Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 25 August, 2022 UPSC CNA in Hindi

25 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

  1. प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

  1. भारत में पवन ऊर्जा परियोजनाएं:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

सामाजिक न्याय:

  1. भारत में अन्य UBI के लिए एक केस बनाना:

सामाजिक मुद्दे:

  1. इंदर मेघवाल की मृत्यु:

राजव्यवस्था:

  1. इसे सरल रखें:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. टमाटर फ्लू (Tomato Flu):
  1. कुतुब मीनार (Qutub Minar):

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. यक्षगान (Yakshagana):

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022:

शासन:

विषय: सरकारी नीतियां एवं हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: भारत में प्रतिस्पर्धा कानून।

संदर्भ:

  • हाल ही में, प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन के लिए एक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था।

प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002(The Competition Act,2002):

  • इस अधिनियम को वर्ष 2002 में पारित किया गया था और यह वर्ष 2009 में लागू हुआ था।
  • यह अधिनियम प्रतिस्पर्धा नीति को लागू करने का एक उपकरण है, जिसे विभिन्न फर्मों द्वारा प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यापार प्रथाओं और बाजार में अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप को रोकने और दंडित करने के लिए लाया गया था।
  • इस अधिनियम के तहत बाजार प्रतिस्पर्धा को विनियमित करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की स्थापना की गयी है।
  • प्रतिस्पर्धा कानून लिखित और मौखिक समझौते, उद्यमों या व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होते हैं।
  • प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Competition Act,2002

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India):

  • यह एक वैधानिक निकाय है जिसका कार्य मुख्य रूप से बाजार में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के तीन मुद्दों का समाधान करना है: प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौते, प्रभुत्व का दुरुपयोग और संयोजन।
  • भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की संरचना और कार्यों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Composition and functions of Competition Commision of India

संशोधन की आवश्यकता:

  • तकनीकी प्रगति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कीमत के अलावा अन्य कारकों के बढ़ते महत्व के कारण बाजार की गतिशीलता में तेजी से बदलाव के साथ, बाजार की प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए वर्ष 2002 के अधिनियम में कई बड़े संशोधन किए गए हैं।

नए बाजार संयोजनों से निपटने हेतु प्रमुख संशोधन (Key Amendments in dealing with new-age market combinations):

  • लेनदेन मूल्य के आधार पर संयोजनों का विनियमन:
    • इसमें किया गया कोई भी संयोजन किसी भी अधिग्रहण, विलय या गठन करता है।
    • अधिनियम के अनुसार, किसी भी प्रकार का विलय, अधिग्रहण या समामेलन करने वाली पार्टियों को केवल ‘परिसंपत्ति’ या ‘टर्नओवर’ के आधार पर संयोजन की जानकारी आयोग को देना अनिवार्य है।
    • यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति या उद्यम को ऐसे संयोजन करने से रोकता है जो प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।नए विधेयक में ‘सौदा मूल्य’ (deal value) सीमा जोड़ने का प्रस्ताव है।
    • 2,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे वाले किसी भी लेन-देन के बारे में आयोग को सूचित करना अनिवार्य होगा और यदि दोनों पक्षों में से किसी के पास ‘भारत में पर्याप्त व्यापार संचालन’ का अधिकार है।
  • साथ ही नए विधेयक में आयोग को यह आकलन करने के लिए आवश्यकता मानदंड निर्धारित करने के लिए अधिकृत किया गया है कि किस उद्यम के पास ‘भारत में पर्याप्त व्यवसाय संचालन’ है।
  • यह परिवर्तन नए विधेयक में आयोग के समीक्षा तंत्र को मजबूत करेगा, विशेष रूप से डिजिटल और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में।
  • संयोजनों के अनुमोदन की समय सीमा: आयोग को पहले 210 दिनों के भीतर संयोजन को मंजूरी होती थी इसके बाद उसे स्वतः ही मंजूरी मिल जाती थी।
  • अब समय सीमा को घटाकर 150 दिन कर दिया गया। इससे संयोजनों को मान्यता/अनुमति (clearance of combinations) देने में तेजी आएगी।
  • गन जंपिंग (Gun Jumping): गन-जंपिंग के लिए जुर्माना अब संपत्ति या टर्नओवर के 1% के बजाय डील वैल्यू का 1%करने का प्रस्ताव है।
    • (जब विलय करने वाले पक्ष प्रतिस्पर्धा प्राधिकरण को विलय की सूचना देने में विफल होते हैं, अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि के दौरान विलय के सभी या कुछ हिस्सों को लागू करते हैं या बंद होने से पहले अपने प्रतिस्पर्धी व्यवहार का समन्वय करते हैं, इसे आमतौर पर “गन जंपिंग” कहा जाता है।)
  • इसके साथ ही लक्षित भंडार को खुले बाजार की खरीद से जुड़े अधिग्रहण को जल्दी से पूरा किया जाना चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि भंडार मूल्य में कुछ बदलाव हो जाये।
  • यदि पार्टियां आयोग की मंजूरी की प्रतीक्षा करती हैं, तो इससे लेन-देन भी अप्रभावी हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप कई गन जंपिंग (Gun Jumping) के मामले सामने आए हैं।
  • यूरोपीय संघ के विलय के नियमों के अनुरूप, संशोधन विधेयक में खुले बाजार की खरीद और शेयर बाजार के लेनदेन के बारे में आयोग को अग्रिम रूप से सूचित करने की आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है यदि अधिग्रहणकर्ता लेनदेन को मंजूरी मिलने तक मतदान या स्वामित्व अधिकारों का प्रयोग नहीं करता है।

महानिदेशक (Director General):

  • इस विधेयक में सीसीआई को अधिनियम के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन की जांच करने के लिए सरकार की पूर्व मंजूरी के साथ महानिदेशक की नियुक्ति करने का अधिकार दिया गया है।
  • पहले सीसीआई की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं थी क्योंकि यह केंद्र सरकार द्वारा की जाती थी।
  • अपराधों का अपराधीकरण: बिल में विभिन्न अपराधों के लिए दंड की प्रक्रिया और जुर्माना लगाने वाले नियमों में भी बदलाव किया गया है।
  • ‘लेनिएंसी प्लस’: ‘लेनिएंसी प्लस’ नामक नया प्रावधान सीसीआई को एक ऐसे आवेदक को जुर्माने की अतिरिक्त छूट देने की अनुमति देता है, जो एक असंबंधित बाजार में किसी अन्य कार्टेल के अस्तित्व का खुलासा करता है,बशर्ते दी गयी जानकारी कार्टेल के अस्तित्व के बारे में आयोग को प्रथम दृष्टया राय बनाने में सक्षम बनाता हो।
  • दंड: इसमें दी गयी किसी भी गलत सूचना के लिए पांच करोड़ रुपये का जुर्माना और आयोग के निर्देशों का पालन नहीं करने पर दस करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया हैं।
  • अपील: आयोग के आदेश के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (National Company Law Tribunal (NCLT)) द्वारा सुनवाई किये जाने पर,पार्टी को जुर्माना राशि का 25% जमा करना होगा।

हब-एंड-स्पोक कार्टेल जारी करना:

  • एक हब और स्पोक कार्टेल तब बनता है जब एक सुविधाकर्ता ज्यादातर उत्पादन श्रृंखला में एक ऊर्ध्वाधर घटक एवं क्षैतिज प्रतियोगियों में से प्रत्येक के साथ एक व्यवस्था का निर्माण करता है।
  • इससे प्रतिस्पर्धियों के बीच एक अप्रत्यक्ष समन्वय होता है, जिससे पहचानना और सिद्ध करना मुश्किल हो जाता है।
  • इस अधिनियम के अनुसार,प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों पर प्रतिबंध केवल समान ट्रेडों वाली संस्थाओं को ही कवर करता है जो वितरकों और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा ऊर्ध्वाधर श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर संचालित हब-एंड-स्पोक कार्टेल की अनदेखी कर प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को अपनाते हैं।
  • इस संशोधन विधेयक में उन संस्थाओं को रोकने के लिए प्रतिस्पर्धी-विरोधी समझौतों’ के दायरे को विस्तृत किया गया है ‘जो समान व्यापार प्रथाओं का पालन न कर कार्टेलाइज़ेशन (व्यवसायी समूहन) का सहारा लेते हैं।
  • ‘सेटलमेंट’ और ‘प्रतिबद्धता’ तंत्र: नए संशोधन में ऊर्ध्वाधर समझौतों और प्रभुत्व के दुरुपयोग से संबंधित मामलों के निपटान और प्रतिबद्धताओं की एक रूपरेखा बनाना प्रस्तावित है।
    • (सेटलमेंट-एक आधिकारिक समझौता है,जिसमे किसी विवाद या संघर्ष को हल किया जा सकता है।)
  • प्रतिबद्धता या निपटान के संबंध में आयोग का निर्णय मामले के सभी हितधारकों की सुनवाई के बाद अंतिम होगा।

सारांश:

  • प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 में प्रस्तावित संशोधन सीसीआई को नए बाजार के कुछ पहलुओं को संभालने और इसके कामकाज को और अधिक मजबूत तरीके से बदलने का अधिकार देता है। साथ ही, सरकार को यह पहचानने की जरूरत है कि बाजार की गतिशीलता लगातार बदलती रहती है, इसलिए कानूनों को नियमित रूप से अद्यतन करना आवश्यक है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारत में पवन ऊर्जा परियोजनाएं:

पर्यावरण:

विषय: अक्षय ऊर्जा

मुख्य परीक्षा: अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां।

संदर्भ:

  • इंडिया विंड एनर्जी मार्केट आउटलुक 2026 को हाल ही में ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (GWEC) और MEC इंटेलिजेंस (MEC+) द्वारा प्रकाशित किया गया था।

परिचय:

  • GWEC और MEC+ ने “ऊर्जा परिवर्तन को शक्ति देने के लिए पवन ऊर्जा के विकास को नवीनीकृत करना: भारत पवन ऊर्जा बाजार आउटलुक 2026” प्रकाशित किया।
  • यह भारत में पवन ऊर्जा आउटलुक के प्रति आशन्वित करने वाला तीसरा वार्षिक संस्करण है।
  • इसमें भारत में हरित ऊर्जा परिवर्तन (transition) के लिए पवन ऊर्जा की महत्वपूर्ण कड़ी पर प्रकाश डाला गया है।

पवन ऊर्जा विकास का महत्व:

  • भारत में बिजली की मांग वर्ष 2030 तक सालाना 6% बढ़ने का अनुमान है,यह मांग आर्थिक विकास से प्रेरित है, जो नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy (RE))) द्वारा जीवाश्म ईंधन के तेजी से विस्थापन के बिना उत्सर्जन को बढ़ाना जारी रखेगी ।
  • भारत में ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन का 56% बिजली उत्पादन से होता है।
  • भारत में बिजली क्षेत्र का डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन में कमी आना), जिसमें कोयले और जीवाश्म ईंधन के चरण की समाप्ती और नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि शामिल है और यह भारत के समग्र ऊर्जा संक्रमण के लिए एक महत्वपूर्ण कारक होगा।
  • भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Intended Nationally Determined Contributions (INDC)) के अनुसार, भारत वर्ष 2030 में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से अपनी आधी बिजली प्राप्त करने और वर्ष 2022 तक 60 गीगावाट (जीडब्ल्यू, या 1000 मेगावाट) पवन ऊर्जा पैदा करेगा।
  • अभी तक केवल 40 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता पैदा की जा सकी है।
  • आउटलुक में बताया गया है कि भारत अगले 05 वर्षों के भीतर 23.7 गीगावॉट बिजली और पैदा सकता है बशर्ते है सही नीतियां, सुविधाजनक साधन और सही संस्थागत हस्तक्षेप किए जाएं।

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  • भारत में, पवन ऊर्जा अक्षय ऊर्जा ((Renewable Energy (RE))) के मिश्रित उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा है, गौरतलब हैं कि मार्च 2022 तक इसकी संचयी स्थापित आरई क्षमता के 37.7%3 (40.1 GW) थी।
  • भारत में 100 मीटर ऊंचाई पर 302 गीगावाट तकनीकी तटवर्ती पवन संसाधन और 120 मीटर पर 695 गीगावाट तकनीकी तटवर्ती पवन संसाधन की उच्च क्षमता है।
  • हालांकि, कुल अनुमानित क्षमता वर्तमान स्थापित क्षमता को कम कर देती है।

Image Source: Wind Energy Market Outlook 2026

स्थापित क्षमता में कमी:

  • वर्ष 2012 से 2016 की अवधि में ~ 13% ( ~ =लगभग) की वृद्धि की तुलना में पिछले पांच वर्षों (2017-2021) में, पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों में 5% की वृद्धि दर में गिरावट के बाद इसकी वृद्धि दर काफी धीमी हो गई है।
  • वर्ष 2017 में नीलामी व्यवस्था के आगमन के बाद से निविदाएं देने की रफ़्तार कम हुई है, जिसके कारण बड़े ऑर्डर मिले लेकिन उसके साथ ही अत्यधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों की बोलियां भी देखने को मिली।
  • इसके अलावा सम्बंधित बाजार गुजरात और तमिलनाडु के कुछ सबस्टेशनों के आसपास ही केंद्रित हैं, जहाँ सबसे मजबूत संसाधन क्षमता और भूमि की लागत सबसे कम हैं।
  • सौर आधारित बिजली की कम लागत पवन आधारित ऊर्जा में एक व्यापक अंतर पैदा कर रही है और इसलिए पहले से ही नीलाम परियोजनाओं के लिए बिजली आपूर्ति समझौतों पर हस्ताक्षर करने में देरी हो रही है।
  • Covid19 महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला अस्थिरता और यूक्रेन युद्ध के प्रभाव के कारण मालवाहक जहाजों की उपलब्धता की समस्या और ईंधन की लागत में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप रसद की कीमतों में वृद्धि हुई है।

सिफारिशें:

  • भारत में एक विशाल अप्रयुक्त पवन ऊर्जा क्षमता है जो भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
  • आउटलुक इस बात पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है कि पांच व्यापक सिफारिशों के साथ पवन संसाधनों की पूरी क्षमता का इस प्रकार दोहन किया जा सकता है:
  1. वैश्विक पवन आपूर्ति श्रृंखला के लिए प्रौद्योगिकी विनिमय और संरेखण को बढ़ावा देना।
  2. पुनर्शक्तिकरण के अवसरों का दोहन किया जाना चाहिए ताकि वे भारत को तटवर्ती पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए पहले से ही निर्दिष्ट स्थलों की उत्पादकता और सामाजिक आर्थिक लाभ को अधिकतम करने के लिए एक कुशल मार्ग प्रदान कर सकें।
  3. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आम सहमति और समन्वय को मजबूत करना।
  4. उन विरासत चुनौतियोंको दूर करना जिन्होंने पवन ऊर्जा के विकास को बाधित किया है।
  5. अपतटीय पवन विकास रोडमैप को अंतिम रूप देना और उसे कार्यान्वित करना।

सारांश:

  • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न प्रकार के नीतिगत हस्तक्षेप अक्षय ऊर्जा बाजार के लिए नई आशा लेकर आते हैं,लेकिन बाजार को पुनर्जीवित करने और अक्षय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सटीक दिशा में कार्रवाई की आवश्यकता है।अतः एक बेहतर कारोबारी माहौल को सुनिश्चित कर इस क्षेत्र में सुधार के लिए किसी भी गुंजाइश की पहचान करने और प्रगति को तेज करने के लिए नीतिगत संशोधनों का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
  • भारत में पवन ऊर्जा के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Wind Energy in India

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारत में अन्य UBI के लिए एक केस बनाना:

सामाजिक न्याय:

विषय:स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: देश में शुरू किए गए विभिन्न सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का विश्लेषण और सार्वजनिक आधारभूत बीमा की आवश्यकता

संदर्भ

इस लेख में भारत में सार्वजनिक आधारभूत बीमा की आवश्यकता के बारे में बात की गई है।

विवरण

  • कोविड महामारी ने दुनिया भर के देशों मौजूदा कमजोरियों को उजागर किया है और यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) सुनिश्चित करने के महत्वको उजागर किया है।
  • हालांकि,इस लेख में भारतीय परिदृश्य में यूनिवर्सल बेसिक इंश्योरेंस नमक एक अन्य UBI के महत्व के बारे में बात की गई है।

सुरक्षा जाल

  • इनकम शॉक फेज (जैसे कि COVID महामारी के दौरान) बुनियादी जीवन रेखा पर रहने वाले लोगों को चरम उत्तरजीविता रेखा(critical survival line) की ओर ले जाने का कारण बनेगा।
  • महत्वपूर्ण उत्तरजीविता रेखा से आगे कोई भी गिरावट विनाशकारी हो सकती है और इसलिए आगे और गिरावट को रोकने की आवश्यकता है।
  • इस तरह की गिरावट को रोकने के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों को पेश किया गया है और ये एक सुरक्षा जाल के रूप में गंभीर अस्तित्व की रेखा पर रखे गए हैं।

सुरक्षा जाल के प्रकार

  • निष्क्रिय सुरक्षा जाल – ये सुरक्षा प्रणालियाँ बुनियादी जीवन यापन की रेखा से महत्वपूर्ण उत्तरजीविता की रेखा तक व्यक्तियों के मुक्त पतन को रोकती हैं और आगे गिरावट को भी रोकती हैं।
    • यह आमतौर पर समाज के अधिकांश आय-वंचित वर्गों की सहायता के लिए उपयोग किया जाने वाला एक सामाजिक सहायता कार्यक्रम है।
  • सक्रिय सुरक्षा जाल – वे हैं जो एक ट्रैम्पोलिन की तरह काम करते हैं और व्यक्तियों को बुनियादी जीवन यापन की रेखा पर वापस लाने में मदद करते हैं।
    • ऐसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए अधिक परिव्यय की आवश्यकता होती है।
  • सक्रिय सुरक्षा जाल – ये एक लॉन्चपैड की तरह काम करते हैंजिसके तहत आय तो बढ़ती ही है, साथ ही व्यक्ति बुनियादी जीवन यापन की रेखा से भी ऊपर उठ जाता हैं।
    • ये सबसे वांछित प्रकार के सुरक्षा जाल हैं, लेकिन इनके लिए भारी मात्रा में संसाधनों, पूंजी और संस्थागत क्षमता की आवश्यकता होती है।

सामाजिक सुरक्षा और इसका महत्व

  • सामाजिक सुरक्षा में मुख्य रूप से खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और आय सुरक्षा जैसे पहलू शामिल हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए,निम्न आए वाले व्यक्तियों को सामाजिक सहायता योजनाओं की आवश्यकता होती है जबकि ऊपरी छोर पर स्वैच्छिक बीमा होना चाहिए।
  • भारत में वृहद् स्तर पर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागु किया गया है जिनके माध्यम से दुनिया में सबसे अधिक लोगों को सहायता पहुंचाई जाती है।
  • खाद्य सुरक्षा के सम्बन्ध में भारत में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) जो दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम है ,को लागु किया गया है और इसके माध्यम से 80 करोड़ से अधिक लोगों को राशन उपलब्ध करवाया जाता हैं,।
    • इसके अलावा, मिड-डे योजनाके तहत 12 करोड़ से अधिक बच्चों को मुफ्त में दोपहर का खाना दिया जाता है।
  • स्वास्थ्य सुरक्षा के संबंध में, आयुष्मान भारत योजना के असंगठित क्षेत्र में 49 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं।
    • कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) और केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत संगठित क्षेत्र के क्रमशः 13 करोड़ और 40 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाता है ।
    • इसके अलावा, देश में राज्य सरकारों द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य बीमा योजनाएं 20 करोड़ से अधिक लोगों को बीमा कवर प्रदान करती हैं।
  • आय सुरक्षा के संबंध में, केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लगभग 2 करोड़ कर्मचारियों द्वारा सामान्य भविष्य निधि (GPF) के तहत लाभ दिया जाता है।
    • इसके अलावा, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का अन्य संगठित क्षेत्र के 6.5 करोड़ से अधिक श्रमिकों द्वारा लाभ उठाया जाता है और सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) का लाभ कोई भी भारतीय नागरिक उठा सकता है।
    • असंगठित क्षेत्र में, प्रधान मंत्री किसान मान-धन योजना (PM-KMY),पीएम-किसान योजना,अटल पेंशन योजना (APY), प्रधान मंत्री श्रम योगी मानधन योजना जैसी योजनाएं कई करोड़ लाभार्थियों कोलाभ पहुंचा रही हैं।
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) जिसमें 6 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं, को असंगठित क्षेत्र की सबसे बड़ी आय सुरक्षा पहल कहा जाता है।

प्रमुख चुनौतियां

खाद्य सुरक्षा – ऐसी योजनाओं में वित्तीय स्थिरता और रिसाव के संबंध में गंभीर चुनौतियां हैं।

स्वास्थ्य सुरक्षा – विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को कवर करने के बावजूद, भारत में 40 करोड़ से अधिक लोग अभी भी किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत नहीं आते हैं।

आय सुरक्षा – देश में 50 करोड़ श्रमिकों में से 10 करोड़ से अधिक श्रमिकों के पास आय सुरक्षा नहीं है।

यूनिवर्सल बेसिक इंश्योरेंस की आवश्यकता

  • इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि ताइवान (17%), जापान (9%) और चीन (6%) जैसे अन्य देशों की तुलना में देश में बीमा निवेश (GDP के प्रतिशत के रूप में प्रीमियम) कम (लगभग 4%) रहा है।
  • इसके अलावा, चूंकि अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा अभी भी अनौपचारिक है और हाल के वर्षों में सरकार के प्रयासों के कारण, अनौपचारिक क्षेत्र का डेटा अब व्यवसायों (GSTIN के माध्यम से) और असंगठित श्रमिकों (ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से) दोनों के लिए उपलब्ध है। सुझाव दिया गया है कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम की तुलना में यूनिवर्सल बेसिक इंश्योरेंस एक बेहतर विकल्प है।
    • कर्नाटक सरकार का कुटुम्बा पोर्टल सामाजिक सुरक्षा पोर्टल का एक उदाहरण है जिसमें एक सामाजिक रजिस्ट्री, एकीकृत लाभार्थी प्रबंधन प्रणाली, लाभार्थी रजिस्ट्री, भुगतान मंच और एक शिकायत निवारण प्रणाली शामिल है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक कि पर्याप्त स्वैच्छिक बीमा नहीं किया जाता है तब तक सार्वभौमिक बुनियादी बीमा की सुविधा के माध्यम से देश में सामाजिक सुरक्षा में सुधार किया जा सकता है ।

नट ग्राफ: गंभीर वित्तीय प्रभावों (GDP के 4.5 प्रतिशत के करीब) के कारण सार्वभौमिक बुनियादी आय योजना को लागू करने में कठिनाइयों और बड़ी संख्या में असंगठित क्षेत्र के लाभार्थियों की पहचान की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, यूनिवर्सल बेसिक इंश्योरेंस को काउंटी में सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक बेहतर विकल्पमाना गया है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

इंदर मेघवाल की मृत्यु:

सामाजिक मुद्दे:

विषय: भारत की विविधता और विविधता से उत्पन्न चुनौतियां

मुख्य परीक्षा: भारत में अस्पृश्यता की प्रथा और इसे रोकने वाले विभिन्न कानून

संदर्भ

राजस्थान के जालोर जिले में नौ साल के बच्चे इंदर मेघवाल की मौत ने अस्पृश्यता की प्रथा पर बहस को सुर्खियों में ला दिया है।

पृष्टभूमि

  • लड़के के परिवार ने आरोप लगाया हैकि स्कूल में एक शिक्षक ने लड़के की इतनी बुरी तरह से पिटाई की कि उसकी मौत हो गई । शिक्षा इस बात से नाराज था कि उसने ऊंची जाती के लिए बने पानी के बर्तन से शराब पी
  • परिवार ने शिक्षक पर उसकी जाति के कारण लड़के पर क्रूर हमले का आरोप लगाया है।
  • राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में मेघवाल समुदाय के व्यक्तियों को “अछूत” माना जाता है।

घटना और अस्पृश्यता की प्रथा के संबंध में चिंता

  • यह घटना साबित करती है कि देश के विभिन्न गांवों और दूर-दराज के इलाकों में अभी भी अस्पृश्यता का प्रचलन है।
  • ऊंची जातियों के लोग अभी भी मानते हैं कि अस्पृश्यता की सामान्य प्रथा है और उनके धर्म का पालन करने का सही तरीका है जबकि निचली जातियों के लोगों को लगता है कि अस्पृश्यता उनके जीवन का एक अभिन्न अंग है।
  • निचली जातियों के लोगों को गाँव के प्रमुख मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और विभिन्न त्योहारों और समारोहों में भाग लेने की अनुमति नहीं है।
  • निचली जातियों के लोगों को आम सभाओं में अलग बैठाया जाता है।
  • आलोचकों की राय है कि नीति निर्माता अपने राजनीतिक हितों और वोट बैंक की राजनीति के कारण नीची जातियों की समस्याओं को हल करने में विफल रहे हैं।
  • इसके अलावा, पुलिस द्वारा निचली जाति के लोगों से जुड़े मामलों में उनसे पक्षपात किया जाता हैं।

भारत में अस्पृश्यता के खिलाफ कानून

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता एक दंडनीय अपराध है
  • अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 के अनुसार भी अस्पृश्यता एक दंडनीय अपराध है। इसमें अस्पृश्यता से उत्पन्न होने वाली विकलांगता के लिए भी दंड का प्रावधान है।
    • 1976 में अधिनियम में संशोधन किया गया और इसका नाम बदलकर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम कर दिया गया।
    • यह अधिनियम अस्पृश्यता को रोकने के लिए कई कड़े उपाय निर्धारित करता है। इसने जांच अधिकारियों द्वारा अस्पृश्यता से संबंधित शिकायतों की जानबूझकर लापरवाही करने की छूट प्रदान की है।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989, जिसे SC ST अधिनियम भी कहा जाता है, का उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ अत्याचार को रोकना है।
    • इस अधिनियम में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोगों के खिलाफ किए गए ऐसे अपराधों के मुकदमे चलाने के लिए विशेष न्यायालयों का भी प्रावधान है ।

नट ग्राफ: अस्पृश्यता की प्रथा को समाप्त करने वाले विभिन्न कानूनों उनको को पारित करने और इसका अभ्यास करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर दंड और कानूनी कार्रवाई करने के बावजूद, निचली जातियों के लोग अभी भी देश के दूरदराज और दूर-दराज के क्षेत्रों में इस तरह के जाति आधारित भेदभाव का सामना कर रहे हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

इसे सरल रखें

राजव्यवस्था:

विषय: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं।

मुख्य परीक्षा: मतदाता पहचान पत्र को आधार संख्या से जोड़ने के कदम का महत्वपूर्ण विश्लेषण

संदर्भ

आधार को वोटर पहचानपत्र से लिंक करना

विवरण

  • अन्य देशों की तुलना में मतदान प्रक्रिया में नागरिकों के उच्च प्रतिशत की भागीदारी के बावजूद चुनावों के नियमित और अपेक्षाकृत सुचारू संचालन के लिए भारतीय लोकतंत्र की काफी सराहना की जाती है।
  • हालांकि, भारत के चुनाव आयोग (ECI) को मतदाताओं के पंजीकरण के संबंध में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसमें प्रवासी आबादी में बदलाव को ध्यान में रखते हुए मतदाता सूची में बदलाव करना, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के कारण अधिक योग्य मतदाताओं को जोड़ना और मृत्यु के कारण मतदाताओं को मतदान सूची से हटाना शामिल है ।
  • ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए, लोकसभा ने दिसंबर 2021 में चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक पारित किया, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची में मतदाता दोहराव जैसी त्रुटियों को रोकने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ना है।

आधार-वोटर पहचानपत्र लिंकिंग के पक्ष और विपक्ष में तर्कों के बारे में अधिक जानने के लिए देखें:

UPSC परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण दिनांक 24 दिसंबर 2021

प्रीलिम्स तथ्य:

1. टमाटर फ्लू (Tomato Flu):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

विषय: स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा: वायरल संक्रमण।

संदर्भ:

  • हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टमाटर फ्लू पर एक परामर्श जारी किया, जिसमें राज्यों से इसके प्रसार को रोकने के उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं।

टमाटर फ्लू क्या है?

  • शरीर पर दिखने वाले लाल फफोले जो धीरे-धीरे टमाटर के आकार तक बढ़ते हैं, के कारण इस संक्रमण का नाम टमाटर फ्लू रखा गया है।
  • इससे बुखार तथा आमतौर पर जोड़ों में दर्द होता है, और यह पांच साल से कम उम्र के बच्चों में आम होता है।
  • इसके आलावा वायरल बुखार के अन्य लक्षण जैसे दस्त, निर्जलीकरण, मतली , उल्टी और थकान भी होते हैं ।
  • अब इसे कॉक्ससैकीवायरस ए -6 और ए -16 जैसे एंटरोवायरस (आंत के माध्यम से प्रसारित वायरस) के कारण होने वाले हाथ-पैर और मुंह की बीमारी (एचएफएमडी )के अन्य उपचार के रूप में माना जाता है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वायरल संक्रमण के लक्षणों के समान लक्षणों के बावजूद ‘टमाटर फ्लू’ पैदा करने वाला वायरस SARS-CoV-2, मंकीपॉक्स, डेंगू या चिकनगुनिया से संबंधित नहीं है।

संचरण:

  • यह अत्यधिक संक्रामक है और निकट संपर्क से फैलता है।
  • शिशुओं और छोटे बच्चों में नैप्पीज (nappies) के इस्तेमाल से, अशुद्ध सतहों को छूने के साथ-साथ चीजों को सीधे मुंह में डालने से भी इसके फैलने का खतरा होता है।
  • यह एक वायरस है ‘जिससे जान जाने का खतरा न हो’ (non-life-threatening virus) ,जो वयस्कों में भी फैलकर गंभीर परिणाम दे सकता है।
  • भारत में नौ साल से कम उम्र के बच्चों में तीन महीने से कम समय में ‘टमाटर फ्लू’ के लगभग 100 मामले दर्ज किए गए।

इलाज:

  • इस फ्लू के लिए कोई विशिष्ट दवा नहीं है।
  • उपचार चिकनगुनिया, डेंगू और हाथ, पैर और मुंह की बीमारी के इलाज के समान है।
  • जलन और चकत्ते से राहत के लिए मरीजों को अलग रहने, आराम, बहुत सारे तरल पदार्थ और गर्म पानी के स्पंज की सलाह दी जाती है।
  • प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पोषण से भरपूर, संतुलित आहार दिया जाना चाहिए।

2. कुतुब मीनार (Qutub Minar):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय इतिहास:

विषय: कला और संस्कृति

प्रारंभिक परीक्षा: मध्यकालीन और भारत-इस्लामिक वास्तुकला।

संदर्भ:

  • हाल ही में,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (The Archaeological Survey of India (ASI)) ने एक व्यक्ति द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदन का विरोध किया गया हैं,जिसमे उसने कुतुब मीनार परिसर और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद स्थित भूमि का कानूनी अधिकार मांगा था।

कुतुब मीनार से सम्बंधित तथ्य:

  • यह भारत की दूसरी सबसे ऊंची ऐतिहासिक स्मारक है। यह एक 73 मीटर लंबा टावर है जिसमें 379 सीढ़ियां और पांच मंजिला इमारत है।
  • इसे दिल्ली में राजपूतों पर मुगलों की जीत का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था और इसे विजय मीनार भी कहा जाता है।
  • यह लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर का उपयोग करके एक अनूठी स्थापत्य शैली में बनाई गई है।
  • कुतुब मीनार का निर्माण गुलाम वंश के कुतुब-उद-दीन ऐबक (Qutab-ud-din Aibak) ने 1192 ई. में शुरू किया था और उसके दामाद ने 1200 ई. में पूरा किया था।
  • इसका नाम सूफी संत ख्वाजा कुतुब-उद-दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. यक्षगान (Yakshagana):
  • कर्नाटक सरकार ने एक सदी से भी अधिक पुरानी थिएटर मंडली ‘कतील दुर्गापरमेश्वरी प्रसादिता यक्षगान मंडली’ द्वारा रात भर गाय जाने वाले यक्षगान की अवधि को हाल ही में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगाने के अपने आदेश के कारण कम कर दिया है।
  • इसकी स्थापना 19वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी और इसे लोकप्रिय रूप से कतील मेला (Kateel Mela) कहा जाता था।
  • यह एक सदी से अधिक के रिकॉर्ड से अधिक समय के बाद अपनी परम्परा तोड़ने वाला दूसरा यक्षगान थिएटर मंडली बन जाएगा।
  • चूंकि मंडली मैदान या अन्य खुले स्थानों में अपना नृत्य प्रदर्शन करती है, इसलिए परिपत्र के दिशानिर्देशों का पालन करना संभव नहीं होगा।
  • यक्षगान के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Yakshagana

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. चंपारण सत्याग्रह के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (स्तर-मध्यम)

  1. इसने तिनकठिया प्रणाली को चुनौती दी जिसमें यूरोपीय बागान मालिक किसानों को कुल भूमि के 3/25 हिस्से पर नील उगाने के लिए मजबूर किया गया था।
  2. महात्मा गांधी जी को नील की खेती करने वाले ऐसे ही उत्पीड़ित पंडित राज कुमार शुक्ल ने इस क्षेत्र का दौरा करने के लिए मनाया था।
  3. सत्याग्रह से जुड़े लोकप्रिय नेताओं में ब्रजकिशोर प्रसाद और अनुग्रह नारायण सिन्हा थे

ऊपर दिए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: चंपारण (Champaran) में नील की खेती की मुख्य प्रणाली तिनकठिया प्रणाली थी। इस तिनकाठिया प्रणाली में, रैयतों को आवश्यक खाद्य फसलों के बजाय नील के साथ प्रति बीघा में तीन कट्टे की खेती करने के लिए बाध्य किया गया था, यानी उनकी भूमि का 3/20वां हिस्सा (1 बीघा = 20 कथा)।
  • कथन 2 सही है: एक साहूकार और किसान राज कुमार शुक्ल ने गांधी को चंपारण आने और पीड़ित ग्रामीणों की मदद करने के लिए मनाया था।
  • कथन 3 सही है: गांधीजी के साथ, सत्याग्रह से जुड़े अन्य प्रमुख नेता ब्रजकिशोर प्रसाद, राजेंद्र प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिन्हा और आचार्य कृपलानी थे।
  • गांधीजी के प्रारंभिक आंदोलनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Early movements by Gandhiji

प्रश्न 2. निम्नलिखित को उनके शासनकाल के कालानुक्रमिक क्रम में व्यवस्थित करें: (स्तर-कठिन)

  1. आराम शाह
  2. मुइज़-उद-दीन बहराम
  3. कुतुब उद-दीन ऐबक
  4. रुक्न-उद-दीन फिरोज

विकल्प:

(a) 1-3-4-2

(b) 2-3-4-1

(c) 3-1- 4-2

(d) 3-2-4-1

उत्तर: c

व्याख्या:

  • गुलाम राजवंश के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Slave Dynasty

प्रश्न 3. यक्षगान के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर-सरल)

  1. यह कर्नाटक में किया जाने वाला एक नाट्य नृत्य-कला रूप है।
  2. कला का प्रदर्शन केवल पुरुषों द्वारा किया जाता है और पुरुष कलाकार महिला की भूमिका निभाते हैं।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: यह कर्नाटक का एक नाट्य कला रूप है,और इसका प्रदर्शन पूरी रात तक चलता था और यह मेला एक गाँव से दूसरे गाँव तक जाता हैं।
  • कथन 2 गलत है: परंपरागत रूप से, पुरुष सभी भूमिकाएँ निभाते थे, जिसमें महिलाएँ भी शामिल होती थीं।
  • अब महिलाएं भी यक्षगान मंडली का हिस्सा हैं। एक विशिष्ट मंडली में 15 से 20 अभिनेता और एक भागवत होता है, जो समारोहों का स्वामी और मुख्य कहानीकार होता है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (स्तर-कठिन)

  1. अनंग ताल झील हरियाणा में स्थित है।
  2. इसे तोमर राजा अनंगपाल द्वितीय द्वारा बनवाया गया था।
  3. अनंगपाल तोमर द्वितीय का उत्तराधिकारी उसका पोता पृथ्वीराज चौहान था।

ऊपर दिए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 3

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • अनंग ताल झील दिल्ली के महरौली में स्थित है,और इसके बारे में दावा किया जाता है कि इसे 1,060 ईस्वी में अनंगपाल द्वितीय द्वारा निर्मित करवाया गया था।
  • अनंगपाल द्वितीय/अनंगपाल तोमर, तोमर वंश के थे। उन्होंने ढिल्लिका पुरी की स्थापना की, जो अंततः दिल्ली बन गई। वह 8वीं-12वीं शताब्दी के बीच वर्तमान दिल्ली और हरियाणा के शासक थे।
  • उनके पोते पृथ्वीराज चौहान उनके उत्तराधिकारी बने।

प्रश्न 5. यदि किसी विशिष्ट क्षेत्र को भारत के संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अधीन लाया जाए, तो निम्नलिखित कथनों में कौन-सा एक, इसके परिणाम को सर्वोत्तम रूप से प्रतिबिंबित करता है? (स्तर-सरल)

(a) इससे जनजातीय लोगों की जमीनें गैर-जनजातीय लोगों को अंतरित करने पर रोक लगेगी।

(b) इससे उस क्षेत्र में एक स्थानीय स्वशासी निकाय का सृजन होगा।

(c) इससे वह क्षेत्र संघ राज्यक्षेत्र में बदल जाएगा।

(d) जिस राज्य के पास ऐसे क्षेत्र होंगे, उसे विशेष कोटि का राज्य घोषित किया जाएगा।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • संविधान की पांचवीं अनुसूची (Fifth Schedule) अनुसूचित क्षेत्रों के साथ-साथ असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के अलावा किसी भी राज्य में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. भारत में पवन ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं का विस्तार अपेक्षाकृत धीमा रहा है। इन कमियों के पीछे प्रमुख कारण क्या हैं? (250 शब्द-15 अंक) (जीएस III-ऊर्जा)

प्रश्न 2. भारत में सात दशकों से अधिक समय से प्रतिबंधित होने के बावजूद, अस्पृश्यता अभी भी भारतीय समाज का एक हिस्सा है। भारतीय समाज से इस बुराई को समाप्त करने के उपायों की चर्चा कीजिए। (250 शब्द-15 अंक) (जीएस II-सामाजिक न्याय)