A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
आंतरिक सुरक्षा:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: शासन:
राजव्यवस्था:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अति पिछड़ों को तरजीह देना राष्ट्रपति सूची से छेड़छाड़ नहीं है: सर्वोच्च न्यायालय
शासन:
विषय: कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थाएं और निकाय।
मुख्य परीक्षा: कमजोर वर्ग से संबंधित मुद्दे।
विवरण:
- हाल के एक ऐतिहासिक निर्णय में, सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने अनुच्छेद 341 और 342 के तहत राष्ट्रपति की सूची बनाने की संसद की शक्ति का उल्लंघन किए बिना अनुसूचित जातियों के भीतर सबसे हाशिए पर पड़े समूहों को आरक्षण का लाभ देने के लिए अलग-अलग राज्यों के अधिकार की पुष्टि की हैं।
- अदालत द्वारा यह फैसला एक व्यापक छानबीन के बीच आया है कि क्या राज्य कोटा लाभों के लिए अनुसूचित जाति श्रेणी के भीतर विशेष रूप से वंचित समूहों को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं।
कानूनी जांच के बीच स्पष्टीकरण:
- सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने आरक्षण लाभ के वितरण में निष्पक्षता और समानता के महत्व पर जोर देते हुए, आरक्षण सूची के संभावित “बाल्टीकरण” के बारे में चिंताओं को संबोधित किया। (बाल्कनीकरण या BALKANIZE का अर्थ (एक क्षेत्र, एक समूह, आदि) को छोटी और अक्सर शत्रुतापूर्ण इकाइयों में विभाजित करना है।)
- उपवर्गीकरण के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज स्वरूप की दलीलें कुछ समूहों को छोड़कर असमानता को बनाए रखने की आशंकाओं को रेखांकित करती हैं।
- न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि विशिष्ट उप-जातियों को प्राथमिकता देने से उसी श्रेणी के अन्य लोगों को नुकसान नहीं होना चाहिए।
- उन्होंने पारदर्शी और न्यायसंगत आरक्षण नीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए राजनीतिक लाभ के लिए उपवर्गीकरण के दुरुपयोग के खिलाफ भी आगाह किया है।
हाशिये पर पड़े सामुदायिक हितों को संतुलित करना:
- यह निर्णय हाशिए पर रहने वाले समुदायों की जरूरतों को संबोधित करने और आरक्षण नीतियों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के बीच नाजुक संतुलन पर प्रकाश डालता है।
- यह भारत की आरक्षण प्रणाली में निहित जटिलताओं और समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कायम रखते हुए उन्हें दूर करने के चल रहे प्रयासों को रेखांकित करता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
वित्त वर्ष 2025 में मुद्रास्फीति घटकर 4.5%, विकास दर 7% : एमपीसी की दरें
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, संवृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: आरबीआई का हस्तक्षेप।
विवरण:
- मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee (MPC)) ने स्थायी 4% मुद्रास्फीति दर प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, ब्याज दरों को अपरिवर्तित बनाए रखने का निर्णय लिया हैं।
- समिति ने वित्तीय वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति में 4.5% की कमी का अनुमान लगाया है, जो चालू वित्तीय वर्ष में 5.4% से कम है।
- इसके अतिरिक्त, 1 अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी 12 महीनों के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7% लगाया गया है।
सही दिशा में कदम बढ़ाएं:
- RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में उतार-चढ़ाव के बीच सतर्कता के महत्व पर जोर दिया, डेटा निगरानी की आवश्यकता और टिकाऊ 4% मुद्रास्फीति दर बनाए रखने पर जोर दिया।
- वित्त वर्ष 2024-25 के लिए एमपीसी का मुद्रास्फीति पूर्वानुमान सामान्य मानसून की धारणा पर आधारित था, जिसमें तिमाही अनुमान प्रथम तिमाही में 5% से लेकर चतुर्थ तिमाही में 4.7% तक था, और जोखिम समान रूप से संतुलित थे।
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.3% अनुमानित है, जो मजबूत निवेश द्वारा समर्थित है, अगले वित्तीय वर्ष में तिमाहियों में 7.2% से 6.9% वृद्धि का अनुमान है।
- वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 के लिए चालू खाता घाटा (current account deficit) प्रबंधनीय होने का अनुमान है, जिसमें बाहरी क्षेत्र विशेष रूप से सेवाओं और प्रेषण में लचीलापन दिखा रहा है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
केंद्र म्यांमार के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था को खत्म करेगा: शाह
आंतरिक सुरक्षा:
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: सीमा सुरक्षा मुद्दा।
विवरण:
- भारत-म्यांमार सीमा पर फ्री मूवमेंट रिजीम (Free Movement Regime (FMR)) को खत्म करने का केंद्र सरकार का हालिया निर्णय आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और पूर्वोत्तर राज्यों में जनसांख्यिकीय संतुलन को संरक्षित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम है।
- गृह मंत्री अमित शाह ने खुली सीमाओं और अप्रतिबंधित आवाजाही से उत्पन्न संभावित खतरों के बारे में चिंताओं को उजागर करते हुए एफएमआर को तत्काल निलंबित करने की घोषणा की हैं।
फ्री मूवमेंट रिजीम की पृष्ठभूमि:
- 1968 में स्थापित एफएमआर ने सीमा के 16 किलोमीटर के भीतर रहने वाले आदिवासी निवासियों को न्यूनतम प्रतिबंधों के साथ पार करने की अनुमति दी।
- समय के साथ, एफएमआर के ढीले प्रावधानों ने भारतीय विद्रोही समूहों (आईआईजी) सहित विभिन्न समूहों द्वारा इसके शोषण के बारे में चिंताएं बढ़ा दीं।
- मूवमेंट को विनियमित करने के शुरुआती प्रयासों के बावजूद, सुरक्षा चुनौतियों को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में असमर्थता के कारण एफएमआर की प्रभावशीलता जांच के दायरे में आ गई।
चुनौतियाँ एवं कमियाँ:
- एफएमआर से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक मानकीकृत दस्तावेज़ीकरण की अनुपस्थिति थी, जिससे सीमा पार गतिविधियों की निगरानी में कठिनाइयाँ आती थीं।
- इसके अलावा, सीमा की छिद्रपूर्ण प्रकृति और ऊबड़-खाबड़ इलाके ने अनधिकृत गतिविधियों को सुविधाजनक बनाया, जिससे सीमा नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करना चुनौतीपूर्ण हो गया।
- इसके अलावा, सीमा की पॉरस् प्रकृति और ऊबड़-खाबड़ इलाके ने अनधिकृत गतिविधियों को सुविधाजनक बनाया, जिससे सीमा नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करना चुनौतीपूर्ण हो गया। (porous border-दो देशों के बीच ऐसी सीमा जो लोगों को आने-जाने से रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।)
- इसके अतिरिक्त, भारतीय और म्यांमार अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी ने शासन को सुव्यवस्थित करने के प्रयासों को और जटिल बना दिया।
भावी कदम:
- एफएमआर को निलंबित करने के साथ, सरकार भौतिक बाधाओं और उन्नत निगरानी प्रणालियों के निर्माण सहित व्यापक सीमा सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए तैयार है।
- सीमा पार सुरक्षा खतरों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने में म्यांमार के अधिकारियों के साथ सहयोगात्मक प्रयास महत्वपूर्ण होंगे।
- इसके अलावा, एफएमआर को खत्म करने का निर्णय अपनी सीमाओं की सुरक्षा और उभरती भू-राजनीतिक गतिशीलता के सामने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
‘म्यांमार में भारत की कलादान परियोजना अधर में है क्योंकि प्रमुख शहर पर विद्रोहियों का नियंत्रण है’:
आंतरिक सुरक्षा:
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: सीमा सुरक्षा मुद्दा।
विवरण:
- दक्षिण पूर्व एशिया के साथ कनेक्टिविटी को मजबूत करने के उद्देश्य से कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (Kaladan Multi-Modal Transit Transport Project (KMTTP)) को म्यांमार में पलेतवा टाउनशिप पर विद्रोही अराकान सेना (AA) के कब्जे के बाद एक महत्वपूर्ण झटका लगा है।
- म्यांमार के एक विपक्षी नेता द्वारा खुलासा किया गया यह घटनाक्रम, परियोजना की प्रगति में एक बड़ी बाधा का संकेत देता है।
अनिश्चित स्थितियाँ:
- KMTTP, जिसकी परिकल्पना कोलकाता के बंदरगाह को रखाइन राज्य के सिटवे और मिज़ोरम को सड़क और कलादान नदी के माध्यम से जोड़ने की थी, अब म्यांमार सेना और AA के बीच चल रही झड़पों के कारण अनिश्चितता का सामना कर रहा है।
- AA की राष्ट्रवादी आकांक्षाओं और राखीन राज्य के प्रमुख शहरों पर नियंत्रण ने तनाव बढ़ा दिया है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी प्रयासों के लिए चुनौतियां पैदा हो गई हैं। पलेटवा के कब्जे के साथ, जुंटा की सेना, AA और चिन राज्य के विद्रोहियों से जुड़े संभावित त्रिपक्षीय संघर्षों पर चिंताएं बढ़ गई हैं।
भावी कदम:
- यह स्थिति रखाइन राज्य के अस्थिर परिदृश्य और क्षेत्रीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए रणनीतिक निहितार्थ को रेखांकित करती है।
- क्षेत्रीय विकास पहलों में व्यापक जोखिम मूल्यांकन और आकस्मिक योजना की आवश्यकता है, विशेषकर अस्थिरता और सशस्त्र संघर्ष वाले क्षेत्रों में।
- वर्तमान स्थिति अंतर्निहित शिकायतों को दूर करने और स्थायी शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों के बीच बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देती है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
श्रीलंकाई नौसेना ने 19 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया:
आंतरिक सुरक्षा:
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: समुद्री सीमा सुरक्षा मुद्दा।
विवरण:
- हाल ही की एक घटना में श्रीलंकाई नौसेना ने 19 मछुआरों को हिरासत में ले लिया, जिससे श्रीलंका और भारत के बीच सीमा पार तनाव बढ़ गया।
- श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा की गई गिरफ्तारियां, पाक खाड़ी में समुद्री सीमाओं और मछली पकड़ने के अधिकारों पर चल रहे विवादों को रेखांकित करती हैं।
चुनौतियाँ और समाधान का आह्वान:
- मत्स्य पालन विभाग द्वारा जारी टोकन के साथ समुद्र की ओर जाने वाली गतिविधियों को विनियमित करने के प्रयासों के बावजूद, कई नावें बिना प्राधिकरण के संचालित की गईं।
- यह घटना समुद्री नियमों को लागू करने और भविष्य में हिरासत में लेने और तनाव बढ़ने से रोकने के लिए राज्यों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर चिंता पैदा करती है।
भावी कदम:
- गिरफ़्तारियों की निंदा केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समुद्री विवादों का स्थायी समाधान खोजने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालती है। ऐसे उपायों की आवश्यकता है जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करते हुए मछुआरों की आजीविका की रक्षा करें। जैसे-जैसे तनाव बना रहता है, सीमा पार संघर्षों को सुलझाने और समुद्री गतिविधियों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए राजनयिक प्रयास और बातचीत महत्वपूर्ण बनी हुई है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
जनसंख्या समिति के लिए एक मार्ग का निर्धारण:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: तीव्र जनसंख्या वृद्धि की चुनौतियों से निपटने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन।
जनसंख्या समिति के अधिदेश का विवरण:
- तीव्र जनसंख्या वृद्धि और जनसांख्यिकीय परिवर्तनों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अंतरिम बजट (Interim Budget) में घोषणा की गई हैं।
- इस अधिदेश में ‘विकसित भारत’ (विकसित भारत) के लक्ष्य के अनुरूप सिफारिशें करना शामिल है।
जनसंख्या प्रबंधन के लिए रणनीतियाँ:
- जनसांख्यिकी, सार्वजनिक स्वास्थ्य, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र और शासन के विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक अंतःविषय दृष्टिकोण अपनाएं।
- कठोर अनुसंधान, डेटा विश्लेषण और जनसांख्यिकीय रुझानों की निगरानी करना।
- सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, शिक्षा जगत और निजी क्षेत्र सहित हितधारकों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना।
- जिम्मेदार परिवार नियोजन प्रथाओं पर जन जागरूकता और शिक्षा अभियानों को प्राथमिकता देंना।
- जनसंख्या प्रबंधन में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना।
भारत का जनसांख्यिकीय परिदृश्य:
- जनसांख्यिकीय पैटर्न में ऐतिहासिक बदलाव, जिसमें प्रजनन दर में गिरावट और कामकाजी उम्र की आबादी में वृद्धि शामिल है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुमान से संकेत मिलता है कि 2030 तक भारत की जनसंख्या 1.46 बिलियन तक पहुंच जाएगी।
- प्रत्याशित जनसांख्यिकीय परिवर्तन की विशेषता बाल जनसंख्या के घटते अनुपात और कार्यशील आयु वाली जनसंख्या में वृद्धि है।
- संभावित जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) प्रति व्यक्ति त्वरित आर्थिक विकास का एक अवसर है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार चुनौतियों का समाधान:
- जनसंख्या के सभी वर्गों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय में चुनौतियाँ, बच्चों में पोषण की कमी और शिक्षा तक पहुंच पर प्रकाश डाला गया है।
- स्वास्थ्य अवसंरचना, पोषण कार्यक्रम और प्राथमिक शिक्षा में निवेश का महत्व।
- मौजूदा कौशल विकास पहलों और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच अंतर को पाटने की आवश्यकता।
साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में सुधार:
- सटीक और समय पर जनसंख्या डेटा की उपलब्धता के संबंध में चुनौतियाँ।
- डेटा संग्रह विधियों और प्रौद्योगिकी अपनाने सहित डेटा बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण का महत्व।
- कठोर सत्यापन और गुणवत्ता आश्वासन तंत्र लागू करना।
- ओपन डेटा पहल और डेटा शेयरिंग में पारदर्शिता को बढ़ावा देना।
- वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं और तकनीकी विशेषज्ञता तक पहुंच के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग।
सारांश:
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एकरूपता की ओर:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
मुख्य परीक्षा: यूसीसी कार्यान्वयन की आवश्यकता और मुद्दे।
विवरण:
- न्याय एक मूलभूत अवधारणा है, एवं एकरूपता समानता का स्वाभाविक विस्तार है।
- समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code (UCC)) को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए प्रगतिशील माना जाता है।
- उत्तराखंड विधानसभा ने हाल ही में एक यूसीसी पारित किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व गोवा के बाद से एक महत्वपूर्ण कदम है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और वर्तमान बहसें:
- संविधान के निदेशक सिद्धांत (directive principles) यूसीसी की वकालत करते हैं, लेकिन इसके निहितार्थों पर राय अलग-अलग है।
- बी.आर. अम्बेडकर ने प्रारंभ में यूसीसी को स्वैच्छिक रूप से अपनाने का प्रस्ताव रखा था।
- पिछले विधि आयोगों ने यूसीसी की आवश्यकता के बारे में आपत्ति व्यक्त की थी और व्यक्तिगत कानूनों में सुधार का सुझाव दिया था।
- वर्तमान विधि आयोग ने इस मामले पर जनता की राय मांगकर बहस को फिर से शुरू कर दिया है।
उत्तराखंड यूसीसी के संबंध में चिंताएँ:
- हालाँकि एकरूपता वांछनीय है, इसमें विविध सांस्कृतिक और सामाजिक प्रथाओं को समायोजित किया जाना चाहिए।
- यूसीसी विवादास्पद तत्वों का परिचय देता है, जैसे कि लिव-इन रिलेशनशिप का अनिवार्य पंजीकरण।
- पंजीकरण न कराने पर जेल की सजा का प्रावधान संवैधानिक चिंताओं को बढ़ाता है और व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन करता है।
- बच्चों को लिव-इन रिलेशनशिप से वैध बनाने और रखरखाव अनिवार्य करने जैसे सकारात्मक पहलुओं के बावजूद, अनिवार्य पंजीकरण व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।
उत्तराखंड यूसीसी प्रावधानों का विश्लेषण:
- उत्तराखंड यूसीसी में मौजूदा कानूनों के तत्व शामिल हैं लेकिन उल्लेखनीय चूक के साथ।
- यह विवाह के आसान विघटन और इद्दत, तलाक और निकाह हलाला जैसी प्रथाओं को हटाने जैसे प्रगतिशील प्रावधान प्रदान करता है।
- हालाँकि, यूसीसी को सार्वजनिक विमर्श का ध्रुवीकरण करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से आगामी चुनावों के संदर्भ में।
- एकरूपता की चाहत न्याय के सिद्धांत पर हावी नहीं होनी चाहिए, जो प्राथमिक चिंता होनी चाहिए।
निष्कर्ष – एकरूपता और न्याय को संतुलित करना:
- एकरूपता को विविधता को समायोजित करना चाहिए और व्यक्तिगत अधिकारों को बरकरार रखना चाहिए।
- हालांकि यूसीसी एक प्रगतिशील लक्ष्य हो सकता है, लेकिन इसे न्याय और समानता के सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए।
- उत्तराखंड यूसीसी, प्रगतिशील तत्वों के बावजूद, संवैधानिक चिंताओं को उठाती है और ध्रुवीकरण की बहस को जन्म देती है।
सारांश:
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पेटीएम पेमेंट्स बैंक की असफलता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: पेटीएम पेमेंट्स बैंक की विनियामक सम्बन्धी चिंता और भावी कदम।
विवरण:
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार गैर-अनुपालन और पर्यवेक्षी चिंताओं के कारण पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (PPBL) को दंडित किया है।
- पीपीबीएल को 29 फरवरी से आगे जमा, टॉप-अप या क्रेडिट लेनदेन स्वीकार करने से रोक दिया गया है, जिससे नए ग्राहकों को जोड़ने और बैंकिंग सेवाओं का संचालन करने की उसकी क्षमता प्रभावित होगी।
- मौजूदा ग्राहक अभी भी अपने शेष बैलेंस का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन पीपीबीएल बैंकिंग सेवाओं, बिल भुगतान या यूपीआई लेनदेन में संलग्न नहीं हो सकता है।
- निर्देश में पीपीबीएल को 29 मार्च तक नोडल खातों को बंद करने और लेनदेन का निपटान करने की भी आवश्यकता है, जिससे मध्यम से लंबी अवधि में राजस्व और लाभप्रदता प्रभावित होगी।
संक्रमण योजना और साझेदारी विस्तार:
- पेटीएम अन्य बैंकों के साथ काम करके अपनी सेवाओं को पीपीबीएल से दूर करने की योजना बना रहा है।
- इसका उद्देश्य व्यापारी-अधिग्रहण सेवाओं के लिए तीसरे पक्ष के बैंकों के साथ साझेदारी का विस्तार करना है।
- यह परिवर्तन तीन चरणों में होगा: भागीदार बैंकों को ढूंढना, वाणिज्यिक व्यवहार्यता का आकलन करना, और खाते से खाते में स्थानांतरण की सुविधा प्रदान करना।
- समय की कमी के कारण प्रवासन प्रक्रिया में चुनौतियाँ आती हैं, लेकिन एक बार के प्रवासन विकल्प पर भी विचार किया जाता है।
चिंताएँ और अनुपालन सम्बन्धी मुद्दे:
- नियामकीय चिंताएँ पीपीबीएल की लाइसेंसिंग के इर्द-गिर्द घूमती हैं, जो ऋण देने की गतिविधियों पर रोक लगाती है। पीपीबीएल अप्रत्यक्ष रूप से तीसरे पक्ष से क्रेडिट उत्पाद प्रदान करता है।
- शासन और संबंधित-पक्ष लेनदेन जांच के दायरे में हैं, जिसमें पीपीबीएल में पेटीएम की 49% हिस्सेदारी है और संस्थापक विजय शेखर शर्मा के पास बाकी हिस्सेदारी है।
- पेटीएम का दावा है कि पीपीबीएल स्वतंत्र रूप से काम करता है, लेकिन नियामक कार्रवाइयां निर्देशों का अनुपालन न करने का सुझाव देती हैं।
- केवाईसी मानदंडों के उल्लंघन के लिए हालिया दंड और एक ही पैन से जुड़े कई खातों सहित मनी लॉन्ड्रिंग के बारे में चिंताएं अनुपालन के मुद्दों को और बढ़ा देती हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया और संभावित परिणाम:
- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने निर्देशों का पालन करने के लिए विनियमित संस्थाओं की आवश्यकता पर जोर दिया है, जो गैर-अनुपालन के संभावित परिणामों का संकेत देते हैं।
- पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की, जिन्होंने नियामक अनुपालन के महत्व को दोहराया।
- उधार देने वाली साझेदारियों के संभावित परिणाम हो सकते हैं, साझेदार संभवतः रिश्तों पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
- यदि मनी लॉन्ड्रिंग के नए आरोप सामने आते हैं, तो अनुपालन मुद्दों की गंभीरता को उजागर करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी जांच की जाएगी।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. सीआरआईएसपीआर चिकित्सा में क्रांति लाने की ओर अग्रसर, फिलहाल नैतिकता पर विचार करने के लिए एक विराम:
प्रसंग:
- सिकल सेल एनीमिया और बीटा-थैलेसीमिया के इलाज के लिए CRISPR/Cas9 जीन संपादन को FDA की मंजूरी आनुवंशिक चिकित्सा में एक मील का पत्थर है।
मुद्दा:
- पहुंच और नैतिक दुविधाएं बनी रहती हैं, खासकर भारत जैसे क्षेत्रों में, जहां सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियां हाशिए पर रहने वाले समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करती हैं।
- जैसे-जैसे समाज सीआरआईएसपीआर तकनीक के निहितार्थों पर गौर करता है, “फ्रेंकस्टीन” के साथ समानताएं सामने आती हैं।
- जिस तरह शेली का उपन्यास (Shelley’s novel) ज्ञान की खोज में सावधानी और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर देता है, उसी तरह आज के वैज्ञानिकों को भी इसी तरह की सीख पर ध्यान देना चाहिए।
महत्व:
- अनुसंधान में नैतिकता को एकीकृत करना और सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा देना यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि वैज्ञानिक प्रगति मानवता के सर्वोत्तम हितों की सेवा करे, आनुवंशिक क्रांति के युग में “फ्रेंकस्टीन” की स्थायी प्रासंगिकता को प्रतिध्वनित करे।
2. क्यासानूर वन रोग: टिक का हमला:
प्रसंग:
- क्यासानूर वन रोग (केएफडी), जो 1956 में अपनी खोज के बाद से कर्नाटक में प्रचलित एक वायरल संक्रमण है, इस वर्ष दर्ज की गई दो मौतों के साथ फिर से सामने आया है।
मुद्दा:
- केएफडी, जिसे बंदर बुखार (monkey fever) भी कहा जाता है, टिक्स के माध्यम से फैलता है, जिससे वन क्षेत्रों में बार-बार आने वाले प्राइमेट्स और मनुष्यों दोनों के लिए खतरा पैदा होता है।
- टीकाकरण के प्रयास अप्रभावी साबित होने के बावजूद, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research (ICMR)) और भारतीय इम्यूनोलॉजिकल के बीच सहयोगात्मक प्रयास भविष्य के निवारक उपायों के लिए आशा प्रदान करते हैं।
- क्यासानूर वन रोग से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न पर क्लिक कीजिए:Kyasanur Forest Disease
महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन सा इसरो द्वारा निर्मित विशिष्ट मौसम संबंधी उपग्रहों की श्रृंखला में पहला है?
(a) XPoSat (एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट)
(b) इनसैट (INSAT)
(c) एजुसेट (EDUSAT)
(d) कल्पना – 1 (Kalpana – 1)
उत्तर: d
व्याख्या:
- कल्पना – 1, जिसे पहले मेटसैट (METSAT) के नाम से जाना जाता था, इसरो द्वारा निर्मित विशिष्ट मौसम संबंधी उपग्रहों की श्रृंखला में पहला है। 1 फरवरी, 2003 को अंतरिक्ष शटल कोलंबिया आपदा में भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री डॉ. कल्पना चावला के दुखद निधन के बाद उनके सम्मान में इसका नाम बदल दिया गया।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. ज़ूनोटिक रोग एक ऐसी बीमारी है जो प्राकृतिक रूप से कशेरुक जानवरों से मनुष्यों में या मनुष्यों से कशेरुक जानवरों में फैल सकती है।
2. रेबीज, जीका और एंथ्रेक्स वायरल ज़ूनोटिक रोग हैं।
3. प्रीज़ोड ज़ूनोटिक रोगों और महामारी के उद्भव को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पहल है।
इनमें से कौन सा कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- यह ज्ञात है कि ज़ूनोटिक बीमारियाँ जानवरों और मनुष्यों के बीच फैलती हैं, जिससे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा होते हैं।
- एंथ्रेक्स एक जीवाणुजन्य जूनोटिक रोग है।
- PREZODE का अर्थ है “ज़ूनोटिक रोग के उद्भव को रोकना।
प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा स्टेशन है, जो केरल में स्थित है।
2. प्रतिक्रिया से निकलने वाली ऊर्जा को अवशोषित करने के लिए तरल सोडियम का उपयोग परमाणु 3. रिएक्टरों में शीतलक के रूप में किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र केरल में नहीं, बल्कि तमिलनाडु में स्थित है।
- तरल सोडियम को इसके उत्कृष्ट ताप हस्तांतरण गुणों के कारण आमतौर पर फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों में शीतलक के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 4. IAEA से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. केरल भारत का सबसे बड़ा मछली उत्पादक राज्य है, उसके बाद पश्चिम बंगाल और गुजरात का स्थान आता हैं।
2. कृषि, मत्स्य पालन और सार्वजनिक स्वास्थ्य संविधान की 7वीं अनुसूची में राज्य सूची के अंतर्गत आने वाले विषय हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- देश में आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा मछली उत्पादक राज्य है, इसके बाद पश्चिम बंगाल और गुजरात का स्थान आता हैं।
- कृषि, मत्स्य पालन और सार्वजनिक स्वास्थ्य विषय राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
प्रश्न 5. Cas9 प्रोटीन कौन सा है जिसका अक्सर समाचारों में उल्लेख किया जाता है?
(a) लक्षित जीन संपादन में उपयोग की जाने वाली आणविक कैंची
(b) एक बायोसेंसर जिसका उपयोग रोगियों में रोगजनकों का सटीक पता लगाने में किया जाता है
(c) एक जीन जो पौधों को कीट-प्रतिरोधी बनाता है
(d) आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों में संश्लेषित एक शाकनाशी पदार्थ
उत्तर: a
व्याख्या:
- Cas9 प्रोटीन, जिसे अक्सर समाचारों में उजागर किया जाता है, लक्षित जीन संपादन में उपयोग की जाने वाली आणविक कैंची के रूप में कार्य करता है।
- बैक्टीरिया, विशेष रूप से सीआरआईएसपीआर प्रणाली से प्राप्त, Cas9 विशिष्ट स्थानों पर डीएनए को सटीक रूप से काटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे वैज्ञानिकों को सटीकता के साथ जीन को संशोधित और संपादित करने की अनुमति मिलती है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. जीन संपादन प्रौद्योगिकियाँ अग्रणी हैं लेकिन अपने साथ नैतिक चुनौतियाँ भी लाती हैं। आलोचनात्मक विश्लेषण (150 शब्द, 10 अंक) [जीएस-3, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी] (Gene Editing technologies are path-breaking but also bring with them ethical challenges. Critically analyze (150 words, 10 marks) [GS-3, Science and Technology])
प्रश्न 2. हाल के दिनों के विकास के आलोक में भारत की पड़ोसी प्रथम नीति कितनी सफल और चुनौतीपूर्ण है? टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध] (How successful and challenging is India’s Neighbourhood First Policy in light of the developments of recent times?Comment. (250 words, 15 marks) [GS-2, International relations])
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)