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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 11 April, 2023 UPSC CNA in Hindi

11 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. नाटो में शामिल होने की फिनलैंड की यात्रा:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-अमेरिका संबंधों के लिए महत्वपूर्ण छह महीने:

पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण :

  1. चमकदार उम्‍मीद:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम:
  2. ज़ोजिला सुरंग:

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. तमिलनाडु विधान सभा ने केंद्र से विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल के लिए समय सीमा निर्धारित करने की मांग की:
  2. रूस-भारत रक्षा व्यापार:
  3. भारत के साथ चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराने पर चर्चा हुई: अमेरिकी जनरल

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

नाटो में शामिल होने की फिनलैंड की यात्रा:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: नाटो से संबंधित जानकारी।

प्रसंग:

  • फ़िनलैंड, 4 अप्रैल, 2023 को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization (NATO) ) में शामिल हो गया और इस संगठन का 31वां सदस्य बन गया।

विवरण:

चित्र स्रोत: The Economist

  • फ़िनलैंड के राष्ट्रपति सौली निनिस्तो (Sauli Niinistö) ने कहा कि “हमारे इतिहास में सैन्य गुटनिरपेक्षता का युग समाप्त हो गया है”।
    • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ द्वारा आक्रमण के प्रयास को विफल करने के बाद, फ़िनलैंड ने गुटनिरपेक्षता का विकल्प चुना था और रूस के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखा था।
  • फ़िनलैंड के इस नवीनतम कदम ने रूसी नेतृत्व के बीच चिंता पैदा कर दी है और रूस ने अपनी सामरिक तथा रणनीतिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जवाबी उपाय शुरू करने की चेतावनी दी है।
    • रूसी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि रूस “सैन्य-तकनीकी उपायों” के साथ जवाब देगा और इसकी कार्रवाई उन शर्तों पर निर्भर करेगी जिनके तहत फिनलैंड नाटो में शामिल हुआ है।
  • हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि फ़िनलैंड नाटो में शामिल होने वाला पहला और रूस का अंतिम पड़ोसी नहीं होगा।
    • फ़िनलैंड से पहले, नॉर्वे (1949, जो एक संस्थापक सदस्य है), लातविया (2004), एस्टोनिया (2004), पोलैंड (1999) और लिथुआनिया (2004) जैसे देश NATO में शामिल हो चुके हैं।

फिनलैंड-रूसी संबंधों का विकास:

  • विगत 200 से अधिक वर्षों के दौरान संघर्ष और समझौते से दोनों देशों के बीच संबंध प्रभावित हुए हैं।
  • रूसी ज़ार अलेक्जेंडर I ने सन 1809 में स्वीडन को हराया और फ़िनलैंड का अधिग्रहण कर लिया था।
    • उन्होंने फ़िनलैंड को रूसी साम्राज्य का एक स्वायत्त ग्रैंड डची बनाया था।
    • हालाँकि, वर्ष 1917 में ज़ारिस्ट शासन के पतन के बाद बोल्शेविक क्रांति के कारण फ़िनलैंड को पूर्ण स्वतंत्रता मिल गई थी।
  • प्रथम सोवियत-फ़िनलैंड युद्ध या 1939-1940 का शीतकालीन युद्ध: अक्टूबर 1939 में, स्टालिन ने फिनिश-रूसी सीमा के संशोधन का प्रस्ताव रखा और एक महीने बाद, सोवियत संघ ने फिनलैंड पर आक्रमण कर दिया।
    • प्रथम सोवियत-फ़िनलैंड युद्ध की शुरुआत के प्रमुख कारण रूसी क्रांति और फ़िनलैंड गृह युद्ध से उत्पन्न तनाव और 1920 में डोरपत की संधि (Treaty of Dorpat) से उत्पन्न मुद्दे थे।
    • यह युद्ध साढ़े तीन महीने तक चला और फ़िनलैंड ने अपने क्षेत्र के प्रमुख हिस्से खो दिए लेकिन उसके बाद भी अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा।
  • दूसरा सोवियत-फ़िनलैंड युद्ध (1941-1944): तत्कालीन सोवियत संघ (Union of Soviet Socialist Republics (USSR) ) और फ़िनलैंड के बीच पुनः 1941 में युद्ध प्रारंभ हुआ जिसे तीसरे राइख (Third Reich) के साथ फ़िनिश गठबंधन द्वारा समर्थन प्राप्त था।
    • यह युद्ध फिनलैंड की हार के साथ समाप्त हुआ और इसने अपने के कई क्षेत्रों को खो दिया और इसे युद्ध की क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया।
  • इन युद्धों और उनके परिणामों ने फ़िनलैंड को एक व्यावहारिक और लचीली सुरक्षा नीति अपनाने के लिए उत्प्रेरित किया, जिसने देश को पश्चिमी सैन्य सहयोग के साथ अपनी स्वायत्तता को संतुलित करने में सक्षम बनाया।
  • फ़िनलैंड द्वारा सोवियत संघ को रियायतें दी गईं, जिसमें 1948 की फिनो-सोवियत संधि शामिल है।
    • फिनो-सोवियत संधि के तहत फ़िनलैंड एक तटस्थ देश था, हालाँकि फ़िनलैंड मास्को की अनुमति के बिना अपने देश में किसी भी विदेशी सैनिक को तैनात नहीं कर सकता था।
    • संधि ने फ़िनलैंड को सोवियत संघ के साथ अपने व्यापार में सुधार करने में मदद की, लेकिन इसने फ़िनलैंड को रूस पर बहुत अधिक निर्भर बना दिया और देश को सोवियत संघ में आर्थिक और राजनीतिक विकास के प्रति संवेदनशील बना दिया।
  • पासीकिवी की लाइन (Paasikivi’s line): द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, फिनिश राष्ट्रपति जुहो कुस्ती पासिकीवी द्वारा प्रदर्शित कुशल कूटनीति और व्यावहारिकता ने देश को कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रसार से बचाने में मदद की।
    • वर्ष 1948 में, USSR और फिनलैंड के बीच मित्रता, सहयोग और पारस्परिक सहायता समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
    • पासीकिवी की लाइन USSR के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के विचार पर आधारित थी और तटस्थता इसका प्रमुख उद्देश्य था।
    • इसने फिनलैंड को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक भू-राजनीति में जटिलताओं को दूर करने में मदद की।
    • यह “फिनलैंड की तटस्थता” (Finland’s neutrality) के रूप में लोकप्रिय हुआ।
  • शीत युद्ध के बाद का चरण: वर्ष 1991 में USSR के पतन के बाद, फिनलैंड ने यूरोप के साथ अधिक एकीकरण के साथ-साथ रूस के साथ मजबूत संबंध विकसित करने की कोशिश की। ।
    • सोवियत संघ के विघटन के बाद से ही फ़िनलैंड ने सामान्य सुरक्षा और रक्षा नीति (CSDP) और नॉर्डिक रक्षा सहयोग (NORDEFCO) जैसी विभिन्न यूरोपीय सुरक्षा पहलों में सक्रिय भूमिका निभाई है वहीँ दूसरे ओर इसने रूस के साथ भी घनिष्ठ आर्थिक संबंध बनाए रखा।
    • हालाँकि, दोनों देशों में घरेलू राजनीति में आये उतार-चढ़ाव के कारण फ़िनलैंड और रूस के बीच तनाव बना रहा है।

फ़िनलैंड के नाटो में शामिल होने के पीछे तर्क:

  • कुछ विशेषज्ञ फ़िनलैंड द्वारा उठाए गए इस नवीनतम कदम को यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद की उभरी परिस्थितियों के बीच एक तर्कसंगत विकल्प के रूप में देखते हैं।
  • फिनलैंड पहले भी नाटो के साथ जुड़ा हुआ रहा है।
    • 1994 में, फ़िनलैंड ने शांति के लिए भागीदारी (PfP) कार्यक्रम के लिए नाटो के साथ सहयोग किया था।
    • फ़िनलैंड को “उन्नत अवसर भागीदार” (Enhanced Opportunity Partner) का दर्जा प्राप्त था और इसने बाल्कन, अफ़गानिस्तान और इराक में नाटो के नेतृत्व वाले अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई थी।
  • फिनलैंड के संविधान के अनुसार, देश का प्रत्येक नागरिक राष्ट्रीय रक्षा में भाग लेने के लिए बाध्य है। इससे देश की सेना, नौसेना और वायु सेना को युद्ध की स्थिति में प्रभावी ढंग से कार्य करने और संभावित आक्रमण के खिलाफ खुद को बचाने के लिए पर्याप्त और सक्षम संसाधन प्राप्त हुए हैं।
    • हालाँकि, फ़िनलैंड के नवीनतम कदम के पीछे मुख्य तर्क नाटो से अतिरिक्त सुरक्षा गारंटी प्राप्त करना रहा है।
    • नाटो की स्थापना संधि के अनुच्छेद 5 के अनुसार, “यूरोप या उत्तरी अमेरिका में एक या अधिक सदस्यों पर आक्रमण सभी सदस्य देशों पर आक्रमण माना जाता है”। यह सदस्यों को एक सूत्र में बांधता है, और उन्हें एक-दूसरे की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध बनाता है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि नाटो में शामिल होने के फिनलैंड के कदम को “पारंपरिक प्रतिरोध” के चश्मे के माध्यम से देखा जा सकता है।
    • प्रोफेसर जॉन मियरशाइमर के अनुसार जिन्होंने इस अवधारणा का वर्णन करते हुए बताया हैं की “पारंपरिक प्रतिरोध एक विरोधी को युद्ध शुरू न करने के लिए राजी करने का एक प्रयास है क्योंकि युद्ध की अपेक्षित लागत और जोखिम प्रत्याशित लाभों से अधिक होती है”।

नाटो में शामिल होने के संभावित विकल्प:

  • विशेषज्ञों का मानना है कि नाटो में शामिल होने के अलावा फ़िनलैंड के लिए एक विकल्प अपनी सैन्य क्षमताओं को विकसित करना और अन्य यूरोपीय देशों के साथ गहरे स्तर के सहयोग को आगे बढ़ाना होगा।
  • हालांकि, 2014 में रूस का क्रीमिया पर कब्जा (Russia’s Annexation of Crimea), 2022 में यूक्रेन पर रूस का आक्रमण, और घटते रूसी प्रभाव ने फिनलैंड को भविष्य में किसी भी संभावित सुरक्षा जोखिम से निपटने के लिए नाटो में शामिल होने के लिए मजबूर किया है।

भावी कदम:

  • इस कदम से रूस एवं फ़िनलैंड में तनाव और अधिक बढ़ेगा क्योंकि रूस, रुसी-फिनिश सीमा पर अपने सैनिकों को बढ़ाने पर जोर देगा।
  • ऐसी परिस्थितियों में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि नाटो और रूस “उपायों” और “प्रतिउपायों” को लागू करने के मौजूदा दुष्चक्र को तोड़ने के तरीकों की तलाश करें।
  • इस क्षेत्र में एक “सुरक्षा दुविधा” के सामने आने के साथ, रूस और नाटो को एक-दूसरे के प्रति सतर्क व्यवहार करने की आवश्यकता है। इसके लिए कम से कम कुछ नाटो सदस्यों को सैन्य क्रूरता या बल के बजाय राजनयिक साधनों पर विश्वास करने की आवश्यकता है।
  • फ़िनलैंड में नवनिर्वाचित दक्षिणपंथी सरकार को रूस के साथ तनाव नहीं बढ़ाना चाहिए और द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होना चाहिए।

सारांश:

  • फ़िनलैंड आधिकारिक तौर पर NATO का 31वां सदस्य बन गया है और इसे एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि फ़िनलैंड रूस के साथ 1,340 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। फ़िनलैंड का नाटो में शामिल होने का कदम यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, पूर्व में रूस के साथ फ़िनलैंड की समस्याएं और वैश्विक भू-राजनीति में घटते रूसी प्रभाव से प्रभावित था।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत-अमेरिका संबंधों के लिए महत्वपूर्ण छह महीने:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-अमेरिका संबंध।

संदर्भ:

  • अमेरिका ने दो साल के अंतराल के बाद भारत में अपने राजदूत की घोषणा की।

विवरण:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने दो साल के अंतराल के बाद मार्च 2023 में भारत में अपने राजदूत की घोषणा की।
  • इस कदम से G20, I2U2, और क्वाड जैसे मंचों में भारत और अमेरिका के बीच अधिक जुड़ाव होगा।
  • इसके अलावा, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2023 में अमेरिका का दौरा करेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन नवंबर 2023 में भारत का दौरा करेंगे।

यह भी पढ़ें: India Takes Over Presidency Of G20 | 17th G20 Summit- Indonesia

भारत और अमेरिका के बीच सहयोग के मजबूत क्षेत्र:

  • महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी (2022 में शुरू) पर भारत-अमेरिका पहल में दोनों देशों के बीच सामरिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करने की क्षमता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा पहुंच और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए वर्ष 2020 में अमेरिका-भारत सामरिक ऊर्जा साझेदारी की शुरुआत की गई थी।
  • हिन्द-प्रशांत साझेदारी का उद्देश्य सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ाना, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना और क्षेत्र में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है।
    • यह सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सहित मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अवधारणा पर आधारित है।
    • इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना प्रमुख उद्देश्यों में से एक है।
    • इसमें सूचना साझा करने, संयुक्त सैन्य अभ्यास आदि जैसी कई पहलें शामिल हैं। दोनों देश साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने के क्षेत्र में भी सहयोग करते हैं।
  • भारत और अमेरिका दोनों दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती मुखरता तथा बेल्ट और रोड पहल (BRI) के माध्यम से आर्थिक प्रभुत्व स्थापित करने के प्रयासों के संबंध में समान चिंताएं साझा करते हैं।
  • भारत का बढ़ता उपभोक्ता बाजार इसे अमेरिकी व्यवसायों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाता है।
  • भू-राजनीतिक तनावों के कारण आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने की मांग बढ़ रही है।

यह भी पढ़ें: Strategic Importance of Indo Pacific: RSTV – Big Picture

भारत-अमेरिका संबंध की सफल पहलें:

  • दोनों के बीच संबंधों के कुछ प्रमुख क्षण परमाणु समझौता, बाजारों का उदारीकरण और अमेरिका मदद से हरित क्रांति हैं।
  • भारत को आईटी महाशक्ति बनाने में अमेरिका ने भी भूमिका निभाई हैं।
  • जलवायु परिवर्तन से निपटने के क्षेत्र में दोनों देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के लिए सहयोग किया है।
  • इसके अतिरिक्त, भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर एक साथ काम किया है।

चिंता के क्षेत्र:

  • अमेरिका भारत से यूक्रेन संकट पर अपने रुख में बदलाव् की मांग कर रहा है, जबकि भारत अमेरिका से चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है।
  • भारत अमेरिका के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने पर जोर दे रहा है, हालांकि, वह रूस के साथ अपने संबंधों को तोड़ने के लिए अनिच्छुक भी है।
  • इसके अलावा, भारत शंघाई सहयोग संगठन का अध्यक्ष (सितंबर 2023 तक) है, जिसमें चीन और रूस सदस्य के रूप में शामिल हैं।
  • रूस ने अपनी नई विदेश नीति में भारत और चीन को अपने प्रमुख सहयोगियों के रूप में चिन्हित किया है।
  • भारत के सामने अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं को फिर से तैयार करने में कई चुनौतियां हैं। उदाहरण के लिए,
    • भारत के पास चीन की तरह एक विकसित बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक और नियामक प्रणाली नहीं है।
    • भारत में कानूनी और नौकरशाही प्रणाली बहुत जटिल है।

निष्कर्ष:

  • अमेरिका और भारत के बीच मजबूत होते संबंधों के बावजूद, ऐसे क्षेत्र हैं जहां दोनों देशों के अलग-अलग मत हैं और विश्वास में कमी जैसे मुद्दों का सामना करते हैं।
  • दोनों देशों की सरकारों को घनिष्ठ आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने और निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

संबंधित लिंक:

India – United States Relations 2022: Latest Developments and Major Areas of Cooperation

सारांश:

  • भारत-अमेरिका संबंध का भविष्य महत्वपूर्ण है क्योंकि भू-राजनीति में दोनों के बीच कई मतभेद हैं। संबंध को रचनात्मक रूप से आगे बढ़ाया जाना चाहिए, इसे इसकी क्षमता तक पहुंचाना चाहिए और सहयोग के सकारात्मक क्षेत्रों की तलाश करनी चाहिए।

चमकदार उम्‍मीद:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:

विषय: जैव विविधता संरक्षण।

प्रारंभिक परीक्षा: बाघों की गणना।

मुख्य परीक्षा: नवीनतम बाघ गणना रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्ष।

संदर्भ:

  • नवीनतम बाघ गणना आंकड़ा जारी किया गया।

विवरण:

  • बाघों की चतुष्कोणीय गणना (2022 में) के परिणामों के अनुसार, भारत में बाघों की आबादी कम से कम 3167 है।
  • वर्ष 2018 की गणना में बाघों की आबादी के लगभग 2,967 रहने का अनुमान लगाया गया था।
  • प्रोजेक्ट टाइगर को 1973 में लॉन्च किया गया था और यह इसका 50वां साल है। भारत सरकार ने निरंतर यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया है कि बाघ भारत के जंगलों में बने रहें।
    • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वर्ष 1973 में केवल 9 बाघ अभयारण्य थे। 2022 में इनकी संख्या 53 तक पहुंच गई है।
  • भारत के बिग कैट संरक्षण दृष्टिकोण की कुछ विशेषताएं बाड़बंद अभयारण्‍यों और वनवासी समुदायों की भागीदारी पर निर्भर नहीं हैं।

अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़ें: UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Apr 10th, 2023 CNA. Download PDF

संबद्ध चिंताएं:

  • संरक्षित क्षेत्रों के बाहर बाघों की उपस्थिति बढ़ रही है।
  • हालांकि, पश्चिमी घाटों में, संरक्षित वनों के भीतर बाघों की आबादी स्थिर है।
  • बाघ अभयारण्यों की संख्या में वृद्धि के बावजूद ये अभयारण्य बाघों के लिए उपयुक्त आवास नहीं बन पाए हैं।
  • आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा और तेलंगाना में संरक्षण के प्रयासों में सुधार की आवश्यकता है क्योंकि वन्यजीव आवास कई खतरों का सामना करता है जैसे:
    • मनुष्यों के साथ टकराव
    • अनियंत्रित मवेशी चराई
    • पर्यावास का अतिक्रमण
    • शिकार
    • बुनियादी ढांचे का विस्तार
    • आग का खतरा
    • गैर-इमारती वन उत्पादों की अत्यधिक कटाई
    • खनन गतिविधियाँ

भावी कदम:

  • संरक्षण के लिए जमीन को उपजाऊ बनाने और वनवासी समुदायों के अधिकारों को बरकरार रखने के बीच नाजुक संतुलन बनाए रखने पर ध्यान देना होगा।
  • इसके अलावा, संरक्षण प्रयासों को प्रदर्शित करना वनवासी समुदायों की आजीविका और गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
  • सभी संबद्ध हितधारकों को उचित प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए।

संबंधित लिंक:

Tiger Conservation in India – Project Tiger, National Tiger Conservation Authority, Critical Tiger Habitats

सारांश:

  • भारत में बाघों की 2022 की गणना बाघों की आबादी में वृद्धि दर्शाती है। भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। हालांकि, कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो अभी भी मौजूद हैं और उन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत को वनवासियों के अधिकारों के साथ संरक्षण प्रयासों को संतुलित करना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: संवृद्धि एवं विकास, और बुनियादी ढांचा।

प्रारंभिक परीक्षा: वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के बारे में।

प्रसंग:

  • हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने ₹4,800 करोड़ रुपए के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) का अनावरण किया है।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Villages Programme (VVP)):

  • केंद्र सरकार ने ₹4800 करोड़ रुपए के केंद्रीय घटकों के साथ वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) को मंजूरी दी हैं, जिसमें वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक के लिए सड़क संपर्क के लिए ₹2500 करोड़ का परिव्यय शामिल है।
  • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री ने 2022 के बजट भाषण के दौरान की थी।
  • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का उद्देश्य सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना और लोगों को अपने मूल स्थानों में रहने के लिए प्रोत्साहित करना है जो इन गांवों से पलायन की प्रवृत्ति को उत्क्रमित करने के साथ-साथ सीमा की सुरक्षा बढ़ाने में मदद करता है।
  • कार्यक्रम के तहत, व्यापक विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा में 19 जिलों के लगभग 2967 गांवों की पहचान की गई है।
  • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Vibrant Villages Programme

2. ज़ोजिला सुरंग:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: बुनियाद ढांचा- सड़कें।

प्रारंभिक परीक्षा: ज़ोजिला सुरंग के बारे में।

प्रसंग:

  • केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जोजिला टनल के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया।

ज़ोजिला सुरंग:

चित्र स्रोत: Indian Express

  • निर्माणाधीन ज़ोजिला सुरंग श्रीनगर और कश्मीर घाटी को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से जोड़ती है।
  • सरकार गणतंत्र दिवस, 2024 से पहले ज़ोजिला सुरंग को पूरा करने पर जोर दे रही है।
  • इस सुरंग के पूरा होने से कश्मीर से कन्याकुमारी तक बारहमासी सड़क संपर्क होने का सपना साकार होगा।
  • 14.15 किमी. लंबी ज़ोजिला सुरंग के पूरा होने के बाद यह भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंग और एशिया की सबसे लंबी द्वि-दिशात्मक सुरंग बन जाएगी।
  • सोनमर्ग और कारगिल के बीच ज़ोजिला घाटों में NH1 पर ज़ेड-मोड़ से ज़ोजिला सुरंग तक एक कनेक्टिंग सुरंग बनाई जाएगी।
  • ज़ोजिला सुरंग का निर्माण रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सोनमर्ग, जो ज़ोजिला दर्रे के माध्यम से लद्दाख तक पहुँचने के लिए सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है, सर्दियों में तीन महीने से अधिक समय के लिए दुर्गम हो जाता है क्योंकि यह भूस्खलन के कारण दुर्घटनाओं के प्रति अत्यधिक प्रवण है।
    • ज़ोजिला सुरंग साल भर लद्दाख में माल के परिवहन और सशस्त्र बलों की बेहतर आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी।
  • इस सुरंग के निर्माण से जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख क्षेत्रों का एकीकृत विकास होगा।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. तमिलनाडु विधान सभा ने केंद्र से विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल के लिए समय सीमा निर्धारित करने की मांग की:
  • तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया है जिसमें केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को “एक विशिष्ट अवधि के भीतर” स्वीकृति देने के लिए राज्य के राज्यपाल को निर्देश जारी करने की मांग की गई है।
  • प्रस्ताव में केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से विधायकों द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपालों द्वारा अपनी सहमति देने के लिए एक समय सीमा निर्दिष्ट करने का भी आग्रह किया गया है।
  • राज्यपाल पर राजनीतिक उद्देश्यों से कार्य करने का आरोप लगाते हुए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने राजमन्नार समिति द्वारा की गई टिप्पणियों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि “यह राज्यपाल के पद को समाप्त करने का एक उपयुक्त समय है और राज्यपाल एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिए”।
  • हाल ही में तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा कि यदि कोई राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयक पर अपनी सहमति नहीं देता है, तो इसका मतलब है कि “विधेयक समाप्त हो चुका है”।
  • तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने एक निर्वाचित विधानसभा द्वारा पारित कानूनों के लिए एक “मनोनीत” राज्यपाल से सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता को बदलने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता के बारे में भी बात की क्योंकि यह संविधान की भावना के विरुद्ध है।
  • राज्यपाल के पद से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Office of Governor
  • सांसद टीवी परिप्रेक्ष्य: राज्य सरकार बनाम राज्यपाल से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Sansad TV Perspective: State Govt vs Governor
  1. रूस-भारत रक्षा व्यापार:
  • भारत को रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति जारी रखने के लिए पश्चिमी प्रतिबंधों और घटते निर्यात से प्रभावित रूस की क्षमता को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।
  • मीडिया रिपोर्टों के अनुसार हो सकता है कि रूस भारत को दो शेष S-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली (S-400 Triumf missile defence systems) देने में सक्षम नहीं हो, जिसके लिए भारत ने रूस को वर्ष 2018 में लगभग 5.4 बिलियन डॉलर का ऑर्डर दिया था।
  • हालांकि, रूसी अधिकारियों ने इन खबरों को खारिज करते हुए कहा है कि रूस-भारत रक्षा सहयोग पूर्व में किए गए समझौतों और हस्ताक्षरित दस्तावेजों के अनुसार तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, अधिकारियों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि वर्तमान में भुगतान एक समस्या बना हुआ है।
  • रूस भारत के साथ पूर्व में हस्ताक्षरित विभिन्न अनुबंधों को पूरा कर रहा है, जिसमें S-400 प्रणाली, दो प्रोजेक्ट 11356 फ्रिगेट के साथ-साथ मौजूदा सुखोई Su-30 MKI की अतिरिक्त खरीद और आधुनिकीकरण और MIG-29 का उन्नयन शामिल है।
  • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 2012-17 में 69% से घटकर 2017-21 में 46% हो गई है।
    • हालांकि, रूस से भारत का कुल आयात अप्रैल 2022 में 8.5 अरब डॉलर से करीब पांच गुना बढ़कर फरवरी 2023 में 41.6 अरब डॉलर हो गया है, जो मुख्य रूप से तेल की आपूर्ति में वृद्धि के कारण हुआ है।
  • रूस अपनी मुद्रा रूबल के रूप में भुगतान प्राप्त करना चाहता है, हालांकि, रूबल में भुगतान करने में दो प्रमुख बाधाएं हैं:
    • भारतीय वित्तीय क्षेत्र की चिंताएं जो धीरे-धीरे नए तंत्र अपना रही हैं।
    • रूसी रूबल में विश्वास की कमी।
  • SIPRI ईयरबुक 2022 से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: SIPRI Yearbook 2022
  1. भारत के साथ चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराने पर चर्चा हुई: अमेरिकी जनरल
  • अमेरिकी प्रशांत वायु सेना (COMPACAF) के कमांडर जनरल केनेथ एस. विल्सबैक ने कहा है कि अमेरिका ने एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराने और भारत से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की है।
  • इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अमेरिकी वायु सेना (USAF) के दो B-1 लंबी दूरी के बमवर्षक द्विपक्षीय वायु अभ्यास कोप इंडिया में शामिल होंगे।
    • यह पहली बार है जब अमेरिकी बमवर्षक विमान भारत में किसी अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
    • B-1 बमवर्षक ने इससे पहले दो मौकों पर एयरो इंडिया के दौरान फ्लाईबाई में हिस्सा लिया था।
  • USAF कोप इंडिया अभ्यास के लिए चार से छह F-15 लड़ाकू विमानों, एक C-17 और दो C-130s को तैनात कर रहा है।
  • अभ्यास कोप इंडिया 23, जो भारतीय वायु सेना (IAF) और USAF के बीच एक द्विपक्षीय वायु अभ्यास है, अर्जन सिंह (पानागढ़), कलाईकुंडा और आगरा के वायु सेना स्टेशनों में आयोजित किया जा रहा है।
  • इस अभ्यास में जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के कर्मी भी शामिल हैं, जो पर्यवेक्षकों के रूप में भाग लेंगे।
    • “कोप इंडिया अभ्यास” से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए 04 अप्रैल 2023 का UPSC परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण लेख देखें।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. समय प्रसार परियोजना से आप क्या समझते हैं? (स्तर – कठिन)

  1. यह प्राचीन माया/मायाओं (Mayans) के समय-पालन रहस्यों (Time-keeping secrets) को समझने के लिए यूनेस्को द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है।
  2. यह ब्लैक होल के निकट समय विस्तारण (Time Dilation) की अवधारणा को समझने के लिए नासा द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है।
  3. यह पश्चिमी समय सटीकता पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए इसरो और NPL द्वारा शुरू की गई एक परियोजना है।
  4. यह डूम्सडे क्लॉक के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए ग्रीनपीस द्वारा शुरू की गई की एक पहल है।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • इसरो और NPL द्वारा शुरू की गई की समय प्रसार परियोजना का उद्देश्य पश्चिमी समय सटीकता पर भारत की निर्भरता को कम करना है।

प्रश्न 2. संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष (UNDEF) के संदर्भ में सही कथनों की पहचान कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. इसकी स्थापना वर्ष 1991 में USSR के पतन के बाद की गई थी।
  2. भारत इस कोष का संस्थापक सदस्य है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: संयुक्त राष्ट्र लोकतंत्र कोष (UNDEF) को संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी ए.अन्नान द्वारा 2005 में संयुक्त राष्ट्र जनरल ट्रस्ट फंड के रूप में भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु सहयोग समझौते के दौरान दुनिया भर में लोकतंत्रीकरण के प्रयासों का समर्थन करने के लिए बनाया गया था।
  • कथन 2 सही है: भारत UNDEF का संस्थापक सदस्य है और UNDEF के निर्माण में यू.एस. के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत UNDEF में शीर्ष योगदानकर्ताओं में से एक है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)

  1. भारत में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा घोषित 6 राष्ट्रीय दल हैं।
  2. 4 या अधिक राज्यों में राज्य दल के रूप में मान्यता प्राप्त कोई भी दल राष्ट्रीय दल बनने के योग्य हो जाता है।
  3. राष्ट्रीय दल को अपना मुख्यालय बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा जमीन दी जाती है।

विकल्प:

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) कोई भी कथन नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: भारत में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा घोषित 6 राष्ट्रीय दल हैं।
    • हाल ही में, आम आदमी पार्टी (AAP) को चुनाव आयोग (EC) द्वारा एक राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता दी गई है।
    • हालाँकि, तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने अपने राष्ट्रीय दल का दर्जा खो दिया है।
  • कथन 2 सही है: ECI के राजनीतिक दल और चुनाव चिह्न, 2019 हैंडबुक के अनुसार, एक राजनीतिक दल राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के योग्य होगा, यदि, और केवल यदि, उसके द्वारा निम्नलिखित में से कोई भी शर्त पूरी की जाती है:
    • दल को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में चार या अधिक राज्यों में कम से कम 6% वोट शेयर प्राप्त करना चाहिए और उस दल के कम से कम चार सांसद होने चाहिए; या
    • दल तीन राज्यों के लोकसभा चुनाव में 2 फीसदी सीटें जीते; या
    • दल को कम से कम चार राज्यों में राज्य दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो।
  • कथन 3 सही है: एक दल जिसे राष्ट्रीय दल का दर्जा दिया जाता है, वह कुछ विशेषाधिकारों और भत्तों का हकदार होता है, जिसमें शामिल हैं:
    • दल को अपना मुख्यालय बनाने के लिए सरकार से भूमि अनुदान प्राप्त होता है।
    • दल को आरक्षित चुनाव चिह्न दिया जाता है।
    • दल की राष्ट्रीय उपस्थिति सुनिश्चित होती है।
    • दल अधिक स्टार प्रचारकों को शामिल कर सकता है।

प्रश्न 4. ENSO के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सत्य है? (स्तर – मध्यम)

  1. अल नीनो भारत में सदैव सूखे जैसी स्थिति को जन्म देता है।
  2. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ENSO के महासागरीय भाग को ट्रैक करने के लिए महासागरीय नीनो सूचकांक का उपयोग करता है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: अल नीनो कमजोर मानसून से संबंधित है।
  • भारत में सूखे के सभी वर्ष अल नीनो वर्ष रहे हैं, हालांकि, सभी अल नीनो वर्षों में सूखा नहीं पड़ा है।
  • कथन 2 गलत है: महासागरीय नीनो सूचकांक (ONI) ENSO के महासागरीय भाग पर नज़र रखने के लिए राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) का प्राथमिक सूचकांक है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कारकों पर विचार कीजिए: (PYQ 2012) (स्तर – सरल)

  1. पृथ्वी का आवर्तन
  2. वायु दाब और हवा
  3. महासागरीय जल का घनत्व
  4. पृथ्वी की परिक्रमण

उपर्युक्त में से कौन से कारक महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 1, 2 और 3

(c) केवल 1 और 4

(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: b

व्याख्या:

  • महासागरीय धाराओं को विभिन्न कारक प्रभावित करते हैं। इसमें शामिल हैं:
    • हवा और वायु-दाब।
    • ताप प्रवणता या तापमान में अंतर
    • जल लवणता या पानी के घनत्व में अंतर
    • कॉरिओलिस प्रभाव
    • गुरुत्वाकर्षण बल
    • पृथ्वी का आवर्तन
    • महाद्वीपों की संरचना और आकार।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. नाटो के सदस्यता विस्तार ने रूस के साथ तनाव बढ़ाने में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई है। क्या फ़िनलैंड की हाल की सदस्यता इसी तरह की चिंताएँ पैदा करती हैं? नाटो की सदस्यता मानदंड और प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने के साथ कथन की जांच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [GS-2, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध]

प्रश्न 2. भारत में बाघ संरक्षण के संबंध में प्रोजेक्ट टाइगर एक उल्लेखनीय सफलता रही है। इस कथन के आलोक में, परियोजना की पृष्ठभूमि, संरचना और क्रियान्वयन का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) [GS-3, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण]