11 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
अर्थव्यवस्था:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जलवायु कार्रवाई पर यू.एस. विधेयक
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और निम्नकरण।
मुख्य परीक्षा: जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने की प्रतिबद्धता।
संदर्भ:
- हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट ने ‘मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (IRA) 2022’ नामक एक विधेयक पारित किया हैं। जो की राष्ट्रपति जो बाइडेन के ‘बिल्ड बैक बेटर एक्ट’ (Build Back Better Act) का छोटा संस्करण है, जिसे सीनेट ने मंजूरी प्रदान नहीं की थी।
मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (Inflation Reduction Act) 2022:
- मुद्रास्फीति को दूर करने के लिए इस विधेयक में स्वास्थ्य देखभाल, जलवायु और कर प्रावधानों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- इस विधेयक में स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिए $ 369 बिलियन का पैकेज शामिल हैं जो स्वच्छ ऊर्जा के लिए सबसे बड़ा अमेरिकी निवेश है।
- इस विधेयक में विद्युत ऊर्जा को बढ़ावा देने और बिजली के बिल को कम करने के लिए निम्न और मध्यम आय वाले परिवारों के लिए कर में कई प्रकार की कटौती के प्रावधान किये गए है।
- इसका उद्देश्य ताप पंपों (heat pumps) और महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना भी है।
- (Heat Pumps-एक उपकरण है,जो यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग करके एक ठंडे क्षेत्र से एक गर्म क्षेत्र में गर्मी को स्थानांतरित करता है, जैसे कि एक रेफ्रिजरेटर)
- इस विधेयक में विभिन्न वंचित गरीबों और आदिवासी समुदायों का जलवायु लचीलापन बढ़ाने के लिए शून्य-उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों के लिए वित्त प्रदान करने का प्रावधान है, इसके साथ ही पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए प्रमुख कर आभार प्रदान किए गये हैं।
- यदि तेल और गैस निकलते वक़्त वहां से मीथेन गैस का रिसाव होता हैं तो इस विधेयक में इस पर भी शुल्क लगाने का प्रावधान किया गया है।
अमेरिका जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने में निवेश क्यों करना चाहता है?
- वर्तमान में अमेरिका जंगल की आग, हीटवेव, बाढ़, तूफान और चक्रवात के रूप में अत्यधिक जलवायु खतरों का सामना कर रहा है, जो पिछले कुछ वर्षों में बारम्बार और तीव्र हो गए हैं।
- भारी वर्षा के कारण जारी बाढ़ और कैलिफोर्निया के जंगल में सूखी बिजली (dry lightning) की वजह से लगने वाली आग देश के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बन गई है।
- (Dry Lightning- आकाशीय गरजना से उत्पन्न बिजली जो बिना बारिश के गिरती है।)
- चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के बीच एक कड़ी है।
- इसके अतिरिक्त, यह विधेयक राष्ट्रपति जो बाइडेन की विभिन्न जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।
- अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वर्ष 2021 में वर्ष 2005 के स्तर से 2030 तक 50-52% तक उत्सर्जन में कटौती करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है।
- उन्होंने गैस और तेल उद्योग से मीथेन उत्सर्जन को प्रतिबंधित करने के लिए एक नए मीथेन सौदे पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
- जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रावधानों के अंतर्गत उनकी ‘बिल्ड बैक बेटर’ योजना पर कई ट्रिलियन डॉलर निवेश करने की बात की गई हैं।
- कुछ अनुमानों के अनुसार,यह निवेश वर्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 31 से 44% तक कम कर सकता है ।
- यह अमेरिका को अक्षय उत्पादन, विशेष रूप से सौर ऊर्जा के मामले में चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित करेगा जिससे घरेलू नौकरियों का सृजन भी हो सकता है।
- इस प्रकार, वैश्विक जलवायु कार्रवाई के लिए यह विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यू.एस. वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक में से एक है।
Image credit: nist.gov Image credit: my republica
इस विधेयक का विरोध कौन कर रहा है?
- जीवाश्म ईंधन के समर्थक, जलवायु अधिवक्ता, रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के कुछ सीनेटर विभिन्न कारणों से इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
- जीवाश्म ईंधन के समर्थक इस विधेयक के खिलाफ हैं क्योंकि यह उन लोगों की पूरी तरह से उपेक्षा करता है जो अपनी आय के लिए जीवाश्म ईंधन उद्योग पर निर्भर हैं।
- इस विधेयक में तेल और गैस ड्रिलिंग का विस्तार करने सम्बन्धी प्रावधान किये गए है, साथ ही संघीय सरकार अक्षय ऊर्जा के विकास के लिए एक शर्त के रूप में तटवर्ती और अपतटीय ड्रिलिंग/खनन के लिए भूमि की पेशकश भी कर रही है।
समान जलवायु पैकेज:
- जापान की ‘इन्वेस्ट इन किसिडा’ (Invest in Kisida) योजना का लक्ष्य जापानी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 1.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश करना है।
- वर्ष 2022 में घोषित, इसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा की ओर कदम बढ़ाना और वर्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 46% की कमी लाना है।
- जून 2021 में, यूरोपीय संघ ने वर्ष 2030 तक उत्सर्जन को 55% तक कम करने के लिए ‘फिट फॉर 55’ (Fit for 55) योजना का प्रस्ताव रखा था।
- भारत और जलवायु परिवर्तन के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:India and Climate Change
निष्कर्ष:
- पेरिस समझौते में जिस जलवायु लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सहमति बनी थी यह उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- भले ही विधेयक वैश्विक जलवायु वित्त को संबोधित करने के लिए पर्याप्त नहीं है,जो कि वैश्विक जलवायु कार्रवाई में एक प्रमुख बाधा है, लेकिन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वैश्विक नेताओं द्वारा इस तरह की ऐतिहासिक पहल अन्य बड़े उत्सर्जकों के लिए अपने जलवायु कार्रवाई कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बेंचमार्क हो सकती है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
विद्युत संशोधन विधेयक, 2022
शासन:
विषय: सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप
मुख्य परीक्षा: आर्थिक विकास के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार।
संदर्भ:
- हाल ही में, केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने लोकसभा में विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2022 (Electricity Amendment Bill 2022) पेश किया।
विद्युत संशोधन विधेयक, 2022(Electricity Amendment Bill 2022):
- इस बिल के माध्यम से विद्युत अधिनियम, 2003 में संशोधन किया गया है,जो भारत में बिजली क्षेत्र को नियंत्रित करता है।
- इस मूल अधिनियम (2003) का उद्देश्य बिजली के उत्पादन, पारेषण, वितरण, व्यापार और उपयोग के संबंध में कानूनों को मजबूत करना था।
- वर्ष 2003 के इस अधिनियम में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और सभी क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति, शुल्क/टैरिफ की दरों को युक्तिसंगत बनाने तथा सब्सिडी के संबंध में पारदर्शी नीतियों आदि के प्रावधान भी किये गए थे।
- इस अधिनियम के परिणामस्वरूप वितरण कंपनियों का निजीकरण किया गया था।
- वर्ष 2007 में इस विधेयक में “क्रॉस सब्सिडी” के प्रावधान को जोड़ा गया,जिसका उदेशय गरीब परिवारों को सब्सिडी सुनिश्चित करना था।
प्रमुख संशोधन:
- हाल के संशोधन में पहले के मसौदे की तुलना में कई बदलाव किये गए हैं।
- यह विधेयक अधिनियम की धारा 62 में संशोधन करता है और बिजली वितरण कंपनियों द्वारा हिंसक मूल्य निर्धारण को दूर करने और उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए “उपयुक्त आयोग” द्वारा न्यूनतम और साथ ही अधिकतम शुल्क/टैरिफ सीमा के “अनिवार्य” निर्धारण का प्रावधान करता है।
- इसमें वर्गीकृत और समय पर टैरिफ संशोधन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किये गए हैं जो बिजली उत्पादकों को पर्याप्त नकदी के साथ समय पर भुगतान करने में सक्षम बनाने के लिए राज्य बिजली उपयोगिताओं को प्रदान करने में मदद गार साबित होंगे।
- इस कदम का उद्देश्य उत्पादन कंपनियों को किये जाने वाले भुगतान में वितरण कंपनियों द्वारा चूक की आवर्ती समस्या का समाधान करना है।
- धारा 166 में किये गए संशोधन भुगतान सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने और डिस्कॉम (विधुत वितरण कंपनियां) के कॉर्पोरेट प्रशासन में सुधार करके नियामकों को अधिक अधिकार देने का भी प्रयास करते है।
- संशोधन के कई खंडों को बिजली वितरण के क्षेत्र में केंद्र के हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है, जो राज्य सरकारों के अधीन एक डोमेन है।
- खंड 5 मूल अधिनियम की धारा 14 में संशोधन करता है, जिससे केंद्र सरकार को डिस्कॉम के लिए मानदंड निर्धारित करने का अधिकार मिल जाता है।
- संशोधन का खंड 11 एक ही क्षेत्र में कई डिस्कॉम के संचालन की अनुमति देने और समानांतर नेटवर्क से बचने और वितरण नेटवर्क के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए मूल अधिनियम की धारा 42 में संशोधन करता है।
- यह प्रावधान बड़ी निजी कंपनियों के एकाधिकार का कारण बन सकता है और सार्वजनिक और छोटे नेटवर्क को नष्ट कर सकता है जैसा कि हमने दूरसंचार क्षेत्र में देखा था।
- खंड 13 विद्युत आपूर्ति के एक ही क्षेत्र में कई डिस्कॉम के मामले में बिजली खरीद और क्रॉस सब्सिडी के प्रबंधन को सक्षम बनाने के लिए मूल अधिनियम की धारा 60 में संशोधन करना चाहता है।
- कई डिस्कॉम के मामले में, राज्य सरकार एक क्रॉस सब्सिडी बैलेंसिंग फंड स्थापित करेगी जिसका प्रबंधन एक सरकारी कंपनी द्वारा किया जाएगा।
विधयेक का विरोध क्यों किया जा रहा है?
- किसान समूहों द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा हैं क्योंकि उन्हें इस बात का डर है कि इस विधयेक से सब्सिडी समाप्त हो जाएगी और उसके बाद विधुत वितरण निजी कंपनियों के नियंत्रण में आ जाएगा।
- बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों ने यह कहते हुए विधेयक का विरोध किया हैं कि वितरण कंपनियों और उत्पादन इकाइयों के निजीकरण से नौकरियों का नुकसान होगा।
- विद्युत/बिजली का विषय समवर्ती सूची में आने के कारण विपक्षी दल संघीय सिद्धांतों के आधार पर इस विधेयक पर सवाल उठा रहे हैं। वे विधेयक को पारित करने से पहले राज्य सरकारों के साथ उचित परामर्श चाहते हैं।
यह संशोधन किस प्रकार मददगार साबित होगा?
- राजनीतिक दलों द्वारा दी जाने वाली बिजली के संबंध में अन्य चीजों के साथ-साथ विभिन्न राज्य बिजली वितरण कंपनियां बिजली उत्पादन कंपनियों को समय पर भुगतान करने के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाने में सक्षम नहीं हैं।
- नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 03 राज्यों-तमिलनाडु, महाराष्ट्र और तेलंगाना के डिस्कॉम को बिजली उत्पादन कंपनियों के कुल बकाया का लगभग 57% भुगतान करना बाकी है।
- राज्य सरकारों पर डिस्कॉम का 62,931 करोड़ रुपये और उनके द्वारा घोषित मुफ्त की लागत के रूप में 76,337 रुपये बकाया हैं।
- तेलंगाना का कुल बकाया 11,915 करोड़ रुपये है, इसके बाद महाराष्ट्र में 9,131 करोड़ रुपये उन राज्यों में है, जिन्होंने डिस्कॉम को भुगतान नहीं किया है।
- फ्रीबी संस्कृति ( Freebie culture) पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Freebie culture
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
कर हस्तांतरण (Tax Devolution):
अर्थव्यवस्था:
विषय: संसाधन संग्रहण।
मुख्य परीक्षा: राजकोषीय हस्तांतरण में निर्णायक मोड़ (Criticality of Fiscal devolution)।
संदर्भ:
- हाल ही में, केंद्र सरकार ने राज्यों को ₹ 1.16 लाख करोड़ से अधिक की धन राशि जारी की, जो कर हस्तांतरण की 2 मासिक किश्तों के बराबर है।
मुख्य विवरण:
- केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 58,332.86 करोड़ रुपये के सामान्य मासिक हस्तांतरण के मुकाबले दो किश्तों के तौर पर एक साथ ₹1,16,665.75 करोड़ हस्तांतरित किए।
- भारतीय निवेश सूचना और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ( Investment Information and Credit Rating Agency of India (ICRA)) की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा कर हस्तांतरण ₹8.2 लाख करोड़ के बजट अनुमान से बढ़कर ₹9.3 लाख करोड़ होने की संभावना है।
- बिहार के बाद सबसे अधिक धन राशि उत्तर प्रदेश को हस्तांतरित की गयी है।
- वर्तमान में एक वित्तीय वर्ष के दौरान एकत्रित कर का 41% कुल 14 किस्तों में राज्यों को हस्तांतरित किया जाता है।
Image Credit: The Hindu
इस हस्तांतरण का महत्व:
- कर हस्तांतरण की अग्रिम राशि जारी करने से राज्यों पर राजकोषीय दबाव कम होने और विशेष रूप से माल और सेवा कर (GST) कर व्यवस्था के तहत दिए जाने वाले मुआवजे की समाप्ति के बाद उनकी पूंजीगत व्यय क्षमताओं में वृद्धि की उम्मीद है।
- जीएसटी अधिनियम, 2017 के अनुसार, राज्यों को जीएसटी के लागू होने के कारण होने वाले नुकसान के लिए आधार वर्ष 2015-16 से इसके लागू होने के 05 वर्षों के लिए 14% की चक्रवृद्धि दर पर मुआवजे की गारंटी दी गई थी। यह समय सीमा 30 जून, 2022 को समाप्त हो गयी हैं।
- हाल ही में नीति आयोग की संचालन परिषद में, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने संकुचित होते संसाधनों के बारे में चिंता व्यक्त की और जीएसटी मुआवजे की अवधि के विस्तार और करों के विभाज्य पूल में एक उच्च हिस्सेदारी के माध्यम से संघ से अधिक धन की मांग की थी।
- यह देखते हुए कि परियोजनाओं और पूंजीगत व्यय के लिए काफी समय की आवश्यकता होती है, राज्यों के साथ साझा की जा रही हस्तांतरण राशि का शीघ्र पुनर्मूल्यांकन उन्हें अपने पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
- हालाँकि गत वर्ष की चौथी तिमाही में राज्यों को कर हस्तांतरण के एक बड़े हिस्सा भुगतान किया गया था,जिसने उस अवधि के लिए राज्य सरकार के उधार को तो कम कर दिया था लेकिन यह उच्च खर्च में तब्दील नहीं हो सका।
सारांश:
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- कर हस्तांतरण से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Tax Devolution
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
G20 के लिए एक नया वैश्विक दृष्टिकोण:
विषय: भारत से जुड़े क्षेत्रीय और वैश्विक समूह।
प्रारंभिक परीक्षा: जी20।
मुख्य परीक्षा: भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता तथा उससे संबंधित चुनौतियाँ एवं प्रमुख सिफारिशें।
संदर्भ:
- भारत दिसंबर 2022 में G20 अध्यक्षता ग्रहण करने वाला है तथा इस लेख में भारत के प्रमुख फोकस वाले क्षेत्रों के बारे में चर्चा की गई है।
G20 और इसके महत्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़े:
भारत द्वारा G20 अध्यक्षता:
- G20 समूह, वैश्विक अवसंरचना निर्माण एवं सुधार तथा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
- G20 का मानना है कि आर्थिक अवसरों और संबंधित चुनौतियों के साथ वैश्विक समृद्धि एक-दूसरे पर निर्भर करती हैं।
- विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान लगभग 190 बैठकों की मेजबानी करेगा और इसका उद्देश्य विकासशील देशों के लिए ऊर्जा, कृषि, व्यापार, डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, पर्यावरण, रोजगार, पर्यटन, भ्रष्टाचार विरोधी, महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन को मजबूत करना है।
भारत के G20 अध्यक्षता से संबंधित चुनौतियां:
- सहायता और व्यापार पर मौजूदा और स्थापित बहुपक्षीय प्रतिबद्धताएं जो देशों के बीच सहयोग के लिए महत्वपूर्ण हैं, की प्रासंगिकता खो रही है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, देशों के बीच सहयोग मजबूत करने में अक्षम रहे हैं।
- बढ़ते ध्रुवीकरण के कारण वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव।
- वर्तमान में वैश्विक स्तर पर तीन सामाजिक-आर्थिक प्रणालियाँ हैं, अर्थात् G7, चीन-रूस और भारत व अन्य।
- आर्थिक अस्थिरता, खाद्य एवं ऊर्जा असुरक्षा के संदर्भ में यूक्रेन युद्ध और इसके प्रतिकूल नतीजों को दुनिया भर में महसूस किया जा रहा है।
- अमेरिका और चीन के प्रभुत्व वाली व्यापार और मूल्य श्रृंखलाओं का बढ़ता प्रभाव तथा इस प्रतिस्पर्धा का पक्ष लेने के लिए विकासशील देशों की झिझक भी G20 जैसे बहुपक्षीय समूह के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
भारत के लिए प्रमुख सिफारिशें:
- भारत को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों के प्रस्तावों को आगे बढ़ाकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख फोकस क्षेत्रों में सहयोग निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विविधीकरण और सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो समग्र मानव कल्याण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- भारत को समानता की भावना के लिए उपाय करने चाहिए और अन्य क्षेत्रों में भी जलवायु परिवर्तन की सामान्य चिंताओं और चुनौतियों को उजागर करना चाहिए।
- भारत को ब्रिक्स शासन मॉडल की सफलता की कहानी को भी उजागर करना चाहिए ताकि यह साबित हो सके कि एक शक्ति या प्रभुत्व वाले देशों का संकीर्ण समूह वैश्विक एजेंडा को आकार देने के लिए नहीं होता।
- भारत को मानवाधिकारों पर वियना घोषणा 1993 की तरह 2030 सतत विकास एजेंडा और सामान्य लेकिन अलग-अलग सिद्धांतों के लिए सम्मेलनों का आयोजन करना चाहिए।
- दुनिया भर में रोजगार और पर्यावरण के मुद्दों पर नए सिरे से चिंतन करने की आवश्यकता है।
- भारत को डिजिटल-सूचना-प्रौद्योगिकी की कुल क्षमता का दोहन करना चाहिए, जिसके लिए खुली पहुंच और सार्वभौमिक सेवा की आवश्यकता होती है।
- अंतरिक्ष एक अन्य क्षेत्र है जिस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और शहरी एवं बुनियादी ढांचे की योजना की समस्याओं के प्रमुख समाधान प्रदान करता है।
- यह देशों से AI और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत तकनीकों के सहयोग को साझा करने का आह्वान करता है।
- वर्तमान में COVID-19 और मंकीपॉक्स जैसे मामलों को देखते हुए वैश्विक स्तर पर रोगाणुरोधी प्रतिरोध और संक्रमण के तेजी से प्रसार जैसी चुनौतियों पर भी चर्चा की जानी चाहिए।
- ग्लोबल फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन टैक्स, जिसे 2011 में G20 द्वारा प्रस्तावित किया गया था, को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए तथा कम विकसित देशों के लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी फंड का भुगतान किया जाना चाहिए।
- दुनिया की शांति और व्यवस्था में अराजकता और अस्थिरता के इस समय में, भारत को वर्तमान प्रतिद्वंद्विता और संघर्षों को दूर करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
BSNL की संकटकालीन कॉल का जवाब दिया गया, लेकिन गंभीर मुद्दे प्रबल हैं:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधन, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: BSNLऔर उसके प्रभाव के लिए एक पुनरुद्धार पैकेज की आवश्यकता।
संदर्भ:
- हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) को पुनर्जीवित करने के लिए ₹1.64 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की।
पृष्टभूमि:
इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis dated 29 Jul 2022
BSNL के लिए पुनरुद्धार और बेल आउट पैकेज की आवश्यकता:
- ग्राहक आधार में कमी:
- 2005 में, BSNL की बाजार हिस्सेदारी 21% थी जो कि लगभग भारती एयरटेल के समान तथा रिलायंस कम्युनिकेशंस से अधिक थी।
- हालांकि, 2022 तक, अन्य निजी दूरसंचार फर्मों के बाजार में हावी होने के साथ BSNL की हिस्सेदारी 10% तक गिर गई।
- औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्ता (ARPU) की समस्या:
- मार्च 2016 में, BSNL का औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्ता (ARPU) अर्जित औसत राजस्व ₹118 था जबकि अन्य निजी फर्मों का लगभग ₹126 था।
- जब Jio ने कम टैरिफ के साथ बाजार में प्रवेश किया, तो BSNL और अन्य निजी फर्मों का ARPU कम हो गया।
- 2021 तक, BSNL का ARPU घटकर ₹53 हो गया जबकि निजी फर्मों का ARPU बढ़कर ₹136 हो गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब Jio ने अपनी टैरिफ दरों में वृद्धि करना शुरू किया तो अन्य निजी फर्मों ने भी वृद्धि की, जबकि BSNL ने नहीं की।
- कम कमाई:
- ग्राहक आधार में गिरावट के साथ-साथ मौजूदा ग्राहकों की आय में कमी ने भी BSNL के राजस्व को बुरी तरह प्रभावित किया।
- राज्य के स्वामित्व वाली फर्म का राजस्व FY06 में ₹40,000 करोड़ से गिरकर FY22 में ₹19,052 करोड़ हो गया।
- इसके अलावा, उस समय जब राजस्व में गिरावट आई तब BSNL का खर्च ₹30,000 करोड़ से ज्यादा हो गया था तथा लगातार 15 वर्षों से अधिक समय तक घाटा (व्यय राजस्व से ज्यादा) बना रहा।
- राजस्व और व्यय बेमेल के परिणामस्वरूप नुकसान हुआ। BSNL को विगत 13 वर्षों में करीब ₹1.02 ट्रिलियन का घाटा हुआ है।
- कर्मचारी लाभ का उच्च हिस्सा:
- FY20 तक, BSNL के खर्चों का लगभग 40% कर्मचारी लाभ से सम्बन्धित था।
- 2019 के राहत पैकेज के बाद, पैकेज का एक बड़ा हिस्सा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लिए इस्तेमाल किया गया था, वित्त वर्ष 2011 में कार्यबल को घटाकर 64,500 कर दिया गया था, जो वित्त वर्ष 2018 में 1.8 लाख था।
- इसके बावजूद कर्मचारी लाभ के मामले में BSNL का खर्च निजी फर्मों द्वारा खर्च किए जाने वाले खर्च से कहीं अधिक है।
- ग्रामीण वायरलेस सेगमेंट में घाटा:
- BSNL ने ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में टेलीडेंसिटी (प्रति 100 लोगों पर कनेक्शन) में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- हालांकि, हाल के वर्षों में निजी फर्मों ने BSNL को ग्रामीण वायरलेस सेगमेंट में बदल दिया है और BSNL अब केवल ग्रामीण वायर लाइन सेगमेंट का संचालन करती है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश:
- राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है।
- उनका कार्यकाल 03 महीने से कम का होगा क्योंकि वह 8 नवंबर को पद छोड़ देंगे।
- न्यायमूर्ति एस.एम. सीकरी, जिन्होंने 1971 में भारत के 13वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था, के बाद न्यायमूर्ति ललित सीधे बार काउंसिल से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में प्रोन्नत होने वाले भारत के दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:appointment of Judges
2. एहतियाती खुराक (Precaution Dose):
- हाल ही में, केंद्र सरकार ने 18 वर्ष से ऊपर के लोगों जिन्हें कोवैक्सिन या कोविशील्ड टीका लगाया गया है,के लिए COVID-19 के खिलाफ एहतियाती खुराक के रूप में बायोलॉजिकल ई (Biological E’s) द्वारा ‘कॉर्बेवैक्स’ (Corbevax) को मंजूरी दी।
- 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति दूसरी खुराक लेने के 26 सप्ताह बाद इस खुराक को लगवा सकते सकते हैं। इसे ऐहतियाती खुराक माना जाएगा।
- ज्ञातव्य हैं कि ‘कॉर्बेवैक्स’ (Corbevax) खुराक को अभी भी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आपातकालीन उपयोग सूची (emergency use listing (EUL) ) की मंजूरी नहीं मिली है।
- यह पहली बार है कि भारत में प्राथमिक टीकाकरण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बूस्टर खुराक से अलग बूस्टर खुराक (एहतियाती खुराक) की अनुमति दी गई है।
- इस खुराक का अनुमोदन टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के COVID-19 कार्य समूह द्वारा की गई सिफारिशों पर आधारित है।
- ‘कॉर्बेवैक्स’ पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:‘Corbevax’
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया कि न तो दोषी अपराधी चुनाव लड़ पाए और न हीं संसद एवं राज्य विधानमंडल में जगह पाएं? (स्तर- मध्यम)
(a) केहर सिंह बनाम भारत संघ वाद
(b) किहोतो होलोहन बनाम ज़चिल्हु और अन्य वाद
(c) लिली थॉमस बनाम भारत संघ वाद
(d) लोक प्रहरी बनाम भारत संघ और अन्य वाद
उत्तर: c
व्याख्या:
- विकल्प 1 गलत है: केहर सिंह बनाम भारत संघ मामले में, 1988 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के बारे में बात की गई है,जिसमे सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रपति की क्षमादान आदि की शक्ति और कुछ मामलों में सजा को निलंबित करने, हटाने या कम करने के बारे में कहा गया है।
- विकल्प 2 गलत है: ‘किहोतो होलोहन बनाम जचिल्हू और अन्य’ (1992) मामला भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची को संवैधानिक चुनौती और अध्यक्ष को दी गई विवेकाधीन शक्तियों से संबंधित है।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने विधायकों की अयोग्यता के मामलों को तय करने में अध्यक्ष के पास उपलब्ध व्यापक विवेक को बरकरार रखा हैं।
- विकल्प 3 सही है: लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में फैसले में यह प्रावधान किया गया है कि सभी निर्वाचित या गैर-निर्वाचित सांसदों और विधायकों को तत्काल प्रभाव से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा यदि उन्हें किसी आपराधिक मामले में एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया हैं और इसमें बचाव की धारा 8(4) का यह खंड लागू नहीं होगा।
- विकल्प 4 गलत है: लोक प्रहरी बनाम भारत संघ और अन्य मामला उच्च न्यायालयों में मामलों के बैकलॉग से निपटने के लिए तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में भारत के संविधान के अनुच्छेद 224 ए के प्रावधान से संबंधित है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : (स्तर-सरल)
- समवर्ती सूची में उल्लिखित किसी विषय पर केंद्रीय कानून और राज्य के कानून के बीच टकराव की स्थिति में, केंद्रीय कानून राज्य के कानून पर हावी होता है।
- यदि किसी राज्य का कानून राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा गया है तथा उस पर राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त कर ली गई है, तो उस राज्य में राज्य का कानून लागू होता है।
- वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा गठित मलीमठ समिति ने भारतीय दंड संहिता (दहेज उत्पीड़न) की धारा 498A को जमानती और कंपाउंडेबल (समझौता योग्य) अपराध बनाने का समर्थन किया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: यदि समवर्ती सूची के विषयों पर संसद द्वारा बनाए गए कानूनों और राज्यों के विधान मंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों के बीच कोई विसंगति है तो केंद्रीय कानून राज्य के कानून पर हावी होते है।
- कथन 2 सही है: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 254(2) के अनुसार, राज्य द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होगा, यदि इसे राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किया गया है और उनकी सहमति प्राप्त हुई है।
- कथन 3 सही है: न्यायमूर्ति वी.एस. मलीमठ (Malimath Committee) ने आपराधिक कानून के मूल सिद्धांतों की जांच करने के लिए भारतीय दंड संहिता (दहेज उत्पीड़न) की धारा 498 ए को जमानती और कंपाउंडेबल (समझौता योग्य) अपराध बनाने का समर्थन किया हैं।
- भारतीय संविधान की 07वीं अनुसूची के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: 07th schedule
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन चोल अभिलेखों के अनुसार सुमेलित नहीं है? (स्तर-कठिन)
- वेल्लानवगई (Vellanvagai)- गैर-ब्राह्मण किसान मालिकों की भूमि
- पल्लिच्छंदम (Pallichchhandam)- ब्राह्मणों को उपहार में दी गई भूमि
- शलभोग (Shalabhoga)- मंदिरों को भेंट की गई भूमि
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- जोड़ी 1 सही सुमेलित है: वेल्लनवगई गैर-ब्राह्मण किसान मालिकों की भूमि थी, और मंदिरों को उपहार में दी गई भूमि को देवदाना या तिरुनमट्टुकनी (devadana or tirunamattukkani) कहा जाता था।
- जोड़ी 2 गलत सुमेलित है: पल्लिच्छंदम (Pallichchhandam) जैन संस्थाओं को दान में दी गई भूमि थी।
- जोड़ी 3 गलत सुमेलित है: शलभोग (Shalabhoga) का तात्पर्य उस भूमि से है जो एक स्कूल के संचालन/रखरखाव के लिए दान में दी जाती थी।
प्रश्न 4. तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-सरल)
- युद्ध के प्रारंभिक चरण के दौरान टीपू ने कार्नवालिस के अधीन अंग्रेजों को हराया।
- मैंगलोर की संधि के साथ युद्ध समाप्त हुआ।
- तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध के दौरान टीपू के दो बेटों को अंग्रेजों ने बंधक बना लिया था।
विकल्प:
(a) केवल 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: लॉर्ड कार्नवालिस के खिलाफ युद्ध के पहले चरण में टीपू की हार हुई थी और उसकी सेना को पीछे हटना पड़ा था।
- कथन 2 गलत है: 1792 में सेरिंगपट्टम की संधि के साथ युद्ध समाप्त हो गया था।
- कथन 3 सही है: संधि के अनुसार, टीपू को अपने दो पुत्रों को ज़मानत के रूप में अंग्रेजों को सौंपना पड़ा, जब तक कि वह अपना बकाया भुगतान नहीं कर देता।
- तीसरे और चौथे आंग्ल-मैसूर युद्धों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Third and fourth Anglo-Mysore wars
प्रश्न 5. भारत में “चाय बोर्ड” के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (PYQ -2022) (स्तर-मध्यम)
- चाय बोर्ड सांविधिक निकाय है।
- यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से संलग्न नियामक संस्था है।
- चाय बोर्ड का प्रधान कार्यालय बेंगलुरु में स्थित है।
- इस बोर्ड के दुबई और मॉस्को में विदेशी कार्यालय हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) 1 और 3
(b) 2 और 4
(c) 3 और 4
(d) 1 और 4
उत्तर: d
व्याख्या:
- चाय बोर्ड की स्थापना ‘चाय अधिनियम, 1953’ के तहत की गई है। इसने केंद्रीय चाय बोर्ड और भारतीय चाय लाइसेंसिंग समिति का स्थान लिया है, जो क्रमशः केंद्रीय चाय बोर्ड अधिनियम, 1949 और भारतीय चाय नियंत्रण अधिनियम, 1938 के तहत कार्य करती थी, जिन्हें निरस्त कर दिया गया था। चाय बोर्ड वाणिज्य मंत्रालय के तहत केंद्र सरकार के एक वैधानिक निकाय के रूप में कार्य कर रहा है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. पिछले कुछ दशकों में भारत में राज्य सरकारों की वित्तीय स्वायत्तता में काफी कमी देखी गई है। क्या आप इससे सहमत हैं? विस्तार से बताइये । (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस-3, अर्थव्यवस्था]
प्रश्न 2. G20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने से भारत को एक वैश्विक विचारक नेता के रूप में उभरने और अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने का मौका मिला है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]