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राजस्थान का भड़ला या भदला (Bhadla) सोलर पार्क न केवल भारत बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट है । यह एक सोलर फोटोवोल्टिक पावर प्लांट है । भड़ला सौर परियोजना 2015 में शुरू हुई थी । इस परियोजना में करीब 1.4 अरब डॉलर का निवेश किया गया है । राजस्थान के जोधपुर जिले के फलोदी तहसील में स्थित यह परियोजना कुल 5,700 हेक्टेयर या 14,000 एकड़ क्षेत्र में विस्तृत है और पार्क की कुल क्षमता 2245 मेगावाट है । इसमें 10 मिलियन सौर पैनल शामिल हैं । यह विशाल परियोजना निर्माण के 4 चरणों से गुजरी है । इस लेख में आप भड़ला सोलर पार्क के साथ साथ भारत के अन्य प्रमुख सौर पार्कों की भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज  IAS हिंदी 

नोट : यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे  UPSC Prelims Syllabus in Hindi का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें, और इसके बाद ही  अपनी तैयारी की योजना बनाएं ।

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भड़ला सोलर पार्क का विकास

भड़ला सौर पार्क को कई संस्थाओं द्वारा और चरणबद्ध तरीके से विकसित किया गया है । इनमें एक्मे सोलर (acme solar) तथा राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (R.S.P.D.C.L) प्रमुख हैं । 745 मेगा वाट की परियोजनाओं का निर्माण राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा किया गया है, जो राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड (R.R.E.C.L) की एक सहायक कंपनी है । राजस्थान की सौर ऊर्जा कंपनी, जो राजस्थान सरकार और ‘आई.एल एंड एफ.एस एनर्जी डेवलपमेंट कंपनी’ का एक संयुक्त उद्यम है, ने 1000 मेगा वाट की परियोजना विकसित की है । अदानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क (A.R.E.P) द्वारा एक और 500 मेगा वाट विकसित किया गया है, जो अदानी एंटरप्राइजेज और राजस्थान सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम है । जब इसकी कुल क्षमता चालू हो जाएगी, तो पार्क दुनिया की सबसे बड़ी पूरी तरह से शुरू की गई परियोजना बन जाएगी, जिसमें निवेश बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है ।

सौर ऊर्जा उत्पादन स्थल के रूप में भड़ला सोलर पार्क

राजस्थान के भड़ला में औसत तापमान लगभग 46 से 48 डिग्री रहता है । जलवायु रेतीली, शुष्क और अक्सर बालू के तूफ़ान के साथ शुष्क होती है । इस तरह की जलवायु आमतौर पर रहने योग्य नहीं होती है और यह सौर ऊर्जा के दोहन और भारी मात्रा में ऊर्जा पैदा करने के लिए इसे आदर्श बनाती है । इस परियोजना के सौर पैनलों को रोबोट द्वारा साफ किया जाता है और कर्मचारीयों द्वारा निगरानी की जाती है । बढ़ती आबादी और ईंधन की बढ़ती मांग के साथ, भड़ला सोलर पार्क जैसी परियोजनाएं हमारे देश को जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद कर रही हैं । इसने हमें एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा का पता लगाने में सक्षम बनाया है और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन भी कर रहा है।

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में श्रमिकों के आगमन के साथ-साथ बहुत से रोजगार सृजित हुए हैं । लाखों लोग अभी भी बिजली के बिना रहते हैं, जिससे ऊर्जा की मांग एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन जाती है । इस परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को बुनियादी बिजली उपलब्ध कराना भी है । इसका उद्देश्य स्थानीय लोगों के लिए और अधिक रोजगार सृजित करने के साथ-साथ क्षेत्र के स्थानीय स्कूलों के छात्रों के लिए स्कूलों के बुनियादी ढांचे और बुनियादी सुविधाओं का उन्नयन करना है । इस सोलर पार्क से 750 मेगावॉट बिजली उत्तर प्रदेश को भी सप्लाई की जा रही है।

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लाभ

भारत सबसे तेजी से बढ़ती आबादी और अर्थव्यवस्थाओं में से एक है । यही कारण है कि यहाँ  बिजली और ऊर्जा की अत्यधिक मांग है । इस परिप्रेक्ष्य में सौर ऊर्जा संसाधनों के विकास के बहुत सारे लाभ हैं । सौर ऊर्जा स्वच्छ है, इससे पर्यावरण प्रदूषित नहीं होता है । जब तक धूप है, तब तक ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है और इससे सम्बद्ध मशीनरी को किसी भी खुली जगह में स्थापित किया जा सकता है । इस तरह की ऊर्जा दूर-दराज के दुर्गम इलाकों में विशेष उपयोगी है जहां लोगों की बिजली तक पहुंच नहीं है । रोजगार सृजन सौर ऊर्जा संयंत्रों का एक अन्य लाभ है । सोलर सिस्टम से जुड़ी लागत का एक बड़ा हिस्सा पैनल लगाने से आता है । यह स्थानीय रोजगार सृजन में योगदान देता है । इस प्रकार, सौर पैनलों का उपयोग अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है और सूक्ष्म स्तर पर समुदायों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है । कई देश स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों को अपना रहे हैं, क्योंकि ऊर्जा के परंपरागत स्रोत आमतौर पर ग्लोबल वार्मिंग और इसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं । राजस्थान में भड़ला सोलर पार्क जैसी सौर परियोजनाएं जीवाश्म ईंधन के कारण बुनियादी ढांचे पर पड़ने वाले बोझ को कम करने में मदद करेंगी । सौर पैनलों की लागत में गिरावट और इस क्षेत्र में कम लागत वाले ऋण से अन्य ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सौर ऊर्जा के तौर पर एक स्वच्छ और अधिक स्वस्थ विकल्प विकसित करने में मदद मिलेगी । भारत सरकार की तरफ से ऐसे छोटे -बड़े संयंत्र स्थापित करने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जाता है । ऐसा ही एक अभियान कुसुम (किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) है । अब सौर उर्जा का उपयोग एग्री- वोल्टाइक प्रणाली में भी होने लगा है । एग्री- वोल्टाइक प्रणाली जिसे कृषि- वोल्टीय प्रणाली या “सौर-खेती” के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसान अपने खेतों में फसल (विशेष तौर पर नकदी फसल) के उत्पादन के साथ-साथ बिजली का भी उत्पादन करते हैं । फोटो-वोल्टाइक तकनीक (PV) के तहत एक कृषि योग्य भूमि (एकल-भू-उपयोग तंत्र)  में बिजली उत्पादन के लिए फसल उत्पादन के साथ-साथ सौर-उर्जा पैनल स्थापित किये जाते हैं । इस तकनीक को पहली बार 1981 में एडॉल्फ गोएट्ज़बर्गर और आर्मिन ज़ास्ट्रो ने पेश किया था । 2004 में जापान में इस तकनीक का प्रोटोटाइप बनाया गया और कई परीक्षणों व सुधार के बाद, 2022 की शुरुआत में, पूर्वी अफ्रीका में पहला एग्रीवोल्टिक्स लॉन्च किया गया । आज भारत, U.S.A, फ्रांस, U.K और जर्मनी जैसे कई अन्य देश भी इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग कर रहे हैं । हालाँकि भारत में यह तकनीक अभी बाल्यावस्था में है । भारत में एग्री-वोल्टाइक प्रणाली की  इंस्टॉलेशन की क्षमता अभी 10 KWp से 3 MWp के बीच है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • राजस्थान के जोधपुर जिले के फलोदी तहसील में स्थित भड़ला सोलर पार्क विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क है ।
  • भड़ला सोलर पार्क 14 हजार एकड़ अर्थात करीब 5,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला है ।
  • यहां 18 बड़ी कंपनियों के 36 सोलर प्लांट लगे हुए है ।
  • इससे पहले कर्नाटक का पावागढ़ सोलर पार्क देश का सबसे बड़ा था । 
  • इस सोलर पार्क से 750 मेगावॉट बिजली उत्तर प्रदेश को भी सप्लाई की जा रही है ।
  • भड़ला सोलर पार्क चार फेज में विकसित हुआ है । पहले दो फेज राजस्थान सोलर पार्क डवलपमेंट कंपनी लि. द्वारा विकसित किये गये हैं । तीसरा फेज राजस्थान सरकार व आई.एल.एंड.एफ.एस एनर्जी की कंपनी सौर ऊर्जा कंपनी ने बनाया है । जबकि चौथे फेज को राजस्थान सरकार व अडाणी एंटरप्राइजेज की अडाणी रिन्युएबल पार्क कंपनी ने विकसित किया है ।
  • इसमें कुल 10 मिलियन सौर पैनल शामिल हैं ।

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राष्ट्रीय सौर मिशन 

हम जानते हैं कि दुनिया में जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) के स्रोत सीमित हैं और यदि उनका उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से न किया जाए तो शीघ्र ही हमारे लिए ऊर्जा का महान संकट उत्पन्न हो जाएगा । दूसरा तरीका यह हो सकता है कि ऊर्जा के अधिक से अधिक नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग के क्षेत्र में काम किए जाएं । इसी के तहत भारत सरकार ने 2009 में राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन शुरू किया है जिसे जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (JNNSM) भी कहा जाता है । यह 2008 में शुरू किये गए “नेशनल एक्शन प्लान ऑन क्लाइमेट चेंज” (NAPCC) के 8 मिशनों में से एक है (शेष 7 मिशन हैं : उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Enhanced Energy Efficiency), सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Sustainable Habitat), राष्ट्रीय जल मिशन (National Water Mission), हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को अनुरक्षित रखने हेतु राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Sustaining Himalayan Ecosystem), हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (Green India Mission), सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture) तथा जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Strategic Knowledge for Climate Change) । इस मिशन के तहत भारत सरकार ने 2022 के अंत तक 175 गीगा वाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य रखा है । इसमें से 60 गीगा वाट पवन ऊर्जा से, 100 गीगा वाट सौर ऊर्जा से, 10 गीगा वाट बायो मास ऊर्जा से तथा 5 गीगा वाट लघु पनबिजली से प्राप्त किया जाना शामिल है । योजना- आरंभ के समय सौर ऊर्जा का लक्ष्य 20 गीगा वाट  रखा गया था किंतु बाद में 2015 में भारत सरकार के द्वारा इसे बढ़ाकर 100 गीगा वॉट कर दिया गया है ।

भारत के अन्य मुख्य सोलर पार्क

पावागढ़ सोलर पार्क : पावागढ़ सोलर पार्क कर्नाटक के तुमकुर जिले के पावागड़ा तालुक में 53 वर्ग कि.मी (13,000 एकड़) के क्षेत्र में फैला एक सोलर पार्क है । इसे “शक्ति स्थल” का नाम दिया गया था । सौर ऊर्जा पार्क की क्षमता 2,050 मेगा वाट है और यह राजस्थान के भादला सौर पार्क के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फोटोवोल्टिक सौर पार्क है । इसका निर्माण 2018-19 में पूरा हुआ था ।

कुरनूल अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क : कुरनूल अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क, आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के पण्यम मंडल में 5,932.32 एकड़ के कुल क्षेत्रफल में फैला हुआ एक सोलर पार्क है, जिसकी क्षमता 1,000 मेगा वाट है । पार्क सौर ऊर्जा डेवलपर्स और केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगभग ₹7,000 करोड़ के निवेश से  बनाया गया था । इसे 29 मार्च 2017 को शुरू किया गया था और इसका नियंत्रण आंध्र प्रदेश सौर ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड (A.P.S.P.C.L) के पास था ।

एनपी कुंटा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क : एनपी कुंटा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क, जिसे अनंतपुरम अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क के रूप में भी जाना जाता है, आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में नंबुलापुलकुंटा मंडल में कुल 7,924.76 एकड़ क्षेत्र में फैला एक सौर पार्क है । इसे मई 2016 में शुरू किया गया था, और इसका स्वामित्व भी आंध्र प्रदेश सौर ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड (A.P.S.P.C.L) के पास है ।

रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर : रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर ग्रिड पैरिटी अपने तरह की  देश की पहली सौर परियोजना है । यह भारत में सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों में से एक है और एशिया का सबसे बड़ा एकल स्थल सौर संयंत्र है । रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (R.U.M.S.L) परियोजना मध्य प्रदेश के रीवा में है । यह मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (M.P.U.V.N.L) और भारतीय सौर ऊर्जा निगम (S.E.C.I) के बीच एक संयुक्त उद्यम है । रीवा भारत की पहली परियोजना है जो किसी अंतर्राज्यीय ‘ओपन एक्सेस’ ग्राहक (दिल्ली मेट्रो) को बिजली की आपूर्ति करती है । यह भारत की पहली परियोजना है जहां रेलवे कर्षण के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा । इस परियोजना को अपनी लेन -देन संरचना के लिए उत्कृष्टता के लिए विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष की ओर से पुरस्कार भी  मिला है ।

चारनका सोलर पार्क : गुजरात सोलर पार्क -1 (जिसे चारनका सोलर पार्क भी कहा जाता है) वर्तमान में उत्तरी गुजरात के पाटन जिले के चरंका गाँव के पास 2,000 हेक्टेयर (4,900 एकड़) भूखंड पर स्थित सोलर पार्क है ।

कामुथी सौर ऊर्जा परियोजना : कामुथी सौर ऊर्जा परियोजना भारत के तमिलनाडु राज्य में मदुरै से 90 कि.मी. दूर कामुथी, रामनाथपुरम जिले में 2,500 एकड़ के क्षेत्र में फैला एक फोटोवोल्टिक पावर स्टेशन है ।

कडप्पा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क : कडप्पा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले के मायलवरम मंडल में 5,927.76 एकड़ के कुल क्षेत्र में फैला हुआ एक सोलर पार्क है । यह परियोजना आंध्र प्रदेश सौर ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड (A.P.S.P.C.L) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जो कि आंध्र प्रदेश सरकार का एक संयुक्त उद्यम है । भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एस.ई.सी.आई), आंध्र प्रदेश विद्युत उत्पादन निगम और आंध्र प्रदेश लिमिटेड का नया और नवीकरणीय ऊर्जा विकास निगम ।

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM)

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार (M.N.R.E) ने देश के किसानों की आय में बढ़ोतरी के उद्देश्य से साल 2019 में “प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान”- कुसुम योजना को मंजूरी दी थी । इस योजना के अंतर्गत किसानों को अपना सोलर पम्प स्थापित करने और कृषि पम्पों के सौर-करण के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है । किसान दो मेगावाट तक ग्रिड से जुड़े सौर विद्युत संयंत्र भी स्थापित कर सकते हैं । यह योजना राज्य सरकारों के निर्धारित विभागों द्वारा लागू की जा रही है । कुसुम योजना के तहत किसानों को अपने खेतों या घर की छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने और डीजल या बिजली से चलने वाले पम्पिंग सेट्स को सौर बिजली से चलने वाले सोलर प्लांट से विस्थापित करने  के लिए  रियायती दरों पर आर्थिक सहायता दी जाती है । कुसुम योजना के तहत किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए 30% से  60% तक अनुदान या आर्थिक मदद देकर प्रोत्साहित किया जाता है । इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक कुल 25,750 मेगा वाट की सौर क्षमता स्थापित करना है। इस योजना के तीन घटक (components) हैं :

1.भूमि के ऊपर बनाए गए 10,000 मेगा वाट के विकेंद्रीकृत ग्रिडों को नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ना;

2.राष्ट्र में 17 लाख 50 हज़ार सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना करना, 

3.ग्रिड से जुड़े 10 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरीकरण करना ,

हाल ही में इस योजना में कुछ बदलाव भी किये गए हैं । पहले घटक 1 के अंतर्गत विकेंद्रीकृत ग्राउंड माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड नवीकरणीय विद्युत संयंत्र की स्थापना की बाध्यता थी जिसे अब परिवर्तित कर इसमें चारागाह और दलदली भूमि के स्वामित्व वाले किसानों को भी शामिल कर लिया गया है । इसके तहत बंजर, परती और कृषि भूमि के अलावा अब किसानों के चारागाह और दलदली भूमि पर भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा सकेंगे । दूसरा, सौर संयंत्र के आकार को घटा दिया गया है, जिससे छोटे किसान भी इसमें हिस्सा ले सकें । अब 500 किलो वाट से कम की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की अनुमति भी दी जा सकती है ।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान देश का पहला राज्य  है, जहां कुसम योजना के तहत बिजली उत्पादन प्रक्रिया शुरू हुई है । जयपुर जिले के कोटपूतली के भालौजी गांव में इस योजना के तहत विद्युत उत्पादन की शुरूआत की गई ।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए देखें हमारा अंग्रेजी लेख  Kishan Urja Suraksha Utthan Mahabhiyan (KUSUM)

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