मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार राज्यसभा के 10 नामित सांसदों के नाम नीचे सूचि में दिए गये हैं । भारत का राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा से जुड़े अथवा जानकार व्यक्तियों में से 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करता है वर्तमान में 2 पद रिक्त हैं । यह राष्ट्रपति की विधायी शक्ति का हिस्सा है जो उसे संविधान द्वारा दी गई है, क्योंकि राष्ट्रपति भारतीय संसद का एक अभिन्न अंग है ।
मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार राज्यसभा के 10 नामित सांसद | |||||
सं. | सांसद | क्षेत्र | दल | कार्यकाल | |
1 | महेश जेठमलानी | कानून | भारतीय जनता पार्टी | 02 जुलाई 2021 | 13 जुलाई 2024 |
2 | सोनल मानसिंह | कला | भारतीय जनता पार्टी | 14 जुलाई 2018 | 13 जुलाई 2024 |
3 | राम शकल | समाज सेवा | भारतीय जनता पार्टी | 14 जुलाई 2018 | 13 जुलाई 2024 |
4 | राकेश सिन्हा | साहित्य | भारतीय जनता पार्टी | 14 जुलाई 2018 | 13 जुलाई 2024 |
5 | रंजन गोगोई | कानून | निर्दलीय | 19 मार्च 2020 | 18 मार्च 2026 |
6 | वी. हेगड़े | समाज सेवा | निर्दलीय | 7 जुलाई 2022 | 6 जुलाई 2028 |
7 | पी. टी. उषा | खेल | निर्दलीय | 7 जुलाई 2022 | 6 जुलाई 2028 |
8 | इलैयाराजा | कला | निर्दलीय | 7 जुलाई 2022 | 6 जुलाई 2028 |
9 | वी. वी. प्रसाद | सिनेमा | निर्दलीय | 7 जुलाई 2022 | 6 जुलाई 2028 |
10 | गुलाम अली | समाज सेवा | भारतीय जनता पार्टी | 11 सितम्बर 2022 | 10 सितम्बर 2028 |
11 | रिक्त | ||||
12 | रिक्त |
राष्ट्रपति की अन्य विधायी शक्तियां
- वह संसद की बैठक बुला सकता है अथवा कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है ।
- वह लोकसभा को विघटित कर सकता है ।
- वह संसद के संयुक्त अधिवेशन का आह्वान कर सकता है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करेगा ।
- वह प्रत्येक नए चुनाव के बाद तथा प्रत्येक वर्ष संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित कर सकता है ।
- वह संसद में लंबित किसी विधेयक या अन्यथा किसी संबंध में संसद को संदेश भेज सकता है ।
- यदि लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के पद रिक्त हों तो वह लोकसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है । इसी प्रकार यदि राज्यसभा के सभापति व उप-सभापति दोनों पद रिक्त हों तो वह राज्यसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है ।
- वह साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा से जुड़े अथवा जानकार व्यक्तियों में से 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करता है ।
- वह लोकसभा में दो आंग्ल- भारतीय समुदाय के व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है ।
- वह चुनाव आयोग से परामर्श कर संसद सदस्यों की निरर्हता के प्रश्न पर निर्णय करता है ।
- संसद में कुछ विशेष प्रकार के विधेयकों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश अथवा आज्ञा आवश्यक है । उदाहरण के लिए, भारत की संचित निधि (consolidated fund) से खर्च संबंधी विधेयक अथवा राज्यों की सीमा परिवर्तन या नए राज्य के निर्माण या संबंधी विधेयक ।
- जब एक विधेयक संसद द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वह उस विधेयक को अपनी स्वीकृति दे सकता है; अथवा विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है; अथवा विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) संसद के पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है । (यदि संसद विधेयक को संशोधन या बिना किसी संशोधन के पुनः पारित करती है तो राष्ट्रपति के लिए सहमति देना अनिवार्य होगा)
- राज्य विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल जब राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है तब राष्ट्रपति: उस विधेयक को अपनी स्वीकृति दे सकता है; अथवा विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रख सकता है, अथवा; राज्यपाल को निर्देश दे सकता है की उस विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) राज्य विधायिका के पुनर्विचार के लिए लौटा दे । यदि राज्य विधायिका विधेयक को पुनः राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजती है तो राष्ट्रपति स्वीकृति देने के लिए बाध्य नहीं है।
- वह संसद के सत्रावसान की अवधि में अध्यादेश जारी कर सकता है । यह अध्यादेश संसद की पुनः बैठक के छह हफ्तों के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित करना आवश्यक है । वह किसी अध्यादेश को किसी भी समय वापस ले सकता है ।
- वह महानियंत्रक व लेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग व अन्य की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है ।
- वह अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादर एवं नागर हवेली एवं दमन व दीव में शांति, विकास व सुशासन के लिए विनियम बना सकता है । पुडुचेरी के भी वह नियम बना सकता है परंतु केवल तब जब वहाँ की विधानसभा निलंबित हो अथवा विघटित अवस्था में हो ।
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