16 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: आंतरिक सुरक्षा:
शासन:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
स्वतंत्रता के बाद का भारत:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
चीनी पोत का हंबनटोटा का विवादास्पद दौरा:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: हंबनटोटा बंदरगाह एवं युआन वांग 5 पोत से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: श्रीलंका में भारत और चीन के भू-सामरिक हितों के बीच संघर्ष।
संदर्भ:
- श्रीलंका ने अपने हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी युआन वांग 5 पोत के आगमन को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है।
पृष्ठ्भूमि:
- इस विषय की पृष्ठभूमि के लिए 14 अगस्त 2022 का यूपीएससी परीक्षा से सम्बंधित व्यापक समाचार विश्लेषण लेख पढ़ें।
हंबनटोटा बंदरगाह:
- श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह के बाद हंबनटोटा दूसरा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह है।
- यह बंदरगाह श्रीलंका के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसकी रणनीतिक अवस्थिति के कारण यह वहां के सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक माना जाता है।
- बंदरगाह को श्रीलंका ने चीन से ऋण की मदद से विकसित किया था।
- हंबनटोटा पोर्ट से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Hambantota port
युआन वांग 5 पोत (Yuan Wang 5 Vessel):
- युआन वांग 5 एक चीनी पोत है जिसका उपयोग अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग के लिए भी किया जाता है।
- युआन वांग 5 को चीन के जियांगन शिपयार्ड (Jiangnan Shipyard ) द्वारा बनाया गया था और इसे वर्ष 2007 में सेवा में शामिल किया गया था।
- चीन के युआन वांग-श्रेणी के जहाज उपग्रह और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों पर नज़र रखने और उनके सहायक सॅटॅलाइट के तौर पर कार्य करते हैं।
- युआन वांग 5 ट्रांसओसेनिक एयरोस्पेस ऑब्जर्वेशन (transoceanic aerospace observation) की विश्व स्तरीय ट्रैकिंग तकनीक से लैस है।
- चीन के पास वर्तमान में लगभग सात ऐसे ट्रैकिंग जहाज हैं, जो पूरे प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागरों में काम करने में सक्षम हैं।
चीनी पोत का हंबनटोटा बंदरगाह का दौरा:
- युआन वांग 5 को दक्षिणी श्रीलंका में चीनी निर्मित हंबनटोटा बंदरगाह में प्रवेश करना है।
- श्रीलंका का कहना है कि युआन वांग 5 एक वैज्ञानिक अनुसंधान जहाज है, जिसका कार्य हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी भाग में उपग्रह नियंत्रण और अनुसंधान ट्रैकिंग करना हैं।
भारत की प्रतिक्रिया:
- भारत ने एक चीनी उपग्रह पोत की यात्रा पर चिंता व्यक्त की थी और इस चिंता को श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ साझा किया था।
- भारतीय विदेश मंत्री ने हाल ही में कंबोडिया में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान अपने श्रीलंकाई समकक्ष के साथ भी इस मामले पर चर्चा की।
- भारत ने कहा हैं कि वह हंबनटोटा के घटनाक्रम की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहा है क्योंकि इस तरह की यात्राओं का भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- नोम पेन्ह (Phnom Penh) में एक द्विपक्षीय बैठक में, अमेरिकी विदेश मंत्री ने श्रीलंका के विदेश मंत्री के साथ इस मुद्दे पर भी चर्चा की थी।
चीनी प्रतिक्रिया:
- भारत की चिंताओं के बीच इस विषय पर श्रीलंका सरकार ने कहा था कि वह “आगे के परामर्श तक” यात्रा को स्थगित करना चाहेगी और उनके इस आग्रह पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
- चीन ने भारत से दोनों देशों के बीच सामान्य आदान-प्रदान को बाधित नहीं करने का आग्रह किया हैं।
- चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि वर्तमान में श्रीलंका हिंद महासागर में एक मुख्य परिवहन केंद्र है और अतीत में विभिन्न देशों ने वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए कई देशों के जहाज इस द्वीप राष्ट्र के बंदरगाहों में पहले भी आए हैं।
- श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है और वह अपने विकास के लिए यह अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय रूप से जुड़ने का अधिकार रखता है साथ ही “तीसरे पक्ष” के “हस्तक्षेप” की निंदा करता है।
- चीन हमेशा से कानून के अनुसार खुले महासागरों (high seas) की स्वतंत्रता में विश्वास करता है और इस तरह की वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों पर तटीय देशों के अधिकार का सम्मान करता है।
- (High Seas-खुला महासागर, विशेष रूप से किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र में नहीं।)
श्रीलंका का रुख:
- भारत की युआन वांग को लेकर उभरती चिंताओं के मद्देनजर, श्रीलंका में विपक्षी दलों ने सरकार से भारत की रणनीतिक चिंताओं को और अधिक नहीं बढ़ाने का आग्रह किया था।
- श्रीलंका की सरकार ने यह भी कहा था कि वह “आगे के परामर्श तक” यात्रा को स्थगित करना चाहेगी।
- हालांकि श्रीलंका सरकार ने चीनी पोत के आगमन की मंजूरी दे दी थी।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक,श्रीलंका ने अमेरिकी और भारतीय दूतों से अपने बंदरगाह पर चीनी पोत के प्रवेश पर अपनी आपत्तियों के लिए पर्याप्त कारण देने के लिए कहा था और कहा जाता है कि श्रीलंका इन कारणों से संतुष्ट नहीं था।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
नागोर्नो-काराबाख़ (Nagorno-Karabakh) पर संघर्ष:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: नागोर्नो-कराबाख मुद्दा।
संदर्भ:
- नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र (Nagorno-Karabakh region) में एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है,क्योंकि अजरबैजान ने दावा किया है कि उसने अर्मेनियाई हमले में एक अजरबैजान सैनिक की हत्या के प्रतिशोध के रूप में कराबाख पर कब्जा कर लिया हैं।
- नागोर्नो-कराबाख संघर्ष के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Nagorno-Karabakh Conflict
वर्ष 2020 का समझौता:
- नवंबर 2020 में आर्मेनिया के नेताओं और अजरबैजान के नेताओं के बीच एक नौ सूत्री समझौता हुआ था।
- इस समझौते में तत्काल युद्धविराम, अज़रबैजान के कब्जे वाले क्षेत्रों से वापसी की समय सीमा, रूसी शांति सैनिकों की तैनाती और नए परिवहन गलियारों की आवश्यकता शामिल थी।
- हालाँकि, यह समझौता इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने में विफल रहा है क्योंकि इसने दोनों देशों के बीच मौजूदा शक्ति संतुलन को बदल दिया तथा इसमें विभिन्न मुद्दों पर स्पष्टता की कमी थी जैसे साझा सीमा का परिसीमन, परिवहन मार्गों पर संघर्ष और कैदियों के आदान-प्रदान पर विवाद, जिसके कारण दोनों देशों द्वारा कई बार युद्धविराम का उल्लंघन किया गया।
- रूस से शांति सेना की तैनाती ने भी कुछ जटिलताएं पैदा की हैं,और इस प्रकार यह समझौता संघर्ष विराम उल्लंघन को रोकने में विफल रहा है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
आंतरिक सुरक्षा:
पूर्वोत्तर के एकीकरण की नाजुकता:
विषय: चरमपंथ के विकास और प्रसार के बीच संबंध।
मुख्य परीक्षा: पूर्वोत्तर भारत का विकास और एकीकरण।
विवरण:
- प्रथम आंग्ल-बर्मा युद्ध (1824-26) के बाद यांडाबो की संधि पर हस्ताक्षर किए गए और असम को ब्रिटिश बंगाल में मिला लिया गया।
- “आंशिक बहिष्कृत” और “बहिष्कृत” क्षेत्रों में असम की गैर-प्रशासित पहाड़ियाँ शामिल थीं। जिन्हें बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 में बनाए गए “इनर लाइन परमिट” द्वारा राजस्व प्रदेश से अलग कर दिया गया था।
- 1874 में असम को बंगाल से अलग कर एक मुख्य आयुक्त प्रांत बनाया गया।
- पूर्वोत्तर (पूर्वोत्तर क्षेत्र) हमेशा पराया बना रहा, जबकि वह जुड़ना चाहता था।
- यह दो प्रशासनिक उपायों में परिलक्षित हुआ:
- संविधान की छठी अनुसूची 1949।
- 1958 का सशस्त्र बल Armed Forces (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA)।
ऐतिहासिक दृश्य:
- अंग्रेजों ने इस “मंगोलियाई फ्रिंज” को छोड़ने पर विचार किया, जो कि ब्रिटिश भारत के विदेश सचिव ओलाफ कैरो द्वारा गढ़ा गया एक शब्द है। इस क्षेत्र में पूर्वोत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ-साथ ऊपरी बर्मा भी शामिल था।
- असम के तत्कालीन राज्यपाल, रॉबर्ट रीड ने एक बार कहा था कि “न तो नस्लीय, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और न ही भाषाई आधार पर”, पूर्वोत्तर का भारत की मुख्य भूमि के साथ कोई संबंध है।
- डेविड आर. सिम्लिह ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए।
संविधान की छठी अनुसूची:
- स्वतंत्रता के बाद वेरियर एल्विन के कार्यों से प्रेरित होकर, भारत अविभाजित असम के आदिवासी क्षेत्र के लिए छठी अनुसूची लेकर आया।
- छठी अनुसूची ने स्वायत्त जिला परिषदों के निर्माण को अनिवार्य किया जिसमें आदिवासियों के प्रथागत कानूनों को प्रधानता दी गई।
- संप्रभुता के अभाव में इस क्षेत्र में एक विद्रोह छिड़ गया, जिसके परिणामस्वरूप सशस्त्र बलों को व्यापक शक्तियाँ देते हुए AFSPA को लागू किया गया।
- नागा हिल्स जिले को नॉर्थ ईस्टर्न फ्रंटियर एजेंसी (NEFA) के त्युएनसांग और मोन उपखंड या वर्तमान अरुणाचल प्रदेश के साथ मिला दिया गया था, जिससे 1963 में नागालैंड का निर्माण हुआ।
- अधिकांश स्वायत्त क्षेत्रों को 1972 में असम से अलग कर दिया गया तथा मेघालय को एक राज्य बनाया गया। दूसरी ओर, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश बन गए जिन्हें 1987 में राज्यों के रूप में मान्यता मिली।
- मणिपुर और त्रिपुरा, जो शुरू में पार्ट-C राज्य थे, 1949 में भारत के साथ विलय के बाद 1972 में राज्य बनाए गए थे।
छठी अनुसूची के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें: Sixth Schedule
समावेशन के लिए सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक उपाय:
- राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय पहचान के प्रति दृष्टिकोण में नरमी लाना।
- इस क्षेत्र को अब मुख्यधारा में फिट होने के लिए अपनी सांस्कृतिक धाराओं को छोड़ने की आवश्यकता नहीं थी।
- पूर्वोत्तर परिषद (NEC) की स्थापना 1971 में एक सलाहकार निकाय के रूप में की गई थी।
- प्रारंभ में, पूर्वोत्तर राज्यों के राज्यपाल इसके सदस्य थे।
- वर्ष 2002 में, अधिनियम में संशोधन किया गया तथा परिषद, पूर्वोत्तर के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना निकाय बन गई। सिक्किम को भी इसके दायरे में लाया गया। स्थानीय मतदाताओं की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए मुख्यमंत्रियों को शामिल करने के लिए इसकी कार्यकारी संरचना का भी विस्तार किया गया।
- इसके अलावा, DoNER को 2001 में केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया था, और 2004 में इसे एक मंत्रालय बनाया गया था।
- 1991 की भारत की पूर्व की ओर देखो नीति में पूर्वोत्तर क्षेत्र को दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया।
- एक संरक्षित क्षेत्र शासन जिसने मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड की यात्राओं को प्रतिबंधित कर दिया था, 2010 में शिथिल कर दिया गया था।
पूर्वोत्तर क्षेत्र से संबंधित चिंता:
- राष्ट्रीय पहचान का प्रश्न दीर्घा काल तक अनसुलझा रहा।
- विद्रोहियों के द्वारा बार-बार भारत के साथ मुख्य धारा में शामिल होने के बारे में आशंकाएं पैदा कीं गई।
- भारतीय राज्य द्वारा “मंगोलियाई फ्रिंज” का संदेह तथा बाद में उनकी परंपराओं और रीति-रिवाजों से बाहर होने का डर बना रहा।
- हाल ही में असम में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के विरोध के दो मामलों तथा मणिपुर में अफ्सपा के मुद्दे ने एक बार फिर सांस्कृतिक विरोधी प्रवृत्तियों को भड़का दिया है।
संबंधित लिंक: Naga Insurgency
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
शासन:
1861 की बेड़ियों को तोड़ने की जरूरत:
विषय: विभिन्न निकायों की शक्तियां, कार्य और जिम्मेदारियां।
मुख्य परीक्षा: आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार।
संदर्भ:
- आपराधिक कानून और प्रक्रियाएं भारत की औपनिवेशिक विरासत को दर्शाती हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1861 ने एक मजबूत और संगठित पुलिस बल की नींव रखी गई।
- इसका मुख्य उद्देश्य इसे औपनिवेशिक विरोध के दमन के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना था।
- अपराध का पता लगाना और उसकी रोकथाम करना उनका उद्देश्य कभी नहीं रहा।
- एंड्रयू एच.एल. फ्रेजर, जो पुलिस आयोग (1902-03) के प्रमुख थे, ने कहा, “पुलिस बल बहुत अकुशल है; इसका प्रशिक्षण और संगठनिक ढांचा दोषपूर्ण है … इसे आम तौर पर भ्रष्ट और दमनकारी माना जाता है, और यह लोगों के विश्वास एवं सौहार्दपूर्ण सहयोग को सुरक्षित करने में पूरी तरह विफल रहा है”।
- हालांकि आयोग द्वारा कई क्रांतिकारी सिफारिशें की गईं, लेकिन आर्थिक और वित्तीय बाधाओं के कारण इन्हें लागू नहीं किया गया।
IPC में बदलाव:
- अपराधियों की परिवीक्षा अधिनियम, 1958 का उद्देश्य अपराधियों को दंडित करने के बजाय उन्हें सुधारना था।
- दहेज की सामाजिक बुराई को नियंत्रित करने के लिए 1961 में दहेज निषेध अधिनियम लाया गया था।
- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में 1983 और 1986 में संशोधन किए गए और साक्ष्य अधिनियम में कुछ संशोधनों के साथ धारा 498 ए (पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) और 304 बी (दहेज मृत्यु) को शामिल किया गया।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 भी पारित किया गया था।
- बलात्कार की परिभाषा को विस्तृत किया गया और यौन उत्पीड़न के अपराधों से जुड़े कानूनों को सख्त बनाया गया।
- बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए व्यापक कानूनों जैसे यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 को भी मंजूरी दी गई।
- अन्य सुधारों में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए 2008 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी का गठन शामिल है।
अदालतों द्वारा आपराधिक सुधारों में योगदान:
- सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 को पढ़कर एलजीबीटीक्यू+ समुदाय को राहत दी।
- निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता।
- धारा 124A- देशद्रोह कानून, को भी सुप्रीम कोर्ट ने इसके कथित दुरुपयोग को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
पुलिस से संबंधित मुद्दे :
- पुलिस को अब भी एक क्रूर बल के रूप में देखा जा रहा है।
- गिरफ्तारी की शक्तियों में कटौती, हथकड़ी के इस्तेमाल पर रोक, पूछताछ के दौरान एक वकील और CCTV कैमरों की उपस्थिति और मानवाधिकार निकायों द्वारा निगरानी के बाद भी विश्वास की कमी हैं।
- कानूनविद् और न्यायपालिका अभी भी एक पुलिस अधिकारी के सामने स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति को लेकर आशंकित हैं।
- आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए विभिन्न समितियों की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है।
- जांच को कानून-व्यवस्था से अलग करने के निर्देश के बावजूद राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसे लागू नहीं किया गया है।
- किसी भी राज्य सरकार ने पुलिस सुधारों पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया, क्योंकि पुलिस राज्य का विषय है। इसके अलावा, सोली जे. सोराबजी द्वारा तैयार किया गया मॉडल पुलिस अधिनियम किसी भी राज्य द्वारा अधिनियमित नहीं किया गया था।
- कई प्रावधान अनुपयोगी हो गए हैं, लेकिन फिर भी, राज्यों के पुलिस अधिनियमों और आपराधिक संहिताओं में मौजूद हैं।
भावी कदम:
- बेहतर फंडिंग और निवेश सुनिश्चित करना।
- सॉफ्ट स्किल पर कार्य कर तथा निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करके विश्वास की पुनर्बहाली करना।
- अनुचित गिरफ्तारी से बचना।
- जेलों पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए और अधिक अपराधों को जमानती बनाया जा सकता है और कई को कंपाउंडिंग के दायरे में लाया जा सकता है।
- साक्ष्य की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- नए अपराधों से निपटने के लिए विशेष विंग की स्थापना की जानी चाहिए।
- कानून के शासन को सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक लक्ष्य के संबंध में ही पुलिस को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
संबंधित लिंक: Reforms in Criminal Justice System, Directives in Prakash Singh Case, Police Reforms in India
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों के लिए एक रोड मैप:
विषय: भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय समूह और समझौते।
मुख्य परीक्षा: भारत-यूरोपीय संघ संबंध।
भारत-यूरोपीय संबंध:
- भारत-यूरोपीय संघ ने राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं।
- वर्ष 1994 के एक सहयोगत्मक समझौते के तहत द्विपक्षीय संबंधों को व्यापार और आर्थिक क्षेत्र तक विस्तारित किया गया।
- पहला भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन जून 2000 में आयोजित किया गया था।
- वर्ष 2004 के भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में, संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ के रूप में उन्नत किया गया था।
- आर्थिक और राजनीतिक दोनों क्षेत्रों में संवाद एवं परामर्श तंत्र को मजबूत करने, व्यापार एवं निवेश में सुधार करने तथा लोगों एवं संस्कृतियों को एक साथ लाने के लिए 2005 में एक संयुक्त कार्य योजना को अपनाया गया था।
- 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन (2020) में आगामी पांच वर्षों के लिए संयुक्त कार्रवाई का मार्गदर्शन करने के लिए एक आम रोड मैप तैयार किया गया था। यह पांच डोमेन: व्यापार और अर्थव्यवस्था; विदेश नीति और सुरक्षा सहयोग; टिकाऊ आधुनिकीकरण; वैश्विक शासन; और लोगों से लोगों के बीच संबंध में जुड़ाव को संदर्भित करता है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच सहयोग के क्षेत्र:
- दोनों के बीच कुल व्यापार साल 2021-22 में 116 अरब डॉलर को पार कर गया।
- यूरोपीय संघ अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- इसके अलावा, यह भारतीय निर्यात के लिए दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।
- भारत में लगभग 6,000 यूरोपीय उद्यम हैं जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 6.7 मिलियन नौकरियां सृजित करते हैं।
- दोनों के बीच सहयोगत्मत कदम:
- जैव विविधता हानि, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को संबोधित करने के लिए डेनमार्क और भारत के बीच ‘हरित रणनीतिक साझेदारी’ है।
- भारत-नॉर्डिक देशों ने हरित प्रौद्योगिकियों एवं औद्योगिक परिवर्तन पर विचार-विमर्श किया जो सतत और समावेशी विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- रक्षा सहयोग में भी काफी वृद्धि हुई है।
- भारत और यूरोपीय संघ भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक खुले, मुक्त, समावेशी और नियम-आधारित व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए संयुक्त नौसैनिक और सैन्य अभ्यास भी करते हैं।
- यूरोपीय रक्षा उपकरण निर्माता ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
- एक और उभरता हुआ क्षेत्र स्टार्ट-अप और नवाचार क्षेत्र है
- इसके अलावा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी संयुक्त संचालन समिति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वास्थ्य देखभाल और पृथ्वी विज्ञान जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है।
- भारत सरकार और यूरोपीय परमाणु ऊर्जा समुदाय के बीच 2020 में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में अनुसंधान और विकास सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत – EU सहयोग से संबंधित चुनौतियां:
- रूस-यूक्रेन मुद्दों पर भारत का रुख तथा रूस के साथ उसका बढ़ता सहयोग, भारत – EU के बीच असहमति का कारण रहा है।
- इसी तरह, भारत ने यूरोपीय संघ पर रूस से अपनी 45% गैस की खरीद हेतु दोहरे मानकों का आरोप लगाया है।
- चीन के मुद्दे से निपटने के यूरोपीय संघ के तरीके और गालवान संघर्ष पर उसकी मौन प्रतिक्रिया के संबंध में भी चिंता है।
- इसके अलावा, यह भारतीय निर्यात के लिए दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है।
- भारत में लगभग 6,000 यूरोपीय उद्यम हैं जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 6.7 मिलियन नौकरियां पैदा करते हैं।
संबंधित लिंक: India-EU Summit 2021 | FTA
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 से संबंधित:
स्वतंत्रता के बाद का भारत:
जवाहरलाल नेहरू द्वारा निर्मित मंदिर:
विषय: स्वतंत्रता के बाद देश के भीतर समेकन और पुनर्गठन।
मुख्य परीक्षा: स्वतंत्रता के बाद भारत के निर्माण में जवाहरलाल नेहरू के प्रयास।
विवरण:
- भारत के बारे में नेहरू की दृष्टिकोण धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, समावेशी आर्थिक विकास, प्रेस की स्वतंत्रता और विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता के विचारों पर आधारित थी।
- यह उन संस्थानों पर भी आधारित था जो भारत के भविष्य के विकास पथ का आधार थे। वे एक केंद्रीय मिशन के रूप में लोगों के कल्याण के साथ एक आत्मनिर्भर और स्थिर अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु प्रयास रत थे। इनमें से लगभग 75 संस्थान अर्थात भाखड़ा-नंगल बांध से लेकर भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, LIC, तेल और प्राकृतिक गैस निगम तथा कई अन्य शामिल हैं।
- शिक्षा क्षेत्र में IIT और केंद्रीय विद्यालयों का नेटवर्क शामिल है।
- शहरीकरण:
- भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला कार्यात्मक शहर बन गए।
- चंडीगढ़ का आधुनिक शहर भी विकसित हुआ।
- नेहरू जी ने लघु और कुटीर उद्योगों को भी बढ़ावा दिया और खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की स्थापना की।
- भारत के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए दो संस्थाएं योजना आयोग और चुनाव आयोग की स्थापना की।
- उच्च प्रदर्शन मानकों के साथ परियोजनाओं का संचालन करने वाली प्रसिद्ध हस्तियां में होमी भाभा, विक्रम साराभाई, पी.सी. महालनोबिस, वर्गीज कुरियन, एस.एस. भटनागर, एस.भगवंतम और सी.डी. देशमुख थे।
अर्थव्यवस्था में नेहरू की विरासत:
- प्रधान मंत्री नेहरू का 17 साल का शासन और आर्थिक मॉडल सफल नेताओं के लिए एक आदर्श बना हुआ है।
- हरित क्रांति, टेलीफोन क्रांति और हाल ही में डिजिटल क्रांति जैसे मिशनों की सफलता के लिए काफी हद तक नेहरुवादी मॉडल जिम्मेदार है। सामूहिक रूप से, इन मिशनों ने 300 मिलियन से अधिक भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला है तथा एक महत्वपूर्ण डिजिटल घटक के साथ एक आधुनिक, विविध वैश्विक रूप से जुड़ी अर्थव्यवस्था के आगमन की शुरुआत की।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. डोर्नियर विमान (Dornier aircraft):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रोधोगिकी:
विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण।
प्रारंभिक परीक्षा: डोर्नियर विमान से सम्बन्धित जानकारी।
संदर्भ
- भारत ने श्रीलंका को एक डोर्नियर विमान उपहार में दिया है।
विवरण:
- भारत द्वारा श्रीलंका को डोर्नियर 228 विमान उपहार में देना दोनों देशों के बीच आपसी समझ, विश्वास और सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।
- भारतीय उच्चायोग ने कहा है कि डोर्नियर विमान को उपहार में देना भारत की ताकत का एक उदाहरण है, जो हिंद महासागर क्षेत्र और बंगाल की खाड़ी में अपने दोस्तों और पड़ोसियों की ताकत को बढ़ाता है।
डोर्नियर 228 विमान:
- डोर्नियर 228 (DO – 228) विमान एक बहुउद्देश्यीय हल्का परिवहन विमान है जिसे विशेष रूप से समुद्री निगरानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है।
- इस विमान का उपयोग उपयोगिता, कम्यूटर परिवहन (commuter transport), तीसरे स्तर की सेवाओं और तट रक्षक कार्यों में भी किया जाता है।
- डोर्नियर 228 एक ट्विन-टर्बोप्रॉप STOL (शॉर्ट-टेक ऑफ एंड लैंडिंग) विमान है।
- इसे डोर्नियर फ्लुगज़ेगबाउ जीएमबीएच द्वारा निर्मित किया गया हैं और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इसके उत्पादन लाइसेंस मिला है।
- डोर्नियर विमान पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Dornier Aircrafts
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. मौलिक कर्तव्य सामाजिक परिवर्तन की कुंजी हैं:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमण ने कहा है कि संविधान में शामिल मौलिक कर्तव्य नागरिकों के सामाजिक परिवर्तन के लिए मार्गदर्शन देते हैं।
- CJI ने कहा कि “संविधान एक मौलिक दस्तावेज है जो नागरिकों और सरकार के बीच संबंधों को विनियमित करता है। हालांकि संविधान के अधिकार अहस्तांतरणीय हैं, लेकिन यह कुछ मौलिक कर्तव्यों को भी समाहित करता है। अतः मौलिक कर्तव्य केवल पांडित्य या तकनीकी नहीं हैं।”
- CJI ने यह भी कहा कि “हमारी प्रणाली वास्तव में लोगों की संपत्ति होगी जब हम अपनी विविधता का सम्मान करेंगे एवं उसे संजो कर रखेंगे”।
- इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सुप्रीम कोर्ट को महामारी और उसकी वजह से लगे लॉकडाउन के कारण लगभग एक वर्ष के काम का बड़ा संग्रह (backlog) विरासत में मिला है।
2. पनडुब्बी सौदा अवास्तविक : रूस
- रूस ने भारत को सूचित किया है कि वह ₹40,000 करोड़ की परियोजना के लिए निर्धारित नियम और शर्तों को पूरा नहीं कर सकता है और उसने प्रोजेक्ट-75I के तहत छह उन्नत पनडुब्बियों के निर्माण के लिए भारतीय नौसेना के टेंडर से खुद को बाहर कर लिया है।
- रूस ने इसकी शर्तों एवं इसकी आवश्यकताओं को अवास्तविक करार दिया क्योंकि इसमें बहुत सख्त समय सीमा और डिजाइनर को बहुत अधिक जिम्मेदारी सौंपने की मांग की गई थी।
- नौसेना ने कुछ आवश्यकताओं में छूट के लिए मंत्रालय से संपर्क किया है, जिसने अधिकांश पनडुब्बी निर्माताओं को इसके लिए गैर-संगत बना दिया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. श्री अरबिंदो से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। (स्तर – मध्यम)
- क्रांतिकारी राष्ट्रवाद के पैरोकार होने के नाते, उन्होंने कभी भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों में भाग नहीं लिया है।
- वर्ष 1908 में उन्हें अलीपुर षडयंत्र मामले में गिरफ्तार किया गया था।
- श्री अरबिंदो की मुख्य साहित्यिक कृतियों में से एक ‘सावित्री’ कविता है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: अरबिंदो ने दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में वर्ष 1906 की कांग्रेस की बैठक में भाग लिया और जिसमे “स्वराज, स्वदेश, बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा” के चार उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उन्होंने एक सभासद/पार्षद (councillor) के रूप में भाग लिया था।
- कथन 2 सही है: मई 1908 में, अरबिंदो को अलीपुर षडयंत्र केस या अलीपुर बम केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
- कथन 3 सही है: अरबिंदो के साहित्यिक कार्यों में योग के आधार (Bases of Yoga), भगवद गीता और इसका संदेश (Bhagavad Gita and Its Message), मनुष्य के भविष्य का विकास (The Future Evolution of Man), पुनर्जन्म और कर्म (Rebirth and Karma), सावित्री: एक किंवदंती,एक प्रतीक और भगवान का समय (Savitri: A Legend and a Symbol and Hour of God) शामिल हैं।
- ‘सावित्री’ को लगभग 24000 पंक्तियों वाला एक महाकाव्य कहा जाता है।
प्रश्न 2. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और संबंधित राज्य के निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए। (स्तर – कठिन)
अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संबद्ध राज्य
- रम्माण उत्तराखंड
- संकीर्तन मणिपुर
- कूटियाट्टम केरल
- कालबेलिया राजस्थान
उपर्युक्त में से कितने युग्म सुमेलित हैं/हैं?
(a) केवल एक युग्म
(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) सभी युग्म
उत्तर: d
व्याख्या:
- रम्माण (Ramman) उत्तराखंड के चमोली जिले में गढ़वाली लोगों का एक धार्मिक त्योहार और अनुष्ठान नृत्यशाला है।
- संकीर्तन (Sankirtana) प्रदर्शन कला का एक रूप है जिसमें मणिपुर के मंदिरों और घरेलू स्थानों में अनुष्ठान गायन, ढोल बजाना और नृत्य करना शामिल है।
- कुडियाट्टम (Koodiyattam) केरल राज्य की एक पारंपरिक कला है। यह कूथू के तत्वों के साथ प्राचीन संस्कृत रंगमंच का एक संयोजन है, जो संगम युग की एक प्राचीन प्रदर्शन कला है।
- कालबेलिया (Kalbelia) राजस्थान का लोक नृत्य है। इस नृत्य में नर्तक शरीर को झुकाने वाले हावभाव का प्रदर्शित करते हैं,जो सांप की तरह दिखती हैं। यह कालबेलिया जनजातियों द्वारा किया जाता है, जिन्हें सपेरा (साँपों को पालने वाली) जनजाति के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 3. महानदी नदी के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- यह नदी ओडिशा से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- सिवनाथ, इब और तेल नदी इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: महानदी नदी छत्तीसगढ़ में सिहावा पर्वत (सतपुड़ा श्रेणी) से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- कथन 2 सही है: सिवनाथ, जोंक, हसदेव, मांड, इब, ओंग और तेल महानदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
प्रश्न 4. खांगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। (स्तर – मध्यम)
- यह सिक्किम राज्य में स्थित है।
- यह भारत और दुनिया का पहला और एकमात्र ‘मिश्रित विश्व धरोहर स्थल’ है।
- इस संरक्षित क्षेत्र में एक उल्लेखनीय पहलू बड़े भूभाग की ऊंचाई में भिन्नता है।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: यह सिक्किम राज्य में स्थित है।
- कथन 2 सही नहीं है: खांगचेंदज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान को वर्ष 2016 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया और यह भारत का पहला “मिश्रित विरासत” स्थल बना।
- हालाँकि, यह दुनिया का एकमात्र यूनेस्को मिश्रित विश्व धरोहर स्थल नहीं है।
- कथन 3 सही है: राष्ट्रीय उद्यान का एक उल्लेखनीय पहलू संरक्षित क्षेत्र की ऊंचाई में बड़ी भिन्नता है।
प्रश्न 5. संचार प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में, LTE (लॉन्ग-टर्म इवोल्यूशन) और VoLTE (वॉयस ओवर लॉन्ग-टर्म इवोल्यूशन) के बीच क्या अंतर हैं/हैं? PYQ (2019) (स्तर – सरल)
- LTE को आमतौर पर 3G के रूप में विपणन किया जाता है और VoLTE को आमतौर पर उन्नत 3G के रूप में विपणन किया जाता है।
- LTE डेटा-ओनली तकनीक है और VoLTE वॉइस-ओनली तकनीक है।
निम्लिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: LTE (लॉन्ग-टर्म इवोल्यूशन) चौथी पीढ़ी का (4G) एक वायरलेस मानक है जो वॉयस ओवर लॉन्ग-टर्म इवोल्यूशन का एक उन्नत या संवर्धित LTE संस्करण है।
- कथन 2 सही नहीं है: LTE केवल एक डेटा तकनीक है लेकिन VoLTE में डेटा और वॉइस दोनों तकनीक निहित है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत में पुलिस और जनता के बीच अविश्वास की समस्या को प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करके हल किया जा सकता है। क्या आप इससे सहमत हैं? विस्तार से बताइये ? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – शासन)
प्रश्न 2. “एक अच्छी शुरुआत का मतलब है कि आधा काम पूर्ण हो गया है।” इस कथन के आलोक में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू की विरासत का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस I – इतिहास)