना होगा।
- LIC और EPFO के पास 50 ट्रिलियन रुपये के प्रबंधन के तहत संपत्ति (Assets Under Management) है और देश के दो सबसे बड़े कोषों द्वारा बांड में अरबों डॉलर की प्रतिबद्धता शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लिए 2070 के लक्ष्य को पूरा करने में अनुमानित $3 ट्रिलियन निवेश अंतर को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
- इसके अलावा, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने विदेशी बाजारों से राज्य द्वारा संचालित विद्युत वित्त प्रदाताओं द्वारा लिए गए विदेशी मुद्रा ऋणों पर संप्रभु गारंटी के लिए शुल्क में कमी की भी सिफारिश की है।
- भारत की शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्रतिबद्धता से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: India’s Net Zero Emission Commitment
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. आरबीआई की मौद्रिक नीति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- एक सामान्य नियम के रूप में, जब आरबीआई मुद्रास्फीति को रोकने के बारे में अधिक चिंतित होता है तो यह ब्याज दरों को बढ़ा देता है (इस प्रकार आर्थिक गतिविधि मंद हो जाती है), और जब यह विकास को प्रोत्साहित करना चाहता है तो यह ब्याज दरों को कम कर देता है।
- रेपो दर में बढ़ोतरी के कारण वाहनों, गृह और व्यक्तिगत ऋण पर ईएमआई भी बढ़ेगी।
- मौद्रिक नीति समिति में निर्णय आम सहमति के आधार पर लिए जाते हैं।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल एक कथन गलत है
(b) केवल दो कथन गलत हैं
(c) सभी कथन गलत हैं
(d) कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: एक सामान्य नियम के रूप में, जब आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के बारे में अधिक चिंतित होता है तो यह ब्याज दरों को बढ़ाता है (इस प्रकार आर्थिक गतिविधि मंद हो जाती है), और जब यह विकास को प्रोत्साहित करना चाहता है तो यह ब्याज दरों को कम करता है।
- कथन 2 सही है: रेपो दर में वृद्धि से गृह, ऑटो और व्यक्तिगत ऋण जैसे ऋण और वाहनों पर EMI महंगी हो जाएगी।
- कथन 3 गलत है: MPC के निर्णय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से लिए जाते हैं।
प्रश्न 2. गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:(स्तर – कठिन)
- GeM विभिन्न केंद्र और राज्य सरकार के विभागों/संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) द्वारा आवश्यक सामान्य उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद की सुविधा के लिए वन-स्टॉप राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल है।
- यह सरकारी संगठनों को निश्चित मूल्य प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपने बजट की बेहतर योजना बनाने में मदद मिलती है।
- यह सहकारिता मंत्रालय के तहत काम करता है।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल एक कथन गलत है
(b) दो कथन गलत हैं
(c) सभी कथन गलत हैं
(d) कोई भी कथन गलत नहीं है
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस (GeM) प्लेटफॉर्म को 9 अगस्त, 2016 को आम तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए एक ऑनलाइन, एंड टू एंड समाधान के रूप में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के सभी मंत्रालयों, विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSUs) और संबद्ध निकायों के लिए लॉन्च किया गया था।
- कथन 2 गलत है: GeM द्वारा प्रस्तावित प्रमुख लाभों में से एक गतिशील मूल्य निर्धारण है अर्थात बाजार की स्थितियों के आधार पर मूल्य को बदला जा सकता है।
- इसलिए पूरे वर्ष के लिए कोई निश्चित मूल्य नहीं होता, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव या विनिमय दर में बदलाव का कोई डर नहीं होता।
- कथन 3 गलत है: गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस वाणिज्य विभाग, वाणिज्य मंत्रालय के तत्वावधान में स्थापित एक 100% सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है।
प्रश्न 3. ‘एल्डरमैन’ एक शब्द है जो आमतौर पर संदर्भित करता है:(स्तर – सरल)
(a) नगर निकाय के मनोनीत सदस्यों को
(b) संसद के मनोनीत सदस्यों को
(c) लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर को
(d) राज्य विधान सभाओं के प्रोटेम स्पीकर को
उत्तर: a
व्याख्या:
- “एल्डरमैन” एक नगर परिषद या नगरपालिका निकाय के एक नामित सदस्य को संदर्भित करता है, जिसकी उपयोग के स्थान के आधार पर निश्चित जिम्मेदारियां होती हैं।
- एल्डरमैन के रूप में नामांकित होने वाले सदस्यों को “नगरपालिका प्रशासन के क्षेत्र में विशेष ज्ञान या अनुभव” होना चाहिए।
प्रश्न 4. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:(स्तर – सरल)
- यह मुहम्मद अली जिन्ना के काम और अलीगढ़ आंदोलन से विकसित हुआ हैं।
- यह 1875 में अलीगढ़ में मदरसातुल उलूम के रूप में स्थापित किया गया था और मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में विकसित हुआ था।
- स्वतंत्रता के बाद, कॉलेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बदल दिया गया।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2
(d) केवल 1 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) सर सैयद अहमद खान के काम से विकसित हुआ था।
- सैयद अहमद खान और विश्वविद्यालय से जुड़े आंदोलन को अलीगढ़ आंदोलन के रूप में संदर्भित किया गया है।
- कथन 2 सही है: AMU को शुरू में 1875 में मदरसातुल उलूम के रूप में स्थापित किया गया था, और दो साल बाद यह मुहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज (MAO) के रूप में विकसित हुआ।
- कथन 3 गलत है: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम के बाद 1920 में MAO अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया।
प्रश्न 5. प्रश्न 5. भारतीय अनूप मृग (बारहसिंगा) की उस उपजाति, जो पक्की भूमि पर फलती-फूलती है और केवल घासभक्षी है, के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कौन-सा संरक्षित क्षेत्र प्रसिद्ध है? (PYQ (2020)
(a) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
(b) मानस राष्ट्रीय उद्यान
(c) मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य
(d) ताल छप्पर वन्यजीव अभयारण्य
उत्तर: a
व्याख्या:
- मध्य प्रदेश में स्थित कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारतीय अनूप मृग या बारहसिंगा के लिए प्रसिद्ध है।
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान बारहसिंगा पुनर्स्थापना का स्थल है जिसने उनकी संख्या को क्रमिक गिरावट से महत्वपूर्ण रूप से बचाया था।
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान 1 जून 1955 को स्थापित किया गया था और 1973 में इसे एक बाघ अभयारण्य नामित किया गया था।
- बारहसिंगा के साथ, उद्यान बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, स्लॉथ बियर और ढोले (dhole) का भी घर है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. कईं बार, भारत सरकार के विनिवेश लक्ष्य अधूरे रह गए हैं। इसके संभावित कारणों और उपायों पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)
प्रश्न 2. नॉर्डिक देशों के साथ भारत की साझेदारी भारत में विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)