पंचायतों से संबंधित संविधान का भाग -9 पाँचवीं अनुसूची में वर्णित अनुसूचित क्षेत्रों (Tribal Area) पर लागू नहीं होता (हालाँकि संसद इन प्रावधानों को कुछ अपवादों तथा संशोधनों सहित उक्त क्षेत्रों पर लागू कर सकती है) । इसी उद्देश्य से संसद ने 1996 का PESA अधिनियम (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार अधिनियम- Panchayats Extension to Scheduled Areas Act) पारित किया है, जिसे ‘पेसा एक्ट’ भी कहा जाता है । वर्तमान में देश के 10 राज्यों में पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र आते हैं- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िशा और राजस्थान । इन राज्यों ने अपने पंचायती राज अधिनियमों में संशोधन कर अपेक्षित अनुपालन कानून अधिनियमित किए हैं ।
पेसा अधिनियम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं :
- संविधान के भाग 9 के पंचायतों से जुड़े प्रावधानों को जरूरी संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करना।
- जनजातीय जनसंख्या को स्वशासन प्रदान कर वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करना ।
- ग्राम प्रशासन को स्थापित एवं सशक्त करना तथा ग्राम सभा को सभी गतिविधियों का केन्द्र बनाना ।
- पारंपरिक परिपाटियों की सुसंगतता में उपयुक्त प्रशासनिक ढाँचा विकसित करना ।
- जनजातीय समुदायों की परम्पराओं एवं रिवाजों को संरक्षण प्रदान करना ।
- जनजातीय लोगों की आवश्यकताओं के अनुरूप उपयुक्त स्तरों पर पंचायतों को विशिष्ट शक्तियों से युक्त करना।
- उच्च स्तर पर पंचायतों को निचले स्तर की ग्राम सभा की शक्तियों एवं अधिकारों के छिनने से रोकना ।
- जनजातियों के शोषण को रोकना ।
- अनुसुचित क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के पहले अथवा अनुसूचित क्षेत्रों में इन परियोजनाओं से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्स्थापन अथवा पुनर्वास के पहले ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत से सलाह को आवश्यक बनाना (हालाँकि परियोजनाओं की आयोजना एवं कार्यान्वयन अनुसूचित क्षेत्रों में राज्य स्तर पर समन्वयीकृत किया जाएगा) ।
- अधिसूचित क्षेत्रों में लघु जल स्रोतों के लिए आयोजना एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी उपयुक्त स्तर के पंचायत को सौंपना ।
- अधिसूचित क्षेत्रों में छोटे स्तर पर खनिजों का खनन संबंधी लाइसेंस अथवा खनन पट्टा प्राप्त करने के लिए ग्राम सभा अथवा उपयुक्त स्तर की पंचायत की अनुशंसा प्राप्त करना ।
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