A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: शासन:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
इंटरसेक्स शिशुओं पर लिंग-चयनात्मक सर्जरी के लिए मानदंड जारी करें: केरल उच्च न्यायलय
शासन:
विषय: स्वास्थ्य, लिंग, शिक्षा, गरीबी, आर्थिक आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: लिंग संबंधी स्वास्थ्य मुद्दे और सुरक्षा के लिए कानूनी उपाय।
प्रसंग:
- केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक निर्देश जारी किया है, जिसमें नैतिक और संवैधानिक चिंताओं पर ध्यान दिलाते हुए, इंटरसेक्स (अंतर्लिंगी) शिशुओं पर लिंग-चयनात्मक सर्जरी के विनियमन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
विवरण:
- केरल उच्च न्यायालय ने इंटरसेक्स शिशुओं और बच्चों पर लिंग-चयनात्मक सर्जरी को विनियमित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश जारी किया।
- न्यायमूर्ति वी. जी. अरुण का आदेश निरीक्षण और नैतिक विचारों की आवश्यकता पर जोर देता है।
लिंग-चयनात्मक सर्जरी के लिए सशर्त अनुमति:
- जब तक नियम स्थापित नहीं हो जाते, तब तक एक राज्य स्तरीय बहुविषयक समिति की राय के आधार पर ही लिंग-चयनात्मक सर्जरी की अनुमति दी जाती है।
- समिति के मूल्यांकन से यह पुष्टि होनी चाहिए कि बच्चे की जान बचाने के लिए सर्जरी आवश्यक है।
निर्देश की उत्पत्ति और संदर्भ:
- यह निर्देश माता-पिता द्वारा अस्पष्ट जननांग के साथ पैदा हुए अपने बच्चे पर जननांग पुनर्निर्माण सर्जरी की अनुमति मांगने वाली एक रिट याचिका से उत्पन्न हुआ है।
- व्यक्तिगत अधिकारों के साथ चिकित्सा आवश्यकता को संतुलित करना एक केंद्रीय चिंता का विषय है।
बहुविषयक समिति की भूमिका:
- अदालत ने सरकार को एक राज्य स्तरीय बहुविषयक समिति बनाने का निर्देश दिया है जिसमें एक बाल रोग विशेषज्ञ/बाल चिकित्सा एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, बाल रोग सर्जन, और बाल मनोचिकित्सक/बाल मनोवैज्ञानिक शामिल हों।
- समिति का कार्य यह निर्धारित करना है कि क्या अस्पष्ट जननांग बच्चे के लिए जीवन के लिए खतरा पैदा करते हैं।
संवैधानिक विचार:
- अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जननांग पुनर्निर्माण सर्जरी की अनुमति देते समय संवैधानिक अधिकारों का सम्मान होना चाहिए।
- उचित सहमति के बिना सर्जरी करना बच्चे की गरिमा और गोपनीयता का उल्लंघन है।
प्रत्याशित मनोवैज्ञानिक निहितार्थ:
- यदि बच्चा किशोरावस्था के दौरान स्वयं की पहचान एक अलग लिंग से करता है तो अदालत गंभीर भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों की संभावना को स्वीकार करती है।
- यह सूचित निर्णय लेने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
ट्रांसजेंडर अधिकार और कानूनी ढांचा:
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम का उल्लेख करते हुए, अदालत ने टिप्पणी की कि इंटरसेक्स भिन्नता वाले व्यक्ति ट्रांसजेंडर की परिभाषा (धारा 2 (के)) के अंतर्गत आते हैं।
- अधिनियम की धारा 4(2) स्वयं-कथित लिंग पहचान के अधिकार की गारंटी देती है।
व्यक्ति का लिंग चयन का अधिकार:
- अदालत दृढ़ता से स्थापित करती है कि किसी की लिंग पहचान चुनने का अधिकार पूरी तरह से उस व्यक्ति का है।
- यहां तक कि अदालत के पास भी किसी व्यक्ति की लिंग पहचान निर्धारित करने का अधिकार नहीं है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
जलवायु घटनाएँ और शहरी स्वास्थ्य के लिए एक छत्र:
सामाजिक न्याय:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
मुख्य परीक्षा: स्वास्थ्य के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रसंग:
- भारत में मानसून के मौसम ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है जिसने पानी और वेक्टर (रोग वाहक कीट) जनित बीमारियों के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं, खासकर शहरी क्षेत्रों के मलिन बस्तियों जैसे संवेदनशील स्थानों में।
मानसून प्रभाव और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ:
- भारत में मानसून का मौसम चक्रवाती तूफान, बाढ़ और भारी वर्षा सहित व्यापक विनाश लेकर आया है।
- इनके कारण पानी और वाहक जनित सामान्य बीमारियों जैसे टाइफाइड, हैजा, पेचिश, मलेरिया और डेंगू से उत्पन्न स्वास्थ्य चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित हो गया है।
शहरी सुभेद्यता और रोग प्रसार:
- शहरी परिवार, विशेषकर मलिन बस्तियों जैसे अविकसित क्षेत्रों में, खराब सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के कारण रोगों के प्रसार के लिए अत्यधिक असुरक्षित हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप अधिक होने की आशंका है।
जलवायु परिवर्तन और रोग सुभेद्यता:
- जलवायु की दृष्टि से सुभेद्य राज्यों में मलेरिया (malaria) जैसी बीमारियों के प्रति सुभेद्यता अधिक बढ़ गई है।
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित घटनाओं से वेक्टर जनित बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
रोग प्रबंधन में चुनौतियाँ:
- मानसून के बाद, स्वास्थ्य अधिकारी पानी और वाहक जनित बीमारियों को रोकने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- लोगों की आवाजाही के कारण राज्यों और शहरी क्षेत्रों के बीच समन्वय महत्वपूर्ण है।
लचीली शहरी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली:
- चरम जलवायु घटनाओं का सामना करने के लिए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के पुनर्निर्माण की तत्काल आवश्यकता है।
- सिस्टम को सुभेद्य शहरी आबादी को प्राथमिकता देनी चाहिए, खासकर मलिन बस्तियों और उप-शहरी क्षेत्रों में।
सार्वजनिक निवेश और स्वास्थ्य लचीलापन:
- सुभेद्य क्षेत्रों पर जोर देने के साथ शहरी स्वास्थ्य देखभाल के लिए सार्वजनिक निवेश में वृद्धि की आवश्यकता होती है।
- हालाँकि राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (National Urban Health Mission) ने सुधार शुरू किया गया है, लेकिन वित्तीय बाधाएं प्रगति में बाधक हैं।
शहरी स्वास्थ्य के लिए विशेष अनुदान:
- शहरी स्वास्थ्य देखभाल में लचीलापन बनाने के लिए वित्त आयोग जैसी संस्थाओं से एक विशेष अनुदान की आवश्यकता होती है।
- ध्यान शहरों से परे कस्बों तक बढ़ाया जाना चाहिए।
कोविड-19 अनुभव और शहरी स्वास्थ्य प्रशासन:
- कोविड-19 ने शहरी स्वास्थ्य प्रशासन की जटिलताओं को उजागर किया, समन्वय और सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए डेटा साझाकरण और विनियमन सहित विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है।
निगरानी एवं सूचना प्रणाली को सुदृढ़ बनाना:
- एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम जैसी निगरानी और सूचना प्रणालियों को सार्वभौमिक बनाना और मजबूत करना।
- स्वास्थ्य संकटों पर प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए व्यापक जानकारी साझा करना महत्वपूर्ण है।
व्यापक स्वास्थ्य प्रणाली दृष्टिकोण:
- ऊर्ध्वाधर रोग नियंत्रण कार्यक्रमों से व्यापक स्वास्थ्य प्रणाली दृष्टिकोण में बदलाव।
- रोग प्रबंधन कार्यक्रमों में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं का एकीकरण एक बहुमुखी सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर बना सकता है।
जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के लिए तैयारी:
- जलवायु परिवर्तन की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य प्रणालियों की योजना बनाना और उनका प्रबंधन करना।
- वैश्विक स्तर पर बेहतर तैयारी जरूरी है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भूराजनीति के नए युग में वाणिज्य का व्याकरण:
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: वोस्ट्रो खाता, रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: आर्थिक गतिविधियों और वैश्विक व्यापार संबंधों पर बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्यों का प्रभाव; अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मुद्रा विकल्पों के निहितार्थ।
प्रसंग:
- यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine-Russia war) और प्रतिबंधों के कारण अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए भारतीय रुपये के उपयोग की स्थिति में परिवर्तन आया है। अधिशेष और मुद्रा स्थिरता पर चिंताओं के बीच रूस और भारत ने रुपये में व्यापार भुगतान का निपटारा किया।
विवरण:
- पर्याप्त बाज़ार क्षमता वाले एक पसंदीदा व्यापारिक भागीदार के रूप में भारत की स्थिति मार्च 2018 से स्पष्ट हो गई है।
- भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए भारतीय रुपये के उपयोग में बदलाव आया है।
अंतर्राष्ट्रीय भुगतान के लिए रुपये का उपयोग:
- यूक्रेन-रूस युद्ध तथा उसके बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अंतर्राष्ट्रीय भुगतान विधियों में बदलाव आया।
- भारत और रूस ने प्रतिबंधों से निपटने के लिए व्यापार भुगतान को भारतीय रुपये में निपटाने का विकल्प चुना।
भुगतान के तौर-तरीके:
- भारत या रूस से भुगतान अधिकृत भारतीय बैंकों द्वारा प्रबंधित रूसी बैंकों में रुपया वोस्ट्रो खातों ( Rupee Vostro accounts) में निर्देशित किया जाता है।
- भारतीय आयातक रूसी आपूर्तिकर्ताओं के चालान के आधार पर वोस्ट्रो खाते में रुपये का भुगतान करते हैं।
- इस व्यवस्था में खनिज ईंधन, कच्चा तेल और रक्षा प्रणाली जैसी वस्तुएं शामिल हैं।
अधिशेष के साथ चुनौतियाँ:
- इस व्यवस्था के बावजूद, रूस ने भारत के साथ व्यापार अधिशेष बनाए रखा, जिससे भारतीय रुपये की स्थिरता को लेकर चिंताएँ पैदा हो गईं।
- वैश्विक पदानुक्रम में मुद्रा की स्थिति और संभावित मूल्यह्रास के कारण रूस अधिक रुपये जमा करने में झिझक रहा था।
भुगतान विकल्प:
- भुगतान संबंधी कठिनाइयों को दूर करने के लिए, भारतीय रिफाइनर्स ने रूस को स्वीकार्य चीनी युआन का उपयोग करके रूसी तेल के लिए भुगतान का निपटान करना शुरू कर दिया।
- रूस चीन के साथ अपने तेल लेनदेन के कारण युआन (yuan) में भुगतान स्वीकार करता है।
ऐतिहासिक संदर्भ:
- इसी तरह की द्विपक्षीय व्यापार और समाशोधन व्यवस्था का उपयोग भारत द्वारा 1950 के दशक में किया गया था, विशेष रूप से पूर्व सोवियत संघ के साथ।
- द्विपक्षीय व्यापार व्यवस्था में व्यापार और क्रेडिट-संबंधित लेनदेन का निपटारा करने के लिए रुपये का उपयोग किया जाता था।
भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक बदलाव:
- वर्तमान स्थानीय मुद्रा निपटान उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की आधिपत्य वाली मुद्राओं पर निर्भरता से बचने की प्रवृत्ति के अनुरूप है।
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच हाल ही में हुए रुपया-दिरहम समझौते जैसे समझौतों का उद्देश्य विनिमय जोखिमों से बचना और कुशल लेनदेन को बढ़ावा देना है।
नई वित्तीय संरचना की संभावनाएँ:
- दक्षिण देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं के उपयोग से एक नई वित्तीय संरचना को जन्म मिल सकता है।
- आईएमएफ, विश्व बैंक (World Bank) जैसे संस्थानों और निजी पूंजी की भूमिका इन लेनदेन में कम हो सकती है।
भू-अर्थशास्त्र और भू-राजनीति को संतुलित करना:
- संभावित राजनीतिक और मुद्रा संबंधी मुद्दे उठ सकते हैं, खासकर चीन की भूमिका को लेकर।
- हालाँकि, इस उभरते परिदृश्य में भू-अर्थशास्त्र भू-राजनीति पर भारी पड़ सकता है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
केंद्र द्वारा प्रस्तावित जन विश्वास विधेयक, 2023 क्या है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक का समालोचनात्मक विश्लेषण।
प्रसंग:
- हाल ही में संसद में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया।
पृष्ठभूमि
- जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023, शुरू में 2022 में लोकसभा ( Lok Sabha ) में पेश किया गया था। फिर इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था।
- जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2022 पर संयुक्त समिति ने विधायी विभाग और कानूनी मामलों के विभाग के साथ-साथ 19 मंत्रालयों और विभागों में से प्रत्येक के साथ गहन चर्चा की।
जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 के बारे में
- जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2023 का उद्देश्य जीवन की गुणवत्ता और व्यावसायिक पहुंच दोनों में सुधार करना है।
- विधेयक का उद्देश्य कई कृत्यों को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए कई जुर्मानों और दण्डों को 42 कानूनों में बदलना है।
- अपराध की गंभीरता के अनुसार, कानून विश्वास-आधारित शासन का समर्थन करने के लिए मौद्रिक दंड को तर्कसंगत बनाने की मांग करता है।
संशोधन विधेयक के लाभ
- संशोधन विधेयक आपराधिक कानूनों को तर्कसंगत बनाने में सहायता करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि लोग, कंपनियां और सरकारी एजेंसियां महत्वहीन, तकनीकी या प्रक्रियात्मक त्रुटियों के लिए जेल जाने की चिंता किए बिना अपने कार्य कर सकें।
- किसी अपराध के लिए सज़ा का प्रकार उचित होना चाहिए, यह देखते हुए कि अपराध कितना गंभीर है।
- विधेयक उपयुक्त प्रशासनिक न्यायनिर्णयन तंत्र पेश करता है जो न्याय प्रणाली पर अनुचित दबाव को कम करेगा, मामलों की लंबितता को कम करेगा और अधिक कुशल और प्रभावी न्याय वितरण में मदद करेगा।
- नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों के विशिष्ट समूहों से संबंधित कानूनों को अपराधमुक्त करने से उन्हें बहुत छोटे अपराधों के लिए जेल जाने की चिंता से मुक्त रहने की अनुमति मिलेगी।
- इस कानून का पारित होना नियमों को तर्कसंगत बनाने, बाधाओं को दूर करने और वाणिज्यिक विकास को समर्थन देने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम का संकेत होगा।
- सरकार और व्यवसायों दोनों के लिए समय और धन बचाने के उद्देश्य से, यह कानून भविष्य में अन्य कानूनों में संशोधन के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करेगा।
संशोधनों से जुड़ी चिंताएँ
- विधेयक गैर-मानक गुणवत्ता वाली दवाओं (NSQ) के निर्माताओं को कठोर दंड से छूट देता है, भले ही इन दवाओं का रोगियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हो।
- यह विधेयक उन फार्मेसी संचालकों के लिए परिणामों की गंभीरता को भी कम करता है जो अपने लाइसेंस के प्रतिबंधों की उपेक्षा करते हैं।
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 संशोधन ने सबसे अधिक बहस को जन्म दिया है। यह अधिनियम देश की औषधि एवं प्रसाधन विनिर्माण, वितरण और बिक्री को नियंत्रित करता है।
निष्कर्ष
- विनिर्माण और फार्मेसियों सहित भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र पहले से ही बेहद शिथिल निगरानी के अधीन है, जैसा कि हाल ही में दुनिया भर में ‘मेड इन इंडिया’ दवाओं से जुड़े घोटालों के विस्फोट से साबित हुआ है। सरकार को व्यवसाय को अक्षरशः “जेल के भय से मुक्त हो जाने” की गारंटी नहीं देना चाहिए; इसके बजाय, सरकार को नियामक विनियमन कड़े करना चाहिए। कानूनों को व्यवसायों में परिचालन की लागत बनाने के बजाय उनमें सामाजिक जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की गहरी भावना पैदा करनी चाहिए।
सारांश:
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अमेरिका के चिप्स अधिनियम से सबक:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: अमेरिका का चिप्स अधिनियम और भारत के लिए सबक
प्रसंग:
- संयुक्त राज्य अमेरिका के “अर्धचालकों के उत्पादन के लिए सहायक प्रोत्साहन निर्मित करना और विज्ञान अधिनियम (चिप्स अधिनियम), 2022” ने एक वर्ष पूरा कर लिया है।
चिप्स अधिनियम क्या है?
- अर्धचालकों के उत्पादन के लिए सहायक प्रोत्साहन निर्मित करना और विज्ञान अधिनियम (चिप्स अधिनियम), 2022 कानून के रूप में 2022 में पारित किया गया था।
- इसका उद्देश्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
- यह कानून घरेलू सेमीकंडक्टर उत्पादन सुविधाओं में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया है।
- चिप्स और विज्ञान अधिनियम तकनीकी कंपनियों को देश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता है।
भारत के लिए सबक
चिप्स अधिनियम ऐसी पहलों को पूरा करने के लिए आवश्यक क्षमताओं और रूपरेखाओं पर एक पारदर्शी दृष्टिकोण प्रदान करता है। भारतीय दृष्टिकोण से, अधिनियम के कार्यान्वयन के दौरान इस पर नजर रखना और नोट्स लेना महत्वपूर्ण है, भले ही इसकी दीर्घकालिक प्रभावशीलता पर अभी भी बहस चल रही है।
- विभागों के बीच समन्वय
- अधिनियम में कई संघीय एजेंसियों के बीच सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है।
- दूसरी ओर, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) मुख्य रूप से सेमीकंडक्टर्स के लिए भारत की औद्योगिक नीति के प्रबंधन का प्रभारी है।
- MeitY द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन ने अर्धचालकों की योजनाओं को इंडिया सेमीकंडक्टर्स मिशन (India Semiconductor Mission (ISM)) नामक एक स्वतंत्र शाखा को सौंपा है।
- अलग निधि
- अधिनियम को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से, चार अलग-अलग फंड स्थापित किए गए हैं।
- यह व्यवस्था स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि अर्धचालक कितने महत्वपूर्ण हैं।
- चिप्स अधिनियम के तहत वित्त पोषण के लिए पात्र होने के लिए कंपनियों को कार्यबल विकास योजनाएं प्रस्तुत करनी होंगी।
- निजी संस्थानों के साथ सहयोग
- भारत सेमीकंडक्टर इंजीनियरों के कुशल कार्यबल को विकसित करके सेमीकंडक्टर व्यवसाय में तेजी से प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त स्थापित कर सकता है। भारत के मामले में, कई निजी शैक्षणिक सुविधाएं पारंपरिक विश्वविद्यालय प्रणाली के ढांचे के बाहर चिप डिजाइनरों को प्रशिक्षित करती हैं।
- उन्हें प्रबंधित करने के बजाय, चिप्स2 स्टार्टअप (C2S) कार्यक्रम को शीर्ष स्तर के शैक्षणिक या निजी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मान्यता देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- जवाबदेही का ढाँचा निर्मित करना
- चिप्स अधिनियम ने किसी परियोजना की वित्तीय व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए मानक स्थापित करने के लिए चिप्स कार्यक्रम कार्यालय (CPO) की भी स्थापना की।
- निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए, CPO वित्तीय संरचना निदेशकों और निवेश प्राचार्यों को नियुक्त कर रहा है।
- भले ही भारत के पास यह निर्धारित करने के लिए मानदंड हैं कि विचार व्यवहार्य हैं या नहीं, फिर भी खुलेपन को बढ़ाने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है।
- सरकार के सेमीकंडक्टर कार्यक्रम पर नियमित मासिक प्रगति रिपोर्ट जारी की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
- चिप्स और विज्ञान अधिनियम सेमीकंडक्टर उद्योग में औद्योगिक नीति के लिए एक अच्छे मॉडल के रूप में कार्य करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने जो प्रशासनिक क्षमता जुटाई है, उसने इस अधिनियम को इस तरह से संस्थागत बना दिया है कि यह सरकारों से परे इसकी निरंतरता सुनिश्चित करेगा। जिस प्रकार भारत सेमीकंडक्टर उद्योग पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, उसे संपूर्ण-सरकारी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. मध्यम अवधि व्यय ढांचा:
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था
प्रारंभिक परीक्षा: FRBM अधिनियम और मध्यम अवधि व्यय ढांचा।
भूमिका:
- भारत का वित्त मंत्रालय बाहरी झटकों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए “राजकोषीय प्रतिरोध क्षमता” बनाए रखने के महत्व पर जोर देता है।
- फरवरी में केंद्रीय बजट पेश होने के बाद से वैश्विक आर्थिक स्थितियों में सुधार नहीं हुआ है।
मध्यम अवधि व्यय ढांचा (MTEF):
- राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management (FRBM) Act) अधिनियम द्वारा अनिवार्य MTEF, वर्तमान परिस्थितियों के कारण जारी नहीं किया जा सकता है।
- अगले दो वर्षों के लिए सार्थक व्यय अनुमानों और रोलिंग लक्ष्यों के लिए आर्थिक विकास दर और राजस्व प्राप्तियों के बारे में अनुमान आवश्यक हैं।
- वित्त मंत्रालय वर्तमान स्थिति में MTEF जारी करने में असमर्थता व्यक्त की है।
निरंतर वैश्विक विपरीत परिस्थितियां और जोखिम:
- फरवरी के बाद से वैश्विक आर्थिक स्थितियों और संबंधित जोखिमों में कोई अनुकूल बदलाव नहीं देखा गया।
- वित्त मंत्रालय ने शुरू में संसद में 2024-25 और 2025-26 के लिए राजकोषीय अनुमान पेश नहीं करने का कारण “अभूतपूर्व वैश्विक अनिश्चितताओं” को बताया था।
व्यय प्रबंधन में लचीलेपन की आवश्यकता:
- बाहरी झटकों और वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रभावी प्रबंधन के लिए व्यय प्रबंधन और राजकोषीय समेकन में अतिरिक्त लचीलेपन की आवश्यकता होती है।
- अप्रत्याशित आर्थिक चुनौतियों की प्रतिक्रिया के लिए राजकोषीय नीतियों में लचीलापन आवश्यक है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- माया ऑपरेटिंग सिस्टम:
- रक्षा और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को लक्षित करने वाले बढ़ते साइबर और मैलवेयर हमलों के जवाब में, रक्षा मंत्रालय साइबर सुरक्षा (cybersecurity) बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
- मंत्रालय सभी इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटरों में माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) को स्थानीय रूप से विकसित उबंटू पर आधारित “माया” नामक एक नए ओपन-सोर्स OS से प्रतिस्थापित कर रहा है।
- माया एक उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस और विंडोज़ OS के समान कार्यक्षमता प्रदान करता है, जो उपयोगकर्ताओं के लिए एक सहज संक्रमण सुनिश्चित करता है।
- साइबर सुरक्षा रणनीति के हिस्से के रूप में, इन प्रणालियों में ‘चक्रव्यूह’ नामक एक ‘एंड पॉइंट डिटेक्शन एंड प्रोटेक्शन सिस्टम’ भी लागू किया जा रहा है।
- वर्तमान में, सेना के नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटरों को छोड़कर, माया को रक्षा मंत्रालय के सिस्टम में एकीकृत किया जा रहा है।
- तीनों सेनाओं (नौसेना, थल सेना, वायु सेना) ने माया की समीक्षा की है और जल्द ही इसे अपने संबंधित नेटवर्क के लिए अपनाने की योजना बनाई है।
- नौसेना पहले ही माया को मंजूरी दे चुकी है, जबकि सेना और वायुसेना फिलहाल इसकी उपयुक्तता का आकलन कर रही हैं।
- माया को सरकारी विकास एजेंसियों द्वारा छह महीने की समय सीमा के भीतर विकसित किया गया था।
- माया के कार्यान्वयन का उद्देश्य मैलवेयर और साइबर हमलों को विफल करना और ऐसी घटनाओं में हालिया वृद्धि का मुकाबला करना है।
- भारत ने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे सहित विभिन्न मैलवेयर और रैनसम के हमलों का अनुभव किया है, जिससे मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की आवश्यकता महसूस होती है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा ओएस माया को अपनाने के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ओएस माया को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा ओपन-सोर्स उबंटू पर विकसित किया गया है।
- इसे बढ़ते साइबर खतरों से निपटने के लिए अपनाया जा रहा है।
- रक्षा मंत्रालय की योजना इसे 15 अगस्त, 2023 तक तीनों सशस्त्र बलों के कंप्यूटरों पर एक साथ इंस्टॉल करने की है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- इसे माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित नहीं किया गया है। इसे साइबर खतरों से निपटने के लिए अपनाया जा रहा है। तीनों सेनाएं इसे एक साथ नहीं अपना रही हैं।
प्रश्न 2. ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज (G6PD) की कमी के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?
- ऐसी स्थिति जहां ग्लूकोज के कारण लाल रक्त कोशिकाएं अत्यधिक बढ़ जाती हैं।
- एक आनुवंशिक विकार जिसके कारण इंसुलिन उत्पादन में पूर्ण कमी होती है।
- एक वंशानुगत स्थिति जिसके कारण कुछ कारणों से लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।
- एक एंजाइम की कमी जो श्वेत रक्त कोशिका के कार्य को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
उत्तर: c
व्याख्या:
- यह एक वंशानुगत स्थिति है जो एंजाइम ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज की कमी के कारण विभिन्न परिस्थितियों में लाल रक्त कोशिकाओं के तेजी से टूटने का कारण बनती है।
प्रश्न 3. मध्यम अवधि व्यय ढांचे (MTEF) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह व्यय संकेतकों के लिए एक वर्ष का लक्ष्य निर्धारित करता है।
- मध्यम अवधि व्यय ढांचा (MTEF) FRBM अधिनियम, 2003 के तहत प्रस्तुत किया गया है।
- MTEF राजस्व और पूंजीगत व्यय दोनों के लिए अलग-अलग व्यय का अनुमान प्रदान करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: यह FRBM अधिनियम के तहत व्यय संकेतकों के लिए तीन साल का रोलिंग लक्ष्य निर्धारित करता है।
प्रश्न 4. भारतीय संसद में अविश्वास प्रस्ताव के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- इसे संपूर्ण मंत्रिपरिषद के विरुद्ध लाया जा सकता है।
- अविश्वास प्रस्ताव केवल बताये गये कारणों से ही स्वीकृत किया जा सकता है।
निम्नलिखित कूट का उपयोग करके सही उत्तर का चयन कीजिए:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- इसे संसद में स्वीकार करने के कारणों को बताने की आवश्यकता नहीं है, और इसे संपूर्ण मंत्रिपरिषद के खिलाफ पेश किया जा सकता है।
प्रश्न 5. निकल (Nickel) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह उल्कापिंडों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण तत्व है।
- निकेल पौधों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है।
- ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में दुनिया में सबसे अधिक निकल भंडार हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- तीनों कथन सही हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली घटनाओं के प्रति शहरी परिवारों की सुभेद्यता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। टिप्पणी कीजिए। (The vulnerability of urban households to climate change-led events needs attention in India. Comment. )
(15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-3, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी]
- ऐसा प्रतीत होता है कि एक नया वित्तीय ढांचा तैयार हो रहा है, जहां दक्षिण की मुद्राएं उत्तर की मुद्राओं और अर्थव्यवस्थाओं द्वारा प्राप्त आधिपत्य और शोषणकारी व्यवस्था को प्रतिस्थापित करने के लिए तैयार हैं। चर्चा कीजिए। (There seems to be a new financial architecture, where currencies of the South are ready to replace the hegemonic and exploitative order enjoyed by currencies and economies of the North. Discuss.)
(15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)