राज्य पुनर्गठन आयोग (States Reorganization Commission) के अध्यक्ष फ़ज़ल अली थे । वे सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश थे । फ़ज़ल अली के अलावा के.एम पणिक्कर और एच.एन कुंजरू भी इस आयोग के सदस्य थे । राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना दिसंबर 1953 में की गई थी और इसने कम से कम प्रमुख भाषाई समूहों के लिए भाषाई राज्यों के निर्माण की सिफारिश की । 1956 में कुछ राज्यों का पुनर्गठन हुआ । इससे भाषाई राज्यों के निर्माण या उनके मांग की शुरुआत हुई और यह प्रक्रिया आज भी जारी है ।
राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) की पृष्ठभूमि
1947 में जब देश आजाद हुआ, भारत में 550 से अधिक रियासतें थीं । अस्थायी रूप से भारत की इन रियासतों को भाग A, B, C और D राज्यों में विभाजित किया गया था । इसलिए राज्यों की सीमाओं के पुनर्निर्धारण के मामले को देखने के लिए 29 दिसंबर 1953 को भारत सरकार द्वारा राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया था । उस समय की सबसे लोकप्रिय मांगों में से एक, भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करना था । यह प्रशासन को आसान बनाने और विवादास्पद जाति और धर्म-आधारित पहचानों को भाषाई पहचानों से बदलने के लिए किया गया था ।
स्वतंत्रता के बाद रियासतों को पुनर्गठित किया गया । यह पुनर्गठन राजनीतिक और ऐतिहासिक विचारों के आधार पर किया गया था । राज्यों का यह पुनर्गठन अस्थायी आधार पर किया गया था । 1953 में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग ने 1955 में देश को 16 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के लिए अपनी रिपोर्ट दी । सरकार ने नवंबर 1956 में पारित राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत देश को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया । आंध्र प्रदेश स्वतंत्र भारत का पहला राज्य था जिसका गठन भाषा के आधार पर हुआ था । आंध्र प्रदेश का गठन 1 नवंबर 1956 को हुआ था । इसके बाद देश के विभिन्न क्षेत्रों से भाषा के आधार पर नये राज्यों के गठन की मांग उठी ।
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