हमारे देश के उच्चतम न्यायालय एवं राज्यों के उच्च न्यायालयों को “अभिलेख न्यायालय” (Court of record) कहा जाता है । इसके 3 अर्थ हैं । पहला, न्यायालय की कार्यवाही एवं उसके फैसले सार्वकालिक अभिलेख व साक्ष्य के रूप में रखे जाते हैं । दूसरा, न्यायालय की अवमानना करने पर दंड का प्रावधान है । साथ ही, अभिलेख न्यायालय के रूप में, उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय को किसी मामले के संबंध में दिये गये अपने स्वयं के आदेश अथवा निर्णय की समीक्षा करने एवं उसमे सुधार करने की शक्ति भी प्राप्त है ।
अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्चतम न्यायालय की शक्तियां :-
(i) एक अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही एवं उसके फैसले सार्वकालिक अभिलेख व साक्ष्य के रूप में रखे जाएंगे । इन अभिलेखों पर किसी अन्य न्यायालय में चल रहे मामले के दौरान प्रश्न नहीं उठाया जा सकता । उन्हें विधिक संदर्भों की तरह स्वीकार किया जाएगा । अर्थात उनकी वैधानिकता को चुनौती नहीं दी जा सकती ।
(ii) उच्चतम न्यायालय के पास न्यायालय की अवमानना करने पर किसी को दंडित करने का अधिकार होगा । इसमें 6 वर्ष के लिए कारावास, या 2000 रुपए तक अर्थदंड या दोनों शामिल हैं । न्यायालय की अवमानना सिविल या आपराधिक दोनों प्रकार की हो सकती है । इसके तहत, न्यायालय के किसी भी निर्णय, आदेश, न्यायादेश अथवा अन्य प्रक्रिया का जानबूझकर पालन न करना, ऐसी सामग्री का प्रकाशन करना जिसमें न्यायालय की स्थिति को कमतर आँका गया हो या उसको बदनाम करना, या न्यायिक प्रक्रिया में बाधा पहुंचाना, न्याय प्रशासन को किसी भी तरीके से रोकना इत्यादि शामिल हैं ।
अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्च न्यायालय की शक्तियां :-
(i) एक अभिलेख न्यायालय के रूप में उच्च न्यायालय के फैसले, कार्यवाही और कार्य स्मृति और साक्ष्य के के रूप में रखे जाएंगे । इन अभिलेखों को साक्ष्य के तौर पर रखा जाता है और अधीनस्थ न्यायालयों में कार्यवाही के समय इन पर सवाल नहीं उठाए जा सकते । इन्हें कानूनी परंपराओं और संदर्भों की तरह माना जाता है।
(ii) उच्च न्यायालय के पास न्यायालय की अवमानना करने पर साधारण कारावास या आर्थिक दंड या दोनों प्रकार के दंड देने का अधिकार है । “न्यायालय की अवमानना” पद को न्यायालय की अवहेलना अधिनियम, 1971 में परिभाषित किया गया है । इसके तहत अवहेलना दीवानी अथवा आपराधिक किसी भी प्रकार की हो सकती है। इसके तहत, न्यायालय के किसी भी निर्णय, आदेश, न्यायादेश अथवा अन्य प्रक्रिया का जानबूझकर पालन न करना, ऐसी सामग्री का प्रकाशन करना जिसमें न्यायालय की स्थिति को कमतर आँका गया हो या उसको बदनाम करना, या न्यायिक प्रक्रिया में बाधा पहुंचाना, न्याय प्रशासन को किसी भी तरीके से रोकना इत्यादि शामिल हैं ।
राजनीती विज्ञान के हमारे अन्य उपयोगी हिंदी लेख:
- क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर आरक्षण
- ध्यानाकर्षण प्रस्ताव
- लोक सभा उपाध्यक्ष
- फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम
- 42वां संविधान संशोधन
नोट : UPSC 2023 परीक्षा की तिथि करीब आ रही है, आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साथ जुड़ें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं ।
हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज IAS हिंदी
अन्य महत्वपूर्ण लिंक :
UPSC Syllabus in Hindi | UPSC Full Form in Hindi |
UPSC Books in Hindi | UPSC Prelims Syllabus in Hindi |
UPSC Mains Syllabus in Hindi | NCERT Books for UPSC in Hindi |
Comments