A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान:

  1. दसवीं अनुसूची को समझना:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. दिल्ली के मुख्य सचिव के कार्यकाल विस्तार में न्यायिक विरोधाभास:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. बांग्लादेश चुनाव नतीजों में भू-राजनीति:
  2. भारत को वुल्फ वॉरियर्स की आवश्यकता नहीं है:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. ICMR ने पहली बार वर्तमान राष्ट्रीय आवश्यक निदान सूची को संशोधित करना शुरू किया:
  2. प्रकाश उत्सर्जक डायोड क्या हैं और उन्हें प्रकाश स्रोतों के रूप में क्यों मूल्यवान माना जाता है?
  3. भारत के KABIL ने अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्लॉक का अधिग्रहण किया:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

दसवीं अनुसूची को समझना:

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान:

विषय: भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

मुख्य परीक्षा: दसवीं अनुसूची।

प्रसंग:

  • महाराष्ट्र विधानसभा में हाल के घटनाक्रम ने एक बार फिर 1985 में लागू दसवीं अनुसूची या दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
  • इस कानून का उद्देश्य विधायकों द्वारा अपनी मूल पार्टियों को छोड़कर राजनीतिक उथल-पुथल पैदा करने वाले अस्थिर प्रभाव को रोकना था।

संशोधन के बाद अस्पष्टताएँ:

  • 2003 में पैरा 3 को हटाने से, जिसने एक तिहाई सदस्यों को अयोग्यता का सामना किए बिना विभाजित होने की अनुमति दी, चुनौतियों को जन्म दिया है।
  • मूल राजनीतिक दल होने का दावा करते हुए व्यावहारिक रूप से दो-तिहाई सदस्यों के दलबदल करने के उदाहरणों ने कानून के अनुप्रयोग में खामियां पैदा की हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा का ताज़ा मामला:

  • महाराष्ट्र में, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले एक गुट ने उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) समूह को चुनौती देते हुए वैध शिवसेना होने का दावा किया।
  • विधानसभा स्पीकर/अध्यक्ष द्वारा शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देना और उसके बाद उसके सदस्यों को अयोग्य ठहराने से इनकार करना, ऐसे निर्णयों की तटस्थता पर सवाल उठाता है।

सुधार की आवश्यकता:

  • जटिलताओं और अस्पष्टताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त सुधार आवश्यक हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय के तीन-परीक्षण फार्मूले, पार्टी के उद्देश्यों पर विचार करते हुए, आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र को दर्शाने वाले संविधान का पालन, और विधायी और संगठनात्मक शाखाओं में बहुमत, को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
  • अध्यक्ष की तटस्थता के बारे में चिंताओं को देखते हुए, अयोग्यता पर निर्णय लेने का अधिकार एक स्वतंत्र न्यायाधिकरण को हस्तांतरित करने पर आम सहमति बढ़ रही है।
  • के.एम. सिंह बनाम मणिपुर के स्पीकर (2020) मामले में सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश ऐसे मामलों को संभालने के लिए एक निष्पक्ष निकाय की आवश्यकता पर जोर देती है।
  • मौलिक सुधार के लिए राजनीतिक दलों के भीतर आंतरिक लोकतंत्र को संस्थागत बनाने की आवश्यकता है।
  • चुनाव आयोग (Election Commission) की निगरानी में पार्टी के नियमित आंतरिक चुनावों से पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी और दलबदल के मूल कारणों का समाधान होगा।

निष्कर्ष:

  • चूँकि भारत राजनीतिक दल-बदल से उत्पन्न चुनौतियों से जूझ रहा है, इसलिए दल-बदल विरोधी कानून में व्यापक बदलाव आवश्यक है। राजनीतिक दलों के भीतर लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूत करने और दलबदल के मामलों में निष्पक्ष निर्णय सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • महाराष्ट्र विधानसभा में हालिया चुनौतियों ने दल-बदल विरोधी कानून में पर्याप्त सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसमें लोकतांत्रिक सिद्धांतों और निष्पक्ष निर्णय लेने को बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन-परीक्षण फॉर्मूले को लागू करने और अयोग्यता प्राधिकरण को एक स्वतंत्र न्यायाधिकरण में स्थानांतरित करने जैसे उपायों का आह्वान किया गया है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

दिल्ली के मुख्य सचिव के कार्यकाल विस्तार में न्यायिक विरोधाभास:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ।

मुख्य परीक्षा: दिल्ली के मुख्य सचिव के विस्तार और उससे संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से संबंधित मुद्दे।

विवरण: दिल्ली मुख्य सचिव के विस्तार में न्यायिक विरोधाभास

  • दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अवलोकन।
  • न्यायिक आत्म-त्याग के रूप में न्यायालय के दृष्टिकोण की आलोचना कि गई हैं।

पृष्ठभूमिः मुख्य सचिव के आरोप और सेवानिवृत्ति

  • मुख्य सचिव नरेश कुमार पर भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप का सामना कर रहे हैं।
  • दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उन्हें हटाने का अनुरोध और 30 नवंबर, 2023 को मुख्य सचिव की आसन्न सेवानिवृत्ति।

कानूनी संदर्भः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम 2023

  • दिल्ली सरकार द्वारा संशोधन अधिनियम को चुनौती।
  • इस अधिनियम का उद्देश्य दिल्ली की सेवाओं पर निर्वाचित सरकार को नियंत्रण देकर सेवाओं के फैसले का प्रतिकार करना है।

सुप्रीम कोर्ट का पलटवार: मुख्य सचिव के लिए एक अपवाद

  • सर्विसेज फैसले में कोर्ट का पिछला रुख और मुख्य सचिव के विस्तार के लिए दिल्ली सरकार की सिफारिश की आवश्यकता।
  • न्यायालय के 29 नवंबर, 2023 के आदेश को पलटते हुए केंद्र सरकार को मुख्य सचिव का कार्यकाल एकतरफा बढ़ाने की अनुमति दी गई।

कथित हितों का टकराव: विस्तार के लिए पूर्व शर्तों की अनदेखी

  • मुख्य सचिव के कार्यकाल विस्तार के लिए “पूर्ण औचित्य” की आवश्यकता है और यह “सार्वजनिक हित में” होना चाहिए।
  • हितों के टकराव के गंभीर आरोप और तत्काल हटाने के लिए मुख्यमंत्री की सिफारिश।

मुख्य सचिव की भूमिका: रोयप्पा मामले से बचना

  • रोयप्पा मामले में मुख्य सचिव की भूमिका का महत्व स्थापित हो गया है।
  • मुख्य सचिव मामले में रोयप्पा के आवेदन पर अदालत की टालमटोल और उसकी टिप्पणियों का चेरी-पिकिंग/प्रमाण या गलतियाँ छिपाना। (cherry-picking-जो उपलब्ध है उसमें से केवल सर्वाधिक लाभप्रद या लाभदायक वस्तुओं, अवसरों आदि को चुनने और लेने की क्रिया या अभ्यास।)

नियुक्ति पर दिल्ली सरकार का बिंदु: सहयोगात्मक प्रक्रिया

  • मुख्य सचिव की नियुक्ति में सहयोगात्मक प्रक्रिया के लिए दिल्ली सरकार का अनुरोध।
  • केंद्र सरकार का संदर्भ देने में उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) के एकमात्र विवेक की सुप्रीम कोर्ट की गलत व्याख्या।

सेवा निर्णय के साथ असंगति: जवाबदेही श्रृंखला का टूटना

  • लोकतांत्रिक कामकाज के लिए सेवाओं पर दिल्ली सरकार के नियंत्रण को न्यायालय की मान्यता।
  • जब मुख्य सचिव निर्वाचित सरकार का विश्वास खो देता है तो जवाबदेही में कमी को स्वीकार करने में विफलता।

सारांश:

  • भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल बढ़ाने का सुप्रीम कोर्ट का विरोधाभासी फैसला न्यायिक स्थिरता और संवैधानिक तर्क के बारे में चिंता पैदा करता है। यह फैसला पूर्व निर्णयों से अलग है, जवाबदेही से समझौता करता है और अदालत के रुख के लिए भविष्य की चुनौतियों के लिए एक मिसाल कायम करता है।

बांग्लादेश चुनाव नतीजों में भू-राजनीति:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत और उसके पड़ोसी-संबंध।

मुख्य परीक्षा: बांग्लादेश चुनाव और इसका भू-राजनीतिक प्रभाव।

विवरण: चुनाव परिणाम और राजनीतिक संदर्भ

  • 7 जनवरी, 2024 को बांग्लादेश के राष्ट्रीय चुनावों में सत्तारूढ़ अवामी लीग ने 300 में से 225 सीटों के साथ महत्वपूर्ण जीत हासिल की हैं।
  • वहां के मुख्य विपक्षी राजनितिक दल,बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने एक तटस्थ कार्यवाहक सरकार के तहत चुनावों की मांग करते हुए चुनावों का बहिष्कार किया हैं।

ऐतिहासिक चुनावी मुद्दे:

  • अवामी लीग के तहत वर्ष 2014 से 2018 में पिछले चुनावों में चुनावी हेरफेर, अनियमितताओं और हिंसा के आरोपों की अंतरराष्ट्रीय आलोचना हुई हैं।
  • वर्ष 2009 में अवामी लीग द्वारा तटस्थ कार्यवाहक सरकार के संवैधानिक प्रावधान को समाप्त कर दिया गया था।

क्षेत्रीय और वैश्विक भूराजनीतिक गतिशीलता:

  • बांग्लादेश दक्षिण एशिया में रणनीतिक महत्व के साथ एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बन गया है।
  • चीन, भारत, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी वैश्विक शक्तियां इस क्षेत्र में प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

भारत के सामरिक हित:

  • भारत,बांग्लादेश के साथ अपने गहरे ऐतिहासिक और आर्थिक संबंधों के साथ,इसे चीन के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है।
  • दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और विभिन्न समझौते एक करीबी रिश्ते को रेखांकित करते हैं, भारत ने शेख हसीना को उनकी जीत के बाद बधाई दी।

अमेरिकी आलोचना और दुविधा:

  • अमेरिका ने लोकतांत्रिक कमियों, मानवाधिकार मुद्दों और प्रेस की स्वतंत्रता के दमन के लिए बांग्लादेश सरकार की आलोचना की है।
  • मुख्य रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के बीच तनाव है, जैसा कि वीज़ा प्रतिबंध की धमकियों में परिलक्षित होता है।

चीन का दृष्टिकोण:

  • बांग्लादेश का शीर्ष व्यापारिक साझेदार चीन चुनाव को आंतरिक मामला मानता है और अवामी लीग को उसकी जीत पर बधाई देता है।
  • चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative (BRI)) का बांग्लादेश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश है।

रूस के हित और सहयोग:

  • रूस ने बांग्लादेश की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करके, विशेष रूप से रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Rooppur nuclear power plant) के माध्यम से घनिष्ठ संबंध बनाए हैं।
  • रूस ने भारत के साथ सहयोग के अनूठे कार्य को उजागर करते हुए शेख हसीना को उनकी चुनावी जीत पर बधाई दी।

भूराजनीतिक युद्धक्षेत्र:

  • बांग्लादेश के आर्थिक और सामरिक महत्व ने 2024 के चुनाव परिणामों को भूराजनीतिक युद्ध के मैदान में बदल दिया है।
  • अमेरिका और उसके सहयोगियों को व्यापार करना चुनौतीपूर्ण लग सकता है क्योंकि भू-राजनीतिक विचार संबंधों को जटिल बनाते हैं।

अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव:

  • यदि अमेरिका और यूरोपीय संघ प्रतिबंध लगाते हैं तो विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत रेडीमेड कपड़ा उद्योग प्रभावित हो सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( International Monetary Fund) ने ऊर्जा आयात की कीमतों, घटते डॉलर भंडार और कमजोर स्थानीय मुद्रा सहित आर्थिक चुनौतियों की चेतावनी दी है।

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और संभावित परिणाम:

  • 2007 में, संयुक्त राष्ट्र ने विपक्षी बीएनपी के चुनावों में हेरफेर करने के प्रयास के दौरान बांग्लादेश को चेतावनी जारी की थी।
  • इस बार संयुक्त राष्ट्र का रुख, आलोचना से परे, अनिश्चित बना हुआ है, जिससे शांति अभियानों में बांग्लादेश की भागीदारी प्रभावित हो रही है।

हसीना सरकार के लिए घरेलू चुनौतियाँ:

  • जीवन-यापन की बढ़ती लागत ने विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया है, साथ ही बढ़ती ऊर्जा आयात कीमतों, घटते डॉलर भंडार और कमजोर होती स्थानीय मुद्रा से निपटने की चुनौतियों के कारण यह और भी जटिल हो गया है।
  • कोविड-19 के बाद की रिकवरी कई आर्थिक झटके प्रस्तुत करती है, जिसके लिए राष्ट्रीय हितों के साथ भू-राजनीति के नाजुक संतुलन की आवश्यकता होती है।

सारांश:

  • बांग्लादेश के 2024 के चुनाव, जो विवादों, भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक महत्व को चिह्नित करते हैं, अवामी लीग की शानदार जीत और वैश्विक शक्तियों की विविध प्रतिक्रियाओं को प्रकट करते हैं। आलोचनाओं के बीच, यह राष्ट्र व्यापार, भू-राजनीति और घरेलू चुनौतियों पर संभावित प्रभावों से जूझ रहा है, जो आगे की अपनी अनिश्चित राह को आकार दे रहा है।

भारत को वुल्फ वॉरियर्स की आवश्यकता नहीं है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत और उसके पड़ोसी-संबंध।

मुख्य परीक्षा: मालदीव पर्यटन का बहिष्कार और द्विपक्षीय संबंधों पर इसका प्रभाव।

पृष्ठभूमि: लक्षद्वीप पर्यटन अभियान और मालदीव की प्रतिक्रिया

  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप के दौरे के बाद, मालदीव के बहिष्कार को प्रोत्साहित करने वाला एक पर्यटन अभियान सोशल मीडिया पर उभरा हैं।
  • उप मंत्रियों सहित मालदीव के अधिकारियों ने श्री मोदी और भारत के बारे में अरुचिकर टिप्पणियों के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं।
  • मालदीव ने बाद में यह कहते हुए उप मंत्रियों को निलंबित कर दिया कि उनके विचार आधिकारिक सरकारी पद द्वारा परिभाषित नहीं थे।

बदलते गठबंधन: मालदीव का चीन समर्थक रुख

  • मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने एक महत्वपूर्ण चीन समर्थक रुख अपनाया है, जो विशेष रूप से उनकी चीन यात्रा से पहले स्पष्ट तौर पर झलकता है।
  • अपने चुनाव प्रचार के दौरान,मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को हटाने और व्यापार संबंधों को संतुलित करने का वादा करते हुए भारत की आलोचना की हैं।
  • चीन की यात्रा के परिणामस्वरूप द्विपक्षीय संबंधों को ‘व्यापक रणनीतिक सहकारी साझेदारी’ तक बढ़ाया गया, जो भारत से दूर जाने का संकेत है।

चीन का प्रभाव: आर्थिक और कूटनीतिक बदलाव

  • मुइज़ू ने चीन को मालदीव के पूर्व-कोविड-19 शीर्ष बाजार के रूप में उजागर किया और उस स्थिति को फिर से हासिल करने के लिए चीन से प्रयासों में वृद्धि की मांग की।
  • चीन और मालदीव का लक्ष्य अपने संबंधों को मजबूत करना है, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मालदीव को भारत के प्रभाव से स्वतंत्र विकास पथ पर आगे बढ़ने के लिए समर्थन व्यक्त किया है।
  • नए समझौते मालदीव में डिजिटल और भौतिक रूप से चीन की उपस्थिति बढ़ा सकते हैं, जिससे क्षेत्रीय गतिशीलता पर असर पड़ेगा।

साहसिक कदम: मालदीव का भारतीय सैन्य वापसी का अनुरोध

  • चीन के साथ घनिष्ठ संबंधों से उत्साहित राष्ट्रपति मुइज़ू ने भारत से 15 मार्च तक मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को हटाने का अनुरोध किया हैं।
  • मालदीव इस बात पर जोर देता है कि उसका छोटा आकार दूसरों को देश पर धौंस जमाने का अधिकार नहीं देता है।

भारत की दुविधा: कूटनीतिक चुनौतियाँ और आकांक्षाएँ

  • मालदीव की रणनीतिक स्थिति और ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए, मालदीव के साथ भारत के संबंध महत्वपूर्ण हैं।
  • हालाँकि, भारत को अपने कूटनीतिक प्रयासों में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, हाल के उदाहरणों जैसे यूक्रेन पर रूस के आक्रमण (Russia’s invasion of Ukraine) और इज़राइल-हमास संघर्ष पर उसके रुख ने उसकी वैश्विक छवि को प्रभावित किया है।
  • भारत नई विश्व व्यवस्था में आदर्श-निर्माता बनने की आकांक्षा रखता है, लेकिन उसे वैश्विक अपेक्षाओं के साथ अपने राष्ट्रीय हितों का सामंजस्य बिठाना होगा।

पड़ोस की गतिशीलता: वुल्फ-वारियर कूटनीति तुलना

  • मालदीव के प्रति भारत का दृष्टिकोण चीन की जुझारू और मुखर कूटनीति के समान, सोशल मीडिया पर ‘वुल्फ-वारियर’ रुख अपनाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  • ‘पड़ोसी पहले’ नीति के मिश्रित परिणाम देखने को मिले हैं साथ ही भारत की घरेलू भावनाएं अक्सर वैश्विक राजनयिक दृष्टिकोण से टकराती हैं।
  • हाल की घटनाएं भारत के लिए अपने प्रतिद्वंद्वी के समान व्यवहार से बचते हुए चीन का मुकाबला करने की चुनौती को उजागर करती हैं।

संतुलन अधिनियम: विदेश नीति चुनौतियाँ और घरेलू भावनाएँ

  • घरेलू भावनाएँ, विशेषकर सोशल मीडिया पर, भारत की विदेश नीति के निर्णयों को आकार देती हैं, जिससे छोटे पड़ोसियों के साथ संबंधों को प्रबंधित करने में चुनौतियाँ पैदा होती हैं।
  • मालदीव के साथ राजनयिक विवाद पहले से ही विभिन्न मुद्दों से जूझ रहे क्षेत्र में भारत के रणनीतिक लक्ष्यों की जटिलता को रेखांकित करता है।
  • भारत को उभरते वैश्विक परिदृश्य में अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए ताकत दिखाने और सहयोगात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने के बीच एक नाजुक संतुलन बनाना होगा।
  • भारत-मालदीव संबंधों के सम्बन्ध में अधिक जानकरी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: India – Maldives relations

सारांश:

  • मालदीव के साथ भारत की कूटनीतिक चुनौतियाँ क्षेत्रीय प्रभाव और वैश्विक आकांक्षाओं के बीच एक नाजुक संतुलन को प्रकट करती हैं। चीन के प्रति मालदीव के रुख में बदलाव, भारत की घरेलू भावनाओं के साथ मिलकर, उभरती अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सहकारी संबंधों को बनाए रखते हुए ताकत दिखाने की जटिलताओं को उजागर करता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. ICMR ने पहली बार वर्तमान राष्ट्रीय आवश्यक निदान सूची को संशोधित करना शुरू किया:

प्रसंग:

  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research (ICMR)) ने पहली बार 2019 में पेश की गई राष्ट्रीय आवश्यक निदान सूची (NEDL) के संशोधन की शुरुआत करके स्वास्थ्य देखभाल को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

राष्ट्रीय आवश्यक निदान सूची (NEDL):

  • एनईडीएल बहुत महत्वपूर्ण केंद्रीय प्रणाली है, जो विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल स्तरों पर आवश्यक मौलिक नैदानिक ​​परीक्षणों को निर्दिष्ट करता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के अनुरूप, आईसीएमआर ने 2019 में भारत के उद्घाटन एनईडीएल की शुरुआत की, जिससे डायग्नोस्टिक्स को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की आधारशिला के रूप में आगे बढ़ाया गया।
  • बीमारी के बोझ और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव के आधार पर चुने गए आवश्यक परीक्षण, बुनियादी ढांचे और जनशक्ति की उपलब्धता के अनुरूप होने चाहिए।
  • इस संशोधन का उद्देश्य पूरे भारत में विविध स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए महत्वपूर्ण समसामयिक नैदानिक परीक्षणों को शामिल करना है।
  • आईसीएमआर ने संबंधित हितधारकों से एनईडीएल को अद्यतन करने के लिए सक्रिय रूप से अपनी अंतर्दृष्टि और सुझाव देने का आह्वान किया है।

महत्व:

  • एनईडीएल को अद्यतन करने के लिए आईसीएमआर की प्रतिबद्धता स्वास्थ्य देखभाल प्रभावकारिता को बढ़ाने, उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों के साथ नैदानिक ​​प्रथाओं को संरेखित करने और अंततः अपने नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाती है।

2. प्रकाश उत्सर्जक डायोड क्या हैं और उन्हें प्रकाश स्रोतों के रूप में क्यों मूल्यवान माना जाता है?

प्रसंग:

  • 2014 में, रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एक बड़ी घोषणा की,जिसमे उन्होंने कहा की ”21वीं सदी एलईडी लैंप से रोशन होगी।”
  • यह उद्घोषणा अभूतपूर्व उपलब्धियों के लिए दिए गए भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के साथ हुई, जिसने पारंपरिक प्रकाश स्रोतों की जगह प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एलईडी) के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

डायोड क्या हैं?

  • डायोड, मौलिक इलेक्ट्रॉनिक घटक, एलईडी के लिए निर्माण खंड के रूप में कार्य करते हैं।
  • एक एनोड और कैथोड के साथ, डायोड एक पी-एन जंक्शन के माध्यम से विद्युत प्रवाह के एकदिशीय प्रवाह को सक्षम करते हैं, जहां पी-प्रकार (इलेक्ट्रॉन-की कमी) और एन-प्रकार (इलेक्ट्रॉन-समृद्ध) सामग्री मिलती है।

एलईडी के लाभ:

  • हैट्ज़ का नियम, ट्रांजिस्टर के क्षेत्र में मूर के नियम के समान, एलईडी दक्षता में लगातार वृद्धि की भविष्यवाणी करता है।
  • ऊर्जा दक्षता, स्थायित्व और लागत-प्रभावशीलता के मामले में एलईडी पारंपरिक बल्बों और फ्लोरोसेंट लैंप से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
  • उनके अनुप्रयोग उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कृषि तक कई क्षेत्रों में फैले हुए हैं।

नवाचार और भविष्य की संभावनाएँ:

  • एलईडी दक्षता को और बढ़ाने के लिए पेरोव्स्काइट्स जैसी उन्नत सामग्रियों का पता लगाने के लिए चल रहे शोध जारी हैं।
  • एलईडी की बहुमुखी प्रतिभा पारंपरिक अनुप्रयोगों से परे फैली हुई है, जिसमें एम्बेडेड एलईडी, जैविक एलईडी और विस्तारित रंग-उत्सर्जक क्षमताओं में विकास हुआ है, जो इस क्रांतिकारी प्रकाश प्रौद्योगिकी के विकासवादी प्रक्षेपवक्र को प्रदर्शित करता है।

महत्व:

  • जैसे-जैसे शोधकर्ता सामग्री विज्ञान और अर्धचालक भौतिकी में गहराई से उतरते हैं, भविष्य में और भी अधिक कुशल, अनुकूलनीय और दृष्टि से आश्चर्यजनक एलईडी प्रौद्योगिकियों का वादा होता है।
  • एलईडी की चमक न केवल हमारे परिवेश को रोशन करती है बल्कि प्रकाश की शक्ति का दोहन करने में मानवीय प्रतिभा की प्रतिभा का भी प्रतीक है।

3. भारत के KABIL ने अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्लॉक का अधिग्रहण किया:

प्रसंग:

  • भारत ने अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्लॉक हासिल करके अपने लिथियम संसाधनों को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

मुद्दा:

  • खान मंत्रालय के तहत सहायक कंपनी खनीज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) ने अन्वेषण और विशिष्टता अधिकारों के लिए अर्जेंटीना के राज्य के स्वामित्व वाली कैटामर्का मिनेरा वाई एनर्जेटिक-सोसिडाड डेल एस्टाडो (Catamarca Minera Y Energetica-Sociedad Del Estado (CAMYEN)) के साथ एक समझौता किया है।
  • लगभग 15,703 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने वाले लिथियम ब्राइन ब्लॉकों में कॉर्टेडेरा-I, कॉर्टेडेरा-VII, कॉर्टेडेरा-VIII, कैटियो-2022-01810132 और कॉर्टेडेरा-VI शामिल हैं।
  • कैटामार्का में एक शाखा कार्यालय स्थापित करने के लिए तैयार काबिल, विकास और अन्वेषण के लिए पांच वर्षों में लगभग ₹200 करोड़ का निवेश करने के लिए तैयार है।

महत्व:

  • यह कदम भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वर्तमान में अपनी लिथियम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से चीन से आयात पर निर्भर करता है, जो ‘हरित संक्रमण’ के युग में ऊर्जा भंडारण, मोबाइल फोन बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कारों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. ये पुरस्कार देश भर में सिविल सेवकों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों को स्वीकार करने, मान्यता देने और पुरस्कृत करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

2. 2023 के पुरस्कारों में एक ट्रॉफी, एक स्क्रॉल और सम्मानित जिले/संगठन को 20 लाख रुपये का प्रोत्साहन शामिल होगा, जिसका उपयोग परियोजना/कार्यक्रम के कार्यान्वयन या सार्वजनिक कल्याण के किसी भी क्षेत्र में संसाधन अंतर को पाटने के लिए किया जाएगा।

3. प्रधानमंत्री के पुरस्कार सिविल सेवा दिवस पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार पूरे देश में सिविल सेवकों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को स्वीकार करने और पुरस्कृत करने के लिए स्थापित किए गए हैं। इन पुरस्कारों का उद्देश्य सार्वजनिक प्रशासन में अनुकरणीय योगदान को मान्यता देना है।
  • कथन 2 सही है: वर्ष 2023 के पुरस्कारों में एक ट्रॉफी, एक स्क्रॉल और सम्मानित जिले/संगठन के लिए 20 लाख रुपये का मौद्रिक प्रोत्साहन शामिल है। इस प्रोत्साहन का उपयोग परियोजनाओं/कार्यक्रमों के कार्यान्वयन या सार्वजनिक कल्याण क्षेत्रों में संसाधन अंतराल को संबोधित करने के लिए किया जाना है।
  • कथन 3 ग़लत है: लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार भारत के प्रधान मंत्री द्वारा प्रदान किए जाते हैं, राष्ट्रपति द्वारा नहीं। पुरस्कार समारोह आमतौर पर सिविल सेवा दिवस पर होता है, लेकिन यह प्रधान मंत्री हैं जो योग्य सिविल सेवकों को ये पुरस्कार प्रदान करते हैं।

प्रश्न 2. एमपीलैड्स ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन मोबाइल एप्लिकेशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. मोबाइल ऐप सुविधा और पहुंच प्रदान करेगा, जिससे सांसद अपनी उंगलियों पर परियोजनाओं का प्रस्ताव, ट्रैक और निगरानी कर सकेंगे।

2. यह रियल टाइम एक्सेस निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बढ़ाती है, जिससे उभरती जरूरतों या मुद्दों पर तुरंत एक्शन संभव हो पाता है।

3. एप्लिकेशन सांसदों और संबंधित अधिकारियों के बीच संचार को सुव्यवस्थित करेगा, जिससे सूचनाओं के अधिक कुशल आदान-प्रदान की सुविधा मिलेगी।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: एमपीलैड्स ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन संसद सदस्यों (सांसदों) को सुविधा और पहुंच प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उन्हें सीधे अपने मोबाइल उपकरणों से विभिन्न परियोजनाओं को प्रस्तावित करने, ट्रैक करने और देखरेख करने की अनुमति देता है, जिससे प्रक्रिया अधिक कुशल और सुलभ हो जाती है।
  • कथन 2 सही है: मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा प्रदान की गई वास्तविक समय की पहुंच सांसदों के लिए निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बढ़ाती है। यह उन्हें समय पर अपडेट और जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है, जिससे उनके निर्वाचन क्षेत्रों में उभरती जरूरतों या मुद्दों पर त्वरित प्रतिक्रिया मिलती है।
  • कथन 3 सही है: एमपीलैड्स ई-साक्षी मोबाइल एप्लिकेशन का उद्देश्य सांसदों और संबंधित अधिकारियों के बीच संचार को सुव्यवस्थित करना है। यह सूचनाओं के कुशल आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सांसद परियोजनाओं के कार्यान्वयन में शामिल अधिकारियों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद कर सकें।

प्रश्न 3. प्रसिद्ध तमिल कवि और दार्शनिक तिरुवल्लुवर या वल्लुवर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति, तिरुक्कुरल, नैतिकता, राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्रेम को संबोधित करने वाले दोहे का संग्रह है।

2. जनवरी 1935 में, तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर 31 ईसा पूर्व को वल्लुवर वर्ष के रूप में मान्यता दी।

3. तमिलनाडु सरकार पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप में, कवि के सम्मान में 15 जनवरी (लीप वर्ष पर 16 जनवरी) को तिरुवल्लुवर दिवस के रूप में मनाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • तीनों कथन सही हैं। उनका सबसे प्रसिद्ध काम, तिरुक्कुरल, दोहों का एक संग्रह है जो नैतिकता, राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्रेम सहित विभिन्न पहलुओं को कवर करता है।
  • जनवरी 1935 में, तमिलनाडु सरकार ने आधिकारिक तौर पर 31 ईसा पूर्व को वल्लुवर वर्ष के रूप में मान्यता दी। यह मान्यता तिरुवल्लुवर के जीवन से जुड़े ऐतिहासिक आकलन और परंपराओं पर आधारित है।
  • तमिलनाडु सरकार पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप में, कवि के सम्मान में 15 जनवरी (लीप वर्ष पर 16 जनवरी) को तिरुवल्लुवर दिवस के रूप में मनाती है। यह उत्सव तमिल साहित्य और दर्शन में तिरुवल्लुवर के योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है।

प्रश्न 4. भारत में पुंगनूर गाय प्रजाति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. वे एक अनोखी बौनी नस्ल हैं, जिन्हें दुनिया में सबसे छोटे कूबड़ वाला मवेशी माना जाता है।

2. 2012 की पशुधन गणना में पुंगनूर केवल कर्नाटक में पाए गए थे।

3. नरों के सींग मादाओं के सींगों की तुलना में थोड़े लंबे होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: भारत में पुंगनूर गाय की प्रजाति एक विशिष्ट बौनी नस्ल है, जिसे विश्व स्तर पर सबसे छोटे कूबड़ वाले मवेशी के रूप में मान्यता प्राप्त है। नरों के सींग मादाओं की तुलना में थोड़े लंबे होते हैं, जो इस नस्ल की विशेषताओं में योगदान करते हैं।
  • कथन 2 ग़लत है: पुंगनूर गायें कर्नाटक तक ही सीमित नहीं हैं; वे दक्षिणी आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में चित्तूर जिले के पुंगनूर, वायलापडु, मदनपल्ली और पलामनीर तालुकों की मूल निवासी हैं।
  • कथन 3 गलत है: इस नस्ल की विशेषता छोटे अर्धचंद्राकार सींग हैं, जिनकी लंबाई आमतौर पर 10-15 सेमी होती है। नर मवेशियों में, ये सींग अक्सर पीछे और आगे की ओर मुड़ते हैं, जबकि मादा मवेशियों में, ये पार्श्व और आगे की ओर मुड़ते हैं। विशेष रूप से, इस नस्ल के नर के अधिक सघन सींगों की तुलना में मादाओं के सींग थोड़े लंबे होते हैं।

प्रश्न 5. सरकार ने 1996 में अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (PESA) अधिनियम लागू किया। निम्नलिखित में से कौन सा इसके उद्देश्य के रूप में पहचाना नहीं गया है? PYQ (2013)

(a) स्वशासन प्रदान करना

(b) पारंपरिक अधिकारों को मान्यता देना

(c) जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त क्षेत्र बनाना

(d) आदिवासियों को शोषण से मुक्ति दिलाना

उत्तर: c

व्याख्या:

  • आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 1996 में अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (PESA) अधिनियम लागू किया गया था। यह अधिनियम मुख्य रूप से इस पर केंद्रित है:
  • स्वशासन प्रदान करना: PESA का उद्देश्य जनजातीय समुदायों के बीच सत्ता का विकेंद्रीकरण करना और स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देना है।
  • पारंपरिक अधिकारों को मान्यता देना: यह जनजातीय समुदायों के संसाधनों और क्षेत्रों पर उनके पारंपरिक अधिकारों की मान्यता और सुरक्षा पर जोर देता है।
  • जनजातीय लोगों को शोषण से मुक्त करना: PESA जनजातीय समुदायों को उनके संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार प्रदान करके उन्हें शोषण से बचाना चाहता है।
  • हालाँकि, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त क्षेत्र बनाना स्पष्ट रूप से PESA अधिनियम के उद्देश्य के रूप में पहचाना नहीं गया है। यह अधिनियम जनजातीय क्षेत्रों के भीतर स्वायत्त क्षेत्रों की स्थापना के बजाय स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाने पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. अब समय आ गया है कि दल-बदल विरोधी कानून को या तो हटाया जाए या उसमें सुधार किया जाए। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, राजव्यवस्था) (It is time for the anti-defection law to be either removed or reformed. Critically analyze. (250 words, 15 marks) (General Studies – II, Polity)​)

प्रश्न 2. हाल के बांग्लादेश चुनाव परिणामों के भारत और क्षेत्र के लिए दूरगामी परिणाम होंगे। क्या आप इससे सहमत हैं? चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, अंतर्राष्ट्रीय संबंध) (The recent Bangladesh election results have far-reaching consequences for India and the region. Do you agree? Discuss. (250 words, 15 marks) (General Studies – II, International Relations))

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)