08 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भारतीय समाज:
B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
अर्थव्यवस्था:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: पर्यावरण:
राजव्यवस्था एवं शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाएं:
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण।
मुख्य परीक्षा: भारत में मौसम का पूर्वानुमान।
संदर्भ:
- जलवायु परिवर्तन के कारण इस वर्ष पूरे देश में मानसूनी वर्षा असमान रही है, जिसने मौसम की घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी या पूर्वानुमान लगाने वाली एजेंसियों की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
अनियमित मानसून (Erratic Monsoon):
- जलवायु परिवर्तन के कारण, भारत में मानसूनी वर्षा का पैटर्न/व्यवहार अनिश्चित होता जा रहा है जो चरम मौसमी घटनाओं की भविष्यवाणी को गलत साबित कर रहा है।
- हल्की/कम वर्षा की घटनाओं की संख्या में लगातार कमी और जलवायु परिवर्तन के कारण भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि हुई हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
- वर्ष 1901 के बाद से अब तक का 5वां सबसे गर्म वर्ष 2021 था और यह दशक भारत में अब तक का सबसे गर्म दशक भी था।
- जलवायु परिवर्तन ने वातावरण में अस्थिरता को बढ़ा दिया है, जिससे संवहनी गतिविधि जैसे बिजली, गरज और भारी वर्षा में वृद्धि हुई हैं।
- अरब सागर में चक्रवातों की तीव्रता भी बढ़ती जा रही है।
- बार-बार चलने वाली हीट वेव का समय लंबा और व्यापक होता जा रहा हैं जिसके कारण जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई हैं।
- हाल के वर्षों में अत्यधिक और असमान वर्षा का मुख्य कारण मानसून की देरी से वापसी,मानसून की अवधि के दौरान सामान्य से अधिक कम दबाव प्रणाली का विकसित होना और अक्टूबर में कम दबाव प्रणाली के साथ सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ का एक दूसरे पर परस्पर प्रभाव डालना है।
- हाल के 30-वर्ष की अवधि (1989-2018) के दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में वार्षिक वर्षा में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है।
- इस चरम मौसमी घटनाओं का कृषि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा हैं जैसे इसके कारण फसल की पैदावार प्रभावित हो रही हैं,फसल बोने की लागत में वृद्धि और किसानों की सुरक्षा सम्बंधित समस्यांए आदि।
- जलवायु परिवर्तन हिमालय की भंगुरता/नाजुकता को भी बढ़ा रहा है।
- हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने और छोटे बादलों के फटने की बढ़ती आवृत्ति के कारण बार-बार अचानक बाढ़ आ रही है।
Image Source: The Hindu
यह मौसम की भविष्यवाणियों/पूर्वानुमानो को कैसे प्रभावित करता है?
- चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि पूर्वानुमानकर्ताओं के लिए एक चुनौती खड़ी कर रही है।
- हालाँकि समग्र रूप से देखा जाए तो भारत के मानसून व्यवहार/पैटर्न की कोई निश्चित प्रवृत्ति नहीं रही है।
लेकिन, उत्तर, पूर्व और उत्तर पूर्व भारत के कुछ हिस्सों में वर्षा में कमी आई है, जबकि पश्चिम के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि पश्चिमी राजस्थान में,वर्षा में वृद्धि हुई है।
- मानसून पैटर्न यादृच्छिक (अनियमित) होता है और यह बड़े पैमाने पर बदलाव दिखाता है जिससे घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल हो जाता है।
आईएमडी (The India Meteorological Department (IMD)) के पूर्वानुमानों की सटीकता:
- आईएमडी अपनी पूर्वानुमान में सुधार के लिए अधिक रडार प्रणाली, स्वचालित मौसम स्टेशन और वर्षा अनुमान और उपग्रहों की अधिक संख्या के साथ अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।
- पिछले 05 वर्षों में आईएमडी द्वारा अवलोकन नेटवर्क, प्रतिरूपण और कंप्यूटिंग सिस्टम में सुधार के कारण चरम मौसम की घटनाओं में अपनी पूर्वानुमान की सटीकता में लगभग 30% से 40% तक सुधार किया हैं।
- हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में चक्रवातों और हीट वेव के कारण होने वाली मौतों की संख्या में प्रारंभिक चेतावनी में सुधार, तैयारी, उनकी रोकथाम, योजना और शमन दृष्टिकोण में सुधार के कारण भी कमी आई है।
- आईएमडी का लक्ष्य आने वाले वर्षों में पंचायत स्तरीय क्लस्टर (समूह) पूर्वानुमान देने का है।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भी उच्च रिज़ॉल्यूशन पर और अधिक सटीकता के साथ अधिक डेटा के लिए अपने उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग सिस्टम को अपग्रेड करने की योजना बना रहा है।
निष्कर्ष:
- जलवायु परिवर्तन एक सच्चाई है और हमें अपनी सभी योजनाएं उसी के अनुसार बनाने की जरूरत है।
सारांश:
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- विश्व मौसम विज्ञान संगठन के एक अध्ययन के अनुसार, इन चरम मौसम की घटनाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना लगभग 200-300 बिलियन डॉलर का नुकसान होता है,और लाखों लोगों की जान चली जाती है।
- इसलिए, भविष्यवाणी कौशल में सुधार करने और आपदा प्रबंधन के लिए सटीक भविष्यवाणियों का उपयोग करने के लिए अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
स्थिर मुद्रा विनियमन:
अर्थव्यवस्था:
विषय: संसाधनों का संग्रहण।
मुख्य परीक्षा: क्रिप्टोकरेंसी में अवसर एवं खतरे।
संदर्भ:
- क्रिप्टोकरेंसी को स्थिर मुद्रा के रूप में वर्गीकृत कर वितरित करने वाली कंपनियों पर सख्त नियंत्रण लगाने के लिए प्रमुख वैश्विक नियामक इससे सम्बंधित नियमों का खाका तैयार कर रहे हैं।
परिचय:
- क्रिप्टोकरेंसी बाजार में आयी हाल की अस्थिरता के बाद, वित्तीय स्थिरता बोर्ड [ Financial Stability Board (FSB)] ने स्थिर मुद्रा विनियमन और पर्यवेक्षण पर जोर देने की ठानी हैं।
- हाल ही में, यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ के विधायकों ने क्रिप्टो-आस्तियां, या मीका कानून (MiCA law) के बाजारों के सम्बन्ध में फैसला लिया हैं ताकि उन कंपनियों पर सख्त नियंत्रण लगाया जा सके, जो स्थिर मुद्रा के रूप में वर्गीकृत क्रिप्टोकरेंसी को वितरित करती हैं।
स्थिर मुद्राएं (stablecoins) क्या हैं?
- क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) एक स्थिर मुद्रा है,जिसका मूल्य आमतौर पर एक ‘स्थिर’ संपत्ति से जुड़ा होता है, जैसे सोना या यू.एस. डॉलर।
- इसे अस्थिरता से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिससे भुगतान के लिए या मूल्य के भंडार के रूप में इस डिजिटल संपत्ति का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है।
- वे पुरानी दुनिया के पैसे और नई दुनिया के क्रिप्टो के बीच एक कड़ी का निर्माण करते हैं।
- वे पूरी तरह से सुरक्षित होल्डिंग्स की तरह काम करने का भी वादा करते हैं।
- स्थिर मुद्राओं (stablecoins) का मार्केट कैप लगभग $ 170 बिलियन है, जो तुलनात्मक रूप से समग्र क्रिप्टोकरेंसी बाजार ($ 1.2 ट्रिलियन) का एक छोटा हिस्सा है।
- एक क्रिप्टोकरेंसी व्यापारी के लिए, स्थिर मुद्रा के प्रवाह की निगरानी करने से उन्हें बाजार की स्थिति का आकलन करने में मदद मिल सकती है।
स्थिर सिक्कों के प्रकार (Types of Stablecoins):
Image Credit: 101 Blockchains
- आज की सबसे बड़ी स्थिर मुद्रा टीथर (USDT) है, जिसके बाजार की पूंजी लगभग $66 बिलियन के करीब है, जिसका स्थान दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एथेरियम से नीचे आता है।
- टीथर ने हाल ही में ब्रिटिश पाउंड से जुड़ी एक स्थिर मुद्रा भी लॉन्च की हैं।
स्थिर मुद्रा के उपयोग से सम्बंधित मुद्दे क्या हैं?:
- स्थिर मुद्रा के जरिये सीमा पार छोटी मात्रा में पैसा ले जाना अक्सर कुशल और सस्ता होता है।
- स्थिर मुद्रा में भुगतान करने से वित्तीय संस्थानों से लिए जाने वाला 2-3% लेनदेन शुल्क जो मध्यस्थ प्रसंस्करण द्वारा लिया जाता हैं,दरकिनार हो जाता हैं।
- स्थिर मुद्रा का एक मूल्य है जो किसी भी अवधि में स्थिर रहता है जो उन्हें एक आदर्श सुरक्षित आश्रय संपत्ति बनाता है क्योंकि उनके पास उनकी संपत्ति की पूर्ण हिरासत है।
- इसे हाल ही में वेनेजुएला में उत्पन्न हुए राजनीतिक-आर्थिक संकट के उद्धरण के साथ स्पष्ट किया गया है, जहां देश से भागने वाले कई नागरिकों ने अपने कानूनी धन की जब्ती से बचने के लिए बिटकॉइन में अपनी बचत जमा की थी।
- वे उस प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता प्रदान कर सकते हैं,जहाँ वे नियमित लेखा के माध्यम से समर्थित होते है।
- नाइजीरिया, अर्जेंटीना और तुर्की जैसे देशों में जहां स्थानीय मुद्रा का मूल्य तेजी से गिर रहा है, वहां के निवासियों के लिए अपनी कमाई की रक्षा करने का एक तरीका है स्थिर मुद्रा में धन परिवर्तित करना।
- अफगानिस्तान और ईरान जैसे देशों में जहां लगाए गए वैश्विक प्रतिबंधों ने प्रेषण माध्यमों को अवरुद्ध कर दिया है, ऐसी स्थिति में स्थिर मुद्रा हस्तांतरण ने कुछ क्रिप्टो उपयोगकर्ताओं को अपनी कमाई सुरक्षित करने में मदद की है।
स्थिर मुद्राएं कैसे ‘स्थिर’ हैं?
- देश के नियमों या केंद्रीय बैंकों द्वारा स्थिर मुद्राओं का उपयोग करना अधिकृत नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि यदि निवेशक उन्हें रखते हैं तो उन्हें काफी कानूनी और वित्तीय जोखिम उठाना पड़ता हैं।
- टीथर मुद्रा वर्ष 2020 की शुरुआत में सिर्फ 4.1 बिलियन डॉलर से बढ़कर अप्रैल 2022 में 80 बिलियन डॉलर हो गई थी, जिससे संभावित रूप से अमेरिकी डॉलर के संतुलन को खतरा था।
- विभिन्न अमेरिकी एजेंसियों द्वारा टीथर पर लगाए गए हाल के नियमों और दंड के परिणामस्वरूप अप्रैल 2022 में टीथर का मार्केट कैप लगभग 80 बिलियन डॉलर से घटकर जुलाई 2022 में लगभग 66 बिलियन डॉलर रह गया हैं।
- टेरायूएसडी (TerraUSD(UST)) में आयी हालिया गिरावट के बाद, जिसका विभिन्न बाजार कारकों और कंपनी की विफलताओं के कारण लगभग 100% मूल्य गिर गया था, के अलावा कई अन्य स्थिर स्टॉक जैसे यूएसडीटी के मूल्य में भी अस्थायी रूप से कमी आ गयी थी क्योंकि निवेशक इन सब मुद्राओं की अस्थिरता से घबरा गए थे।
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी हालिया द्विवार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अन्य क्रिप्टोकरेंसी में विशेष व्यापार की सुविधा के लिए स्थिर स्टॉक का तेजी से उपयोग किया जा रहा है।
- इस कारण से ही क्रिप्टो समुदाय नहीं चाहता कि स्थिर मुद्रा को केंद्रीकृत कानूनों या मानकों द्वारा नियंत्रित किया जाए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
सरपंच पति:
भारतीय समाज:
विषय: महिला और महिला संगठनों की भूमिका
मुख्य परीक्षा: स्थानीय शासन और निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी।
संदर्भ:
- मध्य प्रदेश पंचायतों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के परिवारों के पुरुषों के शपथ ग्रहण के बाद मध्य प्रदेश सरकार एक परामर्शी (advisory) लेकर आ रही है।
‘सरपंच पति’ या ‘प्रधान पति’ क्या है?
- इस शब्द का अर्थ है कि जहां महिलाओं को कानूनी रूप से निर्वाचित तो किया जाता है, लेकिन वास्तव में स्थानीय पंचायत को उनके पति द्वारा चलाया जाता हैं।
- इन पंचायत चुनावों के प्रचार के दौरान भी, पुरुषों को भविष्य के सरपंचों के रूप में पेश किया जाता है और उनके चेहरे को प्रचार सामग्री में प्रकाशित किया जाता है, कई बार तो पति ही वास्तव में बिना पत्नी की उपस्थिति में उसका चुनाव लड़ता है।
- विधिवत निर्वाचित महिला अधिकारियों के बजाय पुरुष रिश्तेदारों द्वारा सत्ता का प्रयोग करने की यह प्रवृत्ति ग्रामीण भारत में महिला नेतृत्व वाली सरकार के लिए मुख्य बाधा है।
इस घटना के कारण:
- पारंपरिक भारतीय समाजों में परिवारों के भीतर पितृसत्तात्मक लिंग मानदंड जो प्रभावी महिला नेतृत्व के उद्भव को प्रतिबंधित करते हैं।
- महिलाओं के लिए स्थानीय सरकार में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण का अभाव।
- अशिक्षित/कम पढ़ी लिखी और कम आर्थिक स्वतंत्रता वाली महिला की खराब सामाजिक स्थिति।
- निर्वाचित महिलाओं के स्थान पर पंचायतों का संचालन एवं नियंत्रण करने वाले पुरुषों को दंडित करने के लिए मजबूत निवारक कानूनों का अभाव।
नतीजा:
- पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj Institutions(PRI)) के सम्बन्ध में किया गया 73वां संविधान संशोधन अधिनियम भी पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण की गारंटी देता है।
- संविधान के अनुच्छेद 243 में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का कम से कम एक तिहाई और महिलाओं के लिए सभी पंचायत स्तरों पर अध्यक्ष के लिए आरक्षित कुल पदों की संख्या एक तिहाई से कम नहीं होने का प्रावधान नहीं है।
- सरपंच पति की यह संस्कृति भीतरी ग्रामीण इलाकों में पनपती है,जो उस उद्देश्य को पराजित करता है जो महिलाओं के लिए पर्याप्त प्रतिनिधित्व और उनके सशक्तिकरण की प्राप्ति के लिए बनाया गया है।
भावी कदम:
- प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे का संज्ञान लेते हुए इस प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया हैं।
- महिलाओं को कौशल प्रदान करने और उन्हें नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए आत्मविश्वास पैदा करने के लिए उचित प्रशिक्षण और अभिविन्यास कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण और स्थानीय शासन में एक लंबा रास्ता तय कर सकते हैं।
- सरपंच पति की अवधारणा में सहभागी निर्वाचित महिलाओं और सरपंच पति दोनों के लिए कठोर दंड होना चाहिए और उन्हें भविष्य के किसी भी चुनाव से वंचित किया जाना चाहिए।
सारांश:
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- पंचायती राज संस्थाओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Panchayati Raj Institutions
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
पर्यावरण:
लघु खनिज लूट की जांच हेतु दोहन तकनीक:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।
मुख्य परीक्षा: अवैध रेत खनन।
विवरण:
- भारत के तीव्र विकास के कारण रेत और बजरी जैसे गौण खनिजों की मांग 60 मिलियन मीट्रिक टन को पार कर गई है।
- इस प्रकार यह पानी के बाद ग्रह पर दूसरा सबसे खपत वाला उद्योग बन गया है।
- कड़े कानूनों के बाद भी गौण खनिजों का बृहद पैमाने पर और अवैध खनन बेरोकटोक जारी है।
अवैध खनन के खिलाफ प्रावधान:
- नियमों एवं रॉयल्टी की दरें निर्धारित करने तथा प्रवर्तन के साथ खनिज रियायतों की प्रशासनिक एवं नियामक शक्तियां विशेष रूप से राज्य सरकारों के पास हैं।
- सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर, 2016 के संशोधित EIA ने गौण खनिजों के पांच हेक्टेयर से भी कम क्षेत्रों में खनन हेतु पर्यावरण मंजूरी अनिवार्य कर दी।
- 2016 के संशोधन में जिला पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (EIAA) और जिला विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) की स्थापना के प्रावधान भी थे।
अवैध खनन से समबन्धित चिंताएं:
- गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में EAC और EIAA की राज्य-वार समीक्षा के अनुसार, अधिकारी दैनिक आधार पर 50 से अधिक खनन परियोजना प्रस्तावों की समीक्षा करते हैं जिसमे से इनके द्वारा अस्वीकृति दर केवल 1% है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, 2019 में भारत और चीन शीर्ष दो देश थे जहां अवैध रेत खनन के परिणामस्वरूप वृहद पैमाने पर पर्यावरणीय क्षरण हुआ है।
- इसके अलावा भारत में रेत खनन की स्थिति के मूल्यांकन के लिए व्यापक मूल्यांकन पद्धति का अभाव है।
- गौण खनिजों के अवैध खनन के मुद्दे को अक्सर अधिकारियों द्वारा कम करके आंका जाता है, जिससे पर्यावरणीय क्षरण बढ़ जाता हैं।
- विज्ञान और पर्यावरण केंद्र द्वारा उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के तल के क्षेत्रीय अध्ययन में निम्नलिखित अवलोकन किए गए हैं:
- बड़े पैमाने पर मिट्टी की मांग ने मिट्टी के निर्माण और भूमि की मिट्टी धारण क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
- समुद्री जीवन को भारी नुकसान।
- बाढ़ और सूखे की आवृत्ति में वृद्धि।
- पानी की गुणवत्ता खराब होना।
- इसी तरह, नर्मदा बेसिन के एक अध्ययन में पाया गया है कि रेत खनन के कारण 1963 से 2015 के बीच महासीर मछली की आबादी में 76% की कमी आई है।
- साथ ही कई मामलों में यह भी पाया गया है कि प्रमुख राजमार्गों या निर्माण परियोजनाओं के पास की कृषि भूमि या सरकार की परती भूमि की लागत और पहुंच के कारण बजरी का दोहन किया गया।
- अवैध खनन से सरकारी खजाने को भी भारी नुकसान होता है। उदाहरण के लिए:
- यूपी में 70% खनन गतिविधियों के कारण राजस्व नुकसान होता है क्योंकि केवल 30% क्षेत्रों में ही कानून के तहत खनन किया जाता है।
- रॉयल्टी के अभाव में बिहार में ₹700 करोड़ का नुकसान हुआ है।
- अनियमित खनन के कारण विभिन्न उपकरों का भुगतान न करने के परिणामस्वरूप कर्नाटक को ₹100 करोड़ का नुकसान हुआ।
न्यायिक आदेशों पर राज्य की प्रतिक्रिया:
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT), उत्तर प्रदेश (जहां अवैध रेत खनन ने गंभीर खतरा पैदा किया है) की निरीक्षण समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार अवैध रेत खनन के मुआवजे के संबंध में जारी किए गए आदेश या तो आंशिक रूप से विफल रहे या उनका अनुपालन आंशिक रूप से किया गया।
- पश्चिम बंगाल, बिहार और मध्य प्रदेश में न्यायिक घोषणाओं की भी उपेक्षा की गई।
- गैर-अनुपालन के कारणों की राज्य-व्यापी समीक्षा इस प्रकार है:
- कमजोर संस्थानों के कारण खराब प्रशासन।
- प्रवर्तन सुनिश्चित करने हेतु अपर्याप्त और दुर्लभ राज्य संसाधन।
- खराब तरीके से तैयार किए गए नियामक प्रावधान।
- पर्याप्त निगरानी और मूल्यांकन तंत्र का अभाव।
- बड़ी संख्या में मुकदमें जो राज्य की प्रशासनिक क्षमता को कमजोर करते हैं।
रेत खनन की समस्या को हल करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग:
- सैटेलाइट चित्रण:
- निष्कर्षण की मात्रा का आकलन करने और खनन प्रक्रिया की जांच करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया जा सकता है।
- मुद्दे की गंभीरता और शुल्क तय करने हेतु विगत 10 से 15 वर्षों के सबूत के तौर पर सैटेलाइट तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- यह पाया गया है कि उपग्रह इमेजिंग के उपयोग के संबंध में कुछ राज्यों को NGT के निर्देशों के सुनियोजित निष्पादन के कारण लघु खनिज खनन से राजस्व में काफी वृद्धि हुई है।
- इसके अलावा ड्रोन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ब्लॉकचेन तकनीक को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) लोकेटर द्वारा पूरक निगरानी तंत्र में भी शामिल किया जा सकता है।
- गुजरात राज्य सरकार और मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देशों में अवैध रेत खनन की जाँच के लिए इन तकनीकों के उपयोग की सिफारिश की है।
संबंधित लिंक:
https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-mar01/
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की कार्यप्रणाली:
विषय: न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कामकाज।
मुख्य परीक्षा: कॉलेजियम सिस्टम।
संदर्भ:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश की सेवानिवृत्ति।
कॉलेजियम प्रणाली का विकास:
- एक न्यायाधीश का मामला: इसमें न्यायालय ने माना कि CJI के साथ परामर्श “पूर्ण और प्रभावी” होना चाहिए।
- दो न्यायाधीशों का मामला (1993): इसने 1993 में कॉलेजियम प्रणाली की शुरुआत की गयी। यह फैसला सुनाया गया कि CJI को न्यायिक नियुक्तियों के सन्दर्भ में शीर्ष अदालत में अपने दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों के एक कॉलेजियम से परामर्श करना होगा। यह माना गया कि कॉलेजियम की “सामूहिक राय” सरकार पर भारी होगी।
- तीन न्यायाधीशों का मामला (1998): इस मामले के परिणामस्वरूप कॉलेजियम प्रणाली अंततः अपने वर्तमान स्वरूप में विकसित हुई। इसमें CJI और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल हुए।
कॉलेजियम पर अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें:
जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम और NJAC – Collegium System and NJAC for Appointment of Judges – UPSC Indian Polity Notes
कॉलेजियम सिस्टम: समस्याएं और भावी कदम (Collegium System: Problems & Way Forward)
कॉलेजियम प्रणाली का कार्य:
- सर्वोच्च न्यायालय का कॉलेजियम सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों के लिए सिफारिशें करता है।
- यदि नाम पुनर्विचार के लिए वापस भेजा जाता हैं तो कॉलेजियम वीटो का प्रयोग भी कर सकता है।
- कॉलेजियम प्रणाली के पीछे मूल सिद्धांत यह है कि न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाए रखने के लिए नियुक्तियों/स्थानांतरणों के मामलों में कार्यपालिका की प्रधानता होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट (एससी) में न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया:
- सुप्रीम कोर्ट के CJI/न्यायाधीशों की नियुक्ति एक मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर द्वारा होती है।
CJI की नियुक्ति:
- संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा CJI तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है।
- CJI के कार्यालय में नियुक्ति SC के वरिष्ठतम न्यायाधीश की होनी चाहिए जिसे पद धारण करने के लिए उपयुक्त माना जाए।
- निवर्तमान CJI, केंद्रीय कानून मंत्री को अपने उत्तराधिकारी न्यायाधीश के नाम की सिफारिश करते हैं। एक बार जब CJI इसकी सिफारिश कर देता है, तो कानून मंत्री प्रधानमंत्री को पत्र भेजता है जो नियुक्ति के संबंध राष्ट्रपति को सलाह देता है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति:
- कॉलेजियम रिक्ति से पहले केंद्रीय कानून मंत्री को एक उम्मीदवार की सिफारिश करता है।
- CJI सर्वोच्च न्यायालय के उन वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श करता है, जो उस उच्च न्यायालय से संबंधित हैं जिससे अनुशंसित व्यक्ति संबंधित है।
- कॉलेजियम के द्वारा सरकार को भेजे गए उम्मीदवार के संबंध में प्रत्येक सदस्य और अन्य न्यायाधीशों की राय लिखित रूप से ली जाती है ।
- यदि CJI ने गैर-न्यायाधीशों से परामर्श किया था, तो उन्हें एक ज्ञापन बनाना चाहिए जिसमें परामर्श का सार हो, जो फ़ाइल का हिस्सा भी होगा।
- कॉलेजियम की सिफारिश प्राप्त होने के बाद, कानून मंत्री इसे प्रधान मंत्री को अग्रेषित करता है, जो बदले में राष्ट्रपति को नियुक्ति के लिए सलाह देता है ।
नियुक्ति के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें:
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश – नियुक्ति और निष्कासन – Supreme Court Judge – Appointment and Removal – UPSC Indian Polity
कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना:
- पारदर्शिता की कमी के कारण इस प्रणाली की अक्सर आलोचना की गई है।
- इसमें भाई-भतीजावाद का भी आरोप लगाया गया है।
- संविधान में संशोधन करने और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग लाने के सरकार के प्रयासों को विवाद से जोड़कर एक संविधान पीठ ने खारिज कर दिया था।
क्या न्यायिक नियुक्तियों में वृद्धि से सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों में कमी आई है?
- विगत कुछ वर्षों में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि के परिणामस्वरूप शीर्ष अदालत में लंबित मामलों में कमी नहीं आई है।
- 1950 से लंबित मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है।
- निम्न तालिका SC में न्यायाधीशों की स्वीकृत के साथ लंबित मामलों को दर्शाती है (अनुच्छेद के अनुसार):
YEAR |
NUMBER OF JUDGES(SC) |
NUMBER OF CASES (Approx) |
---|---|---|
1950 |
8 |
100 plus |
1960 |
14 |
3247 |
1978 |
18 |
14,000 |
1986 |
26 |
27,881 |
2009 |
31 |
50,000 |
2014 |
31 |
64,000 |
2021 |
34 |
69,855 |
सम्बंधित लिंक्स:
न्यायपालिका – Judiciary – An Overview
भारतीय न्यायपालिका – सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, जिला और अधीनस्थ न्यायालय – भारतीय राजनीति नोट्स (Indian Judiciary – Supreme Court, High Court, District & Subordinate Courts – Indian Polity Notes)
सारांश:
|
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. दिल्ली में पकड़ा गया ISIS का कथित सदस्य:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं की भूमिका।
प्रारंभिक परीक्षा: आईएसआईएस (ISIS), एनआईए (NIA)।
संदर्भ:
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली से एक सक्रिय आईएसआईएस सदस्य को यह दावा करते हुए गिरफ्तार किया है कि वह भारत और अन्य देशों में भी सहानुभूति रखने वालों से धन एकत्र कर रहा था और इन फंडों को आईएसआईएस (ISIS) की गतिविधियों में मदद करने के लिए क्रिप्टोकरेंसी के रूप में सीरिया भेज रहा था।
- आईएसआईएस पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: ISIS
- एनआईए पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: NIA
महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)
गुफा राज्य
- बोरा (Borra) आंध्र प्रदेश
- लोमस ऋषि (Lomas Rishi) बिहार
- मावसई (Mawsmai) मेघालय
- मंडपेश्वर (Mandapeshwar) हिमाचल प्रदेश
- ताबो (Tabo) महाराष्ट्र
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: a
व्याख्या:
- जोड़ी 1 सही है: बोरा गुफाएं भारत के पूर्वी तट पर, आंध्र प्रदेश में अराकू घाटी की अनंतगिरी पहाड़ियों में स्थित हैं। वे स्पष्ट रूप से अनियमित आकार के स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स को प्रदर्शित करती हैं और भारत में सबसे गहरी गुफा मानी जाती हैं।(स्टैलेक्टाइट्स गुफा की छत से नीचे बढ़ते हैं, जबकि स्टैलेग्माइट्स गुफा के तल से बढ़ते हैं।)
- जोड़ी 2 सही है: लोमस ऋषि गुफा बिहार के बराबर और नागार्जुनी पहाड़ियों में मानव निर्मित गुफाओं में से एक है। इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में आजिविका संप्रदाय की पवित्र वास्तुकला के रूप में बनाया गया था।
- लोमस ऋषि गुफा
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- जोड़ी 3 सही है: मावसई (Mawsmai) गुफा मेघालय के चेरापूंजी के पास पाई जाने वाली चूना पत्थर की गुफा है।
- जोड़ी 4 गलत है: मंडपेश्वर गुफाएं महाराष्ट्र में स्थित भगवान शिव को समर्पित मंदिर है इसे 8वीं शताब्दी में एक चट्टान को काटकर बनाया गया था।
- जोड़ी 5 गलत है: ताबो गुफाएं हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी में स्थित हैं।
प्रश्न 2. मुल्लापेरियार बांध के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)
- यह पेरियार नदी पर एक चिनाई (masonry) वाला गुरुत्व बाँध है।
- यह केरल में स्थित है लेकिन इसका संचालन तमिलनाडु सरकार द्वारा किया जाता है।
विकल्प:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न हीं 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: यह केरल के इडुक्की जिले में मुल्लायर और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित 126 साल पुराना चिनाई वाला गुरुत्वाकर्षण बांध है।
- कथन 2 सही है: बांध का स्वामित्व, संचालन और रखरखाव तमिलनाडु के पास है।
प्रश्न 3. नालंदा विश्वविद्यालय के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)
- इसकी स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम ने 5वीं शताब्दी में की थी।
- बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के पुरातात्विक स्थल को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।
- जू बेइहोंग (Xu Beihong) एक चीनी बौद्ध भिक्षु थे, जिन्होंने राजा हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान भारत की यात्रा की और नालंदा में अध्ययन किया।
- नालंदा को मुहम्मद गोरी के तुर्क आक्रमणकारियों ने लूटा और नष्ट कर दिया था।
विकल्प:
(a) केवल 1, 3 और 4
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 3 और 4
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के कुमारगुप्त प्रथम ने 5वीं शताब्दी ई. में की थी। इसे कन्नौज के प्रसिद्ध शासक राजा हर्षवर्धन ने भी सहयोग प्रदान किया था।
- कथन 2 सही है: नालंदा विश्वविद्यालय को 2016 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा विश्व विरासत स्थल के रूप में चिन्हित किया गया था।
- कथन 3 गलत है: ह्वेन त्सांग या जुआनज़ांग ( Hiuen Tsang or Xuanzang), एक बौद्ध भिक्षु के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 7वीं शताब्दी में नालंदा का दौरा किया था। उन्होंने नालंदा में लगभग 05 वर्षों तक अध्ययन किया। ह्वेनसांग ने नालंदा में अपने अध्ययन के दौरान तर्क, व्याकरण, संस्कृत और बौद्ध धर्म का योगकारा स्कूल की शिक्षा ग्रहण की थी।
- कथन 4 गलत है: 1193 में नालंदा को घुरिद राजवंश (Ghurid Dynasty) के एक सैन्य जनरल द्वारा तुर्क ने नष्ट कर दिया गया था जिसे बख्तियार खिलजी कहा जाता है।
प्रश्न 4. हैनसेन (Hansen’s) रोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-सरल)
- यह धोरी वायरस (Dhori virus) के कारण होने वाला संक्रमण है।
- यह नसों, त्वचा, आंखों और नाक के अस्तर/परत (नाक के श्लेष्मा) को प्रभावित कर सकता है।
- हैनसेन की बीमारी न हीं गर्भावस्था के दौरान मां से उसके अजन्मे बच्चे में और न हीं यौन संपर्क से फैलती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: हैनसेन रोग/कुष्ठ एक संक्रमण है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्राई (Mycobacterium leprae) नामक जीवाणु से होता है।
- कथन 2 सही है: यह त्वचा, नसों और श्लेष्मा झिल्ली (शरीर के छिद्रों के अंदर के नरम, नम क्षेत्रों) को प्रभावित करता है।
- कथन 3 सही है: यह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ आकस्मिक संपर्क से नहीं फैलता है, जिसे हैनसेन रोग है।
- गर्भावस्था के दौरान एक मां से उसके अजन्मे बच्चे को भी हैनसेन की बीमारी नहीं होती है और यह यौन संपर्क से भी नहीं फैलती है।
प्रश्न 5. “मियावाकी पद्धति” किसके लिए विख्यात है? (CSE Prelims-2022) (स्तर-मध्यम)
(a) शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में वाणिज्यिक कृषि का संवर्धन।
(b) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पुष्पों का उपयोग कर उद्यानों का विकास।
(c) शहरी क्षेत्रों में लघु वनों का सृजन।
(d) तटीय क्षेत्रों और समुद्री सतहों पर पवन ऊर्जा का संग्रहण।
उत्तर: c
व्याख्या:
- मियावाकी विधि कृषि या निर्माण जैसे अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली अपमानित भूमि पर जल्दी से वन आवरण बनाने के लिए सबसे प्रभावी वृक्षारोपण विधियों में से एक है।
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UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत के कई राज्यों में गौण खनिजों का अवैध खनन बेरोकटोक जारी है। इस समस्या का स्थायी समाधान करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है।चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस-3, पर्यावरण और पारिस्थितिकी)
प्रश्न 2. ग्रामीण स्थानीय निकायों में बढ़ती छद्म राजनीति विकेंद्रीकरण के विचारों को कमजोर कर रही है और भारत में ग्रामीण लोकतंत्र को विकृत करने वाले प्रमुख कारकों में से एक बन रही है। कथन का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस-2, राजव्यवस्था)