A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामाजिक न्याय:
पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
यमुना बाढ़ के मैदानों की बनावट:
पर्यावरण एवं आपदा प्रबंधन:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण और पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
प्रारंभिक परीक्षा: बाढ़ के मैदानों और अतिक्रमण के प्रभाव से सम्बंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारण और परिणाम, पर्यावरणीय क्षरण को बढ़ाने में मानवीय गतिविधियों की भूमिका, और सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए रणनीतियाँ।
प्रसंग:
- इस लेख में यमुना नदी के महत्व एवं इसके बाढ़ क्षेत्रों से संबंधित मुद्दे, जैसे अतिक्रमण और समुदायों और बाढ़ प्रबंधन पर इसके प्रभाव की पड़ताल की गई है।
यमुना और उसके बाढ़ क्षेत्रों का महत्व:
- यमुना नदी दिल्ली की जीवन रेखा थी और इसे जल अभाव और बाढ़ से बचाती थी। लेकिन समय के साथ निर्माण, शहरीकरण और ढीले नियमों ने बाढ़ के मैदानों को खतरे में डाल दिया है।
- बाढ़ के मैदान नदी प्रणाली का अभिन्न अंग होते हैं, जो पानी के बहाव को धीमा करते हैं, भूजल को रिचार्ज करते हैं और गैर-मानसूनी मौसमों में अतिरिक्त पानी का भंडारण करते हैं।
बाढ़ के मैदानों पर समुदायों का निवास:
- यमुना नदी के बाढ़ के मैदानों में 9,000 से अधिक परिवार रहते हैं, जो खेती, दैनिक मजदूरी और पशुपालन जैसी विभिन्न आजीविकाओं से जुड़े हैं।
- बेदखली और कृषि पर प्रतिबंध ने इन समुदायों को प्रभावित किया है, जिससे इन समुदायों की आजीविका में खेती से दिहाड़ी मजदूरी की ओर बदलाव आया है।
- राष्ट्रीय बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग नीति से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:National Floodplains Zoning Policy
बस्तियों का उद्भव:
- स्वतंत्रता के बाद गैर-कृषि बस्तियाँ उभरीं, जिनमें पड़ोसी राज्यों से आए शरणार्थियों और मजदूरों को आवास मिला, जिससे तेजी से शहरीकरण में योगदान हुआ।
- बाढ़ के मैदानों का उपयोग परियोजनाओं के लिए किया गया, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ा और नदी का विस्तार सीमित हो गया।
दिल्ली का मास्टर प्लान और अतिक्रमण:
- दिल्ली के मास्टर प्लान ने यमुना बाढ़ क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र के रूप में नामित किया,लेकिन इसका खराब कार्यान्वयन अतिक्रमण और अवैध निर्माण को रोकने में नाकाम रहा।
- पुनर्भरण क्षेत्रों पर निर्माण से भूजल का स्तर कम हो गया और बाढ़ का पानी ले जाने की नदी की क्षमता सीमित हो गई।
बाढ़ प्रबंधन पर अतिक्रमण का प्रभाव:
- अतिक्रमण नदी की चौड़ाई को सीमित कर देता है, जिससे विनाशकारी बाढ़ आती है और तलछट परिवहन और नदी पुनर्जीवन प्रभावित होता है।
- जलवायु परिवर्तन से वर्षा तेज हो जाती है, जिससे गंभीर बाढ़ आती है और बाढ़ प्रबंधन में चुनौतियाँ आती हैं।
- बाढ़ नियंत्रण एवं प्रबंधन से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Flood Control and Management
चुनौतियों का समाधान:
- बाढ़ क्षेत्र ज़ोनिंग, जलवायु-लचीला बुनियादी ढाँचा, नालों से गाद निकालना और जल निकासी प्रणालियों में सुधार बाढ़ के जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है।
- नीति निर्माताओं को नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण को प्राथमिकता देने और विकास और प्रकृति के बीच टकराव से बचने की जरूरत है।
सारांश:
|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक पर विचार विमर्श:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा और मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत में अनुसंधान एवं विकास की वर्तमान स्थिति और NRF भारत में अनुसंधान को किस प्रकार बढ़ावा देगा एवं इससे जुड़ी चिंताएं?
प्रसंग:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान निधि के लिए NRF विधेयक 2023 को मंजूरी दे दी। लेकिन विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) के उन्मूलन और NRF के सीमित बजट पर चिंताएं उत्पन्न होती हैं।
भारत में अनुसंधान की वर्तमान स्थिति:
- भारत में अनुसंधान व्यय सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) का 0.64% है। इसकी तुलना में, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, इजराइल और दक्षिण कोरिया अनुसंधान और नवाचार के लिए क्रमशः सकल घरेलू उत्पाद का 2.8%, 2.1%, 4.3% और 4.2% आवंटित करते हैं।
- अनुसंधान और विकास पर संयुक्त रूप से सार्वजनिक और निजी व्यय में पिछले कुछ वर्षों से गिरावट आ रही है।
अनुसंधान पर कस्तूरीरंगन समिति:
- कस्तूरीरंगन समिति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( National Education Policy (NEP) 2020) 2020 के अनुरूप, राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) की स्थापना का प्रस्ताव रखा।
- NRF का लक्ष्य भारत में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना, नवाचार और विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
- समिति ने सुझाव दिया कि अनुसंधान पहल का समर्थन करने के लिए NRF को 20,000 करोड़ (जीडीपी का 0.1%) रुपये का वार्षिक अनुदान मिलना चाहिए।
NRF विधेयक में प्रावधान:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जून 2023 में NRF विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया।
- NRF विधेयक में देश में अनुसंधान और विकास का नेतृत्व करने के लिए उत्तरदायी एक शीर्ष निकाय की स्थापना का प्रावधान है।
- इसके प्राथमिक उद्देश्यों में अनुसंधान को वित्तपोषित करना और बढ़ावा देना, नवाचार को बढ़ावा देना और विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाना शामिल है।
- NRF तालमेल सुनिश्चित करने और प्रयासों के दोहराव से बचने के लिए मौजूदा फंडिंग एजेंसियों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ समन्वय में काम करेगा।
NRF में वित्त पोषण प्रावधान:
- कस्तूरीरंगन समिति ने NRF के लिए 20,000 करोड़ रुपये का वार्षिक अनुदान प्रस्तावित किया। और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता पर बल दिया।
- हालाँकि, प्रेस सूचना ब्यूरो की विज्ञप्ति से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, NRF के पास पाँच साल की अवधि के लिए ₹10,000 करोड़ की फंडिंग होगी, जो कुल मिलाकर ₹50,000 करोड़ होगी।
- इस कुल राशि में से, सरकारी अनुदान या बजटीय सहायता लगभग ₹14,000 करोड़ होने का अनुमान है, जबकि शेष ₹36,000 करोड़ उद्योग और अन्य निजी परोपकारी स्रोतों के माध्यम से जुटाए जाने हैं।
- इसका अर्थ है कि अगले पांच वर्षों में अधिकतम वार्षिक अनुदान ₹2,800 करोड़ होगा, जो कि कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिश का केवल 14% है।
SERB के उन्मूलन को लेकर चिंताएँ:
- विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) अधिनियम 2008 को निरस्त करने और इसे NRF में शामिल करने को लेकर वैज्ञानिक समुदाय के भीतर चिंताएं हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( Department of Science and Technology (DST)) के एक वैधानिक निकाय के रूप में स्थापित SERB, विज्ञान और इंजीनियरिंग के उभरते क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी अनुसंधान को वित्तपोषित करने में सहायक रहा है।
- कुछ लोगों को चिंता है कि SERB के NRF में विलय से अनुसंधान के लिए बजटीय आवंटन में कमी आ सकती है और मौजूदा अनुसंधान कार्यक्रमों पर प्रभाव पड़ सकता है।
भावी कदम:
- NRF को अनुसंधान और नवाचार को प्रभावी ढंग से बढ़ावा देने के अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त वित्त सुरक्षित करने की आवश्यकता है।
- सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह देश की प्रगति में अनुसंधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार करें और NRF को पर्याप्त संसाधन आवंटित करे।
- अनुसंधान पहलों के लिए निरंतर समर्थन सुनिश्चित करने हेतु SERB के साथ विलय से NRF के लिए बजटीय आवंटन से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
- अनुसंधान फंडिंग के प्रभाव को अधिकतम करने और भारत में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए NRF, मौजूदा फंडिंग एजेंसियों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोगात्मक प्रयास महत्वपूर्ण हैं।
सारांश:
|
वन संशोधन विधेयक पर विवाद:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन।
मुख्य परीक्षा: वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 के प्रावधान और संरक्षण बनाम विकास और सुरक्षा की बहस
प्रसंग:
- वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 में संकुचित वन परिभाषाओं, छूटों और वन समुदायों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई गई है।
वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रमुख प्रावधान:
- संरक्षणवादी दृष्टिकोण: वन संरक्षण अधिनियम 1980 (Forest Conservation Act of 1980) में वनों के प्रति एक सुरक्षात्मक रुख अपनाया गया, जिसमें वन संसाधनों के प्रभावी ढंग से संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया गया।
- वन मंजूरी प्रक्रिया: इस अधिनियम ने उन गतिविधियों के लिए एक कठोर वन मंजूरी प्रक्रिया निर्मित की, जिसमें औद्योगिक परियोजनाओं, खनन और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि का डायवर्जन शामिल था।
- केंद्रीकृत नियंत्रण: इस अधिनियम में देश भर में संरक्षण सिद्धांतों की एकरूपता और पालन सुनिश्चित करने हेतु मुख्य रूप से केंद्र सरकार को वन मंजूरी देने की शक्ति प्रदान की गई।
- प्रतिपूरक वनरोपण: वन भूमि के विचलन के पारिस्थितिक प्रभाव को दूर करने के लिए, इस अधिनियम में प्रतिपूरक वनीकरण को अनिवार्य कर दिया गया, जिसमें समान गैर-वन भूमि क्षेत्र में वनीकरण या पुनर्वनीकरण किया जाना था।
वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 के प्रावधान और चुनौतियाँ:
- इस संशोधन में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के निकट नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को 100 किमी के भीतर सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वन मंजूरी की आवश्यकता से बाहर रखा गया है।
- पूर्वोत्तर भारत और हिमालय के वन एवं घास के मैदानों जैसे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट ( biodiversity hotspots ) प्रभावित हो सकते हैं।
- चिड़ियाघर, सफारी पार्क और इको-पर्यटन सुविधाओं जैसी निर्माण परियोजनाओं के लिए छूट शुरू की गई।
- यह विधेयक केंद्र सरकार को ‘किसी भी वांछित उपयोग’ को निर्दिष्ट करने के लिए अप्रतिबंधित शक्तियां प्रदान करता है, जिससे उचित जांच के बिना संभावित दोहन के बारे में चिंताएं बढ़ जाती हैं।
- अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (Scheduled Tribes and Other Traditional Forest-dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2006) जैसे अन्य प्रासंगिक वन कानूनों का कोई उल्लेख नहीं है, जिसके कारण वनवासी लोगों को परामर्श से बाहर रखा गया है।
- वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Forest (Conservation) Amendment Bill, 2023
गोदावर्मन निर्णय:
- 1996 के फैसले ने वन संरक्षण अधिनियम के दायरे का विस्तार करते हुए वृक्षों वाले क्षेत्रों को भी इसमें शामिल कर दिया, भले ही उन्हें कानूनी रूप से वन के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया हो।
- संशोधन अधिनियम को कानूनी रूप से अधिसूचित वनों और 25 अक्टूबर, 1980 के बाद दर्ज किए गए वनों तक सीमित करता है।
- इसका भारत के 28% वन क्षेत्र, लगभग 2,00,000 वर्ग किलोमीटर, जिसमें नागालैंड में मूल्यवान अवर्गीकृत वन भी शामिल हैं पर संभावित प्रभाव हो सकता है।
- राज्य अब निर्माण और विकास के लिए पूर्व में संरक्षित वनों के विनाश की अनुमति दे सकते हैं।
निष्कर्ष:
- यह संशोधन मूल कानून की भावना से भिन्न है, जो संभावित रूप से संरक्षण के बजाय वन विनाश की सुविधा प्रदान करता है।
- महत्वपूर्ण वन क्षेत्रों और नाजुक पारिस्थितिक तंत्रों को बाहर करने से नकारात्मक पर्यावरणीय परिणाम हो सकते हैं।
- शुद्ध शून्य कार्बन प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने और वन आवरण को बढ़ाने के लिए वनवासियों को मताधिकार से वंचित करने के बजाय उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- रणनीतिक और सुरक्षा परियोजनाओं पर तेजी से काम करना आवश्यक है, लेकिन नियामक कानूनों से पूर्ण छूट आदर्श समाधान नहीं है।
- भारत की उत्तरी सीमाओं जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के पास विकास परियोजनाओं के लिए उचित भूवैज्ञानिक और पर्यावरणीय आकलन महत्वपूर्ण हैं।
- वन और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र अपरिहार्य हैं और समाज के कल्याण के लिए उन्हें महत्व दिया जाना चाहिए और संरक्षित किया जाना चाहिए।
सारांश:
|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. सरकार पीएलआई योजना का विस्तार रसायन, पेट्रोकेमिकल्स के क्षेत्र के लिए कर सकती है:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था
प्रारंभिक परीक्षा: अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के विकास के उद्देश्य से सरकारी नीतियां और उनमे हस्तक्षेप।
विवरण:
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रसायन और पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित करने की भारत की इच्छा का संकेत दिया हैं। उन्होंने वहनीयता/स्थिरता के महत्व और उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर जोर देते हुए इन उद्योगों में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की संभावित शुरुआत का भी सुझाव दिया है।
वैश्विक निवेशक संयुक्त उद्यम के लिए उत्सुक हैं:
- बीएएसएफ, एडनॉक, रोसनेफ्ट और अरामको जैसे प्रमुख वैश्विक निवेशक भारत के रसायन क्षेत्र में निवेश करने के लिए संयुक्त उद्यम के अवसरों को सक्रिय रूप से तलाश रहे हैं।
- यह कदम देश के रासायनिक उद्योग में सहयोग और विदेशी निवेश के संभावित अवसरों का संकेत देता है।
- रासायनिक क्षेत्र के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन ( PLI scheme ) योजना भारत सरकार रसायन और पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए पीएलआई योजना शुरू करने के लिए तैयार है।
- पीएलआई विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण और औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए एक प्रभावी उपकरण रहा है।
आयात में कमी लाने और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने का आग्रह:
- वित्त मंत्री सीतारमण ने उद्योग से उन रसायनों के आयात पर निर्भरता कम करने का आग्रह किया जिनका उत्पादन घरेलू स्तर पर किया जा सकता है।
- साथ ही वैश्विक खिलाड़ियों के साथ संभावित साझेदारी से लाभ प्राप्त करने के लिए स्थिरता और परिपत्रता पर ध्यान देने के साथ नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के महत्व पर जोर दिया गया।
स्थिरता और वैश्विक प्रतिबद्धताएँ:
- सुश्री सीतारमण ने वहनीयता/स्थिरता के वैश्विक मानकों को बनाए रखने और वैश्विक निवेशकों के साथ किसी भी सफल संयुक्त उद्यम के लिए भारत की राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धताओं (NDC) का पालन करने के महत्व पर जोर दिया है।
- वहनीयता/स्थिरता लक्ष्यों के साथ संरेखण सुनिश्चित करने से विदेशी निवेश के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में भारत की स्थिति में वृद्धि होगी।
विनिर्माण केंद्र बनने की भारत की आकांक्षा:
- सरकार का लक्ष्य भारत को विनिर्माण केंद्र बनाना है और इसलिए, वह रसायन और पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना पर विचार कर रही है।
- इन क्षेत्रों में विदेशी निवेश आकर्षित करने से भारत की औद्योगिक वृद्धि और आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।
2. G20: 39 बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ एक सर्कुलर इकोनॉमी (चक्रीय अर्थव्यवस्था) गठबंधन के लिए एक साथ आयीं हैं:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था
प्रारंभिक परीक्षा: सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल।
विवरण:
- चेन्नई में चौथे जी-20 ( G-20 ) पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (ECSWG) और मंत्रियों की बैठक में संसाधन दक्षता सर्कुलर इकोनॉमी उद्योग गठबंधन (RECEIC) का शुभारंभ उद्योगों में स्थिरता और पुनर्योजी प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
- केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने रैखिक “टेक-मेक वेस्ट” मॉडल से सर्कुलर इकोनॉमी दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया हैं।
सतत भविष्य के लिए सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल:
- सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल पारंपरिक रैखिक दृष्टिकोण से अलग होने पर केंद्रित है, जहां संसाधनों को निकाला जाता है, उपयोग किया जाता है और अपशिष्ट के रूप में त्याग दिया जाता है।
- इसके बजाय, सर्कुलर इकोनॉमी का लक्ष्य अपशिष्ट को कम करके और संसाधन दक्षता को अधिकतम करके अधिक टिकाऊ और पुनर्योजी दृष्टिकोण अपनाना है।
- सामग्रियों और उत्पादों का पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण और पुनर्जनन करके, सर्कुलर इकोनॉमी पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और एक बंद-लूप प्रणाली बनाने का प्रयास करती है।
- G20 एवं पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह (ECSWG) बैठक से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:G20: Environment & Climate Sustainability Working Group (ECSWG) Meeting.
संसाधन दक्षता का संकल्प:
- इस्पात, एफएमसीजी और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 39 बहुराष्ट्रीय निगम (MNCs) संसाधन दक्षता और सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए एक साथ आए हैं।
- ये बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ प्लास्टिक, माइक्रोप्लास्टिक्स, ई-कचरा और रासायनिक कचरे जैसे कचरे से उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के महत्व को पहचानती हैं।
गठबंधन का शुभारंभ और वैश्विक भागीदारी:
- RECEIC के लॉन्च में मूलभूत चार्टर पर हस्ताक्षर और लोगो का अनावरण शामिल था।
- मॉरीशस, डेनमार्क, इटली, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस और यूरोपीय संघ सहित सात देशों के मंत्रियों ने वैश्विक सहयोग का प्रदर्शन करते हुए इस कार्यक्रम में भाग लिया।
सरकारी समर्थन के साथ उद्योग-आधारित गठबंधन:
- इस गठबंधन का नेतृत्व उद्योगों द्वारा किया जाएगा, और सरकार स्थायी प्रथाओं को सुविधाजनक बनाने में सहायक भूमिका निभाएगी।
- इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण का उद्देश्य सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने में निजी क्षेत्र और सरकार दोनों की विशेषज्ञता और संसाधनों का उपयोग करना है।
प्लास्टिक कचरे को कम करने में भारत के प्रयास:
- वर्ष 2021-22 में देश में लगभग 41 लाख टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हुआ।
- इस कचरे में से लगभग 30 लाख टन पंजीकृत रिसाइक्लर्स और प्लास्टिक कचरा प्रसंस्करण इकाइयों को आवंटित किया गया था।
विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) दिशानिर्देश:
- प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए, भारत ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 के माध्यम से ईपीआर दिशा निर्देश स्थापित किए हैं।
- इन दिशानिर्देशों के तहत, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रोसेसरों ने 2.6 मिलियन टन मूल्य के ईपीआर ( EPR) प्रमाणपत्र तैयार किए, और पीआईबीओ ने 2022-23 के लिए अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए लगभग 1.51 मिलियन टन ये प्रमाणपत्र खरीदे।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. राज्यसभा में सिनेमैटोग्राफ (Cinematograph) बिल पारित:
- राज्यसभा ने 27 जुलाई 2023 को सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 ( Cinematograph (Amendment) Bill, 2023.) पारित कर दिया हैं।
- यह कानून पायरेसी के खिलाफ सख्त कदम उठाता है और सेंसरशिप के साथ-साथ कॉपीराइट उल्लंघन को भी शामिल करने के लिए इसके कवरेज को व्यापक बनाता है।
- सुझाए गए संशोधनों के तहत किसी फिल्म की अनधिकृत प्रतिलिपि बनाने या प्रसारित करने के इरादे से फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त स्थान पर किसी भी दृश्य-श्रव्य रिकॉर्डिंग उपकरण का उपयोग करना दंडनीय होगा।
- अपराधियों को तीन साल तक की कैद और फिल्म की निर्माण लागत का 5% तक जुर्माना हो सकता है।
- इस विधेयक में सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन करने का प्रस्ताव है,जिससे फिल्मों में कटौती की मांग करने और सिनेमाघरों और टेलीविजन में उनकी स्क्रीनिंग के लिए मंजूरी देने का केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ( Central Board of Film Certification (CBFC) ) का मौजूदा अधिकार प्रभावित होगा।
- इस विधेयक में फिल्मों के लिए तीन आयु रेटिंग पेश की गई है, जिसके लिए वयस्क पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है। वर्तमान U/A रेटिंग को U/A 7+, U/A 13+ और U/A 16+ में विभाजित किया गया है।
- 2004 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद से, ज्यादातर वयस्क-रेटेड फिल्मों को टेलीविजन पर प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस प्रतिबंध का पालन करने के लिए, प्रसारक अक्सर स्वेच्छा से फिल्मों का संपादन करते हैं और फिर सीबीएफसी (केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड) से U/A रेटिंग मांगते हैं।
- प्रस्तावित विधेयक इस मौजूदा प्रथा को औपचारिक बनाने और विनियमित करने का प्रयास करता है।
- कानून बनने से पहले इस बिल को लोकसभा से मंजूरी लेनी होगी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1.चक्रीय अर्थव्यवस्था के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?
- चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल लो-बनाओ-उपभोग करो-फेंक दो पैटर्न को बढ़ावा देता है।
- इसमें उत्पाद के जीवन चक्र को बढ़ाने के लिए सामग्री को साझा करना, पट्टे पर देना, पुन: उपयोग करना, मरम्मत करना और पुनर्चक्रण करना शामिल होता है।
- चक्रीय अर्थव्यवस्था बड़ी मात्रा में महंगी और कठिन पहुंच वाली सामग्रियों और ऊर्जा पर निर्भर करती है।
- पुनर्चक्रण चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल का हिस्सा नहीं है।
उत्तर: b
व्याख्या:
- चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल में उत्पादों के जीवन चक्र को बढ़ाने के लिए सामग्री को साझा करना, पट्टे पर देना, पुन: उपयोग करना, मरम्मत करना, नवीनीकरण करना और पुनर्चक्रण करना शामिल है, जिससे इसमें अपशिष्ट कम होता है और मूल्यवर्धन होता है।
प्रश्न 2.सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 सिनेमा हॉल और अन्य सार्वजनिक प्रदर्शनों में सार्वजनिक रूप से देखने हेतु फिल्मों को प्रमाणित करने के लिए उत्तरदायी है।
- CBFC के नौ क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो फिल्मों को वर्गीकृत करते हैं और उनकी रिलीज से पहले संशोधन और कट की सिफारिश करते हैं।
- CBFC फिल्म वर्गीकरण और संशोधन को निर्धारित करने के लिए क्षेत्रीय सदस्यों और सरकार द्वारा नियुक्त सलाहकार पैनलों को शामिल करते हुए तीन-चरणीय प्रक्रिया का पालन करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- उपरोक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- तीनों कथन सही हैं। सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 सार्वजनिक रूप से देखने के लिए फिल्मों को प्रमाणित करता है। CBFC फिल्मों को वर्गीकृत करने और बदलावों की सिफारिश करने के लिए एक संपूर्ण तीन-चरणीय प्रक्रिया का पालन करता है।
प्रश्न 3.उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?
- यह योजना केवल विदेशी कंपनियों को भारत में इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
- PLI घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की कुल बिक्री के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करता है।
- इस योजना का लक्ष्य आयात पर देश की निर्भरता को कम करना नहीं है।
- PLI मौजूदा विनिर्माण इकाइयों के विस्तार को बढ़ावा नहीं देता है।
उत्तर: b
व्याख्या:
- PLI योजना घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिसका लक्ष्य विदेशी और स्थानीय दोनों कंपनियों को बढ़ावा देना, रोजगार पैदा करना और आयात पर निर्भरता कम करना है।
प्रश्न 4.1996 के गोदावर्मन फैसले में वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का दायरा बढ़ाकर शामिल किया गया :
- केवल कानूनी तौर पर वन के रूप में अधिसूचित क्षेत्र।
- वृक्ष और वन्य जीव वाले क्षेत्र।
- वृक्ष वाले क्षेत्र लेकिन वन्य जीव नहीं।
- कानूनी अधिसूचना के बावजूद, वृक्ष वाले सभी क्षेत्र।
उत्तर: d
व्याख्या:
- 1996 के गोदावर्मन फैसले में वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के दायरे का विस्तार किया गया, जिसमें वनों के रूप में कानूनी अधिसूचना के बावजूद, वृक्ष वाले सभी क्षेत्रों को शामिल किया गया।
प्रश्न 5. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- NGT का गठन सुप्रीम कोर्ट और विधि आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
- NGT के पास प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजे और क्षति के रूप में राहत देने की शक्ति है।
- पर्यावरण संबंधी अपराधों से संबंधित आपराधिक मामलों पर NGT का क्षेत्राधिकार है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत हैं?
- सभी तीनों
- इनमें से कोई नहीं
- केवल एक
- केवल दो
उत्तर: c
व्याख्या:
- आपराधिक मामलों पर NGT का अधिकार क्षेत्र नहीं है; यह पर्यावरण संबंधी मुद्दों से संबंधित दीवानी मामलों से निपटता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में नदियों के बाढ़ क्षेत्र पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखने के महत्व पर चर्चा कीजिए। (Discuss the importance of maintaining the floodplain ecosystem of the rivers, especially in urban areas.) (10 अंक, 150 शब्द) [सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -3: पर्यावरण तथा आपदा प्रबंधन]
प्रश्न 2. स्थिरता प्राप्त करने के लिए एक चक्रीय अर्थव्यवस्था की प्राप्ति में जी 20 की भूमिका का उल्लेख कीजिए। (Highlight the role played by G20 in achieving a circular economy for attaining sustainability.) (10 अंक, 150 शब्द) [सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: अर्थव्यवस्था]
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं।)