13 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण
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A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था:
अर्थव्यवस्था:
शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
चीन का “वुल्फ वारियर” युग:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियां एवं राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: चीन की विदेश नीति।
संदर्भ:
- चीन गणराज्य के राष्ट्रपति श्री शी जिनपिंग ने हाल ही में अपने कार्यकाल एक दशक पूरा कर लिया और तीसरे कार्यकाल में प्रवेश कर गए हैं।
वुल्फ वारियर कूटनीति (Wolf warrior diplomacy):
- यह चीन के अंदर विकसित हुआ एक नया दृष्टिकोण है, जो चीनी कूटनीति के रूढ़िवादी एवं निष्क्रिय दृष्टिकोण से मुखर तथा सक्रिय दृष्टिकोण में संक्रमण को संदर्भित करता है। इस कूटनीति के तहत चीन के हितों का उल्लंघन करने वाले लोगों या देशों से कड़ाई से निपटा जाता है।
- वुल्फ वारियर और वुल्फ वॉरियर II चीनी एक्शन ब्लॉकबस्टर/ फिल्में हैं जिसमे चीन के विशेष ऑपरेशन बलों के एजेंटों का चित्रण किया गया है। इन फिल्मों ने चीनी दर्शकों के बीच राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति को बढ़ाया है।
- इन फिल्मों के नाम पर ही इस कूटनीति का नाम ‘वुल्फ वारियर कूटनीति’ रखा गया है, जो चीन के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए चीनी राजनयिकों द्वारा अपनायी जाने वाली आक्रामक शैली का वर्णन करती है।
- कई चीनी मानते हैं कि पश्चिमी मीडिया द्वारा चीन का चित्रण अत्यधिक पक्षपाती है, क्योंकि इसमें वैचारिक और जातिवादी रंग निहित हैं। वुल्फ वारियर कूटनीति चीनी सरकार के “चीन की कहानी बताने” (tell the China story) के प्रयास का हिस्सा है।
- गौरतलब हैं कि चीन द्वारा वुल्फ वारियर कूटनीति का पिछले कुछ वर्षों में व्यापक रूप से उपयोग किया गया है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से।
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और कर्ज का जाल:
- वर्ष 2013 में चीन द्वारा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative (BRI)) का शुभारंभ उसकी विदेश नीति की एक पहल थी। यह एक ऐसा मंच था जिसके जरिये चीन वैश्विक नेतृत्व में अपनी धाक जमाना चाहता था।
- शंघाई के फुडन विश्वविद्यालय की ग्रीन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट सेंटर के अनुमानों के मुताबिक, पिछले एक दशक में BRI के तहत परियोजनाओं और निवेशों का कुल मूल्य 930 अरब डॉलर से अधिक है।
- वर्तमान में चीन को अपनी राजनीतिक, आर्थिक एवं सैन्य रणनीतियों के साथ-साथ वैश्विक प्रभाव का विस्तार करने और कई साझेदार देशों में बढ़ते कर्ज तथा कुछ परियोजनाओं में अस्थिरता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
- चीन पर यह आरोप लगाया जाता है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर देशों को ऋण प्रदान करता है, जिससे ऐसे देशों की संप्रभुता पर हस्तक्षेप करने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। समय के साथ यह प्रथा कर्ज के जाल (debt trap) का रूप ले चुकी है।
- वर्तमान में चीन आधिकारिक तौर पर सबसे बड़ा लेनदार है। इसने वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 5% से भी अधिक अन्तर्राष्ट्रीय ऋण प्रदान किया है।
- आलोचना के इन पहलुओं की दूसरी तरफ एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि चीन के ऋणी भागीदार देश अधिक वित्तीय सहायता के लिए पुनः बीजिंग का रुख कर रहे हैं। यह चीन की आर्थिक क्षमता की वास्तविकता को रेखांकित करता है। साथ ही, यह BRI को बुनियादी ढांचे से दूर वित्तीय सहायता की एक विस्तृत श्रृंखला में विकसित करने के लिए एक स्पष्ट प्रेरणा है।
- उदाहरण के लिए, पाकिस्तान और श्रीलंका, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में चीन से $26 बिलियन से अधिक ऋण प्राप्त किया है, वें वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वे अधिक मौद्रिक सहायता के लिए पुनः बीजिंग का रुख कर रहे हैं।
महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता:
- BRI से परे, चीन-यू.एस. के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और मजबूत होता चीन-रूस संबंध शी के युग में चीन की विदेश नीति स्पष्ट संकेत हैं।
- शी जिंगपिंग के नेतृत्व में चीन अपने देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों की खोज में आने वाली बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता को भलीभांति पहचानता है।
ऐसा करने के लिए, चीन मध्यम अवधि की तीन रणनीतियों को अपना रहा है:
- घरेलू प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक गैर-शत्रुतापूर्ण बाह्य वातावरण बनाए रखना;
- चीन पर दुनिया की निर्भरता को बढ़ाते हुए अमेरिका पर निर्भरता कम करना; तथा
- विदेशों में चीनी प्रभाव की पहुंच का विस्तार करना।
- अध्यक्ष माओ से लेकर राष्ट्रपति शी जिनपिंग तक हर चीनी नेता अमेरिका को साम्यवादी शासन के लिए प्रमुख खतरा मानता है।
- चीन के अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंधों के साथ रूस के साथ उसके संबंध मधुर होते जा रहे हैं।
- चीन की मुखर कूटनीतिक ने इसकी वैश्विक छवि और यूरोप से लेकर एशिया तक, दुनिया भर के अन्य देशों के साथ उसके संबंधों को और कमजोर कर दिया है।
भारत के साथ संबंध:
- वर्ष 1950 में, भारत और चीन की पुरानी पीढ़ी के नेताओं ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया और संयुक्त रूप से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों की वकालत की।
- वर्ष 1980 के दशक से दोनों पक्ष शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से सीमा मुद्दों को हल करने के लिए सहमत हुए, शांति एवं समृद्धि के लिए रणनीतिक और सहकारी साझेदारी स्थापित की और द्विपक्षीय संबंधों के सर्वांगीण विकास को हासिल किया।
- वर्ष 2013 के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “गृहनगर कूटनीति” (hometown diplomacy) की शुरुआत और वुहान (2018) तथा मामल्लापुरम (2019) में दो अनौपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किए जहाँ दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय महत्व के व्यापक, दीर्घकालिक तथा रणनीतिक मुद्दों पर वार्ता की और दोनों देशों के बीच विकास के लिए घनिष्ठ साझेदारी को मजबूत करने पर सहमत हुए।
- चीनी सेना द्वारा कई बार सीमा उल्लंघनों के कारण वर्तमान सीमा संकट ने दोनों देशों के बीच संबंधों को 1980 के दशक के बाद से निम्नतम स्तर पर ला दिया हैं, जो शी के कार्यकाल में चीन की कूटनीति के परिणामस्वरूप उत्पन्न संकट को दर्शाता है।
- श्री शी के नेतृत्व में, चीन पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय समस्याओं को पारस्परिक रूप से हल किए जाने वाले “मुद्दों” के रूप में नहीं, बल्कि चीन की “संप्रभुता” के लिए खतरे के रूप में देखता है, इस प्रकार का दृष्टिकोण समाधान की गुंजाइश को कम करता है।
- सुरक्षा और रणनीतिक आयाम के अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार के मोर्चे पर भी उथल-पुथल रही है, जिसमें बेहतर ‘संरक्षणवाद’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसे महत्व दिया गया है।
- कूटनीतिक स्तर पर कुछ प्रगति के बावजूद भारत और चीन के एक-दूसरे से दूर जाने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। जैसे,
- दोनों देशों के बीच हुई झड़पों के तुरंत बाद, भारत का झुकाव क्वाड समूह की ओर हो गया था।
- वहीँ दूसरी ओर चीन भी रूस के करीब जा रहा है, इसी तरह भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके भागीदारों को लक्षित करने के लिए उनके साथ साझेदारी बढ़ा रहा है।
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 66A
राजव्यवस्था:
विषय: मौलिक अधिकार
मुख्य परीक्षा: वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
संदर्भ:
- सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में राज्यों और उनके पुलिस बलों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) की धारा 66A के तहत सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर मुकदमा दर्ज करने से रोकने का आदेश दिया है।
विवरण:
- कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66A के तहत लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया को देखते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में निर्देश दिया है कि अब किसी भी व्यक्ति के खिलाफ इसके तहत मुकदमा नहीं दर्ज किया जाना चाहिए।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने “सभी पुलिस महानिदेशकों के साथ-साथ राज्यों के गृह सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों में सक्षम अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अपने पूरे पुलिस बल को निर्देश दें कि वे धारा 66A के कथित उल्लंघन के संबंध में अपराध की कोई शिकायत दर्ज न करें।”
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि उन सभी मामलों में जहां नागरिक 66A के उल्लंघन के लिए अभियोजन का सामना कर रहे हैं, से 66A का संदर्भ और इस पर निर्भरता हटा दी जाएगी।
- हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्देश केवल धारा 66A के तहत लगाए गए आरोप पर लागू होगा और किसी मामले में अन्य अपराधों पर लागू नहीं होगा।
पृष्ठ्भूमि:
- वर्ष 2015 में श्रेया सिंघल मामले में सर्वोच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम ( Information Technology Act) की धारा 66A को असंवैधानिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन घोषित किया था।
- अदालत ने पाया कि धारा 66A का कमजोर पक्ष इस तथ्य में निहित है कि इसके तहत अपरिभाषित कार्रवाई जैसे “असुविधा, खतरा, बाधा और अपमान” के आधार पर अपराध का गठन किया गया था, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए अपवादों में शामिल नहीं है।
- धारा 66A को शामिल करने के लिए वर्ष 2009 में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में संशोधन किया गया था। धारा 66A को इंटरनेट और प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ, साइबर अपराधों से संबंधित मामलों से निपटने के उद्देश्य से शामिल किया गया था।
- वर्षों से व्यक्तियों द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति और इंटरनेट पर अधिक लोगों के साथ जानकारी साझा करने के कारण धारा 66A के तहत दर्ज किये जाने वाले मामलों की संख्या में वृद्धि देखी गई थी।
- उपरोक्त कार्रवाइयों ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A के अनुप्रयोग, शक्तियों और संवैधानिकता के बारे में गंभीर बहस को जन्म दिया और इसे चर्चा का विषय बना दिया।
- अदालत ने पुलिस की अनियंत्रित शक्तियों, वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन और “घोर आक्रामकता” (grossly offensive) के मुद्दे से संबंधित अस्पष्टता की जांच की क्योंकि इसके बारे में कोई दिशानिर्देश नहीं थे।
- चूंकि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A के द्वारा स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के तहत अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन हो रहा था, अतः सर्वोच्च न्यायालय ने इस कानून को रद्द कर दिया था।
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सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
न्यायालय और उसके कॉलेजियम से संबंधित मुद्दे:
विषय: न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य।
प्रारंभिक परीक्षा: कॉलेजियम प्रणाली के बारे में तथ्य।
मुख्य परीक्षा: कॉलेजियम प्रणाली की संरचना एवं कार्यप्रणाली और इससे जुड़ी आलोचनाएँ तथा कमियाँ।
संदर्भ:
- न्यायाधीशों की नियुक्ति में हालिया देरी ने सर्वोच्च न्यायलय के कॉलेजियम की कार्यप्रणाली पर पुनः ध्यान आकर्षित किया है।
पृष्टभूमि:
- हाल ही में, भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने सर्वोच्च न्यायलय (SC) में छह रिक्तियों को भरने की कोशिश की थी, लेकिन इस प्रक्रिया में कई रुकावटें आ गई हैं।
- 26 सितंबर को एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमें कॉलेजियम के सभी पांच सदस्य उपस्थिति थे और एक उम्मीदवार के नाम का फैसला भी किया गया था। शेष रिक्तियों पर निर्णय के लिए इस बैठक को 30 सितंबर तक के लिए टाल दिया गया था।
- हालांकि, 30 सितंबर को होने वाली बैठक नहीं बुलाई जा सकी क्योंकि न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जो सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में से एक हैं, बैठक में शामिल नहीं हो सके थे।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने सहमति मांगने वाले पत्र द्वारा अन्य न्यायाधीशों से सहमति प्राप्त करने का प्रयास किया था क्योंकि बैठक आयोजित नहीं की जा सकी थी। हालांकि, कॉलेजियम के दो न्यायाधीशों ने सहमति प्राप्त करने की इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई जिसके परिणामस्वरूप गतिरोध उत्पन्न हुआ।
- इस बीच, कानून मंत्री ने एक पत्र द्वारा अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति पर CJI के विचार मांगे हैं, जिससे प्रस्तावित नियुक्तियों पर से पर्दा उठ गया है।
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सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम प्रणाली:
कॉलेजियम प्रणाली और तीन न्यायाधीशों के मामले के बारे में और अधिक पढ़ने के यहाँ क्लिक करें – |
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कॉलेजियम की कार्यप्रणाली की आलोचना
- आलोचकों ने पांच न्यायाधीशों की क्षमता पर सवाल उठाया है जो एक ही इमारत में काम करते हैं, लेकिन इस महत्वपूर्ण विषय पर निष्कर्ष निकलने के लिए एक बैठक आयोजित करने में असमर्थ हैं।
- आलोचकों ने समय पर संगठन के लिए उच्चतम अधिकारियों का चयन करने में विफल रहने वाले अन्य निकायों और सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला और कहा कि समय पर चयन करने में विफल रहने पर इनकी भी आलोचना की जाती है।
- आलोचकों ने ऑनलाइन तकनीकों या प्लेटफार्मों के गैर-उपयोग के बारे में भी सवाल किए गए हैं, जिसे अदालत ने कोविड महामारी के प्रकोप के बाद से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया है। आलोचकों का कहना है कि यदि वे भौतिक बैठकें आयोजित नहीं कर सकते थे, तो उन्हें तकनीक की मदद लेनी चाहिए थी।
- साथ ही, आलोचकों का मानना है कि यदि रिक्त स्थानों के लिए विचाराधीन नाम पर्याप्त हैं, तो नियुक्तियाँ पत्र द्वारा ही की जा सकती थीं।
- इसके अलावा, नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की प्रायः अतिरिक्त-संवैधानिक और गैर-संवैधानिक के रूप में आलोचना की जाती है क्योंकि इसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से गठित किया गया था और इसके कारण न्यायाधीशों की नियुक्ति की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय में ही निहित है।
- भारत के संविधान ने भारत के राष्ट्रपति को न्यायाधीशों की नियुक्ति में अंतिम अधिकार प्रदान किया है लेकिन न्यायालय के साथ परामर्श को अनिवार्य किया है। लेकिन, कॉलेजियम प्रणाली ने न्यायालय को अंतिम अधिकार प्रदान किया है और सरकार के साथ परामर्श को अनिवार्य किया है।
- इसके अलावा, कॉलेजियम में केवल न्यायाधीश होते हैं और कार्यकारी या बार या कहीं और से किसी भी गैर न्यायाधीशों के लिए कोई जगह नहीं होती है। इस प्रकार व्यक्तिगत प्रश्न उठाने या सुझाव देने का कोई प्रावधान नहीं है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था, न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक अधिक उचित संवैधानिक तंत्र था।
भावी कदम:
- सरकार ने न्यायिक नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम की जगह एक आयोग की स्थापना के प्रयास को बंद कर दिया है क्योंकि कॉलेजियम ने लगातार सरकार के पसंदीदा न्यायाधीशों के नाम प्रस्तावित किए हैं हालाँकि, यह एक आदर्श समाधान नहीं है।
- उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मौजूदा व्यवस्था पर फिर से विचार करने और एक व्यापक तथा पारदर्शी मॉडल स्थापित करने की तत्काल आवश्यकता है।
- इसके अलावा, प्रतिष्ठित न्यायविदों की श्रेणी से नियुक्तियां की जानी चाहिए जिसका प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 124 के तहत किया गया है क्योंकि इस श्रेणी के तहत आज तक कोई नियुक्ति नहीं की गई है।
अनुसूचित जाति के न्यायाधीशों की नियुक्ति और निष्कासन के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें –
https://byjus.com/free-ias-prep/appointment-and-removal-of-supreme-court-judges/
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
भारत की लड़ाई के रूप में अवैध सामानों के खिलाफ युद्ध:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और संसाधन जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोजगार से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत में फलता-फूलता अवैध बाजार – इसके कारण और परिणाम, और व्यवहार्य समाधान।
संदर्भ
- इस लेख इस बारे में चर्चा की गई है कि कैसे उच्च मुद्रास्फीति दर ने सस्ते, घटिया, अवैध और नकली सामानों के बाजार को जन्म दिया है। साथ ही, लेख में इस मुद्दों के समाधान के लिए तरीकों की सिफारिश की गई है।
विवरण:
- कुछ हद तक गिरावट के बावजूद, भारत की थोक महंगाई दर अप्रैल 2021 से दोहरे अंकों में बनी हुई है।
- जुलाई में 13.93% की तुलना में अगस्त 2022 में मुद्रास्फीति दर 12.41% थी।
- निरंतर उच्च मुद्रास्फीति ने उपभोक्ताओं को खरीदारी न करने या कम खरीदारी करने या पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण या सस्ते विकल्पों की तलाश करने के लिए मजबूर किया है।
- उपभोक्ताओं द्वारा सस्ते विकल्पों की खोज ने एक ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जिसमें बाजारों में घटिया गुणवत्ता वाले सामान या नकली ब्रांडों की बाढ़ आ गई है, जिसने समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन प्रदान किया है।
- त्यौहारी सत्र के दौरान, समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाड़ी चीन की ओर देख रहे हैं क्योंकि चीन में बड़े पैमाने पर इस तरह के कम लागत वाले सामान का निर्माण किया जाता है।।
- उदाहरण: दिवाली की लाइटें, मूर्तियां, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ आदि जैसे चीनी सामानों से बाजार भर जाएगा।
भारत में फल-फूल रहा अवैध बाजार:
- सस्ते विकल्पों की मांग ने देश में तस्करी और अवैध माल के बाजार को जन्म दिया है।
- अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और जालसाजी गतिविधियों (CASCADE) पर फिक्की की समिति के अनुसार, भारत में अवैध बाजार पांच महत्वपूर्ण उद्योगों जैसे मोबाइल फोन, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG), FMCG-डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, तंबाकू उत्पाद और मादक पेय से फल-फूल रहा है।
- इन उद्योगों में अवैध बाजार का कुल आकार 2019-20 में लगभग ₹2,60,094 करोड़ दर्ज किया गया था।
- वैश्विक अवैध व्यापार पर्यावरण सूचकांक में भारत को सबसे निचला स्थान दिया गया है जिसमें 82 देशों को शामिल किया गया है और कहा गया है कि भारत को अवैध व्यापार से अर्थव्यवस्था के लिए उत्पन्न जोखिमों से निपटने के लिए मात्रात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है।
फलते-फूलते अवैध बाजार से जुड़ी चुनौतियां:
- कर नुकसान: संपन्न अवैध और तस्करी का बाजार देश की समग्र अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक है क्योंकि यह सरकार को करों की कीमत पर किया जाता है जो देश को सामाजिक परिवर्तन के लिए आवश्यक पूंजी से वंचित करता है।
- रिपोर्टों के अनुसार, प्रमुख उद्योगों में अवैध व्यापार के कारण सरकार को अनुमानित कर हानि लगभग 58,521 करोड़ रुपये बताई गई है।
- तंबाकू उत्पाद और मादक पेय, जो दो अत्यधिक विनियमित और कर वाले उद्योग हैं, कुल कर नुकसान का लगभग 49% हिस्सा हैं।
- नौकरी का नुकसान: इसके अलावा, CASCADE रिपोर्ट यह भी बताती है कि प्रमुख उद्योगों में अवैध व्यापार के कारण अनुमानित रूप से 15.96 लाख से अधिक रोजगार का नुकसान हुआ है।
- जिनमें से अकेले FMCG उद्योग ने 68 फीसदी से अधिक नौकरी गंवाई है।
सिफारिशें:
- करों का युक्तिकरण: अवैध व्यापार और बाजार से त्रस्त उद्योगों में करों का युक्तिकरण सरकार के लिए तस्करी और अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के लिए उपलब्ध एकमात्र व्यावहारिक विकल्प के रूप में देखा जाता है।
- घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करना: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर और प्रोत्साहित करके, अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं पर निर्भरता को काफी कम किया जा सकता है।
- घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और करों को युक्तिसंगत बनाने से भारत को वैश्विक ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा करने और इन वस्तुओं के लिए वैश्विक केंद्र बनने में मदद मिलेगी।
- लाभ अंतरण पर प्रतिबंध: देश में कार्यरत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारतीयों को बेची गई वस्तुओं से अर्जित रॉयल्टी और मुनाफे को भारत से बाहर भेजने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
- उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाना: CASCADE के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन और लोकेशन प्रौद्योगिकी (location technology) जैसी उन्नत तकनीक को अपनाकर अवैध वस्तुओं के प्रवर्तन और जब्ती को बढ़ाया जा सकता है।
- जागरूकता अभियान: सरकार को उपभोक्ताओं को यह सूचित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए कि कैसे अवैध बाजार अपराध सिंडिकेट और समानांतर अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देते हैं।
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सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
शासन:
रिक्त पद, स्थिर कार्यबल के कारण RTI के जवाबों में देरी हुई:
विषय: शासन-व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पक्ष
प्रारंभिक परीक्षा: सूचना का अधिकार अधिनियम के बारे में।
मुख्य परीक्षा: शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर अनिर्णित आरटीआई अनुरोधों के निहितार्थ।
संदर्भ:
- सतर्क नागरिक संगठन द्वारा “भारत में सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर रिपोर्ट कार्ड, 2021-22” शीर्षक के साथ जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत पूरे भारत में करीब 3.15 लाख शिकायतें और अपील अभी भी 26 सूचना आयोगों के पास लंबित हैं।
पृष्ठभूमि:
- इस मुद्दे पर पृष्ठभूमि की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
- UPSC Exam Comprehensive News Analysis dated 12 Oct 2022
RTI अधिनियम के क्रियान्वयन की संरचना:
- सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम तीन-स्तरीय संरचना के रूप में लागू किया गया है।
- पहले स्तर में केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (CAPIO/CPIO) होते हैं।
- जैसे ही RTI अपील CAPIO/CPIO के पास पहुंचती है, उन्हें 30 दिनों के भीतर जवाब देना होता है।
- दूसरे स्तर में प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (FAA) होता है। यदि CAPIO/CPIO का जवाब संतोषजनक नहीं है या आवेदक को समय पर जवाब नहीं मिलता है, तो वह FAA को अपील कर सकता है।
- तीसरे स्तर में केंद्रीय सूचना और राज्य सूचना आयोग होते हैं जिन्हें FAA का जवाब संतोषजनक नहीं होने या FAA के जवाब देने में विफल होने पर अनुमोदित किया जा सकता है।
RTI आवेदनों के लंबित मामले:
- लंबित अपीलों की संख्या में वृद्धि: 2019 के बाद से लंबित अपीलों और शिकायतों की संख्या 2.18 लाख से बढ़कर 3.14 लाख हो गई है।

- राज्यवार लंबित मामले: रिपोर्ट से पता चलता है कि सबसे अधिक लंबित मामले महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) और बिहार का स्थान है।

- आवेदनों के निपटान में देरी: रिपोर्ट में लंबित मामले और मासिक निपटान दर को ध्यान में रखते हुए सूचना आयोगों द्वारा अपील के निपटान में लगने वाले समय की गणना की गई है।
- रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल राज्य सूचना आयोग को 1 जुलाई, 2022 को दायर अपील के निपटान हेतु 24 साल और 3 महीने की आवश्यकता होगी।
- ओडिशा और महाराष्ट्र को पांच साल की आवश्यकता होगी।
- इसके अलावा, केवल मेघालय और मिजोरम राज्यों ने कोई प्रतीक्षा समय नहीं दिखाया है।

- प्रत्येक वर्ष की शुरुआत में RTI अनुरोधों की संख्या में वृद्धि और एक वर्ष में दायर किए गए नए RTI अनुरोधों की संख्या

- केंद्र सरकार की एजेंसियों के लिए काम कर रहे CAPIOs, CPIO और FAAs की संख्या: यह संख्या हाल के वर्षों में स्थिर रही है।

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सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. विश्व स्लॉथ भालू (Sloth Bear) दिवस:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: जैव विविधता और संरक्षण
प्रारंभिक परीक्षा: IUCN लाल सूची, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
संदर्भ:
- भारत में 12 अक्टूबर, 2022 को पहला विश्व स्लॉथ भालू (Sloth Bear) दिवस मनाया गया।
मुख्य विवरण:
- वाइल्डलाइफ एसओएस इंडिया (Wildlife SOS), जो पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से स्लॉथ भालू संरक्षण में शामिल एक संगठन है, ने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) (International Union for Conservation of Nature(IUCN)) को भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्थानिक अद्वितीय भालू प्रजातियों के संरक्षण पर ध्यान आकर्षित करने के लिए 12 अक्टूबर को “विश्व स्लॉथ भालू दिवस” घोषित करने का प्रस्ताव दिया था।
- वन्यजीव एसओएस ने सैकड़ों ‘डांसिंग बियर’ (नाच दिखाने वाले भालू) को बचाया और उनका पुनर्वास किया है जो घुमन्तु कलंदर समुदाय के सदस्यों को वैकल्पिक आजीविका भी प्रदान करते हैं। यह समुदाय 400 साल पुरानी डांसिंग बियर की परंपरा में शामिल हैं।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) ने अन्य हितधारकों के साथ उत्तर प्रदेश में आगरा भालू बचाव सुविधा में विश्व दिवस मनाया।
- यह वर्ष 1999 में उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा स्थापित किया गया स्लॉथ भालू के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बचाव और पुनर्वास केंद्र है।
स्लॉथ भालू (Melursus ursinus):
- ये भारतीय उपमहाद्वीप के लिए स्थानिक हैं और इनकी 90% आबादी भारत में पायी जाती है। स्लॉथ भालू नेपाल और श्रीलंका में भी पाए (बहुत कम आबादी) जाते हैं।
- स्लॉथ भालू को IUCN लाल सूची में “सुभेद्य” के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- स्लॉथ भालू भारत के (वन्यजीव संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध हैं। इस प्रजाति को बाघों, गैंडों और हाथियों के समान ही संरक्षण प्राप्त है।
- स्लॉथ भालू सर्वाहारी होते हैं और दीमक, चींटियों तथा फलों को खाते हैं।
- इसके रोयें लंबे और मोटे तथा चेहरे के चारों ओर बाल होते हैं। इसके पंजे लंबे एवं दरांती के आकार होते हैं। यह भूरे तथा एशियाई काले भालू की तुलना में दुबला और लंबा होता है।

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2.स्लेंडर लोरिस:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: जैव विविधता और संरक्षण
प्रारंभिक परीक्षा: वन्यजीव अभयारण्य
संदर्भ:
- तमिलनाडु ने हाल ही में भारत के पहले स्लेंडर लोरिस अभयारण्य को अधिसूचित किया है।
मुख्य विवरण:
- स्लेंडर लोरिस प्रजातियों का अस्तित्व उनके निवास स्थान में सुधार, संरक्षण और खतरों के शमन पर निर्भर करता है।
- इस प्रजाति के तत्काल संरक्षण की आवश्यकता को महसूस करते हुए, तमिलनाडु सरकार ने कडावुर स्लेंडर लोरिस अभयारण्य को अधिसूचित किया है जो कारूर और डिंडीगुल जिलों में 11,806 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।
स्लेंडर लोरिस:
- स्लेंडर लोरिस भारत और श्रीलंका के मूल निवासी लोरिस का एक गण (genus) है।
- इस गण (genus) में दो प्रजातियां शामिल हैं- श्रीलंका में पाए जाने वाले लाल स्लेंडर लोरिस और श्रीलंका तथा भारत में पाए जाने वाले भूरे स्लेंडर लोरिस।
- स्लेंडर लोरिस अपना अधिकांश जीवन पेड़ों पर बिताते हैं। ये धीमी गति के साथ शाखाओं के शीर्ष पर विचरण करते हैं।
- ये उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, झाड़ियों, अर्द्ध पर्णपाती वनों और दलदल में पाए जाते हैं।
- इनका जीवनकाल लगभग 15 वर्षों का होता है और ये निशाचर होते हैं। स्लेंडर लोरिस आमतौर पर कीड़े, सरीसृप, पौधों की शाखाओं और फलों को खाते हैं।
- स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में इस प्रजाति की विस्तृत भूमिका है। ये कृषि फसलों में लगने वाले कीटों के जैविक शिकारी के रूप में भी काम करते हैं और किसानों को लाभान्वित करते हैं।
संरक्षण स्थिति:
- IUCN: संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट II
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची (Wildlife (Protection) Act,1972)I

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तमिलनाडु द्वारा वन्यजीव संरक्षण पर हाल की महत्वपूर्ण पहलें:
- तमिलनाडु सरकार ने पाक खाड़ी में भारत के पहले डुगोंग संरक्षण रिजर्व को अधिसूचित किया है।
- डुगोंग, जिसे ‘समुद्री गाय’ के रूप में भी जाना जाता है, सायरनिया ऑर्डर के तहत चार जीवित प्रजातियों में से एक है। यह शाकाहारी स्तनपायी की एकमात्र मौजूदा प्रजाति है जो विशेष रूप से समुद्र में रहती है।
- भारत में डुगोंग तमिलनाडु में मन्नार की खाड़ी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा गुजरात में कच्छ (पश्चिमी तट) की खाड़ी में पाए जाते हैं।
- तमिलनाडु सरकार ने विल्लुपुरम में काज़ुवेली पक्षी अभयारण्य, तिरुपपुर में नंजरायण टैंक पक्षी अभयारण्य और तिरुनेलवेली में अगस्त्यमलाई में राज्य के पांचवें हाथी रिजर्व को भी अधिसूचित किया है।
- इसके अलावा, 13 आर्द्रभूमियों को रामसर स्थल के रूप में घोषित किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. वंदे भारत मालगाड़ियां:
- भारतीय रेलवे वंदे भारत प्लेटफॉर्म पर हाई-स्पीड मालगाड़ियों के संचालन की योजना बना रहा है।
- इसका उद्देश्य परिवहन के अन्य रूपों का उपयोग करके कम समय में उच्च मूल्य वाले कार्गो कन्साइनमेंट पर पकड़ बनाना है।
- इन ट्रेनों को 160 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से पैलेट कंटेनर परिवहन के लिए डिजाइन किया गया है।
- रीफर कंटेनरों को लोड करने के लिए इन मालगाड़ियों में 1,800 मिमी चौड़े ऑटोमेटिक स्लाइडिंग दरवाजे होंगे। पैलेटों के सुरक्षित और आसान संचालन के लिए रोलर फ्लोर सिस्टम होगा। मालगाड़ी की कुल पेलोड कैपेसिटी 264 टन होगी।
- चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री द्वारा दिसंबर 2022 में पहला माल ढुलाई ईएमयू रेक शुरू किये जाने की उम्मीद है।
वंदे भारत ट्रेनें:
- यह स्वदेश में डिजाइन और निर्मित सेमी हाई स्पीड, सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रेन है।
- पहली वंदे भारत ट्रेन का निर्माण लगभग 100 करोड़ रुपये की लागत से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) चेन्नई द्वारा किया गया था।
- वंदे भारत ट्रेन अलग लोकोमोटिव द्वारा संचालित यात्री कोचों की पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में ट्रेन सेट तकनीक के अनुकूलन का भारत का पहला प्रयास था।
- विकास चरण के दौरान ट्रेन 18 के रूप में जानी जाने वाली ये ट्रेनें बिना लोकोमोटिव के संचालित होती हैं और एक प्रणोदन प्रणाली पर आधारित हैं जिसे डिस्ट्रिब्यूटेड ट्रैक्शन पावर टेक्नोलॉजी (distributed traction power technology) कहा जाता है, जिसके द्वारा ट्रेन सेट का प्रत्येक डिब्बा संचालित होता है।
- वंदे भारत एक्सप्रेस 2.0 पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Vande Bharath Express 2.0
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. हाल ही में घोषित पीएम-डिवाइन (PM-DIVine) योजना केंद्रित है: (स्तर – सरल)
(a) वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क तीर्थ यात्रा की पेशकश पर।
(b) जीर्ण-शीर्ण अवस्था वाले धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार पर।
(c) भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास करने पर।
(d) मदरसों में अपनाए गए शैक्षिक पाठ्यक्रम में सुधार करने पर।
उत्तर: c
व्याख्या:
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए पीएम विकास पहल (पीएम-डिवाइन (PM-DevINE)) 1500 करोड़ रुपये के प्रारंभिक आवंटन के साथ भारत के पूर्वोत्तर हिस्से में बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं के विकास के लिए शुरू की गई है।
- योजना को पूर्वोत्तर परिषद के माध्यम से लागू किया जाएगा।
प्रश्न 2. विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund) द्वारा प्रकाशित लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- वर्ष 1970 से 2018 तक वन्यजीवों की आबादी में 69% की गिरावट आई है।
- IUCN लाल सूची के अनुसार साइकैड्स- बीज पौधों का एक प्राचीन समूह- सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजाति है।
- भूमि उपयोग परिवर्तन को प्रकृति के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक माना जाता है।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 3
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (World Wide Fund for Nature (WWF) की नवीनतम लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट जो 13 अक्टूबर 2022 को जारी की गई है, के अनुसार, वर्ष 1970 से 2018 तक पिछले 50 वर्षों में दुनिया भर में स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों, सरीसृपों और मछलियों की वन्यजीव आबादी में 69 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- इनमें सबसे ज्यादा गिरावट (94 फीसदी) लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई क्षेत्र में हुई है।
- वर्ष 1970-2018 तक अफ्रीकी वन्यजीव आबादी में 66 प्रतिशत और एशिया प्रशांत क्षेत्र की वन्यजीव आबादी में 55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
- कथन 2 सही है: साइकैड्स (Cycads) जो प्राचीन ताड़ जैसे पौधों का एक समूह है, आमतौर पर शुष्क भूमि के भूदृश्य निर्माण में उपयोग किया जाता है और विश्व का सबसे पुराना बीज वाला पौधा है। IUCN लाल सूची के अनुसार, यह सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजाति है।
- कथन 3 सही है: वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर ने प्रकृति के लिए पांच प्रमुख खतरों की पहचान की है। इनमें से भूमि और समुद्री उपयोग में परिवर्तन प्रमुख खतरा है जिसका योगदान औसतन रूप से जैव विविधता के लिए दर्ज खतरों में 50% है।
प्रश्न 3. डार्ट (DART) मिशन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- डार्ट मिशन को नासा (NASA) के रॉकेट से लॉन्च किया गया था।
- यह पहली बार है जब मनुष्य अभिप्रायपूर्वक किसी खगोलीय पिंड की गति को बदलने में सक्षम हुआ है।
- डिमोर्फोस क्षुद्रग्रह को इसलिए निशाना बनाया गया था क्योंकि इस क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने की संभावना थी।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: डार्ट मिशन (Dart Mission) को नवंबर 2021 में स्पेसएक्स रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था।
- कथन 2 सही है: डार्ट अंतरिक्ष यान क्षुद्रग्रह से टकराकर उसे उसके प्राकृतिक पथ से एक अलग कक्षा में भेजने में सफल रहा, यह पहली बार है जब मनुष्य किसी आकाशीय पिंड की गति को बदलने में सफल रहा है।
- कथन 3 गलत है: डिमोर्फोस फुटबॉल स्टेडियम के आकार का एक अंडाकार क्षुद्रग्रह है, जो हर 11 घंटे, 55 मिनट में एक बार डीडीमॉस नामक पांच गुना बड़े क्षुद्रग्रह की परिक्रमा कर रहा था।
- यह नासा द्वारा ट्रैक किए गए सभी आकारों के 27,500 ज्ञात निकट-पृथ्वी क्षुद्रग्रहों में से एक है। इनमें से कोई भी क्षुद्रग्रह मानव जाति के लिए खतरा पैदा करने वाला नहीं है।
प्रश्न 4. संसद की राजभाषा समिति के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4 में कहा गया है, “राजभाषा पर एक समिति गठित की जाएगी, इस आशय का एक प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी से पेश किया जाएगा और दोनों सदनों में पारित किया जाएगा।”
- समिति की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं और इसमें 21 सदस्य होते हैं।
- अन्य संसदीय समितियों के विपरीत, संसद की राजभाषा समिति का गठन गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है और यह अपनी रिपोर्ट संसद को प्रस्तुत नहीं करती है।
सही कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 4 के तहत 1976 में संसदीय राजभाषा समिति का गठन किया गया था।
- अधिनियम की धारा 4 में कहा गया है, “राजभाषा पर एक समिति गठित की जाएगी, इस आशय का एक प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी से पेश किया जाएगा और दोनों सदनों में पारित किया जाएगा।”
- कथन 2 गलत है: समिति की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री करते हैं और 1963 के अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, इसमें 30 सदस्य (लोकसभा के 20 सांसद और राज्यसभा के 10 सांसद) होते हैं।
- कथन 3 सही है: अन्य संसदीय समितियों के विपरीत, संसद की राजभाषा समिति का गठन गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है और यह अपनी रिपोर्ट संसद को प्रस्तुत नहीं करती है।
- 1963 के अधिनियम के प्रावधानों के तहत, समिति अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपती है, जो “रिपोर्ट को संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखता है, और सभी राज्य सरकारों को भेजता है”।
प्रश्न 5. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन-सी एक टिप्पणी सत्य नहीं है? (CSE-PYQ-2011) (स्तर – सरल)
(a) यह आंदोलन अहिंसक था।
(b) उसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था।
(c) यह आंदोलन स्वतः प्रवर्तित था।
(d) इसने सामान्य श्रमिक वर्ग को आकर्षित नहीं किया था।
उत्तर: b
व्याख्या:
- भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India movement) को बड़े पैमाने पर मजदूर वर्ग का समर्थन प्राप्त था क्योंकि उन्होंने बंद और हड़ताल के माध्यम से आंदोलन किया था।
- कई भारतीय व्यवसायी युद्ध के समय के भारी खर्च से लाभ कमा रहे थे और उन्होंने भारत छोड़ो का समर्थन नहीं किया।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. उच्चतम न्यायालयों और उच्च न्यायालय में वरिष्ठ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक बेहतर, व्यापक और पारदर्शी पद्धति की आवश्यकता है। क्या आप इससे सहमत हैं? औचित्य सिद्ध कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, राजव्यवस्था]
प्रश्न 2. तस्करी और जालसाजी को आम तौर पर राजकोष को होने वाले राजस्व के नुकसान के चश्मे से देखा जाता है। इस कथन के आलोक में, सरकार द्वारा उठाये जाने वाले आवश्यक कदमों का सुझाव दीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) [जीएस-3, अर्थव्यवस्था]