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25 मार्च 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय लिया गया
  2. अरावली ग्रीन वाल परियोजना का शुभारंभ
  3. “वितस्ता – द फेस्टिवल ऑफ़ कश्मीर” का दूसरा संस्करण
  4. संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन

1.नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय लिया गया

सामान्य अध्ययन: 3

आंतरिक सुरक्षा:

विषय: विकास और उग्रवाद के बीच संबंध

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा: सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में किए गए विभिन्न समझौतों के बारे में

संदर्भ:

  • प्रधानमंत्री के शांत और समृद्ध उत्तर-पूर्व भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए भारत सरकार ने एक बार फिर नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय किया है।

विवरण:

  • प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए प्रभावी कदम से उत्तर-पूर्वी राज्यों में सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और विकास में तेजी आयी है।
  • वर्ष 2014 की तुलना में, वर्ष 2022 में उग्रवादी घटनाओं में 76% की कमी आई है। उसी प्रकार इस अवधि में सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मृत्यु में क्रमश: 90% और 97% की कमी आई है।
  • इसके मद्देनजर भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम के तहत दशकों बाद अप्रैल 2022 से नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम किया। 
  • एक और महत्वपूर्ण निर्णय करते हुए इन तीनों राज्‍यों में फिर से, 01 अप्रैल, 2023 से, AFSPA के तहत अशांत क्षेत्रों में और कमी की जा रही है। 
  • यह निर्णय उत्तर-पूर्व भारत की सुरक्षा स्थिति में आये उल्लेखनीय सुधार को देखते हुए लिया गया है।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2014 से अभी तक लगभग 7000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।
  • पिछले 4 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री के शांत, समृद्ध और विकसित उत्तर-पूर्व के स्वप्न को साकार करने के लिए गृह मंत्रालय ने कई ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनसे दशकों से चली आ रही समस्याओं का समाधान हुआ। जैसे,
    • त्रिपुरा में अगस्त 2019 में NLFT(SD) समझौता कर, उग्रवादियों को हिंसा का मार्ग छोड़ समाज की मुख्य धारा में लाने का काम किया गया।
    • जनवरी, 2020 के बोडो समझौते ने असम की 5 दशक पुरानी बोडो समस्या का समाधान किया है।
    • जनवरी, 2020 में दशकों पुराने ब्रु-रिआंग शरणार्थी संकट को सुलझाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया गया, जिसके अधीन 37000 आंतरिक विस्थापित लोगों को त्रिपुरा में बसाया जा रहा है।
    • सितंबर, 2021 के करबी-आंगलांग समझौते ने लंबे समय से चल रहे असम के करबी क्षेत्र के विवाद को हल किया है।
    • सितंबर 2022 में असम के आदिवासी समूह के साथ समझौता किया गया है।

विभिन्न राज्यों में AFSPA के अंतर्गत अशांत क्षेत्र:

  • मोदी सरकार द्वारा सुरक्षा स्थिति में सुधार के कारण AFSPA के अंतर्गत अशांत क्षेत्र अधिसूचना को त्रिपुरा से 2015 में और मेघालय से 2018 में पूरी तरह से हटा लिया गया था।
  • संपूर्ण असम में वर्ष 1990 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना लागू है। मोदी सरकार के अथक प्रयासों से सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार के परिणामस्‍वरूप अप्रैल 2022 से असम के 9 जिलों तथा एक जिले के एक सब-डिविजन को छोड़कर शेष संपूर्ण असम राज्य से AFSPA के अन्तर्गत अशांत क्षेत्रों को हटा लिया गया था तथा अप्रैल 2023 से अशांत क्षेत्रों में ओर कमी करते हुए इसे मात्र 8 जिलों तक सीमित कर दिया गया है।
  • मणिपुर (इंफाल नगर पालिका क्षेत्र को छोड़कर) में AFSPA के अधीन अशांत क्षेत्र घोषणा वर्ष 2004 से चली आ रही थी। केंद्र सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन क्षेत्र को अप्रैल 2022 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर किया गया था और अब अप्रैल 2023 से AFSPA के अधीन अशांत क्षेत्र अधिसूचना को 4 अन्य थाना क्षेत्रो से हटाते हुए, कुल 7 जिलों के 19 पुलिस थानों से हटाया जा रहा है।
  • सम्पूर्ण नागालैण्ड में अशान्त क्षेत्र अधिसूचना वर्ष 1995 से लागू है। केन्द्र सरकार ने इस सन्दर्भ में गठित समिति की चरणबद्ध तरीके से AFSPA हटाने की सिफारिश को मानते हुए अप्रैल 2022 से 7 जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटाया गया था और अप्रैल 2023 से AFSPA के अधीन अशांत क्षेत्र अधिसूचना को 3 अन्य थाना क्षेत्रो से हटाते हुए, कुल 8 जिलों के 18 पुलिस थानों से हटाया जा रहा है।

अफस्पा के बारे में:

  • सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) 1958 में एक अध्यादेश के माध्यम से लाया गया था तथा तीन माह के भीतर ही इसे कानूनी रूप दे दिया गया था।
  • यह सेना, राज्य और केंद्रीय पुलिस बलों को अशांत क्षेत्रों में उनके कार्यों के लिए कानूनी छूट भी प्रदान करता है। यह गड़बड़ी पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति को गोली मारने का आदेश देता है। 
  • AFSPA तब लागू किया जाता है जब आतंकवाद या विद्रोह का मामला होता है और भारत की क्षेत्रीय अखंडता खतरे में होती है।
  • सुरक्षा बल किसी व्यक्ति को “उचित संदेह” के आधार पर या जिसने “संज्ञेय अपराध” किया है या करने वाला है, बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं। 

क्षेत्रों को अशांत घोषित करने की शक्तियां:

  • यदि किसी राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्र जहाँ यह अधिनियम लागू है, उस राज्य का राज्यपाल अथवा संघ शासित क्षेत्र का प्रशासक अथवा किसी भी क्षेत्र में केंद्र सरकार, यह मानती है कि वहां की स्थिति इतनी अशांत एवं खतरनाक है कि सिविल प्राधिकारियों के सहयोग के लिए सैन्य बलों का उपयोग आवश्यक है, तो उस राज्य का राज्यपाल अथवा संघ शासित क्षेत्र का प्रशासक अथवा केंद्र सरकार अधिसूचना जारी कर ऐसे राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्र के पूरे अथवा आंशिक भाग को अशांत क्षेत्र घोषित कर सकती है।

2.अरावली ग्रीन वाल परियोजना का शुभारंभ

सामान्य अध्ययन: 3

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा: अरावली ग्रीन वाल परियोजना के बारे में

संदर्भ:

  • पांच राज्यों में फैली अरावली पर्वत श्रृंखला के आसपास के 5 किमी. के बफर क्षेत्र को हरित बनाने की एक बड़ी पहल के रूप में अरावली ग्रीन वाल परियोजना का शुभारंभ किया।

विवरण:

  • भारत एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर  प्रतिबंध, जल संरक्षण प्रयासों और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से अरावली को पुनर्जीवित करने के लिए निरंतर आगे बढ़ रहा है। 
  • अरावली को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से हरियाणा के टिकली गांव में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया गया। 
  • इस पहल का उद्देश्य पांच राज्यों में फैली अरावली पर्वत श्रंखला के लगभग 5 किमी. के बफर क्षेत्र को हरित बनाना है। 
  • अरावली ग्रीन वाल परियोजना के तहत वनरोपण, पुनः वनीकरण और जल स्रोतों की बहाली के माध्यम से न सिर्फ अरावली के हरित क्षेत्र और जैव विविधता में बढ़ोतरी होगी, बल्कि क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरता, पानी की उपलब्धता और जलवायु में भी सुधार होगा। 
  • यह परियोजना स्थानीय समुदायों को रोजगार के अवसर, आय सृजन और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करके लाभान्वित करेगी। 
  • यह परियोजना 2030 तक अतिरिक्त 2.5 बिलियन टन कार्बन सिंक के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद करेगी।
  • इस परियोजना को केंद्र और राज्य सरकारों, वन विभागों, अनुसंधान संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और स्थानीय समुदायों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा निष्पादित किया जाएगा। 
  • परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण, तकनीकी कौशल, नीति समन्वय और जन जागरूकता आदि पर काम किया जाएगा।

हरियाणा में अरावली ग्रीन वाल परियोजना:

  • शुरुआती चरण में, परियोजना के तहत 75 जल स्रोतों का कायाकल्प किया जाएगा, जिसकी शुरुआत 25 मार्च को अरावली परिदृश्य के प्रत्येक जिले में पांच जल स्रोतों से होगी। 
  • परियोजना में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान और जल संसाधनों का संरक्षण भी शामिल होगा। 
  • इस परियोजना में गुड़गांव, फरीदाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़ और हरियाणा के रेवाड़ी जिलों की बंजर भूमि को शामिल किया जाएगा।
  • स्वैच्छिक संगठन, सोसाइटी फॉर जियोइन्फॉर्मेटिक्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट और एनजीओ, आईएमगुड़गांव क्रमशः बंधवाड़ी और घाटबंध में जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिए श्रमदान के उद्देश्य से लोगों को जुटाने के काम में लगे हुए हैं।

अरावली ग्रीन वाल परियोजना के बारे में:

  • अरावली ग्रीन वाल परियोजना केंद्रीय वन मंत्रालय के भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए देश भर में ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के विजन का हिस्सा है। 
  • इस परियोजना में हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली राज्य शामिल हैं जहां 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर अरावली की पहाड़ियां फैली हैं। 
  • इस परियोजना में तालाबों, झीलों और नदियों जैसे सतही जल स्रोतों के कायाकल्प और पुनर्स्थापन के साथ-साथ झाड़ियों, बंजर भूमि और खराब वन भूमि पर पेड़ों और झाड़ियों की मूल प्रजातियों को लगाना शामिल होगा। 
  • यह परियोजना स्थानीय समुदायों की आजीविका बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी और चरागाह विकास पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।

अरावली ग्रीन वाल परियोजना के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

  • अरावली पर्वत श्रृंखला के पारिस्थितिकी सेहत में सुधार करना। 
  • थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने और हरित बाधाओं को बनाकर भूमि क्षरण को कम करना, जो मिट्टी के कटाव, मरुस्थलीकरण और धूल भरी आंधियों को रोकेंगे।
  • यह हरित दीवार अरावली क्षेत्र में देशी वृक्ष प्रजातियों को लगाकर, वन्यजीवों के लिए आवास प्रदान करके, पानी की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करके अरावली पर्वत श्रृंखला की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिए कार्बन पृथक्करण और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करेगी।
  • वनीकरण, कृषि-वानिकी और जल संरक्षण गतिविधियों से स्थानीय समुदायों को जोड़कर सतत विकास और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना जिससे आय, रोजगार, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक लाभ सामने आएंगे।
  • UNCCD (मरुस्थलीकरण की रोकथाम हेतु संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन), CBD (जैविक विविधता सम्मेलन) और UNFCCC (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन ढांचागत सम्मेलन) जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के लिए योगदान करना।
  • पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास में वैश्विक लीडर के रूप में भारत की छवि को आगे बढ़ाना।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.“वितस्ता – द फेस्टिवल ऑफ़ कश्मीर” का दूसरा संस्करण:

  • आगामी 31 मार्च से लेकर 2 अप्रैल, 2023 के बीच महाराष्ट्र के पुणे में “वितस्ता – द फेस्टिवल ऑफ़ कश्मीर” के दूसरे संस्करण का आयोजन किया जाएगा।
  • इस महोत्सव का आयोजन केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसमें एमआईटी विश्व शांति विश्वविद्यालय और पुणे विश्वविद्यालय की विशेष साझेदारी होगी।
  • इस पहल का उद्देश्य, पूरे देश को कश्मीर की महान सांस्कृतिक विरासत, विविधता और विशिष्टता से परिचित कराना है, विशेष रूप से वैसे देशवासियों को जिन्हें अभी तक इस पावन धरा की यात्रा करने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है।
  • इस कार्यक्रम में संगीत कला, नृत्य कला, हस्तशिल्प कला जैसे विविध क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों द्वारा कई प्रकार की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
  • यह महोत्सव वितस्ता नदी से जुड़ी लोक मान्यताओं के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसे वैदिक काल से ही बेहद पवित्र माना जाता है। इस नदी का उल्लेख नीलमत पुराण, वितस्ता महामाया, हरचरिता चिंतामणि, राजतरंगिणी जैसे कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है और ऐसा माना जाता है कि इस पूजनीय नदी की निर्मल धाराएं, मानव स्वभाव के सभी अपकृत्यों का नाश कर देती हैं।
  • इससे “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के संकल्प को भी एक नया आयाम हासिल होगा।

2.संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन:

    • केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 के दौरान ‘नमामि गंगे- गंगा नदी और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और कायाकल्प की दिशा में एक एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण’ पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में मुख्य संबोधन दिया। 
    • नमामि गंगे मिशन को 14 दिसंबर 2022 को वैश्विक बहाली दिवस पर कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता सम्मेलन (CBD) के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (COP15) में दुनिया के 10 शीर्ष पारिस्थितिकी तंत्र बहाली फ्लैगशिप पहलों में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी।
    • वर्ष 2014 में नमामि गंगे मिशन का शुभारंभ किया गया था।
    • नमामि गंगे मिशन को गंगा नदी की निर्मलता और अविरलता को बहाल करने के लिए एक जनादेश और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ प्रारंभ किया गया था। इसके अलावा, इसका उद्देश्य न केवल गंगा नदी की प्राचीन महिमा को पुनर्स्थापित करना है, बल्कि स्थानीय आबादी को इससे जुड़ी पारंपरिक जानकारियों से जोड़ने में भी सहायता करना है।
    • नमामि गंगे कार्यक्रम के पांच महत्वपूर्ण स्तंभ- निर्मल गंगा (अप्रदूषित नदी), अविरल गंगा (असीमित  प्रवाह), जन गंगा (लोगों की भागीदारी), ज्ञान गंगा (ज्ञान और अनुसंधान आधारित हस्तक्षेप) और अर्थ गंगा (अर्थव्यवस्था के संबंल के माध्यम से जन-नदी संपर्क) हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023, न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में, 22 से 24 मार्च तक आयोजित किया गया।
    • इस तीन दिवसीय सम्मेलन की सह-मेजबानी नीदरलैंड और ताजिकिस्तान ने किया।
    • इस सम्मेलन को वर्ष 2030 तक सुरक्षित जल व स्वच्छता तक सार्वभौमिक पहुँच की दिशा में प्रगति को तेज़ करने के लिए, एक पीढ़ी समय में मिलने वाला असाधारण अवसर क़रार दिया गया है।
    • इसका उद्देश्य वैश्विक जल संकट के प्रति जागरूकता बढ़ाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ठोस कार्रवाई पर निर्णय लेना है।

 

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लिंक किए गए लेख में 24 मार्च 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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