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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 05 February, 2023 UPSC CNA in Hindi

5 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. त्रिपक्षीय ढांचे में सहयोग

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. जलवायु परिवर्तन और जलविद्युत उत्पादन

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

भारतीय अर्थव्यवस्था

  1. क्या सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर है?

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:

  1. मैंग्रोव क्षेत्र को लेकर बजट आवंटन का महत्त्व

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति:
  2. ई-कोर्ट

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. CDSCO ने ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर को आँखों का स्नेहक (Eye Lubricant) बनाने से रोका

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

त्रिपक्षीय ढांचे में सहयोग

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: अंतर्राष्ट्रीय समझौते और समूह।

मुख्य परीक्षा: भारत के लिए बहुपक्षीय सहयोग का महत्व।

संदर्भ:

  • भारत संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस विभिन्न मुद्दों पर त्रिपक्षीय पहल के लिए साथ आए।

भूमिका:

  • भारत, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात ने परमाणु ऊर्जा पर सहयोग करने और हिंद महासागर क्षेत्र में अवसरों का पता लगाने के लिए एक “त्रिपक्षीय सहयोग पहल” को औपचारिक रूप देने के अपने साझा इरादे की घोषणा की।
  • तीन देशों ने रक्षा क्षेत्र में संगतता तथा सह-उत्पादन को बढ़ावा देने और संक्रामक रोगों का सामना करने के लिए एक त्रिपक्षीय रूपरेखा में सहयोग पर भी चर्चा की।
  • नवंबर-दिसंबर 2023 में संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित होने वाले G-20 और UNFCCC COP28 की भारतीय अध्यक्षता की पृष्ठभूमि में कई त्रिपक्षीय कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  • त्रिपक्षीय वार्ता पर पहली बार चर्चा तब हुई जब तीन मंत्रियों- डॉ. जयशंकर, फ्रांस की कैथरीन कोलोना और यूएई के अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान- ने सितंबर 2022 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के अवसर पर मुलाकात की थी।

जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सहयोग:

  • यह त्रिपक्षीय सहयोग पहल सौर एवं परमाणु ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई और जैव विविधता के संरक्षण पर केंद्रित है।
  • ऐसी उम्मीद है कि यह पहल तीन देशों की विकास एजेंसियों के बीच स्थायी परियोजनाओं पर सहयोग बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगी, जो पेरिस समझौते के उद्देश्यों के साथ उनकी आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक नीतियों को उपयुक्त दिशा में ले जाएगी।
  • तीनों देश संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व में मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट तथा भारत और फ्रांस के नेतृत्व में इंडो-पैसिफिक पार्क्स पार्टनरशिप जैसी पहलों के माध्यम से अपने सहयोग का विस्तार करने पर भी सहमत हुए।
  • इस बात पर सहमति बनी कि तीन देशों को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष-2023 के संदर्भ में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक प्रदूषण, मरुस्थलीकरण और खाद्य सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • तीनों देशों ने भारत के मिशन LiFE के तत्वावधान में चक्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग करने की अपनी इच्छा को भी रेखांकित किया।

‘वन हेल्थ’ की ओर:

  • अलग से, फ्रांस, भारत और यूएई भी बीमारियों और महामारी से निपटने के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और टीकाकरण के क्षेत्र में सहयोग करने को लेकर सहमत हुए।
  • इस संबंध में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), गावी (Gavi-the Vaccine Alliance, the Global Fund), और United जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सहयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • इसके अलावा, तीनों देश “वन हेल्थ” दृष्टिकोण को लागू करने पर ठोस सहयोग की पहचान करने और विकासशील देशों के भीतर जैव चिकित्सा नवाचार और उत्पादन में स्थानीय क्षमताओं के विकास के प्रति सहयोगी दृष्टिकोण की योजना बना रहे हैं।

रक्षा क्षेत्र में सहयोग:

  • तीन देशों के विदेश मंत्रियों ने तीनों देशों के रक्षा बलों के आगे सहयोग और प्रशिक्षण के लिए रास्ते तलाशते हुए अनुकूलता, संयुक्त विकास और सह-उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक त्रिपक्षीय ढांचे में सहयोग पर भी चर्चा की।
  • प्रासंगिक शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के बीच त्रिपक्षीय सहयोग के विकास और सह-नवाचार परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने के प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

सारांश: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई, रक्षा क्षेत्र में सहयोग, बीमारियों और महामारी से निपटने और संयुक्त परियोजनाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मंच सहित विभिन्न मुद्दों पर त्रिपक्षीय पहल के लिए भारत संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस साथ आए हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

जलवायु परिवर्तन और जलविद्युत उत्पादन

अर्थव्यवस्था:

विषय: अवसंरचना-ऊर्जा।

मुख्य परीक्षा: भारत में जलविद्युत उत्पादन और जलाशयों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।

संदर्भ: इस आलेख में जल विद्युत उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर चर्चा की गई है।

भूमिका:

  • IIT गांधीनगर की दो-व्यक्ति वाली एक टीम ने उत्तर, मध्य और दक्षिण भारत में स्थित 46 प्रमुख बांधों के जलग्रहण क्षेत्रों में हाइड्रोक्लाइमैटिक परिवर्तन तथा जलविद्युत उत्पादन के लिए इसके निहितार्थ का अध्ययन किया। निष्कर्ष iScience पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।
  • संबंधित अध्ययन के अनुसार, जलविद्युत, जो कुल बिजली उत्पादन का 13% हिस्सा है, वैश्विक स्वच्छ बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  • टीम ने जलग्रहण क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि और निकट (2021-2040), मध्य (2041-2060), और दीर्घ (2081-2100) अवधि में संदर्भ अवधि (1995-2014) की तुलना में दो ‘अनुमानित सामाजिक आर्थिक परिदृश्यों’ (Shared Socio-economic pathway scenarios) में सभी 46 प्रमुख जलाशयों में परिणामी प्रवाह को देखा।

अनुमानित वृद्धि:

  • एक गर्म जलवायु के तहत, देश भर में जलविद्युत उत्पादन बढ़ने की संभावना है क्योंकि वर्षा में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप जलाशयों में वृद्धि होती है।
  • चयनित जलविद्युत बांधों के आधार पर, भारत में जलविद्युत क्षमता में अनुमानित वृद्धि 10-23% है।
  • एक गर्म एवं आर्द्र जलवायु से लगभग 5%-33% अधिक वर्षा होने का अनुमान है। परिणामस्वरूप, बांधों में अंतर्वाह (7-70%) बढ़ने के कारण अधिकांश बांधों के लिए जलविद्युत उत्पादन (hydropower production) में 9%-36% की वृद्धि होने की बहुत संभावना है।
  • सुदूर अवधि में टिहरी, रामगंगा, कड़ाना, ओंकारेश्वर, महेश्वर और श्रीरामसागर बांधों में संभावित जल विद्युत उत्पादन में 50% से अधिक की वृद्धि का अनुमान है।
  • दक्षिण भारत में, ग्यारह में से आठ बांधों में जलविद्युत क्षमता में गिरावट का अनुमान है।
  • मध्य भारत के बांधों से देश के उत्तर और दक्षिण के बांधों की तुलना में अधिक जलविद्युत उत्पन्न होने की संभावना है।
  • उत्तर भारत के लिए उल्लेखनीय तापन पूर्वानुमान बर्फ एवं हिमनदों के भंडारण को कम कर सकता है, दीर्घावधि में बर्फ पिघलने से प्राप्त होने वाले पानी के योगदान को कम कर सकता है। हालांकि, उत्तर भारत में बर्फ के पिघलने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वर्षा में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।

जलाशयों पर प्रभाव:

  • वैश्विक तापन के कारण अत्यधिक वर्षा के परिणामस्वरूप अधिकांश बांधों के लिए अत्यधिक प्रवाह और उच्च जलाशय भंडारण की स्थिति में वृद्धि होगी।
  • अत्यधिक वर्षा से उच्च और अचानक अंतर्वाह, विशेष रूप से जब जलाशय पहले से ही भरे हुए हों, जलाशय संचालन को जटिल बना सकते हैं और अचानक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं।
  • 2015 में चेन्नई और 2018 में केरल में पहले से ही भरे जलाशयों में अत्यधिक पानी जमा होने से भारी बाढ़ देखी गई।
  • मध्य और दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर भारत में भविष्य में अधिक गर्मी का अनुभव होने का अनुमान है।
  • अध्ययन के अनुसार, उत्तर भारत में सबसे अधिक तापन (लगभग 5 डिग्री सेल्सियस) का अनुभव होगा, जबकि मध्य और दक्षिणी भारत में 3-4 डिग्री सेल्सियस तापन का अनुभव होगा।
  • अध्ययन में पाया गया कि भविष्य में गंगा, महानदी, ब्राह्मणी और पश्चिम-तट नदी घाटियों में मौजूद कुछ बांधों में पानी की कमी का अनुमान है।
  • अंतर्वाह में यह कमी वर्षा में वृद्धि की तुलना में अधिक गर्मी की प्रतिक्रिया में वायुमंडलीय जल आवश्यकता की मांग में वृद्धि के कारण है।

सारांश: जलविद्युत उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर IIT गांधीनगर की एक टीम द्वारा हाल ही में किए गए अध्ययन से भारत में प्रमुख बांधों के लिए हाइड्रोक्लाइमेट और जलविद्युत में अनुमानित परिवर्तनों में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि मिलती है। मानसून के मौसम के दौरान अलग-अलग समय पर कितना भंडारण की अनुमति दी जानी चाहिए, इस पर जलाशय नियम वक्र के मार्गदर्शन में यह महत्वपूर्ण हो सकता है।

इस पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को क्लिक कीजिए Hydroelectric Power Plants in India

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

क्या सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर है?

विषय: सरकारी बजट

प्रारंभिक परीक्षा: बजट 2023-24

मुख्य परीक्षा: राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करना

विवरण:

  • 2023-24 के केंद्रीय बजट में सरकार द्वारा सापेक्षिक रूप से राजकोषीय विवेक का मार्ग चुना गया है।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय घाटे के वित्त वर्ष 23 के 6.4% से घटकर वित्त वर्ष 24 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.9% तक गिरने का अनुमान लगाया।
  • बजट भाषण के दौरान आगे कहा गया कि सरकार राजकोषीय समेकन के मार्ग पर जारी रहने और 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5% से नीचे लाने की योजना बना रही है।
  • 2023-24 में राजकोषीय घाटे को वित्तपोषित करने के लिए दिनांकित प्रतिभूतियों से शुद्ध बाजार उधार लगभग ₹11.8 लाख करोड़ अनुमानित है, और शेष वित्तपोषण छोटी बचत और अन्य स्रोतों से आने की उम्मीद है। सकल बाजार उधारी का अनुमान लगभग 15.4 लाख करोड़ रुपये है।

साथ ही इसे भी पढ़िए: Finance Fiscal Deficit | India’s Fiscal Policy Framework

सांख्यिकीय विवरण:

  • केंद्रीय बजट 2023-24 में वित्त वर्ष 24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.9% पर आंका गया है। यह 2022-23 (संशोधित अनुमान) के 6.4% और 2021-22 (वास्तविक) के 6.7% से कम हो गया है।
  • राजस्व बजट:
    • 2022-23 के संशोधित अनुमान (RE) के अनुसार घाटा जीडीपी का 4.1% था।
    • 2022-23 (संशोधित अनुमान) में प्राथमिक घाटा (राजकोषीय घाटा से ब्याज भुगतान को घटाने पर) जीडीपी का 3% था।
    • केंद्रीय बजट 2023-24 में राजस्व घाटा जीडीपी का 2.9% है। इसके अलावा, प्राथमिक घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 2.3% पर आंका गया है।
  • सब्सिडी से जुड़े आंकड़े:

2022-23 बजट अनुमान (BE)

2022-23 संशोधित अनुमान (RE)

2023-24 बजट अनुमान (BE)

खाद्य सब्सिडी

₹2,06,831 करोड़

₹2,87,194 करोड़

₹1,97,350 करोड़

उर्वरक सब्सिडी

₹1,05,222 करोड़

₹2,25,220 करोड़

₹1,75,100 करोड़

पेट्रोलियम सब्सिडी

₹9,171 करोड़

₹2,257 करोड़

संवृद्धि के लिए भावी कदम:

  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दर प्रबंधन मुद्रास्फीति से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है, विशेष रूप से आपूर्ति पक्ष के झटकों के कारण।
  • इसलिए धारणीय संवृद्धि रिकवरी प्रक्रिया के लिए राजकोषीय और मौद्रिक नीति दोनों का समन्वयन महत्वपूर्ण है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि आरबीआई द्वारा उच्च ब्याज दर व्यवस्था आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचा सकता है। इस प्रकार, राजकोषीय नीति में बढ़े हुए पूंजीगत व्यय, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ सकल पूंजी निर्माण पर ध्यान के साथ एक उदार रुख शामिल होना चाहिए।
  • बजट 2023-24 में पूंजीगत व्यय को जीडीपी के 3.3% तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। राज्यों को 50 वर्षों के लिए ₹1.3 लाख करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण विकास को बढ़ावा देने में सहायता करेगा।
  • बुनियादी ढाँचा निवेश का आर्थिक विकास और रोजगार पर बड़ा गुणक प्रभाव पड़ता है।

साथ ही इसे भी पढ़िए: Inflation in Economy- Types of Inflation, Inflation Remedies [UPSC Notes]

राजकोषीय समेकन:

  • भारत सरकार राजकोषीय समेकन के मार्ग से विचलित नहीं हुई है।
  • बजट 2023-24 के मध्यम अवधि के राजकोषीय समेकन ढांचे में कहा गया है कि राजकोषीय घाटे-जीडीपी अनुपात को 2025-26 तक (वर्तमान में 6.4% से) 4.5% तक कम करना आवश्यक है।
  • भारत सरकार ने राजकोषीय नीति को “समायोजनकारी” रखा है, और राजस्व अनिश्चितताओं (महामारी, भू-राजनीतिक जोखिम, आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान, ऊर्जा मूल्य अस्थिरता, और बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण) के मौजूदा परिदृश्य में आर्थिक विकास सुधार के अनुकूल पूंजीगत व्यय को अपनाया है।
  • विशेष रूप से, भारत में राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण का प्राथमिक तरीका आंतरिक बाजार उधारी के माध्यम से है। इसे लघु बचतों, भविष्य निधियों और बाह्य ऋण के अलावा प्रतिभूतियों के माध्यम से भी वित्तपोषित किया जाता है।
  • केंद्रीय बजट 2023 में 2023-24 (BE) (लगभग 1%) में 17,86,816 करोड़ रुपये के कुल राजकोषीय घाटे में से भारत के बाहरी ऋण को 22,118 करोड़ रुपये आंका गया है।
  • बजट में यह भी कहा गया है कि राज्यों को राजकोषीय घाटा GSDP का 3.5% बनाए रखना होगा, जिसमें से 0.5% बिजली क्षेत्र के सुधारों से जुड़ा होगा।

चित्र: राजकोषीय घाटा (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में)

स्रोत: The Hindu

रेटिंग एजेंसियों की प्रतिक्रिया:

  • मूडीज के अनुसार, उत्प्लावक राजस्व का लाभ उठाते हुए, भारत सरकार का लक्ष्य व्यक्तिगत आय करों में कटौती करते हुए, और तेल क्षेत्र के लिए पूंजी सहयोग प्रदान करते हुए बुनियादी ढांचा निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि करना है।
  • इसने आगे कहा कि ये कदम नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों, तेल विपणन कंपनियों, सीमेंट और इस्पात उत्पादकों और ऑटोमोबाइल निर्माताओं के लिए सकारात्मक हैं।
  • हालांकि, मूडीज ने कहा कि वित्त वर्ष 2016 तक राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद के 4.5% तक कम होने की संभावना नहीं है।
  • फिच रेटिंग्स ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण धीमी राजकोषीय समेकन प्रक्रिया एक और बड़े आर्थिक झटके की स्थिति में सार्वजनिक वित्त को विपरीत स्थिति में डाल सकती है।

निष्कर्ष:

सरकार कैपेक्स के जरिए आर्थिक विकास सुधार पर जोर दे रही है। परिणामस्वरूप आर्थिक विकास जीडीपी को मजबूत करेगा। इसके अलावा, यदि राजकोषीय घाटे-जीडीपी अनुपात में विभाजक (जीडीपी) का विस्तार होता है, तो ऐसी स्थिति में समग्र राजकोषीय घाटे-जीडीपी अनुपात में कमी होगी।

संबंधित लिंक :

Fiscal Consolidation – Important Policies by The Government

सारांश:

बजट 2023-24 में पूंजीगत व्यय बढ़ाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रकार सरकार ने 2025-26 तक 4.5% के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए राजकोषीय समेकन दृष्टिकोण अपनाया है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी

मैंग्रोव क्षेत्र को बजट आवंटन का महत्त्व

विषय: पर्यावरण और जैव विविधता संरक्षण

प्रारंभिक परीक्षा: मिष्टी (MISHTI)

मुख्य परीक्षा: बजट 2023-24 में मैंग्रोव और मैंग्रोव वृक्षारोपण प्रस्तावित।

संदर्भ: केंद्रीय बजट 2023-24 में मैंग्रोव वृक्षारोपण पहल।

विवरण:

  • 2023-24 के केंद्रीय बजट में मिष्टी (MISHTI – मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटैट्स एंड टैंजिबल इनकम) के तहत समुद्र तट के किनारे और लवणीय भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण का प्रस्ताव किया गया है।

मैंग्रोव का महत्व:

  • उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले लवण-अनुकूल (salt-tolerant) पौधों के समूहों को मैंग्रोव कहा जाता है।
  • ये तटीय जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं और बाढ़ और चक्रवात जैसी चरम जलवायु घटनाओं के खिलाफ जैव-ढाल के रूप में कार्य करते हैं।
  • ये बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जलवायु परिवर्तन और लगातार उष्णकटिबंधीय तूफानों का खतरा तीव्र दरों पर बढ़ रहा है।
  • इस प्रकार भारत के समुद्र तट (7500 किमी) से लगे क्षेत्रों में अधिक मैंग्रोव रोपण सही दिशा में एक बड़ा कदम है।

साथ ही इसे भी पढ़िए: Mangroves in India – Important Facts, Importance and Conservation of Mangroves [ UPSC GS-I]

पृष्ठभूमि विवरण:

  • ग्लोबल मैंग्रोव एलायंस की ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड मैंग्रोव 2022’ रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का कुल मैंग्रोव कवर लगभग 147000 वर्ग किमी (14.7 मिलियन हेक्टेयर) है।
  • रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि मैंग्रोव अन्य पारिस्थितिक तंत्रों की तुलना में चार गुना अधिक कार्बन की मात्रा को सोखते हैं। यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि “शेष मैंग्रोव के 1% के भी नुकसान से 0.23 गीगाटन CO2 के बराबर की हानि हो सकती है, जो 520 मिलियन बैरल से अधिक तेल, या अमेरिका में 49 मिलियन कारों के वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है।”
  • भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट (IFSR) 2021 के अनुसार, भारत में लगभग 4992 वर्ग किमी (0.49 मिलियन हेक्टेयर) में मैंग्रोव की मौजूदगी है।
  • भारत में, मैंग्रोव 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में वितरित हैं, जिसमें पश्चिम बंगाल में 2114 वर्ग किमी का उच्चतम मैंग्रोव कवर है।
  • IFSR रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि भारत में मैंग्रोव कवर 1987 के 4046 वर्ग किमी से बढ़कर 2021 में 4992 वर्ग किमी हो गया है।
  • हालांकि, भारत में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के सामने तटीय क्षेत्रों में बढ़ती आबादी और भूमि, इमारती लकड़ी, चारा, ईंधन-लकड़ी और अन्य गैर-लकड़ी वन उत्पादों जैसे मत्स्य पालन की बढ़ती मांग के कारण चुनौतियाँ आ गई हैं।
  • मैंग्रोव वनों/पारिस्थितिक तंत्र में वृक्ष प्रजातियों को निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया गया है:
    • वास्तविक (True) मैंग्रोव: इनमें न्यूमेटोफोरस, विविपरी या क्रिप्टो विविपरी अंकुरण, और नमक-स्रावित कोशिकाओं जैसे रूपात्मक अनुकूलन देखे जाते हैं। भारत में 42 वास्तविक मैंग्रोव प्रजातियाँ हैं।
    • मैंग्रोव एसोसिएट: वे प्रजातियाँ जो वास्तविक (True) मैंग्रोव के साथ-साथ मौजूद हैं। भारत में 68 मैंग्रोव एसोसिएट प्रजातियां हैं।

आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र के सामने मौजूद चुनौतियाँ:

  • मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक जलीय कृषि या तटीय क्षेत्रों में होने वाला मत्स्य पालन है जो ज्वारीय प्रवाह को बाधित करता है। उदाहरण के लिए, सुंदरबन (भारत में सबसे बड़ा मैंग्रोव वन) में जलीय कृषि के लिए मैंग्रोव वन को साफ करने के कई मामले देखे गए हैं।
  • समुद्र तट के किनारे कृषि और उद्योगों के लिए उस किनारे को भरकर उपयोग करना भी मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।
  • अनुपचारित घरेलू और औद्योगिक अपशिष्टों को उसमें प्रवाहित करना तट के साथ होने वाले प्राकृतिक अंतर-ज्वारीय प्रवाह को बाधित करता है तथा मीठे पानी और खारे पानी के मिश्रण जो मैंग्रोव वन के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, को बाधित करता है।

मैंग्रोव वृक्षारोपण पहल:

  • मिष्टी को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS), प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) फंड, जैसी विभिन्न योजनाओं के अभिसरण और अन्य स्रोतों के माध्यम से लागू किया जाएगा।
  • इसके लिए स्थानीय समुदायों से व्यापक सहयोग की आवश्यकता होगी।
  • यह पाया गया है कि मैंग्रोव रोपण और पौधों की उत्तरजीविता दर क्रमशः 50% और 60% है। इसके अलावा, एक नए पौधे को स्थिर होने में तीन साल लगते हैं। इस प्रकार MGNREGS और CAMPA के तहत अनुबंध-आधारित एक बार के वृक्षारोपण पहल को स्थानीय समुदायों द्वारा वनों पर विशेष ध्यान नहीं दिए जाने की स्थिति में सफलता नहीं मिल सकती है।
  • इसके अलावा, मिष्टी 2030 तक 2.5-3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने के भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के अनुरूप है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत जलवायु परिवर्तन पर 27वें सम्मेलन (COP27) में मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट में भी शामिल हुआ।

साथ ही, इसे भी पढ़िए: Mangrove Alliance for Climate (MAC), UNFCCC COP27 [UPSC Environment Notes]

संबंधित लिंक:

PIB Summary & Analysis for UPSC IAS Exam for 8th Nov 2022

सारांश:

मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरण और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, बढ़ती आबादी और भूमि की बढ़ती मांग के कारण यह अत्यधिक दबाव में है। इस दिशा में, भारत सरकार ने 2023-24 के बजट में मिष्टी नामक पहल के माध्यम से मैंग्रोव की स्थिति में सुधार को शामिल किया है।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

प्रारंभिक परीक्षा: अनुच्छेद 124; कॉलेजियम प्रणाली

संदर्भ: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी दी।

मुख्य विवरण:

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 04 फरवरी 2023 को उच्चतम न्यायालय में पांच नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के अधिपत्र (वारंट) पर हस्ताक्षर किए।
  • राजस्थान, पटना और मणिपुर उच्च न्यायालयों के क्रमशः मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल, संजय करोल और पी.वी. संजय कुमार और पटना अदालत के न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद अदालत के न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा को उच्चतम न्यायालय में नियुक्त किया गया।
  • उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को इन नामों की सिफारिश की थी।
  • अगले हफ्ते नए न्यायालयों के शपथ लेने के बाद उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 27 से बढ़कर 32 हो जाएगी तथा केवल दो पद खाली रह जाएंगे।
  • उच्चतम न्यायालय में 34 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं।
  • 26 अगस्त 2021, जब उच्चतम न्यायालय के नौ न्यायाधीशों की एक साथ नियुक्ति की गई थी, के बाद यह दूसरी बार है जब एक ही बैच में इतने जजों की नियुक्ति हुई है।

अधिक जानकारी के लिए इन लिंकों पर क्लिक कीजिए Appointment of Supreme Court Judges

Collegium System

  1. ई-कोर्ट:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

प्रारंभिक परीक्षा: न्यायपालिका में ई-प्रौद्योगिकियां

मुख्य विवरण:

  • 2023-24 के केंद्रीय बजट ने ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण के लिए 7,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसका उद्देश्य मामलों की लंबितता को कम करने और आम आदमी के लिए न्याय को अधिक सुलभ बनाने के लिए तकनीकी समाधानों का उपयोग करना है।
  • यह पहले दो चरणों में खर्च किए गए ₹639.411 करोड़ और ₹1,670 करोड़ की तुलना में बड़ी उछाल है।
  • भारतीय न्यायपालिका में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना -2005 के तहत ई-कोर्ट परियोजना की संकल्पना उच्चतम न्यायालय की ई-समिति द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जिसका उद्देश्य न्यायालयों को डिजिटल तकनीक से जोड़ना था।
  • ई-कोर्ट परियोजना के लिए आवंटन, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली ई-समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के संबंध में सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रहे टकराव के समय आया है। ।
  • ई-कोर्ट परियोजना में डेटा विश्लेषण और लंबित मामलों को कम करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के उपयोग की परिकल्पना की गई है।
  • इसमें आभासी न्यायालयों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, आभासी न्यायालय की व्यवस्था में केस फाइलों के प्रयोग को ख़त्म करते हुए पूरे न्यायालयी रिकॉर्ड को डिजिटलीकृत किया जाता है जिससे यह पेपरलेस हो जाता है।

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महत्वपूर्ण तथ्य:

1. CDSCO ने ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर को आँखों का स्नेहक (Eye Lubricant) बनाने से रोका

  • सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) [Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) ] ने तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर को निर्देश दिया है कि जांच पूरी होने तक नेत्र संबंधी सामग्री की श्रेणी के तहत सभी उत्पादों का निर्माण बंद कर दिया जाए।
  • यह कदम यू.एस. सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) द्वारा कंपनी की आई ड्रॉप्स के यू.एस. में 55 प्रतिकूल घटनाओं से संबंधित होने की घटना के तुरंत बाद आया।
  • CDC ने चेतावनी दी है कि कंपनी द्वारा अमेरिका में वितरकों आरु फार्मा/एज़रीकेयर तथा डेलसम फार्मा को आपूर्ति की गई आई ड्रॉप्स से प्रतिकूल घटनाएँ देखी गई, जिसमें आंखों में संक्रमण, दृष्टि की स्थायी हानि, तथा रक्तप्रवाह संक्रमण से मृत्यु शामिल थी।
  • नेत्र स्नेहक (Eye Lubricant) के निर्माण के लिए कार्बोक्सिमिथाइलसेलुलोज सोडियम नामक कच्ची सामग्री का उपयोग किया गया था।
  • इस कंपनी, जिसने बाजार से आई ड्रॉप्स को वापस मंगाया है, को एक रिकॉर्ड अनुरोध के मामले में कथित रूप से अपर्याप्त प्रतिक्रिया प्रदान करने को लेकर FDA की आयात चेतावनी सूची में रखा गया है।

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Indian Pharma Winning Global Trust

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार

कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. CJI पद हेतु उम्मीदवार के परीक्षण के लिए कॉलेजियम प्रणाली में कोई विशिष्ट मानदंड नहीं है, जिसके

कारण भाई-भतीजावाद और पक्षपात की व्यापक गुंजाइश होती है।

  1. उच्चतम न्यायालय ने कॉलेजियम प्रणाली की शुरुआत की, जिसमें कहा गया कि “परामर्श” का वास्तव

में अर्थ “सहमति” है।

  1. उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से ही की जाती है और

कॉलेजियम द्वारा नाम तय किए जाने के बाद ही सरकार की भूमिका आती है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 01 सही है, कॉलेजियम प्रणाली न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण की प्रणाली है जो उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है, न कि संसद के अधिनियम या संविधान के प्रावधान द्वारा।
  • कॉलेजियम प्रणाली को पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के कारण न केवल सरकार से बल्कि नागरिक समाज से भी बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा है।
  • CJI के पद के लिए उम्मीदवार के परीक्षण के लिए कॉलेजियम प्रणाली कोई विशिष्ट मानदंड प्रदान नहीं करती है, जिसके कारण भाई-भतीजावाद और पक्षपात की व्यापक गुंजाइश होती है।
  • कथन 02 सही है, द्वितीय न्यायाधेश मामले (1993) ने कॉलेजियम प्रणाली की शुरुआत की, जिसमें कहा गया कि “परामर्श” का वास्तव में अर्थ “सहमति” है। इसमें कहा गया है कि यह CJI की व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि उच्चतम न्यायालय में दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के परामर्श से बनी एक संस्थागत राय है।
  • कथन 03 सही है, उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से ही की जाती है और कॉलेजियम द्वारा नाम तय किए जाने के बाद ही सरकार की भूमिका होती है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किसे शीघ्र ही दुनिया का पहला विरासत विश्वविद्यालय (heritage University) नामित किया जाएगा? (स्तर – मध्यम)

  1. नालंदा विश्वविद्यालय
  2. हार्वर्ड विश्वविद्यालय
  3. विश्व भारती विश्वविद्यालय
  4. तक्षशिला विश्वविद्यालय

उत्तर: c

व्याख्या:

  • 1921 में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित, विश्व-भारती विश्वविद्यालय को जल्द ही दुनिया के पहले जीवित विरासत विश्वविद्यालय का गौरव प्राप्त करने के लिए यूनेस्को से ‘विरासत’ टैग प्राप्त होगा।
  • विश्वभारती पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में स्थित एक सार्वजनिक केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है।
  • 1922 में, विश्वभारती का उद्घाटन कला, भाषा, मानविकी, संगीत में अन्वेषण के साथ संस्कृति केंद्र के रूप में किया गया था और ये ऐसे विभिन्न संस्थानों में परिलक्षित होते हैं जो अपने शैक्षिक कार्यक्रमों जो संस्कृति तथा संस्कृति अध्ययन में उत्कृष्टता के संस्थापक सिद्धांतों पर आधारित हैं, को जारी रखते हैं।
  • स्वतंत्रता के तुरंत बाद, इस संस्थान को संसद के एक अधिनियम द्वारा 1951 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

प्रश्न 3. एंट्रिक्स के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ACL), बेंगलुरु अंतरिक्ष विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत

सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।

  1. यह इसरो द्वारा विकसित अंतरिक्ष उत्पादों, तकनीकी परामर्श सेवाओं और प्रौद्योगिकि हस्तांतरण के

प्रचार-प्रसार और वाणिज्यिक दोहन के लिए इसरो की एक विपणन शाखा है।

  1. इसे सितंबर 1992 में भारत सरकार के स्वामित्व वाली एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल

किया गया था।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • बेंगलुरु स्थित एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ACL) अंतरिक्ष विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।
  • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड को सितंबर 1992 में भारत सरकार के स्वामित्व वाली एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के अंतरिक्ष उत्पादों, तकनीकी परामर्श सेवाओं और हस्तांतरण के प्रचार और वाणिज्यिक दोहन के लिए अपनी विपणन शाखा के रूप में शामिल किया गया था।
  • इसका एक अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में अंतरिक्ष संबंधी औद्योगिक क्षमताओं के विकास को सुगम बनाना है।
  • इसरो की वाणिज्यिक और विपणन शाखा के रूप में, एंट्रिक्स दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को अंतरिक्ष उत्पाद एवं सेवाएं प्रदान करने में लगी हुई है। पूरी तरह से सुसज्जित अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ, एंट्रिक्स कई अंतरिक्ष उत्पादों के लिए एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करता है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन राजस्थान का राजकीय पक्षी है? (स्तर – सरल)

  1. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
  2. सारस क्रेन
  3. भारतीय मोर
  4. ग्रेट हॉर्नबिल

उत्तर: a

व्याख्या:

  • गोडावण या ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) राजस्थान का आधिकारिक राज्य पक्षी है।

प्रश्न 5. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित पद “टू स्टेट सॉल्यूशन” किसकी गतिविधियों के संदर्भ में आता है?

(स्तर – सरल)

  1. चीन
  2. इजराइल
  3. इराक
  4. यमन

उत्तर: b

व्याख्या:

  • टू स्टेट सॉल्यूशन अर्थात दो-राज्य समाधान इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के समाधान को संदर्भित करता है। इस संघर्ष में जो “लोगों के दो समूहों के लिए दो राज्यों” की मांग निहित है। इस सॉल्यूशन में जॉर्डन नदी के पश्चिम में इजरायल राज्य के साथ-साथ एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की परिकल्पना की गई है। दोनों राज्यों के बीच की सीमा अभी भी विवाद और बातचीत के अधीन है, जिसमें फ़िलिस्तीनी और अरब नेतृत्व “1967 की सीमाओं” पर जोर दे रहे हैं, जिसे इज़राइल द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है।
  • पूर्व फिलिस्तीन अधिदेश क्षेत्र जो फिलिस्तीनी राज्य का हिस्सा नहीं बनेगा, इजरायल के क्षेत्र का हिस्सा होगा। समाधान की रूपरेखा 1974 के “फिलिस्तीन के प्रश्न का शांतिपूर्ण समाधान” पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में निर्धारित की गई है। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 194 के अनुरूप शरणार्थी प्रश्न के उचित समाधान के साथ-साथ सुरक्षित और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर साथ-साथ “दो राज्यों, इजरायल और फिलिस्तीन का आह्वान किया गया है। फिलिस्तीन राज्य की सीमाएँ “1967 से पूर्व की सीमाओं पर आधारित हैं”।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. देश की अर्थव्यवस्था पर एक उच्च राजकोषीय घाटे के प्रभाव पर चर्चा कीजिए? क्या कुछ स्थितियों में इसका सकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है? विस्तार से बताइए। (250 शब्द; 15 अंक) (GS III-अर्थशास्त्र)

प्रश्न 2. मैंग्रोव, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध हमारे प्रयासों का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा क्यों है? क्या भारत सरकार इसके संरक्षण के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है? (250 शब्द; 15 अंक) (GS III-पर्यावरण)