02 दिसंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था:
पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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व्यक्तित्व अधिकार (पर्सनैलिटी राइट्स) मशहूर हस्तियों की सुरक्षा कैसे करते हैं?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: भारत का संविधान – विशेषताएं और महत्वपूर्ण प्रावधान।
प्रारंभिक परीक्षा: व्यक्तित्व अधिकारों से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत में व्यक्तित्व अधिकारों (पर्सनैलिटी राइट्स) की सुरक्षा एवं व्यक्तित्व अधिकारों और प्रचार अधिकारों के बीच प्रमुख अंतर।
संदर्भ:
- हाल ही में, दिल्ली के उच्च न्यायालय ने अमिताभ बच्चन के नाम, छवि और आवाज के अवैध उपयोग को रोकने के लिए एक आदेश पारित किया और अभिनेता के व्यक्तित्व अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए कहा है।
व्यक्तित्व अधिकार (Personality rights)
- व्यक्तित्व अधिकार किसी व्यक्ति की निजता या संपत्ति के अधिकार के तहत उसके व्यक्तित्व की रक्षा करने के अधिकार हैं।
- व्यक्तित्व अधिकार मशहूर और प्रसिद्ध हस्तियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विभिन्न कंपनियों द्वारा उनके उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए उनके नाम, छवियों या आवाजों का आसानी से दुरुपयोग किया जा सकता है।
- कई अद्वितीय व्यक्तित्व लक्षण या विशेषताएँ जैसे नाम, प्रचलित नाम, मंच के नाम, चित्र, और अन्य पहचान योग्य व्यक्तिगत गुण एक सेलिब्रिटी के निर्माण में योगदान करती हैं और इन सभी लक्षणों को संरक्षित किया जाना चाहिए।
- इसलिए, प्रसिद्ध हस्तियों या सेलिब्रिटी को अपने व्यक्तित्व अधिकारों को बचाने के लिए अपना नाम रजिस्टर कराना महत्वपूर्ण हो गया है।
- नाम रजिस्टर करवाने के परिणामस्वरूप व्यक्तित्व अधिकारों को व्यक्तिगत अधिकारों के बजाय संपत्ति के अधिकारों के रूप में देखा जाता है।
भारत में व्यक्तित्व अधिकार (Personality rights):
- वर्तमान में ऐसा कोई अधिनियम या कानून नहीं है जो भारत में व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करता हो।
- हालाँकि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 (Article 21) निजता के अधिकार और लोक-प्रसिद्धि के अधिकार के तहत व्यक्तित्व अधिकारों को संरक्षण प्रदान करता है।
- व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करने वाले अन्य वैधानिक प्रावधानों में कॉपीराइट अधिनियम, 1957 शामिल है।
- इस अधिनियम के अनुसार, नैतिक अधिकार केवल लेखकों और कलाकारों को दिए जाते हैं जिनमें अभिनेता, गायक, संगीतकार, नर्तक आदि शामिल हैं।
- अधिनियम के प्रावधान यह कहते हैं कि लेखकों या कलाकारों को श्रेय दिए जाने या अपने काम की रचनाकारिता का दावा करने के अधिकार हैं और उनके पास दूसरों द्वारा उनके काम को किसी भी तरह का नुकसान पहुँचाने से रोकने का भी अधिकार है।
- व्यक्तित्व अधिकारों को भारतीय ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 14 के तहत कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान की जाती है, जो व्यक्तिगत नामों के उपयोग और निरूपण पर प्रतिबंध लगाता है।
- इसके अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरुण जेटली बनाम नेटवर्क सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और अन्य मामले (2011) में अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति की इंटरनेट पर लोकप्रियता या प्रसिद्धि वास्तविकता से अलग नहीं होगी।
- न्यायालय ने यह भी कहा कि यह नाम उस श्रेणी में भी आता है जिसमें एक व्यक्तिगत नाम होने के अलावा इसने अपना विशिष्ट संकेत भी प्राप्त किया है।
- इसलिए विभिन्न क्षेत्रों में इसकी लोकप्रियता के साथ इसकी विशिष्ट प्रकृति (विशेषता-सूचक) के कारण नाम को ट्रेडमार्क कानून के तहत एक प्रसिद्ध व्यक्तिगत नाम / चिह्न के रूप में माना जाएगा जो यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति को इस नाम का अनुचित रूप से उपयोग करने से रोकने का अधिकार प्राप्त है।
व्यक्तित्व अधिकार बनाम प्रचार अधिकार:
- व्यक्तित्व अधिकार और लोक-प्रसिद्धि के अधिकार दोनों ही विभिन्न पहलुओं में एक दूसरे से भिन्न हैं।
- व्यक्तित्व अधिकारों में मुख्य रूप से दो प्रकार के अधिकार शामिल होते हैं-
- प्रचार का अधिकार या ट्रेडमार्क के उपयोग के समान ही अनुमति या मुआवज़े के बिना किसी की छवि को व्यावसायिक रूप से प्रयोग होने से बचाने का अधिकार।
- निजता का अधिकार या बिना अनुमति के किसी के व्यक्तित्व का सार्वजनिक रूप से निरूपण नहीं करने का अधिकार।
- जबकि विभिन्न प्रावधानों के अनुसार, प्रचार का अधिकार “टोर्ट ऑफ पासिंग ऑफ” (tort of passing off) के दायरे में आते हैं।
- “पासिंग ऑफ” तब होता है जब व्यक्ति जानबूझकर या अनजाने में अपने सामान या सेवाओं को किसी अन्य पक्ष से संबंधित के रूप में प्रसारित करते हैं।
- वस्तुओं और सेवाओं की ऐसी गलतबयानी किसी व्यक्ति या व्यवसाय की साख को प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय या प्रतिष्ठित की क्षति होती है।
- प्रचार अधिकार मुख्य रूप से ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 और कॉपीराइट अधिनियम 1957 जैसे कानूनों और विनियमों द्वारा शासित होते हैं।
उपभोक्ता अधिकारों पर झूठे विज्ञापनों का प्रभाव:
- झूठे विज्ञापनों को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध हस्तियों का दुरुपयोग न केवल सेलिब्रिटी/प्रसिद्ध हस्तियों के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन करता है बल्कि उपभोक्ता अधिकारों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
- इस चुनौती को स्वीकार करते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस तरह के भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए एक अधिसूचना जारी की है।
- विज्ञापनों पर लगाम लगाने के नए नियमों से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: The new rules to keep advertisements in check
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सर्वोच्च न्यायालय की वैधता को क्षीण करने के लिए पृष्ठभूमि
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का पृथक्करण।
मुख्य परीक्षा: कॉलेजियम प्रणाली की दक्षता।
संदर्भ:
- सर्वोच्च न्यायालय ने कॉलेजियम प्रणाली पर केंद्रीय कानून मंत्री की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है।
भूमिका:
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों की नियुक्ति पर निर्णय लेने वाली कॉलेजियम प्रणाली ( collegium system) पर केंद्रीय कानून मंत्री की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है।
- हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री ने कॉलेजियम प्रणाली को संविधान के लिए “बाहरी” बताया था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने जोर देकर कहा कि केंद्र “देश के कानून का पालन करने” के लिए बाध्य है और संवैधानिक परीक्षण में उत्तीर्ण होने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम की विफलता के लिए “पूरी व्यवस्था को दोष नहीं दे सकता” है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को अधिसूचित करने में केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया।
- केंद्र सरकार ने हाल ही में कॉलेजियम को 19 सिफारिशें लौटा दी हैं।
पृष्ठभूमि:
- राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (National Judicial Appointments Commission (NJAC)) एक संवैधानिक निकाय था जिसे न्यायाधीशों की नियुक्ति की वर्तमान कॉलेजियम प्रणाली को प्रतिस्थापित करने के लिए प्रस्तावित किया गया था।
- NJAC की स्थापना वर्ष 2014 में संसद द्वारा पारित संविधान [संविधान (99वाँ संशोधन) अधिनियम, 2014] में संशोधन करके की गई थी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2015 में 4-1 के बहुमत के फैसले में, कहा कि संविधान (99वाँ संशोधन) अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 दोनों असंवैधानिक थे क्योंकि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को क्षीण कर देंगे, जो कि संविधान की मूल संरचना की न्यायालय की अवधारणा का एक प्रमुख घटक है।
- साथ ही, न्यायालय ने कॉलेजियम प्रणाली में मौज़ूद कई समस्याओं को भी स्वीकार किया जिसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।
- इसके कारण उसी खंडपीठ द्वारा अलग-अलग कार्यवाही की गई जिसमें न्यायालय ने कानूनी समुदाय से प्राप्त सुझावों को संकलित करने के लिए दो सदस्यीय समिति नियुक्त की।
- न्यायिक नियुक्तियों के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) में इन सुधारों पर सर्वोच्च न्यायालय और सरकार को एक सामान्य आधार नहीं मिल सका।
- केंद्र सरकार भी अंतरालों को पाट कर संसद के माध्यम से NJAC को पुनर्जीवित करने में विफल रही, जिनका जिक्र सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 के अपने फैसले में किया था।
वैधता को क्षीण करना:
- उच्च न्यायपालिका में नियुक्तियों की प्रक्रिया एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी क्षेत्र बनी हुई है। प्रक्रिया पर सामने से होने वाले हमले लोकतांत्रिक व्यवस्था के पिछड़ने के संकेतक के रूप में काम करते हैं।
- कई देशों में, न्यायपालिका की वैधता पर संदेह किया जाता है। हंगरी और पोलैंड में, हाल के दिनों में, न्यायिक संस्थानों पर खुले हमले हुए हैं, जिन्होंने इन संस्थानों की शक्तियों और संरचना को बदल दिया है और उन्हें कार्यपालिका की नीतियों के अनुकूल अदालतों में बदल दिया है।
- भारत कॉलेजियम पारदर्शिता और जवाबदेही की बुनियादी मांगों को पूरा करने में विफल रहता है और भाई-भतीजावाद के आरोपों से ग्रस्त है। नियुक्तियों में सामाजिक विविधता का भी घोर अभाव है।
- हालाँकि, न्यायपालिका पर केंद्र सरकार की टिप्पणी और नियुक्तियों में हाल की देरी अंततः न्यायालय की वैधता के क्षीण होने का कारण बन सकती है।
- दोनों एक समान आधार तलाशेंगे और कॉलेजियम प्रणाली में सुधार करेंगे और बड़े पैमाने पर सरकार और हितधारकों की वैध चिंताओं को शामिल करके एक नए MoP के निर्माण में तेजी लाएंगे।
सारांश:
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भारतीय न्यायपालिका के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लीक करें: Indian Judiciary
सड़क सुरक्षा और पर्यावरणीय वहनीयता:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय: आपदा प्रबंधन।
मुख्य परीक्षा: पर्यावरण पर सड़क सुरक्षा का प्रभाव।
पर्यावरण पर सड़क सुरक्षा का प्रभाव:
- सुरक्षित सड़कों का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- 2021 में, भारत में 4,03,116 दुर्घटनाओं की सूचना प्राप्त हुई, जिनमें से प्रत्येक ने विभिन्न तरीकों से और अलग-अलग परिमाण में पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
- अधिकांश वाहनों में सीसा, पारा, कैडमियम या हेक्सावेलेंट क्रोमियम जैसी जहरीली धातुएँ होती हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। वाहन दुर्घटनाओं के कारण इन ईंधनों और तरल पदार्थों का रिसाव होता है।
- गंभीर सड़क दुर्घटनाएं ऑटोमोबाइल मलबे का कारण बनती हैं, जो अनुपयोगी एंड-ऑफ़-लाइफ वाहनों का एक हिस्सा बन जाती है। यह कबाड़ को जन्म देता है।
- भारत में 2025 तक लगभग 22.5 मिलियन एंड-ऑफ़-लाइफ वाहन होने का अनुमान है।
राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज नीति:
- केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2021 में वाहन स्क्रैपिंग नीति की घोषणा की गई थी।
- इस नीति में 20 वर्ष से अधिक पुराने 51 लाख हल्के मोटर वाहनों (LMV) और 15 वर्ष से अधिक पुराने अन्य 34 लाख LMV को कवर करने का अनुमान है।
- यह प्रदूषण को कम करने में सहायता करता है और पेरिस समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूर्ण करने में मदद करेगा।
- भारत के दुनिया में सबसे बड़े कार और हल्के वाणिज्यिक वाहन बाजारों में से एक होने के बावजूद, यह नीति अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है।
- उचित पुनर्चक्रण के लिए व्यापक, व्यवस्थित सुविधाओं के अभाव में पुराने वाहनों और सड़क दुर्घटना के बाद टूटेफूटे वाहनों को सड़क किनारे सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है।
- कुछ का प्रयोग लैंडफिल में या अनौपचारिक पुनर्चक्रण सुविधाओं में किया जाता है जहां प्रारंभिक उपकरणों का उपयोग अवैज्ञानिक रूप से उन्हें नष्ट करने के लिए किया जाता है।
- इससे तेल, शीतलक और कांच जैसे खतरनाक घटकों का रिसाव होता है जिसके परिणामस्वरूप भूमि का प्रयोग उप-इष्टतम प्रकार से हो पाता है और दशकों तक जल और मृदा प्रदूषण बना रहता है।
गति सीमा:
- सड़क हादसों का एक सबसे बड़ा कारण तेज गति है। सिर्फ 2020 में, 91,239 सड़क दुर्घटना में हुई मौतों के लिए तेज़ गति जिम्मेदार थी, जिसमें पंजीकृत सभी सड़क दुर्घटना मौतों का 69.3% शामिल था।
- पिछले पांच वर्षों में भारत में सभी सड़क दुर्घटनाओं में से 60% से अधिक के लिए तेज गति लगातार जिम्मेदार रही है।
- यूरोप में सिमुलेशन अभ्यासों ने प्रदर्शित किया है कि मोटरवे की गति सीमा को 10 किमी/घंटा तक कम करने से वर्तमान प्रौद्योगिकी यात्री कारों के लिए 12% से 18% ईंधन की बचत हो सकती है, साथ ही डीजल वाहनों से प्रदूषक उत्सर्जन, विशेष रूप से नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) आउटपुट में उल्लेखनीय कमी आ सकती है।
- नतीजतन, दुनिया भर में कई सरकारों ने दुर्घटनाओं को रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए गति सीमा कम कर दी है।
- भारत में, सेवलाइफ फाउंडेशन (SLF) द्वारा सड़क सुरक्षा के लिए जीरो-फैटलिटी कॉरिडोर समाधान उन्नत इंजीनियरिंग और प्रवर्तन तकनीकों के माध्यम से गति को कम करने पर केंद्रित है।
अन्य पहलें:
- सेवलाइफ फाउंडेशन द्वारा की गई और अनुशंषाओं को सड़क सुरक्षा पहलों को प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल डिजाइन किया गया है।
- फाउंडेशन के जीरो-फैटेलिटी कॉरिडोर (ZFC) कार्यक्रम, जिसे 2016 में मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर लागू किया गया था, ने 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं में 52% की कमी लाने में मदद की है।
- इसी तरह के हस्तक्षेप 2018 में पुराने मुंबई-पुणे राजमार्ग पर शुरू किए गए थे और 2021 तक इस खंड पर सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को 61% तक कम करने में मदद मिली।
- पहलों में सीधे टक्करों को रोकने के लिए क्रैश बैरियर का उपयोग करके पेड़ों जैसी प्राकृतिक कठोर संरचनाओं को लगाकर रक्षा करना, और पेड़ों को यात्रियों के लिए अधिक दृश्यमान बनाने हेतु उन पर रेट्रो रिफ्लेक्टिव साइनेज लगाना शामिल हैं।
- भारत सरकार जंगलों और जानवरों के रास्तों से मार्ग बनाने की बजाय उनके ऊपर से होते हुए हरित गलियारे का निर्माण कर रही है।
- अनुपस्थित या अपर्याप्त संकेत सड़क दुर्घटनाओं का एक अन्य प्रमुख कारण हैं। एस्बेस्टस का उपयोग सड़कों पर साइनेज बनाने के लिए किया जाता है।
- एस्बेस्टस का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसलिए ZFC प्रोग्राम एस्बेस्टस से अधिक महंगा होने के बावजूद एल्युमिनियम कम्पोजिट पैनल्स का विकल्प चुनता है।
- एल्युमिनियम कम्पोजिट पैनल उत्पादन प्रक्रिया के दौरान जहरीली गैस या तरल पदार्थ का उत्सर्जन नहीं करते हैं और वे बिना किसी मूल्ययोजन या गुणवत्ता हानि के अलग-अलग एल्यूमीनियम और प्लास्टिक के रूप में पुन: उपयोग योग्य होते हैं।
सारांश:
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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: भारत निर्वाचन आयोग।
मुख्य परीक्षा: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया के साथ जुड़े विभिन्न मुद्दे।
संदर्भ:
- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक तटस्थ तंत्र की आवश्यकता पर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चल रही सुनवाई निकाय की कार्यात्मक स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है।
भूमिका:
- सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ निर्वाचन आयोग (Election Commission) के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करने वाली याचिकाओं का परीक्षण कर रही है।
- चार जनहित याचिकाओं (PILs) के एक समूह में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के रूप में नियुक्तियों के लिए राष्ट्रपति को नामों की सिफारिश करने हेतु एक तटस्थ और स्वतंत्र चयन पैनल स्थापित करने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करने की माँग की गई है।
निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े मुद्दों के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Link
प्रीलिम्स तथ्य:
1.ताजे/मीठे पानी के कछुए:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जैव विविधता:
विषय: पर्यावरण और जैव विविधता।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत में मीठे पानी के कछुओं से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- हाल ही में पश्चिम बंगाल पुलिस ने मालदा जिले में लगभग 270 किलोग्राम कछुआ कैलीपी (कछुओं के निचले खोल में पाई जाने वाली एक जिलेटिनस परत, जिसे पारंपरिक चीनी चिकित्सा में इस्तेमाल किया जाता है) जब्त की हैं।
भारत में मीठे पानी के कछुए:
- भारत मीठे पानी के टर्टल (कछुए) (24) और कछुओं (Tortoises) (5) की लगभग 29 प्रजातियों का घर है। (Tortoises- आमतौर पर एक शाकाहारी कछुआ जो जमीन पर रहता है।)
- टर्टल्स और टॉर्टोइसेस के बीच मुख्य अंतर यह है कि टर्टल्स मुख्य रूप से जलीय जीव होते हैं जबकि टॉर्टोइस स्थलीय होते हैं और भूमि पर अधिक समय व्यतीत करते हैं।
- इनमें से 50% से अधिक टर्टल्स की प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं जिनमें से 11 को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम ( Wildlife Protection Act) की अनुसूची I के तहत संरक्षित किया गया है, एवं इनको बाघों के समान संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
- टर्टल्स और टॉर्टोइस धीमी गति से चलने वाले, सख्त जीव हैं, जो विभिन्न विकासवादी प्रक्रियाओं के अनुकूल हो गए हैं जिसकी वजह से वह बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के चक्र से बच गए हैं। हालांकि, अवैध कारोबार के कारण उन्हें फिलहाल मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
- इन जीवों की मुख्य रूप से तीन कारणों से तस्करी की जाती है- उनके मांस के लिए (मुख्य रूप से देश के भीतर), पालतू जीवों के रूप में (भारत के भीतर और बाहर) और उनकी कैलीपी निकालने के लिए।
- इंडियन रूफ्ड टर्टल, ब्लैक-स्पॉटेड टर्टल (जियोक्लेमिस हैमिल्टन), रेड-क्राउन रूफ्ड टर्टल और इंडियन स्टार टॉर्टोइस (जियोचेलोन एलिगेंस) जैसी प्रजातियों की अवैध व्यापार के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर भारी मांग हैं।
- इंडियन फ्लैपशेल टर्टल (लिसेमीस पंक्टाटा), इंडियन सॉफ्टशेल टर्टल (निल्सोनिया गैंगेटिका), जीनस निल्सोनिया की अन्य प्रजातियां और इंडियन नैरो-हेडेड सॉफ्टशेल टर्टल (चित्रा इंडिका) जैसी प्रजातियों की उनके मांस के कारण बहुत मांग है।
- उत्तरी नदी टेरापिन (बटागुर बस्का) के अलावा जो अब केवल सुंदरबन में पाया जाता है, के साथ राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य (NCGWS) के भीतर पाए जाने वाले रेड-क्राउन रूफ्ड टर्टल (बटागुर कछुगा) ने दुनिया के 25 सर्वाधिक संकटग्रस्त ताजे पानी के कछुओं की सूची में जगह बनाई है।
- पक्षकारों के सम्मेलन (COP) ने हाल ही में देश में पाए जाने वाले मीठे पानी के कछुओं की दो प्रजातियों अर्थात रेड-क्राउन्ड रूफ्ड टर्टल और लीथ्स सॉफ्टशेल टर्टल (निल्सोनिया लेथि) को वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species of wild fauna and flora (CITES),) के परिशिष्ट I में स्थानांतरित करने के भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। CITES उन सर्वाधिक लुप्तप्राय प्रजातियों को सूचीबद्ध करता है जिन्हें उच्चतम स्तर की सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
- इंडियन स्टार टॉर्टोइस को वर्ष 2017 में CITES के परिशिष्ट I में स्थानांतरित किया गया था।
- निल्सोनिअ (Nilssonia) और एन. लेंथी (N. leithii ) के जीनस की लगभग चार कछुओं की प्रजातियाँ भारत के लिए स्थानिक हैं।
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau (WCCB)), जो देश में वन्यजीवों की तस्करी को रोकने के लिए कार्यरत एक वैधानिक निकाय है, ने कछुओं की तस्करी पर राष्ट्रीय स्तर की कार्रवाई की है।
- WCCB ने जीवित टर्टल्स और टॉर्टोइस के अवैध शिकार, परिवहन और अवैध व्यापार पर रोकने के लिए “ऑपरेशन सेव कुर्मा” (Operation Save Kurma) लॉन्च किया था।
- WCCB ने जीवित कछुओं के अवैध व्यापार से निपटने के लिए “ऑपरेशन टर्टशील्ड- I” और “ऑपरेशन टर्टशील्ड- II” भी लॉन्च किया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. श्रीलंका में ऋण वार्ता ने चीन के ऋणों पर प्रकाश डाला:
- श्रीलंका अपने विविध लेनदारों से वित्तपोषण आश्वासन प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जो कि अनंतिम $2.9 बिलियन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पैकेज के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है, ऐसे में चीन से प्राप्त ऋणों को ओर ध्यान आकर्षित हुआ है।
- अपने 51 अरब डॉलर के विदेशी ऋण पर प्री-एम्प्टीव और अव्यवस्थित डिफ़ॉल्ट का विकल्प चुनने के बाद, श्रीलंका सितंबर 2022 में आईएमएफ के साथ एक कर्मचारी-स्तरीय समझौते पर पहुंचा है।
- श्रीलंकाई सरकार के अनुसार, यह कार्यक्रम श्रीलंका को अपने आर्थिक संकट से उबरने और सुधार करने में मदद करेगा क्योंकि इसके जरिये दिवालिया देश अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से फिर से उधार लेने के योग्य बन जाता है।
- आईएमएफ ने अपने सभी लेनदारों से पर्याप्त वित्तपोषण आश्वासन प्राप्त करने के लिए श्रीलंका पर एक शर्त आरोपित की है।
- निजी ऋणदाता जो मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौम बांड के धारक हैं, श्रीलंका के बाहरी ऋण के सबसे बड़े हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं जबकि चीन, भारत और जापान शीर्ष तीन द्विपक्षीय लेनदार हैं।
- श्रीलंका की संसद में विपक्षी नेताओं ने चीन पर श्रीलंका के IMF सौदे को रोकने और रिश्वत देकर अनावश्यक परियोजनाओं को बंद करने का आरोप लगाया है।
- इन आरोपों के जवाब में चीनी दूतावास ने कहा है कि विभिन्न चीनी बैंकों की कार्यकारी टीमों ने द्वीप का दौरा किया था, और इसके सन्दर्भ में वर्तमान में द्विपक्षीय वार्ता हो रही है।
- 2021 के अंत में श्रीलंका के बकाया सार्वजनिक ऋण का $7.4 बिलियन (19.6%) चीन से प्राप्त होने के बाद चीन द्वारा श्रीलंका की ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
- श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन के लिए चीन का दृष्टिकोण अन्य देशों में चीन की भूमिका और व्यवहार के लिए एक मिसाल कायम करेगा क्योंकि यह पहली बार है कि एक प्रमुख देश जो चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (China’s Belt and Road Initiative) का हिस्सा है, इस तरह की प्रक्रिया से गुजर रहा है।
2.G-20 की अध्यक्षता अद्वितीय, एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी:
- नई दिल्ली में आयोजित होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन से एक साल पहले 1 दिसंबर, 2022 को भारत ने G-20 की अध्यक्षता संभाली और विदेश मंत्री ने कहा कि इस अवसर ने भारत को एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है क्योंकि भारत ने विश्व राजनीति में एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय में अध्यक्षता ग्रहण की है।
- विदेश मंत्री ने कहा है कि G-20 में भारत की अध्यक्षता असाधारण महत्व की है और यह भारत के इतिहास में अद्वितीय है।
- इस अवधि के दौरान, देश भर में विभिन्न स्तरों पर लगभग 200 बैठकें आयोजित की जाएंगी क्योंकि इस आयोजन के देशव्यापी प्रसार से नागरिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि G-20 के परिणामस्वरूप, “भारत विश्व के लिए अधिक तैयार” (more world-ready) और “विश्व भारत के लिए अधिक तैयार” (world more India-ready) होगा।
- इसके अलावा भारत के प्रधान मंत्री ने पहले G-20 में भारत के एजेंडे को “समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख” बताया था।
3. भारत ने जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देने की बात कही:
- भारत सरकार जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने और देश के निर्माताओं के लिए उच्च माल ढुलाई की समस्याओं को कम करने के प्रयास के लिए नकद सब्सिडी, कम करों और अन्य प्रोत्साहनों का विस्तार करने की योजना बना रही है।
- इन योजनाओं में लगभग 50 नए जहाजों के निर्माण के लिए सब्सिडी और उद्योग को “बुनियादी ढांचा का दर्जा” देना शामिल है जो बैंकों से वित्तपोषण प्राप्त करने में मदद करेगा।
- एक सरकारी पैनल के अनुसार, सिंगापुर, माल्टा, साइप्रस और पनामा की कर व्यवस्थाओं की तुलना में स्थानीय कर नियमों ने शिपिंग उद्योग में निवेश को प्रभावित किया है, जहां अधिकांश वैश्विक वाहक पंजीकृत थे।
- पैनल ने यह भी नोट किया कि इंडोनेशिया और फिलीपींस की तुलना में भारत में जहाज बनाने की लागत लगभग 20% कम थी।
- विशेषज्ञों के अनुसार यदि सरकारी प्रोत्साहन स्थानीय शिपिंग उद्योग को विकसित करने के लिए निजी फर्मों को प्रोत्साहित करते हैं तो भारत सालाना विदेशी मुद्रा में करीब 25 अरब डॉलर बचा सकता है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. यह उत्तर-पूर्वी राज्य में 1 से 10 दिसंबर तक मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है। यह त्योहार राज्य के सभी जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए, इसे ‘त्योहारों का त्योहार’ भी कहा जाता है। यह कथन निम्न में से किस उत्सव/त्यौहार को संदर्भित करता है – (स्तर – मध्यम)
(a) अरुणाचल प्रदेश के लोसर उत्सव को
(b) सिक्किम के सागा दावा उत्सव को
(c) असम का अंबुबाची मेले को
(d) नागालैंड के हॉर्नबिल त्योहार को
उत्तर: d
व्याख्या:
- हॉर्नबिल महोत्सव नागालैंड में 1 से 10 दिसंबर तक मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है।
- यह त्योहार राज्य के सभी जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करता है और इसलिए, इसे ‘त्योहारों का त्योहार’ भी कहा जाता है।
प्रश्न 2. ‘अग्नि वारियर’ निम्न में से किन देशों के बीच आयोजित होने वाला एक सैन्य अभ्यास है – (स्तर – सरल)
(a) भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच
(b) भारत और सिंगापुर के बीच
(c) भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड के बीच
(d) भारत और फ्रांस के बीच
उत्तर: b
व्याख्या:
- सैन्य अभ्यास ‘अग्नि वारियर’ सिंगापुर और भारतीय सेनाओं के बीच होने वाला एक द्विपक्षीय अभ्यास है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा कथन गलत है? (स्तर – मध्यम)
- केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक सांविधिक निकाय है।
- इसे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया है।
- यह देश के अंदर दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देने के लिए अधिदेशित है एवं अंतर-राज्यीय दत्तक ग्रहण के संबंध में बच्चों के संरक्षण और सहयोग पर हेग सम्मेलन के अनुसार अंतर-राज्यीय दत्तक ग्रहण की सुविधा प्रदान करता है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- कथन 2 सही है: CARA की स्थापना किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के तहत की गई है।
- कथन 3 सही है: CARA देश के भीतर दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देने के लिए भारत में नामित प्राधिकरण है और अंतर-राज्यीय दत्तक ग्रहण के संबंध में बच्चों के संरक्षण और सहयोग पर हेग सम्मेलन के अनुसार अंतर-राज्यीय दत्तक ग्रहण की सुविधा प्रदान करता है, क्योंकि भारत ने वर्ष 2003 में इस सम्मेलन की पुष्टि की थी।
प्रश्न 4. अक्सर चर्चा में रहने वाला सीमावर्ती शहर मोरे (Moreh) अवस्थित है – (स्तर – कठिन)
(a) पाकिस्तान की सीमा से लगे पंजाब में
(b) नेपाल की सीमा से लगे सिक्किम में
(c) म्यांमार की सीमा से लगे मणिपुर में
(d) बांग्लादेश की सीमा से लगे असम में
उत्तर: c
व्याख्या:
- मोरे (Moreh) मणिपुर के टेंग्नौपाल (Tengnoupal) जिले में भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित एक सीमावर्ती शहर है।
प्रश्न 5. यदि कोई मुख्य सौर तूफ़ान (सौर प्रज्वाल) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से संभव प्रभाव होंगे? PYP (2022) (स्तर – मध्यम)
1. GPS और दिक्संचालन (नैविगेशन) प्रणालियाँ विफ़ल हो सकती हैं।
2. विषुवतीय क्षेत्रों में सुनामियाँ आ सकती हैं।
3. बिजली ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
4. पृथ्वी के अधिकांश हिस्से पर तीव्र ध्रुवीय ज्योतियाँ घटित हो सकती हैं।
5. ग्रह के अधिकांश हिस्से पर दावाग्नियाँ घटित हो सकती हैं।
6. उपग्रहों की कक्षाएँ विक्षुब्ध हो सकती हैं।
7. ध्रुवीय क्षेत्र के ऊपर से उड़ते हुए वायुयान का लघुतरंग रेडियो संचार बाधित हो सकता है।
नीचे दिए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c) केवल 1, 3, 4, 6 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7
उत्तर: c
व्याख्या:
- सौर तूफानों की घटना और सूनामी पर इसके प्रभाव के बीच कोई स्थापित संबंध नहीं है।
- इसके अलावा, जंगल की आग भी सौर तूफानों की घटना से जुड़ी नहीं है।
- अन्य सभी कथन सही हैं क्योंकि वे पृथ्वी पर सौर तूफानों के संभावित प्रभावों का उल्लेख करते हैं। इसलिए “विकल्प C” सही उत्तर है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली में तभी सुधार होगा जब केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय दोनों एक-दूसरे की चिंताओं को समझें। टिप्पणी करते हुए विस्तार से व्याख्या कीजिए।(250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजव्यवस्था)
प्रश्न 2. सुरक्षित सड़कें ही एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण कर सकती हैं। क्या आप इससे सहमत हैं? व्याख्या कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – पर्यावरण)