संविधान का अनुच्छेद 279-A जीएसटी परिषद (GST Council) के गठन से संबंधित है । यह भारत के राष्ट्रपति को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के प्रारंभ होने के 60 दिनों के अंदर जीएसटी परिषद (GST Council) का गठन करने का अधिकार देता है ।
जीएसटी परिषद
वस्तु एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी परिषद) वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सिफारिशें करने के लिए बनाया गया एक संवैधानिक निकाय है । 2016 के 101वें संशोधन अधिनियम ने देश में एक नई कर व्यवस्था (GST) की शुरुआत की । इस संशोधन ने भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 279-ए जोड़ा । इस कर के सुचारू और कुशल प्रशासन के लिए केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है ।
इसके मुताबिक राष्ट्रपति ने 2016 में आदेश जारी कर परिषद का गठन किया था। परिषद का सचिवालय नई दिल्ली में स्थित है। केंद्रीय राजस्व सचिव परिषद के पदेन सचिव के रूप में कार्य करता है। यह भारत के राष्ट्रपति को 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के प्रारंभ होने के 60 दिनों के अंदर जीएसटी परिषद (GST Council) का गठन करने का अधिकार देता है ।
जीएसटी परिषद के कार्य
परिषद को निम्नलिखित मामलों पर केंद्र और राज्यों को सिफारिशें करने की सत्ता है:
- केंद्र, राज्यों और स्थानीय निकायों द्वारा लगाए गए करों, उपकरों और अधिभारों को GST में विलय करने के सन्दर्भ में ।
- ऐसी वस्तुओं और सेवाओं के विषय में जिन पर जीएसटी लगाया जा सकता है या जीएसटी से छूट दी जा सकती है ।
- मॉडल जीएसटी कानून, लेवी के सिद्धांत, अंतर-राज्य व्यापार या वाणिज्य के दौरान आपूर्ति पर लगाए गए जीएसटी का विभाजन और आपूर्ति के स्थान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत ।
- टर्नओवर की सीमा जिसके नीचे वस्तु और सेवाओं को जीएसटी से छूट दी जा सकती है ।
- किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए निर्दिष्ट अवधि के लिए कोई विशेष दर ।
- अरुणाचल प्रदेश, असम, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के संबंध में विशेष प्रावधान ।
- जीएसटी से संबंधित कोई अन्य मामला, जैसा कि परिषद तय कर सकती है ।
- इसके अलावा, परिषद उस तारीख की भी सिफारिश करेगी जिस दिन पेट्रोलियम क्रूड, हाई-स्पीड डीजल, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस और विमानन टरबाइन ईंधन पर जीएसटी लगाया जा सकता है ।
- परिषद को पांच साल की अवधि के लिए जीएसटी की शुरुआत के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजे की भी सिफारिश करनी है । सिफारिश के आधार पर, संसद मुआवजे का निर्धारण करती है ।
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