कानून निर्माण के क्षेत्राधिकार को ले कर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच विवाद न हो इसके लिए हमारे संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत कानून निर्माण शक्तियों का त्रि -स्तरीय  विभाजन किया गया है । इसके तहत मुख्य रूप से 3 (किंतु कुल 4) प्रकार की सूचियाँ बनाई गई हैं :- 

    1. समवर्ती सूचि (Concurrent List)- यह ऐसी सूचि है जिसमें शामिल विषयों पर केंद्र व राज्य दोनों  सरकार कानून बना सकती है । यदि दोनों विधियों में प्रतिरोध हो तो केंद्र द्वरा पारित कानून  ही मान्य होगा । इस सूची में वर्तमान में  52 विषय (मूलत: 47) हैं, जैसे:- शिक्षा , वन, पर्यावरण संरक्षण , वन्य जीव संरक्षण ,आपराधिक कानून  प्रक्रिया, सिविल प्रक्रिया, विवाह एवं तलाक, जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन, बिजली, श्रम कल्याण, आर्थिक एवं सामाजिक योजना, दवा, अखबार, पुस्तक एवं छापा प्रेस,गोद लेना एवं उत्तराधिकार  एवं अन्य । 
    2. राज्य सूचि (State List)- इस सूचि में शामिल विषयों पर (साधारण परिस्थितियों में)  केवल राज्य  सरकार कानून बना सकती है । यदि राज्य सभा कोई विशेष प्रस्ताव पारित करे या राज्य ही केन्द्रीय विधायिका से इसके लिए अनुमोदन करें तो केंद्र सरकार भी इन विषयों पर कानून का निर्माण कर सकती है । इस सूची में वर्तमान में 61 विषय शामिल हैं (मूलत: 66 विषय) जैसे:- सार्वजनिक व्यवस्था, स्थानीय शासन , भूमि , शराब , व्यापार -वाणिज्य ,पशुपालन  पुलिस, जन स्वास्थ्य एवं सफाई, कृषि, जेल, स्थानीय शासन, मत्स्यपालन, बाजार आदि । 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के तहत 5 विषयों को राज्य सूची से समवर्ती सूची में शामिल किया गया है — 1. शिक्षा, 2. वन, 3. नाप एवं तौल 4. वन्य जीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, 5. न्याय का प्रशासन उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सभी न्यायालयों का गठन) ।
    3. संघ सूचि (Union List)- यह ऐसी सूचि है जिसमें शामिल विषयों पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है ।  ये विषय राष्ट्रीय महत्त्व के होते हैं । इस सूची में वर्तमान में  100 विषय शामिल  हैं ( मूलत: इसमें 97 विषय थे) जैसे:- रक्षा, रेलवे, युद्ध एव शांति , अंतर्राष्ट्रीय समझौते , डाक , बैंकिंग, विदेश मामले, मुद्रा, परमाणु  ऊर्जा, बीमा, संचार, केंद्र- राज्य व्यापार एवं वाणिज्य, वायुसेवा , बन्दरगाह , जनगणना, लेखा परीक्षा आदि ।

नोट : उपरोक्त 3 सूचियों के अतिरिक्त एक अन्य सूचि का भी प्रावधान हमारे संविधान में दिया गया है जिसे अवशिष्ट सूचि (Residuary list) कहते हैं । इस सूचि में ऐसे विषय शामिल होते हैं जो उपरोक्त 3 सूचियों में से किसी भी सूचि में शामिल न  हों । इन विषयों पर  केवल केंद्र  सरकार कानून बना सकती है । नई अवधारणाएं, जो संविधान के निर्माण के समय अस्तित्व में नहीं थी जैसे  साइबर अपराध से सम्बद्ध कानून, इत्यादि इसके उदहारण हो सकते हैं ।

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