Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 10 August, 2022 UPSC CNA in Hindi

10 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

  1. नाबालिगों की संरक्षकता और उन्हें गोद लेना:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. इसरो की एसएसएलवी की पहली उड़ान क्यों विफल हुई:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. अदालतों की निष्पक्ष सुनवाई के प्रति पुलिस और मीडिया की भूमिका:
  1. डेटा बिल वापस लेना एक गलत कदम था:

सामाजिक न्याय:

  1. रैंकिंग जिसका कोई मतलब नहीं है:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of the World’s Indigenous Peoples):

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में गाजा हिंसा को गंभीर चिंता बताया:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

इसरो की एसएसएलवी की पहली उड़ान क्यों विफल हुई:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV), अण्डाकार और वृत्ताकार कक्षा से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: एसएसएलवी-डी1/ईओएस-2 मिशन (SSLV-D1/EOS-2 mission) का उद्देश्य और इसकी विफलता के कारण।

संदर्भ:

  • इसरो की पहली विकासात्मक उड़ान एसएसएलवी-डी1/ईओएस-2 मिशन (SSLV-D1/EOS-2 mission)।

पृष्ठ्भूमि:

  • हाल ही में, इसरो की एसएसएलवी-डी1/ईओएस-2 की पहली विकासात्मक उड़ान का प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से किया गया।
  • लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) डी1/ईओएस-2 मिशन का उद्देश्य दो उपग्रहों अर्थात् पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-2 (ईओएस-2) (135 किग्रा) और आजादीसैट (8 किग्रा) को भूमध्य रेखा से लगभग 350 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की वृत्ताकार निचली कक्षा में स्थापित करना था।
  • हालांकि प्रक्षेपण यान के सुचारू रूप से संचालित होने के कारण इस मिशन का प्रारंभिक भाग सफल रहा।
    • लेकिन यह मिशन उपग्रहों को उनकी आवश्यक कक्षाओं में स्थापित करने में विफल रहा क्योंकि उपग्रहों को प्रक्षेपण यान से जल्दी अलग कर दिया था जिसके कारण वे खो गए।

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle (SSLV)):

  • इसरो ने एक छोटा उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) विकसित किया है जो पृथ्वी की निचली कक्षाओं (एलईओ) में 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों के प्रक्षेपित करने का कार्य पूरा करेगा।
  • एसएसएलवी (SSLV) को तीन ठोस चरणों के साथ व्यवस्थित (अभिविन्यास-Configuration ) किया गया है।
  • एसएसएलवी (SSLV) को एकीकृत करने में केवल 72 घंटे लगते हैं, जबकि अन्य लॉन्च वाहनों के लिए अभी भी कम से कम 70 दिन लगते हैं।
  • अन्य लॉन्च वाहनों को एकीकृत करने के लिए 60 लोगों की आवश्यकता होती हैं जबकि SSLV को एकीकृत करने के लिए केवल छह लोगों की ही आवश्यकता होती है।
  • अतः एसएसएलवी (SSLV) के विकास पर केवल 30 करोड़ रुपये ही खर्च होंगे।
  • एसएसएलवी (SSLV) एवं इसके लाभ के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: SSLV and its advantages

SSLV-D1/EOS-2 मिशन का उद्देश्य:

  • EOS-2 उपग्रह (EOS-2 satellite)- इसे इसरो द्वारा विकसित किया गया हैं।
  • यदि इसे परिहार्य/आवश्यक कक्षा में स्थापित किया जाता तो यह उन्नत ऑप्टिकल दूर संवेदी संचालन (advanced optical remote sensing operations) करता ।
  • आज़ादीसैट (AzadiSAT) इस मिशन का दूसरा सैटेलाइट है, जिसे EOS 02 के मिशन से अलग करने के बाद इसे इसकी कक्षा में स्थापित किया जाना था।
    • इसमें 50 ग्राम वजनी कुल 75 अलग अलग पेलोड हैं।
    • गौरतलब हैं कि स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले इस आज़ादीसैट (AzadiSAT) को ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों द्वारा वैज्ञानिकों की निगरानी में विकसित किया गया है।
  • इसमें छोटे प्रयोगों को शामिल किया गया था,जिससे अपनी कक्षा में आयनकारी विकिरण को मापने में मदद मिलनी थी, साथ ही शौकिया ऑपरेटरों की इस तक पहुँच एवं इसे सक्षम बनाने के लिए इसे हैम रेडियो फ्रीक्वेंसी में काम करने वाले ट्रांसपोंडर से भी लैस किया जाना था।

मिशन की प्रगति:

  • एसएसएलवी (SSLV) ठोस ईंधन द्वारा संचालित एक तीन चरण का प्रक्षेपित वाहन है और इन तीन चरणों ने योजना के अनुसार अपना कार्य किया।
  • बाद में, इसरो ने कहा कि एक सेंसर की खराबी के परिणामस्वरूप इन उपग्रहों को एक अण्डाकार कक्षा में स्थापित किया गया, न कि इच्छित वृत्ताकार कक्षा में।
  • चूँकि अण्डाकार कक्षा की पृथ्वी से निकटतम दूरी में केवल 76 किमी है,इससे वस्तु पर वायु-मंडल-संबंधी खिंचाव होगा एवं इस खीचावं का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त बल की आवश्यकता होती है।
  • और यदि ऐसा नहीं होता हैं तो गुरुत्वाकर्षण के कारण वस्तु उस ऊंचाई पर स्थिर नहीं रहेगी और पृथ्वी की ओर आने लगेगी और घर्षण के परिणामस्वरूप नीचे आते हुए अंततः वस्तु जल जाएगी।
  • नवीनतम रॉकेट प्रौद्योगिकियों में एक ऐसे सेंसर का विकास करना शामिल है जो यह दर्शाता है कि रॉकेट का मार्ग अपने इच्छित पथ से भटक रहा है।
  • जिसके बाद एक प्रणाली गत सुधार की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है जो रॉकेट के प्रक्षेपवक्र को बहाल करने में मदद करती है।
  • इसमें एक बैकअप सेंसर भी लगाया गया हैं जो मुख्य सेंसर के विफल होने पर यह कार्य करेंगे।
  • हाल की घटना के संबंध में आधिकारिक घोषणाओं में कहा गया है कि “सेंसर की पहचान की विफलता और विचलन का कारण बनने वाली बचाव कार्रवाई के लिए कोई भी तर्क सफल नहीं हुआ हैं।”

वृत्ताकार और अण्डाकार कक्षाओं के बीच अंतर:

  • अण्डाकार कक्षा एक अंडाकार (अंडे) के आकार में होती है या इसमें दीर्घवृत्त एक दिशा में लम्बा होता है और दूसरी दिशा में संकुचित होता है जिसे प्रमुख और लघु अक्ष कहा जाता है।
  • अण्डाकार कक्षा में रखे गए अधिकांश पिंड अस्थायी होते हैं।
  • उन्हें आमतौर पर वृताकार कक्षा में धकेल दिया जाता है या उनके प्रक्षेपवक्र को अतिपरवलय (hyperbola) में बदलने के लिए और तेज किया जाता है जो वस्तु को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से बचाने में मदद करता है।
  • पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों को आमतौर पर गोलाकार कक्षाओं में रखा जाता है,क्योंकि इमेजिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले सुदूर संवेदन उपग्रहों को पृथ्वी से निश्चित दूरी की आवश्यकता होती है और यदि दूरी बदलती है तो कैमरों को केंद्रित रखना मुश्किल होता है।

सारांश:

  • भारत में भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में एसएसएलवी द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है,चूँकि यह कम खर्चीली औरनियंत्रित करने में आसान है क्योंकि यह अन्य लॉन्च वाहनों की तुलना में सभी चरण के ठोस ईंधन द्वारा संचालित होता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

नाबालिगों का संरक्षण और उन्हें गोद लेना:

सामाजिक न्याय:

विषय: योजनाओं का प्रदर्शन; कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान और निकाय।

मुख्य परीक्षा: चाइल्ड कस्टडी (child custody-बाल अभिरक्षा) और संरक्षकता पर मौजूदा कानूनों के प्रावधान और इसके सम्बन्ध में एक संसदीय स्थायी समिति की प्रमुख सिफारिशें।

संदर्भ:

  • नाबालिगों को गोद लेने और उनकी बाल अभिरक्षा पर संसदीय पैनल की विभिन्न सिफारिशें।

बाल अभिरक्षा और संरक्षकता पर मौजूदा कानून:

  • वर्तमान में भारतीय कानून नाबालिग बालक के संरक्षण के मामले में पिता को श्रेष्ठता/तरजीह प्रदान करते हैं।
  • हिंदू अल्पसंख्यक और अभिभावक अधिनियम, (Hindu Minority and Guardianship Act, (HMGA)) 1956 के अनुसार, पिता एक हिंदू नाबालिग व्यक्ति या संपत्ति के प्राकृतिक अभिभावक हैं।
  • हालांकि मां को पांच साल से कम उम्र के नाबालिग बालक की कस्टडी दी जाती है।
  • यहां तक कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 में भी यह प्रावधान है कि पिता नैसर्गिक अभिभावक है।
  • भारत में सभी मुसलमान, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 द्वारा शासित हैं। यह कानून मुसलमानों के विवाह, उत्तराधिकार, विरासत और दान से संबंधित है।
  • हालाँकि, जब तक बेटा सात साल की उम्र तक नहीं पहुँच जाता और बेटी युवा नहीं हो जाती, तब तक बालक की अभिरक्षा माँ के पास होती है, हालाँकि पिता के पास सामान्य पर्यवेक्षण और नियंत्रण का अधिकार मौजूद है।

गीता हरिहरन बनाम भारतीय रिजर्व बैंक मामला (1999) निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत निहित लिंग समानता के अधिकार के खिलाफ जाने के लिए हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम को चुनौती दी हैं।
  • अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि “बाद” (after) शब्द का अर्थ “पिता के जीवनकाल के बाद” नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है “पिता की अनुपस्थिति में”।
  • हालांकि, फैसले ने माता-पिता दोनों को समान अभिभावक के रूप में मान्यता नहीं दी हैं।

वैवाहिक विवादों के मामलों में:

  • वैवाहिक विवादों के मामलों में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय एवं बॉम्बे उच्च न्यायालय जैसी अदालतों ने संयुक्त हिरासत या साझा पालन-पोषण के लिए नियम बनाए हैं।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि संयुक्त हिरासत शुरू करने के लिए अभिभावक और वार्ड अधिनियम, 1890 जैसे कानून में संशोधन की जरूरत है।

क्या LGBTQI व्यक्तियों के लिए भारत में बच्चों को गोद लेने का प्रावधान है?

  • दत्तक ग्रहण विनियम, 2017 एलजीबीटीक्यूआई (LGBTQI ) में गोद लेने के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं करता है अर्थात यह न तो उन्हें बच्चे को गोद लेने पर प्रतिबंध लगाता है और न ही इसकी अनुमति देता है।

गोद लेने के लिए निम्न शर्तों में शामिल हैं:

  • माता-पिता को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए और किसी भी तरह की जानलेवा बीमारी नहीं होनी चाहिए।
  • अविवाहित पुरुष केवल एक लड़के को गोद ले सकते हैं, जबकि एक महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है।
  • इसके अलावा, एक बच्चे को एक जोड़े द्वारा तभी गोद लिया जा सकता है, जब वे कम से कम दो साल के वैवाहिक संबंध में रहे हों।
  • हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम (Hindu Adoptions and Maintenance Act (HAMA), 1956), 1956 जो हिंदुओं, सिखों, जैनियों और बौद्धों पर लागू होता है,पुरुषों और महिलाओं दोनों को बालक गोद लेने की अनुमति देता है यदि वे दिमागी रूप से स्वस्थ हैं और नाबालिग नहीं हैं।

संरक्षकता और बाल अभिरक्षा पर संसदीय पैनल की सिफारिशें:

  • विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने “अभिभावकता और दत्तक कानून की समीक्षा” पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है।
  • इससे पहले, भारत के विधि आयोग ने 1989 में अपनी 133वीं रिपोर्ट में बताया था कि नाबालिग बच्चों की संरक्षकता एवं अभिरक्षा और कल्याण के सिद्धांत के विस्तार से संबंधित मामलों में महिलाओं से भेदभाव होता है और 2015 में “भारत में संरक्षकता और हिरासत कानूनों में सुधार” पर इसकी 257वीं रिपोर्ट ने इसी तरह की सिफारिशें की थीं।
  • इस पैनल ने कहा कि (HAMA) में संशोधन करने एवं माता और पिता दोनों को प्राकृतिक अभिभावक के रूप में समान दर्जा प्रदान करने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि कानून के मौजूदा प्रावधान समानता के अधिकार के खिलाफ हैं और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत भेदभाव के अधिकार के खिलाफ हैं।
  • वैवाहिक विवाद के मामलों में पैनल ने बाल हिरासत पर फिर से विचार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है जो आमतौर पर केवल एक माता-पिता तक ही सीमित है जहां माताओं को वरीयता मिलती है।
  • इसमें कहा गया हैं कि अदालतों को माता-पिता दोनों को संयुक्त अभिरक्षा देने का अधिकार होना चाहिए, यदि ऐसा निर्णय बच्चे के कल्याण को सुनिश्चित करता है, या एक माता-पिता को एकल अभिरक्षा प्रदान करता है और दूसरे को बच्चे से समय समय पर मुलाक़ात का अधिकार देता है।
  • समिति ने आगे एक नए कानून की सिफारिश की जो किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और एचएएमए (HAMA) को संतुलित करता है और एलजीबीटीक्यू (LGBTQI) व्यक्तियों को भी बच्चों को गोद लेने की अनुमति भी देनी चाहिए।

सारांश:

  • लिंग की समानता के उल्लंघन और बच्चे को गोद लेने के लिए LGBTQI लोगों की अपात्रता जैसी खामियों को दूर करने के लिए बाल हिरासत, अभिभावक और गोद लेने के मौजूदा कानूनों और अन्य कानूनों में तत्काल संशोधन करने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में संसदीय पैनल की सिफारिशें स्वागत योग्य सुझाव/संकेत हैं अतः इन्हें सही भावना से लागू किया जाना चाहिए।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

अदालतों की निष्पक्ष सुनवाई के प्रति पुलिस और मीडिया की भूमिका:

विषय: विभिन्न अंगों, विवाद निवारण तंत्र और संस्थानों के बीच शक्तियों का पृथक्करण।

मुख्य परीक्षा: मीडिया- लोकतंत्र का चौथा स्तंभ।

संदर्भ:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कानूनी मुद्दों के समबन्ध में मीडिया की जवाबदेही में कमी पर आपत्ति जातई है।

विवरण:

  • CJI ने यह टिप्पणी, दिल्ली पुलिस द्वारा ऑल्टन्यूज़ के सह-संस्थापक की जमानत पर सुनवाई के न्यायिक आदेश से पहले ही मीडिया को सूचित करने की बात स्वीकार करने के बाद की।
  • चिंता व्यक्त की गई है कि समाचार कवरेज में अंतिम आदेश की प्रतीक्षा किए बिना पुलिस अधिकारीयों की टिप्पणियों को तथ्य के रूप में छापा गया था।

निष्पक्ष सुनवाई से जुड़ी समस्याएं:

  • सनसनीखेज आपराधिक मामलों में मीडिया जांच और प्रारंभिक परीक्षण चरणों पर ध्यान केंद्रित करता है, अंततः यह वास्तविक परीक्षणों से अलग हो जाता है जो महीनों या वर्षों तक चलता रहता है।
  • एक स्रोत के रूप में पुलिस:
    • पुलिस बल द्वारा मामले के विवरण के गैर कानूनी प्रकटीकरण और मीडिया की इस तरह जानकारी पर अत्यधिक निर्भरता के परिणामस्वरूप आम तौर पर निष्पक्ष सुनवाई से जुड़े अधिकारों का सार्वजनिक रूप हनन है।
    • कभी-कभी पुलिस के वक्तव्य राजनीतिक से प्रेरित होते हैं।
    • पुलिस विभागों में समर्पित मीडिया सेल की कमी सभी स्तरों के अधिकारियों को सूचना का आधिकारिक स्रोत बनाती है।
    • पुलिस की गतिशीलता और दक्षता का प्रदर्शन करने की इच्छा अक्सर नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षण को दरकिनार कर देती है।
  • अनियंत्रित मीडिया:
    • समस्याएँ अक्सर तब उत्पन्न होती हैं जब रिपोर्टर पुलिस द्वारा दी गई जानकारी की प्रासंगिकता का मूल्यांकन नहीं करते हैं।
    • मीडिया संगठनों पर बढ़ते वित्तीय दबाव के कारण अपराध और कानूनी रिपोर्टिंग में विशेषज्ञता वाले पत्रकार कम होते जा रहे हैं।
    • एक अन्य मुद्दा प्रतिस्पर्धी सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देने वाले समाचारों की बदलती प्रकृति है जो अब समाचार के रूप में मान्य होते जा रहे हैं।
    • प्रिंट और टेलीविजन मीडिया का सरकारी विनियमन एक समान नहीं है और इन नियमों का प्रवर्तन, जहां होता है वह आमतौर पर धीमा होता है।
    • नेशनल ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन जैसे स्व-नियामक निकाय सदस्यता आधारित हैं इसलिए सदस्यता त्याग कर आसानी से बचा जा सकता है।
    • कमजोर नियामक प्रावधान रिपोर्टिंग मानदंडों को पत्रकारों और संपादकों के विवेक पर छोड़ देते हैं।
  • रोमिला थापर बनाम भारत संघ में व्यक्तिगत विवरण के प्रकटीकरण से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय, अर्थात वैधानिक प्रतिबंधों का अक्सर उल्लंघन किया जाता है।
  • राज्यों द्वारा जारी अलग-अलग मीडिया दिशानिर्देश और उनके कमजोर प्रवर्तन तंत्र अक्सर निष्पक्ष परीक्षण को कमजोर करते हैं।

अनुचित परीक्षण के निहितार्थ:

  • अनुचित परीक्षण संदिग्धों/आरोपी/पीड़ितों/गवाहों/परिजनों की गरिमा और गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
  • इसके सामाजिक बहिष्कार और रोजगार बनाए रखने जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे वे शोषण और अपराध के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं।
  • मीडिया की क्षमता को देखते हुए, कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर अक्सर जांच के कुछ पहलुओं को चुनिंदा रूप से प्रकट करने या दूसरों को सांप्रदायिक या प्रणालीगत के रूप में गलत तरीके से पेश करने का दबाव होता है।
  • न्याय प्रणाली की इन बारीकियों की अनदेखी का नागरिकों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है जो जनता की आशंका और व्यवस्था में अविश्वास पैदा करता है।

उपाय:

  • मीडिया को नैतिकता के आधार पर तथ्यों का सत्यापन करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पुलिस के आख्यान सार्वजनिक करने से पहले उनका सटीकता का परीक्षण हुआ है की नहीं साथ ही पत्रकारों को गलत रिपोर्टिंग के लिए दंडित किया जाना चाहिए।
  • मामले में शामिल व्यक्तियों की रक्षा करते हुए सूचना का प्रसार कैसे किया जाए, इस पर विचार किया जाना चाहिए।
  • पर्याप्त प्रशिक्षण और प्रवर्तन तंत्र के साथ एक संरचित और अच्छी तरह से डिजाइन की गई मीडिया नीति पुलिस के लिए समय की आवश्यकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय को निष्पक्ष सुनवाई हेतु पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के हालिया मामलों के तहत पुलिस पर बाध्यकारी निर्देशों का पालन करने तथा मीडिया ब्रीफिंग को विनियमित करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करना चाहिए।

संबंधित लिंक:24 Jul 2022: UPSC Exam Comprehensive News Analysis

सारांश:

  • मजबूत न्याय हेतु तत्काल आवश्यक है कि निष्पक्ष सुनवाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मीडिया और पुलिस को इस मुद्दे को सक्रिय रूप से ध्यान में रखना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वतंत्र प्रेस के दायरे में नैतिक प्रथाओं को पंगु न बनाया जाए। हमारी न्याय प्रणाली के मूल सिद्धांतों को बनाए रखना सभी हितधारकों की जिम्मेदारी है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

डेटा बिल वापस लेना एक गलत कदम था:

विषय: सरकार की नीतियां और उससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा बिल।

संदर्भ:

  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (Personal data protection bill) को वापस लेना।

व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा की आवश्यकता:

  • भारत में वर्तमान में 750 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनकी भविष्य में बढ़ने की उम्मीद है।
  • स्वास्थ्य, बैंकिंग और बीमा सुविधाओं के डिजिटलीकरण पर सरकार का बढ़ता जोर।
  • सरकार द्वारा चेहरे की पहचान, आधार, या आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के माध्यम से डेटा को एकीकृत करने पर भी अधिक ध्यान देना।
  • इसके अलावा, भारत दुनिया में सबसे अधिक डेटा का उल्लंघन करने वालों में से एक है। यह बताया गया है कि हर 100 में से 18 भारतीय डेटा उल्लंघनों से प्रभावित हुए हैं।
  • राज्य की कार्रवाई के विपरीत, कॉर्पोरेट कार्रवाई या कदाचार भारत में रिट कार्यवाही का विषय नहीं है। एक व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून निजी अभिनेताओं के बीच पर्याप्त प्रतिरोध पैदा करेगा।

व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा बिल को वापस लेने के सन्दर्भ में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-aug07-2022/#Data%20law%20delay

भावी चुनौतियां:

  • यह देश के राष्ट्रीय डेटा संरक्षण कानून के लिए अवरोध है।
  • नए विधेयक को पेश करने की कोई समयसीमा नहीं है।
  • निजी/कॉर्पोरेट संस्थाओं के खिलाफ सीमित उपाय जो या तो अस्पष्ट हैं या वर्तमान चुनौतियों के साथ अक्षम हैं जैसे कि आईटी अधिनियम 2000।

सम्बंधित लिंक्स:

Sansad TV Perspective: Episode on 8th Dec, 2021: Data Protection

सारांश:

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था और डिजिटल शासन की बढ़ती पैठ को देखते हुए, सरकार को जल्द ही व्यक्तिगत डेटा संरक्षण पर एक नया विधेयक लाना चाहिए। विधेयक में सभी हितधारकों की चिंताओं और संयुक्त संसदीय समिति की आशंकाओं का भी समाधान करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

रैंकिंग जिसका कोई मतलब नहीं है:

विषय: शिक्षा।

मुख्य परीक्षा: NIRF रैंकिंग।

संदर्भ:

  • हाल ही में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की रैंकिंग जारी की गई।

NIRF रैंकिंग का विवरण:

  • राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) देश में उच्च शिक्षा संस्थानों (HEI) को व्यापक मानकों के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है:
    • शिक्षण, शिक्षा और संसाधन (Teaching, Learning and Resources-TLR)
    • अनुसंधान और व्यावसायिक प्रथाएं (Research and Professional Practices-RP)
    • स्नातक परिणाम (Graduation Outcomes-GO)
    • आउटरीच और समावेशिता (Outreach and Inclusivity-OI)
    • सहकर्मी धारणा (Peer Perception)
  • HEI को कॉलेज-वार और विश्वविद्यालय-वार समग्र स्थान दिया गया है।
  • उन्हें चिकित्सा, कानून, फार्मेसी, प्रबंधन, इंजीनियरिंग और वास्तुकला जैसे विषयों के तहत भी स्थान दिया जाता है।

NIRF रैंकिंग के मुद्दे:

  • NIRF के तहत भाग लेने वाले कुछ निजी विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में हेराफेरी के प्रमाण मिले है। उदाहरण के लिए:
    • कुछ निजी विश्वविद्यालयों ने एक से अधिक विषयों के लिए एक ही शिक्षक रखा है।
    • वित्तीय संसाधनों के उपयोग जैसे पुस्तकालयों, शैक्षणिक सुविधाओं आदि पर खर्च जैसे मापदंडों के लिए डेटा हेजिंग के समान उदाहरण हैं।
  • NIRF द्वारा HEI द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के सत्यापन हेतु उपलब्ध कठोर प्रणाली का अभाव है।
  • NIRF के लिए आवश्यक है कि जमा किए गए आंकड़ो को सभी भाग लेने वाले HEIs द्वारा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाए ताकि इस तरह के डेटा की जांच की जा सके। लेकिन यह देखा गया है कि विभिन्न निजी बहु-विषयक विश्वविद्यालयों ने अपनी वेबसाइट पर इस तरह के आंकड़ो तक मुफ्त पहुंच को प्रतिवंधित रखा है।
  • इसके अलावा, NIRF को दिए गए डेटा और इन संस्थानों की वेबसाइटों परउपलब्ध डेटा में विसंगति है। उदाहरण के लिए:
    • वेबसाइटों पर अपलोड किए गए डेटा में फैकल्टी के नाम, योग्यता और अनुभव के विवरण शामिल नहीं हैं।
  • इसके अलावा, NIRF अनुसंधान और पेशेवर अभ्यास में विभिन्न विषयों में सभी संस्थानों के लिए लगभग समान पैरामीटर लागू करता है जो अस्पष्ट है। उदाहरण के लिए:
    • NIRF केवल स्कोपस और वेब ऑफ साइंस पत्रिकाओं में प्रकाशित डेटा का उपयोग करता है, जो तकनीकी विद्वानों के लिए प्रासंगिक हो सकता है लेकिन कानून या कला पृष्ठभूमि के विद्वान के लिए नहीं।

सम्बंधित लिंक्स:

उच्च शिक्षा गुणवत्ता जनादेश: RSTV

सारांश:

  • NIRF रैंकिंग कई कार्यप्रणाली और संरचनात्मक मुद्दों से प्रभावित होती है जो अंततः पूरी रैंकिंग प्रक्रिया को कमजोर करती है। सभी हितधारकों के परामर्श से कार्यप्रणाली को संशोधित करने की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of the World’s Indigenous Peoples):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

समाज:

विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं एवं भारत की विविधता।

प्रारंभिक परीक्षा: विश्व के स्वदेशी लोगों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस से सम्बंधित तथ्य।

विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस:

  • विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस या विश्व जनजातीय दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है।
  • वर्ष 1982 में जिनेवा में आयोजित स्वदेशी आबादी पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के दौरान इस दिन को चुना गया था।
  • इस दिवाद को मनाने का उद्देश्य स्वदेशी लोगों की उपलब्धियों और योगदान को पहचानना और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को उठाना हैं।
  • विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: International Day of the World’s Indigenous Peoples Day

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में गाजा हिंसा को गंभीर चिंता बताया:

  • गाजा में आपात स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में भारत ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच वार्ता को फिर से शुरू करने का आह्वान किया क्योंकि वहां के नागरिकों की भारी पीड़ा और उनका नुकसान भारत के लिए “गंभीर चिंता” का विषय हैं।
  • इसके अलावा, भारत ने गाजा की इमारतों पर इजरायल की बमबारी के तीन दिनों के बाद युद्धविराम पर बातचीत के लिए मिस्र को धन्यवाद दिया हैं।
  • भारत का इस सम्बन्ध में विचार हैं कि इस क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति केवल दो-राज्य समाधान और सुरक्षित एवं मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर एक संप्रभु, स्वतंत्र और व्यवहार्य फिलिस्तीन राज्य की स्थापना के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. “1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी कई पहलुओं से महत्वपूर्ण थी।” निम्नलिखित में से किसने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया? (स्तर – कठिन)

  1. उषा मेहता
  2. मातंगिनी हाजरा
  3. सुचेता कृपलानी
  4. राजकुमारी अमृत कौर

विकल्प:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 1, 3 और 4

(c) केवल 2 और 4

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • उषा मेहता एक गांधीवादी और स्वतंत्रता सेनानी थीं, उन्होंने कांग्रेस रेडियो (गुप्त कांग्रेस रेडियो) जो कि एक भूमिगत रेडियो स्टेशन था,का संचालन किया, जो भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सन्देश या सुचना प्रसारण का कार्य करता था।
  • मातंगिनी हाजरा एक भारतीय क्रांतिकारी थीं जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। उन्हें प्यार से गांधी बरी (Gandhi Buri) के नाम से जाना जाता था।
  • सुचेता कृपलानी ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। वह भारत (उत्तर प्रदेश) के किसी राज्य की मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला भी हैं।
  • राजकुमारी अमृत कौर को औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य के रूप में नामित किया गया था। हालाँकि, उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के कारण इस बोर्ड को छोड़ दिया था।
  • राजकुमारी अमृत कौर स्वतंत्र भारत की कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. हाल ही में शतरंज ओलंपियाड का आयोजन पहली बार भारत में किया गया तथा इसमे किसी भी शतरंज ओलंपियाड की तुलना में सर्वाधिक भागीदारी देखी गई है।
  2. अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE) को अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा एक वैश्विक खेल संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  3. हाल ही में हुए शतरंज ओलंपियाड में भारतीय महिला टीम ने महिला वर्ग में देश का पहला पदक जीता।

विकल्प:

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) उपर्युक्त कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: हालिया शतरंज ओलंपियाड को पहली बार भारत में आयोजित किया गया हैं,और इसमें अब तक के शतरंज ओलंपियाड में सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई हैं।
  • कथन 2 सही है: अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संघ (FIDE) को 1999 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा एक वैश्विक खेल संगठन के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • कथन 3 सही है: भारत की महिला ए टीम ने महिला वर्ग में देश का पहला पदक जीतकर 44वें शतरंज ओलंपियाड में पहला स्थान हासिल किया हैं।

प्रश्न 3. निसार (NISAR) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर: कठिन)

  1. मिशन पृथ्वी का पर्यवेक्षण करेगा तथा वैश्विक स्तर पर बदलते पारिस्थितिकी तंत्र एवं द्रव्यमान को मापेगा।
  2. इसमें S-ब्रांड और L-ब्रांड को दोनों रडार आवृत्तियों का उपयोग किया जायेगा। जहाँ S-बैंड रडार इसरो द्वारा वहीँ L-बैंड रडार नासा द्वारा निर्मित किया जा रहा है।
  3. इसके प्राथमिक लक्ष्यों में आसन्न ज्वालामुखी विस्फोटों की चेतावनी संकेतों का पता लगाना, भूजल आपूर्ति की निगरानी में मदद करना, बर्फ की चादरों के पिघलने की दर पर नज़र रखना आदि शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 1 और 3

(c) केवल 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: नासा-इसरो एसएआर मिशन (NASA-ISRO SAR mission) पृथ्वी का पर्यवेक्षण/निरीक्षण करेगा और विश्व स्तर पर इसके बदलते पारिस्थितिकी तंत्र और द्रव्यमान को मापेगा।
  • कथन 2 सही है: यह एक दोहरी आवृत्ति वाला रडार इमेजिंग उपग्रह है और इसमें एल-ब्रांड और एस-ब्रांड रडार आवृत्तियों दोनों का उपयोग किया जा रहा है।
  • एस-ब्रांड रडार इसरो द्वारा बनाया जा रहा है और एल-ब्रांड रडार नासा द्वारा बनाया जा रहा है।
  • कथन 3 सही है: इस शोध का मुख्य उद्देश्य भूमि की सतह में परिवर्तन के कारणों और परिणामों की वैश्विक माप करना है। इसमें अन्य उदेशय भी शामिल है:
  1. पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन।
  2. प्राकृतिक खतरे।
  3. बर्फ की चादर का पिघलना।
  4. कृषि और वन बायोमास।
  5. मिट्टी की नमी का अनुमान लगाना।

प्रश्न 4. ‘बनसेरा’, ‘बाशग्राम’ समाचारों में किस संदर्भ में चर्चा में रहता हैं: (स्तर : मध्यम)

(a) जीन अभयारण्य

(b) जीविका कृषि

(c) बांस उद्यान

(d) समुद्र तल के नीचे की कृषि प्रणालियाँ

उत्तर: c

व्याख्या:

  • दिल्ली का पहला बांस थीम पार्क/उद्यान जिसका शीर्षक “बनसेरा” है, यमुना बाढ़ के मैदान पर बनाया जा रहा है।
  • “बाशग्राम” (बांस गांव) त्रिपुरा में स्थापित भारत का पहला बांस पार्क/उद्यान है।

प्रश्न 5. ‘पूर्व शिक्षण योजना की मान्यता’ का उल्लेख कभी-कभी समाचारों में ____के संदर्भ में किया जाता है: (PYQ-2016) (स्तर : मध्यम)

(a) पारंपरिक प्रणाली के माध्यम से निर्माण श्रमिकों द्वारा अर्जित कौशल को प्रमाणित करना।

(b) दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के लिए विश्वविद्यालयों में व्यक्तियों की भर्ती करना।

(c) सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ उपक्रमों में ग्रामीण और शहरी गरीबों के लिए कुछ कुशल नौकरियों में आरक्षण।

(d) राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षुओं द्वारा अर्जित कौशल को प्रमाणित करना।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • ‘पूर्व शिक्षण योजना की मान्यता’ (Recognition of Prior Learning (RPL)) योजना एक मूल्यांकन प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति के मौजूदा कौशल और अनुभव (औपचारिक या अनौपचारिक) का मूल्यांकन एवं प्रमाणित किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) 2016 में शुरू की गई थी और आरपीएल (RPL) इसका एक हिस्सा है।
  • इसकी देखरेख उद्यमिता और कौशल विकास मंत्रालय (Ministry of Entrepreneurship and Skill Development) करता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. LGBTQ समुदाय को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास तब तक अधूरा रहेगा जब तक उन्हें गोद लेने के समान अधिकार प्रदान नहीं किये जाते हैं। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)

प्रश्न 2. इसरो के लिए एसएसएलवी (लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान) के महत्व पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)