12 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. यूक्रेन-रूस संघर्ष

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आंतरिक सुरक्षा:

  1. ग्रेहाउंड

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

आंतरिक सुरक्षा:

  1. हमें कश्मीर में समाज की भागीदारी की आवश्यकता है

भारतीय अर्थव्यवस्था:

  1. सेब किसानों का संकट

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-बांग्लादेश संबंध, द्विपक्षीय सहयोग का एक मॉडल

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. परियोजना 17A

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. एशिया कप

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

यूक्रेन-रूस संघर्ष

विषय: भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: रूस-यूक्रेन संघर्ष का वैश्विक प्रभाव।

संदर्भ:

  • हाल ही में, यूक्रेनी सेना द्वारा आक्रामक रूप से आगे बढ़ने के बाद, रूसी सेना उत्तर-पूर्वी यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत में कब्जाए गए प्रमुख अग्रिम पंक्तियों में से एक को छोड़ कर पीछे हट गई है।

भूमिका:

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के 200 दिन पूर्ण होने के साथ ही, यूक्रेन की सेना ने आक्रमक तरीके से दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में रूस द्वारा कब्जाए गए अपने क्षेत्र को वापस हासिल कर लिया है। इससे रूसी सेना को भारी झटका पंहुचा है।
  • यूक्रेन की सेनाएं खार्किव के उत्तर दिशा में आगे बढ़ी हैं और रूसी सीमा से 50 किमी. दूर हैं। इसके अलावा दक्षिण और पूर्व में भी यूक्रेनी सेनाएं दबाव डाल रही हैं।
  • दोनों ही पक्षों को जान-माल का नुकसान हुआ है, लेकिन कोई भी युद्ध विराम के पक्ष में नहीं है।

चित्र स्रोत: BBC

200 दिनों के बाद युद्ध की स्थिति:

  • 24 अगस्त 2022 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कसम खाई थी कि वे “अंत तक” रूस के खिलाफ लड़ेंगे और “कोई समझौता” नहीं करेंगे।
    • हाल ही में यूरोपीय संघ के वित्त मंत्रियों ने यूक्रेन को 5 अरब डॉलर के ऋण सहायता को मंजूरी दी थी ताकि युद्ध के दौरान यूक्रेन के स्कूलों, अस्पतालों और अन्य कार्यों को चालू रखा जा सके। यह ऋण सहायता मई 2022 में घोषित कुल 9 अरब डॉलर के पैकेज का एक हिस्सा है।
  • यूक्रेन के सशस्त्र बलों ने पिछले कुछ दिनों में 3,000 वर्ग किमी. से अधिक का इलाका रूसी सेना से वापस छीन लिया है।
  • यूक्रेन ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र, ज़ापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र के अंतिम चालू रिएक्टर को बंद कर दिया। ऐसा किसी भी परमाणु आपदा से बचाव हेतु किया गया है क्यों युद्ध इस संयंत्र के आस-पास ही जारी है।
  • रूस और यूक्रेन ने एक-दूसरे पर रूसी कब्जे वाले ज़ापोरिज़्ज़िया संयंत्र के आसपास गोलाबारी करने का आरोप लगाया है। इससे विकिरण के प्रसार का खतरा बढ़ गया है।

रूस की रणनीति में बदलाव:

  • पश्चिमी देशों द्वारा आपूर्ति की गई हथियार प्रणालियों द्वारा समर्थित यूक्रेनी सैनिकों ने रूस को कीव, खार्किव, चेर्निहाइव और अन्य प्रमुख शहरों के आस-पास के क्षेत्रों से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए बाध्य कर दिया है।
  • मार्च में राजधानी कीव से पीछे हटने के बाद से रूसी सेना अब इज़ियम शहर से भी पीछे हट गई है। यह रूसी सेना की कीव से पीछे हटने के बाद की सबसे खराब हार है क्योंकि हजारों रूसी सैनिक गोला-बारूद और अन्य उपकरणों को छोड़कर भाग गए हैं।
  • पीछे हटते हुए रूसी बलों ने खार्किव में एक थर्मल पावर स्टेशन सहित नागरिक बुनियादी ढांचे पर कथित तौर पर जवाबी हमले किए थे, जिससे बड़े पैमाने पर ब्लैकआउट (बिजली गुल हो जाना) हो गया था।

यूक्रेन के लिए इसका महत्व:

  • हथियारों और धन की नियमित आपूर्ति के लिए यूरोप को एकजुट रखने हेतु यूक्रेन के लिए यह परिणाम राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
  • यह यूक्रेन के सशस्त्र बलों के युद्ध कौशल का भी प्रदर्शन है जो यह दर्शाता है कि वे भी रूसियों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • इससे लुगांस्क क्षेत्र को भी मुक्त करने में मदद मिल सकती है, जिस पर रूस ने जुलाई, 2022 की शुरुआत में कब्जा करने का दावा किया था।
  • पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन पर कब्जे के कारण रूस का यूक्रेन के महत्वपूर्ण भू-क्षेत्र पर अधिकार हो गया था। इन क्षेत्रों से क्षेत्र देश की 28 प्रतिशत शीत ऋतु की फसलें, मुख्य रूप से गेहूं, कैनोला, जौ और राई और 18 प्रतिशत ग्रीष्म ऋतु की फसलें, मुख्य मक्का और सूरजमुखी, का उत्पादन होता है।
  • लेकिन, इज़ियम और कुपियांस्क शहर के आसपास लड़ाई जारी रही है, जो एकमात्र रेलवे हब है जो पूर्वोत्तर यूक्रेन में रूस की पूरी फ्रंट लाइन की आपूर्ति करता है। हालाँकि, यूक्रेनी बलों द्वारा इस पर पुनः कब्जा कर लिया गया है।

चित्र स्रोत: BBC

सारांश:

  • यूक्रेनी सेना युद्ध के मैदान में दो जवाबी हमलों में सफल दिख रही है और खार्किव क्षेत्र में रूसी सेना द्वारा कब्जाई गई कई बस्तियों को वापस अपने अधिकार में ले लिया है। पूर्वोत्तर खार्किव प्रांत में इस प्रगति को संभावित सफलता के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि आगामी सर्दियों का मौसम निर्णायक साबित हो सकता है और यूक्रेन से रूसी सेना के पीछे हटने का कारण बन सकता है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए।

https://byjus.com/free-ias-prep/russia-ukraine-conflict-upsc-notes/

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आंतरिक सुरक्षा:

ग्रेहाउंड

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियां और उनका अधिदेश।

मुख्य परीक्षा: वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में ग्रेहाउंड का महत्व।

संदर्भ:

  • आंध्र प्रदेश के विभाजन के 8 साल बाद भी ग्रेहाउंड के लिए कोई प्रशिक्षण केंद्र स्थापित नहीं किया गया है।

ग्रेहाउंड के बारे में:

  • ग्रेहाउंड आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पुलिस की विशेष बल इकाई है जिसका गठन वर्ष 1989 में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के. एस. व्यास द्वारा क्षेत्र में बढ़ते माओवादी खतरे से निपटने के लिए किया गया था।
  • ये नक्सली और माओवादी आतंकवादियों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी अभियानों में माहिर और विशेष रूप से घने जंगलों में खोज तथा लड़ाई हेतु प्रशिक्षित होते हैं।
  • ग्रेहाउंड ने ग्रामीण स्तर पर मुखबिरों की मदद से कई शीर्ष माओवादी आतंकवादियों को गिरफ्तार करने या मारने में कामयाबी हासिल की है।
  • आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद भी आंध्र पुलिस और तेलंगाना पुलिस के ग्रेहाउंड अभी भी संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं।
  • यह इकाई आम तौर पर 15-30 कमांडो की छोटी इकाइयों के रूप में काम करती है जो जंगलों में तलाशी अभियान चलाती है।
  • चपलता, ताकत और सहनशक्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी ग्रेहाउंड कमांडो 35 वर्ष से कम आयु के होते हैं। जब बल का कोई सदस्य 35 वर्ष का हो जाता है, तो उसे स्वतः ही सिविल पुलिस में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के लिए रोल मॉडल:

  • ग्रेहाउंड ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में अपने जैसे अन्य बलों के गठन को प्रेरित किया है।
    • इस संदर्भ में ओडिशा ने एक विशेष संचालन समूह का गठन किया है।
    • महाराष्ट्र में C-60 इकाई तैयार की गई है।
    • पश्चिम बंगाल ने काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स का गठन किया है।
    • जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों में लगी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की कोबरा बटालियन भी ग्रेहाउंड की तर्ज पर बनाई गई है।

विभाजन के बाद ग्रेहाउंड की स्थिति:

  • आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच ग्रेहाउंड के बलों और सुविधाओं को साझा करने का प्रावधान है।
  • अधिनियम में यह भी निर्दिष्ट किया गया है कि आंध्र प्रदेश को अपना आधार और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना होगा क्योंकि ग्रेहाउंड के दोनों प्रशिक्षण केंद्र तेलंगाना के हैदराबाद में स्थित थे।
  • वर्ष 2014 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश में केंद्र स्थापित करने के लिए 209 करोड़ रूपये मंजूर किए थे।
  • आंध्र प्रदेश मंत्रिमंडल ने विशाखापत्तनम के जगन्नाधापुरम गांव में एक पूर्ण प्रशिक्षण केंद्र-सह-आवासीय सुविधा को मंजूरी दे दी है। हालाँकि पुनर्वास और अन्य मुद्दों के कारण अभी निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है।
  • वर्तमान में, ग्रेहाउंड दल की 18 कंपनियां विशाखापत्तनम के थिम्मापुरम में परिचालन आधार में हैं, जो विभाजन के बाद एक अस्थायी व्यवस्था थी। आंध्र प्रदेश की लगभग 10 शेष कंपनियां अभी भी हैदराबाद में स्थित हैं।

भावी कदम:

  • केंद्र सरकार त्वरित समाधान के लिए राज्य पर दबाव बना रही है। यह राज्य के लिए जल्द से जल्द इस मुद्दे को हल करने का समय है।
  • 385 एकड़ स्वीकृत भूमि के कुछ हिस्से का उपयोग ऑक्टोपस (आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए संगठन) के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी किया जा सकता है, जो आंध्र प्रदेश पुलिस की एक और विशिष्ट आतंकवाद विरोधी इकाई है।

सारांश:

  • ग्रेहाउंड बल की कल्पना युद्ध और हमले के मामले में समान रूप से सोचने और गुरिल्ला तथा जंगल युद्ध में अच्छी तरह से प्रशिक्षित होने के लिए की गई थी। वर्षों से, अपनी कई सफलताओं के साथ, यह विशेष पुलिस बल आंध्र प्रदेश में वामपंथी उग्रवाद के पतन का मूल कारण है।

वामपंथी उग्रवाद पर अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए।

https://byjus.com/free-ias-prep/ias-preparation-internal-security-left-wing-extremism/

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:

आंतरिक सुरक्षा:

हमें कश्मीर में समाज की भागीदारी की आवश्यकता है

विषय: आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियां।

मुख्य परीक्षा: कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास।

संदर्भ:

  • पिछले छह महीनों के दौरान घाटी में कश्मीरी पंडित की स्थिति।

विवरण:

  • आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यकों (कश्मीरी पंडितों) को निशाना बनाए जाने से क्षेत्र के अल्पसंख्यक समुदाय की वापसी और सुरक्षा का अधिकार एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
  • कश्मीरी पंडितों का वर्गीकरण:
    • “प्रवासी” कश्मीरी पंडित, जो सरकारी प्रयासों के कारण घाटी में वापस लौटे और सुरक्षित क्षेत्रों में रहते हैं। हालांकि, वे आमतौर पर सरकारी कर्मचारी और शिक्षक हैं और उनका कार्य स्थानीय आबादी के साथ घुलना-मिलना है।
    • पंडितों के “गैर-प्रवासी” समूह ने 1990 के दशक के पलायन के दौरान घाटी नहीं छोड़ी और बिना किसी सरकारी सहायता के बिना वहां रहे।
  • समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के कारण, पिछले अक्टूबर से समुदाय के दोनों समूह कमजोर हो गए हैं जिससे दूसरे पलायन का खतरा बढ़ गया है।

संवाद और सुलह केंद्र (CDR) पहल:

  • CDR ने एक मुस्लिम और एक कश्मीरी पंडित के बीच संवाद के लिए एक पहल शुरू की। परिणामस्वरूप दोनों के बीच चर्चा और बातचीत के परिणामस्वरूप अपने-अपने समुदायों को राजी कर लिया गया। यह CDR के ‘साझा गवाह’ कार्यक्रम के रूप में सामने आया जो एक पंडित-मुस्लिम संवाद श्रृंखला (दिसंबर 2010) थी।
  • संवाद में भाग लेने वालों में दोनों समुदायों के बुद्धिजीवी/अत्यधिक विश्वसनीय लोग शामिल थे।
  • संवादों का उद्देश्य एक अनुकूल वातावरण का निर्माण करना था जिसने अल्पसंख्यकों को घाटी में सरकारी पोस्टिंग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • चिंताएं जो इस प्रकार हैं:
    • मुस्लिम वर्ग का विचार था कि कश्मीरी पंडितों ने उनका उस समय समर्थन नहीं किया जब वे व्यवस्था की आलोचना का सामना कर रहे थे। यह कई बार दोहराया गया है कि कश्मीर में विरोध किसी धर्म के खिलाफ नहीं बल्कि सत्ता और उत्पीड़न के खिलाफ था।
    • घाटी के मुसलमानों को सदैव शत्रुतापूर्ण पड़ोसी द्वारा सहायता प्राप्त और पथभ्रष्ट के रूप में चित्रित किया जाता रहा है, जिससे इस समुदाय को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।
    • दूसरी ओर, कश्मीरी पंडित 1990 के दशक में हुई सामूहिक हत्याओं से व्यथित थे।
    • संवाद के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने में नागरिक समाज और सामाजिक संगठनों की विफलता भी सामने आई।
    • धार्मिक और राजनीतिक दोनों तरह के अच्छे नेतृत्व का भी अभाव था जो स्थिति को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता था।

भावी कदम:

  • समस्या का कोई विशेष टॉप-डाउन समाधान नहीं है। सरकार प्रवर्तक की भूमिका निभा सकती है, लेकिन मुख्य रूप से निवासियों और नागरिक समाज का विश्वास बहाल करना चाहिए और एक दूसरे के खिलाफ नफरत को छोड़ देना चाहिए।
  • पंडितों की घाटी में वापसी के लिए मजबूत और अनुकूल सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक सुरक्षा का उपाय किए जाने चाहिए।
  • मामले को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए ‘सत्य आयोग’ के गठन की संभावना पर भी विचार किया जा सकता है।

सारांश:

  • कश्मीर में सभी समुदायों के बीच ए सामाजिक जुड़ाव समय की मांग है। इसमें विश्वास बहाल करने और अंतर-सामुदायिक बंधनों को मजबूत करने की क्षमता है। यह अल्पसंख्यकों (कश्मीरी पंडितों) को उनके घरों में शांति से लौटने में भी मदद कर सकता है।

सम्बंधित लिंक:https://byjus.com/free-ias-prep/special-status-of-jammu-and-kashmir/

https://byjus.com/free-ias-prep/roshni-act/

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

सेब किसानों का संकट

विषय:प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: सेब उत्पादन और विपणन मुद्दा।

संदर्भ:

  • हिमाचल प्रदेश में सेब उत्पादकों का आंदोलन।

सेब के उत्पादन के संबंध में हिमाचल प्रदेश में विकास:

  • 1970 और 1980 के दशक की अवधि के दौरान, हिमाचल प्रदेश ने सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए गए जो निम्न हैं:
    • नर्सरी स्थापित की गई और बड़े पैमाने पर किसानों को पौधे वितरित किए गए।
    • उपकरणों पर रियायत के साथ-साथ परिवहन सब्सिडी प्रदान की गई।
    • गरीब और दलित वर्गों को विशेष आर्थिक मदद की पेशकश की गई।
    • भूमि सुधार व्यापक पैमाने पर लागू किए गए। भूमि को नौ तोर (जिसका अर्थ है नई भूमि को तोड़ना) की प्रक्रिया के माध्यम से वितरित किया गया था।
    • जमीन जोतने वालों को हस्तांतरित कर दी गई थी।
    • इसके अलावा, क़ानून किसी भी व्यक्ति को भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है जो हिमाचल प्रदेश का कृषक नहीं है।

सेब संकट के कारण:

  • 1990 के दशक के दौरान निम्न के कारण चीजें बदलने लगीं:
    • बढ़ता भूमि विखंडन।
    • राज्य ने समर्थन वापस ले लिया और उत्पादकता में गिरावट आई।
    • कृषि की अस्थिरता।
    • कृषि वस्तुओं के उत्पादन की लागत में वृद्धि हुई और सीमांत तथा गरीब उत्पादकों को लाभकारी कीमतों से वंचित कर दिया गया।
  • वर्तमान संकट के प्रमुख कारण हैं:
    • उत्पादन की बढ़ती लागत:
      • पिछले दशक के दौरान कीटनाशकों, कवकनाशी और उर्वरकों की लागत में लगभग 300% की वृद्धि हुई है।
      • इसी तरह, सेब के डिब्बों/ट्रे/पैकेजिंग की कीमतों में भी काफी वृद्धि हुई है।
    • आंदोलन के लिए दूसरा और तत्काल ट्रिगर कार्टन पर GST को 12% से बढ़ाकर 18% करना है। वृद्धि का कारण किसानों को खुले बाजार में बेचने के बजाय बड़े खरीदारों को अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर करना था। इससे सेब किसानों को खरीद प्रक्रिया के दौरान बड़े खरीदारों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
      • हालांकि डिब्बों की कीमत कम हो जाती है क्योंकि बड़े खरीदार प्लास्टिक ट्रे में सेब खरीदते हैं, खरीद केवल उच्च गुणवत्ता वाले सेब की होती है।यह कुल सेब उत्पादन का केवल 20% -30% हैं।
      • बड़े व्यवसायी द्वारा खरीद दरों की घोषणा के परिणामस्वरूप खरीद कीमतों में भारी गिरावट आती है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि खरीद कुल उपज का केवल 5%-7% होती है।
      • इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर के विपरीत, हिमाचल प्रदेश में खरीद की न्यूनतम दर तय करने के लिए कोई कानून नहीं है।
    • सरकार के पास बड़ी कंपनियों के दबाव को कम करने और न्यूनतम खरीद मूल्य तय करके बाजार को नियंत्रित करने की क्षमता का अभाव है।

भावी कदम:

  • एक स्वतंत्र निकाय की स्थापना की जा सकती है जो सेब उत्पादकों का समर्थन और विश्वास हासिल करे। निकाय में सरकार, सेब उत्पादकों, कमीशन एजेंटों और बाजार के खिलाड़ियों जैसे सभी हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए। इस निकाय को वैधानिक समर्थन प्रदान किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • छोटे और सीमांत सेब किसान मौजूदा संकट से गंभीर रूप से प्रभावित होंगे और अगर समय पर चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो उन्हें इस पारिस्थितिकी तंत्र से बाहर निकाला जा सकता है। इसके अलावा, अगर कार्रवाई नहीं की गई तो लगभग 5,500 करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था भी बाधित होगी।

सम्बंधित लिंक: https://byjus.com/current-affairs/market-intervention-scheme/

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

भारत-बांग्लादेश संबंध, द्विपक्षीय सहयोग का एक मॉडल

विषय: भारत और पड़ोस से संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-बांग्लादेश संबंध।

संदर्भ:

  • बांग्लादेश के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा।

भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय बैठक के परिणाम:

बैठक की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-sep07-2022/

बांग्लादेश के साथ चिंता के कारण:

  • रोहिंग्या मुद्दा: यह बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और समाज के लिए खतरा है क्योंकि 2017 के बाद से लगभग दस लाख रोहिंग्या प्रवासी हैं। बांग्लादेश म्यांमार में उनकी वापसी को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ भारत के समर्थन की उम्मीद कर रहा है।
  • तीस्ता पर समझौता: पश्चिम बंगाल की अनिच्छा के कारण तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे का समझौता 2011 से लंबित है।
  • चीन की उपस्थिति: बांग्लादेश और चीन के बीच बढ़ते सहयोग के प्रति भारत की संवेदनशीलता बांग्लादेश के अधिकारियों को पकड़ रही है। बांग्लादेश का विचार भारत-चीन संबंधों में हस्तक्षेप करने का नहीं है।
  • अल्पसंख्यक सुरक्षा: दोनों देशों ने अल्पसंख्यक आबादी की सुरक्षा के मुद्दे का सामना किया है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की घटनाएं होती रहती हैं। भारत में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं।

सारांश:

  • भारत और बांग्लादेश ने पिछले पचास वर्षों में कुशलतापूर्वक सहयोग करने और चुनौतियों का समाधान करने के द्वारा अपने संबंधों को लगातार मजबूत किया है। हालाँकि, अभी भी कुछ मुद्दे हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है। एक बार इन चुनौतियों का सामना करने के बाद, संबंधों को विदेश नीति की बड़ी सफलता के रूप में पेश किया जा सकता है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें https://byjus.com/free-ias-prep/india-bangladesh-relations/

सम्बंधित लिंक्स: https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-sep08-2022/

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-sep05-2022/

https://byjus.com/free-ias-prep/indo-bangladesh-connectivity-economic-partnership-rstv-big-picture/

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. परियोजना 17A

विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: स्टील्थ फ्रिगेट।

संदर्भ:

  • परियोजना 17A के तहत निर्मित तीसरा स्टील्थ फ्रिगेट, तारागिरी, हाल ही में लॉन्च किया गया है।

तारागिरी:

  • यह मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा लॉन्च की गई परियोजना 17A के तहत निर्मित तीसरा स्टील्थ फ्रिगेट है।
  • ‘तारागिरी’ का नाम गढ़वाल में स्थित हिमालय में एक पहाड़ी श्रृंखला के नाम पर रखा गया है।
  • जहाज को एकीकृत निर्माण पद्धति का उपयोग करके बनाया गया है जिसमें विभिन्न भौगोलिक स्थानों में हल ब्लॉक निर्माण और एमडीएल में स्लिपवे पर एकीकरण और निर्माण शामिल है।
  • जहाज की डिलीवरी अगस्त 2025 तक होने की उम्मीद है।
  • पोत को भारतीय नौसेना के ‘नौसेना डिजाइन ब्यूरो’ द्वारा डिजाइन किया गया है और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने जहाज के विस्तृत डिजाइन और निर्माण का कार्य किया है।

तारागिरी की मुख्य विशेषताएं:

  • स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए तारागिरी में अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, उन्नत कार्रवाई सूचना प्रणाली, एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली, रहने हेतु विश्व स्तरीय मॉड्यूलर और एक परिष्कृत बिजली वितरण प्रणाली होंगी।
  • यह जहाज दो गैस टर्बाइन और 2 मुख्य डीजल इंजनों द्वारा संचालित है। इसे 28 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • इसे सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली से लैस किया जाएगा।
  • यह जहाज वायु रक्षा क्षमता से सुसज्जित है जिसे दुश्मन के विमानों के खतरे का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • स्वदेशी रूप से विकसित ट्रिपल ट्यूब लाइट वेट टॉरपीडो लॉन्चर और रॉकेट लॉन्चर जहाज की पनडुब्बी रोधी क्षमता में अधिक वृद्धि करेंगे।

परियोजना 17A:

  • परियोजना 17A को देश की समुद्री रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए निर्देशित-मिसाइल फ्रिगेट की एक श्रृंखला का निर्माण करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • परियोजना 17A के तहत पहला जहाज, नीलगिरि, 28 सितंबर, 2019 को लॉन्च किया गया था और वर्ष 2024 में इसका समुद्री परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है।
  • परियोजना 17A की अनुमानित लागत करीब 25,700 करोड़ रुपये है।
  • परियोजना 17A श्रेणी के तहत दूसरा जहाज, उदयगिरि, 17 मई 2022 को लॉन्च किया गया था।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. एशिया कप
  • श्रीलंका ने पाकिस्तान को हराकर छठा एशिया कप खिताब अपने नाम कर लिया है।
  • एशियाई क्रिकेट परिषद एशिया कप पुरुषों का एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय और ट्वेंटी 20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट है। इसकी शुरुआत 1983 में तब की गई थी जब एशियाई देशों के बीच सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए एशियाई क्रिकेट परिषद की स्थापना की गई थी।
  • यह मूल रूप से हर दो साल में आयोजित किया जाता था।
  • एशिया कप क्रिकेट में एकमात्र महाद्वीपीय चैंपियनशिप है और इसमें जीतने वाली टीम एशिया की चैंपियन बन जाती है।
  • यह हर 2 साल में ODI और T20I प्रारूपों में आयोजित किया जाता है।
  • श्रीलंका में जारी राजनीतिक और आर्थिक संकट के कारण इस बार टूर्नामेंट के आयोजन को श्रीलंका से संयुक्त अरब अमीरात में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, हांगकांग और अफगानिस्तान ने 2022 के एशिया कप खिताब में भाग लिया था।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा परियोजना 17A का सर्वोत्तम विवरण है?

  1. इस परियोजना का उद्देश्य कलवरी श्रेणी की छह डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों के निर्माण करना है।
  2. इस परियोजना में सात उन्नत निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट का विकास शामिल है।
  3. यह पूर्वी लद्दाख में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात करने के लिए हल्के टैंकों के बेड़े की खरीद हेतु एक परियोजना है।
  4. परियोजना के तहत भारतीय तटरक्षक बल के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा ग्यारह अपतटीय गश्ती जहाजों की एक श्रृंखला का निर्माण किया जा रहा है।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • परियोजना 17A को देश की समुद्री रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए निर्देशित-मिसाइल फ्रिगेट की एक श्रृंखला का निर्माण करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
  • परियोजना 17A के तहत तीसरे स्टील्थ युद्धपोत तारागिरी को हाल ही में लॉन्च किया गया है।
  • परियोजना 17A के तहत पहला जहाज, नीलगिरि, 28 सितंबर, 2019 को लॉन्च किया गया था और वर्ष 2024 में इसका समुद्री परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है।

प्रश्न 2. भावी दत्तक माता-पिता के लिए पात्रता मानदंड के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. एक एकल महिला/पुरुष किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकता है।
  2. नातेदार दत्तक ग्रहण और सौतेले माता-पिता द्वारा दत्तक ग्रहण के मामले में भावी दत्तक माता-पिता के लिए आयु का मानदंड लागू नहीं होगा।
  3. तीन या तीन से अधिक बच्चों वाले दंपतियों का किसी भी परिस्थिति में दत्तक ग्रहण के लिए विचार नहीं किया जाएगा।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 1 और 3
  3. केवल 2
  4. केवल 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: कोई भी भावी दत्तक माता-पिता, चाहे उसकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो और उसका जैविक पुत्र या पुत्री हो या न हो, निम्नलिखित शर्तों अधीन बच्चे को गोद ले सकता है,
    • विवाहित जोड़े के मामले में, गोद लेने के लिए पति-पत्नी दोनों की सहमति आवश्यक होगी।
    • एक एकल महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है।
    • एक एकल पुरुष किसी लड़की को गोद लेने के लिए पात्र नहीं होगा।
  • कथन 2 सही है: पंजीकरण की तिथि पर भावी दत्तक माता-पिता की आयु की गणना पात्रता निर्धारित करने के लिए की जाएगी।
    • दंपत्ति के मामले में, भावी दत्तक माता-पिता की संयुक्त आयु की गणना की जाएगी।
    • गोद लिए जाने वाले बच्चे और भावी दत्तक माता-पिता में से किसी के बीच न्यूनतम आयु का अंतर पच्चीस वर्ष से कम नहीं होना चाहिए।
    • नातेदार दत्तक ग्रहण और सौतेले माता-पिता द्वारा दत्तक ग्रहण के मामले में भावी दत्तक माता-पिता के लिए आयु के मानदंड लागू नहीं होंगे।
  • कथन 3 गलत है: तीन या तीन से अधिक बच्चों वाले दंपतियों का किसी भी परिस्थिति में दत्तक ग्रहण के लिए विचार नहीं किया जाएगा। यह शर्त विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, कठिनाई से दत्तक ग्रहण किए जाने वाले बालक, नातेदार द्वारा बालक के दत्तक ग्रहण और सौतेले माता-पिता द्वारा दत्तक ग्रहण के मामले में लागू नहीं है।

प्रश्न 3. गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. यदि केंद्र सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत जांच के लिए SFIO को कोई मामला सौंपा गया है, तो ऐसे मामलों में केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार की कोई अन्य जांच एजेंसी जांच नहीं कर सकती है।
  2. SFIO के पास कंपनी कानून के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय केंद्र सरकार से आदेश के बाद ही जांच शुरू करता है और यह अपनी पहल पर किसी मामलों की जाँच नहीं कर सकता है।
  • एक बार केंद्र सरकार द्वारा भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत जांच के लिए गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय को एक मामला सौंपे जाने के बाद, केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार की कोई अन्य जांच एजेंसी ऐसे मामलों में जांच शुरू नहीं कर सकती है।
  • यदि ऐसी कोई जांच पहले ही शुरू की जा चुकी है, तो इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है और संबंधित एजेंसी को ऐसे अपराधों के संबंध में संबंधित दस्तावेजों और अभिलेखों को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय को स्थानांतरित करना होता है।
  • कथन 2 गलत है: गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय के पास कंपनी कानून के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार है।

प्रश्न 4. हाल ही में चर्चा में रहा मार्ग पोर्टल (MAARG Portal)-

  1. कंपनी/सीमित देयता साझेदारी (LLP) के निगमन से लेकर कंपनी/सीमित देयता साझेदारी के बंद होने तक कंपनियों और सीमित देयता साझेदारी के लिए कई सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है।
  2. शिक्षा ऋण चाहने वाले छात्रों की मदद करता है।
  3. विविध क्षेत्रों, कार्यों, चरणों, भौगोलिक क्षेत्रों और पृष्ठभूमि में स्टार्ट-अप के लिए वन-स्टॉप मेंटरशिप प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
  4. बीज के बारे में जानकारी का प्रसार करने के लिए किसानों और हितधारकों को एकल खिड़की समाधान की सुविधा प्रदान करता है।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • स्टार्टअप इंडिया द्वारा मार्ग पोर्टल विविध क्षेत्रों, कार्यों, चरणों, भौगोलिक क्षेत्रों और पृष्ठभूमि में स्टार्ट-अप के लिए मेंटरशिप की सुविधा हेतु वन-स्टॉप मेंटरशिप प्लेटफॉर्म है।
  • स्टार्टअप प्लेटफॉर्म के माध्यम से विकास रणनीति पर व्यक्तिगत सलाह प्राप्त करने, स्पष्टता प्राप्त करने और व्यावहारिक सलाह प्राप्त करने के लिए शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञों, सफल संस्थापकों, अनुभवी निवेशकों और अन्य लोगों के साथ जुड़ सकते हैं।
  • उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त सभी स्टार्टअप पूरे वर्ष मंच पर मेंटरशिप के लिए आवेदन करने हेतु पात्र हैं।

प्रश्न 5. भारत में न्यायालयों द्वारा जारी रिटों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. किसी प्राइवेट संगठन के विरुद्ध, जब तक कि उसको कोई सार्वजनिक कार्य नहीं सौंपा गया हो, परमादेश (मैंडेमस) नहीं होगा।
  2. किसी कंपनी के विरुद्ध, भले ही वह कोई सरकारी कंपनी हो, परमादेश (मैंडेमस) नहीं होगा।
  3. कोई भी लोक-प्रवण व्यक्ति (पब्लिक माइंडेड परसन) अधिकार-पृच्छा (क्वो वारंटो) रिट प्राप्त करने हेतु न्यायालय में समावेदन करने के लिए याचि (पिटीशनर) हो सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: परमादेश (मैंडेमस) रिट अदालत द्वारा एक सार्वजनिक अधिकारी को जारी किया गया एक आदेश है जिसके तहत उसे अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए आदेश दिया जाता है जिसमें वह विफल हो गया है या पालन करने से इनकार कर दिया है। यह उन निजी व्यक्तियों और कंपनियों के विरुद्ध जारी नहीं किया जाता है जिन्हें कोई सार्वजनिक कर्तव्य सौपा नहीं गया है।
  • कथन 2 गलत है: इसे किसी भी सार्वजनिक निकाय, निगम, अवर न्यायालय, न्यायाधिकरण या सरकार के विरुद्ध भी जारी किया जा सकता है।
  • कथन 3 सही है: न्यायालय द्वारा सार्वजनिक कार्यालय में किसी व्यक्ति के दावे की वैधता की जांच करने के लिए अधिकार-पृच्छा (क्वो वारंटो) जारी किया जाता है। इसलिए, यह किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक कार्यालय के अवैध उपयोग को रोकता है।
  • अन्य रिटों के विपरीत, यह किसी भी इच्छुक व्यक्ति द्वारा मांगी जा सकती है और जरूरी नहीं कि पीड़ित व्यक्ति द्वारा ही मांगी जाए।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. प्रासंगिक उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए कि किस प्रकार राज्यों में विशेष बल नक्सल गतिविधियों पर नकेल कसने में सफल रहे हैं। (10 अंक, 150 शब्द) (GS 3- आंतरिक सुरक्षा)

प्रश्न 2. किसान संगठन और सेब उत्पादक हिमाचल प्रदेश राज्य में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके पीछे के संभावित कारणों पर चर्चा कीजिए और सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (GS 3-अर्थव्यवस्था)