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विषयसूची:

  1. जी20 के बाद, भारत GPAI की अध्यक्षता भी संभालेगा:
  2. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री का CoP-27 के समापन सत्र में सम्बोधन:
  3. शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य:
  1. जी20 के बाद, भारत GPAI की अध्यक्षता भी संभालेगा:

    सामान्य अध्ययन: 2

    अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

    विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संसथान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।

    प्रारंभिक परीक्षा: ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI),जी20 से सम्बंधित तथ्य।

    मुख्य परीक्षा: भारत द्वारा जी20 एवं ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) की अध्यक्षता संभालने के वैश्विक सन्दर्भ में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

    प्रसंग: 

    • भारत द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के संगठन जी20 की अध्यक्षता संभालने के बाद, भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ग्लोबल पार्टनरशिप (GPAI) की अध्यक्षता करेगा, जो जिम्मेदार और मानव-केंद्रित विकास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग का समर्थन करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय पहल है।

    उद्देश्य:

    • GPAI में भाग लेने वाले देशों के अनुभव और विविधता का उपयोग करके AI की चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने के लिए अपनी तरह की प्रथम पहल है।

    • यह आपसी सहयोग उन्नत अनुसंधान और लागू गतिविधियों का समर्थन करके AI से संबंधित प्राथमिकताओं में सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटने की कोशिश करेगा।

    विवरण:  

    • AI टेक लैंडस्केप को बड़ा और मजबूत बना रहा है और मानवीय संभावनाओं के दायरे को आगे बढ़ा रहा है।

    • AI से 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में 967 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2025 तक भारत की जीडीपी में 450-500 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ने की उम्मीद है, जो देश के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जीडीपी लक्ष्य का 10 प्रतिशत है।

    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत के प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम के विकास के लिए एक काइनेटिक इनेबलर है और 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल इकोनॉमी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक अहम कारक है।

    • GPAI अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर सहित 25 सदस्य देशों का एक समूह है।

    • भारत 2020 में एक संस्थापक सदस्य के रूप में समूह में शामिल हुआ था।

    • इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर फ्रांस से प्रतीकात्मक रूप से अधिग्रहण के लिए 21 नवंबर, 2022 को टोक्यो में होने वाली GPAI की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, जो वर्तमान में परिषद अध्यक्ष है।

    • परिषद की अध्यक्षता के लिए चयन प्रक्रिया में, भारत को प्रथम वरीयता के मतों के दो-तिहाई से अधिक मत प्राप्त हुए।

      • जबकि कनाडा और अमेरिका को इससे कम वोट मिले। इसलिए, इन दोनों देशों को परिषद की संचालन समिति की सीटों पर नियुक्त किया गया।

    • 2022-2023 संचालन समिति के लिए, पांच सीटें जापान (लीड काउंसिल चेयर और संचालन समिति के सह-अध्यक्ष के रूप में), फ्रांस (आउटगोइंग काउंसिल चेयर), भारत (इनकमिंग काउंसिल चेयर), कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के पास रहेंगी।

    • भारत को अध्यक्षता मिलना इस बात को दर्शाता है कि आज दुनिया भारत को एक विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में देखती है।

    • भारत ने हमेशा नागरिकों के जीवन को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग की वकालत की है।

    • यह भागीदारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षा जगत के प्रमुख विशेषज्ञों के सहयोग से एआई के जिम्मेदार विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करता है और मानव अधिकारों, समावेश, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास पर आधारित एआई के जिम्मेदार विकास और उपयोग के लिए मार्गदर्शन करता है।

  2. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री का CoP-27 के समापन सत्र में सम्बोधन:

    सामान्य अध्ययन: 3

    पर्यावरण:

    विषय: संरक्षण पर्यावरण प्रदुषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

    प्रारंभिक परीक्षा: UNFCCC , ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड’, COP27 से सम्बंधित तथ्य।

    मुख्य परीक्षा: COP27 सम्मेलन में लिए गये निर्णय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसकी चुनौतियां एवं इसके नीतिगत उपायों पर चर्चा कीजिए।

    प्रसंग: 

    • UNFCCC की पार्टियों के सम्मेलन (CoP 27) के 27वें सत्र का समापन 20 नवंबर 2022 को शर्म अल-शेख में किया गया था।

    उद्देश्य:

    • यह सम्मेलन विश्‍व के सामूहिक जलवायु लक्ष्‍यों को हासिल करने की दिशा में कार्रवाई करने के लिए एक मंच पर आए देशों के साथ पिछली सफलताओं का उल्‍लेख करने और भविष्य की महत्वाकांक्षा का मार्ग प्रशस्त करने के दृष्टिकोण से आयोजित किया गया था।

    विवरण:  

    • भारतीय शिष्‍ट प्रतिनिधिमंडल के नेता और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने इस समापन सत्र में अपना संबोधन दिया।

    • COP-27 सम्मेलन में यह तय किया गया हैं कि अब तक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में विफल रहे सभी देश, अब ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड से समस्या को दूर करेंगे।

    • जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मिस्र में 6 से 18 नवंबर तक चले संयुक्त राष्ट्र के 27 वें सम्मेलन अर्थात COP-27 बैठक में एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाला गया है।

    • 27वें संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (COP27) में सभी देशों के प्रतिनिधि ‘हानि और क्षति’ कोष (Loss and Damage Fund) स्थापित करने पर सहमत हुए हैं,अर्थात जिसमें हानि और क्षति निधि की व्‍यवस्‍था सहित हानि और क्षति निधि व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए समझौता किया गया है।

    • भारत ने सुरक्षा निर्णय में जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों में सतत जीवन शैलियों और खपत और उत्पादन के टिकाऊ पैटर्न की व्‍यवस्‍था को शामिल करने का भी स्वागत किया है।

    • साथ ही भारत द्वारा कहा गया कि हम कृषि और खाद्य सुरक्षा में जलवायु कार्रवाई के बारे में चार वर्ष काम करने का कार्यक्रम स्थापित कर रहे हैं।

    • कृषि लाखों छोटे किसानों की आजीविका का मुख्य आधार है जो जलवायु परिवर्तन से बुरी तरह से प्रभावित होगी। इसलिए हमें उन पर शमन जिम्मेदारियों का बोझ नहीं डालना चाहिए।

    • COP27 ऐतिहासिक है क्योंकि इसने हानि और क्षति निधि (Loss Damage Fund) पर समझौता किया है। दुनिया ने इसके लिए बहुत लंबा इंतजार किया है।

    • वास्‍तव में भारत ने अपनी कृषि में बदलाव को अपने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित योगदान (NDC) से बाहर रखा है।

    • हम सिर्फ ब‍दलाव पर काम करने का कार्यक्रम भी स्थापित कर रहे हैं।

    • अधिकांश विकासशील देशों के लिए केवल बदलाव की तुलना विकार्बनीकरण से नहीं, बल्कि निम्न-कार्बन विकास से की जा सकती है।

    • विकासशील देशों को अपनी पसंद के ऊर्जा मिश्रण और एसडीजी को प्राप्त करने में स्वतंत्रता दिए जाने की आवश्यकता है।

    • इसलिए विकसित देशों का जलवायु कार्रवाई में नेतृत्व प्रदान करना वैश्विक न्यायोचित परिवर्तन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है।

    • ऐसा कार्बन न्यूनीकरण कार्यक्रम, हानि और क्षति तथा जलवायु से जुड़े वित्तपोषण जैसे प्रमुख मुद्दों पर जारी गतिरोध को खत्म करने के प्रयास के तहत स्थापित किया गया है।

    पृष्ठ्भूमि:

    ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड:

    • संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी ‘लॉस एंड डैमेज’ फंड  स्थापित करने के निर्णय का स्वागत किया। गुटेरेस ने ‘लॉस एंड डैमेज’ निर्माण को न्याय की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

    • गुटेरेस ने मिस्र सरकार और COP-27 के अध्यक्ष सामेह शौकरी का उनके आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त किया।

    COP-27: 

    • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (UNFCCC) की वार्षिक बैठक को कॉन्फ्रेस ऑफ द पार्टीज (COP) के नाम से जाना जाता है इसमें प्रतिवर्ष COP के माध्यम से सभी देश जलवायु परिवर्तन पर चर्चा एवं रणनीति पर किसी मजबूत निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए एक साथ एक मंच पर विचार विमर्श पर बैठक करते हैं।

    • क्योटो प्रोटोकोल एवं पेरिस समझौते जैसे महत्वपूर्ण निर्णय इन्हीं बैठकों में अपनाये गये हैं। 27वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 6 नवंबर से 18 नवंबर 2022 के मध्य मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित किया गया था जिसकी अवधि एक दिन और बढ़ा दी गए थी।

    • जिसमें 90 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और 190 देशों के अनुमानित 35,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

    • गौरतलब हैं कि यह वर्ष 2016 के बाद अफ्रीका में आयोजित यह पहला जलवायु शिखर सम्मेलन है।

    • भारत ने भी वर्ष 2002 में नई दिल्ली में COP-8 की मेजबानी की थी।

    • जलवायु परिवर्तन से संबंधित सभी मामलों पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के पास पहले से ही एक विशेष एजेंसी, ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ (UNFCCC) है।

    • वर्तमान में, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन में 198 सदस्य देश (197 देश और 1 क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संगठन) हैं और ये प्रतिवर्ष कई बार बैठक करते हैं।

    • इसका सचिवालय जर्मनी के बॉन में स्थित है। यह संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई है जो जलवायु परिवर्तन के खतरे पर वैश्विक प्रतिक्रिया का समर्थन करती है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य:

    2070 तक भारत का शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य:

    • भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष 2021 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-26) में भारत के लिए 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा की थी।

    • भारत द्वारा शुद्ध-शून्य लक्ष्य की घोषणा करना इस दृष्टिकोण से एक बड़ा कदम है, क्योंकि वह ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख योगदानकर्त्ताओं में से एक नहीं है, फिर भी वह एक स्वैच्छिक दायित्व-बोध से आगे बढ़ा है।

    • भारत वर्ष 2030 तक कम कार्बन उत्सर्जन वाली अपनी विद्युत क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाने और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत हिस्सा पूरा करने का लक्ष्य बना रहा है।

    • उल्लेखनीय है कि भारत का ऐतिहासिक संचयी उत्सर्जन विश्व के कुल उत्सर्जन का मात्र 4.37% है।

      • इस संदर्भ में भारत ने UNFCCC के COP-26 में अपनी वर्द्धित जलवायु प्रतिबद्धताओं— ‘पंचामृत’ की घोषणा की, जिसमें वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन (Net-Zero Carbon Emission) तक पहुँचने की प्रतिबद्धता को शामिल किया गया है।

    • शून्य शुद्ध उत्सर्जन लक्ष्य को कार्बन तटस्थता के रूप में भी जाना जाता है।

    • वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक बनाकर उत्सर्जन के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।

      • हालाँकि वातावरण से गैसों को हटाने के लिये कार्बन कैप्चर और स्टोरेज जैसी भविष्य की तकनीकों की आवश्यकता होती है।

        • 70 से अधिक देशों ने सदी के मध्य तक यानी वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य बनने का दावा किया है।

    • यदि भारत को वर्ष 2070 तक अपने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो भारत को अब से बड़े पैमाने पर 10.1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।

    शून्य उत्सर्जन हेतु भारत द्वारा लिए गए निर्णय:

    • इस लक्ष्य को अपनाने के लिए भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से 50% स्थापित विद्युत् उत्पादन क्षमता के लक्ष्य की भी घोषणा की है, जो 40% के मौजूदा लक्ष्य को बढ़ाता है, जो की पहले ही लगभग हासिल कर लिया गया है।

      • जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (LIFE) के लिये जन आंदोलन सहित संरक्षण और संयम की परंपराओं एवं मूल्यों के आधार पर जीवन जीने के स्वस्थ तथा टिकाऊ तरीके को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है, वहीं आर्थिक विकास के संबंधित स्तर पर अन्य लोगों द्वारा अपनाए गए मार्ग की तुलना में जलवायु के अनुकूल और स्वच्छ मार्ग को अपनाने की मुहिम चलाई गई है।

    • भारत की वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन संचय करने की भी योजना है।

      • जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों विशेष रूप से कृषि, जल संसाधन, हिमालयी क्षेत्र, तटीय क्षेत्रों और स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन के लिये विकास कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन करने का लक्ष्य रखा गया है।

    • भारत द्वारा वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है जो हरित जलवायु कोष (GCF) सहित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त की मदद से संभव होगा।

    • भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा स्थापना पहलों में से एक की शुरूआत की है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन (NMEEE) के तहत कई पहलें की हैं।

      • प्रतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम, 2016 के तहत बनाए गए प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) कोष में जमा राशि का उपयोग जल्द ही वनों की कटाई की भरपाई करने और पेड़ों की स्थानिक प्रजातियों को शामिल करने वाले हरित आवरण को बहाल करने के लिये किया जाएगा।

      • हाल ही में भारत ने ग्रे और ग्रीन हाइड्रोजन के लिये हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की भी घोषणा की है।

    • भारत द्वारा वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है जो हरित जलवायु कोष (GCF) सहित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त की मदद से संभव होगा।

20 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 16 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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