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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 19 July, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. वह क्या है जिसने भारत-फ्रांस संबंधों को बनाए रखा है?

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. विज्ञान, कानून की अनदेखी कर जीएम सरसों को बढ़ावा:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-यूएई के बीच रुपये में व्यापार करने का समझौता:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. अनियमित मानसून खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकता है:
  2. आंध्रप्रदेश के रुद्रगिरि में प्रस्तर कला:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. निर्यात में गिरावट:
  2. भारत-रूस वंदे भारत करार:
  3. DPT3 टीकाकरण कवरेज:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

वह क्या है जिसने भारत-फ्रांस संबंधों को बनाए रखा है?

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

प्रारंभिक परीक्षा: रणनीतिक साझेदारी, नाटो-प्लस और P5 देशों से संबंधित जानकारी।

मुख्य परीक्षा: भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंध।

प्रसंग:

  • इस लेख में भारत और फ्रांस के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा की गई है, जिसमें उनके साझा सिद्धांतों, परमाणु मामलों में सहयोग और अद्वितीय भू-राजनीतिक समझ पर प्रकाश डाला गया है।

विवरण:

  • भारत और फ्रांस के बीच आपसी संबंधों की विशेषता गैर-हस्तक्षेप, रणनीतिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्षता के साझा सिद्धांतों पर निर्मित रणनीतिक साझेदारी है।
  • कभी-कभार आने वाली चुनौतियों के बावजूद, दोनों देशों ने अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए संयुक्त परेड और आपसी सम्मान के माध्यम से मजबूत संबंध बनाए रखे हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पेरिस यात्रा इस अनूठी साझेदारी के महत्व को और अधिक स्पष्ट करती है।

संबंधों का मूल दर्शन:

  • दोनों देशों द्वारा एक दूसरे के आंतरिक मामलों में परस्पर हस्तक्षेप न करना।
  • जैसा कि राष्ट्रपति चार्ल्स डी गॉल ने वकालत की थी, रणनीतिक स्वायत्तता में दृढ़ विश्वास रखना ।
  • प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा व्यक्त गुटनिरपेक्ष सिद्धांतों का पालन।
  • एक-दूसरे के गठबंधन और गठजोड़ में शामिल होने से इनकार।

परमाणु सहयोग और असैन्य परमाणु समझौता:

  • वर्ष 1998 के पोखरण-II परमाणु परीक्षणों ( 1998 Pokhran-II nuclear tests) के दौरान फ्रांस ने भारत का समर्थन किया था, तथा न ही तो भारत पर किसी प्रकार का प्रतिबंध लगाया और न ही भारत से रणनीतिक साझेदारी समझौते को खत्म किया।
  • फ्रांस ने 2008 में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह ( Nuclear Suppliers Group) में भारत को छूट दिलाने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप फ्रांस के साथ भारत का पहला नागरिक परमाणु समझौता हुआ।

भूराजनीतिक रुख: यूक्रेन युद्ध और नाटो-प्लस साझेदारी:

  • यूक्रेन में युद्ध पर भारत की स्थिति के प्रति फ्रांस का दृष्टिकोण, भारत की हस्तक्षेप न करने की नीति का सम्मान करना है।
  • नाटो-प्लस साझेदारी योजनाओं को फ्रांस की अस्वीकृति, भारत द्वारा नाटो को एक टेम्पलेट के रूप में अस्वीकार करने का सम्मान करना।

हिंद-प्रशांत रोडमैप:

  • भारत और फ्रांस (India-France ) अपनी रणनीतिक स्वायत्तता की पुष्टि करते हैं और एक-दूसरे को क्षेत्रीय सैन्य गठबंधन में खींचने का प्रयास नहीं करते हैं।
  • दोनों देश “क्वाड-प्लस” गठबंधन के विचार को अस्वीकार करते हैं और एक अद्वितीय भूराजनीतिक रुख बनाए रखते हैं।

संयुक्त गश्त और भविष्य की संभावनाएँ:

  • भारत P-5 देशों में से केवल फ्रांस के साथ संयुक्त गश्त करता है।
  • द्विपक्षीय आधार पर पोर्ट कॉल और टोही के लिए फ्रांसीसी अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों और भारत के अंडमान द्वीप समूह का उपयोग करने की संभावना।

निष्कर्ष:

  • भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी की विशेषता एक साझा भू-राजनीतिक समझ है, जो मूल्य निर्णय और स्थिति को संरेखित करने के दबाव से रहित है।
  • इस अनूठे दृष्टिकोण ने दोनों देशों को एक मजबूत और स्थायी संबंध बनाने की अनुमति दी है, जो बदलती वैश्विक गतिशीलता के बावजूद विकसित हो रहा है।

सारांश:

  • भारत और फ्रांस परमाणु मामलों में महत्वपूर्ण सहयोग और एक-दूसरे के भू-राजनीतिक रुख के सम्मान के साथ गैर-हस्तक्षेप, रणनीतिक स्वायत्तता और गुटनिरपेक्षता पर आधारित एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी बनाए रखते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

विज्ञान, कानून की अनदेखी कर जीएम सरसों को बढ़ावा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: जैव प्रौद्योगिकी।

मुख्य परीक्षा: भारत में जीएम फसलों पर बहस।

प्रसंग

  • भारत में स्वदेशी रूप से विकसित आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के बीज के लिए पर्यावरण मंजूरी पर बहस चल रही है।

जीएम फसलों की आवश्यकता

  • जीएम फसलें (GM crops) किसानों, कृषि अनुसंधान संगठनों और व्यवसायों द्वारा बनाई गई पारंपरिक किस्मों और संकरों से काफी भिन्न होती हैं।
  • जीएम फसल बनाने के लिए, जैव प्रौद्योगिकीविद् यादृच्छिक ढंग से चुने हुए जीन को पौधे के डीएनए में डालते हैं।
  • एक जीएम फसल सम्मिलन के कारण अब उन विशेषताओं को व्यक्त करती है जो अन्यथा प्रकट नहीं होती।उदाहरण के लिए, जीएम सरसों को ग्लूफ़ोसिनेट शाकनाशी या ब्रॉड-स्पेक्ट्रम शाकनाशी का सामना करने के लिए संशोधित किया गया है।
  • यह अधिक पैदावार के लिए संकर सरसों के बीज बनाने में सक्षम बनाता है।
  • जो किसान जीएम सरसों का उत्पादन कर रहे हैं वे सरसों को छोड़कर सभी वनस्पतियों को नष्ट करने के लिए शाकनाशी का छिड़काव कर सकते हैं।

भारत में जीएम फसलों पर बहस

  • देश की पहली और एकमात्र प्रमाणित जीएम फसल बीटी कपास के अनुभव से कई लोग चिंतित हैं।
  • दीर्घकालिक अध्ययन से संकेत मिलता है कि बीटी कपास ने किसानों के जोखिम और खेती के खर्चों में काफी वृद्धि की है जबकि यह केवल अस्थायी लाभ प्रदान करता है।
  • दूसरी ओर, कुछ बीज व्यवसायों ने महंगे जीएम बीजों से बड़ा मुनाफा कमाया है।

जीएम फसलों पर चिंता

  • नियामक प्रणाली की कमज़ोरियाँ: संसदीय समितियों ने महत्वपूर्ण नियामक प्रणाली की खामियों की ओर ध्यान आकर्षित किया और आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों के विमोचन से पहले अत्यधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया, जो जैव सुरक्षा, पर्यावरणीय खतरे और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं।
  • जोखिम मूल्यांकन में अभिसरण: संसदीय समिति ने शाकनाशी सहिष्णु (HT) फसलों को भारतीय परिवेश में पूरी तरह से अनुपयुक्त घोषित किया और पर्यावरण, ग्रामीण आजीविका और टिकाऊ कृषि पर महत्वपूर्ण परिणामों की चेतावनी दी। इस उदाहरण में, प्रख्यात विशेषज्ञ और जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि एक निश्चित आम सहमति पर पहुंचे हैं। यह किसी भी HT फसल के विमोचन के खिलाफ और जीएम भोजन की शुरूआत से पहले काफी सख्त विनियमन के पक्ष में सबसे मजबूत संभावित तर्क है। इस तरह का अभिसरण इस मिथक को खारिज करता है कि जो लोग जीएम फसलों का विरोध करते हैं वे विकास विरोधी हैं।
  • सरकारी नीतियां: भारी राजनीतिक और तकनीकी सहमति को देखते हुए सरकार को सावधानी पर ध्यान देते हुए HT फसलों की समस्या का स्पष्ट और सशक्त तरीके से निपटारा करना चाहिए। बल्कि, सरकार कानून और विज्ञान दोनों के प्रति अनदेखी करते हुए जीएम सरसों को आगे बढ़ा रही है।
  • न्यायालय को गुमराह करना: सरकार ने हाल ही में तर्क दिया है कि जीएम सरसों को HT बिल्कुल नहीं कहा जाना चाहिए, चूँकि इसके उत्पादन का लक्ष्य HT फसलों के दीर्घकालिक पारिस्थितिक और स्वास्थ्य खतरों के बढ़ते सबूतों को दरकिनार करते हुए पैदावार को बढ़ावा देना था। सरकार का बचाव महज दिखावा है जिसका इस्तेमाल सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने के लिए किया जा सकता है। यदि जीएम सरसों बनाने में लगे वैज्ञानिक अदालत और जनता को धोखा देने पर सहमत हो गए, तो यह आश्चर्यजनक होगा।

निष्कर्ष

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन समिति द्वारा सरकार से जीएम फसलों का विस्तृत, निष्पक्ष और खुला मूल्यांकन करने का अनुरोध किया गया है। सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और कृषि आजीविका से संबंधित संवैधानिक चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए। अगर सर्वोच्च न्यायालय जीएम सरसों को विमोचित करने की मंजूरी दे देता है तो कपास, चावल और मक्का जैसी अन्य HT फसलें भी संभवत: जारी हो जाएंगी।

सारांश:

  • दिल्ली विश्वविद्यालय के आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) शाकनाशी-सहिष्णु (HT) सरसों के खिलाफ पर्यावरणविदों द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक कड़ा संघर्ष जीएम खाद्य तथा भारतीय किसानों और उपभोक्ताओं के बीच का संघर्ष है।

भारत-यूएई के बीच रुपये में व्यापार करने का समझौता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

मुख्य परीक्षा: भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) संबंध।

प्रसंग

  • प्रधानमंत्री की हाल की यूएई यात्रा के दौरान, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और यूएई के सेंट्रल बैंक ने दो समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए।

भारत-यूएई व्यापार समझौते के बारे में अधिक जानकारी: India-UAE Trade deal

भारत-यूएई व्यापार समझौते का प्रभाव

  • स्थानीय मुद्राओं पर प्रभाव:
    • भारत-यूएई समझौता ज्ञापनों का उद्देश्य द्विपक्षीय रूप से रुपये और दिरहम के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (LCSS) बनाना है।
    • परिणामस्वरूप निर्यातक और आयातक चालान (इनवॉइस) भेजने और अपनी संबंधित राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान करने में सक्षम होंगे।
    • इससे INR-AED विदेशी मुद्रा बाजार को लाभ होगा। इसके अतिरिक्त, यह दोनों देशों के बीच व्यापार और प्रेषण को प्रोत्साहित करेगा।
    • सामान्य तौर पर, समझौते से लेनदेन की लागत कम हो जाएगी और संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले भारतीयों के प्रेषण सहित सभी प्रकार के लेनदेन के निपटान समय में तेजी आएगी।
  • निर्यात पर प्रभाव
    • स्थानीय मुद्रा मूल्यवर्ग के निर्यात अनुबंधों और चालानों पर जोर देकर विनिमय दर जोखिमों को कम किया जाता है। इसके अतिरिक्त, इससे उचित कीमतें प्राप्त करना आसान हो जाएगा।
    • इसके अतिरिक्त, यह दोनों देशों की बैंकिंग प्रणालियों के बीच सहयोग के अधिक अवसर खोल सकता है, जिससे दोनों दिशाओं में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

भारतीय प्रेषण के लिए महत्व

  • विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित 2023 प्रवासन और विकास संक्षिप्त विवरण के अनुसार, भारत में 2022 में प्रेषण में 24.4% की साल-दर-साल वृद्धि हुई, जो 111 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई।
  • वर्तमान में, देश के कुल प्रेषण प्रवाह का लगभग 28% GCC (खाड़ी सहयोग परिषद) देशों से आता है।
  • अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर में उच्च कुशल और मुख्य रूप से उच्च तकनीक वाले भारतीय प्रवासी लगभग 36% प्रेषण के लिए जिम्मेदार थे।

सारांश:

  • भारत-यूएई समझौता उच्च ऊर्जा कीमतों को प्रभावित करेगा, जिसने GCC देशों में कम-कुशल भारतीय प्रवासियों के रोजगार और आय को बढ़ावा दिया है, जबकि GCC सरकार ने खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए विशेष उपाय करके भारतीय प्रवासियों की प्रेषण क्षमता की रक्षा की है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.अनियमित मानसून खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे सकता है:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विषय: अर्थव्यवस्था।

प्रारंभिक: सामान्य से कम मानसून का कृषि और मुद्रास्फीति पर प्रभाव।

जुलाई में अधिक आर्द्रता से भी कुछ क्षेत्रों में मानसून में सुधार नहीं हो पाया

  • लंबी अवधि के औसत से अधिक वर्षा के बावजूद दक्षिणी प्रायद्वीप, दक्कन पठार और पूर्वी क्षेत्र में सामान्य से कम मानसून का अनुभव होता है।

ख़रीफ़ की बुआई पिछले साल से कम रही

  • 2022 की तुलना में ख़रीफ़ फसलों का कुल बोया गया क्षेत्र 2% कम हुआ।
  • कमी वाली प्रमुख फसलें: मक्का (5.6%), चावल (6.1%), और दालें (13.3%) हैं।

अरहर की बुआई में भारी गिरावट

  • अरहर की बुआई का रकबा पिछले साल के मुकाबले 38 फीसदी से ज्यादा कम हो गया है।
  • अरहर उत्पादन में कमी का खतरा।

असमान वर्षा वितरण

  • पश्चिम और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अत्यधिक वर्षा होती है।
  • बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में वर्षा कम होती है।

जलाशय स्तर पर प्रभाव

  • पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों के जलाशयों का स्तर पिछले वर्ष की तुलना में कम है।
  • असमान वर्षा वितरण जल उपलब्धता को प्रभावित करता है।

IMD का कुछ राज्यों में कम वर्षा का पूर्वानुमान

  • उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, असम, बिहार, पंजाब और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है।
  • धान और दलहन की बुआई पर और खतरा।

खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि

  • कम वर्षा के कारण चावल और दालों की बुआई कम होती है।
  • खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ जाती हैं।

ख़रीफ़ फसलों के लिए निर्णायक अवधि

  • जुलाई ख़रीफ़ फ़सलों की बुआई के लिए महत्वपूर्ण है।
  • इस महीने में लगभग 32% मानसूनी वर्षा होती है।

2. आंध्रप्रदेश के रुद्रगिरि में प्रस्तर कला:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

विषय: कला एवं संस्कृति।

प्रारंभिक परीक्षा: मध्यपाषाणकालीन चित्र और काकतीय कलाकृतियाँ।

रुद्रगिरि पहाड़ी का ऐतिहासिक महत्व

  • आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के ओरवाकल्लू गांव में स्थित है।
  • एक प्रतिष्ठित अतीत और उल्लेखनीय पुरातात्विक स्मारकों का प्रतिनिधितत्व करता है।

प्रागैतिहासिक शैलचित्र कला और काकतीय कला का संयोजन

  • लगभग 5000 ईसा पूर्व की मध्यपाषाणकालीन शैलचित्र।
  • काकतीय राजवंश (13वीं शताब्दी ई.) की उत्कृष्ट कलाकृति।

मध्यपाषाण युग के शैलाश्रय

  • रुद्रगिरि में पाँच प्राकृतिक रूप से निर्मित शैलाश्रय हैं।
  • मध्यपाषाण काल के दौरान आवासीय स्थल के रूप में कार्य करते थे।

प्राकृतिक गुफाओं में काकतीय कलाकृति

  • पहाड़ी के दक्षिणी छोर पर दो प्राकृतिक गुफाओं में असाधारण भित्तिचित्र प्रदर्शित किए गए हैं।
  • काकतीय काल की कलात्मक प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया है।

काकतीय कलाकृति की भौतिक स्थिति

  • सफेद केओलिन (चीनी मिट्टी) और रंगद्रव्यों से प्राप्त रंगों से सजी पेंटिंग।
  • महाकाव्य रामायण के मनोरम दृश्यों का चित्रण।

गुफाओं में कथात्मक भित्तिचित्र

  • पहली गुफा वानर भाइयों, बाली और सुग्रीव के बीच भीषण युद्ध को चित्रित करती है।
  • बीच की गुफा में हनुमान का संजीवनी पहाड़ी ले जाते हुए एक भव्य रेखाचित्र है।

हनुमान का अनोखा चित्रण

  • तीसरी गुफा में मध्यपाषाण युग के प्रागैतिहासिक शैलचित्र हैं।
  • काकतीय कलाकार ने हनुमान की आकृति को दिव्य अर्पण मुद्रा में चित्रित किया है।

मध्यपाषाणकालीन और काकतीय कला का सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व

  • रामायण की आकृतियाँ मध्यपाषाणकालीन रेखाचित्रों पर हावी नहीं होतीं।
  • आगंतुक दो अलग-अलग कालखंडों की कलात्मक तकनीकों की सराहना कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. निर्यात में गिरावट:
    • व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में कमी:
      • वर्ष 2023 की पहली तिमाही में व्यापारिक निर्यात में 15.1% की गिरावट देखी गई।
      • वित्त वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड $450 बिलियन का निर्यात हासिल किया गया।
    • निर्यात लक्ष्य निर्धारित करने के लिए एक सतर्क दृष्टिकोण:
      • सरकार वर्ष 2023-24 में आउटबाउंड शिपमेंट (अन्य देश को जाने वाला शिपमेंट) के लिए स्पष्ट लक्ष्य की घोषणा करने से बच रही है।
      • इसके अलावा परिदृश्य-आधारित लक्ष्यों की एक श्रृंखला पर विचार कर रही है।
    • प्रारंभिक लक्ष्यों पर पुनर्विचार करना:
      • वाणिज्य मंत्रालय वर्ष 2023-24 में निर्यात के लिए निर्धारित लक्ष्य का पुनर्मूल्यांकन कर रहा है।
      • आंतरिक मंथन चल रहा है; जो पुनर्विचार का संकेत देता है।
    • वस्तु निर्यात में गिरावट का रुझान:
      • अप्रैल में वस्तु निर्यात में 12.6% और मई में 10.2% की गिरावट आई है।
      • जून में 22% की गिरावट के साथ 37 महीनों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई।
    • निर्यातित सेवाओं में धीमी वृद्धि:
      • वित्त वर्ष 2022-23 में 28% की वृद्धि के बाद सेवा निर्यात से विदेशी मुद्रा आय में तीव्र मंदी आई है।
      • सेवा निर्यात केवल 5.2% बढ़कर $80 बिलियन होने का अनुमान है।
    • वर्ष 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य:
      • नई विदेश व्यापार नीति ( Foreign Trade Policy) के अनुसार व्यापक लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं।
      • वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से प्रत्येक के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर हासिल करने का लक्ष्य है।
    • विश्व व्यापार संगठन का पूर्वानुमान:
      • वर्ष 2023 में धीमी वैश्विक व्यापार वृद्धि WTO (WTO’s) की भविष्यवाणी के अनुरूप है।
      • अनिश्चित वैश्विक व्यापार स्थितियों के कारण एकल लक्ष्य पर पुनर्विचार किया गया।
    • पेट्रोलियम निर्यात प्रभावित:
      • पेट्रोलियम निर्यात में पहली तिमाही में 33.2% की भारी गिरावट देखी गई।
      • वैश्विक तेल की कीमतों में कमी गिरावट में योगदान देती है।
  2. भारत-रूस वंदे भारत करार:
    • शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर:
      • रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की हैं।
      • इसमें RVNL, काइनेट रेलवे सॉल्यूशंस लिमिटेड, मेट्रोवैगोनमैश और लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम शामिल हैं।
    • करार में हिस्सेदारी वितरण:
      • RVNL के पास 25% की अल्पमत हिस्सेदारी है।
      • मेट्रोवैगोनमैश के पास 70% की बहुमत हिस्सेदारी बरकरार है।
      • लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में 5% हिस्सेदारी है।
    • कठिन परिस्थितियाँ और शर्तों में बदलाव:
      • शेयरधारिता शर्तों पर असहमति के कारण संयुक्त उद्यम को समस्याओं का सामना करना पड़ा।
      • RVNL ने शुरुआत में 69% बहुमत हिस्सेदारी की मांग की, जिसका मेट्रोवैगोनमैश ने विरोध किया था।
    • विनिर्माण आवश्यकताएँ और स्पेयर पार्ट्स आयात:
      • संयुक्त उद्यम का लक्ष्य ₹120 करोड़ की लागत से 120 वंदे भारत ( Vande Bharat) ट्रेन सेट का निर्माण करना है।
      • ट्रेनों के लिए स्पेयर पार्ट्स को पश्चिमी यूरोपीय और अमेरिकी समकक्षों से आयात करने की आवश्यकता होती है।
    • विश्वास की हानि और विश्वास-बहाली उपाय:
      • रूस-यूक्रेन युद्ध ( Russia-Ukraine war) के बाद रूस को आपूर्तिकर्ता देशों से “विश्वास की हानि/अविश्वास” का सामना करना पड़ रहा है।

    RVNL ने सुचारू परियोजना निष्पादन के लिए विश्वास-बहाली उपाय के रूप में बहुमत हिस्सेदारी की मांग की।

  3. DPT3 टीकाकरण कवरेज:
    • DPT3 वैक्सीन:
      • यह डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टिटेनस टीकों की तीसरी खुराक है।
    • DPT3 वैक्सीन कवरेज में उल्लेखनीय वृद्धि:
      • भारत में DPT3 कवरेज दर वर्ष 2022 में 93% के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
      • वर्ष 2019 में महामारी से पहले के सर्वश्रेष्ठ 91% को पार कर गया और 2021 में 85% से तेज वृद्धि हुई।
    • WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सकारात्मक रुझान:
      • WHO और यूनिसेफ (UNICEF) की रिपोर्ट से पता चलता है कि क्षेत्र का DPT3 कवरेज 91% के महामारी-पूर्व स्तर पर पहुंच गया है।
      • खसरे के टीके के कवरेज में 6% का सुधार देखा गया, जो 2021 में 86% से बढ़कर 2022 में 92% तक पहुंच गया।
    • शून्य-खुराक और आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चों में कमी:
      • शून्य खुराक वाले बच्चों (जिन्हें DPT वैक्सीन की कोई खुराक नहीं मिल रही है) की संख्या 2021 में 4.6 मिलियन से आधी होकर 2022 में 2.3 मिलियन हो गई हैं।
      • आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चे 2021 में 1.3 मिलियन से घटकर 2022 में 6.5 लाख हो गए हैं।
    • भारत और इंडोनेशिया टीकाकरण रिकवरी प्रयासों में अग्रणी:
      • WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सबसे अच्छी टीकाकरण रिकवरी का श्रेय भारत और इंडोनेशिया के प्रयासों को जाता है।
      • WHO दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक, पूनम खेत्रपाल सिंह उनके काम की सराहना करती हैं।
    • अन्य देशों में प्रभावशाली टीकाकरण दरें:
      • इंडोनेशिया ने वर्ष 2022 में 85% DPT3 कवरेज दर्ज किया, जो वर्ष 2021 के 67% से अधिक की उल्लेखनीय वृद्धि है।
      • भूटान ने 98% लक्ष्य हासिल कर लिया है, मालदीव 99% तक पहुंच गया है, जो महामारी-पूर्व दर को पार कर गया है।
    • नियमित टीकाकरण में निरंतरता:
      • बांग्लादेश ने पूरे कोविड-19 महामारी और उसके बाद भी 98% और थाईलैंड ने 97% कवरेज बनाए रखा है।
      • नियमित टीकाकरण सेवाओं के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है।
    • प्रत्येक बच्चा सुरक्षा का हकदार है:
      • क्षेत्रीय निदेशक प्रत्येक बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाने के महत्व पर जोर देते हैं।
      • उन्होंने टीकाकरण कवरेज की गति को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने का आग्रह किया।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. डीपीटी टीकाकरण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. डीपीटी टीका एक संयोजन टीका है जो डिप्थीरिया, पर्टुसिस और टिटेनस जैसी बीमारियों से बचाता है।
  2. 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए इसकी अनुशंसा की जाती है।
  3. डीपीटी टीकाकरण एक ही खुराक में दिया जाता है और उल्लिखित बीमारियों के खिलाफ आजीवन प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • डीपीटी टीकाकरण में विशिष्ट आयु में दी जाने वाली 5 खुराकें शामिल हैं: 2, 4, 6, 18 महीने और 4-6 वर्ष। यह आजीवन प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करता है; बूस्टर खुराक की सिफारिश की जाती है क्योंकि समय के साथ टीके की सुरक्षा कम हो जाती है।

प्रश्न 2. आंध्र प्रदेश में रुद्रगिरि पहाड़ी के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

  1. गुफाओं में काकतीय राजवंश की कलाकृतियाँ महाकाव्य महाभारत के दृश्यों को दर्शाती हैं।
  2. तीसरी गुफा के चित्र गुप्त काल के हैं और मध्यपाषाणकालीन चित्रों पर आधारित हैं।
  3. इसमें मध्यपाषाण काल के प्रागैतिहासिक शैल चित्रों के साथ प्राकृतिक रूप से निर्मित पांच शैलाश्रय हैं।
  4. यह पहाड़ी पश्चिमी घाट में स्थित है और गुप्त काल के दौरान लोगों के रहने के लिए स्थान के रूप में काम करती थी।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन c सही है: आंध्र प्रदेश में रुद्रगिरि पहाड़ी पर मध्यपाषाण काल के प्रागैतिहासिक शैल चित्रों के साथ पांच शैलाश्रय हैं, जो उस युग की कलात्मक अभिव्यक्तियों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

प्रश्न 3. आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों (भारत में विकसित जीएम सरसों) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. जीएम सरसों में ऐसे जीन होते हैं जो पौधे को पर-परागण और संकरण की अनुमति देते हैं।
  2. जीएम सरसों को IARI और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • जीएम सरसों को दिल्ली विश्वविद्यालय के फसलीय पौधों के अनुवांशिक परिवर्तन के लिए केंद्र (CGMCP) द्वारा विकसित किया गया है।

प्रश्न 4. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआर कांगो) के संसाधनों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. डीआर कांगो तांबा, हीरे और सोने सहित खनिज संसाधनों से समृद्ध है।
  2. डीआर कांगो इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी में एक महत्वपूर्ण घटक कोबाल्ट के दुनिया के अग्रणी उत्पादकों में से एक है।
  3. डीआर कांगो में प्राकृतिक संसाधनों के खनन से लोगों को काफी लाभ हुआ है और उनके आर्थिक विकास में योगदान मिला है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 3 गलत है: डीआर कांगो में खनन से लोगों या उनके आर्थिक विकास को कोई लाभ नहीं हुआ है। संसाधन प्रबंधन चुनौतियाँ, शासन संबंधी मुद्दे और असमान धन वितरण के कारण स्थानीय समुदायों का शोषण हुआ है और उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

प्रश्न 5. वंदे भारत ट्रेन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह भारत की पहली स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है।
  2. ट्रेन को चेन्नई में भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है।
  3. वंदे भारत ट्रेन दिल्ली-चेन्नई मार्ग पर चलती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 3 गलत है: वंदे भारत ट्रेन दिल्ली-चेन्नई मार्ग पर नहीं चलती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. श्रीलंका की जातीय समस्याओं पर चर्चा कीजिए और 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन की आवश्यकता का परीक्षण कीजिए। (Discuss Sri Lanka’s ethnic problems and examine the need for the full implementation of the 13th Amendment.(15 marks, 250 words) [GS-2, IR])

(15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]

प्रश्न 2. जीएम फसलों के लाभ और हानियों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। देश में जीएम खाद्य फसलों की शुरुआत करने से पहले भारत को किन पहलुओं पर विचार करना चाहिए? जहां आवश्यक हो, उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।(Critically examine the pros and cons of GM crops. What aspects should India consider before rolling out GM food crops in the country? Illustrate with examples where necessary. (15 marks, 250 words) [GS-3, Environment & Ecology])

(15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-3, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी]

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)