23 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
सुरक्षा:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
धीमी/स्थिर जमा वृद्धि पर RBI की चिंता:
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) और नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: मैक्रोइकॉनॉमिक्स में रुझान, जमा वृद्धि और ऋण वृद्धि, और बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता।
संदर्भ:
- भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India (RBI)) के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल ही में सार्वजनिक और कुछ निजी क्षेत्र के बैंकों के एमडी (MDs) और सीईओ (CEOs) से मुलाकात की और उन्हें व्यापक आर्थिक स्थिति में बदलाव के बारे में “सतर्क रहने” (remain watchful) की सलाह दी हैं।
वे कारण जिसकी वजह से बैंकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है:
- रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विशेष रूप से यूरोप में जो ऊर्जा मुद्रास्फीति और संकट उत्पन्न हुआ है।
- अपनी शून्य-कोविड नीति के अनुरूप बार-बार लॉकडाउन लगाने के कारण चीन में आई आर्थिक मंदी।
- इसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीतिक दबावों के कारण जीवन यापन की लागत में वृद्धि हुई हैं।
- इन उपरोक्त कारणों के चलते दुनिया भर में, विशेष रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की मौद्रिक नीतियों को कठोर किया जा रहा है, जिससे उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय स्थिरता के जोखिम के बारे में चिंताएँ पैदा हुई हैं।
- मुख्य रूप से “ड्रैग” (बाधा) की यह समस्या विकासशील और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में दो तरह से होती है:
- उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में बाहरी मांग कम होने से निर्यात मांग में कमी आ जाती है जो आर्थिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है,अब यह केवल घरेलू मांग से संचालित होगी जो अपर्याप्त हो सकती है।
- इन देशों में बढ़ी हुई वैश्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में पूंजी के प्रवाह को नकारात्मक तौर पर प्रभावित करती हैं, जिससे घरेलू मुद्रा और उच्च आयातित मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ जाता है।
- मैक्रोइकॉनॉमिक आउटलुक में मौजूदा स्थितियों का विश्लेषण करते हुए, RBI ने अपने नवंबर के बुलेटिन में कहा था कि “(घरेलू) मैक्रोइकॉनॉमिक आउटलुक को सबसे अधिक स्थिति-स्थापक (लचीली) लेकिन दुर्जेय वैश्विक विपरीत परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील बताया जा सकता है।”
ऋण वृद्धि की तुलना में जमा वृद्धि:
- आमतौर पर, बैंकों की क्रेडिट-संवितरण क्षमताएं बैंकों के इन-हाउस रिजर्व (आंतरिक भंडार) द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
- इसके अलावा बाजार में ऋण की मांग आमतौर पर अधिक आर्थिक गतिविधि के साथ बढ़ती जाती है।
- हालाँकि, RBI के नवीनतम बुलेटिन के अनुसार वर्तमान में कुल घरेलू माँग “असमान प्रोफ़ाइल” (uneven profile) के स्तर पर है।
- अब शहरी मांग भी मजबूत होती दिख रही है और ग्रामीण मांग जो काफी देर से सुस्त पड़ी हुई थी, उसमें भी अब कुछ तेजी आनी शुरू हो गई है।
- इस बढ़ी हुई मांग के कारण, वाणिज्यिक बैंक ऋण ने बाजार में वृद्धि दर्ज की है जो सेवाओं, व्यक्तिगत ऋण, कृषि और उद्योग के क्षेत्र से शरू हुई है।
- हाल के रुझानों से पता चलता है कि कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंक ऋण की प्राथमिकता बढ़ रही है।
- आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए कुल जमा में साल-दर-साल आधार पर 11.4% की तुलना में 8.2% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- हालांकि साल-दर-साल आधार पर 7.1% की वृद्धि की तुलना में क्रेडिट ऑफ-टेक में 17% की वृद्धि हुई है।
- विशेषज्ञों की राय है कि जमा वृद्धि कम नहीं हुई है, लेकिन हाल की तिमाहियों में ऋण वृद्धि में वृद्धि हुई है।
- आर्थिक गतिविधियों में कमी के कारण महामारी के दौरान ऋण वृद्धि धीमी गति से चल रही थी।
- आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने से ऋण वृद्धि तेजी से बढ़ी है।
- अन्य विशेषज्ञ इस तथ्य पर प्रकाश डालते हैं कि स्थिर जमा दरें भी धीमी जमा वृद्धि का कारण हैं।
- बैंकों ने ऋण पोर्टफोलियो के माध्यम से उच्च दरों पर लोन दिया है और जमा दरों के संबंध में एक मानक दृष्टिकोण अपनाया है।
- हालाँकि इस दृष्टिकोण ने बैंकों को अपने शुद्ध ब्याज मार्जिन में वृद्धि करने में मदद की है, लेकिन यह आगे ऋण वितरित करने की उनकी क्षमता बढ़ाने में विफल रहा है।
बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता का रुझान:
- RBI के नवीनतम बुलेटिन ने बताया है कि सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां ( non-performing assets (NPAs)) लगातार कम हो गई हैं,और इसके कारण अब शुद्ध NPA कुल संपत्ति का 1% तक कम हो गया है।
- इसके अलावा तरलता कवर (अर्थात बाजार में पैसे का प्रवाह बढ़ा हैं) मजबूत हो रहा है साथ ही लाभप्रदता में भी वृद्धि हुई है,लेकिन अभी भी बाजार सहभागियों ने मौजूदा मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति के कारण कॉरपोरेट्स के संबंध में चिंता जताई है।
- इसके संदर्भ में केंद्रीय वित्त मंत्री ने माना है कि कॉर्पोरेट ऋण बही (LOAN BOOK ) में संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है क्योंकि हाल के वर्षों में कॉरपोरेट भारत में डी-लीवरेजिंग (de-leveraging-किसी की संपत्ति को तेजी से बेचकर किसी के ऋण के स्तर को कम करने की प्रक्रिया या प्रथा।) हुई है, जिसके माध्यम से अधिकांश कॉरपोरेट्स ने अपने ऋण स्तर में कटौती की है और अपनी क्रेडिट प्रोफ़ाइल में सुधार किया है।
- इसके अलावा नैशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (National Asset Reconstruction Company Limited (NARCL) ) की स्थापना के कारण कॉरपोरेट NPA के आगामी वित्तीय वर्ष में कम होने की उम्मीद है, जो एक निश्चित राशि के कॉर्पोरेट ऋण NPA को ले लेगा जो अभी भी बैंकों के पास हैं।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
महिला IAF अधिकारियों की पेंशन पर SC का फैसला:
सुरक्षा:
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियां और उनका शासनादेश।
मुख्य परीक्षा: सशस्त्र बलों में महिलाओं की नियुक्ति और भूमिका।
संदर्भ:
- सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायु सेना (IAF) को 32 शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) महिला अधिकारियों को पेंशन लाभ देने पर विचार करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने 12 साल तक बहाली और स्थायी कमीशन लेने के लिए संघर्ष किया है।
- महिला अधिकारी वर्ष 1993-1998 के बीच सेवा में शामिल हुई थीं और वर्ष 2006 से 2009 के बीच सेवा से मुक्त होने से पहले उन्हें क्रमिक रूप से छह और चार साल का विस्तार दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के विचार:
- सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शामिल थे, इन्होने कहा कि “इन महिला SSC अधिकारियों को एक प्रचलित नीति के अनुसार स्थायी कमीशन का दावा करने के लिए अवसर दिए जाने की अपेक्षा वैध थी”।
- सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के माध्यम से प्रदत्त अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए कहा कि इस विवाद में महिला SSC अधिकारियों को पेंशन लाभ देने पर विचार किया जाना चाहिए।
- राष्ट्र की सेवा करने की अनिवार्यताओं से संबंधित आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए, न्यायालय ने कहा कि इन महिला अधिकारियों की बहाली एक व्यवहार्य विकल्प नहीं हो सकता है।अदालत ने कहा है कि सेना में नौकरी करने के पैमाने जैसे फिटनेस आदि को देखते हुए बहाली करना ठीक नहीं होगा।
- अदालत ने आगे कहा कि भारतीय वायु सेना इन महिला अधिकारी अपीलकर्ताओं के मामलों की नवंबर 2010 की मानव संसाधन नीति के आधार पर इनकी उपयुक्तता की जांच करेगी जिसमे यह स्पष्ट किया जाएगा कि अधिकारी बकाया वेतन के हकदार क्यों नहीं होंगे,अगर इन महिलाओं को इसके लिए योग्य माना जाएगा तो एचआर पॉलिसी, 2010 के आधार पर इन्हें पेंशन लाभ दिया जाएगा।
- इसके अतिरिक्त, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने “निष्पक्ष दृष्टिकोण” अपनाने के लिए भारतीय वायुसेना की सराहना भी की।
- भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Women in the Indian Armed Forces
सशस्त्र सेवाओं में महिलाओं को स्थायी कमीशन:
- भारतीय सेना से पहले भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना भी महिलाओं को स्थायी कमीशन देती रही है।
- सुप्रीम कोर्ट ने बबीता पुनिया मामले (फरवरी 2020) में अपने एक बेहतरीन फैसले के माध्यम से सेना को निर्देश दिया कि महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन के साथ-साथ युद्ध के अलावा अन्य सभी सेवाओं में कमांड पोस्टिंग दी जानी चाहिए।
- बाद में मार्च 2021 में, लेफ्टिनेंट कर्नल नितिशा बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेना की चयनात्मक मूल्यांकन प्रक्रिया को स्थायी कमीशन की मांग करने वाली महिला अधिकारियों के प्रति भेदभावपूर्ण और नकारात्मक तौर पर प्रभावित पाया गया।
- हाल ही में, भारत के रक्षा राज्य मंत्रालय ने कहा है कि सेना में महिलाओं को 10 शस्त्रों और सेवाओं में अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया जाता है और एक स्थायी कमीशन प्रदान किया गया है।
- इसके अलावा, मंत्रालय ने यह भी कहा कि महिलाएं भारतीय सशस्त्र बलों में चिकित्सा डॉक्टरों और दंत चिकित्सकों के रूप में भी सेवा दे रही हैं,साथ ही सैन्य नर्सिंग सेवा में केवल महिलाएं ही नर्स के रूप में सेवा दे रही हैं और वर्ष 2019 से महिलाओं को सैन्य पुलिस कोर में जवानों के रूप में भी शामिल किया जा रहा है।
- नौसेना ने महिला अधिकारियों के लिए 12 शाखाएं, संवर्ग और विशेषज्ञता भी शुरू की हैं।
- महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों के समान ही भारतीय वायुसेना में अधिकारियों के रूप में सभी हथियारों को चलाने और अन्य विभागों में सेवा दे रही हैं।
- वर्तमान में भारतीय वायुसेना में चिकित्सा, दंत चिकित्सा और नर्सिंग अधिकारियों को छोड़कर लगभग 1,640 महिला अधिकारी हैं।
- संख्या में 15 लड़ाकू पायलट, 53 परिवहन और हेलीकाप्टर पायलट भी शामिल हैं।
- IAF की फाइटर स्ट्रीम 2016 से महिलाओं के लिए खोल दी गई है।
- इसके अलावा, अग्निपथ योजना (Agnipath scheme) के तहत महिलाओं को भी अग्निवीर के रूप में शामिल किया जाएगा।
- सेना: कमांडिंग रोल में महिलाओं के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Army: Women in Commanding Role: RSTV – Big Picture
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में ‘भारत ध्रुव तारे के समान’:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
विषय: वैश्विक समझौतों में भारत का शामिल होना।
मुख्य परीक्षा: भारत अंतर्राष्ट्रीय विश्व व्यवस्था में एक ‘ध्रुव’ के रूप में उभर रहा है।
विवरण:
- वैश्विक राजनीति, विशेष रूप से एक तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिम के देश और दूसरी तरफ रूस जैसे प्रतिस्पर्धी ब्लॉकों में भारत की प्रधानता से संबंधित प्रश्न की आवृत्ति में बढ़ोतरी हुई है।
- हालाँकि, भारत इन मामलों पर अनिच्छा दर्शाता है और पक्ष लेने से इंकार करता है, क्योंकि वह स्वयं को एक ‘पक्ष’ मानता है, जिसके हितों का अन्य शिविरों / ब्लॉकों / ध्रुवों से कोई लेना-देना नहीं है। उदाहरण के लिए, जब भू-राजनीतिक शक्तियां यूक्रेन के मुद्दे पर भारत का समर्थन मांग रही थीं, तब भारत ने उनमें से किसी का भी पक्ष नहीं लिया।
- भारत भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दो संस्थानों G20 और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का नेतृत्व ग्रहण करेगा।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: The Shanghai Cooperation Organisation (SCO) – UPSC Notes (GS II)
भारत एक ‘ध्रुव’ के रूप में:
- भारतीय नीति निर्माता देश को बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में एक ध्रुव के रूप में देखते हैं। इस विचार की उत्पत्ति भारत के स्वतंत्रता के संघर्ष में खोजी जा सकती है। उदाहरण के लिए,
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गांधीजी, जवाहरलाल नेहरू और बाल गंगाधर तिलक आदि जैसे नेताओं की आजादी की अभिव्यक्ति।
- भारत की स्वयं की सभ्यतागत भावना।
- अतीत का गुटनिरपेक्ष आंदोलन।
- भारत की विदेश नीति का दृष्टिकोण एक अनूठा प्रयोग रहा है। हालांकि इसकी अपनी कमियां हैं, इसने बाहरी एजेंसी के अपने विशिष्ट भाव को दूर नहीं किया है।
- एक ध्रुव के रूप में भारत का खुद का विचार इस बात से भी स्पष्ट है कि इसने आजादी के बाद कई दशकों तक गुटनिरपेक्षता की अवधारणा को आगे बढ़ाया।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत की गुटनिरपेक्षता को अक्सर तटस्थता के रूप में गलत व्याख्या की जाती है। हालाँकि, भारत के लिए, यह केस-दर-केस आधार पर किसी दिए गए मुद्दे पर निर्णय लेने की क्षमता है।
- आधुनिक भारत दूसरे ध्रुव के नेतृत्व में या किसी गठबंधन में शामिल होने से इंकार करता है तथा स्वयं को एक ध्रुव के रूप में देखता है।
‘ध्रुव’ का विवरण:
- ध्रुवीयता का प्राचीन दृष्टिकोण बड़ी शक्तियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का वर्चस्व, उनके द्वारा शक्ति संतुलन और विचारधारा या शक्ति वितरण के आधार पर गठबंधन बनाना है।
- हालाँकि, भारत एक ध्रुव के रूप में अपने बारे में एक अलग दृष्टिकोण रखता है, क्योंकि इसने सक्रिय रूप से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय उपतंत्र पर हावी होने की कोशिश नहीं की है। इसके अतिरिक्त, इसका संतुलित व्यवहार औसत स्तर का रहा है, क्योंकि इसने गठजोड़ बनाने या किसी कैंप का हिस्सा बनने या किसी खास समूह के प्रति निष्ठावान बनने से इनकार कर दिया है।
- भारत के एक ध्रुव होने के विचार में शामिल तत्व:
- भारत का मानना है कि दक्षिण एशिया में उसकी एक रणनीतिक परिधि है, जिसमें प्रधानता का स्वाभाविक दावा है।
- यह उस क्षेत्र में अन्य शक्तियों के हस्तक्षेप को और हतोत्साहित करता है।
- यह दक्षिण एशिया, NAM, वैश्विक दक्षिण, विकासशील राष्ट्रों आदि जैसे वंचित समूहों के लिए अलग-अलग स्तर पर बोलता है। यह कानून के शासन और क्षेत्रीय व्यवस्था का भी पक्षधर है।
- यह बहुत स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में भारत की ऐतिहासिक भूमिका किसी नियम को निर्धारित करने या किसी खास समूह के प्रति निष्ठा के बजाय सामान्य वस्तुओं के प्रदाता की अधिक रही है।
- यूक्रेन, इराक, सर्बिया में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के हवाई अभियान, जलवायु परिवर्तन आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर भारत की प्रतिक्रिया से संकेत मिलता है कि यह अपना स्टैंड लेने के लिए इच्छुक है,जो न केवल उसके हितों के अनुकूल है बल्कि वैश्विक मंच पर एक विशिष्ट भूमिका निभाने की भावना से भी अवगत है।
निष्कर्ष:
- यह याद रखना चाहिए कि भारत हिंद-प्रशांत और उससे आगे के क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति है। इसमें सुरक्षा, जलवायु और ऐसी अन्य चुनौतियों से निपटने की क्षमता है, जिनके परिणाम दुनिया भर में हो सकते हैं।
- इसलिए पश्चिमी शक्तियों को भारत को एक भागीदार के रूप में मानना चाहिए और भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे वैश्विक संगठनों में शामिल करना चाहिए।
- इसके अलावा, जैसा कि भारत 2022 में G20 और SCO की अध्यक्षता ग्रहण करता है, यह आगे दुनिया में एक प्रमुख ध्रुव के रूप में खुद को स्थापित करने का प्रयास करेगा। इस प्रकार, एक विशेष कैंप का हिस्सा बनने की मांग को खारिज करता है।
संबंधित लिंक:
Details of Principles of India’s Foreign Policy
सारांश:
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स्थानीय जलवायु कार्रवाई का पर्याय मीनांगडी:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय: जलवायु परिवर्तन।
मुख्य परीक्षा: जलवायु परिवर्तन से निपटने में स्थानीय स्वशासन की भूमिका।
संदर्भ:
- जलवायु परिवर्तन से निपटने में विभिन्न ग्राम पंचायतों द्वारा अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथा।
जलवायु परिवर्तन से निपटने में पंचायतों की भूमिका:
- पिछले कुछ दशकों में जलवायु संबंधी आपदाओं में कई गुना वृद्धि हुई है। भारत की अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और कृषि में लगी हुई है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा और तापमान में अधिक परिवर्तनशीलता सीधे तौर पर लाखों लोगों की आजीविका और समग्र कल्याण को प्रभावित करती है।
- जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना 2008 राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की एक श्रृंखला की पहचान करती है। हालाँकि, यदि पंचायती राज संस्थाओं को इस संदर्भ में अधिक भूमिका दी जाती है तो बहुत बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।
- विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करती है और इस प्रकार पंचायतें अनुकूलन, जलवायु-परिवर्तन के अनुकूल समुदायों के निर्माण और जलवायु जोखिमों के प्रति प्रतिक्रियाओं के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
- इसके अलावा, COP26, ग्लासगो 2021 के ‘पंचामृत’ संकल्प में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पंचायती राज संस्थानों को शामिल करना आवश्यक है, क्योंकि वे लोगों से निकटता से जुड़े हैं।
- जलवायु नीतियों के प्रवर्तन और कार्यान्वयन के लिए एक स्थानीय कार्य योजना का होना भी महत्वपूर्ण है।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: National Action Plan on Climate Change (NAPCC) – UPSC Notes
भारत में कार्बन तटस्थता परियोजनाएं:
- ‘कार्बन तटस्थता’ की अवधारणा शून्य कार्बन विकास, पर्यावरण के संरक्षण, भोजन, ऊर्जा और बीज की पर्याप्तता और आर्थिक विकास पर केंद्रित है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी और मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और गंभीरता के लिए अनुकूलन भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
- मीनांगडी का केस स्टडी:
- केरल के वायनाड जिले में मीनांगडी ग्राम पंचायत ने 2016 में ‘कार्बन न्यूट्रल मीनांगडी’ नामक एक परियोजना की परिकल्पना की थी।
- परियोजना का उद्देश्य मीनांगडी को कार्बन तटस्थता की स्थिति में बदलना था।
- इसके द्वारा प्रचार, कक्षाएं, अध्ययन और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए गए। एक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सूची भी तैयार की गई।
- ग्राम सभा ने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और ऊर्जा-उपयोग मैपिंग के बाद एक कार्य योजना तैयार की। उत्सर्जन को कम करने, कार्बन पृथक्करण को बढ़ाने तथा पारिस्थितिकी और जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए विभिन्न बहु-क्षेत्रीय योजनाएँ लागू की गईं।
- कार्बन-तटस्थ गतिविधि में सहायता के लिए ऐतिहासिक योजनाओं में से एक ‘ट्री बैंकिंग’ योजना थी। इसने ब्याज मुक्त ऋण देकर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया। उनके विकास की निगरानी के लिए लगभग 1,58,816 पेड़ लगाए गए और जियो-टैग किए गए।
- इस योजना में स्कूली छात्रों, युवाओं और तकनीकी तथा शैक्षणिक संस्थानों सहित पूरे समुदाय की सहभागिता देखी गई।
- पांच साल बाद महत्वपूर्ण बदलाव नजर आ रहे हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र स्थानीय आर्थिक विकास है जहां एलईडी बल्बों का निर्माण और अन्य संबंधित सूक्ष्म उद्यमों जैसे पहलों को शुरू किया गया।
- पल्ली ग्राम पंचायत का केस स्टडी:
- जम्मू और कश्मीर में पल्ली ग्राम पंचायत ने विशिष्ट स्थानीय गतिविधियों के साथ एक जन-केंद्रित मॉडल अपनाया।
- पंचायत द्वारा एक जलवायु-अनुकूल योजना तैयार की गई थी, जिसमें ग्रामीणों को ऊर्जा की खपत को कम करने, सौर ऊर्जा का उपयोग करने, जीवाश्म ईंधन को कम करने, प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने और जल संरक्षण तथा वृक्षारोपण को बढ़ावा देने जैसे शमन कारकों से अवगत कराया गया था।
- सौर पैनल और बायो गैस संयंत्र स्थापित किए गए। पंचायत में लगभग 340 घरों को बिजली देने के लिए 500 किलोवाट का एक सौर संयंत्र स्थापित किया गया था। इसके अलावा, 2022-23 के लिए एक ग्राम पंचायत विकास योजना भी तैयार की गई थी।
- अन्य उदाहरण:
- लोगों की भागीदारी से सीचेवाल ग्राम पंचायत में काली बेई नदी का कायाकल्प किया गया।
- इसी तरह, ओडनथुराई पंचायत (तमिलनाडु) ने 350 किलोवाट की अपनी पवनचक्की स्थापित की है।
- टिकेकरवाड़ी ग्राम पंचायत (महाराष्ट्र) बायोगैस संयंत्रों के व्यापक उपयोग और हरित ऊर्जा उत्पादन का एक बेहतरीन उदाहरण है।
- छप्परपदावु ग्राम पंचायत (केरल) में कई हरे-भरे द्वीप हैं जिनका रखरखाव स्थानीय समुदाय द्वारा किया जाता है।
‘स्वच्छ और हरित गांव’ थीम:
- पंचायती राज मंत्रालय ने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को विषयगत आधार पर स्थानीय बनाने पर जोर दिया है। इस विषय के दायरे में आने वाली गतिविधियाँ जैव विविधता संरक्षण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन और वनीकरण हैं।
- नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1,09,135 ग्राम पंचायतों ने वर्ष 2022-23 के लिए ‘स्वच्छ और हरित ग्राम’ को प्राथमिकता दी है।
- सभी पंचायतों द्वारा तैयार की गई एकीकृत पंचायत विकास योजना भी भारत में गांवों की विभिन्न पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
संबंधित लिंक:
NCERT Notes: Causes Of Climate Change [Geography Notes For UPSC]
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.तमिलनाडु को अपना पहला जैव विविधता विरासत स्थल मिला:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण और जैव विविधता
प्रारंभिक परीक्षा: जैव विविधता विरासत स्थल।
संदर्भ:
- तमिलनाडु सरकार ने मदुरै जिले के अरिट्टापट्टी (Arittapatti) और मीनाक्षीपुरम (Meenakshipuram) गांवों को राज्य में पहली जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में अधिसूचित किया हैं।
विवरण:
- नई जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site (BHS)) में अरिट्टापट्टी गांव में 139.63 हेक्टेयर और मीनाक्षीपुरम गांव में 53.58 हेक्टेयर शामिल हैं और इसे अरिट्टापट्टी जैव विविधता विरासत स्थल के रूप में जाना जाएगा।
- अरिट्टापट्टी क्षेत्र अपने पारिस्थितिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, क्योंकि इसमें पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें तीन महत्वपूर्ण रैप्टर प्रजातियां जैसे लैगर फाल्कन, शाहीन फाल्कन और बोनेली का ईगल शामिल हैं।
- यह स्थल अन्य महत्वपूर्ण वन्यजीवों जैसे कि भारतीय पैंगोलिन, स्लेंडर लोरिस और अजगर के लिए भी जाना जाता है।
- जैव विविधता विरासत स्थल अच्छी तरह से परिभाषित क्षेत्र हैं जो जंगली और पालतू प्रजातियों की उच्च विविधता, दुर्लभ और खतरे वाली प्रजातियों की उपस्थिति और कीस्टोन प्रजातियों के साथ अद्वितीय, पारिस्थितिक रूप से नाजुक पारिस्थितिक तंत्र हैं।
- अरिट्टापट्टी गांव में सात बंजर ग्रेनाइट पहाड़ियों की एक श्रृंखला है, जो जल विभाजक के रूप में कार्य करते हैं और लगभग 72 झीलों, 200 प्राकृतिक झरनों और तीन चेक-बांधों में जल भरने में मदद करते हैं।
- पांडियन युग (16वीं शताब्दी) के दौरान निर्मित अनाइकोंडन टैंक (Anaikondan tank) उनमें से एक है।
- इस स्थल में विभिन्न मेगालिथिक संरचनाएं, तमिल ब्राह्मी शिलालेख, जैन बेड (संस्तर) और 2,200 साल पुराने रॉक-कट मंदिर भी हैं, जो इसे ऐतिहासिक महत्व प्रदान करते हैं।
जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Sites (BHS)):
- जैव विविधता विरासत स्थल अच्छी तरह से परिभाषित वे क्षेत्र हैं जो निम्नलिखित घटकों में से किसी एक या अधिक से युक्त समृद्ध जैव विविधता के साथ अपने अद्वितीय, पारिस्थितिक रूप से नाजुक पारिस्थितिक तंत्र के लिए जाने जाते हैं:
- जंगली के साथ-साथ पालतू प्रजातियों या अंतर-विशिष्ट श्रेणियों की समृद्धता।
- उच्च स्थानिकता।
- दुर्लभ और खतरे वाली प्रजातियों, कीस्टोन प्रजातियों, विकासवादी महत्व की प्रजातियों, घरेलू/कृषि प्रजातियों या उनकी किस्मों के जंगली पूर्वजों का अस्तित्व।
- जीवाश्म बेड (संस्तरों) द्वारा दर्शाए गए जैविक घटकों का अतीत पूर्व-प्रतिष्ठा।
- महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, नैतिक या सौंदर्यवादी मूल्य होना और सांस्कृतिक विविधता और मानव संघ के लंबे इतिहास के रखरखाव के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- जैव विविधता विरासत स्थल या तो स्थलीय, तटीय और अंतर्देशीय जल या समुद्री पारिस्थितिक तंत्र हो सकते हैं।
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37 के (Biological Diversity Act, 2002) अनुसार, राज्य सरकारें स्थानीय शासी निकायों के परामर्श से क्षेत्रों को जैव विविधता विरासत स्थलों के रूप में अधिसूचित कर सकती हैं।
- भारत में प्रसिद्ध जैव विविधता विरासत स्थल नल्लुर इमली ग्रोव और होगरेकन (कर्नाटक), अल्लापल्ली (महाराष्ट्र), दार्जिलिंग वन प्रभाग (पश्चिम बंगाल) के तहत टोंगलू बीएचएस, डायलॉन्ग गांव (मणिपुर), अमीनपुर झील (तेलंगाना), माजुली (असम), नारो हिल्स (मध्य प्रदेश), बारामुरा जलप्रपात और सिलाचारी गुफाएं (त्रिपुरा) शामिल हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. SC ने CECs के छोटे कार्यकाल पर केंद्र को फटकार लगाई:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने चुनाव आयुक्तों की स्वतंत्रता में पाखंड बनाए रखा है, क्योंकि यह इस बात से स्पष्ट है कि मुख्य चुनाव आयुक्तों (CECs) का कार्यकाल 1950 के दशक में आठ वर्षों से सिमटकर वर्ष 2004 के बाद केवल कुछ सौ दिनों तक रह गया है।
- चुनाव आयोग अधिनियम, 1991 की धारा 4 के अनुसार (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कार्य) सीईसी (CECs) और चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होगा।
- हालांकि,हाल की प्रवृत्ति यह है कि सरकार ऐसे व्यक्तियों को चुनती है जो अधिनियम के तहत निर्धारित छह साल की पूर्ण अवधि “कभी भी पूर्ण नहीं” कर पाते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा की अनुच्छेद 324 (Article 324) के तहत दिए गए संरक्षण जिसमें उनकी पदच्युति सिर्फ महाभियोग के माध्यम से ही संभव है, संविधान के तहत इसका लाभ सीईसी (CECs) को केवल तभी मिलता है,जब वे पूर्ण कार्यकाल के लिए चुने जाते हो।
- चुनाव आयुक्तों के लिए कार्यात्मक स्वतंत्रता की मांग करने वाली याचिकाओं की एक श्रृंखला पर सुनवाई करते हुए SC की संविधान पीठ ने सरकार से चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति में श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में मौजूदा संवैधानिक तंत्र का उल्लेख करते हुए पूछा कि इस मुद्दे में “कोई नियंत्रण और संतुलन” क्यों नहीं हैं।
2.भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौता अवसरों को खोलने के लिए तैयार: गोयल
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापार समझौता जिसे हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा अनुमोदित किया गया है, भारतीय व्यापार क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण अवसर खोलेगा।
- मंत्री ने भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ECTA) के लिए ऑस्ट्रेलिया द्वारा विस्तारित द्विदलीय समर्थन का स्वागत किया, जिस पर भारत ने पिछले ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन के साथ हस्ताक्षर किए थे।
- यह समझौता भारत में विनिर्माण के इच्छुक व्यवसायों की मदद करेगा और भारत में आने वाले ऑस्ट्रेलियाई निवेशों द्वारा नौकरियों की संभावना भी खोलेगा, भारत में बड़े पैमाने पर विनिर्माण भारतीय बाजार और भारत से शेष दुनिया को सेवा प्रदान करेगा।
- यह समझौता भारतीय फार्मा और कपड़ा उद्योगों के लिए बाजार को भी बढ़ाएगा।
- इसके अलावा इस समझौते से भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे मित्रवत लोकतांत्रिक देश के बीच भू-राजनीतिक साझेदारी में सुधार होगा।
3.पुतिन ने परमाणु आइसब्रेकर (हिमभंजक) के प्रक्षेपण के साथ रूस की ‘आर्कटिक शक्ति’ का खुलासा किया:
- रूस के राष्ट्रपति ने दो परमाणु-संचालित आइसब्रेकर का अनावरण किया हैं,जो रूस की आर्कटिक शक्ति को जोड़कर पश्चिमी आर्कटिक में साल भर नेविगेशन सुनिश्चित करेगा।
- 173.3 मीटर याकुटिया (Yakutia) जिसमें 33,540 टन तक की विस्थापन क्षमता और तीन मीटर तक की बर्फ की चादर तोड़ने की क्षमता निहित हैं, इसके वर्ष 2024 में सेवा में आने की उम्मीद है।
- रूस के पास पहले से ही सेवा में इसी श्रृंखला के दो अन्य आइसब्रेकर (icebreakers) हैं जिनका नाम आर्कटिका (Arktika) और सिबिर (Sibir) है।
- इसके अलावा एक सुपर-शक्तिशाली परमाणु रोसिया एक आइसब्रेकर, जो 209 मीटर का है, जिसकी विस्थापन क्षमता 71,380 टन तक है और यह चार मीटर मोटी बर्फ को तोड़ने की क्षमता रखता हैं,इसके वर्ष 2027 तक सेवा में आने की उम्मीद हैं।
- वर्तमान में आइसब्रेकर बहुत अधिक सामरिक महत्व प्राप्त कर रहे हैं,जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन आर्कटिक क्षेत्र को आकार दे रहा है, वैसे-वैसे सिकुड़ती हुई बर्फ की चादर नई समुद्री राह खोलती जा रही है।
- इसके अलावा, आर्कटिक क्षेत्र रूस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यमल प्रायद्वीप पर तरलीकृत प्राकृतिक गैस संयंत्र सहित इसके विशाल तेल और गैस संसाधन इस क्षेत्र में स्थित हैं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (स्तर- कठिन)
जैव विविधता विरासत स्थल राज्य
1. नल्लूर इमली उपवन आंध्र प्रदेश
2. अंबरगुड्डा कर्नाटक
3. अमीनपुर झील उत्तर प्रदेश
4. अरितापट्टी तमिलनाडु
विकल्प:
(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: b
व्याख्या:
- युग्म 1 सही सुमेलित नहीं है: नल्लूर इमली उपवन कर्नाटक के बेंगलुरु के पास देवनहल्ली तालुक में स्थित है।
- युग्म 2 सही है: अंबरगुड्डा कर्नाटक के सागर तालुक के पश्चिमी घाट गांव में स्थित है।
- युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है: अमीनपुर तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में स्थित है।
- युग्म 4 सही है: अरिट्टापट्टी तमिलनाडु में मदुरै के पास एक चट्टानी पहाड़ी के पास स्थित एक गाँव है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘प्रोजेक्ट उन्नति’ का सटीक वर्णन करता है: (स्तर – मध्यम)
(a) नैनोसेटेलाइट विकास पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम।
(b) एक कौशल परियोजना जिसका उद्देश्य महात्मा गांधी नरेगा लाभार्थियों के कौशल आधार का उन्नयन करना है।
(c) प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्राओं के कम नामांकन की समस्या को हल करने के लिए एक शुरू की गई परियोजना।
(d) ENVIS हब के नेटवर्क और विशेषज्ञता का उपयोग करके युवाओं को रोजगार या स्वरोजगार हासिल करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से पर्यावरण और वन क्षेत्र में कौशल विकास हेतु एक पहल।
उत्तर: b
व्याख्या:
- ‘प्रोजेक्ट उन्नति’ (UNNATI) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लाभार्थियों के कौशल आधार को उन्नत करने के लिए एक कौशल परियोजना है।
प्रश्न 3. ‘गमोसा’ (Gamosa) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर- कठिन)
1. इसे ‘जापी’ के नाम से भी जाना जाता है और यह बिहू उत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा है।
2. उका गमोसा इसका एक विशेष प्रकार है जिसे फूलों के रूपांकनों से सजाया जाता है जिसे स्मृति चिन्ह के रूप में उपहार में दिया जाता है या त्योहारों के दौरान उपयोग किया जाता है।
3. वे ज्यादातर मुगा सिल्क से बने होते हैं।
दिए गए कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक कथन
(b) केवल दो कथन
(c) सभी तीनों कथन
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: गमोसा कशीदाकारी लाल बॉर्डर के साथ कपड़े का एक सफेद आयताकार टुकड़ा है और यह असम के सबसे पहचानने योग्य सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक है। जापी असम की पारंपरिक शंक्वाकार टोपी है।
- कथन 2 गलत है: उका का अर्थ सादा होता है जिसका उपयोग दैनिक कार्यों के लिए किया जाता है। उका गमोसा में बिना किसी डिज़ाइन के दोनों तरफ लाल बॉर्डर होते हैं और इसका उपयोग अनुष्ठानों, पूजाओं और स्नान के बाद शरीर को पोंछने के लिए किया जाता है।
- कथन 3 गलत है: गामोसा की बुनाई के लिए सूती धागे का उपयोग सबसे आम सामग्री है।
प्रश्न 4. लचित बोरफुकन (Lachit Borphukan) निम्नलिखित में से किस युद्ध से संबंधित है? (स्तर – मध्यम)
1. सामूगढ़ का युद्ध
2. चौसा का युद्ध
3. सरायघाट का युद्ध
4. अलाबोई का युद्ध
विकल्प:
(a) केवल 3
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
उत्तर: c
व्याख्या:
- लाचित बोरफुकन अहोम साम्राज्य के एक सेनापति थे, जिसकी सेना का उन्होंने 1600 के दशक के अंत में मुगल साम्राज्य के शाही विस्तार का विरोध करने में सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था।
- लचित बोरफुकन सरायघाट की लड़ाई और अलाबोई की लड़ाई से सम्बंधित हैं।
- सामूगढ़ का युद्ध औरंगजेब और दारा शिकोह के बीच लड़ा गया था।
- चौसा का युद्ध मुगल बादशाह हुमायूं और अफगान शेरशाह सूरी के बीच लड़ा गया था।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (PYQ-2017) (स्तर – मध्यम)
1. भारत ने विश्व व्यापार संगठन के व्यापार सुविधा समझौते (TFA) की पुष्टि की है।
2. TFA 2013 के WTO के बाली मंत्रिस्तरीय पैकेज का एक हिस्सा है।
3. TFA जनवरी 2016 में लागू हुआ।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारत ने 2016 में विश्व व्यापार संगठन के व्यापार सुविधा समझौते (TFA) की पुष्टि की और TFA को स्वीकार करने वाला 76वां WTO सदस्य बन गया।
- कथन 2 सही है: डब्ल्यूटीओ का व्यापार सुविधा समझौता (TFA) 2013 के डब्ल्यूटीओ के बाली मंत्रिस्तरीय पैकेज का एक हिस्सा है।
- कथन 3 सही नहीं है: व्यापार सुविधा समझौता 2017 में लागू हुआ था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में मुख्य चुनाव आयुक्तों के लिए छोटा कार्यकाल भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)
प्रश्न 2.भारत में बैंक जमाओं के विभिन्न घटक क्या हैं? इन जमाओं की वृद्धि दर आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करती है? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)