21 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: समाज:
भूगोल:
B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
सामाजिक न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
जाति की जटिलता, उसका विश्लेषण और इसका वर्तमान अवलोकन:
समाज:
विषय भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं एवं उसकी विविधता।
मुख्य परीक्षा: जाति व्यवस्था में बदलाव और इसने जाति के प्रति हमारी समझ को किस प्रकार प्रभावित किया है।
संदर्भ:
- हाल के दिनों में समाज के पिछड़े वर्गों के हाशिए के समुदायों के पुनर्वर्गीकरण की मांग बढ़ी है।
- उदाहरण के लिए झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में एसटी के दर्जे की मांग करने वाले कुर्मी जैसे समुदायों द्वारा किए जाने वाले विरोध और आंदोलन बढ़ रहे है।
- इस समस्या के समाधान के लिए बड़े जाति समूहों के भीतर आंतरिक भेदभाव की प्रक्रिया और लगातार बदलती जातीय गतिशीलता को गहराई से समझने की आवश्यकता है।
- इस लेख के बारे में अधिक जानकारी के लिए 02 अप्रैल 2022 का यूपीएससी परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण पढ़ें।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
राजस्थान में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी वक़्त से पहले:
भूगोल:
विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएं – मानसून
प्रारंभिक परीक्षा: भारत में मानसून।
मुख्य परीक्षा: भारत के लिए मानसून का महत्व।
संदर्भ:
- 2022 में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी शुरु हो गई है।
दक्षिण पश्चिम मानसून (Southwest monsoon):
Image Source: MapsofIndia
- दक्षिण-पश्चिम दिशा से भारतीय उपमहाद्वीप की ओर चलने वाली हवाओं की वजह से इसे दक्षिण-पश्चिम मानसून नाम दिया गया हैं।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून का स्रोत मस्कारेन हाई (Mascarene High ) को माना जाता है जो मस्कारेन द्वीप के पास स्थित एक उच्च दबाव वाला क्षेत्र है।
- दक्षिण पश्चिम मानसून भारत के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये हवाएं देश के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा करती हैं।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर जून से सितंबर के महीनों के बीच रहता है और यह देश की वार्षिक वर्षा में 70% से अधिक का योगदान देता है।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून दो शाखाओं में विभाजित है, अर्थात् अरब सागर की शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा।
- मानसून की अरब सागर शाखा बंगाल की खाड़ी की शाखा मानसून की अपेक्षा अधिक मजबूत होती है।
- भारत में मानसून और दक्षिण पश्चिम मानसून के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Monsoon in India and Southwest Monsoon
विवरण:
Image Source: The Hindu
- भारत मौसम विज्ञान विभाग ( India Meteorological Department (IMD)) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून राजस्थान और कच्छ के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र से पीछे हटने लगा है।
आईएमडी ने कहा हैं कि मानसून की वापसी की पहचान मौसम संबंधी कई स्थितियों के आधार पर की गई हैं जैसे:
- प्रचलित एंटी-साइक्लोनिक सर्कुलेशन यानी चक्रवात की विपरीत परिस्थितियाँ।
- पिछले कुछ दिनों में बारिश की कमी।
- जल वाष्प इमेजरी क्षेत्र में मौजूदा शुष्क मौसम की स्थितियों का उभरना।
- मानसून वापसी एक लंबी प्रक्रिया है जिसका अक्टूबर के मध्य तक पूरा होने की उम्मीद है।
- गौरतलब है कि बारिश के बाद मानसून की वापसी को “मानसून के बाद की बारिश” कहा जाता है।
- इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसूनी वर्षा 1 जून से 20 सितंबर की अवधि में सामान्य से लगभग 7% अधिक हुई है।
- हालांकि दक्षिण-पश्चिम मानसून से अधिकांश वर्षा देश के दक्षिणी प्रायद्वीप और मध्य भागों में हुई, जो क्रमशः 29% और 33% अधिक वर्षा दर्ज की गई है।
- जबकि, भारत के उत्तर-पश्चिम, पूर्वी और उत्तर पूर्वी हिस्सों में सामान्य वर्षा से लगभग 4-17% वर्षा कम हुई।
- मानसून की वापसी के बारे में अधिक जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Retreat of the Monsoon
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अराजक दुनिया में भारत की स्थिति:
विषय: संसद – द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह व भारत के हित को प्रभावित करने वाले समझौते।
प्रारंभिक परीक्षा: शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन।
मुख्य परीक्षा: भारत की बदलती विदेश नीति।
संदर्भ: शंघाई सहयोग संगठन और भारत की बदलती विदेश नीति।
SCO बैठक का महत्व:
- उज्बेकिस्तान ने हाल ही में समरकंद शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक की मेजबानी की। यह एक महत्वपूर्ण बैठक थी क्योंकि इसने मौजूदा संघर्षों से निपटने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए एक नए ढांचे को अपनाने की दिशा में सदस्य राज्यों के विचार जानें।
- बैठक का विशेष महत्व इस तथ्य में भी था कि यह तब हुआ जब दुनिया रूस-यूक्रेनी संघर्ष के संबंध में एक चौराहे पर खड़ी थी।
हालिया शिखर सम्मेलन के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें:
https://byjus.com/free-ias-prep/sansad-tv-perspective-sco-summit-2022/
भारत की बदली हुई विदेश नीति:
- SCO बैठक में भारत की उपस्थिति अपने संबंधो में समझौता किए बिना दोनों ब्लॉकों का हिस्सा बनने की भारत की इच्छा को दर्शाती है।
- भारत ने गुटनिरपेक्षता का एक ‘नया संस्करण’ अपनाया है, जहां वह प्रतिद्वंद्वी गुटों से जुड़े होने के बावजूद अपने लिए एक स्वतंत्र व्यवस्था बना रहा है।
- यह भी तर्क दिया जाता है कि भारत की विदेश नीति सक्रिय होने के बजाय अधिक निष्क्रिय होती जा रही है। उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में भारत की विदेश नीति हकीकत की बजाय कागजो में बेहतर दिखती हैं।
भारत की बदली हुई विदेश नीति के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें:
https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-sep14-2022/
भावी कदम:
- गुटनिरपेक्ष नीति में मूलभूत परिवर्तनों को लागू करने से पहले भारत को गहराई से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
- इसके अलावा, भारत को भविष्य में भारत-चीन संबंधों को सुधारने पर भी विचार करना चाहिए। भारत के विदेश अधिकारियों को संबंधों को मजबूत करने के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। ऐसा ही एक मामला खराब होती चीनी अर्थव्यवस्था का हो सकता है। इससे चीन के आक्रामक व्यवहार में नरमी आएगी और जो भारत के लिए बातचीत का बेहतर अवसर होगा।
- मजबूत होते चीन-रूस गठजोड़ पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें भारत और रूस के बीच मजबूत होते संबंधो को खराब करने की क्षमता है।
- परमाणु पहलुओं को अधिक महत्व देना भारत का सामरिक हित है क्योंकि बहुत लंबे समय से विदेश नीति में यह पहलु दब सा गया है। वर्तमान संदर्भ में जहां चीन की परमाणु ताकत बढ़ रही है और चीन तथा पाकिस्तान के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं,ऐसे में परमाणु स्थिरता अधिक महत्वपूर्ण है।
- यह समय की मांग है कि भारत के विदेश नीति विशेषज्ञ अपनी मौजूदा नीति संरचना को बदल दें और व्यापक पहुंच की तलाश करें, क्योंकि आने वाले दशकों में नई राजनीतिक चुनौतियां सामने होंगी।
- पिछली विरासत और प्रतिद्वंद्वी ब्लॉकों के प्रबंधन को पूरी तरह से नजरअंदाज किए बिना नई प्राथमिकताएं तय की जानी चाहिए।
सारांश: भारत धीरे-धीरे अपनी ‘गुटनिरपेक्ष’ नीति से दूर होता जा रहा है। भारत की विदेश नीति का परिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि भारत नई और पुरानी चुनौतियों व खतरों के चौराहे पर है। क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तनावों की व्याख्या में भी एक बड़े बदलाव की आवश्यकता है। |
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सम्बंधित लिंक्स:
https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-sep17-2022/
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
सुधार और शिक्षकों को ऑन बोर्ड लाने का कार्य:
विषय: शिक्षा के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: शिक्षा।
संदर्भ: शिक्षकों की उपस्थिति को चिह्नित करने के लिए फेशियल टेक्नोलॉजी ऐप का उपयोग करने की पायलट परियोजना।
विवरण:
- आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए कई उपाय किए हैं।
- सुधारों का उद्देश्य एक समान और समावेशी कक्षा वातावरण सुनिश्चित करना है और प्रत्येक व्यक्ति की पृष्ठभूमि की विविधता और शैक्षणिक क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हैं।
- इसका उद्देश्य सामग्री प्रतिधारण से आगे बढ़ना और समस्या-समाधान क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना है। इसका परिणाम सीखने की प्रक्रिया को अधिक अनुभवात्मक, एकीकृत, समग्र बनाना होगा। नतीजतन, यह सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय प्रतिभागियों के रूप में शामिल बच्चों की शिक्षा को ओर अधिक मनोरंजक बना देगा।
- सरकार ने इस संबंध में विभिन्न कदम उठाए हैं जैसे कार्यों की पुनर्परिभाषा, प्रशिक्षण पैटर्न में बदलाव और शिक्षकों का व्यावसायिक विकास।
- राज्य ने पाठ्यक्रम, शिक्षण पद्धति और स्कूल पुनर्गठन में आमूल-चूल परिवर्तन के माध्यम से शिक्षा प्रणाली की एक नई यात्रा शुरू की है।
- सरकार को उम्मीद है कि शिक्षण स्टाफ को कक्षा में पढ़ाने के अपने पारंपरिक दृष्टिकोण को बदलना चाहिए और इसके बजाय नए कौशल और क्षमता का विकास करना चाहिए। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।
इन उपायों पर शिक्षकों ने जताई चिंता:
- स्कूल पुनर्गठन कार्यक्रम जिसके तहत प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा III से V के विलय की आवश्यकता है, के परिणामस्वरूप स्कूल छोड़ने की दर में वृद्धि होगी। इसका कारण यह है कि छात्रों का एक बड़ा वर्ग राज्य के दूरदराज के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में रहता है।
- यह भी रेखांकित किया गया है कि शिक्षण कर्मचारियों के पुनर्निर्धारण पर हाल ही के सरकारी परिपत्र से मौजूदा शिक्षक पदों में कमी आएगी एवं शिक्षकों के कार्यभार में वृद्धि होगी।
- चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग करने वाले शिक्षकों के लिए नई ऐप-आधारित प्रणाली चिंता का एक अन्य प्रमुख कारण है।
- स्कूल शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से एप डाउनलोड करने को कहा है। शिक्षकों को अपनी उपस्थिति दर्ज करते समय स्कूल परिसर में उपस्थित होना आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (U-DISE) से जुड़ी प्रणाली ऐसी तकनीक से लैस है जो स्थान के अक्षांश और देशांतर जैसे मीट्रिक रिकॉर्ड करती है।
- ऐप एक एकीकृत है जिसका उपयोग छात्रों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए भी किया जाता है।
- शिक्षक इस कदम से आशंकित हैं। राज्यों के शिक्षक संघ निर्देशों का पालन करने से इनकार कर रहे हैं और ऐप के इस्तेमाल का बहिष्कार कर रहे हैं।
- शिक्षक संघ आंध्र प्रदेश (APTF) ने राज्य सरकार के खिलाफ राज्य उच्च न्यायालय में मामला दायर किया है। संघ ने सरकार के आदेश को वापस लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।
- मांगें हैं कि सरकार को आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली जैसे उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए, जिसका उपयोग अतीत में उपस्थिति को चिह्नित करने के लिए किया जाता था।
- उपर्युक्त चिंताओं के अलावा एक चिंता दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी न होना है।
- मामले पर सरकार का रुख:
- शिक्षा विभाग का विचार है कि शिक्षक अनुपस्थिति के मुद्दे को हल करने के लिए प्रौद्योगिकी संचालित समाधानों की आवश्यकता है।
- प्रौद्योगिकी के उपयोग से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। पूर्व में उपकरणों के साथ छेड़छाड़ और उपस्थिति प्रणाली में हेराफेरी के कई मामले सामने आए हैं।
सारांश: शिक्षा व्यवस्था को बदलने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि सरकार ऐसे मामलों में बीच का रास्ता निकाले। सरकार शिक्षकों को प्रेरित करने और उन्हें शिक्षा सुधार की यात्रा में समान भागीदार बनाने के लिए छोटे प्रोत्साहन जैसे तरीकों को अपना सकती है। |
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सम्बंधित लिंक्स:
https://byjus.com/free-ias-prep/sansad-tv-perspective-education-reforms/
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
गरिमा के लिए एक झटका
विषय: कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
मुख्य परीक्षा: LGBTQ+ से संबंधित मुद्दे।
संदर्भ: हाल ही में, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने रूपांतरण चिकित्सा को “पेशेवर कदाचार” घोषित किया।
विवरण:
- रूपांतरण चिकित्सा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खतरनाक और बुरी प्रथाओं को शामिल किया जाता है जिसके तहत किसी व्यक्ति की लिंग पहचान और यौन अभिविन्यास को बदला जा सकता है। इन विधियों में शामिल हैं:
- धार्मिक परामर्श सहित परामर्श
- शुद्धि के लिए बलात्कार
- भूत भगाना
- जबरदस्ती भूख से मरना
- इलेक्ट्रो-ऐंठन और शॉक थेरेपी
- लोबोटामि
- विवाह चिकित्सा
- प्रतिकूल उत्तेजना आदि
- रूपांतरण चिकित्सा को एक पेशेवर कदाचार घोषित किया जाता है, बावजूद इसके इसका उपयोग जबरदस्ती किया जाता है। यह यौन अल्पसंख्यक माता-पिता के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय है। ये माता-पिता अपने बच्चों पर समाज के विषमलैंगिक मानदंडों के साथ खुद को रूपांतरण कराने के लिए दबाव डालते हैं।
- भारतीय कानून में अपराध के लिए तत्काल कोई प्रावधान नहीं है लेकिन चिकित्सकीय लापरवाही के तहत डॉक्टरों के खिलाफ नागरिक जिम्मेदारियों की आड़ ली जा सकती हैं।
- एस सुषमा बनाम पुलिस आयुक्त मामले (2021) में मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु में रूपांतरण चिकित्सा पर रोक लगा दी। HC ने यह भी सुझाव दिया कि इस तरह के रूपांतरण उपचारों में शामिल पाए जाने वाले पेशेवरों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। दंड के रूप में उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
- शीर्ष चिकित्सा नियामक निकाय, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने सभी राज्य चिकित्सा परिषदों को भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 के तहत रूपांतरण चिकित्सा पर प्रतिबंध लगाने का भी निर्देश दिया है।
रूपांतरण चिकित्सा के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें:
भावी कदम:
- रूपांतरण चिकित्सा से जुड़ी प्रथाओं के अपराधीकरण के साथ-साथ एक प्रभावी और सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। भारत से इस कुप्रथा को समाप्त किया जाना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट 2018 के नवतेज सिंह जौहर मामले को भी मद्देनजर रखना चाहिए।
सारांश: रूपांतरण चिकित्सा जैसी प्रथाएं भारतीय संविधान में निहित ‘व्यक्ति की गरिमा’ के सिद्धांत पर हमला हैं। हमारे संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को जाति, पंथ, लिंग या यौन भिन्नता के बावजूद यह मौलिक अधिकार दिया है। इस प्रकार, इस अमानवीय प्रथा को तत्काल कानून की आवश्यकता है। |
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.धब्बेदार हिरण या चीतल (Spotted Deer or Chital):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जैव विविधता:
विषय: जैव विविधता
प्रारंभिक परीक्षा: चीतल या धब्बेदार हिरण से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- मध्य प्रदेश वन विभाग ने उन विभिन्न रिपोर्टों का खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया है कि चीतल या धब्बेदार हिरणों को राजस्थान से कुनो राष्ट्रीय उद्यान में पुनर्वासित किए गए चीतों के शिकार के लिए भेजा जा रहा है।
चीतल या धब्बेदार/चित्तीदार हिरण:
Image Source: www.iucnredlist.org
- चीतल एक एशियाई हिरण प्रजाति है, जो सर्वडाई (Cervidae) परिवार से संबंधित है।
- यह हिरण प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप की मूल निवासी या स्थानीय प्रजाति है। भारत के अलावा, यह नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में भी पाया जाता है।
- इस प्रजाति की प्रमुख विशेषता इसकी धब्बेदार त्वचा है।
- आईयूसीएन स्थिति: खतरे से बाहर (Least Concern) (संकटमुक्त (Least Concern या LC) – जाति को बहुत कम ख़तरा है -यह बड़ी तादाद और विस्तृत क्षेत्र में पाई जाने वाली जाति है )
- इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची III के तहत भी सूचीबद्ध किया गया है।
2.अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र प्रारंभिक परीक्षा से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: महत्वपूर्ण दिवस।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के बारे में।
अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की शुरुआत 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। बाद में 2001 में, आधिकारिक तिथि 21 सितंबर घोषित की गई।
- उद्देश्य: 24 घंटे अहिंसा और संघर्ष विराम का पालन करके शांति के आदर्शों को मजबूत करना।
- 2022 की थीम: “नस्लवाद को समाप्त करें, शांति का निर्माण करें” (End racism. Build peace)।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:International Day of Peace
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. चीन अब भी एक विकट चुनौती बना हुआ है: नौसेना प्रमुख
- नौसेना प्रमुख के अनुसार, चीन एक विकट चुनौती बना हुआ है क्योंकि उसने भारत की भूमि सीमाओं के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
- चीन ने वर्ष 2008 से हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region (IOR) ) में अपनी उपस्थिति और संचालन बढ़ाने के लिए अपने “एंटी-पायरेसी ऑपरेशन” (anti-piracy operations) का इस्तेमाल किया है।
- विभिन्न चीनी नौसेना इकाइयाँ जैसे युद्धपोत, अनुसंधान जहाज और मछली पकड़ने के जहाज वर्तमान में हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region (IOR)) में तैनात हैं और कहा जाता है कि भारतीय नौसेना ने उनके संचालन पर कड़ी नज़र रखी है।
- इसके आलावा लद्दाख के चुशुल क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control (LAC)) के साथ लगती हुई अंतिम बस्तियों में से एक के ग्राम प्रधान ने कहा कि पिछले साल, कुग्रांग घाटी में भारतीय सैनिकों द्वारा गश्ती बिंदुओं से पीछे हटने के बाद गांव के पास कम से कम तीन बड़े चराई क्षेत्रों को “नो-मैन्स लैंड” या “बफर जोन” में बदल दिया गया है।
- अप्रैल 2020 से, भारतीय सैनिकों को PPs 9, 10, 11, 12, 12A, 13, 14, 15, 17, 17A तक पहुँचने से रोक दिया गया है।
- ये अवरुद्ध स्थल पीपी उत्तरी लद्दाख में देपसांग मैदानों से लेकर दक्षिण में पैंगोंग त्सो झील तक फैले हुए हैं।
- पीपी या गश्त बिंदु अपरिभाषित एलएसी के साथ ऐसे अंतिम बिंदु हैं, जहां तक भारतीय सैनिक गश्त करते हैं।
2.सरकार पराली जलाने, प्रदूषण को रोकने के लिए धान के खेतों में बायो डीकंपोजर घोल का छिड़काव करेगी:
- सर्दियों के दौरान पराली जलाने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा इस साल धान के खेतों में 5,000 एकड़ से अधिक धान के खेतों में मुफ्त बायो-डीकंपोजर स्प्रे करने की उम्मीद है।
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित एक बायो-डीकंपोजर कैप्सूल एक सप्ताह बाद घोल में बदल जाता है, और बाद में यह पुआल और पराली को खाद में बदल देता है।
- इस पद्धति का पहली बार उपयोग वर्ष 2020 में किया गया था और उसके बाद वर्ष 2021 में इसका उपयोग किया गया था। पिछले प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिले हैं और इससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ी है।
- दिल्ली के पास धान के खेतों में पराली जलाना सर्दियों के मौसम में इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।
3.दास ने डेटा गोपनीयताव दरों जैसे डिजिटल ऋण देने के मुद्दों को उठाया:
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल ऋण से संबंधित गंभीर चिंताओं को उठाया है जिसमें जबरन ब्याज दरों, अनैतिक वसूली प्रथाओं और डेटा गोपनीयताकी समस्याओं के बारे में मिली शिकायतें शामिल हैं।
- उन्होंने जोर देकर कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए फिनटेक उद्योग को शासन, व्यवसाय आचरण, नियामक अनुपालन और जोखिम शमन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
- जून 2020 में, RBI ने नियामक दिशा निर्देश जारी किए थे जिसके लिए डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म को उन बैंकों या NBFC के नामों का खुलासा करने की आवश्यकता थी, जिनकी ओर से वे अग्रिम ऋण प्रदान कर रहे थे।
- इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य एक ओर ग्राहक सुरक्षा और व्यावसायिक आचरण को संतुलित करना और दूसरी ओर नवाचार का समर्थन करना था । उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के नवाचार को जिम्मेदार होना चाहिए और वित्तीय प्रणाली की दक्षता को बढ़ाना चाहिए।
- आरबीआई गवर्नर ने कहा हैं कि फिनटेक व्यवसाय की स्थिरता मुख्य रूप से बेहतर ग्राहक सुरक्षा, बेहतर साइबर सुरक्षा,लचीलापन, वित्तीय अखंडता के प्रबंधन और मजबूत डेटा सुरक्षा पर निर्भर है जिसमे उचित परिश्रम करके, संभावित जोखिमों को प्रारंभिक चरण में कम किया जा सकता है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ला नीना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- भारतीय संदर्भ में, ला नीना मानसून के मौसम के दौरान अच्छी वर्षा से जुड़ा है।
- ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में और आम तौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में ला नीना के कारण अधिक वर्षा होती है।
- ला नीना का शीतलन प्रभाव अस्थायी रूप से वैश्विक तापमान में वृद्धि को धीमा कर रहा है लेकिन यह दीर्घकालिक वार्मिंग प्रवृत्ति को रोक या उलट नहीं सकेगा।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: ला नीना भारतीय संदर्भ में मानसून के मौसम के दौरान अच्छी वर्षा से जुड़ा है।
- कथन 2 सही है; आमतौर पर, ला नीना से ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अधिक वर्षा होती है।
- कथन 3 सही है: ला नीना का शीतलन प्रभाव अस्थायी रूप से वैश्विक तापमान में वृद्धि को धीमा कर देता है,लेकिन यह दीर्घकालिक वार्मिंग प्रवृत्ति को समाप्त या उलट नहीं सकेगा।
प्रश्न 2. भारत के आदिवासियों से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (स्तर – मध्यम)
- अनुसूचित जनजातियों की सूची में एक जनजाति को शामिल करने का अंतिम निर्णय राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा एक अधिसूचना जारी करने के बाद लागू होता है जिसमें अनुच्छेद 341 में निहित शक्तियों के तहत परिवर्तनों को निर्दिष्ट किया गया है।
- अनुसूचित जनजातियों की सूची में किसी समुदाय का समावेश या बहिष्करण तभी प्रभावी होता है जब संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करने वाला विधेयक लोकसभा और राज्य सभा दोनों द्वारा पारित किया जाता है।
- राज्य सरकार अपने विवेक से कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में जोड़ने या बाहर करने की सिफारिश करने का विकल्प चुन सकती है।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) एक कथन सही है
(b) दो कथन सही हैं
(c) सभी कथन सही हैं
(d) सभी कथन गलत हैं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: किसी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का अंतिम निर्णय राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा एक अधिसूचना जारी करने के बाद लिया जाता है, जिसमें अनुच्छेद 342 में निहित शक्तियों के तहत परिवर्तनों को निर्दिष्ट किया गया है।
- अनुच्छेद 341 अनुसूचित जातियों से संबंधित है।
- कथन 2 सही है: संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करने वाले विधेयक पर राष्ट्रपति की सहमति के बाद ही समावेश या बहिष्करण प्रभावी होता है, जैसा कि लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित करने के बाद जो भी उचित हो।
- कथन 3 सही है: राज्य सरकार अपने विवेक के आधार पर कुछ समुदायों को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की सूची में जोड़ने या बहार करने की सिफारिश करने का विकल्प चुन सकती है।
प्रश्न 3. लम्पी त्वचा रोग (Lumpy skin disease) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- लम्पी त्वचा रोग के उपचार के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
- लम्पी त्वचा रोग मुख्य रूप से मच्छरों और मक्खियों जैसे कीड़ों (वैक्टर) के काटने से जानवरों के बीच फैलता है।
- यह बीमारी जूनोटिक है, यानी यह जानवरों से इंसानों में भी फैल सकती है।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: लम्पी त्वचा रोग के उपचार के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं हैं।
- वर्तमान में इसके इलाज के लिए केवल लक्षण-विशिष्ट उपचार उपलब्ध हैं,जैसे त्वचा के घावों के उपचार के लिए घाव देखभाल स्प्रे एवं द्वितीयक त्वचा संक्रमण और निमोनिया को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग।
- कथन 2 सही है: लम्पी त्वचा रोग मुख्य रूप से रक्त-पोषक कीड़ों जैसे मक्खियों, मच्छरों और टिक्स से फैलता है।
- कथन 3 सही नहीं है: लम्पी त्वचा रोग जूनोटिक नहीं है,क्योंकि इसका वायरस अत्यधिक मेजबान विशिष्ट है जो कि मनुष्यों में नहीं फैलता है।
प्रश्न 4. प्रवर्तन निदेशालय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- धन शोधन निवारण अधिनियम राज्य सरकारों की सहमति से ED को देश भर में अपने व्यापक कार्यक्रम के तहत किसी भी अपराध का संज्ञान लेने की अनुमति देता है।
- PMLA के तहत वर्ष 2015 और 2018 में किये गए संशोधनों के बाद, ED को भारत में विदेशों में अर्जित संपत्तियों के बराबर संपत्तियां संलग्न करने की अनुमति दी गई थी।
- PMLA के तहत, जमानत का प्रावधान यह निर्धारित करता है कि एक मजिस्ट्रेट किसी आरोपी को तब तक जमानत नहीं देगा जब तक कि वह आश्वस्त न हो जाए कि प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।
उपर्युक्त कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए :
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: धन शोधन निवारण अधिनियम ईडी को राज्य सरकारों की सहमति के साथ या उसके बिना देश भर में अपने व्यापक कार्यक्रम के तहत किसी भी अपराध का संज्ञान लेने की अनुमति देता है।
- कथन 2 सही है: वर्ष 2015 और 2018 में किये गए संशोधनों के बाद, ईडी को भारत में विदेशों में अर्जित की गई संपत्तियों के बराबर संपत्ति कुर्क करने की अनुमति दी गई है।
- कथन 3 सही है: पीएमएलए के तहत, जमानत का प्रावधान यह निर्धारित करता है कि एक मजिस्ट्रेट किसी आरोपी को तब तक जमानत नहीं देगा जब तक कि वह आश्वस्त न हो जाए कि प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है।
प्रश्न 5. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक कथन सही है? PYQ (2019) (स्तर-कठिन)
(a) अपशिष्ट उत्पादक को पांच कोटियों में अलग-अलग करना होगा।
(b) ये नियम केवल अधिसूचित नगरीय स्थानीय निकायों, अधिसूचित नगरों तथा सभी औद्योगिक नगरों पर ही लागू होंगे।
(c) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिए सटीक और ब्यौरेवार मानदंडों का उपबंध है।
(d) अपशिष्ट उत्पादक के लिए यह अनिवार्य होगा कि किसी एक जिले में उत्पादित अपशिष्ट, किसी अन्य जिले में न ले जाया जाए।
उत्तर: c
व्याख्या:
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में लैंडफिल और अपशिष्ट प्रसंस्करण स्थलों की पहचान के लिए सटीक और विस्तृत मानदंड तय किए गए है।
- नियमों के अनुसार लैंडफिल साइट नदी से 100 मीटर, तालाब से 200 मीटर, राजमार्गों, बस्तियों, सार्वजनिक पार्कों और कुओं से 200 मीटर और हवाई अड्डों/एयरबेस से 20 किमी दूर होगी।
- इसके अलावा, पहाड़ियों पर लैंडफिल के निर्माण नहीं किया जा सकता है।
- पहाड़ी क्षेत्रों में सेनेटरी लैंडफिल के निर्माण के लिए मैदानी क्षेत्रों में 25 किलोमीटर के दायरे में भूमि की पहचान की जाएगी। हालांकि, पहाड़ी इलाकों में ट्रांसफर स्टेशन और प्रोसेसिंग सुविधाएं चालू रहेंगी।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. रूपांतरण चिकित्सा से आप क्या समझते हैं ? क्या इसका अपराधीकरण किया जाना चाहिए? कथन का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस 1 – सामाजिक मुद्दे)
प्रश्न 2. एक राज्य का राज्यपाल दो नावों पर सवार रहता है, और इसलिए व्यवहार में दुविधाएं पैदा हो जाती हैं। टिप्पणी कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस 2 – राजव्यवस्था)