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विषयसूची:

  1. AI (GPAI) पर वैश्विक भागीदारी के परिषद अध्यक्ष के रूप में भारत ने कार्यभार संभाला:
  2. पीएम किसान योजना:
  3. कॉप-19 सीआईटीईएस:
  4. प्रधानमंत्री कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल का शुभारंभ करेंगे:
  5. श्री अरुण गोयल ने नए चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला:
  1. AI (GPAI) पर वैश्विक भागीदारी के परिषद अध्यक्ष के रूप में भारत ने कार्यभार संभाला:

    सामान्य अध्ययन: 2

    अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध: 

    विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संसथान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।

    प्रारंभिक परीक्षा: ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI),जी20 से सम्बंधित तथ्य।

    मुख्य परीक्षा: भारत द्वारा जी20 एवं ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) की अध्यक्षता संभालने के वैश्विक सन्दर्भ में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

    प्रसंग:

    • भारत ने 21 नवंबर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ग्लोबल पार्टनरशिप (GPAI) की अध्यक्षता ग्रहण की जो जिम्मेदार और मानव-केंद्रित विकास और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग का समर्थन करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय पहल है।

    उद्देश्य:

    • इसका उद्देश्य सरकार के डेटा संग्रह और प्रबंधन को मानकीकृत करना भी है। परिकल्पित भारतीय डेटा प्रबंधन कार्यालय आईडीएमओ के साथ एनडीजीएफपी अगली पीढ़ी के एआई और डेटा-आधारित अनुसंधान और स्टार्टअप इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करेगा।

    • डेटासेट प्रोग्राम जहां अज्ञात गैर-व्यक्तिगत डेटा पूरे एआई इकोसिस्टम के लिए उपलब्ध होगा, इसका उद्देश्य स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देना भी है।

    विवरण:

    • यह कार्यक्रम बाली, इंडोनेशिया में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की एक लीग G20 की अध्यक्षता भारत द्वारा संभालने के मौके पर हुआ।

    • इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर ने फ्रांस से प्रतीकात्मक अधिग्रहण के लिए टोक्यो में आयोजित जीपीएआई की बैठक में वर्चुअल रूप से भारत का प्रतिनिधित्व किया, जो निवर्तमान परिषद अध्यक्ष है।

    • इस अवसर पर भारत ने कहा कि भारत सदस्य देशों के साथ घनिष्ठ सहयोग में काम करेगा ताकि एक ऐसा ढांचा तैयार किया जा सके जिसके चारों ओर दुनिया भर के नागरिकों और उपभोक्ताओं की भलाई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति का दोहन किया जा सके- और सुनिश्चित किया जा सके कि दुरुपयोग और उपयोगकर्ता के नुकसान को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम हैं।

    • प्रौद्योगिकी और इनोवेशन में वर्तमान निवेश को आगे बढ़ाने के लिए AI एक बड़ा कारक है, भारत आधुनिक साइबर कानूनों और ढांचे का एक इकोसिस्टम बना रहा है जो खुलेपन, सुरक्षा और विश्वास और जवाबदेही की तीन सीमा शर्तों से प्रेरित है।

    • एनडीजीएफपी का उद्देश्य गैर-व्यक्तिगत डेटा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना और सरकारी डेटा साझा करने के लिए संस्थागत ढांचे में सुधार करने, डिजाइन द्वारा गोपनीयता और सुरक्षा के सिद्धांतों को बढ़ावा देने और गुमनामी उपकरण के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना है।

    • AI से 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में $967 बिलियन और 2025 तक भारत की जीडीपी में  $450-500 बिलियन के योगदान की उम्मीद है, जो देश के  $5 ट्रिलियन जीडीपी लक्ष्य का 10 प्रतिशत है।

    पृष्ठ्भूमि

    • जीपीआईए अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और सिंगापुर सहित 25 सदस्य देशों का एक समूह है।

    • भारत 2020 में एक संस्थापक सदस्य के रूप में समूह में शामिल हुआ था।

    • AI के आसपास चुनौतियों और अवसरों की बेहतर समझ विकसित करने के लिए यह अपनी तरह की पहली पहल है।

    • यह भागीदारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों और शिक्षा जगत के प्रमुख विशेषज्ञों के सहयोग से एआई के जिम्मेदार विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करता है और मानव अधिकारों, समावेश, विविधता, नवाचार और आर्थिक विकास पर आधारित एआई के जिम्मेदार विकास और उपयोग का मार्गदर्शन करता है।

  2. पीएम किसान योजना:

    सामान्य अध्ययन: 2

    शासन:

    विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ।

    प्रारंभिक परीक्षा:पीएम किसान योजना से सम्बंधित तथ्य।

    प्रसंग:

    • पीएम किसान योजना भूमि धारक किसानों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की एक मुख्य योजना है।

    उद्देश्य:

    • पीएम किसान एक परिवर्तनकारी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना हैं।

    • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से किसान परिवारों के बैंक खातों में प्रति वर्ष 6000 रुपये का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है।

    • उच्च आर्थिक स्थिति की कुछ श्रेणियों को इस योजना से बाहर रखा गया है।

    विवरण:  

    • प्रधानमंत्री द्वारा 24 फरवरी, 2019 को शुरू की गई यह महत्वाकांक्षी योजना दुनिया की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं में से एक है।

      • यह योजना करोड़ों किसानों तक लाभ पहुंचाने में सफल रही है, और ख़ास बात यह है कि इसमें बीच का कोई बिचौलिया शामिल नहीं है।

    • पीएम किसान के तहत किसी भी किश्त अवधि के लिए लाभ जारी करने की संख्या अब 10 करोड़ किसानों को पार कर गई है। शुरुआत में यह संख्या 3.16 करोड़ थी, अर्थात 3 वर्षों में 3 गुना से अधिक की वृद्धि हो चुकी है।

    • पीएम किसान योजना ने 3 से अधिक वर्षों के दौरान करोड़ों जरूरतमंद किसानों को सफलतापूर्वक 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक सहायता प्रदान की है।

    • पीएम किसान एक उभरती हुई योजना है और यह योजना प्रत्येक किसान द्वारा स्व-प्रमाणन पर निर्धारित किसानों की पात्रता के साथ शुरू की गई थी।

      • राज्यों द्वारा किसानों के पंजीकरण एवं सत्यापन के तरीके में समय के साथ सुधार किए गए हैं।

    • इस योजना की सफलता किसान विवरण के सत्यापन और प्रमाणीकरण के लिए समय के साथ शुरू किए गए सुधारों में निहित है।

    • पीएम किसान भारत में किसानों को सरकारी सहयोग की प्रकृति में एक बड़ा बदलाव है और नागरिकों तक सीधे पहुंचने के लिए सुशासन तथा डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के उपयोग के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है।

      • सरकार ने पीएम किसान के कार्यान्वयन में डिजिटल तकनीकों के व्यापक उपयोग का लाभ उठाते हुए कृषि या एग्री स्टैक के लिए एक डिजिटल इकोसिस्टम के निर्माण के लिए भी कदम उठाए हैं।

      • यह कृषि क्षेत्र में एक और डिजिटल सार्वजनिक सार्थक पहल साबित होगी, जिसमें पीएम किसान डेटा का उपयोग राज्यों द्वारा बनाए जाने वाले संघबद्ध किसानों के डेटाबेस के आधार के रूप में किया जाएगा।

    • कई अध्ययन और निष्कर्ष निकल कर सामने आये हैं, जो इशारा करते हैं कि पीएम किसान योजना ने किसानों को कृषि गतिविधियों में उत्पादक निवेश की दिशा में मदद की है। इसके बदले में, गुणक प्रभाव के माध्यम से कृषि क्षेत्र के समग्र सुधार में योगदान दिया गया है।

    • उदाहरण के तौर पर आईसीएआर और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) के सहयोग से किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इस योजना ने कृषि के लिए आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए किसानों की तरलता की कमी को दूर करने में काफी मदद की है।

      • इसके अलावा, छोटे व सीमांत किसानों के लिए इस योजना से उन्हें न केवल कृषि कार्यों के लिए धन की आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिली है, बल्कि उनके दैनिक उपभोग, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य आकस्मिक खर्चों के लिए भी सहायता मिली है।

    • सही मायने में, हर चार महीने में और किसानों की जरूरत के समय देश में किसानों तक सीधे पहुंचने में पीएम किसान एक परिवर्तनकारी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना साबित हुई है।

  3. कॉप-19 सीआईटीईएस:

    सामान्य अध्ययन: 2

    अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

    विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संसथान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।

    प्रारंभिक परीक्षा: कॉप-19 सीआईटीईएस,दालबर्जिया सिस्सू उत्पाद से सम्बंधित तथ्य।

    प्रसंग: 

    • सुंदर शहर,पनामा में 14 से 25 नवंबर, 2022 तक पार्टियों के सम्मेलन की 19वीं बैठक; वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (सीआईटीईएस) के लिए आयोजित की जा रही है।

    विवरण:  

    • शीशम (दालबर्जिया सिस्सू) को सम्मेलन के परिशिष्ट II में शामिल किया गया है, जिससे इसकी प्रजातियों के व्यापार के लिए सीआईटीईएस नियमों के पालन की आवश्यकता होती है।

    • अभी तक 10 किलो से अधिक वजन की हर खेप के लिए सीआईटीईएस परमिट की आवश्यकता होती है।

    • इस प्रतिबंध के कारण भारत से दालबर्जिया सिस्सू से बने फर्नीचर और हस्तशिल्प का निर्यात सूचीबद्ध होने से पहले अनुमानित 1000 करोड़ रुपये (129 मिलियन डॉलर) प्रति वर्ष से सूचीबद्ध होने के बाद लगातार कम होते हुए 500-600 करोड़ रुपये (64 से 77 मिलियन डॉलर) प्रति वर्ष रह गया है।

    • दालबर्जिया सिस्सू उत्पादों के निर्यात में कमी ने प्रजातियों के काम से जुड़े लगभग 50,000 शिल्पकारों की आजीविका को प्रभावित किया है।

    • भारत की पहल पर वर्तमान बैठक में शीशम (दालबर्जिया सिस्सू) से निर्मित वस्तुओं जैसे फर्नीचर और कलाकृतियों की मात्रा को स्पष्ट करने के प्रस्ताव पर विचार किया गया।

    • भारतीय प्रतिनिधियों द्वारा निरंतर किये गए विचार-विमर्श के बाद, इस बात पर सहमति बनी कि किसी भी संख्या में दालबर्जिया सिस्सू लकड़ी-आधारित वस्तुओं को बिना सीआईटीईएस परमिट के शिपमेंट में एकल खेप के रूप में निर्यात किया जा सकता है, यदि इस खेप के प्रत्येक उत्पाद का व्यक्तिगत वजन 10 किलो से कम है।

    • इसके अलावा, इस बात पर भी सहमति बनी कि प्रत्येक वस्तु के शुद्ध वजन के लिए केवल लकड़ी की मात्रा पर विचार किया जाएगा और उत्पाद में प्रयुक्त किसी अन्य वस्तु जैसे धातु आदि को नजरअंदाज किया जाएगा। यह भारतीय शिल्पकारों और फर्नीचर उद्योग के लिए बड़ी राहत की बात है।

    पृष्ठ्भूमि:

    • यह उल्लेख किया जा सकता है कि 2016 में जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में पार्टियों के सम्मेलन (CoP) की 17वीं बैठक में सम्मेलन के परिशिष्ट II में जीनस दालबर्जिया की सभी प्रजातियों को शामिल किया गया था, जिससे प्रजातियों के व्यापार के लिए सीआईटीईएस नियमों के पालन की आवश्यकता थी।

    • भारत में, दालबर्जिया सिस्सू (उत्तर भारत में रोज़वुड या शीशम) प्रजाति बहुतायत में पाई जाती है और इसे लुप्तप्राय प्रजाति नहीं माना जाता है।

    • चर्चा के दौरान पार्टियों द्वारा यह विधिवत रूप से स्वीकार किया गया था कि दालबर्जिया सिस्सू एक लुप्तप्राय प्रजाति नहीं थी।

    • हालांकि, दालबर्जिया की विभिन्न प्रजातियों को उनके तैयार रूपों को पृथक करने की चुनौतियों के बारे में चिंता व्यक्त की गई।

    • कई देशों ने कहा कि विशेष रूप से सीमा शुल्क के सन्दर्भ में दालबर्जिया की तैयार लकड़ी को पृथक के लिए उन्नत तकनीकी उपकरण विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है।

    • इस पहलू को ध्यान में रखते हुए और तैयार लकड़ी को पृथक करने के लिए एक स्पष्ट तकनीक के अभाव में, कॉप सीआईटीईएस परिशिष्ट: II से प्रजातियों को हटाने पर सहमत नहीं हुआ।

    • हालांकि, प्रत्येक वस्तु के वजन के सन्दर्भ में दी गई राहत से भारतीय शिल्पकार समुदायों की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी और उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं के निर्यात को भी बहुत प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. प्रधानमंत्री कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल का भी शुभारंभ करेंगे:
    • प्रधानमंत्री रोजगार मेले के तहत 22 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लगभग 71,000 नवनियुक्त आवेदकों को नियुक्ति पत्र प्रदान करेंगे।

    • इससे पहले रोजगार मेले के तहत अक्टूबर में 75,000 से अधिक नवनियुक्त लोगों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए थे।

    • इस अवसर पर प्रधानमंत्री कर्मयोगी प्रारंभ मॉड्यूल का भी शुभारंभ करेंगे।

    • यह मॉड्यूल विभिन्न सरकारी विभागों में सभी नए नियुक्तियों के लिए एक ऑनलाइन ओरिएंटेशन पाठ्यक्रम है।

    • इस पाठ्यक्रम में सरकारी कर्मचारियों के लिए आचार संहिता, कार्यस्थल में नैतिकता और अखंडता, मानव संसाधन नीतियां तथा अन्य लाभ और भत्ते शामिल होंगे जो उन्हें नीतियों के अनुकूल बनाने और नई भूमिकाओं में आसानी से बदलाव करने में मदद करेंगे।

    • उन्हें अपने ज्ञान, कौशल और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अन्य प्लेटफॉर्म पर पाठ्यक्रमों का पता लगाने का भी अवसर प्राप्‍त होगा।

  2. श्री अरुण गोयल ने नए चुनाव आयुक्त के रूप में कार्यभार संभाला:
    • पूर्व नौकरशाह श्री अरुण गोयल ने 21 नवंबर 2022 को भारत के नए चुनाव आयुक्त (Election Commissioner of India) के रूप में पदभार ग्रहण किया है।वे पंजाब कैडर – 1985 बैच के आईएएस हैं।

    • वर्तमान में भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार है एवं अन्य दो निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे और अरुण गोयल हैं।

    • अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे के साथ चुनाव पैनल में शामिल होंगे।

    • उन्होंने सुशील चंद्रा का स्थान ग्रहण किया हैं। गौरतलब है कि सुशील चंद्रा इस साल मई महीने में मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से रिटायर हुए थे।

    • भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है, जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था।

    • भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी।

    • भारत के संविधान का भाग 15 जो चुनावों से संबंधित है इसमें चुनावों के संचालन के लिये एक आयोग की स्थापना करने की बात कि गई है।

    • संविधान के अनुच्छेद 324 से 329 तक चुनाव आयोग और उसके सदस्यों के कार्य, शक्तियों, कार्यकाल, पात्रता आदि से संबंधित हैं।

    संरचना:

    • भारत निर्वाचन आयोग में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।

      • यह 1950 में गठित हुआ तब से और 15 अक्टूबर, 1989 तक केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित यह एक एकल-सदस्यीय निकाय था।

      • 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक यह आर. वी. एस. शास्त्री (मु.नि.आ.) और निर्वाचन आयुक्त के रूप में एस.एस. धनोवा और वी.एस. सहगल सहित तीन-सदस्यीय निकाय बन गया।

      • 2 जनवरी, 1990 से 30 सितम्बर, 1993 तक यह एक एकल-सदस्यीय निकाय बन गया और फिर 1 अक्टूबर, 1993 से यह तीन-सदस्यीय निकाय बन गया।

    • भारतीय मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय चुनाव आयोग का प्रमुख होता है और भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चुनाव करवाने का उत्तरदायी होता हैं।

    • मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है।

    • निर्वाचन आयोग का सचिवालय नई दिल्ली में है।

    • मुख्य निर्वाचन अधिकारी एक IAS रैंक का अधिकारी होता है, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति द्वारा ही की जाती है।

    • मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले हो, का होता है।

      • चुनाव आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।

    • मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है।

      • मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या आयु 65 साल, जो पहले हो, का होता है जबकि अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष या आयु 62 साल, जो पहले हो, का होता हैं।

    • भारत निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति आदि चुनाव से सम्बंधित सत्ता होती है जबकि ग्रामपंचायत, नगरपालिका, महानगर परिषद् और तहसील एवं जिला परिषद् के चुनाव की सत्ता सम्बंधित राज्य निर्वाचन आयोग के पास होती है।

    निर्वाचन आयोग के कार्य तथा शक्तियां: 

    1 निर्वाचन आयोग निर्वाचनों का पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा आयोजन करवाता हैं तथा वह राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति, संसद, राज्यविधानसभा के चुनाव आयोजित करवाता है।

    2 निर्वाचक नामावली तैयार करवाता है।

    3 राजनैतिक दलों का पंजीकरण करता है।

    4. राजनैतिक दलों का राष्ट्रीय, राज्य स्तर के दलों के रूप मे वर्गीकरण, मान्यता देना, राजनितिक दलों या निर्दलीयॉ को चुनाव चिन्ह आवंटित करना।

    5. सांसद/विधायक की अयोग्यता (दल बदल को छोडकर) पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सलाह देना।

    6. गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियॉ को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित करना।

    • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयानुसार अनु 324 मे निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ कार्यपालिका द्वारा नियंत्रित नहीं हो सकती उसकी शक्तियां केवल उन निर्वाचन संबंधी संवैधानिक उपायों तथा संसद निर्मित निर्वाचन विधि से नियंत्रित होती है निर्वाचन का पर्यवेक्षण, निर्देशन, नियंत्रण तथा आयोजन करवाने की शक्ति मे देश मे मुक्त तथा निष्पक्ष चुनाव आयोजित करवाना भी निहित है जहां कही संसद विधि निर्वाचन के संबंध मे मौन है वहां निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिये निर्वाचन आयोग असीमित शक्ति रखता है यधपि प्राकृतिक न्याय, विधि का शासन तथा उसके द्वारा शक्ति का सदुपयोग होना चाहिए।

    • निर्वाचन आयोग विधायिका निर्मित विधि का उल्लघँन नहीं कर सकता है और न ही ये स्वेच्छापूर्ण कार्य कर सकता है उसके निर्णय न्यायिक पुनरीक्षण के पात्र होते है।

    • निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ निर्वाचन विधियों की पूरक है न कि उन पर प्रभावी तथा वैध प्रक्रिया से बनी विधि के विरूद्ध प्रयोग की जा सकती है।

    • यह आयोग चुनाव का कार्यक्रम निर्धारित कर सकता है चुनाव चिन्ह आवंटित करने तथा निष्पक्ष चुनाव करवाने के निर्देश देने की शक्ति रखता है।

    • सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी शक्तियों की व्याख्या करते हुए कहा कि वह एकमात्र अधिकरण है जो चुनाव कार्यक्रम निर्धारित करे चुनाव करवाना केवल उसी का कार्य है।

    • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुच्छेद14,15 भी राष्ट्रपति, राज्यपाल को निर्वाचन अधिसूचना जारी करने का अधिकार निर्वाचन आयोग की सलाह के अनुरूप ही जारी करने का अधिकार देते है।

21 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 20 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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